15-12-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन

मीठे बच्चे - तुम्हें लौकिक अलौकिक परिवार से तोड़ निभाना है, लेकिन किसी में भी मोह नहीं रखना है, मोह जीत बनना है''

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प्रश्नः-

कयामत का यह समय है, इसलिए बाप की कौनसी श्रेष्ठ मत सबको सुनाते रहो?

 

उत्तर:-

बाप की श्रेष्ठ मत सुनाओ कि कयामत के पहले अपने पापों का हिसाब-किताब चुक्तू कर लो।

अपना भविष्य श्रेष्ठ बनाने के लिए बाप पर पूरा-पूरा बलिहार जाओ।

कयामत के पहले ज्ञान और योग से मुक्ति-जीवनमुक्ति का वर्सा ले लो।

सारा पुरुषार्थ अभी ही करना है।

बाप पर सब कुछ बलिहार करेंगे तो 21 जन्म के लिए मिल जायेगा।

बाप का बनकर हर कदम पर डायरेक्शन लेते रहो।

 

  • ओम् शान्ति।
  • बाप बैठ बच्चों को समझाते हैं।
  • अभी तुमको 3 बाप से तोड़ निभाना है।
  • भक्तिमार्ग में दो बाप से तोड़ निभाना होता है।
  • जब सतयुग में हो तो एक बाप से तोड़ निभाना होता है।
  • ठीक है ना?
  • हिसाब बुद्धि में बैठता है?
  • जिसका बनना होता है, उनसे तोड़ भी निभाना होता है इसलिए बाप कहते हैं लौकिक कुटुम्ब परिवार से भी तोड़ निभाना है अन्त तक।
  • कोई लौकिक सम्बन्धी को चिट्ठी लिखते हो तो वाया पोस्ट आफिस जाती है।
  • यहाँ भी बेहद के बाप को चिट्ठी लिखते हो, शिवबाबा केयरआफ ब्रह्मा।
  • इन बातों को सिवाए तुम्हारे और कोई नहीं समझते।
  • यहाँ कोई नया आदमी आकर बैठे और बाबा कहे, तुमको 3 बाप हैं, तो समझ न सके।
  • एक है लौकिक बाप।
  • दूसरा - यह संगमयुगी अलौकिक बाप और तीसरा पारलौकिक बाप तो सबका है ही।
  • भक्ति मार्ग में भी है तो अभी भी है।
  • यह कोई जानते नहीं।
  • सिर्फ उनका गायन पूजन करते हैं।
  • तुम बच्चे तीनों ही बाप की जीवन कहानी जानते हो।
  • कितनी बातें समझानी पड़ती हैं।
  • सतयुग में सब सद्गति में हैं।
  • सुखी ही सुखी हैं।
  • सभी सुखधाम, शान्तिधाम में हैं।
  • रावणराज्य में सभी दु:खी हैं।
  • देवतायें वाममार्ग में जाते हैं तो गिरने लग पड़ते हैं।
  • दिखलाते हैं सोने की द्वारिका पानी के नीचे चली गयी।
  • यह चक्र फिरता रहता है।
  • नई ऊपर में आयेगी तो पुरानी फिर नीचे चली जायेगी।
  • फिर सतयुग नीचे जायेगा तो कलियुग ऊपर आ जायेगा।
  • फिर सतयुग ऊपर कब आयेगा?
  • 5 हजार वर्ष बाद।
  • बच्चों की बुद्धि में यह सारा नॉलेज आ गया है।
  • नॉलेज तो सहज है।
  • सिर्फ योग की मेहनत करनी पड़ती है।
  • कोई जास्ती याद करते हैं, कोई थोड़ा याद करते हैं।
  • तो मात-पिता बच्चों को समझाते हैं - लौकिक सम्बन्धियों से भी तोड़ निभाना है।
  • आज नहीं तो कल उन्हों की भी बुद्धि में बैठेगा।
  • देखेंगे यह तो ठीक है।
  • एक बाप को याद करना है।
  • कोई भी साधू-सन्त गुरू आदि को याद नहीं करना है।
  • याद चैतन्य को भी करते हैं तो जड़ को भी करते हैं।
  • सतयुग में कोई में भी मोह नहीं रहता।
  • वहाँ मोहजीत रहते हैं।
  • यहाँ सबमें मोह रहता है।
  • फ़र्क है ना।
  • ड्रामा में हर एक युग की रसम-रिवाज अपनी-अपनी है।
  • यह बाप बैठ समझाते हैं क्योंकि बाप ही नॉलेजफुल है।
  • है यह भी बाप, वह भी बाप।
  • वह भी क्रियेटर, यह भी क्रियेटर।
  • ब्रह्मा द्वारा क्रियेट करते हैं।
  • एडाप्ट करते हैं।
  • एडाप्ट करना अर्थात् अपना बनाना।
  • शूद्र धर्म वाले, जिनका बहुत जन्मों के भी अन्त का जन्म है, उनको बाप एडाप्ट करते हैं।
  • तुम बच्चे बाप को जान गये हो और बाप द्वारा सृष्टि चक्र को भी जान चुके हो।
  • बाप द्वारा क्या वर्सा मिलता है, उनको भी जान गये हो।
  • तुम बड़े हो, समझते हो तब तो एडाप्ट हुए हो।
  • बिगर समझ एडाप्ट कैसे होंगे।
  • कोई को अपना बच्चा नहीं होता तो दूसरे को अपना बनाते हैं।
  • साहूकार का ही बच्चा बनेंगे।
  • गरीब का थोड़ेही बच्चा बनेंगे।
  • बाप कहते हैं मुझे बच्चे चाहिए।
  • जरूर एडाप्ट करेंगे।
  • यह भी तुम जानते हो - एडाप्ट उनको करेंगे जिनको कल्प पहले किया है।
  • जो कल्प पहले पार्ट चला है, वही एक्ट रिपीट होती जायेगी।
  • जब मेरे बनेंगे तब उनको पढ़ाऊंगा।
  • बाप को और घर को याद करो।
  • सुखधाम और शान्तिधाम को याद करना - बहुत सहज है।
  • परन्तु बुद्धि बड़ी विशाल चाहिए।
  • छोटे बच्चे समझ नहीं सकेंगे।
  • वह सिर्फ बाबा, बाबा कहेंगे और कोई के पास जायेंगे नहीं।
  • यहाँ तो सब हैं गुप्त बातें।
  • समझ भी है - बुद्धि को ताकत मिलती है।
  • ताकत मिलने से सोने के बन जाते हैं।
  • कोई कमजोर होते हैं तो उनको सोने का सोल्युशन पिलाते हैं।
  • सोने का पानी भी बनाते हैं।
  • यहाँ तो तुमको रूहानी नॉलेज मिल रही है।
  • यह नॉलेज ही इनकम है।
  • नॉलेज तो सबको एक ही मिलती है, फिर जो पुरुषार्थ करे।
  • इसमें मूँझने वा घबराने की कोई बात नहीं।
  • सिर्फ बाबा का बनना है।
  • बाप के वर्से को याद करना है।
  • सारा दिन तो निरन्तर याद कर नहीं सकेंगे।
  • धन्धा आदि भी करना है।
  • कोई को तो धन्धा आदि भी नहीं है, फिर भी याद नहीं कर सकते।
  • जब तक कर्मातीत अवस्था नहीं हुई है, पुरुषार्थ करते रहना है।
  • वह वायुमण्डल दिखाई पड़ेगा।
  • समझेंगे अभी समय नजदीक आता जाता है।
  • जब बहुत दु:ख आयेगा तो फिर भगवान को याद करते रहेंगे।
  • मौत सामने दिखाई पड़ेगा।
  • तुम्हारे में भी सबको अपनी अवस्था का मालूम पड़ जायेगा कि हमारी कमाई कम है।
  • योग होगा तो आत्मा से खाद निकलती जायेगी।
  • फिर बाबा भी बुद्धि का ताला ढीला करेंगे।
  • मनुष्य बीमारी में ईश्वर को याद करते, डर रहता है।
  • सब उनको याद कराते हैं - राम कहो, राम कहो।
  • बाप भी कहते हैं बाप और वर्से को याद करते रहो।
  • एक दो को सावधान कर उन्नति को पाना है।
  • ऐसे नहीं पुरुष चले, स्त्री को न चलाये।
  • यह जोड़ा है हाफ पार्टनर का, परन्तु आजकल हाफ पार्टनर भी समझते नहीं हैं।
  • कोई-कोई इज्जत रखते हैं।
  • नहीं तो आजकल बच्चे ऐसे निकल पड़े हैं जो बाप की मिलकियत को उड़ा देते हैं, माँ को पूछते भी नहीं।
  • वहाँ तो यह सब बातें होती नहीं, कभी दु:ख नहीं होता।
  • यहाँ पहले-पहले दु:ख ही मिलता है, सगाई की और लगी काम कटारी।
  • देवियों को तलवार आदि दिखाते हैं।
  • वास्तव में यह हैं ज्ञान के अलंकार।
  • स्वदर्शन चक्र भी देवताओं को नहीं हैं।
  • यह तुम ब्राह्मणों के हैं।
  • गदा भी तुम्हारी निशानी है।
  • ज्ञान की गदा से तुम माया पर जीत पाते हो।
  • बाकी वहाँ ऐसी चीज़ों की दरकार नहीं रहती।
  • वहाँ बड़ी मौज से रहते हैं।
  • तपस्या करने की भी दरकार नहीं।
  • वह तो तपस्या का फल है।
  • सूक्ष्मवतन में हैं फरिश्ते।
  • वह है फरिश्तों की दुनिया।
  • यहाँ फरिश्ते नहीं रहते।
  • देवताओं को देवता कहेंगे।
  • वह हैं फरिश्ते और यहाँ हैं मनुष्य।
  • सभी का अलग-अलग सेक्शन है।
  • सतयुग में देवतायें राज्य करते हैं।
  • वह है टाकी दुनिया।
  • सूक्ष्मवतन में है मूवी दुनिया।
  • दुनिया भी 3 हैं, मूलवतन, सूक्ष्मवतन और स्थूल वतन।
  • तीन लोक कहते हैं ना।
  • तुम्हारी बुद्धि में यह प्रैक्टिकल में है।
  • मनुष्य तो सुनी-सुनाई पर चलते हैं।
  • तुम अच्छी रीति जानते हो कि यह दुनिया का चक्र कैसे फिरता है।
  • तीनों लोकों को जानते हो।
  • सिवाए बाप के आदि-मध्य-अन्त का राज़ कोई बता नहीं सकते।
  • कोई भी त्रिकालदर्शी है नहीं।
  • यह थोड़ेही कोई जानते हैं कि मूलवतन में आत्मायें कहाँ, कैसे रहती हैं।
  • तुम जानते हो वहाँ आत्माओं का झाड़ है।
  • वहाँ से नम्बरवार आते हैं।
  • हम सब आत्मायें बच्चे शिवबाबा की माला हैं।
  • जैसे सिजरा बनाते हैं।
  • क्रिश्चियन लोग भी झाड़ बनाते हैं।
  • खुशी मनाते हैं। क्राइस्ट का बर्थ डे मनाते हैं।
  • अभी तुम किसका बर्थ डे मनायेंगे?
  • मनुष्यों को यह पता ही नहीं कि हमारा धर्म स्थापक कौन है?
  • और सभी धर्म स्थापन करने वाले का हिसाब-किताब निकालते हैं।
  • देवी-देवता धर्म किसने स्थापन किया, यह किसको पता नहीं है।
  • बाप बैठ समझाते हैं, मैजारिटी माताओं की है।
  • शक्तियों का मान बढ़ाना चाहिए।
  • ऐसे नहीं कि हमको देह-अभिमान आ जाए, हम होशियार हैं। नहीं।
  • फिर भी मान रखना है माता का।
  • नाम ही है ब्रह्माकुमारी विश्वविद्यालय।
  • ज्ञान का कलष माताओं के सिर पर रखते हैं।
  • वह तीखी हैं।
  • सरस्वती के हाथ में सितार दी है।
  • श्रीकृष्ण और सरस्वती के कनेक्शन का भी पता नहीं है।
  • सरस्वती ब्रह्मा की बेटी है।
  • यह भी किसको मुश्किल पता होगा।
  • हर एक बात अच्छी रीति समझाई जाती है।
  • बाप ने समझाया है - इस ज्ञान-योग के सिवाए कोई भी मुक्ति-जीवनमुक्ति पा नहीं सकते।
  • और सब तो यह पढ़ेंगे भी नहीं।
  • हर एक को अपना हिसाब-किताब चुक्तू करना है।
  • पाप का दण्ड तो मिलता ही है।
  • दुनिया वाले यह नहीं समझते कि अब कयामत का समय है।
  • तुम्हारा सब पापों का हिसाब-किताब चुक्तू होता है।
  • भविष्य के लिए इतना जमा करना है जो आधाकल्प चल सके।
  • सारा पुरुषार्थ अभी करना है।
  • बाप कहते हैं सब कुछ बलिहार कर दो तो उनका फल 21 जन्म के लिए मिल जायेगा।
  • गरीब झट सौदा कर सकते हैं।
  • जिनके पास लाख-करोड़ हैं, बुद्धि में बैठ न सके।
  • बाप कुछ लेते नहीं हैं।
  • कहते हैं - तुम ट्रस्टी होकर सम्भालो।
  • श्रीमत पर तुम चलो।
  • मैं तो जीता हूँ।
  • कोई जीते जी भी ट्रस्ट में देते हैं।
  • समझते हैं अचानक मर जाऊं तो झगड़ा पड़ जायेगा।
  • बाबा भी जीते जी बैठा है।
  • कहते हैं - बाप का बन डायरेक्शन लो।
  • यह करूँ वा न करूँ।
  • बाबा राय देंगे भल यह करो - हर एक की अवस्था पर मदार है।
  • कोई विल भी कर लेते हैं।
  • मोह भी बहुतों में है, जो अपने पाँव पर होगा उनको भी दे देंगे।
  • बाप के पास कोई चालाक भी हैं - बच्चों को बांट कर बाकी अपने लिए रखते हैं।
  • बस हम उनसे चलते हैं।
  • ऐसे भी करते हैं।
  • यह तो बेहद का बाप है।
  • हर एक बच्चे को जानते हैं, ड्रामा को भी जानते हैं।
  • समझते हैं इसमें पैसे की दरकार नहीं है।
  • उस मिलेट्री पर गवर्मेन्ट का बहुत खर्चा होता है।
  • तुम्हारा खर्चा कुछ भी नहीं।
  • रात-दिन का फ़र्क है।
  • तुम जानते हो यह सारी मिलकियत आदि खत्म हो जाने वाली है।
  • हमको धरनी ही नई सतोप्रधान चाहिए।
  • अभी तो तमोप्रधान है।
  • लक्ष्मी का आह्वान करते हैं, तो सारे घर की सफाई करते हैं, शुद्ध घर में देवी आये।
  • बाबा ने समझाया है देवतायें इस धरती पर पैर नहीं रखते।
  • वह सिर्फ साक्षात्कार कराते हैं।
  • साक्षात्कार में पैर थोड़ेही धरनी पर होते हैं।
  • मीरा भी ध्यान में देखती थी।
  • यहाँ कोई देवता आ न सके।
  • देवतायें सतयुग में होते हैं कलियुग में फिर उनके अगेन्स्ट है।
  • देवताओं और असुरों की लड़ाई है नहीं।
  • वास्तव में यह है माया से लड़ाई।
  • योगबल से माया पर जीत पहनाने वाला, सर्व का सद्गति दाता एक बाप है।
  • पहले-पहले है ही रुद्र माला।
  • वहाँ इस माला को कोई जानते ही नहीं।
  • तुम संगमयुग पर ही जानते हो कि ब्राह्मणों की माला तो बन न सके।
  • पीछे है फिर विष्णु की माला।
  • यह सब हैं डिटेल की बातें।
  • कोई कहते हैं हमें धारणा नहीं होती है।
  • अच्छा कोई हर्जा नहीं है।
  • बाप को याद करना तो सहज है ना।
  • तुम बाप को कैसे भूलते हो।
  • जिस बाप से स्वर्ग का वर्सा मिलता है।
  • जबरदस्त आमदनी है।
  • फिर भी माया बुद्धि का योग हटा देती है।
  • साजन जो श्रृंगार कराए महारानी बनाते हैं, ऐसे साजन को भूल जाते हैं।
  • आधाकल्प माया का राज्य चलता है।
  • अभी तुम माया पर जीत पाकर जगतजीत बनते हो।
  • यह सारी दुनिया कैसे चलती है - तुम आदि से अन्त तक जानते हो।
  • नाटक देखकर आते हैं, उसमें मालूम पड़ता है पिछाड़ी में अब यह सीन होगी।
  • इसमें ऐसे नहीं है।
  • तुम जानते हो सेकण्ड बाई सेकण्ड जो चलता है सो ड्रामा।
  • ड्रामा के पट्टे पर मजबूत रहना है।
  • जो कुछ हो जाता, ड्रामा।
  • नाराज़ होने की कोई बात नहीं।
  • कोई ने शरीर छोड़ा उनको जाए अपना पार्ट बजाना है।
  • एक शरीर छोड़ दूसरा लिया।
  • तुम्हारी बुद्धि में यह स्वदर्शन चक्र फिरता रहना चाहिए।
  • तुमको शंखध्वनि करनी है, बाप का परिचय देना है।
  • हाथ में चित्र हो कि यह लक्ष्मी-नारायण भारत के मालिक थे।
  • अभी कलियुग है।
  • फिर बाप आया है - राज्य भाग्य देने।
  • हम ब्रह्माकुमार-कुमारी पढ़ रहे हैं, दादे से वर्सा ले रहे हैं।
  • तुमको भी लेना हो तो लो।
  • यह है तुम्हारा निमंत्रण फिर बहुत आयेंगे, वृद्धि होती जायेगी।
  • शिव जयन्ती पर भी अच्छा ही आवाज होगा।
  • अच्छा!
  • मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।

  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) ड्रामा के पट्टे पर मजबूत रहना है। किसी भी बात में नाराज़ नहीं होना है। सदा राज़ी रहना है।

    2) एक दो को सावधान कर उन्नति को पाना है। धन्धा आदि करते भी बाप की याद में रहने का पुरुषार्थ करना है।


  • ( All Blessings of 2021-22)
  • सुख स्वरूप बन सबको सुख देने वाले मास्टर सुखदाता भव

    संगमयुगी ब्राह्मण अर्थात् दु:ख का नाम-निशान नहीं क्योंकि सुखदाता के बच्चे मास्टर सुखदाता हो।

    जो मास्टर सुखदाता, सुख स्वरूप हैं वह स्वयं दु:ख में कैसे आ सकते हैं।

    बुद्धि से दु:खधाम का किनारा कर लिया।

    वे स्वयं तो सुख स्वरूप रहते ही हैं लेकिन औरों को भी सदा सुख देते हैं।

    जैसे बाप हर आत्मा को सदा सुख देते हैं ऐसे जो बाप का कार्य वो बच्चों का कार्य।

    कोई दु:ख दे रहा है तो भी आप दु:ख नहीं दे सकते, आपका स्लोगन है “ना दु:ख दो, ना दु:ख लो।''



  • (All Slogans of 2021-22)
    • हर्षित और गम्भीर बनने के बैलेन्स को धारण कर एकरस स्थिति में स्थित रहो।
    BK Naresh Bhai's present residence cum workplace