07-12-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन

मीठे बच्चे - तुम्हें अच्छे संस्कार धारण कर पतितों को पावन बनाने की सर्विस करनी है, अंधों की लाठी बनना है''

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प्रश्नः-

पिछाड़ी के समय कौन सी अवस्था आनी है?

 

उत्तर:-

पिछाड़ी के समय निरन्तर रूहानी यात्रा करते रहेंगे। बैठे-बैठे साक्षात्कार होंगे। बाप और वर्सा याद आता रहेगा। वैकुण्ठ देखते रहेंगे, बस अभी हम यह प्रालब्ध पायेंगे। हर्षित होते रहेंगे। परन्तु अच्छा पुरुषार्थ नहीं किया तो पछताना भी होगा। सज़ाओं का भी साक्षात्कार करेंगे।

 

गीत:- रात के राही...

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  • ओम् शान्ति।
  • यह है रूहानी यात्रा।
  • सबसे जास्ती महत्व इस रूहानी यात्रा का है।
  • यह है ईश्वरीय भाषा अथवा भाषण।
  • तुम भी भाषण करते हो ना।
  • बाप कहते हैं - सबसे जास्ती तो मैं भाषण करता हूँ क्योंकि मैं ज्ञान का सागर हूँ और फिर पतित-पावन सद्गतिदाता हूँ।
  • ज्ञान से सद्गति होती है।
  • बाप कहते हैं - वास्तव में मेरा नाम भी एक ही है।
  • ज्ञान का सागर और सद्गति दाता तो एक को ही कहेंगे।
  • बहुतों को तो नहीं कह सकते।
  • दूसरे मनुष्य यह भी समझते हैं कि यह ड्रामा है।
  • चक्र भी दिखाते हैं।
  • परन्तु चक्र की आयु भिन्न-भिन्न दिखाते हैं।
  • चक्र का भी ज्ञान चाहिए।
  • लाखों वर्ष कह देने से कोई बात का विचार भी नहीं कर सकते।
  • बाप को कहते हैं सर्व का सद्गति दाता, लिबरेटर।
  • इतनी आत्मायें जो ऊपर से आई हैं, पहले यहाँ नहीं थी फिर जरूर नहीं होंगी।
  • तो इतने सबको कौन आकर वापिस ले जायेंगे।
  • गाइड तो है ही एक परमपिता परमात्मा।
  • गाइड अर्थात् जो आगे रास्ता दिखाता चले।
  • गाते भी हैं पतित-पावन, गाइड है।
  • सर्व का सद्गति दाता है।
  • गुरू होता ही है गति करने वाला।
  • गुरू को आगे, फालोअर्स को पीछे रखा जाता है।
  • यहाँ ऐसी बात नहीं है।
  • यहाँ तो बाप कहते हैं बच्चे तुम आगे चलो क्योंकि गऊशाला भी है ना।
  • गऊओं के पीछे-पीछे ग्वाला रहता है, नहीं तो गऊएं इधर-उधर चली जायें।
  • बाप भी पिछाड़ी में रहते हैं।
  • आजकल भगत लोग समझते हैं - आगे महात्मा जी हों।
  • उनसे आगे जाना बेइज्जती समझते हैं।
  • बाबा कहेंगे बच्चे तुम आगे हो।
  • बाप को तो पिछाड़ी में सारी नज़र करनी पड़ती है कि कोई खा न जाये।
  • मिसाल है ना शेर रे शेर.. परन्तु शेर था नहीं।
  • तुम्हारे लिए भी कहते हैं कि यह बी.के. तो कहती हैं विनाश होगा, होता नहीं है।
  • परन्तु होना तो जरूर है।
  • आगे चल मनुष्य समझ जायेंगे बरोबर विनाश का समय है।
  • तुम बच्चे जानते हो विनाश किसलिए है?
  • दुनिया को कुछ मालूम नहीं।
  • अच्छा महाभारत लड़ाई के बाद क्या हुआ?
  • किसको पता नहीं।
  • तुम बच्चे भी नम्बरवार पुरुषार्थ अनुसार जानते हो।
  • हमको बाबा की मदद है।
  • तुम जानते हो बाबा आया है पतितों को पावन बनाने।
  • तो बच्चों को भी यही सर्विस कर ऊंच पद पाना है, पतितों को पावन बनाना है।
  • अन्धों की लाठी बनना है।
  • रास्ता बताया जाता है, अल्फ और बे का।
  • बस फिर पढ़ाई बहुत सहज है।
  • झाड़ सामने खड़ा है।
  • त्रिमूर्ति तो नम्बरवन है शिव के साथ।
  • त्रिमूर्ति मशहूर है।
  • शिव परमात्मा तो उनसे भी ऊंच है।
  • वह तो फिर भी सूक्ष्म है।
  • उनसे ऊंच है परमात्मा।
  • परन्तु उनका नाम, रूप, देश, काल कुछ भी नहीं जानते।
  • तुम बच्चे भी पहले नहीं जानते थे।
  • दिन-प्रतिदिन सब कुछ समझाया जा रहा है।
  • अभी तुम समझ चुके हो हम आत्मा हैं।
  • संस्कार आत्मा में भरते हैं।
  • अच्छे वा बुरे संस्कार आत्मा में हैं।
  • इस समय अच्छे संस्कार बहुत कम हैं।
  • बाकी हैं बुरे गिरने के संस्कार।
  • इस समय कोई के भी अच्छे संस्कार नहीं कहेंगे।
  • जबकि है ही रावणराज्य।
  • मायावी दुनिया में भी कोई अच्छे, कोई बुरे तो होते ही हैं।
  • कोई पाप करते होंगे तो कहेंगे इनके संस्कार अच्छे नहीं हैं।
  • बुरे संस्कार वाले अच्छे संस्कार वाले देवताओं के आगे जाकर उनकी महिमा गाते हैं।
  • भारत बिल्कुल अच्छे संस्कार वाला था।
  • अब बुरे संस्कार वाला है।
  • मनुष्य को यह भी पता नहीं है।
  • बाप समझाते हैं जो ऊपर से नई आत्मायें आती हैं, पहले अच्छे संस्कार वाली होती हैं फिर बुरी हो जाती हैं।
  • फिर उन्हों को ही तमोप्रधान से सतोप्रधान जरूर होना है।
  • भारत के ही चित्र सामने हैं।
  • बुरे संस्कार वाले बैठ देवताओं का वर्णन करते हैं क्योंकि वह हैं दैवीगुण वाले।
  • यह हैं आसुरी गुण वाले।
  • समझते भी हैं विकार में जाना आसुरी स्वभाव है इसलिए संन्यासी भाग जाते हैं।
  • फिर कहते हैं मैं फलाने संन्यासी का फालोअर्स हूँ।
  • परन्तु सब तो फालो करते नहीं।
  • तुम जानते हो यह देवी-देवता पवित्र प्रवृत्ति मार्ग के थे, वही अब अपवित्र बने हैं।
  • बाप समझाते हैं - तुमने पूरे 84 जन्म लिए हैं।
  • दैवी दुनिया और आसुरी दुनिया गाई जाती है।
  • अभी तुम समझते हो रावण के कारण ही इतना दु:ख हुआ है।
  • बाप सम्मुख समझाते हैं तुम ही पूज्य थे सो अब पुजारी बने हो।
  • फिर मैं आकर पूज्य बनाता हूँ।
  • बाप तो सदा पूज्य है ब्रह्मा को एवर पूज्य नहीं कहेंगे।
  • एवर पूज्य एक बाप ही है जो कहते हैं मैं आकर तुमको 21 जन्मों के लिए पूज्य बनाता हूँ।
  • बहुत ढेर के ढेर देवियाँ हैं।
  • तुम बहुतों ने मिलकर भारत को पावन बनाया है।
  • अब तुम्हारी बुद्धि में फर्स्ट-क्लास नॉलेज है कि सृष्टि चक्र कैसे फिरता है।
  • बाप ही सारा राज़ समझाकर अपने साथ रूहानी यात्रा पर ले जाते हैं।
  • वह है प्रीचुअल फादर, आत्माओं का बाप।
  • उनकी ही महिमा गाते हैं - हे पतित-पावन आओ।
  • बहुत मनुष्य समझते हैं कि आत्मा पतित होती है।
  • कई फिर नहीं भी समझते हैं।
  • बुरे वा अच्छे संस्कार आत्मा में ही हैं, आत्मा ही दु:ख उठाती है।
  • तो बाप समझाते हैं बच्चे सर्विस करो।
  • पाप आत्माओं को पावन पुण्य आत्मा बनाओ।
  • भारत का गायन है कि भारत जैसा पुण्य आत्मा कोई नहीं।
  • शिव पर बलि भी भारत में चढ़ते हैं परन्तु अर्थ नहीं समझते।
  • समझते थे हम शिवपुरी मुक्तिधाम में चले जायेंगे।
  • ऐसे नहीं कि सेकण्ड में उन्हों को मुक्ति मिलती है।
  • हाँ जो पाप किये हुए हैं उनसे मुक्ति मिलती है।
  • बाकी वापिस स्वीट होम में तो कोई जा नहीं सकते।
  • स्वीट होम है मात-पिता का घर।
  • मनुष्य तो कुछ भी जानते नहीं।
  • अन्धश्रधा से सिर्फ ईश्वर कह देते हैं।
  • जब ईश्वर एक है फिर मात-पिता क्यों कहते हो?
  • वह है रचता तो जरूर माता भी होगी, नहीं तो रचना कैसे हो?
  • तुम मात-पिता हम बालक तेरे.... तो बालक जिस्मानी ठहरे ना।
  • शिव-बाबा ब्रह्मा मुख द्वारा तुमको अपना बनाते हैं, इनमें प्रवेश कर एडाप्ट करते हैं।
  • अभी तुम बाप द्वारा सम्मुख सुन रहे हो।
  • फिर 5 हजार वर्ष के बाद सुनेंगे।
  • अभी जो तुम लिख रहे हो वह सब खत्म हो जायेगा।
  • फिर यह बातें बताये कौन?
  • समझो कोई नीचे से पुराने कागज आदि निकलते हैं, जिससे शास्त्र बैठ बनाते हैं फिर भी भक्ति मार्ग वाले वही शास्त्र निकलेंगे।
  • कोई नये नहीं बनाये हैं।
  • ड्रामा प्लैन अनुसार नीचे से वही निकले होंगे।
  • गीता, भागवत, महाभारत, रामायण आदि फिर भी वही बनेंगे।
  • स्वर्ग की सामग्री भी वही बननी है जो कल्प आगे थी।
  • हम अभी समझते हैं स्वर्ग में जाकर ऐसे-ऐसे महल बनायेंगे।
  • तुम बच्चों को स्थाई खुशी रहनी चाहिए।
  • हम जाकर प्रिन्स बनेंगे।
  • अगर निश्चय नहीं है तो स्कूल में जैसा बेसमझ बैठा हो।
  • यहाँ भी अगर नॉलेज समझकर किसको समझाते नहीं तो बेसमझ हुए ना।
  • राजायें तो बनने हैं फिर कोई सूर्यवंशी में बनेंगे कोई चन्द्रवंशी में।
  • पढ़ाई में बहुत-बहुत फ़र्क पड़ जाता है।
  • बाप तो अच्छी रीति समझाते रहते हैं।
  • बच्चों को अच्छी रीति पुरुषार्थ करना पड़े।
  • बाप और क्या करेंगे?
  • समझायेंगे रूहानी यात्रा पर रहो।
  • और कुछ नहीं समझा सकते हो तो चित्रों पर समझाओ।
  • यह भी देखते हो जिनको समझाते हैं वह तीखे हो जाते हैं।
  • और धर्म वाले भी आते हैं।
  • बाबा ने साक्षात्कार तो पहले ही कराये हैं कि यह इब्राहम, बौद्ध, क्राइस्ट भी आयेंगे।
  • यह सब समझने की बातें बिल्कुल ही सहज हैं।
  • सृष्टि चक्र को समझना बहुत सहज है।
  • मुश्किल बात है - बाप की याद में रहना।
  • पवित्र भी बन जायें।
  • डिफीकल्ट है रूहानी यात्रा, जिसमें थक जाते हैं।
  • अगर सारा दिन याद ठहर जाये फिर तो कर्मातीत अवस्था ही हो जाये।
  • स्कूल में पास तो तब होंगे जब रिजल्ट निकलेगी।
  • मुख्य है रूहानी यात्रा की बात।
  • रूहानी यात्रा, यह अक्षर बहुत अच्छा है।
  • योग में ही मेहनत है।
  • हठयोग सिखलाने वाले तो बहुत हैं परन्तु यह है रूहानी योग।
  • तुम्हारे सिवाए कोई समझा नहीं सकते।
  • इस राजयोग से ही मनुष्य पतित से पावन हो सकते हैं।
  • यह योग बाबा और तुम बच्चे ही सिखला सकते हो।
  • बाहर में जब सभी सुनेंगे तो कहेंगे कि हमारा योग ठीक है और सभी झूठे योग हैं।
  • बाहर में भी बच्चों को जाना तो है ना।
  • इस योग को कोई जानते नहीं हैं।
  • उसका नाम ही है हठयोग।
  • यह है राजयोग।
  • भगवानुवाच, मैं तुमको राजयोग सिखलाता हूँ, वह हठयोग मनुष्य
  • सिखाते हैं।
  • अब भगवान कौन?
  • श्रीकृष्ण ने तो योग से इतना पद पाया।
  • भगवान तो ऊंचे ते ऊंच निराकार है।
  • तो बीज और झाड़ का ज्ञान बहुत सहज है।
  • बाकी याद में नहीं रह सकते।
  • झाड़ आदि का राज़ बहुत सहज है किसको समझाना।
  • बच्चे बहुत अच्छी रीति समझाते भी हैं, बाकी योग में मेहनत है।
  • घड़ी-घड़ी एक दो को सावधानी देते रहें तो भी अहो भाग्य।
  • समझते हैं सहज भी है तो मुश्किल भी है।
  • बहुत फेल होते हैं इसलिए कहते हैं हमको योग में बिठाओ, हमको शान्ति पसन्द आती है।
  • शान्ति का नाम सुना है ना।
  • कोई कहते हैं नेष्ठा में हमको शान्ति मिलती है।
  • यह भी गपोड़ा है।
  • आधा घण्टा योग में बैठकर चले गये वह कोई शान्ति नहीं, वह अल्पकाल की हो गई।
  • शान्ति तब मिल सकती है जब गृहस्थ व्यवहार में रहते पवित्र बन रूहानी यात्रा पर रहें।
  • ऑफिस में बैठे, घर में बैठे
  • यात्रा करते रहे।
  • जो अवस्था तुम्हारी पिछाड़ी में आनी है।
  • बैठे-बैठे साक्षात्कार करते रहेंगे।
  • बाप और वर्सा याद आता रहेगा।
  • वैकुण्ठ देखते रहेंगे।
  • बस अभी हम यह प्रालब्ध पायेंगे।
  • पिछाड़ी में बहुत साक्षात्कार होंगे, पछताना भी यहाँ होगा।
  • जब देखेंगे फलाने-फलाने क्या बनते हैं, हम क्या बनते हैं।
  • सजायें भी बहुत खायेंगे।
  • बाप कहेंगे हम तो तुमको समझाते रहे।
  • तुमने समझा नहीं।
  • सिवाए प्रुफ किसको सज़ा नहीं मिल सकती।
  • साक्षात्कार कराकर फिर सज़ा देते हैं।
  • तो बच्चों को अच्छी रीति समझाया जाता है।
  • अभी पुरुषार्थ नहीं करेंगे तो कल्प-कल्प ऐसा ही ढीला पुरुषार्थ होगा।
  • अभी तुम समझ सकते हो हमसे फलाने ऊंच पद पायेंगे, सर्विस का बहुत शौक है।
  • कोई आये तो रास्ता बतायें।
  • इतना हर्ष रहता है।
  • डूबे हुए को पार कराना है, तैरने वाले जो होते हैं वह झट कूद पड़ते हैं, गाते हैं नईया मेरी पार लगा दो।
  • बाप हमको सच्चा रास्ता बता रहे हैं।
  • हमको फरमान मिला है कोई भी आये तो उनको अपना लक्ष्य बताना है।
  • बाकी यह शास्त्र आदि सब भक्ति कल्ट के हैं।
  • पतित-पावन एक बाप ही है जो आकर गीता ज्ञान सुनाते हैं।
  • श्री-श्री 108 यह रूद्र अर्थात् शिव निराकार की माला है।
  • निराकार आकर पढ़ाते हैं।
  • यह कोई शास्त्र का ज्ञान नहीं है।
  • हमको तो बाप ज्ञान सुनाते हैं।
  • महिमा ही बाप की है।
  • ज्ञान का सागर वह है।
  • ऐसा समझाना चाहिए जो वह कोई बात बीच में कर न सके।
  • हम बेहद के बाप से पढ़ते हैं।
  • सर्व का सद्गति दाता वह बाप है।
  • इस पर जोर देना चाहिए।
  • नहीं समझते तो छोड़ दो।
  • बोलो, तुम देवता धर्म के ही नहीं हो।
  • यह रास्ता छोड़ दो।
  • परन्तु समझाने की हिम्मत चाहिए।
  • संन्यासी भी कोई-कोई आ जाते हैं।
  • आगे चल वृद्धि को पायेंगे।
  • कुम्भ मेले पर कितने ढेर आते हैं स्नान करने।
  • दिन-प्रतिदिन भक्ति भी तमोप्रधान होती जाती है।
  • इसको फाल ऑफ पाम्प कहा जाता है।
  • यह भी एक खेल है, जिसमें दिखाते हैं दुनिया विनाश कैसे होती है।
  • अभी उनकी पाम्प है।
  • तुम बच्चों को सदैव नशा रहना चाहिए कि बाबा हमको पढ़ाते हैं।
  • बाबा हमको सुखधाम का रास्ता बताते हैं।
  • अगर हम औरों को रास्ता न बतायें तो बच्चे कैसे कहलायें।
  • उल्टी चलन से इज्जत गँवा देते हैं।
  • बहुत बच्चे समझते हैं हम पाप करते हैं, बाप को मालूम थोड़ेही पड़ता है।
  • अरे भक्ति मार्ग में भी मुझे सब मालूम पड़ता है तब तो तुमको फल मिलता है।
  • बाप को तो तरस पड़ता है - बच्चे अभी तक छिपाकर भूलें करते रहते हैं। समझते नहीं।
  • अच्छा!
  • मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।


  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) रूहानी यात्रा पर रहने के लिए एक दो को सावधान करते रहना है। कर्मातीत अवस्था में जाने के लिए सारा दिन याद में रहने की मेहनत करनी है।

    2) कोई भी उल्टी चलन नहीं चलनी है। सबको सुखधाम का रास्ता बताना है। सर्विस का शौक रखना है।



  • ( All Blessings of 2021-22)
  • संकल्प से भी मेरेपन की मैल को समाप्त कर बोझ से हल्का रहने वाले फरिश्ता भव

    मेरेपन का विस्तार ही बोझ है।

    कोई भी मेरा पन, मेरा स्वभाव, मेरा संस्कार, मेरी नेचर, कुछ भी मेरा है तो बोझ है और बोझ वाला उड़ नहीं सकता, फरिश्ता बन नहीं सकता। संकल्प में भी मेरे पन का भान आया तो समझो मैले हो गये।

    किसी भी चीज़ पर मैल चढ़ जाए तो मैल का बोझ हो जायेगा।

    तो सब बोझ बाप हवाले कर मेरेपन की मैल को समाप्त करो तो फरिश्ता बन जायेंगे।



  • (All Slogans of 2021-22)
    • हर परिस्थिति में फुल पास होने वाले ही मास्टर सर्वशक्तिमान् हैं।
    BK Naresh Bhai's present residence cum workplace