02-12-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
मीठे बच्चे - इस पढ़ाई में आवाज की आवश्यकता नहीं - यहाँ तो बाप ने एक ही मंत्र दिया है कि बच्चे चुप रहकर मुझे याद करो''
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प्रश्नः-
जिन बच्चों को ईश्वरीय नशा रहता है उनकी निशानी क्या होगी?
उत्तर:-
ईश्वरीय नशे में रहने वाले बच्चों की चलन बड़ी रॉयल होगी।
2- मुख से बहुत कम बोलेंगे।
3- उनके मुख से सदैव रत्न ही निकलेंगे।
वैसे भी रॉयल मनुष्य बहुत थोड़ा बोलते हैं।
तुम तो ईश्वरीय सन्तान हो, तुम्हें रॉयल्टी में रहना है।
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- ओम् शान्ति।
- बेहद का बाप बैठ बेहद के बच्चों को समझाते हैं।
- ऐसे तो कोई होता नहीं जो कहे कि बेहद के बच्चों प्रति समझाते हैं।
- बच्चे समझते हैं कि हमारा बेहद का बाप वह है, जिसको शिवबाबा कहते हैं।
- यूँ तो बहुत मनुष्य हैं जिनका नाम शिव होता है।
- परन्तु वह कोई बेहद का बाप नहीं।
- बेहद का बाप एक ही है जो परमधाम से आया है।
- उस निराकार को ही पुकारते हैं।
- उनको भगवान कहा जाता है।
- ब्रह्मा, विष्णु, शंकर देवता हैं।
- भगवान जो परमधाम में रहते हैं, वह सब आत्माओं का बाप है।
- तुम कोई गुरू गोसांई आदि के आगे नहीं आये हो।
- तुम जानते हो कि हम बेहद बाप के आगे बैठे हैं।
- बेहद का बाप मधुबन में आया है।
- वो लोग कहते हैं श्रीकृष्ण मधुबन में आया, परन्तु नहीं।
- बेहद के बाप की ही मुरली मधुबन में बजती है।
- बाप समझाते हैं मैं कल्प-कल्प संगमयुग पर आता हूँ न कि युगे-युगे, यह भूल कर दी है जो कहते हैं युगे-युगे आता है।
- यह जो भी शास्त्र आदि हैं यह सब भक्ति के हैं।
- ऐसे नहीं कि यह अनादि हैं।
- बाबा ने समझाया है यह सागर और पानी की नदियाँ अनादि हैं ही।
- बाकी ऐसे नहीं कि भक्ति अनादि है।
- तुम जानते हो सतयुग, त्रेता में भक्ति होती नहीं।
- भक्ति शुरू होती है द्वापर में।
- बेहद का बाप जो ज्ञान का सागर है, वह इस ब्रह्मा द्वारा बैठ ज्ञान सुनाते हैं।
- सूक्ष्मवतन में तो नहीं सुनायेंगे, बाप यहाँ सम्मुख बैठ समझाते हैं, तब तो गाते हैं दूर-देश के रहने वाले.. तुम जानते हो हम आत्मायें ब्रदर्स हैं।
- दूरदेश के रहने वाले हैं।
- वह गाने वाले तो कुछ भी समझते नहीं।
- तुम मुसाफिर हो, दूरदेश से आये हो पार्ट बजाने।
- तुम जानते हो यह कर्मक्षेत्र है।
- यहाँ हार और जीत का खेल है।
- यह भी बाप समझाते हैं।
- सब मनुष्य चाहते हैं - शान्ति मिले।
- शान्ति कोई मुक्तिधाम के लिए नहीं कहते।
- यहाँ रहते शान्ति मांगते हैं।
- परन्तु यहाँ तो मन की शान्ति मिल न सके।
- संन्यासी लोग शान्ति के लिए जंगल में चले जाते हैं, उन्हों को यह पता ही नहीं कि हम आत्माओं को शान्ति अपने निराकारी दुनिया में ही मिल सकती है।
- वह समझते हैं आत्मा ब्रह्म अथवा परमात्मा में लीन हो जाती है।
- यह भी नहीं समझते कि आत्मा का स्वधर्म है ही शान्त।
- यह आत्मा बात करती है।
- आत्मा रहती है शान्तिधाम में।
- वहाँ ही उसको शान्ति मिलेगी।
- इस समय सबको शान्ति चाहिए।
- सुख को कोई संन्यासी मानते नहीं।
- निंदा करते हैं क्योंकि शास्त्रों में दिखाया है कि सतयुग त्रेता में भी कंस जरासंधी थे।
- लक्ष्मी-नारायण को भूल गये हैं।
- तमोप्रधान बुद्धि हो गये हैं।
- बाप कहते हैं मैं हूँ निराकार।
- वो लोग कहते हैं परमात्मा नाम-रूप से न्यारा है।
- एक तरफ महिमा गाते हैं फिर कहते हैं सर्वव्यापी है, जब नाम-रूप से न्यारा है फिर सर्वव्यापी कैसे होगा।
- आत्मा का भी रूप जरूर है।
- कोई कह न सके आत्मा नाम रूप से न्यारी है।
- कहते हैं भ्रकुटी के बीच... तो आत्मा ही एक शरीर छोड़ दूसरा लेती है।
- परमात्मा पुनर्जन्म नहीं लेते।
- जन्म-मरण में मनुष्य आते हैं।
- यह है तुम्हारी पढ़ाई।
- पढ़ाई में कोई बाजा गाजा नहीं बजाते।
- तुम्हारी पढ़ाई होती है सवेरे।
- उस समय मनुष्य सोये रहते हैं।
- वास्तव में तुमको रिकार्ड बजाने की भी दरकार नहीं हैं।
- हम तो आवाज से परे जाते हैं।
- यह तो निमित्त सबको जगाने के लिए बजाने पड़ते हैं।
- मुरली पढ़ने अथवा सुनने में आवाज बाहर नहीं जाता है।
- पढ़ाई में आवाज होता ही नहीं है।
- बाप बैठ मंत्र देते हैं - बच्चे चुप रहकर मुझे याद करो।
- यहाँ कोई गुरू आदि तो है नहीं जो बैठ एक-एक को कान में मंत्र दे।
- फिर कह देते किसको नहीं सुनाना।
- यहाँ तो वह बात नहीं है।
- बाबा तो ज्ञान का सागर है।
- यह है गीता पाठशाला।
- तो पाठशाला में मंत्र दिया जाता है क्या?
- तुम जब किसको पर्सनल समझाते हो तो रिकार्ड बजाते हो क्या? नहीं।
- क्लास में भी ऐसे समझाना है।
- चित्र भी सामने हैं।
- जिसने कभी नक्शा ही नहीं देखा होगा तो क्या समझेंगे कि इंगलैण्ड, नेपाल कहाँ है।
- अगर नक्शा देखा होगा तो बुद्धि में आयेगा।
- तुम बच्चों को भी चित्रों पर सारा ड्रामा का राज़ समझाया गया है।
- यह नॉलेज ऐसी है जो बिगर चित्रों के भी समझा सकते हो।
- मनुष्यों को भगवान का कुछ भी पता नहीं है।
- कल्प की आयु तो लम्बी चौड़ी कर दी है।
- अब तुमको बाप ने समझाया है। तुमको फिर औरों को समझाना पड़े।
- 4 युगों का 4 हिस्सा करना पड़े फिर आधा-आधा करना पड़े।
- आधा में नई दुनिया, आधा में पुरानी दुनिया।
- ऐसे नहीं कि नई दुनिया की आयु बड़ी देंगे।
- समझो कोई मकान की आयु 50 वर्ष है तो आधा में पुराना कहेंगे।
- दुनिया का भी ऐसे है।
- यह सब बाप ही आकर बच्चों को समझाते हैं।
- इसमें गीत गाने वा कविता आदि सुनाने की दरकार नहीं।
- हम संगमयुग के ब्राह्मणों की रसम-रिवाज बिल्कुल ही न्यारी है।
- किसको पता नहीं है कि संगमयुग किसको कहा जाता है, संगम पर क्या होता है?
- तुम जानते हो दूरदेश के रहने वाला बाप पतित दुनिया में आये हैं।
- ब्रह्मा-विष्णु-शंकर का दूरदेश नहीं है।
- दूरदेश है शिवबाबा का और आत्माओं का।
- हम सब निराकारी दुनिया में रहने वाले हैं।
- पहले है निराकारी दुनिया फिर आकारी फिर साकारी।
- निराकारी दुनिया से पहले देवी-देवता धर्म की आत्मायें आती हैं।
- पहले सूर्यवंशी घराना यहाँ था, फिर चन्द्रवंशी घराने की आत्मायें आयेंगी।
- सूर्यवंशी हैं तो चन्द्रवंशी नहीं हैं।
- चन्द्रवंशी जब होते हैं तो कहेंगे सूर्यवंशी पास्ट हो गये।
- त्रेता में कहेंगे लक्ष्मी-नारायण का पार्ट पास्ट हो गया।
- बाकी ऐसे नहीं कहेंगे कि हम फिर वैश्य शूद्र बनेंगे, नहीं।
- यह नॉलेज तुमको अभी है।
- बाप तुमको चक्र का राज़ समझाते हैं।
- भल उन्होंने त्रिमूर्ति बनाया है।
- परन्तु शिव को डाला नहीं है।
- शिव को जाने तो चक्र को भी जाने।
- शिव को न जानने के कारण चक्र को भी नहीं जानते।
- गाते हैं दूरदेश का रहने वाला... परन्तु जानते नहीं कि भगवान ही पतित-पावन है। तुम जानते हो हमारा यह बहुत बड़ा यज्ञ है।
- उस यज्ञ में तिल जौं डालते हैं।
- यह है राजस्व अश्वमेध रूद्र ज्ञान यज्ञ।
- इस यज्ञ में सारी पुरानी दुनिया की सामग्री स्वाहा होनी है।
- जिसको राज्य पाना है वही योग में पूरा रहते हैं।
- सिलवर एज़ में भी दो कला कम कहा जाता है।
- पहले 1250 वर्ष सतयुग के हैं।
- फिर 625 वर्ष में एक कला कम हो जाती है, उतरती कला है ना।
- त्रेता में और भी खाद पड़ जाती है।
- अब तुम बच्चों को समझाया जाता है - जितना बाप के साथ बुद्धियोग रखेंगे तो खाद निकल जायेगी।
- नहीं तो सजा खाकर फिर सिलवर एज़ में आ जायेंगे।
- श्रीकृष्ण को सब प्यार करते हैं, झूला झुलाते हैं।
- राम को इतना नहीं झुलायेंगे।
- आजकल तो रेस की है।
- परन्तु यह कोई नहीं जानते कि लक्ष्मी-नारायण ही छोटेपन में राधे-कृष्ण हैं।
- राधे-कृष्ण पर बहुत दोष लगाये हैं, लक्ष्मी-नारायण पर कोई दोष नहीं।
- श्रीकृष्ण तो छोटा बच्चा है।
- बच्चा और महात्मा समान कहते हैं।
- महात्मा लोग तो संन्यास करते हैं, श्रीकृष्ण तो पतित था ही नहीं जो संन्यास करे।
- छोटा बच्चा पवित्र होता है, इसलिए उनको सब प्यार
- करते हैं।
- पहले है सतोप्रधान फिर सतो-रजो-तमो में आते हैं।
- श्रीकृष्ण को सब बहुत याद करते हैं।
- बाबा का मनमनाभव मंत्र तो बहुत नामीग्रामी है।
- देही-अभिमानी बनो।
- देह के सब धर्म छोड़ो।
- यह ज्ञान तुम कोई भी धर्म वाले को दे सकते हो।
- बेहद का बाप कहते हैं अल्लाह को याद करो।
- आत्मा अल्लाह का बच्चा है।
- आत्मा कहती है खुदा ताला। अल्ला सांई।
- जब अल्लाह कहते हैं तो जरूर आत्मा का बाप निराकार है, उनको ही सब याद करते हैं।
- अल्लाह कहने से जरूर नज़र ऊपर जायेगी।
- बुद्धि में आता है कि अल्लाह ऊपर में रहता है।
- यह है साकार सृष्टि।
- हम वहाँ के रहने वाले हैं।
- बाप कहते हैं - हम भी मुसाफिर, तुम भी मुसाफिर हो।
- परन्तु तुम मुसाफिर पुनर्जन्म में आते हो, मैं मुसाफिर पुनर्जन्म में नहीं आता।
- मैं तुमको छी-छी पुनर्जन्म से छुड़ाता हूँ।
- इस रावण राज्य में तुम बहुत दु:खी हो तब तो मुझे बुलाते हो।
- बाप कितनी अच्छी-अच्छी बातें तुमको समझाते हैं।
- बच्चे अभी खेल पूरा होता है।
- यहाँ बहुत दु:ख है।
- हर चीज़ कितनी मंहगी हो गई है फिर सस्ती थोड़ेही होगी।
- आगे सस्ताई थी।
- सबके पास अनाज आदि खूब रहता था।
- सतयुग को कहते हैं गोल्डन एज़।
- वहाँ सोने के सिक्के थे।
- वहाँ सोना ही सोना होगा, चांदी भी नहीं।
- वहाँ बाजार भी भभके की होगी।
- हीरे-जवाहर क्या-क्या पहनते होंगे।
- वहाँ हीरे-जवाहरों का ही खेल चलता है।
- खेती-बाड़ी ढेर होगी।
- यहाँ अमेरिका में अनाज इतना होता है, जो जला देते हैं।
- अभी तो जो बचत होती है वह बेच देते हैं।
- भारत को दान करते हैं।
- भारत की गति देखो क्या हो गई है।
- बाप कहते हैं मैंने तुमको कितना राज्य भाग्य दिया था।
- तुम्हारा देवी-देवता धर्म बहुत सुख देने वाला है।
- उनको ही कहा जाता है गोल्डन एज़।
- मुहम्मद गज़नवी कितने हीरे-जवाहरों के माल लूटकर ऊंट भराकर ले गया।
- कितना माल उठाया होगा?
- कोई हिसाब थोड़ेही कर सकेंगे।
- अब तुम फिर मालिक बन रहे हो।
- एक मुसाफिर सारी दुनिया को हसीन बनाने वाला है।
- कब्रिस्तान को बदल परिस्तान स्थापन करते हैं।
- यहाँ तुम बच्चे आये हो रिफ्रेश होने।
- मुसाफिर को याद करते हो।
- तुम भी मुसाफिर हो।
- यहाँ आकर 5 तत्वों का शरीर लिया है।
- सूक्ष्मवतन में 5 तत्व होते नहीं। 5 तत्व यहाँ होते हैं, जहाँ तुम पार्ट बजाते हो।
- हमारा असली देश वहाँ है।
- इस समय आत्मा पतित बन गई है इसलिए बाप को पुकारते हैं कि आप आओ - आकर हमको पावन बनाओ।
- रावण ने हमको पतित बनाकर काला कर दिया है।
- जबसे रावण आया है तो हम पतित बने हैं।
- अब समझते जरूर हैं हम पावन थे तब तो याद करते हैं - हे पतित-पावन आओ।
- कोई तो है जिसको बुलाते हैं।
- बच्चे बाप को बुलाते हैं ओ गॉड फादर।
- उनका नाम ही है हेविनली गॉड फादर।
- तो जरूर हेविन ही रचेगा।
- बाबा ने समझाया है पढ़ाई में बाजे गाजे की दरकार ही नहीं है।
- बाबा ने कह दिया है कोई अच्छे-अच्छे रिकार्ड हैं, जो बाबा ने बनवाये हैं - तो जब देखो उदासी आती है तो अपने को रिफ्रेश करने के लिए भल ऐसे-ऐसे गीत बजाओ।
- परन्तु जितना आवाज कम करेंगे तो अच्छा है।
- रॉयल मनुष्य कम आवाज करते हैं।
- मुख से थोड़ा बोलना है।
- जैसे रत्न निकलते हैं।
- तुम ईश्वर के बच्चे हो तो कितनी रॉयल्टी, कितना तुम्हारे में नशा होना चाहिए।
- राजा के बच्चे को इतना नशा नहीं होगा जितना तुमको रहना चाहिए।
अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अपने को सदा रिफ्रेश रखना है। मुख से रत्न ही निकालने हैं। कभी उदासी आदि आये तो बाबा के बनवाये हुए गीत सुनने हैं।
2) देही-अभिमानी बनने की प्रैक्टिस करनी है। याद में रह खाद निकालने का पुरुषार्थ करना है।
( All Blessings of 2021-22)
एक की याद में मन को एकाग्र कर मन्मनाभव रहने वाले एवररेडी सम्पूर्ण भव
सदैव स्मृति में रखो कि हर समय एवररेडी रहना है।
किसी भी समय कोई भी परिस्थिति आ जाए लेकिन हम एवररेडी रहेंगे।
कल भी विनाश हो जाए तो हम तैयार हैं।
एवररेडी अर्थात् सम्पूर्ण।
सम्पूर्ण बनने के लिए एक बाप दूसरा न कोई - यह तैयारी चाहिए।
मन सदा एक की तरफ मन्मनाभव है तो एवररेडी बन जायेंगे।
एवररेडी होकर सेवा करो तो सेवा में भी सहयोग मिलेगा, सफलता भी मिलेगी।
(All Slogans of 2021-22)
- बाप की हजार गुणा मदद के पात्र बनना है तो हिम्मत के कदम आगे बढ़ाओ।
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