28-11-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन

मीठे बच्चे - पढ़ाई अच्छी रीति पढ़कर उसका सबूत दो, सर्विस कर औरों को भी लायक बनाओ तब ऊंच पद के अधिकारी बनेंगे

 

प्रश्नः-

इस बेहद के स्कूल में वाह-वाह किन्हों की होती है?

 

उत्तर:-

जो खुद अच्छी रीति पढ़ते हैं और दूसरों को आप समान बनाने की सेवा करते हैं। रूहानी कमाई में बिजी रहते हैं।

सिर्फ दूसरों को देख खुश नहीं होते लेकिन मात-पिता समान सेवा कर उनके तख्त पर बैठते हैं उनकी वाह-वाह मात-पिता वा अनन्य बच्चे करते हैं।

जो अपना टाइम वेस्ट करते, पढ़ाई पर ध्यान नहीं देते, मात-पिता को फालो नहीं करते उन पर तरस पड़ता है।

वह ऊंच पद पा नहीं सकते।

उनकी सदा कम्पलेन रहती कि हमारा योग नहीं लगता।

 

गीत:- धीरज धर मनुआ....

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  • ओम् शान्ति।
  • बाप बैठ बच्चों को समझाते हैं कि सुख के दिन आयेंगे अगर श्रीमत पर चलेंगे तो।
  • फिर जितना श्रीमत पर चलेंगे उतना ही श्रेष्ठ बनेंगे क्योंकि श्रेष्ठ अर्थात् श्रेष्ठाचारी तो सब बनेंगे परन्तु जो अच्छी रीति श्रीमत पर चलेंगे वह अच्छा श्रेष्ठाचारी बनेंगे।
  • पढ़ाई में भी कोई अच्छी रीति पढ़ते हैं, कोई कम पढ़ते हैं अथवा नहीं पढ़ते हैं।
  • न पढ़ने वालों को बुरा माना जाता है।
  • यह पढ़ाई भी कोई अच्छी रीति पढ़ते हैं तो औरों को पढ़ाने लायक भी बनते है।
  • कोई तो ध्यान ही नहीं देते।
  • यह भी बच्चे समझते हैं कि अगर हम कोई भी विद्या अच्छी रीति पढ़ेंगे तो ऐसा ही लायक बनेंगे, नहीं तो नालायक बनेंगे।
  • लायक को जरूर अच्छा दर्जा मिलेगा।
  • तुम अभी सुखधाम के लिए पढ़ते हो फिर उसमें भी नम्बरवार मर्तबे हैं।
  • मनुष्य मर्तबे के लिए कितना माथा मारते हैं।
  • वह है अल्पकाल का सुख, काग विष्टा समान सुख।
  • यह तो अथाह सुख है।
  • जो बच्चे श्रीमत पर चलेंगे, वही अथाह सुख पा सकेंगे और वह ब्राह्मण कुल में भी अपना नाम निकालेंगे।
  • बाप का बच्चों को फरमान है - सर्विस कर औरों को भी ऊंचे ते ऊंचा पद दिलाओ तो तुम्हारा भी पद ऊंचा हो जायेगा।
  • अच्छी रीति पढ़कर फिर बाप को सबूत देना है।
  • बाबा हमने इतनों को बाबा का परिचय दिया।
  • प्रदर्शनी में भी पहले-पहले बाप का परिचय देते हो।
  • परिचय देकर फिर लिखवा लो।
  • समझाना बहुत सहज है।
  • बाप दो होते हैं लौकिक और पारलौकिक।
  • लौकिक से हद का वर्सा मिलता है, जिसको काग विष्टा समान सुख कहा जाता है।
  • बेहद का बाप बेहद का सुख देते, स्वर्ग का मालिक बनाते हैं।
  • तो बच्चों को सर्विस कर आप समान बनाना है।
  • बाप को सिर्फ याद नहीं करना है, लेकिन उन जैसी सर्विस भी करना है।
  • श्रीकृष्ण अथवा किसको भी याद करना, उनके गुण धारण न करना, वह क्या काम के!
  • उनसे फल कुछ नहीं मिलता।
  • भक्ति मार्ग में भी देवताओं को याद करते-करते नीचे उतरते जाते हैं।
  • अब मम्मा बाबा भी सद्गति करने की सर्विस में लगे हुए हैं।
  • जो मॉ बाप मुआफिक सर्विस करते हैं, वही सच्चे माँ बाप के बच्चे हैं।
  • नहीं तो कच्चे कहा जाता है।
  • बाप भी खुश तब हो जब देखे कि मेरे लाड़ले बच्चे मेरे समान सर्विस करते हैं।
  • लौकिक रीति में भी जो बच्चे अच्छी रीति पढ़ते हैं वह बाप के दिल पर चढ़ते हैं। अच्छी कमाई करते हैं।
  • यह भी तुमको रूहानी कमाई करनी है, सिर्फ दूसरों को देख खुश नहीं होना है।
  • पढ़ाई पढ़कर और पढ़ाकर ऊंच पद पाना है, तब माँ बाप, अनन्य बच्चे उनकी वाह-वाह करेंगे।
  • यह बेहद का स्कूल है।
  • हजारों यहाँ पढ़ते हैं।
  • जो अच्छी रीति नहीं पढ़ते वह खुद भी समझते होंगे कि हमारा योग पूरा नहीं लगता है।
  • वह बच्चे बाप की दिल पर चढ़ नहीं सकते।
  • बच्चे बने हैं तो माँ बाप पालना तो करते हैं ना।
  • फिर भी बाप समझाते हैं मात-पिता और अनन्य बच्चों को फालो करो।
  • सर्विस तो बहुत करनी है।
  • वह सोशल वर्कर करोड़ों की अन्दाज में होंगे।
  • तुमको रूहानी सोशल वर्कर बनना है।
  • अगर ज्ञान है तो।
  • नहीं तो समझेंगे पूरा ज्ञान नहीं है।
  • ज्ञान के बदले अज्ञान जास्ती है जिस कारण पद भ्रष्ट हो जायेगा, ऊंच पद पा नहीं सकेंगे। बाप को तरस पड़ता है।
  • हर पढ़ाई में पुरुषार्थ जरूर चाहिए।
  • पुरुषार्थ बिगर पास हो नहीं सकेंगे।
  • कोई दो तीन बारी फेल होते हैं तो अपना टाइम वेस्ट गँवाते हैं।
  • तो कम पढ़ने वालों को जो अच्छी रीति पढ़ते हैं उनका रिगार्ड रखना चाहिए क्योंकि वह बड़े भाई बहन हो जाते हैं।
  • मम्मा बाबा मिसल सर्विस करते हैं।
  • अच्छी सर्विस करने वालों को जहाँ तहाँ बुलाते हैं।
  • तो समझना चाहिए क्यों न हम पुरुषार्थ कर ऐसा बनें।
  • औरों को आप समान बनावें।
  • बेहद के बाप का परिचय देना है कि उनसे कैसे बेहद का वर्सा मिलता है।
  • वह बेहद का बाप जन्म-मरण रहित सदा सुख देने वाला है।
  • बाप दो हैं एक आत्माओं का बाप, दूसरा अलौकिक, तब तुम बापदादा कहते हो।
  • लौकिक सम्बन्ध में भी बाप दादा होता है।
  • यह है फिर पारलौकिक बापदादा।
  • पारलौकिक बाप से तुम भविष्य 21 पीढ़ी की प्रालब्ध पाते हो।
  • लौकिक बाप से अल्पकाल सुख का वर्सा जन्म बाई जन्म मिलता है।
  • जन्म लेते जाओ दूसरा बाप मिलता जाये।
  • सतयुग त्रेता में यहाँ का वर्सा 21 जन्म चलता है।
  • भल बाप दूसरे-दूसरे मिलते जायेंगे परन्तु हम सुखधाम में ही रहते हैं।
  • फिर द्वापर से माया का राज्य शुरू होता है फिर हमारी धीरे-धीरे उतरती कला होती है।
  • यह बुद्धि में रहना चाहिए।
  • जब उतरते हैं तो जल्दी-जल्दी जन्म लेते जाते हैं।
  • आधाकल्प में 21 जन्म लेते हैं बाकी आधाकल्प में 63 जन्म क्यों?
  • पतित होने से जल्दी-जल्दी उतरते जाते हैं।
  • जब बाप आये तो हम एकदम उतर गये थे।
  • अभी तुम संगमयुगी ब्राह्मण बने हो।
  • भल तुम्हारा कलियुग के साथ कनेक्शन है।
  • परन्तु अपने को संगमयुगी समझते हो।
  • जानते हो बाबा हमको परमधाम का मालिक बना रहे हैं।
  • गृहस्थ व्यवहार में रहते हुए तुम समझते हो वह कलियुग में रहने वाले हैं, हम संगमयुग में रहने वाले हैं।
  • वह विकारी बगुले हैं, हम निर्विकारी हंस हैं।
  • सिर्फ बाहर से नहीं दिखाना है।
  • अन्तर्यामी बाबा अन्दर से जानते हैं।
  • बाप समझाते रहते हैं बच्चे कोई पाप कर्म नहीं करो।
  • कहा जाता है कख का चोर सो लख का चोर।
  • एक बार चोरी करते हैं फिर एक दो वर्ष शक्य रहता है।
  • शक मुश्किल ही मिटता है।
  • तो ऐसा काम करना ही क्यों चाहिए।
  • यह सब काम माया कराती है।
  • जब माया माथा मूड लेती है तब स्मृति आती है, हमने यह क्या किया?
  • फिर बाबा से क्षमा मांगते हैं।
  • बाबा कहते हैं अच्छा बच्चे हर्जा नहीं, फिर नहीं करना।
  • अच्छा हुआ जो भूल बताई।
  • नहीं तो वृद्धि हो जाती।
  • बाबा को लिखते हैं हमने क्रोध किया, काला मुँह किया।
  • अपना भी तो स्त्री का भी किया।
  • बाबा लिखते हैं बाप का बनकर प्रतिज्ञा कर काला मुँह किया, ब्राह्मण कुल को कलंक लगाया, सज़ा के अधिकारी बन जायेंगे।
  • ऊंचे ते ऊंचा है ब्राह्मण कुल, देवताओं से भी ऊंचा है।
  • तुम ब्राह्मण भारत को पतित से पावन बनाते हो।
  • तुमने सतयुग त्रेता में 21 जन्म राज्य भाग्य किया तब सुन्दर थे फिर 63 जन्म काम चिता पर बैठ काले हो गये, तब श्याम बने।
  • कहते हैं सागर के बच्चे काम चिता पर बैठ खत्म हो गये।
  • फिर सागर ने ज्ञान वर्षा की तो जाग पड़े। गोरे हो गये।
  • इस श्रीकृष्ण की आत्मा को 84 जन्म जरूर लेने हैं।
  • 21जन्म सुन्दर, 63 जन्म श्याम।
  • अब उनकी लात पुरानी दुनिया तरफ है, मुँह नई दुनिया तरफ है।
  • जो नम्बरवन पूज्य था वही पुजारी बन अब लास्ट नम्बर में है।
  • खुद ही पुजारी बन नारायण की पूजा करते थे।
  • अब खुद ही पूज्य नारायण बनते हैं, इनको ही फर्स्ट नम्बर में जाना है।
  • ब्रह्मा का दिन स्वर्ग, ब्रह्मा की रात नर्क।
  • शिवबाबा आते हैं रात को दिन बनाने।
  • अब आधाकल्प की रात पूरी हो, दिन होता है।
  • शिवरात्रि कहते हैं परन्तु शिव के बदले श्रीकृष्ण का नाम कह दिया है कि श्रीकृष्ण का जन्म रात को हुआ।
  • है शिवबाबा की बात।
  • शिवबाबा की तिथि तारीख वेला का कुछ भी पता नहीं कि किस समय आया।
  • श्रीकृष्ण की वेला है, वह पुनर्जन्म में आने वाला है।
  • शिवबाबा तो झट आकर परिचय देने लग पड़ते हैं।
  • कुछ समय तो पता ही नहीं पड़ा कि यह कौन आया है?
  • कौन बोल रहे हैं?
  • बाद में मालूम पड़ा कि यह तो शिवबाबा ज्ञान का सागर है।
  • शिवबाबा ब्रह्मा द्वारा विष्णुपुरी की स्थापना करते हैं।
  • ब्रह्मा यहाँ है।
  • कृष्णपुरी भी यहाँ है।
  • लक्ष्मी-नारायण के तख्त पिछाड़ी विष्णु का चित्र होता है।
  • परन्तु ज्ञान कुछ भी नहीं।
  • जैसे गवर्मेन्ट का त्रिमूर्ति चित्र है।
  • यह समझने की बात है।
  • बच्चे जास्ती नहीं समझते हैं, भला लौकिक पारलौकिक बाप का कान्ट्रास्ट तो समझते हो ना।
  • याद भी करते हैं हे पतित-पावन, हे रहमदिल, हे दु:ख हर्ता सुख कर्ता।
  • सतयुग में कोई याद नहीं करते।
  • बाप यहाँ ही सब मनोकामना पूरी कर देते हैं।
  • सतयुग में तुमको इतना अथाह धन मिलता है जो वहाँ माथा मारने की दरकार ही नहीं।
  • तुमको श्रीमत पर चलना चाहिए।
  • जो नहीं चलते गोया निधनके हैं, उनको कहा जाता है बगुला।
  • तो हंसों को बगुलों के साथ भी रहना पड़ता है।
  • गृहस्थ व्यवहार में तो रहना ही है इसलिए रिपोर्ट आती है भाई झगड़ा करता, फलाना झगड़ा करता, दुनिया में झगड़ा ही झगड़ा है।
  • पवित्रता पर भी झगड़ा चलता है।
  • खान-पान की परहेज रखनी होती है।
  • तो बहुतों के लिए मुशीबत हो जाती है।
  • बाप कितना समझाते हैं, याद में रहकर भोजन खाओ।
  • डायरेक्शन अमल में नहीं लाते हैं।
  • प्रैक्टिस करनी चाहिए।
  • तुम हो पतित दुनिया को पावन बनाने वाली शक्तियाँ।
  • याद से पाप भस्म हो जाते हैं।
  • मेहनत है बहुत इसलिए कोटों में कोई निकलता है।
  • पुरुषार्थ करते भी फेल हो जाते हैं।
  • आश्चर्यवत बाबा का बनन्ती, बाबा बाबा कहन्ती।
  • फिर भी श्रीमत पर नहीं चलते, तो गिरन्ती, भागन्ती।
  • माया खींचती है तो बाप को फारकती दे देते हैं।
  • कल्प पहले जो हुआ है वही रिपीट होना है, इसमें मेहनत चाहिए।
  • जो श्रीमत पर चलते वही धारणा कर सकते हैं।
  • मम्मा बाबा कहकर फालो नहीं करेंगे तो दुर्गति को पायेंगे अर्थात् कम पद पायेंगे। अनपढ़े, पढ़े के आगे भरी ढोयेंगे। नौकर चाकर बनेंगे।
  • जो ब्राह्मण नहीं बनते वह प्रजा में पाई पैसे का पद पायेंगे।
  • और कोई धर्म स्थापन करने वाला राजाई नहीं स्थापन करते।
  • बेहद का बाप ही भविष्य के लिए राजाई स्थापन करते हैं।
  • पवित्र बनने के लिए पुरुषार्थ करना पड़े।
  • तुम फूल बनते हो, जो विकार में जाते हैं वह काँटे बनते हैं।
  • एक दो को आदि-मध्य-अन्त दु:ख देते हैं।
  • यह है काँटों की दुनिया।
  • अब तुम संगम पर फूल बन रहे हो।
  • सतयुग है फूलों का बगीचा।
  • संगम पर जंगल से बगीचा बनता है।
  • यह है कल्याणकारी संगम अथवा कुम्भ।
  • आत्मा परमात्मा का मिलन होता है।
  • अभी तुम जानते हो हम परमपिता परमात्मा से 21 जन्म का वर्सा ले रहे हैं।
  • राजाई पाने में मज़ा है।
  • बाकी यह कहना कि तकदीर में होगा तो मिलेगा, इससे क्या होगा।
  • बेहद बाप का परिचय देना है।
  • तुम अनुभवी हो, सर्विस तो करनी है।
  • दिल से पूछना है कि हमने कितनों की सर्विस की।
  • ज्ञान है तो सर्विस में लग जाना है।
  • नो ज्ञान तो नो सर्विस, तो नो ऊंच पद।
  • तकदीर में नहीं है तो पुरुषार्थ भी नहीं करते।
अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।


  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) बाप के डायरेक्शन को अमल में लाना है।

    खान-पान की पूरी परहेज रखनी है।

    याद में रहकर भोजन खाने का अभ्यास करना है।

    2) मात-पिता की तरह सेवा करनी है।

    अपने बड़ों का रिगार्ड जरूर रखना है।

    रूहानी सोशल वर्कर बन सबको बाप का परिचय देना है।



  • ( All Blessings of 2021-22)
  • कल्याणकारी समय की स्मृति से अपने भविष्य को जानने वाले मास्टर त्रिकालदर्शी भव

    यदि आपसे कोई पूछे कि आपका भविष्य क्या है?

    तो बोलो हमको पता है - बहुत अच्छा है क्योंकि हम जानते हैं कि कल जो होगा वह बहुत अच्छा होगा।

    जो हो गया वो भी अच्छा, जो हो रहा है वह और अच्छा और जो होने वाला है वह और बहुत अच्छा।

    जो मास्टर त्रिकालदर्शी बच्चे हैं उन्हें निश्चय रहता कि कल्याणकारी समय है, बाप हमारा कल्याणकारी है और हम विश्व कल्याणकारी हैं तो हमारा अकल्याण हो नहीं सकता।



  • (All Slogans of 2021-22)
    • समाप्ति के समय को समीप लाना है तो सम्पूर्ण बनने का पुरूषार्थ करो।
    BK Naresh Bhai's present residence cum workplace