24-11-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
मीठे बच्चे - तुम्हें श्रीमत पर पूरा-पूरा ध्यान देना है, बाप का फरमान है बच्चे मुझे याद करो और नॉलेज को धारण कर दूसरों की सेवा करो''
प्रश्नः-
बाबा बच्चों की उन्नति के लिए कौन सी राय बहुत अच्छी देते हैं?
उत्तर:-
मीठे बच्चे, अपना हिसाब-किताब (पोतामेल) रखो।
अमृतवेले प्यार से याद करो, लाचारी याद में नहीं बैठो, श्रीमत पर देही-अभिमानी बन पूरा-पूरा रहमदिल बनो तो बहुत अच्छी उन्नति होती रहेगी।
प्रश्नः-
याद में विघ्न रूप कौन बनता है?
उत्तर:-
पास्ट में जो विकर्म किये हुए हैं, वही याद में बैठने समय विघ्न रूप बनते हैं।
तुम बच्चे याद में बाप का आह्वान करते हो, माया भुलाने की कोशिश करती है।
तुम याद का चार्ट रखो, मेहनत करो तो माला में पिरो जायेंगे।
गीत:- तू प्यार का सागर है....
|
- ओम् शान्ति।
- यहाँ जब बैठते हो तो बाबा की याद में बैठना है।
- माया बहुतों को याद करने नहीं देती क्योंकि देह-अभिमान है।
- कोई को मित्र सम्बन्धी, कोई को खान-पान आदि क्या-क्या याद आता रहता है।
- यहाँ जब आकर बैठते हो तो बाप का आह्वान करना चाहिए।
- जैसे जब लक्ष्मी की पूजा होती है तो लक्ष्मी का आह्वान करते हैं।
- लक्ष्मी कोई आती नहीं है।
- यहाँ भी कहा जाता है तुम बाप को याद करो अथवा आह्वान करो, बात एक ही है।
- याद से विकर्म विनाश होंगे।
- धारणा नहीं हो सकती है क्योंकि विकर्म बहुत हैं।
- बाप को भी याद नहीं कर सकते हैं।
- जितना बाप को याद करेंगे उतना विकर्माजीत, निरोगी बनेंगे।
- है बहुत सहज।
- परन्तु माया अथवा पास्ट के विकर्म सामने आते हैं जो याद में विघ्न डालते हैं।
- बाप कहते हैं तुमने ही आधाकल्प अयथार्थ रीति से याद किया।
- अभी तो तुम प्रैक्टिकल में आह्वान करते हो क्योंकि तुम जानते हो कि बाबा आया हुआ है।
- परन्तु यह याद की आदत पक्की हो जानी चाहिए।
- तुमको एवर निरोगी बनने के लिए अविनाशी सर्जन दवाई देते हैं कि मुझे याद करो फिर तुम मेरे से आकर मिलेंगे।
- मेरे द्वारा मेरे को याद करने से ही तुम मेरा वर्सा पायेंगे।
- बाप और स्वीट होम को याद करना है, जहाँ जाना है, वह बुद्धि में रहता है।
- बाप वहाँ से आकर सच्चा पैगाम देते हैं और कोई भी ईश्वरीय पैगाम नहीं देते।
- वह तो यहाँ स्टेज पर पार्ट बजाने आते हैं और ईश्वर को भूल जाते हैं।
- लक्ष्मी-नारायण यहाँ आते हैं तो ईश्वर का पता नहीं रहता।
- उनको भी पैगम्बर नहीं कह सकते।
- यह तो मनुष्यों ने नाम लगा दिये हैं।
- वह आते ही हैं पार्ट बजाने।
- वह याद कैसे करेंगे?
- उनको पार्ट बजाते-बजाते पतित बनना ही है, फिर अन्त में पतित से पावन बनना है।
- वह तो बाप ही आकर बनाते हैं।
- बाप की याद से ही पावन बनना है।
- बाप कहते हैं बच्चे मेरे पास पावन बनाने का एक ही उपाय है।
- देह सहित जो भी देह के सम्बन्ध हैं उनको भूल जाना है।
- तुम जानते हो मुझ आत्मा को बाप को याद करने का फरमान मिला हुआ है।
- उस पर चलने वाले को ही फरमानवरदार कहा जाता है।
- जो कम याद करते हैं, वह कम फ़रमानवरदार।
- फ़रमानवरदार पद भी ऊंचा पाते हैं।
- बाबा का एक फ़रमान है याद करो, दूसरा है नॉलेज को धारण करो।
- याद नहीं करेंगे तो सज़ायें बहुत खानी पड़ेगी।
- स्वदर्शन चक्र फिराते रहेंगे तो धन बहुत मिलेगा।
- भगवानुवाच, मेरे द्वारा मुझे भी जानो और सृष्टि चक्र के आदि-मध्य-अन्त को भी जानो।
- यह दो बातें मुख्य हैं जिस पर ध्यान देना है।
- श्रीमत पर पूरा ध्यान देंगे तो ऊंच पद पायेंगे फिर रहमदिल बनना है, सबको रास्ता बताना है, सबका कल्याण करना है।
- मित्र सम्बन्धियों आदि को भी सच्ची यात्रा पर ले जाने की युक्ति रचनी है।
- वह है जिस्मानी यात्रा, यह है रूहानी यात्रा।
- यह स्प्रीचुअल नॉलेज कोई के पास नहीं है।
- वह है सब शास्त्रों की फिलॉसाफी।
- यह है रूहानी नॉलेज, सुप्रीम रूह यह नॉलेज देते हैं रूहों को।
- रूहों को ही वापिस ले जाना है।
- अमृतवेले जब आकर बैठते हैं, कोई तो लाचारी आकर बैठते हैं।
- उन्हों को अपनी उन्नति का कुछ भी ख्याल नहीं है।
- बच्चों में देह-अभिमान बहुत है।
- देही-अभिमानी हो तो रहमदिल बन श्रीमत पर चलें।
- बाप कहते हैं अपना चार्ट लिखो - कितना समय याद करते हैं?
- आगे चार्ट रखते थे।
- अच्छा बाबा को न भेजो अपने पास तो रखो।
- अपनी शक्ल देखनी है।
- हम लक्ष्मी को वरने लायक बने हैं?
- व्यापारी लोग अपना पोतामेल रखते हैं।
- कोई-कोई सारे दिन की दिनचर्या रखते हैं।
- हॉबी होती है लिखने की।
- यह बाबा बहुत अच्छी राय देते हैं कि अपना हिसाब-किताब रखो।
- कितना समय याद किया?
- कितना समय किसको समझाया?
- ऐसा चार्ट रखें तो बहुत उन्नति हो जाये।
- बाबा मम्मा को तो नहीं लिखना है।
- माला के दाने जो बनते हैं उन्हों को पुरुषार्थ बहुत करना है, बाबा ने कहा ब्राह्मणों की माला अभी नहीं बन सकती, अन्त में बनेंगी, जब रुद्र की माला बनेंगी।
- ब्राह्मणों की माला तो बदलती रहती है।
- आज 3-4 नम्बर में हैं, कल लास्ट 16108 में चले जाते हैं।
- कोई गिरते हैं तो बिल्कुल दुर्गति को पा लेते हैं।
- माला से तो गये, प्रजा में भी चण्डाल जाकर बनते हैं।
- अगर माला में पिरोना है तो मेहनत करो।
- बाबा सबके लिए बहुत अच्छी राय देते हैं।
- भल गूँगा हो, कोई को भी ईशारे से बाबा की याद दिला सकते हैं।
- अन्धे, लूले कैसे भी हों - तन्दरूस्त से भी ज्यादा ऊंच पद पा सकते हैं।
- सेकण्ड में जीवनमुक्ति गाई हुई है।
- बाबा का बना और वर्सा मिल गया।
- उनमें नम्बरवार पद हैं।
- बच्चा पैदा हुआ, वर्से के हकदार बन गया।
- यहाँ तुम हो मेल्स बच्चे।
- बाप से वर्से का हक लेना है।
- सारा मदार पुरुषार्थ पर है।
- फिर कहते हैं कल्प पहले भी हार खाई होगी।
- बॉक्सिंग है ना।
- पाण्डवों की थी माया रावण के साथ लड़ाई।
- कोई तो पुरूषार्थ कर विश्व के मालिक डबल सिरताज बनते हैं।
- कोई फिर प्रजा में भी नौकर चाकर बनते हैं।
- सभी यहाँ पढ़ रहे हैं।
- राजधानी स्थापन हो रही है।
- अटेन्शन आगे वाले दानों तऱफ जायेगा।
- 8 दाने कैसे चल रहे हैं।
- पुरूषार्थ से मालूम पड़ जाता है।
- ऐसे नहीं अन्तर्यामी है, सबकी दिल को जानते हैं।
- नहीं, जानी-जाननहार अर्थात् नॉलेजफुल है।
- सृष्टि के आदि मध्य अन्त को जानते हैं।
- बाकी एक-एक के दिल को थोड़ेही रीड करेंगे।
- मुझे थाट रीडर समझा है।
- वास्तव में मैं जानी जाननहार अर्थात् नॉलेजफुल हूँ।
- सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त की मेरे पास नॉलेज है।
- यह चक्र फिर से कैसे रिपीट होता है।
- मैं उस रिपीटेशन के राज़ को जानता हूँ।
- वह सब राज़ तुम बच्चों को समझाता हूँ।
- हर एक समझ सकते हैं कि परमात्मा कौन है और कितनी सर्विस करते हैं!
- बाकी बाबा एक-एक की दिल को जानने का धन्धा नहीं करता है।
- वह चैतन्य मनुष्य सृष्टि का बीज, नॉलेजफुल है।
- जानी जाननहार अक्षर बहुत पुराना है।
- हम तो जो नॉलेज जानता हूँ वह तुमको पढ़ाता हूँ।
- बाकी तुम क्या-क्या करते हो वह सारा दिन बैठ देखूँगा क्या?
- मैं तो सहज राजयोग ज्ञान सिखलाने आता हूँ।
- बाबा कहते हैं बच्चे तो बहुत हैं, बच्चे ही पत्र आदि लिखते हैं और मैं भी बच्चों के आगे ही प्रत्यक्ष होता हूँ।
- फिर वह सगा है वा लगा है - सो फिर मैं समझ सकता हूँ।
- हर एक की पढ़ाई है।
- श्रीमत पर सभी को एक्ट में आना है।
- कल्याणकारी बनना है।
- तुम जानते हो ब्रह्स्पति को वृक्षपति डे भी कहा जाता है।
- वृक्षपति सोमनाथ भी ठहरा, शिव भी ठहरा।
- बच्चों को बहुत करके गुरुवार के दिन स्कूल में बिठाते हैं।
- गुरू भी करते हैं।
- तुमको सोमनाथ बाप पढ़ाते हैं।
- रूद्र भी सोमनाथ को कहते हैं।
- कहते हैं रूद्र ज्ञान यज्ञ रचा।
- यह एक ही यज्ञ चलता है, जिसमें सारी पुरानी दुनिया की सामग्री स्वाहा होनी है।
- तत्व भी उथल पाथल में आ जाते हैं।
- सब इसमें स्वाहा हुए हैं।
- सामने महाभारत लड़ाई खड़ी है।
- यह सब शान्ति के लिए यज्ञ रचते हैं, परन्तु मटेरियल यज्ञ से शान्ति हो न सके।
- इस यज्ञ से विनाश ज्वाला प्रगट होती है।
- यह भ्रष्टाचारी दुनिया इसमें स्वाहा होने वाली है।
- यह सब बच्चों को देखना है।
- देखने वाले बड़े महावीर चाहिए।
- मनुष्य तो हाय-हाय करेंगे।
- तुम्हारे लिए लिखा हुआ है - मिरुआ मौत मलूका शिकार...सतयुग में बहुत थोड़े मनुष्य थे, एक धर्म था।
- अब कलियुग के अन्त में देखो कितने मनुष्य हैं?
- कितने धर्म हैं?
- यह सब धर्म कहाँ तक चलेंगे?
- सतयुग जरूर आना है।
- अब सतयुग की स्थापना कौन करेंगे?
- रचता बाप ही करेंगे।
- कलियुग का विनाश भी सामने खड़ा है।
- तुम भूल गये हो कि गीता का भगवान कौन है?
- भगवान ने स्वर्ग की स्थापना की, इसमें लड़ाई की कोई बात नहीं।
- उसने माया पर जीत पहनाई है।
- इस राज़ को न समझ उन्होंने असुर और देवताओं की लड़ाई दिखाई है।
- वह तो होती नहीं।
- तुम बच्चों को बाप द्वारा जो पास्ट, प्रेजन्ट, फ्युचर की नॉलेज मिली है, यह स्वदर्शन चक्र तुमको फिराना है।
- बाप और रचना को याद करना है।
- कितनी सहज बात है।
- गीत:- तू प्यार का सागर है -
- आज बाबा ने लिखा है, तुम ओशन आफ नॉलेज, ओशन आफ ब्लिस लिखते हो बाकी ओशन आफ लव भी जरूर लिखना है।
- बाप की महिमा बहुत है।
- परन्तु सर्वव्यापी कहने से बाप की महिमा गुम कर दी है।
- श्रीकृष्ण के लिए भी लिखा है 16108 रानियाँ थी...जन्माष्टमी के दिन श्रीकृष्ण को झूले में झुलाते हैं।
- परन्तु किसको भी पता नहीं कि श्रीकृष्ण ही श्रीनारायण बनते हैं।
- राधे फिर लक्ष्मी बनती है।
- लक्ष्मी ही फिर जगत अम्बा बनती है, यह कोई नहीं जानते।
- अब बाप कहते हैं मेरे को जानने से तुम सब कुछ जान जायेंगे।
- परन्तु जो देही-अभिमानी नहीं बनते उनको धारणा भी नहीं होती है।
- आधा कल्प तो देह-अभिमान चला है।
- सतयुग में भी परमात्मा का ज्ञान नहीं रहता है।
- यहाँ पार्ट बजाने आते हैं और परमात्मा को भूल जाते हैं।
- यह तो समझते हैं आत्मा एक शरीर छोड़ दूसरा लेती है।
- परन्तु वहाँ दु:ख की बात नहीं।
- यह परमात्मा की महिमा है।
- ज्ञान का सागर, प्रेम का सागर...एक बूँद है मन-मनाभव, मध्याजीभव।
- यह मिलने से हम विषय सागर से क्षीर सागर में चले जाते हैं।
- स्वर्ग में घी दूध की नदियाँ बहती हैं।
- यह सब महिमा है।
- बाकी घी दूध की नदी थोड़ेही हो सकती है।
- यह भी तुम जानते हो स्वर्ग किसको कहा जाता है।
- भल अजमेर में मॉडल है परन्तु जानते कुछ नहीं।
- तुम कोई को समझाओ तो झट समझ जायेंगे।
- बाकी यह रास-विलास तो खेल कूद है।
- जैसे बाबा के पास आदि-मध्य-अन्त का ज्ञान है तो तुम बच्चों की बुद्धि में फिरना चाहिए।
- बाप की महिमा एक्यूरेट सुनानी है।
- उनकी महिमा अपरमअपार है।
- सब एक जैसे नहीं हो सकते।
- हर एक को अपना-अपना पार्ट मिला हुआ है।
- पोप का भी अगर ड्रामा अनुसार पार्ट होगा तो मिलेगा।
- अगर दूसरा होगा तो फिर आगे चल-कर देखेंगे।
- जो दिव्य दृष्टि से दिखाया था, वह सब इन आंखों से देखेंगे।
- विष्णु का साक्षात्कार किया है।
- वहाँ भी प्रैक्टिकल जायेंगे।
- फिर साक्षात्कार होना बन्द हो जाता है।
- सतयुग त्रेता में न साक्षात्कार, न भक्ति।
- फिर भक्ति मार्ग से यह सब बातें शुरू होती हैं।
- कितनी अच्छी-अच्छी बातें बाबा समझाते हैं।
- जो फिर बच्चों को औरों को समझानी हैं।
- बहनों भाइयों आकर बाप से वर्सा लो।
- उस ज्ञान से परमात्मा को सर्वव्यापी कह महिमा गुम कर दी है और ग्लानी कर दी है।
- तुम बच्चे यथार्थ महिमा को जानते हो।
अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) हर एक्ट श्रीमत पर करनी है। सबका कल्याणकारी रहमदिल बन सेवा करनी है।
2) याद की आदत पक्की डालनी है।
याद में बैठने समय कोई भी मित्र सम्बन्धी, खान-पान आदि याद न आये, इसका अटेन्शन रखना है। याद का चार्ट रखना है।
( All Blessings of 2021-22)
नॉलेजफुल बन व्यर्थ को समझने, मिटाने और परिवर्तन करने वाले नेचरल योगी भव
नेचरल योगी बनने के लिए मन और बुद्धि को व्यर्थ से बिल्कुल फ्री रखो।
इसके लिए नॉलेजफुल के साथ-साथ पावरफुल बनो।
भले नॉलेज के आधार पर समझते हो कि ये रांग है, ये राइट है, ये ऐसा है लेकिन अन्दर वह समाओ नहीं।
ज्ञान अर्थात् समझ और समझदार उसको कहा जाता है जिसे समझना भी आता हो, मिटाना और परिवर्तन करना भी आता हो।
तो जब व्यर्थ वृत्ति, व्यर्थ वायब्रेशन स्वाहा करो तब कहेंगे नेचरल योगी।
(All Slogans of 2021-22)
- व्यर्थ से बेपरवाह रहो, मर्यादाओं में नहीं।
|