10-11-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन

मीठे बच्चे - तुम्हें इस रुद्र ज्ञान यज्ञ का बड़ा कदर होना चाहिए क्योंकि इस यज्ञ से ही भारत स्वर्ग बनता है, तुम इस यज्ञ के रक्षक हो''

 

प्रश्नः-

बच्चे, बाप वा टीचर को तलाक अथवा फारकती कैसे और कब देते हैं?

उत्तर:-

जब बाप अथवा टीचर को भूल जाते हैं, मुरली मिस करते हैं, पढ़ते वा सुनते नहीं हैं तो गोया बाप को फारकती वा तलाक दे देते हैं।

बाबा कहते बच्चे तुम मुझे तलाक कभी नहीं देना।

प्रश्नः-

तुम्हारा सत्य ज्ञान मनुष्यों को मुश्किल समझ में आता है, क्यों?

 

उत्तर:-

क्योंकि यह ज्ञान परम्परा नहीं चलता है।

अभी ही प्राय:लोप हो जाता है।

इस ज्ञान का किसको पता ही नहीं है।

यह नया ज्ञान है इसलिए उन्हें समझने में मुश्किल लगता है।

गीत:- पितु मात सहायक.....

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  • ओम् शान्ति।
  • जिसके साथ बच्चों का अभी योग है उनकी बाहर मनुष्य महिमा गाते रहते हैं।
  • तुम उनकी याद में बैठे हो।
  • अपने को आत्मा समझ देह का अभिमान छोड़ एक की ही याद में रहना है।
  • अभी तुम आत्म-अभिमानी बने हो।
  • पहले थे देह-अभिमानी।
  • सतयुग में तुम बाप को नहीं जानते क्योंकि सुख में होते हो तो बाप याद नहीं रहता।
  • यहाँ दु:खों में हो तब पुकारते हो।
  • गायन भी है दु:ख हर्ता - सुखकर्ता।
  • वास्तव में सच्चा-सच्चा हरिद्वार यह है।
  • मनुष्य हरी कहते हैं श्रीकृष्ण को, बैकुण्ठ को श्रीकृष्ण का हरी द्वार कहते हैं।
  • तुम जानते हो वास्तव में हरी श्रीकृष्ण को नहीं कहेंगे।
  • दु:ख हरने वाले को हरी कहेंगे।
  • तुम जानते हो शिवबाबा, श्रीकृष्ण का द्वार अथवा बैकुण्ठ, सतयुग का द्वार खोलने आया है।
  • कोई मकान बनाते हैं तो कोई ओपनिंग सेरीमनी करते हैं ना।
  • तो बाबा आया है हरी द्वार की सेरीमनी करने।
  • कृष्ण की राजधानी में कंस तो होता नहीं है।
  • बाप द्वारा हम स्वर्ग का वर्सा ले रहे हैं।
  • बाप ही आकर स्वर्ग के स्थापना की सेरीमनी कर रहे हैं।
  • स्थापना को सेरीमनी कहा जाता है।
  • मकान का पहला फाउन्डेशन लगाया जाता है फिर मकान बनकर पूरा होता है फिर सेरीमनी की जाती है।
  • तो बाप फाउन्डेशन लगाने आया है।
  • 1937 में फाउन्डेशन लगाया, अब फिर तुम स्थापना कर रहे हो।
  • तुमको खुशी है कि बाबा आया है नई दुनिया स्थापन करने और हम नई दुनिया में जा रहे हैं।
  • इस पृथ्वी पर स्वर्ग था, अब फिर स्थापन कर रहे हैं।
  • हर एक को पैगाम दे रहे हैं।
  • धर्म स्थापक को पैगम्बर कहा जाता है ना।
  • सच्चा-सच्चा पैगाम मैं ही देता हूँ।
  • मैं ही राजयोग सिखला कर स्वर्ग की स्थापना करा रहा हूँ।
  • बाप समझाते हैं कि मैं वेद-शास्त्रों से नहीं मिलता हूँ।
  • यह सब भक्ति मार्ग के शास्त्र हैं।
  • भक्तिमार्ग की बहुत सामग्री है।
  • जन्म-जन्मान्तर से तुम भक्ति करते आये हो।
  • अब ज्ञान सुनो फिर सतयुग में ज्ञान नहीं सुनेंगे।
  • कहा जाता है ज्ञान अंजन सतगुरू दिया।
  • सतयुग में अंधकार है नहीं जो भक्ति करें।
  • बाप से ज्ञान लो फिर भक्ति नहीं रहेगी।
  • तुम जानते हो रावण राज्य किसको कहा जाता है, रामराज्य किसको कहा जाता है।
  • तुमको सारी रोशनी मिली है क्योंकि बाप जगाते हैं।
  • अब देखो दीपावली मनाते हैं, उसमें दीपक कोई छोटे, कोई बड़े बनाते हैं।
  • अब यह छोटे बड़े दीपक जग रहे हैं ना, ज्ञान का घृत मिल रहा है।
  • मनुष्य मरते हैं तो दीपक में घृत डालते रहते हैं कि प्राणी अन्धियारे में ठोकरे न खाये।
  • वह हैं हद की बातें, तुम्हारी हैं बेहद की बातें।
  • जब रावणराज्य शुरू होता है तो ठोकरें खाना शुरू होती हैं।
  • अभी दिन प्रतिदिन अधिक ही ठोकरें खाते रहते हैं।
  • पहले एक की भक्ति करते अब तो मनुष्यों की, टिवाटे की भक्ति करते हैं।
  • भक्ति की बहुत सामग्री है, जितनी वृक्ष की सामग्री है।
  • बीज से कितना बड़ा वृक्ष निकलता है, भक्ति भी इतनी है।
  • ज्ञान है बीज, यह सृष्टि तो अनादि अविनाशी है।
  • इनका कब विनाश नहीं होता।
  • यह सृष्टि चक्र लगाती रहती है।
  • बीज भी एक है तो झाड़ भी एक है।
  • ऐसे नहीं आकाश में, पाताल में, सूर्य में, चांद में दुनिया है।
  • यह तो साइंस वाले चन्द्रमा में जाकर रहने की कोशिश करते हैं।
  • परन्तु यह नहीं जानते कि साइंस से सारी दुनिया का विनाश होना है और राज्य तुम ले लेंगे।
  • तुम कहेंगे यह भी ड्रामा में नूंध है।
  • दूसरे इन बातों को समझेंगे नहीं।
  • राजाई तुमको मिलनी है क्योंकि कनेक्शन है कृष्णपुरी और क्रिश्चियनपुरी का।
  • इन्होंने भारतवासियों को आपस में लड़ाकर कृष्णपुरी को क्रिश्चियनपुरी बनाया।
  • अब बाप कहते हैं हिसाब लेना है, इनको आपस में लड़ाकर माखन तुमको देते हैं अथवा तुमको विश्व का मालिक बनाते हैं।
  • यह आपस में लड़ेंगे जरूर।
  • वह समझते हैं हम पहलवान, वह कहते हैं हम पहलवान, हम जीतेंगे लेकिन सबसे पहलवान तो तुम निकल पड़े हो।
  • जीत तुम्हारी होनी है।
  • महावीर और महावीरनी कहा जाता है।
  • बाप कहते हैं माया के तूफान तो आयेंगे परन्तु कर्म में नहीं आना।
  • योगबल से स्थापना हो रही है और बाहुबल से विनाश हो रहा है।
  • उठते-बैठते, चलते-फिरते बाप को याद करना है, इसको कहा जाता है योगबल।
  • फिर ज्ञान बल कहा जाता है।
  • ज्ञान बल क्यों कहा जाता है?
  • क्योंकि शास्त्रों में बल नहीं हैं।
  • उनसे कोई को मुक्ति-जीवन-मुक्ति नहीं मिल सकती, इसलिए उनको ज्ञान नहीं कहा जाता।
  • भक्ति के शास्त्र कहेंगे।
  • ज्ञान का कोई शास्त्र होता नहीं।
  • अब जो राम के पुस्तक बने हैं वा जो भी शास्त्र आदि हैं, सब लड़ाई में खत्म हो जायेंगे।
  • झूठी गीता, सच्ची गीता सब खत्म हो जायेगी क्योंकि सद्गति मिल जाती है।
  • सब कामनायें पूरी हो जाती हैं।
  • कोई कामना रहेगी नहीं।
  • अब तुम 84 के चक्र को जानते हो।
  • तुम अभी बेअन्त नहीं कहेंगे।
  • बेअन्त कहते हैं नास्तिक।
  • कहते हैं गॉड फादर परन्तु नाम रूप देश काल कर्तव्य को नहीं जानते।
  • तुम उनके नई दुनिया की स्थापना, पतितों को पावन करने के कर्तव्य को जान गये हो।
  • मनुष्य तो रावण को जलाते हैं।
  • तुमको तो अब हंसी आती है।
  • जन्म-जन्मान्तर तुम भी रावण को जलाते थे।
  • अभी तो रावणराज्य का विनाश होना है फिर आती है दीपावली।
  • वहाँ घोर सोझरा है, उसको रामराज्य कहते हैं।
  • कहते तो सब हैं कि रामराज्य चाहिए।
  • परन्तु रामराज्य को जानते नहीं।
  • अभी तुमको ज्ञान मिल रहा है और रावण-राज्य ट्रांसफर होना है रामराज्य में।
  • उससे पहले तुम जायेंगे रूद्रमाला में।
  • और यह जो इस्लामी, बौद्धियों की आत्मायें हैं, वह आधाकल्प मुक्ति में रहेंगी।
  • जब हमारी सतयुग की प्रालब्ध पूरी होगी तब भक्ति शुरू होगी।
  • फिर द्वापर को रावणराज्य कहा जाता है क्योंकि अपने देवता धर्म को भूल गये हैं।
  • यह होना है जरूर।
  • मिसाल बड़ के झाड़ का देते हैं।
  • बच्चे जानते हैं कि आदि सनातन देवी-देवता धर्म का फाउन्डेशन प्राय:लोप हो चुका है।
  • सब धर्म भ्रष्ट, कर्म भ्रष्ट हो गये हैं।
  • जब देवी देवता धर्म स्थापन हो तब यह सब धर्म विनाश हो जाएं।
  • कहते भी हैं अनेक अधर्म विनाश, एक सत धर्म की स्थापना हो।
  • यहाँ वर्सा पाने का तुम पुरूषार्थ कर रहे हो।
  • जो धारणा करेंगे करायेंगे, वह ऊंच पद पायेंगे।
  • बाप कहते हैं मुख्य बात जरूर धारण करो कि हमको निराकार बाप पढ़ाते हैं।
  • श्रीकृष्ण नहीं पढ़ाते हैं।
  • चित्र भी बनाया है - एक तरफ श्रीकृष्ण का चित्र, दूसरे तरफ शिव का।
  • पूछना है अब बताओ गीता का भगवान कौन?
  • जज करो तुमको समझाने में बहुत सहज होगा कि गीता का भगवान श्रीकृष्ण नहीं शिव है।
  • तुमको मालूम है गीता का ज्ञान फिर से बाप दे रहे हैं।
  • गीत में भी है गीता का ज्ञान फिर से सुनाना पड़े।
  • गीत तो तुमने नहीं बनाये हैं।
  • बनाने वाले तो मनुष्य ही हैं, परन्तु अर्थ को नहीं जानते।
  • कहते हैं गीता के भगवान ने ज्ञान घोड़े गाड़ी में बैठकर दिया।
  • श्रीकृष्ण के लिए कोई घोड़े गाड़ी थोड़ेही आयेगी।
  • अगर श्रीकृष्ण होता तो उनके लिए अच्छे से अच्छी गाड़ी ले आयें।
  • बड़े-बड़े धनवान आ जायें।
  • यहाँ तो देखो अपनी मोटर (शरीर) भी नहीं है।
  • आता ही हूँ पतित शरीर में।
  • तो गुप्त है ना।
  • श्रीकृष्ण की तो बात नहीं।
  • फिर तुम भक्ति मार्ग में मेरा कितना मान रखते हो।
  • सोमनाथ का मन्दिर बनाते हो।
  • कोई एक मन्दिर थोड़ेही होगा, अनेक होंगे फिर उन्हें लूटा भी होगा।
  • तो सारी बेहद की हिस्ट्री-जॉग्राफी को तुम जान गये हो।
  • बाप को कहते हैं नॉलेजफुल।
  • तो यहाँ ज्ञान भी दिया जाता है, पढ़ाई भी पढ़ाई जाती है।
  • ज्ञान है मनमनाभव, इससे सद्गति होती है।
  • फिर मध्याजीभव की पढ़ाई पढ़ाते हैं।
  • टीचर और गुरू का पार्ट इकट्ठा चलता है।
  • सारे वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी तुमको पढ़ाते हैं।
  • सच्ची-सच्ची नन्स तुम हो क्योंकि तुम एक को याद करती हो।
  • नन्स को गले में क्रास पड़ा रहता है।
  • क्राइस्ट को याद करती हैं, समझती हैं क्राइस्ट गॉड का बच्चा था।
  • तुम जानते हो कि क्राइस्ट कोई गॉड का बच्चा नहीं था, क्राइस्ट की आत्मा गॉड का बच्चा थी।
  • ऐसे तो हम सभी हैं।
  • बाप आकर 3 धर्म स्थापन करते हैं।
  • तुम ऊंचे ते ऊंची चोटी ब्राह्मण हो क्योंकि तुम ऊंच ते ऊंच विश्व की सेवा करते हो।
  • मनुष्य को आत्मा का ज्ञान देते हो।
  • तुम आत्मा को बाप से वर्सा मिलता है।
  • बरोबर बाप कल्प-कल्प के संगमयुगे वर्सा देने आते हैं।
  • शास्त्रों में तो युगे-युगे लिख दिया है।
  • कल्प अक्षर बीच से निकाल दिया है।
  • उनका नाम ही है पतित-पावन।
  • तो युगे-युगे आकर क्या करेंगे।
  • कल्प में एक बार आकर पावन बनाकर चले जाते हैं।
  • तो बाप कहते हैं मुझे तलाक मत देना।
  • आजकल स्त्रियाँ पति को तलाक दे देती हैं वैसे हिन्दू नारी पति को कभी तलाक नहीं देती थी।
  • तुमको मुरली सुननी है जरूर।
  • मुरली नहीं सुनते हो तो गोया बाप टीचर को भूल जाते हो, यह भी जैसे तलाक हो गया।
  • तुमको भी कितना अटेन्शन देना है।
  • अब नापास होंगे तो कल्प-कल्पान्तर नापास होंगे।
  • अन्त में सबको मालूम पड़ जायेगा कि किस-किस ने कितनी पढ़ाई पढ़ी थी।
  • सब कहते हैं कि शान्ति चाहिए।
  • गोया मुक्ति चाहते हैं।
  • कहते हैं कि दु:ख में सिमरण सब करें... तो आधाकल्प सुख और आधाकल्प दु:ख है।
  • सुख दु:ख का खेल भारत पर ही है।
  • तुम तो कहेंगे हम ही देवता, हम ही क्षत्रिय..... तो हम सो का अर्थ भी तो कोई नहीं जानते हैं।
  • तो बाप कहते हैं मनमनाभव, मध्याजीभव।
  • खुद धारण कर औरों को धारण करायें तो अहो सौभाग्य।
  • याद से ही विकर्म विनाश होंगे।
  • कहाँ गंगा में स्नान करना, कहाँ योग में रह पावन बनना।
  • बच्चों को यज्ञ के पैसे की बहुत कदर होनी चाहिए क्योंकि इससे भारत स्वर्ग बनता है।
  • बाप है गरीब निवाज।
  • गरीबों की पाई-पाई पड़ेगी तब वह साहूकार बनेंगे।
  • स्वर्ग में हेल्थ, वेल्थ, हैपीनेस है।
  • अगर हेल्थ वेल्थ है तो हैपीनेस भी है।
  • अगर हेल्थ हो वेल्थ न हो तो हैपीनेस हो नहीं सकती।
  • सतयुग में हेल्थ वेल्थ है तो सदैव हैपी रहते हैं।
  • वहाँ कभी रोते नहीं हैं।
  • तो तुमको भी यहाँ रोना नहीं है।
  • परन्तु माया के तूफान मुरझा देते हैं।
  • हेल्थ मिलती है हॉस्पिटल से और वेल्थ मिलती है पढ़ाई से।
  • तो देखो मेरे बच्चे कितने गरीब हैं।
  • तीन पैर पृथ्वी में हॉस्पिटल खोल देते हैं।
  • जहाँ से ही सबको हेल्थ वेल्थ मिलती है।
  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।



  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) माया के तूफानों में कभी मुरझाना नहीं है।

    सदैव खुशी में रहना है।

    2) हमको निराकार बाप पढ़ाते हैं, इस नशे में रहना है।

    इस झूठी दुनिया में कोई भी कामना नहीं रखनी है।



  • ( All Blessings of 2021-22)
  • हर रोज़ की मुरली के साधन द्वारा व्यर्थ को खत्म करने वाले पास विद आनर भव

    हर रोज़ की मुरली मन को बिजी रखने का साधन है, मुरली की कोई भी पाइंट पर मनन करते रहो तो मन बिजी रहेगा और व्यर्थ स्वत: खत्म हो जायेगा।

    मन को मन्सा-वाचा और कर्मणा सेवा में इतना बिजी कर दो जो व्यर्थ संकल्प आवे ही नहीं, तभी फाइनल पेपर में पास विद आनर हो सकेंगे।

    अगर व्यर्थ संकल्प चलने का अभ्यास होगा तो समय पर धोखा खा लेंगे।



  • (All Slogans of 2021-22)
    • प्लैन को प्रैक्टिकल में लाने के लिए बालक और मालिकपन का बैलेन्स रखो।
BK Naresh Bhai's present residence cum workplace