31-10-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन

"“मीठे बच्चे - माया के विघ्न ज्ञान में नहीं, योग में पड़ते हैं, योग के बिना पढ़ाई की धारणा नहीं हो सकती, इसलिए जितना हो सके योग में रहने का पुरूषार्थ करो''

 

प्रश्नः-

बाबा गिरे हुए बच्चों को किस विधि से ऊपर उठा लेते हैं?

 

उत्तर:-

बाबा उन बच्चों की क्लास में महिमा करता, पुचकार “प्यार'' देता, हिम्मत दिलाता।

बच्चे तुम तो बहुत अच्छे हो।

तुम तो ज्ञान गंगा बन सकते हो।

तुम विश्व का मालिक बनने वाले हो।

मैं तो तुम्हें मुफ्त बादशाही देने आया हूँ।

तुम फिर क्यों नहीं लेते?

राहू का ग्रहण लगा है क्या?

मुरली पढ़ो, योग में रहो तो ग्रहण उतर जायेगा।

ऐसे हिम्मत दिलाने से बच्चे फिर से याद और पढ़ाई में लग जाते हैं।

इस विधि से कई बच्चों की ग्रहचारी उतर जाती है।

गीत:- दूर देश का रहने वाला....

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  • ओम् शान्ति।
    1. भगवानुवाच - दो ही अक्षर गीता के बताते हैं, जो सुनते आते हैं।
      1. भगवानुवाच, क्या कहते?
        1. बच्चे, मनमनाभव।
      2. अक्षर वही संस्कृत बोलते हैं जो तुम सुनते आये हो।
        1. परन्तु उसका अर्थ कोई भी नहीं समझते।
      3. आते ही कहते हैं मनमनाभव।
        1. अगर कहे श्रीकृष्ण भगवानुवाच, तो श्रीकृष्ण कहेंगे क्या कि मुझ परमात्मा को याद करो?
        2. यह तो झूठ हो गया ना।
        3. यहाँ परमपिता परमात्मा शिव कहते हैं सालिग्रामों को कि मनमनाभव, मुझ परमात्मा को याद करो क्योंकि अब सबका मौत है।
          1. गुरू लोग, भाई-बन्धु सब जब कोई मरने की हालत में होते हैं तो कहते हैं राम कहो, कृष्ण कहो या चित्र सामने रख देते हैं, राम का, कृष्ण का, हनूमान का, गुरू आदि का।
            1. यहाँ तो सारे मनुष्य मात्र का मौत है।
            2. सभी वानप्रस्थ अवस्था में हैं।
            3. छोटे बड़े सबको वाणी से परे परमधाम, साइलेन्स वर्ल्ड में जाना है।
    2. उसको निराकारी दुनिया भी कहते हैं।
      1. वह है अहम् आत्मा की दुनिया।
        1. यहाँ जब आते हैं तो आत्मा साकारी बनती है।
      2. वहाँ चोला नहीं है।
        1. यहाँ चोला धारण कर पार्ट बजाती है।
    3. अब बाप कहते हैं तुम बच्चों को वापिस ले चलने आया हूँ।
      1. मैं कालों का काल हूँ।
        1. अमृतसर में एक अकालतख्त भी रखा है।
          1. अकाल जिसको काल खा न सके।
      2. अब कालों का काल कहते हैं, मैं तुमको वापिस ले जाता हूँ।
        1. तुमको फिर पार्ट बजाने आना है।
    4. सृष्टि के आदि में पहले किसका पार्ट चला?
      1. क्योंकि यह सृष्टि वैरायटी धर्मो का झाड़ है।
        1. सब नम्बरवार आते ह़ैं पहले है देवता धर्म।
        2. अब वह धर्म प्राय:लोप है, उसका ज्ञान भी लोप है।
          1. तो शास्त्रों में कहाँ से आया?
        3. जिस सहज राजयोग से वह देवता बने वह भी गुम है।
    5. बाकी यह गीता आदि है भक्ति की सामग्री क्योंकि यह ज्ञान तुमको यहाँ ही मिलता है।
      1. फिर उसका शास्त्र सतयुग त्रेता में होता नहीं।
        1. तो द्वापर में कहाँ से आये?
          1. वहाँ कोई तुम्हारी सच्ची गीता आदि नहीं होती है।
          2. वहाँ फिर ड्रामा अनुसार वही भक्ति मार्ग की गीता आदि बनाते हैं।
    6. कहते हैं आगे साधू महात्माओं की बुद्धि अच्छी थी।
      1. तो उन्हों ने बैठ यह शास्त्र आदि बनाये।
        1. ड्रामा अनुसार बनने ही थे।
        2. उस समय रीयल चीज़ कहाँ से आये।
    7. जैसे गांधी के साथ मोतीलाल आदि का पार्ट था।
      1. अब अगर उसका नाटक बनायें तो वह कहाँ से आयें।
        1. वह ऐसे ही आर्टीफीशियल बनायेंगे।
      2. अब ब्रह्मा का स्थापना का पार्ट चल रहा है।
        1. किस चीज़ की स्थापना?
          1. बच्चे जानते हैं देवी-देवता धर्म की स्थापना सतयुग के लिए हो रही है इसलिए बाप कहते हैं मुझे याद करो तो मेरे पास आ जायेंगे।
    8. यहाँ बैठे हो तो बैठकर टेप सुननी चाहिए या मुरली रिपीट करनी चाहिए या योग में बैठना चाहिए तो विकर्म विनाश हों।
      1. सारा दिन तो काम में रहते हो।
        1. वहाँ योग में मुश्किल रहते होंगे।
          1. इसमें माया विघ्न बहुत डालती है।
          2. माया ज्ञान से नहीं हटाती, योग से हटाती है।
          3. संकल्प-विकल्प योग में रहने नहीं देते।
          4. पढ़ाई में इतने विघ्न नहीं पड़ते हैं।
            1. हाँ अगर योग में नहीं होगा तो पढ़ाई की धारणा नहीं होगी।
            2. ज्ञान से योग सहज भी है।
              1. बूढ़ी मातायें जो कहती हैं हमारी बुद्धि में इतनी प्वाइंट्स नहीं बैठती हैं।
              2. तो बाबा कहते हैं अच्छा मेरी याद में रहो।
    9. बाप कहते हैं हे भक्तों, भगत तो सब हैं।
      1. परन्तु तुम सिकीलधे भगत हो, जिन्होंने पूरा आधाकल्प भक्ति की है।
        1. सब तो पूरी भक्ति नहीं करते।
        2. कल तक जो आते रहेंगे, वह इतना समय ही भक्ति करेंगे।
      2. परन्तु तुम ही पूज्य और पुजारी बनते हो।
        1. वह भी बच्चों से मालूम पड़ जाता है।
          1. जो बच्चे बनते हैं, श्रीमत पर चलते हैं।
          2. समझते हैं यह हमारे कुल के हैं, जिनको पूरा निश्चय है कि हमको परमात्मा पढ़ाते हैं वह हैं सगे बच्चे।
        2. सगे बच्चे बलि चढ़ते, लगे बलि नहीं चढ़ते।
          1. इसमें डरना नहीं है।
          2. भक्ति में तो बलि चढ़ते आये हो, कुछ न कुछ ईश्वर अर्थ दान करते आये हो।
          3. यह भी बलि चढ़ना हुआ।
    10. फिर कहते हो परमात्मा ने पुत्र दिया, धन दिया।
      1. परन्तु मनुष्य इसका अर्थ नहीं समझते हैं।
      2. तुम अब जानते हो कि यह भी बाप भक्ति का रिटर्न अल्पकाल के लिए देते आये हैं।
        1. सतयुग में ऐसे नहीं होता।
          1. तुम भक्ति में जो करते आये हो वह सतयुग में होता नही।
          2. न कोई गरीब होता जिसको दान करें।
          3. न कोई शास्त्र होते, न मन्दिर होते।
          4. यह सब भक्ति मार्ग की सामग्री है, जो सतयुग में होती नहीं।
          5. यह ज्ञान भी प्राय: लोप हो जाता है।
          6. वहाँ कोई पुरूषार्थ नहीं, जिसकी प्रालब्ध मिले।
            1. सारी प्रालब्ध इस समय के पुरूषार्थ की है।
    11. इस्लामी, बौद्धियों की नॉलेज तो परम्परा चलती है क्योंकि उनकी स्थापना पीछे विनाश नहीं है।
      1. तो उनको सब पता रहता है।
      2. परन्तु तुम्हारे पीछे विनाश होता है तो इसमें सब खलास हो जाता है।
      3. फिर द्वापर में वही वेद शास्त्र आदि निकलेंगे।
        1. यह सब गीता के बाल बच्चे हैं।
        2. उन सबको धर्म शास्त्र नहीं कहेंगे, क्योंकि धर्मशास्त्र उसे कहा जाता है जिससे धर्म की स्थापना हो।
        3. जैसे क्राइस्ट के महावाक्यों को कहते हैं यह मैसेन्जर के महावाक्य हैं।
          1. क्राइस्ट को गॉड फादर नहीं कहेंगे, उनको गॉड का सन (बच्चा) समझते हैं।
          2. कहते हैं गॉड ने क्रिश्चियन धर्म स्थापन करने के लिए भेजा।
          3. तो उनको अपने धर्म की पालना भी करनी है।
          4. सतो, रजो, तमो में आना ही है।
          5. यह ज्ञान उनको नहीं है कि वापिस कोई नहीं जा सकते।
    12. अच्छा - बाबा समझाते थे कि उन्होंने गीता भल बनाई है, यादगार है।
      1. देवता धर्म का शास्त्र है।
        1. परन्तु उनको झूठा बना दिया है।
        2. सच तो आटे में नमक मिसल है क्योंकि पीछे बैठ बनाये हैं।
    13. सतयुग त्रेता में किसको ज्ञान है नहीं।
      1. वह थोड़ेही समझते हैं सतयुग के इतने सोने हीरे के महल कहाँ चले गये?
        1. क्यों गये?
        2. कहते हैं द्वारिका नीचे सागर में चली गई।
          1. परन्तु सागर में नहीं जाती।
          2. अर्थक्वेक आदि में सब खलास हो जाते हैं।
            1. फिर स्वर्ग का नामनिशान नहीं रहता।
              1. प्रालब्ध भोगकर खलास कर दी तो उनका नामनिशान नहीं रहता।
              2. हिस्ट्री रहती।
                1. जैसे मन्दिर बनते हैं तो उनकी हिस्ट्री है।
              3. पूजा कब से शुरू हुई?
                1. मोहम्मद गजनवी कब आया?
                2. कैसे भारत का धन लूटा, यह सब ज्ञान है बुद्धि के लिए भोजन।
    14. परन्तु योग ठीक नहीं होगा तो सुनने समय खुश होगा परन्तु ठहरेगा नहीं, पवित्र नहीं होगा तो ठहरेगा नहीं।
      1. इसमें किसका वश नहीं।
      2. यह शास्त्रों का ज्ञान नहीं है।
        1. वह तो सभी कण्ठ कर लेते हैं।
      3. यह तो पढ़ाई है 21 जन्मों के लिए।
    15. वहाँ भल बाप के तख्त पर बैठेंगे परन्तु वह भी यहाँ की कमाई की प्रालब्ध है।
      1. देवतायें एक दो को वर्सा नहीं देते, इसलिए बाप कहते हैं मुझे याद करो।
        1. मौत सामने खड़ा है।
    16. तुमको मम्मा बाबा को फालो करना है।
      1. वह संन्यासी के नाम मात्र फालोअर्स बनते हैं।
    17. वहाँ गॉड गाडेज का राज्य है।
      1. यथा राजा रानी भगवती भगवान तथा प्रजा, इसके लिए फादर पढ़ा रहे हैं।
        1. ऐसे नहीं आशीर्वाद करेंगे।
        2. उनका पढ़ाना ही ब्लैसिंग है।
        3. टीचर को कहेंगे क्या आशीर्वाद करो तो 100 मार्क्स मिल जायें।
        4. बाबा तो पढ़ाते हैं, यह पढ़ाई सबके लिए है।
    18. क्रिश्चियन हो, बौद्धी हो - कहते हैं सर्व धर्मानि... यह सब देह के धर्म हैं ना।
      1. कहते हैं इन सबको भूल अपने को आत्मा निश्चय करो।
        1. आत्मा तो सभी इमार्टल हैं।
        2. एक बाप के बच्चे हैं ना इसलिए कहते हैं जो देह के धर्म हैं मामा, काका छोड़ अपने को अकेला आत्मा निश्चय करो और मेरे को याद करो तो विकर्म विनाश हो जायेंगे और कोई रास्ता नहीं, इसको योग अग्नि कहते हैं।
    19. बाबा के पत्रों में तो चिटचैट होती है जो मधुबन में रात को सुनाई जाती है।
      1. मधुबन में बाबा हंसायेंगे भी, उमंग भी दिलायेंगे, कहेंगे तुम बड़ी अच्छी हो, ज्ञान गंगा बन सकती हो।
      2. क्या टेलीफोन ऑफिस में नौकरी करती हो?
      3. तुम तो महारानी बनने वाली हो।
        1. गिरने वाले को भी उठायेंगे।
      4. बाबा कहते हैं मैं जानता हूँ कि बहुतों को राहू का ग्रहण लगता है।
        1. समाचार आते हैं तो बाबा उनको उठाते हैं।
        2. मुफ्त बादशाही देने आया हूँ, तुम्हारे को क्या हुआ है!
          1. राहू का ग्रहण लगा हुआ है।
        3. योग में रहो, मुरली सुनो।
          1. ऐसे पत्र लिखने पड़ते हैं।
          2. बहुत प्रकार के पत्र आते हैं।
            1. कोई की कोई साथ दिल लग जाती है तो आपस में प्लैन बनाते हैं अच्छा हम आपस में गन्धर्वी विवाह करेंगे।
            2. मैं तुमको बचाता हूँ, बंधन से छुड़ाता हूँ।
              1. बाबा कहे तुम कैसे बचा सकते हो?
              2. पहले तुम माया से बचे हो?
              3. बाबा से राय ली है?
              4. श्रीमत ली नहीं है और आपस में सगाई की बातें करते हो!
              5. तो मुर्दे, माया घसीट कर ले जायेगी।
              6. सूक्ष्म में दिल लग जाती है तो ऐसी-ऐसी बातें करते हैं।
              7. बाबा समझ जाते हैं यह रसातल में जा रहा है।
              8. सगाई तो माता-पिता करते हैं, तुम मुट्ठे आपस में ही सगाई कर रहे हो - गुपचुप में।
      5. तुमको पता नहीं कि ऐसे-ऐसे विघ्न आते हैं।
        1. गुड़ जाने गुड़ की गोथरी जाने।
    20. बाबा तो सभी बच्चों को जानते हैं, कोई भी पूछ सकते हैं - बाबा मैं मातेला हूँ वा सौतेला हूँ!
      1. अब शरीर छूट जाये तो क्या पद मिलेगा?
        1. शरीर पर किसका भरोसा नहीं है।
        2. स्टीम्बर डूब जाता है, ऐरोप्लेन गिर जाता है तो क्या गति होती है!
        3. मौत तो सबके सिर पर खड़ा है, इसलिए आज का काम कल पर नहीं रखना है।
          1. नहीं तो धर्मराजपुरी में साक्षात्कार होगा।
          2. देखो, कल-कल करते काल खा गया।
    21. श्रीमत पर न चले तो राज्य पद गँवा लिया।
      1. थोड़ा भी सुनने वाला हो तो स्वर्ग में आ जायेगा।
      2. फिर जो जितनी स्थापना में मदद करेंगे तो उतना पद पायेंगे।
        1. जैसे गांधी जी को मदद की, कितने जेल में गये।
        2. कितने मरे, रिटर्न में क्या मिला?
          1. कोई साहूकार कांग्रेसी के पास जाकर जन्म लिया होगा।
      3. अब समय बाकी कितना थोड़ा है।
      4. फिर क्या सुख मिला?
      5. ज्ञान सुनकर जाते तो व्यर्थ नहीं जायेगा।
    22. यहाँ कुछ छुड़ाया नहीं जाता है।
      1. यह तो उन्होंने तंग किया, विकारों के लिए, तब लाचारी में उनको छोड़ना पड़ा।
        1. नहीं तो क्या करें!
        2. तो बाप को शरण देनी पड़ी।
          1. ऐसे तो अब तक भी शरण लेते रहते हैं, इसमें भगाने की तो बात ही नहीं।
        3. यह तो ड्रामा अनुसार गऊशाला बननी थी।
          1. हैं तो बच्चे, परन्तु उन्होंने नाम गऊशाला डाला है।
            1. कहते हैं कृष्ण ने नदी पार की तो गऊओं ने भी पार की होगी।
              1. है सारी बात इस समय की।
              2. इन सब बातों से पहले ज्ञान लो और बाप से वर्सा लो।
    23. भल धन्धा करो, साथ-साथ यह सेकेण्ड कोर्स उठाओ।
      1. विलायत में रहते भी मुरली जरूर पढ़ो।
    अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।



  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) देह के सम्बन्धों को भूल अपने को अकेली आत्मा समझना है।

    बाप पर पूरा-पूरा बलि चढ़ना है, इसमें डरना नहीं है।

    2) धर्मराज़ की सजाओं से बचने के लिए आज का काम कल पर नहीं छोड़ना है।

    पढ़ाई के आधार से बाप की ब्लैसिंग लेते रहना है।



  • ( All Blessings of 2021-22)
  • मन से दृढ़ प्रतिज्ञा कर मनमनाभव के मंत्र को यंत्र बनाने वाले सदा शक्तिशाली भव

    जो बच्चे सच्चे मन से प्रतिज्ञा करते हैं तो मन मन्मनाभव हो जाता है और यह मन्मनाभव का मंत्र किसी भी परिस्थिति को पार करने में यंत्र बन जाता है।

    लेकिन मन में आये कि मुझे यह करना ही है।

    यही संकल्प हो कि जो बाप ने कहा वह हुआ ही पड़ा है इसलिए कोई भी प्रतिज्ञा मन से करो और दृढ़ करो तो शक्तिशाली बन जायेंगे।

    बार-बार अपने को चेक करो कि प्रतिज्ञा पावरफुल है या परीक्षा पावरफुल है?

    परीक्षा प्रतिज्ञा को कमजोर न कर दे।



  • (All Slogans of 2021-22)
    • जो स्वमान में रहने वाली श्रेष्ठ आत्मा हैं उन्हें अपमान की फीलिंग नहीं आ सकती।
    BK Naresh Bhai's present residence cum workplace