24-10-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन

"मीठे बच्चे - बाप के मददगार बन सबको नई दुनिया का पुरूषार्थ कराओ - जैसे खुद नॉलेजफुल बने हो, ऐसे औरों को भी बनाते रहो''

 

प्रश्नः-

तुम बच्चों को अभी किस स्मृति में रहना है? स्मृति की कमाल क्या है?

 

उत्तर:-

तुम्हें अभी बीज और झाड़ की जो नॉलेज मिली है, उस नॉलेज की स्मृति में रहना है।

इस स्मृति से तुम चक्रवर्ती राजा बन जाते हो - यही है स्मृति की कमाल।

बाप बच्चों को स्मृति दिलाते हैं - बच्चे स्मृति आई तुमने आधाकल्प बहुत भक्ति की है।

अब मैं तुम्हें भक्ति का फल देने आया हूँ।

तुम फिर से वैकुण्ठ का मालिक बनते हो।

जैसे बाप मीठा है - ऐसे बाप की नॉलेज भी मीठी है, जिसका सिमरण कर सिमर-सिमर सुख पाना है।

गीत:- जाग सजनियाँ जाग....

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  • ओम् शान्ति।
  • मीठे-मीठे बच्चों ने गीत सुना।
  • आज दीपमाला है।
  • दीपमाला कहा जाता है नये युग को।
  • सतयुग में कोई दीपमाला नहीं मनाई जाती क्योंकि वहाँ सभी की आत्मा रूपी ज्योति जगी हुई होती है।
  • बच्चे जानते हैं कि हम नई दुनिया में राज्य भाग्य लेने का पुरूषार्थ कर रहे हैं - श्रीमत पर।
  • तुम अभी त्रिकालदर्शी बने हो।
  • त्रिकालदर्शी कहा जाता है पास्ट, प्रजेन्ट, फ्यूचर को जानने वाले को।
  • तुमको अब तीनों कालों की नॉलेज है।
  • तो तुमको औरों को भी समझाना है।
  • खुद भी कांटों से फूल बनते हो, औरों को भी बनाना है।
  • पास्ट की हिस्ट्री-जॉग्राफी को जानने से फ्यूचर क्या होने वाला है, वह भी जान जाते हो।
  • फ्यूचर को जानने से पास्ट, प्रेजन्ट को भी जान जाते हो - इसको कहा जाता है नॉलेजफुल।
  • पास्ट था कलियुग, प्रेजन्ट है संगमयुग, फिर फ्युचर सतयुग त्रेता को आना है।
  • तो तुम बच्चों ने इस चक्र को जान लिया है और नई दुनिया में जाने के लिए पुरूषार्थ कर रहे हो और औरों को भी पुरूषार्थ कराने में लगे हुए हो, बाबा के मददगार बन।
  • बाप है सिकीलधा और तुम भी सिकीलधे हो क्योंकि पाँच हजार वर्ष के बाद मिले हो।
  • तो बाप आया है सजनियों को श्रृगांर कर नई दुनिया में ले जाने।
  • बच्चों की बुद्धि में ऊपर से लेकर मूलवतन, सूक्ष्मवतन की नॉलेज है।
  • बच्चे जानते हैं कि कौन-कौन धर्म स्थापक कब और कैसे ऊपर से आकर धर्म स्थापन करते हैं।
  • बाप ने तुमको नॉलेजफुल बनाया है।
  • उसको मोस्ट बिलवेड कहा जाता है।
  • मीठे ते मीठा है।
  • तुम जानते हो कितना मीठा है।
  • उसकी महिमा अपरमअपार है तो उनके वर्से की महिमा भी अपरमअपार है।
  • नाम ही है स्वर्ग, हेविन, पैराडाइज, बहिश्त।
  • परमात्मा को कहते हैं गॉड फादर, दु:ख हर्ता सुख कर्ता।
  • तो उनको कितना याद करना चाहिए।
  • परन्तु ड्रामा अनुसार याद नहीं आता।
  • यह गीत कितना अच्छा है।
  • घर में 3-4 रिकार्ड जरूर हों।
  • यह रिकार्ड भी बाप की याद दिलाते हैं।
  • ब्राह्मण ही जानते हैं कि नई दैवी दुनिया स्वराज्य अर्थात् आत्मा को अब राज्य मिल रहा है।
  • लौकिक बाप द्वारा जो वर्सा मिलता है वह यह नहीं कहते कि परमात्मा द्वारा मिला है।
  • तुम जानते हो बाप से राज्य लिया फिर गॅवाया।
  • अब फिर ले रहे हैं।
  • सतयुग में गोरे थे फिर काले बने।
  • गाते भी हैं श्याम सुन्दर।
  • श्याम था - अब सुन्दर बनने के लिए सतगुरू मिला है।
  • अब सतगुरू और गोविन्द दोनों खड़े हैं।
  • फिर कहते हैं बलिहारी गुरू आपकी... तुम श्रीकृष्ण बन रहे हो।
  • बलिहारी तुम बच्चों की जो तुम ऐसा बन रहे हो।
  • वह तो कह देते श्रीकृष्ण गऊ चराते थे।
  • फिर ब्रह्मा के लिए भी कहते उनकी गऊशाला थी।
  • तो गऊशाला न है श्रीकृष्ण की, न ब्रह्मा की।
  • गऊशाला शिवबाबा की है।
  • अभी तुम बच्चे त्योहारों का रहस्य भी समझते हो।
  • तुम जानते हो कि दीपमाला होती है सतयुग में।
  • वहाँ ज्योति जगी रहती है।
  • तुम्हारी 21 जन्म दीपमाला है।
  • यहाँ वर्ष-वर्ष मनाते हैं।
  • आज मनाते, कल दीवा बुझ जाता।
  • अगर सतयुग में मनायेंगे तो भी कारोनेशन, उस दिन आतशबाजी जलाते हैं।
  • यहाँ तो पाई पैसे की आतशबाजी खेलते हैं, जिससे कई एक्सीडेन्ट हो जाते हैं।
  • वहाँ तो बड़ी कारोनेशन होती है।
  • यहाँ राजाई मिलती है तो वर्ष-वर्ष मनाते हैं।
  • परन्तु इस राजाई में सुख नहीं।
  • यह है भ्रष्टाचारी दुनिया, वह थी श्रेष्ठाचारी दुनिया।
  • बाप कहते हैं देखो तुमको कितना समझदार बनाते हैं।
  • बाप को कहा जाता है त्रिलोकीनाथ।
  • त्रिलोकी के मालिक नहीं बनते।
  • उनमें नॉलेज है।
  • तुमको वैकुण्ठ का मालिक बनाते हैं।
  • तुमको कितनी खुशी होनी चाहिए।
  • आधाकल्प तुमने भक्ति की, अब बाप मिला है।
  • बाप अब स्मृति दिलाते हैं - कहते हैं, सिमरो, सिमरो... किसको?
  • बाप को और बाप के रचना की नॉलेज को।
  • बीज और झाड़ को।
  • इस स्मृति से तुम चक्रवर्ती राजा बन जाते हो।
  • देखा स्मृति की कमाल, क्या से क्या बनाती है।
  • इसको कहा जाता है स्प्रीचुअल नॉलेज।
  • आत्मा का जो बाप है वह नॉलेज सुनाते हैं।
  • गीता में श्रीकृष्ण का नाम डाल दिया है।
  • परन्तु बाप तुमको नॉलेज दे अपने से भी ऊंचा बनाते हैं।
  • तुम वैकुण्ठ के मालिक बनते हो।
  • जैसे वह पढ़ाई पढ़ते हैं तो बुद्धि में रहता है कि हम बैरिस्टर बनेंगे।
  • तुम जानते हो हम बेगर से प्रिन्स बनेंगे।
  • फिर महाराजा बनेंगे।
  • अब बाप टीचर रूप से पढ़ा रहे हैं।
  • लौकिक में बच्चा 5 वर्ष बाप के पास रहता है फिर टीचर के पास जाता है, बुढ़ापे में फिर गुरू करते हैं।
  • यहाँ तो बाप के बने और बाप, टीचर रूप में शिक्षा देते हैं और सद्गति के लिए साथ ले जाते हैं।
  • वह गुरू साथ नहीं ले जाते।
  • खुद ही मुक्ति में नहीं जाते।
  • वह यात्रा में ले जाते हैं, तुम भी पण्डे वह भी पण्डे।
  • परन्तु वह ठिक्कर ठोबर की यात्रा है।
  • यह ज्ञान तुमको है।
  • तुमको खुशी रहनी चाहिए।
  • यह स्टूडेन्ट लाइफ है तो भूलना क्यों चाहिए।
  • परन्तु माया वह खुशी रहने नहीं देती है क्योंकि कर्मातीत अवस्था अन्त में आयेगी।
  • कहा है ना स्मृतिलब्धा।
  • सिमर-सिमर सुख पाओ, वहाँ क्लेष होता नहीं।
  • कहा जाता है जीवनमुक्ति।
  • जैसे बाप मीठा है वैसे बाप की नॉलेज मीठी है।
  • बाबा की महिमा अपरमअपार है अर्थात् पार नहीं पाया जाता है।
  • यह भक्ति में कहा जाता है।
  • तुम यह नहीं कह सकते हो क्योंकि तुमको सारी नॉलेज मिली हुई है।
  • तुमको बहुत मीठा बनना है।
  • अपने को देखो कि मेरे में कोई विकार तो नहीं है?
  • किसी का अवगुण तो नहीं देखते?
  • बहुत मीठी दृष्टि रखनी है।
  • बाबा के कितने बच्चे हैं।
  • सब पर मीठी दृष्टि है ना।
  • तुमको भी ऐसी रखनी है।
  • मनुष्य यह नहीं जानते कि राधे-कृष्ण, लक्ष्मी-नारायण का क्या सम्बन्ध है इसलिए चित्र भी बनाया है।
  • छोटेपन में राधे कृष्ण स्वयंवर के बाद लक्ष्मी-नारायण बनते हैं।
  • बाप आकर स्मृति दिला रहे हैं कि बच्चे तुम देवता थे।
  • बच्चे कहते बरोबर थे।
  • कहते हैं ब्राह्मण देवी-देवताए नम:, ब्राह्मण लोग कहते हैं परन्तु जानते नहीं कि ब्राह्मण, देवता, क्षत्रिय तीन धर्म स्थापन करते हैं।
  • तो ब्राह्मणों का बाप है - ब्रह्मा और शिव।
  • बाप साधारण रूप में आते हैं।
  • यह रथ मुकरर है, भाग्यशाली रथ।
  • मनुष्य दीपावली के दिन लक्ष्मी से पैसे मांगने के लिए आवाह्न करते हैं।
  • पहले तुम भी मांगते थे।
  • अभी तुम लक्ष्मी-नारायण बन रहे हो।
  • यहाँ पर तो भीख ही भीख मांगते हैं।
  • चिल्लाते हैं, पुत्र दो, धन दो।
  • सतयुग में ऐसे नहीं मांगते।
  • शिवबाबा बच्चों के सब भण्डारे भरपूर कर देते हैं।
  • बाप तो स्वर्ग रचेंगे - नर्क थोड़ेही रचेंगे।
  • अभी नर्क में बाबा आया है स्वर्गवासी बनाने।
  • सभी पतित हैं, यह नहीं जानते कि हम नर्कवासी हैं।
  • जो स्वर्गवासी थे, अब वह नर्कवासी बने हैं।
  • अब फिर स्वर्गवासी बन रहे हैं।
  • शिवबाबा का अकालतख्त यह ब्रह्मा है, जिसमें अकालमूर्त परमात्मा आकर बैठते हैं।
  • आत्मा भी अकालमूर्त है।
  • आत्मा का तख्त यह भ्रकुटी है।
  • निशानी भी है जो मस्तक में तिलक देते हैं, आजकल बैल को भी तिलक देते हैं।
  • तो यह भृकुटी ब्रह्मा और शिवबाबा दोनों का तख्त है।
  • तो मैं आकर नॉलेज देता हूँ, नॉलेजफुल हूँ।
  • मैं कोई सभी के दिलों को नहीं जानता हूँ, थाट रीडर नहीं हूँ।
  • हाँ दिल का मालिक कह सकते हो क्योंकि दिल कहा जाता है आत्मा को।
  • तो मै आत्मा का मालिक हूँ, शरीर का मालिक नही हूँ।
  • ऐसा साधू लोग कहते हैं ना - मैं मालिक।
  • तो मैं आविनाशी आत्मा का मालिक हूँ क्योंकि मैं खुद अविनाशी हूँ।
  • तुम विनाशी चीज़ के मालिक बनते हो क्योंकि तुम एक विनाशी शरीर छोड़ दूसरा लेते हो।
  • तुम अभी वैकुण्ठ में जाते हो, इसलिए पढ़ाई पढ़ रहे हो।
  • कहते हैं ना - जब तक जीना है तब तक पीना है।
  • जब पढ़ाई पूरी होगी तब यह शरीर ही छूट जायेगा।
  • कहते हैं कि परमात्मा को संकल्प उठा सृष्टि रचने जाऊं।
  • जब समय होगा तब ही एक्ट करने का विचार आयेगा और आकर पार्ट बजायेगा।
  • बाप कहते हैं - जैसे तुम पार्ट बजाते हो, वैसे मैं भी बजाता हूँ।
  • बाकी मैं जन्म-मरण में नहीं आता हूँ इसलिए मेरी कितनी महिमा है।
  • वैकुण्ठ की भी महिमा है।
  • संन्यासियों को सतयुग के सुख का मालूम नहीं है।
  • वहाँ का सुख उन्हों को मिलना ही नहीं है।
  • सतयुग के लिए भी उन्होंने सुना है ना कि कंस थे।
  • तो समझते हैं वहाँ भी सुख नहीं था।
  • तो औरों को भी ऐसे सुनाते कि काग विष्टा समान सुख है।
  • तो ऐसे सुनाकर औरों को संन्यास कराते हैं।
  • तुम बच्चे तो स्वर्ग के सुख पाते हो।
  • यह तो अन्तिम जन्म है।
  • मरेंगे भी सभी।
  • मैं आया ही हूँ लेने लिए तो क्या तुम यहाँ ही बैठे रहेंगे।
  • मच्छरों सदृश्य सबको ले जाऊंगा।
  • तो मम्मा बाबा सदृश्य पुरूषार्थ कर पद ले लेना चाहिए।
  • ब्रह्मा मुख वंशावली हो ना।
  • जितने सतयुग, त्रेतायुग में देवतायें होंगे उतने ही अब ब्रह्मा मुख वंशावली बनने हैं।
  • तो कायदे अनुसार मात-पिता भी है फिर किसको मुकरर किया जाता है सम्भाल के लिए। नये-नये बच्चे तो आते रहेंगे, पढ़ाई चलती रहेगी।
  • पिछाड़ी तक वृद्धि को पाते रहेंगे।
  • परवरिश बहुत अच्छी करनी चाहिए।
  • वह है बागवान।
  • तुम जो सेन्टर पर रहते हो वह हुए माली।
  • माली को तो पौधों की सम्भाल करनी चाहिए।
  • जो माली ही ठीक नहीं होगा तो वह पौधों की क्या सम्भाल करेगा।
  • जो माली अच्छा-अच्छा बगीचा बनाते हैं, तो बागवान देख बहुत खुश होते हैं।
  • फिर बागवान जाते हैं देखने कि किस-किस ने बड़ा अच्छा बगीचा बनाया है।
  • तुम भी जानते हो कि कौन-कौन अच्छे माली हैं।
  • जो अच्छे-अच्छे माली हैं उनको इनाम भी मिलता है।
  • तुम मालियों की पघार (तनखा) बढ़ती जाती है।
  • अभी तुम बच्चों को अपनी मंजिल को याद करना है क्योंकि तुम्हें अभी वापिस घर जाना है तो घर को याद करना पड़े।
  • सिवाए याद के शान्तिधाम नहीं जा सकते।
  • नहीं तो मोचरा (सज़ा) बहुत खाना पड़ेगा, पद भी अच्छा पा नहीं सकेंगे।
  • इस समय जो सूक्ष्मवतन में जाते हैं, सर्विस अर्थ जाते हैं।
  • पहले नम्बर में बाबा सर्विस करते हैं, सेकेण्ड नम्बर में मम्मा क्योंकि मम्मा को सेकेण्ड नम्बर में आना है।
  • तो तुम बच्चों को भी मम्मा बाबा को फालो करना है। अच्छा!
  • मीठे-मीठे पाँच हजार वर्ष बाद फिर से मिले हुए, वर्सा पाने वाले बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।


  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) बाप समान बहुत मीठा बनना है।

    सबको मीठी दृष्टि से देखना है।

    किसी का भी अवगुण नहीं देखना है।

    2) गॉडली स्टूडेन्ट लाइफ की खुशी में रहना है।

    जब तक जीना है पढ़ाई रोज़ पढ़नी है।



  • ( All Blessings of 2021-22)
  • लगन की अग्नि द्वारा एक दीप से अनेक दीप जलाकर सच्ची दीपावली मनाने वाले कुल दीपक भव

    आप आत्मा रूपी दीपक की लगन एक दीपराज बाप के साथ लगना ही सच्ची दीपावली है।

    जैसे दीपक में अग्नि होती है ऐसे आप दीपकों में लगन की अग्नि है, जिससे अज्ञानता का अंधकार दूर होता है।

    लोग तो दीपावली पर मिट्टी का स्थूल दीपक जगाते हैं लेकिन आप चैतन्य दीपक, कुल के दीपक और बापदादा की आशाओं के दीपक हो।

    आपके एकरस, अटल अडोल जगे हुए दीपक से जब अनेक दीपक जग जायेंगे तब सच्ची दीपावली होगी।



  • (All Slogans of 2021-22)
    • समय के महत्व को जान लो तो सर्व प्राप्तियों के खजाने से सम्पन्न बन जायेंगे।
BK Naresh Bhai's present residence cum workplace