20-10-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन

"मीठे बच्चे - भारत जो साहूकार था वही अब गरीब बना है, बाप ही इस गरीब भारत को फिर से साहूकार बनाते हैं''

 

प्रश्नः-

तुम गोप-गोपियों में सबसे खुशनसीब कौन और कैसे?

 

उत्तर:-

सबसे खुशनसीब वह हैं जो गॉडली ज्ञान डांस करते हैं, वही फिर सतयुग में जाकर प्रिन्स-प्रिन्सेज के साथ डांस करेंगे।

ऐसे खुशनसीब बच्चे अभी बाप पर पूरा-पूरा बलि चढ़ते हैं, कहते हैं बाबा मैं तेरा, मेरा कुछ भी नहीं।

आप हमको स्वर्ग का मालिक बनाते हो तो मैं क्यों नहीं बलिहार जाऊं।

...full possibilities...

 

  • ओम् शान्ति।
  • बाप बच्चों को धीरज दे रहे हैं कि हे भारतवासी बच्चे, कौन से बच्चे?
  • जो देवताओं के पुजारी हैं।
  • वह मानते हैं हमारे ईष्ट देव बड़े देवतायें थे।
  • क्रिश्चियन क्राइस्ट की पूजा करेंगे।
  • बौद्धी बुद्ध की पूजा करेंगे।
  • जैन महावीर की पूजा करेंगे।
  • हर एक अपने-अपने धर्म के बड़े की पूजा करेंगे अथवा याद करेंगे।
  • देवी देवताओं के मन्दिर हैं।
  • उनमें शिव का मन्दिर भी आ जाता है।
  • वह है निराकार।
  • ब्रह्मा, विष्णु, शंकर आकारी हैं और लक्ष्मी-नारायण, सीता-राम, जगत अम्बा, जगत पिता है साकार।
  • इन बातों को दुनिया वाले नहीं जानते हैं।
  • तो जो देवताओं के पुजारी हैं उनके लिए बाबा कहते हैं कि धीरज धरो, अभी स्वर्ग की स्थापना हो रही है।
  • भारत स्वर्ग था, लक्ष्मी-नारायण के राज्य को स्वर्ग कहा जाता है।
  • लक्ष्मी-नारायण के राज्य को 5 हजार वर्ष हुए।
  • सीताराम के लिए कहेंगे 3750 वर्ष हुए।
  • यह तुम ब्रह्मा मुख वंशी ब्राह्मण कुल भूषण ही जानते हो।
  • दुनिया में सब अंधकार में होने के कारण बुद्धिहीन हैं।
  • उनको समझाना है कि तुम्हारा एक है लौकिक बाप, दूसरा है पारलौकिक बाप।
  • वह है नई दुनिया का रचयिता।
  • बाप नया घर बनाते हैं ना।
  • बेहद का बाप नई सृष्टि बनाते हैं।
  • अभी वह भारतवासी धर्म भ्रष्ट बन पड़े हैं।
  • देवताओं की महिमा गाते हैं - सर्वगुण सम्पन्न... यह महिमा और कोई धर्म वाले की नहीं है।
  • कोई भी धर्म वाले अपने ईष्ट देव की ऐसी महिमा नहीं गाते हैं।
  • उनको देवताओं के भक्त मिलेंगे भी लक्ष्मी-नारायण के मन्दिर में।
  • श्रीकृष्ण के भगत कृष्ण के मन्दिर में मिलेंगे।
  • तुम जानते हो लक्ष्मी-नारायण सतयुग में भारत के मालिक थे।
  • गोया भारतवासी सतयुग के मालिक थे।
  • भारत बहुत साहूकार मालामाल था।
  • जब आदि सनातन देवी-देवता धर्म था।
  • यह है भारत का प्राचीन सहज राजयोग और सहज ज्ञान।
  • देवी-देवता धर्म है पुराना।
  • परन्तु मनुष्य भूल गये हैं कि देवी-देवता धर्म की स्थापना किसने की।
  • बाबा ने समझाया है तुम हो संगमयुगी ब्राह्मण।
  • वह कलियुगी ब्राह्मण भी कहते हैं कि हम प्रजापिता ब्रह्मा वंशी हैं।
  • परन्तु वह यह नहीं जानते कि ब्रह्मा कब आये थे।
  • तुम अब प्रैक्टिकल में हो।
  • तुम जानते हो लक्ष्मी-नारायण इस भारत में ही राज्य करके गये हैं।
  • उनसे ऊंच मनुष्य कोई है नहीं।
  • मनुष्यों को यह मालूम ही नहीं कि सतयुग को कितने वर्ष हुए!
  • वह तो सतयुग की आयु कितने अरब कह देते हैं।
  • शास्त्र बनाने वालों ने अपनी मत डाल दी है।
  • अब बाप तुम बच्चों को समझाते हैं जो भारत के असुल देवी-देवता धर्म के थे, उन्हें बहुत जन्मों के अन्त के जन्म में यहाँ आना है जरूर।
  • यह वर्ण हैं ही भारतवासी देवी-देवता धर्म वालों के।
  • पिछाड़ी वाले और धर्मों के नहीं हैं।
  • तुम अभी ब्रह्मा वंशी ब्राह्मण बने हो।
  • तुम पुजारी से पूज्य बन रहे हो।
  • तुम माताओं को भारत माता शक्ति अवतार कहा जाता है।
  • जगत अम्बा का भी रीइनकारनेशन कहेंगे।
  • शिवबाबा ने इस संगमयुग में अवतार लिया है।
  • तुमको अपना बच्चा बनाया है।
  • तुम बच्चे जानते हो परमपिता परमात्मा जो सभी आत्माओं का बाप है वह है ब्रह्माण्ड का मालिक।
  • उनको सृष्टि का मालिक नहीं कह सकते।
  • भल पिता है परन्तु मालिक नहीं बनता है।
  • यह भी गुह्य बात है।
  • वह क्रियेटर है तो क्रियेशन का मालिक होना चाहिए।
  • परन्तु बाबा कहता है मैं जो स्वर्ग स्थापन करता हूँ, उनका मालिक नहीं बनता हूँ।
  • मालिक तुम बच्चों को बनाता हूँ।
  • दुनिया में सब कहेंगे कि भगवान सृष्टि का मालिक है, परन्तु वह मालिक है रचने के लिए।
  • बाकी स्वर्ग का मालिक तो तुमको ही बनाते हैं।
  • बाप का काम है बच्चों को सिर पर चढ़ाना।
  • बाप सेवाधारी है ना।
  • बच्चों को सब कुछ देकर चला जाता हूँ।
  • बाप भी कहते हैं तुमको लायक बनाए नई सृष्टि रचवाकर उनका मालिक बनाए मैं रिटायर हो जाता हूँ।
  • तुम ब्रह्माण्ड के भी मालिक कहलायेंगे क्योंकि तुम ब्रह्माण्ड के मालिक के बच्चे हो।
  • तुम भी ब्रह्म महतत्व में जायेंगे तो ब्रह्माण्ड के मालिक कहलायेंगे।
  • वहाँ भल तुम आत्मायें चैतन्य हो परन्तु आरगन्स नहीं हैं।
  • जब परमधाम में हो तो ब्रह्माण्ड के मालिक हो फिर तुम सृष्टि के मालिक बनेंगे।
  • फिर तुमको राज्य भाग्य गँवाना पड़ेगा।
  • यह ज्ञान न देवताओं को, न शूद्रों को हो सकता है।
  • यह ज्ञान सिर्फ तुम ब्राह्मणों को है।
  • बाबा कितनी गुह्य बातें समझाते हैं।
  • कहते हैं तुम्हारा ही हीरो पार्ट है।
  • जगत अम्बा ज्ञान ज्ञानेश्वरी है।
  • फिर राज-राजेश्वरी बनती है, ततत्वम्।
  • ऐसे नहीं सिर्फ 2-4 का पार्ट है।
  • सृष्टि का राज्य लेना और गँवाना यह भारतवासियों का खेल है।
  • भारतवासी ही सृष्टि के मालिक थे, आज कंगाल बने हैं।
  • अपवित्र राजाओं का भी राज्य नहीं है, पंचायती राज्य है।
  • कहा जाता है रिलीजन इज माइट, सर्वशक्तिमान बाप बैठ देवी-देवता धर्म की स्थापना कर रहे हैं।
  • कितनी माइट देते हैं, जो हम सृष्टि के मालिक बन जाते हैं।
  • भारत में तो अनेक धर्म हैं।
  • गुजरात में रहने वाले कहते हैं हम गुजराती हैं।
  • सतयुग में एक ही धर्म था।
  • बाप कहते हैं तुमको फिर से गीता का ज्ञान सुनाता हूँ।
  • जब तक जियेंगे तब तक ज्ञान अमृत पियेंगे।
  • अनेक जन्मों का बोझा है, वह उतरने का है।
  • उन्होंने तो युद्ध का मैदान दिखलाए कृष्ण का नाम डाल दिया है।
  • भगवान कहते हैं तुम्हारे रथ में प्रवेश कर माया पर जीत पहनाने के लिए युद्ध के मैदान में खड़ा करता हूँ।
  • साथ-साथ बच्चों को भी खड़ा करता हूँ।
  • तुम जानते हो माया जीत बन स्वर्ग के मालिक बनेंगे।
  • वह लोग फिर सिपाहियों को कहते हैं, कितना रात-दिन का फ़र्क है।
  • तुमको मन्दिरों में जाकर सर्विस करनी चाहिए।
  • उनको बताओ यह लक्ष्मी-नारायण ही भारत के मालिक थे।
  • फिर ऐसे स्लोगन बनाओ कि भारतवासी स्वर्ग के मालिक थे।
  • अब मिलकियत गँवा दी है।
  • शास्त्रों में कृष्ण और महाभारत लड़ाई दिखा दी है।
  • भक्ति में भगवान से मिलने के लिए साधना करते हैं।
  • पुकारते हैं कि आकर माया रावण से लिबरेट करो।
  • कितना हाहाकार मचा हुआ है।
  • लड़ाई लगेगी तो अन्न, कपड़ा, कुछ भी नहीं मिलेगा।
  • बाम्बे को क्वीन आफ इण्डिया कहते हैं क्योंकि उन्हें स्वर्ग के सुखों का पता नहीं है।
  • हमको मालूम हैं तो हम अन्दर डांस करते रहते हैं।
  • ज्ञान को सद्गति कहा जाता है।
  • ज्ञान कौन सा?
  • सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त का।
  • तुम अब बुद्धि से काम लो कि हम कैसे सबको समझायें।
  • देवतायें जो पावन थे वही अब पतित बन गये हैं, उन्हों को ढूँढना पड़े।
  • वह मन्दिरों में जल्दी मिलेंगे और वह भी खुश होंगे।
  • जगत अम्बा का मन्दिर नीचे है वास्तव में दोनों का इकट्ठा होना चाहिए।
  • तुम जानते हो ब्रह्मा की बेटी नम्बरवन प्रिन्सेज़ बनेगी।
  • तुम जगत अम्बा के 84 जन्मों की बायोग्राफी बता सकते हो।
  • तुम शिवबाबा की बायोग्राफी को जानते हो।
  • ऐसे नहीं वह पत्थर-भित्तर में है।
  • आगे हम भी ऐसे समझते थे।
  • यह भी अभी कहते हैं।
  • आगे तो अपने को बहुत ऊंचा समझते थे।
  • सबसे ऊंचा जवाहरात का धन्धा है, उनसे ऊंचा यह अविनाशी ज्ञान रत्नों का धन्धा है।
  • तुम 9 रत्न की अंगूठी भी पहनते हो।
  • वह भी इनसे भेंट है।
  • आगे तो कुछ पता नहीं था।
  • आज मुख्य बात समझाई कि ब्रह्माण्ड का मालिक सृष्टि का रचयिता परमात्मा है।
  • वह राज्य नहीं करते।
  • राज्य हम बच्चों को देते हैं।
  • हमको ही राज्य लेना और गंवाना है।
  • यह भी तो मालूम होना चाहिए ना।
  • गँवाये हुए राज्य में कितना जन्म लेते हैं?
  • फिर अपने राज्य में कितने जन्म लेते हैं?
  • और बाकी क्या चाहिए।
  • मनुष्य तो देह अभिमानी होने कारण उल्टे लटके हुए हैं।
  • तुम अभी सुल्टे हुए हो।
  • मनुष्य जब मरते हैं तो फिर उनका मुँह फेर देते हैं।
  • अब हमारा मुँह है परमधाम तरफ।
  • हम यह शरीर छोड़ सीधे चले जायेंगे।
  • अच्छा, बाप कहते हैं मनमनाभव।
  • मेरे को याद करने से तुम मेरे पास आ जायेंगे।
  • यहाँ बेहद में क्लास अच्छा है।
  • अन्दर कमरे में बाबा को जैसे गर्भजेल भासता है।
  • बेहद के बाप को बेहद चाहिए।
  • इतना बड़ा बेहद का मालिक इस हद (शरीर) में आकर बैठते हैं, तुम्हारी सर्विस करने।
  • इनको आना ही है पतित शरीर, पतित दुनिया में।
  • कहते हैं तुम बच्चों को पतित से पावन बनाए, स्वर्ग का मालिक बनाए फिर मैं चला जाता हूँ।
  • अभी उथल-पाथल होगी।
  • तो कई जो कच्चे हैं उनके तो देखकर ही प्राण निकल जायेंगे।
  • किसको मरता हुआ देखकर भी कईयों को बड़ा शॉक आ जाता है और मर जाते हैं।
  • तुमको तो बहुत मजबूत होना चाहिए।
  • गाया भी जाता है कि मिरूआ मौत मलूका शिकार।
  • स्वर्ग के लायक तो अब हम बन रहे हैं।
  • बाप कहते हैं इस लड़ाई द्वारा ही गेट खुलते हैं।
  • अब चलो वापिस, खेल पूरा हुआ।
  • बाबा है रूहानी गाइड, रूहानी धाम में ले जाते हैं इसलिए अब बाप को याद करो तो अन्त मती सो गति हो जायेगी।
  • कोई-कोई का तो यहाँ बहुत छोटा जन्म होता है।
  • गर्भ में बहुत सजायें खाते हैं।
  • बाहर आया और बच्चा मर गया फिर दूसरा हिसाब-किताब भोगने जाता है।
  • बाप कहते हैं मीठे-मीठे बच्चे इन ज्ञान रत्नों को बुद्धि में धारण करो।
  • मन्दिरों में जाकर सर्विस करो, इसको मेहनत कहा जाता है।
  • डरो मत।
  • जो अपने धर्म के होंगे उनको तीर लगेगा।
  • संन्यासियों के पास जाकर देखना चाहिए।
  • (बिच्छू के डंक का मिसाल) देखो पत्थर है तो डंक नहीं लगाओ।
  • ट्राई करनी चाहिए।
  • कोशिश करते-करते सक्सेसफुल हो ही जायेंगे।
  • अभी अजुन वह ज्ञान और योग की ताकत आई नहीं है इसलिए अभी संन्यासियों, राजाओं आदि को कहाँ समझाया है।
  • जनक, परिक्षित, संन्यासी आदि सब पिछाड़ी में ही आते हैं।
  • उनको ज्ञान देंगे तो फिर प्रभाव निकल जायेगा।
  • फिर उस समय तुम कहेंगे टू लेट।
  • बाबा आया था झोली भरने, परन्तु तुम आये ही नहीं।
  • हमेशा विचार करो कि कैसे सर्विस करनी चाहिए।
  • निमंत्रण छपाओ।
  • आइडिया निकालो।
  • सर्विस भी ड्रामा अनुसार ही होती है।
  • हम साक्षी हो देखते हैं।
  • भगवानुवाच बच्चों प्रति, गोप गोपियों प्रति।
  • गोपी बल्लभ भगवान है।
  • वह है बाप।
  • गोप गोपियाँ सब तो यहाँ ही हैं।
  • सतयुग में थोड़ेही होंगे।
  • यह है गॉडली ज्ञान का डांस।
  • फिर वहाँ जाकर प्रिन्स प्रिन्सेज के साथ डांस करेंगे।
  • तुम बच्चे बड़े ही खुशनसीब हो, सिर्फ बलि चढ़ जाओ।
  • बाबा मैं तेरी हूँ, क्यों नही बलिहार जाऊंगी।
  • आप हमको स्वर्ग का मालिक बनाते हो।
  • बड़ी जबरदस्त कमाई है।
  • बाकी सब तो कब्रदाखिल होने हैं।
  • कब्रिस्तान फिर परिस्तान होगा।
  • देहली परिस्तान थी, परियों का स्थान था।
  • देवी-देवताओं को परिस्तान की परियां कहा जाता है।
  • अब कब्रिस्तान है।
  • ...अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुड़मार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।


  • 1) सदा इस नशे में रहना है कि हम ब्रह्माण्ड और विश्व के मालिक बन रहे हैं।

    हम ब्राह्मण ही फिर देवता बनेंगे।

    2) अपनी अवस्था मजबूत बनानी है।

    मौत से भी डरना नहीं है। बाप की याद में रहना है।

    धारणा कर औरों की सर्विस करनी है।



  • ( All Blessings of 2021-22)
  • बहानेबाज़ी के खेल को समाप्त करने वाले मास्टर दातापन के स्वमानधारी भव

    जिन बच्चों को बहानेबाजी का खेल आता है वह कहेंगे - ऐसे नहीं होता तो वैसा नहीं होता।

    इसने ऐसे किया, सरकमस्टांश वा बात ही ऐसी थी....अब इस बहानेबाजी की भाषा को समाप्त कर दृढ़ प्रतिज्ञा करो कि ऐसा हो या वैसा लेकिन मुझे तो बाप जैसा बनना है।

    दूसरा सहयोग दे तो मैं सम्पन्न बनूं, नहीं।

    इस लेने के बजाए मास्टर दाता बन सहयोग, स्नेह, सहानुभूति देना ही लेना है।

    इस भावना से मास्टर दातापन के स्वमानधारी बन जायेंगे।



  • (All Slogans of 2021-22)
    • जब मैं और मेरेपन के भावों से वैराग्य हो तब कहेंगे बेहद के वैरागी।