07-10-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन

" मीठे बच्चे - बाप तुम्हें ज्ञान की कस्तूरी देते हैं तो ऐसे बाप पर तुम्हें कुर्बान जाना है, मात-पिता को फालो कर पावन बनाने की सेवा करनी है''

प्रश्नः-

जो तकदीरवान बच्चे हैं उनकी निशानी क्या होगी?

 

उत्तर:-

तकदीरवान अर्थात् बख्तावर बच्चे अच्छी रीति पढ़ेंगे और पढ़ायेंगे।

वह पक्के निश्चय बुद्धि होंगे।

कभी भी बाप का हाथ नहीं छोड़ेंगे।

धन्धे आदि में रहते यह कोर्स भी उठायेंगे।

बहुत खुशी में रहेंगे।

परन्तु जिनकी तकदीर में नहीं है, वह लाटरी मिलते हुए भी गँवा देंगे।

गीत:- भोलेनाथ से निराला.....

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  • ओम् शान्ति।
  • भोला कहा जाता है उनको जो कुछ भी नहीं जानते हैं।
  • अभी बच्चे जानते हैं कि बरोबर हम मनुष्य कितना भोले थे, माया कितना भोला बना देती है।
  • यह भी नहीं जानते कि बाप कौन है।
  • बाप कहकर पुकारना और जानना नहीं, फिर यह भी मालूम नहीं हो कि बाप से क्या प्रापटी मिलती है!
  • तो भोला कहेंगे ना।
  • भोला कहो, बुद्धू कहो, बात एक ही है।
  • इस समय सब बेअक्ल बन पड़े हैं उनको फिर बेअक्ली का भी घमण्ड है।
  • बच्चे, तुम बाप को जानते हो और उनसे सुन रहे हो।
  • बाकी आत्मा को देही-अभिमानी बनने की मेहनत करनी है।
  • बाबा खुद बैठ सिखाते हैं कि हे आत्मा देही-अभिमानी बनो।
  • अपने को पारलौकिक बाप के बच्चे निश्चय करो।
  • लौकिक बाप को तो जानते हो बाकी तुम इतने भोले हो जो पारलौकिक बाप को नहीं जानते।
  • अब तुम बच्चों की बुद्धि में बैठा है कि यह बातें परमपिता परमात्मा समझाते हैं।
  • तुम छोटे बच्चे नहीं हो, तुम्हारे आरगन्स तो बड़े हैं।
  • बाप समझाते हैं - अगर अपने को देह समझेंगे तो बाप को याद नहीं कर सकेंगे।
  • अपने को देही-अभिमानी समझो।
  • बच्चे-बच्चे बाप शरीर को नहीं, आत्मा को कहते हैं।
  • और बच्चे, आत्मायें सब शिव को (परमात्मा को) बाबा कहते हैं, किसी आत्मा को वा ब्रह्मा को नहीं कहते।
  • यह भी उनका बच्चा है।
  • अब तुम जानते हो कि हमारा बेहद का बाप इनमें आया है।
  • तो बाप को याद करना पड़े।
  • 84 के चक्र को भी याद करना पड़े।
  • यह बेहद का 5 हजार वर्ष का नाटक है।
  • तुम एक्टर हो।
  • अब तुमको ड्रामा के आदि-मध्य-अन्त का मालूम पड़ा है।
  • तो सारा चक्र बुद्धि में फिरना चाहिए।
  • तुम्हारा नाम कितना बाला है - स्वदर्शन चक्रधारी, फिर भविष्य में तुम चक्रवर्ती राजा बन जाते हो।
  • 84 जन्मों की कहानी चक्र में सिद्ध होती है।
  • तुम अब बाप के बने हो, यह स्मृति में रखना है।
  • जितना अन्धों की लाठी बनेंगे उतना बाप समझेंगे यह रहमदिल हैं।
  • कहते हैं रहम करो, मेहर करो।
  • तुम जानते हो बाप कौन सी मेहर करते हैं।
  • बाप मिला है तो कितनी खुशी होनी चाहिए।
  • अब तुमको पैरों पर खड़ा रहना है।
  • जैसे कहते हैं सेन्टर अपने पाँव पर खड़ा हो तो तुमको भी अपने पांव पर खड़ा रहना है।
  • ऊंचे ते ऊंचा पुरुषार्थ करना है, फालो फादर मदर।
  • लौकिक में बच्चे बाप को फालो कर पतित बन जाते हैं।
  • यह तो पारलौकिक बाप के लिए कहा जाता है - उनकी श्रीमत पर चलना है।
  • बाबा मम्मा को देखो धन्धा क्या है?
  • पतितों को पावन बनाने का।
  • और धर्म पितायें जब आते हैं तो उनके धर्म की आत्मायें ऊपर से आती हैं।
  • वहाँ कनवर्ट करने की बात नहीं।
  • यहाँ कनवर्ट करना है, शूद्र को ब्राह्मण बनाना है।
  • इसके लिए तुमको मेहनत करनी पड़ती है।
  • तुम कितना लिटरेचर देते हो।
  • वह देखकर फाड़ देते हैं।
  • तुम बच्चे हो रूप-बसन्त।
  • जैसे बाप वैसे तुम बच्चे।
  • तुमको ज्ञान की वर्षा करनी है।
  • यह चित्र बड़े अच्छे हैं।
  • त्रिमूर्ति का चित्र बड़ा जरूरी है, इसमें बाप और वर्सा दोनों ही आ जाते हैं।
  • बाप के बिगर दादे का वर्सा कैसे मिलेगा।
  • श्रीकृष्ण का चित्र सबको अच्छा लगता है।
  • बाकी 84 जन्मों की लिखत अच्छी नहीं लगती।
  • उन्हों को चित्र अच्छा लगता है, तुमको विचित्र अच्छा लगता है क्योंकि तुमको बाप ने कहा है “आत्म-अभिमानी भव।''
  • तुम अपने को विचित्र समझते हो तो याद भी विचित्र परमात्मा को करते हो।
  • बाप रचयिता है तो जरूर नई दुनिया ही रचते हैं।
  • उसमें लक्ष्मी-नारायण का राज्य था।
  • लक्ष्मी-नारायण का चित्र भी बनाया है और लिखा हुआ है सर्वगुण सम्पन्न, 16 कला सम्पूर्ण... लक्ष्मी-नारायण महाराजा महारानी तो नशा रहता है कि हम बाप को याद कर यह बन रहे हैं।
  • तो सदैव बाबा-बाबा कहते रहो और भविष्य पद को भी याद करो तो सतयुग में चले जायेंगे।
  • जैसे एक मिसाल देते हैं - मैं भैंस हूँ, मैं भैंस हूँ... कहने से भैंस समझने लगा।
  • परन्तु कहने से कोई बन नहीं जाता है।
  • बाकी तुम जानते हो - मैं आत्मा नर से नारायण बन रहा हूँ।
  • अब बेगर हूँ, यह वन्डर है।
  • वहाँ एक तो राज्य नहीं करेंगे।
  • उनकी डिनायस्टी चलती है।
  • उनके बच्चे होंगे।
  • 1250 वर्ष सिर्फ लक्ष्मी-नारायण थोड़ेही राज्य करेंगे।
  • कहते हैं सतयुग की आयु बड़ी है फिर भी प्रजा तो चाहिए।
  • तुम्हारी बुद्धि में ज्ञान की पराकाष्ठा चाहिए।
  • तुम किसके आगे भी चित्र रखकर समझाओ कि भारत स्वर्ग था।
  • अब पुरानी दुनिया नर्क है, तो यह पक्का होना चाहिए कि हम स्वर्गवासी थे, अब नर्कवासी हैं फिर स्वर्गवासी बन रहे हैं।
  • सतयुग में लक्ष्मी-नारायण, त्रेता में राम-सीता का राज्य था, तो सब स्वर्गवासी थे।
  • इस चक्र में 84 का चक्र सिद्ध होता है।
  • झाड़ में फिर कैसे पूज्यनीय से गिरते हैं और पुजारी बनते हैं, यह सिद्ध होता है।
  • तुम कहते हो इस समय सभी नास्तिक हैं क्योंकि बाप को नहीं जानते हैं।
  • अब तुम जानते हो कि सब कब्रिस्तान में पड़े हैं।
  • तुम बच्चे गुप्त हो।
  • अंग्रेजी में अन्डरग्राउण्ड कहते हैं।
  • वहाँ कोई अन्डरग्राउण्ड नहीं, अन्डरग्राउण्ड तुम हो।
  • परन्तु तुमको कोई जानते नहीं।
  • यहाँ सम्मुख बैठे हो तो मजा आता है।
  • बेहद का बाप परमधाम से आकर इनमें प्रवेश कर पढ़ाते हैं।
  • चक्र का राज़ समझाते हैं।
  • बाकी सवारी सारा दिन नहीं होती है।
  • बाप कहते हैं मैं सर्विस करता हूँ, बच्चों का नाम निकालने के लिए मैं प्रवेश करता हूँ।
  • तो बाप कहते हैं बच्चे स्वदर्शन चक्रधारी भव, शंखधारी भव।
  • तुमको ज्ञान का शंख बजाना है।
  • शंख कहो, मुरली कहो, एक ही बात है।
  • उन्होंने श्रीकृष्ण को मुरली दिखाई है।
  • श्रीकृष्ण तो रत्न जड़ित मुरली बजाते हैं - खेलपाल करने के लिए।
  • वहाँ ज्ञान की मुरली नहीं है।
  • तुम बच्चों को बुद्धि में रखना है कि जैसे कल्प पहले सतयुग में पार्ट बजाया था वैसे अब बजायेंगे।
  • बाकी बाबा से तो वर्सा ले लेवें।
  • परन्तु बच्चे घर में जाते हैं तो भूल जाते हैं।
  • बाप कहते हैं यहाँ से पक्के हो जाओ।
  • धन्धा भल करो परन्तु याद करते रहो।
  • एक सेकेण्ड का कोर्स उठाओ।
  • जैसे बहुत शादी करके भी पढ़ते हैं।
  • तुम भी धन्धे में रहते पढ़ो।
  • कुमार कुमारी के लिए तो बहुत सहज है।
  • सिर्फ यह बुद्धि में रहे मेरा तो एक शिवबाबा दूसरा न कोई।
  • ब्रह्मा के लिए नहीं कहा जाता है।
  • बाबा पूछते हैं कब से निश्चय हुआ?
  • अगर निश्चय है तो ऐसे बाप को कभी नहीं छोड़ना चाहिए।
  • जब तक बाप न कहे कि पढ़कर पढ़ाओ।
  • तुम बच्चों को बहुत खुशी होनी चाहिए।
  • जैसे गरीब को लॉटरी मिलती है तो पागल भी हो जाते हैं।
  • परन्तु यहाँ तो बच्चे धन्धे में जाकर भूल जाते हैं।
  • तो बाबा समझते हैं इतनी बड़ी लॉटरी दी परन्तु पागल हो गये।
  • तकदीर में नहीं है, तब कहा जाता है बख्तावर देखना हो तो यहाँ देखो, .. बाबा तो कहते हैं कल्प के बाद बाबा मिला है।
  • बाबा-बाबा कहते रहो, सवेरे उठकर याद करो, जो प्यारी वस्तु होती है उन पर कुर्बान जाते हैं।
  • हम भी बाबा पर कुर्बान जाते हैं।
  • यह ज्ञान कस्तूरी है।
  • हम हैं भारत का बेड़ा पार करने वाले।
  • सत्य नारायण, अमरनाथ की कथा, तीजरी की कथा सुनाने वाले, सच्चे बाप के सच्चे ब्राह्मण बच्चे, तो अन्दर कोई खोट नहीं होनी चाहिए।
  • खोट होगी तो ऊंच पद पा नहीं सकेंगे।
  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • रात्रि क्लास 28-3-68
  • बाप ने समझाया है ऐसी प्रेक्टिस करो, यहाँ सभी कुछ देखते हुए, पार्ट बजाते हुए बुद्धि बाप की तरफ लगी रहे।
  • जानते हैं यह पुरानी दुनिया खत्म हो जानी है।
  • इस दुनिया को छोड़ हमको अपने घर जाना है।
  • यह ख्याल और कोई की बुद्धि में नहीं होगा।
  • और कोई भी यह समझते नहीं।
  • वह तो समझते हैं यह दुनिया अभी बहुत चलनी है।
  • तुम बच्चे जानते हो हम अभी अपनी नई दुनिया में जा रहे हैं।
  • राजयोग सीख रहे हैं।
  • थोड़े ही समय में हम सतयुगी नई दुनिया में अथवा अमरपुरी में जायेंगे।
  • अभी तुम बदल रहे हो।
  • आसुरी मनुष्य से बदल दैवी मनुष्य बन रहे हो।
  • बाप मनुष्य से देवता बना रहे हैं।
  • देवताओं में दैवीगुण होते हैं।
  • वह भी हैं मनुष्य, परन्तु उनमें दैवीगुण नहीं हैं।
  • यहाँ के मनुष्यों में है आसुरी गुण।
  • तुम जानते हो यह आसुरी रावणराज्य फिर न रहेगा।
  • अभी हम दैवीगुण धारण कर रहे हैं।
  • अपने जन्म-जन्मान्तर के पाप भी योगबल से भस्म कर रहे हैं।
  • करते हैं या नहीं वह तो हरेक अपनी गति को जानते।
  • हरेक को अपने को दुर्गति से सद्गति में लाना है अर्थात् सतयुग में जाने लिये पुरुषार्थ करना है।
  • सतयुग में है विश्व की बादशाही।
  • एक ही राज्य होता है।
  • यह लक्ष्मी-नारायण विश्व के महाराजन हैं ना।
  • दुनिया को इन बातों का पता नहीं है।
  • वन-वन से इन्हों की राजाई शुरू होती है।
  • तुम जानते हो हम यह बन रहे हैं।
  • बाप अपने से भी बच्चों को ऊंच ले जाते हैं इसलिये बाबा नमस्ते करते हैं।
  • ज्ञान सूर्य, ज्ञान चन्द्रमा, ज्ञान लक्की सितारे।
  • तुम लक्की हो।
  • समझते हो बाबा बिल्कुल ठीक अर्थ सहित नमस्ते करते हैं।
  • बाप आकर बहुत सुख घनेरे देते हैं।
  • यह ज्ञान भी बड़ा वन्डरफुल है।
  • तुम्हारी राजाई भी वन्डरफुल है।
  • तुम्हारी आत्मा भी वन्डरफुल है।
  • रचयिता और रचना के आदि मध्य अन्त का सारा नॉलेज तुम्हारी बुद्धि में है।
  • तुमको आप समान बनाने लिये कितनी मेहनत करनी पड़ती है।
  • है कल्प पहले वाली हरेक की तकदीर, फिर भी बाप पुरुषार्थ कराते रहते हैं।
  • यह नहीं बता सकते कि आठ रत्न कौन बनेंगे।
  • बताने का पार्ट ही नहीं।
  • आगे चल तुम अपने पार्ट को भी जान जायेंगे।
  • जो जैसा पुरुषार्थ करेगा ऐसा भाग्य बनायेंगे।
  • बाप है रास्ता बताने वाला, जितना जो उस पर चलेंगे।
  • इनको तो सूक्ष्म वतन में देखते ही है।
  • प्रजापिता ब्रह्मा साथ में बैठा है।
  • ब्रह्मा से विष्णु बनना सेकण्ड का काम।
  • विष्णु सो ब्रह्मा बनने में 5,000 वर्ष लगते हैं।
  • बुद्धि से लगता है बात तो बरोबर ठीक है।
  • भल त्रिमूर्ति बनाते हैं - ब्रह्मा-विष्णु-शंकर।
  • परन्तु यह कोई नहीं समझते होंगे।
  • अभी तुम समझते हो।
  • तुम कितने पदमापदम भाग्यशाली बच्चे हो।
  • देवताओं के पांव में पदम दिखाते हैं ना।
  • पदमपति नाम भी बाला है।
  • पदम-पति बनते भी गरीब साधारण ही हैं।
  • करोड़पति तो कोई आते ही नहीं।
  • 5-7 लाख वाले को साधारण कहेंगे।
  • इस समय 20-40 हजार तो कुछ है नहीं।
  • पदमपति कोई है सो भी एक जन्म के लिये।
  • करके थोड़ा ज्ञान लेंगे।
  • समझ कर स्वाहा तो नहीं करेंगे ना।
  • सभी कुछ स्वाहा करने वाले थे जो पहले आये।
  • फट से सभी का पैसा काम में लग गया।
  • गरीबों का तो लग ही जाता है।
  • साहूकारों को कहा जाता है अभी सर्विस करो।
  • ईश्वरीय सर्विस करनी है तो सेन्टर खोलो।
  • मेहनत भी करो। दैवीगुण भी धारण करो।
  • बाप भी गरीब निवाज कहलाते हैं।
  • भारत इस समय सभी से गरीब है।
  • भारत की ही सभी से जास्ती आदमसुमारी है क्योंकि शुरू में आये हैं ना।
  • जो गोल्डेन एज में थे वही आयरन एज में आये हैं।
  • एकदम गरीब बन पड़े हैं।
  • खर्चा करते करते सभी खत्म कर दिया है।
  • बाप समझाते हैं अभी तुम फिर से देवता बन रहे हो।
  • निराकार गाड तो एक ही है।
  • बलिहारी एक की है दूसरों को समझाने में तुम कितनी मेहनत करते हो।
  • कितने चित्र बनाते हो।
  • आगे चलकर अच्छी रीति समझते जायेंगे।
  • ड्रामा की टिक टिक तो चलती रहती है।
  • इस ड्रामा की टिक टिक को तुम जानते हो।
  • सारी दुनिया की एक्ट हूबहू एक्यूरेट कल्प कल्प रिपीट होती रहती है।
  • सेकण्ड व सेकण्ड चलती रहती है।
  • बाप यह सभी बातें समझाते फिर भी कहते हैं मन्मनाभव।
  • बाप को याद करो।
  • कोई पानी वा आग से पार हो जाते हैं उससे फायदा क्या।
  • इससे कोई आयु थोड़ेही बड़ी हो जाती है।
  • अच्छा, मीठे मीठे सिकीलधे रूहानी बच्चों को बाप दादा का याद प्यार गुडनाईट।


  • 1) सच्चा ब्राह्मण बनना है।

    अन्दर में कोई खोट नहीं रखनी हैं।

    स्वदर्शन चक्रधारी बन शंखध्वनि करनी है।

    धन्धा करते भी यह कोर्स उठाना है।

    2) बाप समान रहमदिल बन अन्धों की लाठी बनना है।

    मात-पिता को फालो करने का ऊंच पुरुषार्थ करना है।

    अपने पांव पर खड़े होना है, किसी को भी आधार नहीं बनाना है।



  • ( All Blessings of 2021-22)
  • सदा हज़ूर को हाज़िर समझ साथ का अनुभव करने वाले कम्बाइन्ड रूपधारी भव

    बच्चे जब भी स्नेह से बाप को याद करते हैं तो समीप और साथ का अनुभव करते हैं।

    दिल से बाबा कहा और दिलाराम हाज़िर इसीलिए कहते हैं हज़ूर हाज़िर है।

    हाज़िरा हज़ूर है।

    स्नेह की विधि से हर स्थान पर हर एक के पास हज़ूर हाज़िर हो जाते हैं, अनुभवी ही इस अनुभव को जानते हैं।

    गाया हुआ है - करनकरावनहार तो करनहार और करावनहार कम्बाइन्ड हो गया।

    ऐसे कम्बाइन्ड रूपधारी सदा साथ का अनुभव करते हैं।



  • (All Slogans of 2021-22)
    • मन को सदा रूहानी मौज में रखना - यही जीवन जीने की कला है।