04-10-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन

" मीठे बच्चे - तुम्हें बाप को याद करने की रेस करनी है, बाप को भूलेंगे तो माया का गोला लग जायेगा

 

प्रश्नः-

इस ड्रामा के किस गुह्य रहस्य को तुम बच्चे ही जानते हो?

उत्तर:-

तुम जानते हो इस ड्रामा में भिन्न-भिन्न वैरायटी एक्टर हैं, हर एक का अलग-अलग पार्ट है।

एक का पार्ट, एक के फीचर्स दूसरे से नहीं मिलते हैं।

जो आलराउन्डर हीरो पार्टधारी हैं उनका ही गायन है।

बाकी जो थोड़ा समय एक दो जन्म पार्ट बजाते वह कमजोर पार्टधारी हुए।

2. सभी पार्टधारियों में परमात्मा व्यापक हो अकेला ही डांस नहीं करता।

वह तो इस बेहद ड्रामा का डायरेक्टर है।

वह नाम रूप से न्यारा नहीं।

अगर न्यारा हो तो यह जो गायन है - तुम्हारी गत मत तुम ही जानो...... वह रांग हो जाए।

...full possibilities...

 

  • ओम् शान्ति।
  • जैसे बाप ने कहा है कि मैं साधारण बूढ़े तन में आता हूँ अर्थात् जिसकी वानप्रस्थ में रहने की अवस्था होती है।
  • वानप्रस्थ अर्थात् वाणी से परे, वह तो हुआ निर्वाणधाम।
  • सुखधाम, दु:खधाम अर्थात् जहाँ मनुष्य रहते हैं।
  • सुखधाम में मनुष्य रहते हैं।
  • वहाँ उन्हों को सुख मिलता है तो नाम सुखधाम रखा है।
  • धाम में कोई रहते हैं।
  • अच्छा फिर शान्तिधाम कहते हैं।
  • वहाँ तो मनुष्य रहने वाले नहीं हैं।
  • शान्तिधाम कहने से फिर सिद्ध होता है वहाँ आत्मायें रहती हैं।
  • वहाँ मनुष्य रह नहीं सकते।
  • ऐसे नहीं कि मनुष्य सतयुग में शान्ति में रहते हैं तो कोई गुफा में रहते हैं वा मन को अमन कर देते हैं, नहीं।
  • वहाँ तो है ही एक अद्वेत धर्म, द्वेत की बात नहीं।
  • फिर जितने धर्म बढ़ते जाते हैं तो द्वेत बढ़ता जाता है, जहाँ द्वेत है वहाँ अशान्ति है।
  • वानप्रस्थ, उनको कहा जाता है निर्वाणधाम।
  • अब तुम बच्चों को पता है कि हम आत्माओं को रहना निर्वाणधाम में होता है, उनको फिर मुक्तिधाम कहा जाता है।
  • वहाँ शान्ति में तो सिर्फ आत्मायें रहती हैं।
  • सुखधाम में तो शरीर है ना।
  • शरीर के साथ कभी शान्ति रह नहीं सकती।
  • हठयोग, प्राणायाम आदि चढ़ाकर 10-20 दिन वा मास भी रहते हैं।
  • परन्तु कहाँ तक शान्ति में रहेंगे?
  • मुक्ति जीवनमुक्ति में तो जा न सकें।
  • यह ड्रामा है ना।
  • इस समय सभी आत्मायें यहाँ कर्मक्षेत्र पर आ जानी चाहिए क्योंकि नम्बरवार आना है।
  • आत्मायें भी नम्बरवार हैं ना।
  • कोई सतोप्रधान हैं, कोई सतो, रजो, तमो हैं।
  • जो पिछाड़ी में थोड़ा पार्ट बजाते हैं वह तो जैसे कमजोर आत्मायें हैं।
  • बिल्कुल थोड़ा पार्ट है।
  • उनका इतना प्रभाव नहीं हो सकता, इतना गाये नहीं जाते हैं।
  • विचार करो कौन-कौन गाये जाते हैं।
  • ऊंचे ते ऊंचा है भगवान।
  • भारत की ही बात है।
  • दूसरी जगह किसका गायन करें?
  • धर्म स्थापकों का।
  • जैसे क्राइस्ट फिर पोप आते हैं, उनके भी चित्र हैं।
  • गायन होता है जिन आत्माओं का, उनका भारी पार्ट है।
  • तुम बच्चे सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त को जान गये हो।
  • ड्रामा में कौन से फर्स्ट क्लास एक्टर्स हैं।
  • अखबार में भी डालते हैं तो मनुष्यों को खैंच हो कि फलाने को देखें।
  • कोई को पता नहीं कि यह बेहद का 5 हजार वर्ष का ड्रामा है।
  • विलायत वाले भी बहुत गपोड़े मारते हैं।
  • सबसे जास्ती यहाँ वाले गपोड़े मारते हैं।
  • तो बाप आकर हमको सारी नॉलेज देते हैं।
  • तुम्हारी बुद्धि में यह जरूर बैठना चाहिए।
  • मुख्य क्रियेटर, डायरेक्टर, प्रिन्सीपल एक्टर कौन है? शिवबाबा।
  • वही नॉलेजफुल, ब्लिसफुल है।
  • हम शिवबाबा को एक्टर कह सकते हैं।
  • मनुष्य तो कहते कि वह कभी एक्ट करते ही नहीं।
  • वह नाम रूप से न्यारा है।
  • फिर कहते हैं वह तो सर्वव्यापी है।
  • तो क्या एक ही एक्टर है जो सबमें डांस करता है?
  • नहीं, यह तो हर एक की एक्ट भिन्न-भिन्न है।
  • एक न मिले दूसरे से।
  • कितने अनेक मनुष्य हैं, एक के फीचर्स दूसरे से मिल नहीं सकते।
  • बच्चे जानते हैं यह वर्ल्ड ड्रामा हूबहू रिपीट होता रहता है।
  • तुम्हारे पास गीत भी है कि फिर से गीता का ज्ञान सुनाना पड़ा।
  • बाप कहते हैं तुमको मैं कितना बारी ज्ञान सुनाता हूँ!
  • हम तुम और सारी दुनिया अब है, कल्प पहले भी थी।
  • कल्प-कल्प फिर मिलते रहेंगे।
  • दूसरी और दुनिया होती नहीं।
  • बाप कहते हैं हम एक हैं तो रचना भी एक है।
  • गाड इज वन।
  • दूसरे नाम निशान नहीं।
  • ऊंचे ते ऊंचा है ही एक शिवबाबा।
  • फिर कहते हैं त्रिमूर्ति ब्रह्मा।
  • त्रिमूर्ति में ब्रह्मा को जास्ती रखते हैं।
  • त्रिमूर्ति शंकर नहीं कहेंगे।
  • गाया भी जाता है देव-देव महादेव।
  • पहले ब्रह्मा आता है।
  • इन तीन देवताओं में नम्बरवन है ब्रह्मा।
  • ब्रह्मा को ही गुरू कहते हैं।
  • शंकर को वा विष्णु को कभी गुरू नहीं कहेंगे।
  • त्रिमूति में मुख्य ब्रह्मा है।
  • वह सूक्ष्मवतनवासी तो है सम्पूर्ण ब्रह्मा।
  • फीचर्स तो एक जैसे ही हैं।
  • तो ऊंच ते ऊंच हुआ शिवबाबा, सभी का बाबा।
  • फिर गाया जाता है ग्रेट-ग्रेट ग्रैन्ड फादर, जिससे मनुष्य सृष्टि रूपी सिजरा निकलता है।
  • यह मनुष्य सृष्टि रूपी झाड़ है।
  • पहले-पहले एडम अर्थात् आदि देव, आदि देवी, उनसे रचना रचते हैं।
  • परन्तु ब्रह्माकुमार कुमारी कोई सब थोड़ेही बनते हैं।
  • जो ब्राह्मण बनते हैं वही फिर देवता बनते हैं।
  • यह पढ़ाई है।
  • यज्ञ में चाहिए भी ब्राह्मण।
  • वह ब्राह्मण लोग मैटेरियल यज्ञ रचने वाले हैं।
  • तुम्हारा यज्ञ है रूहानी।
  • उनका यज्ञ कुछ समय चलता है।
  • फिर पिछाड़ी में आहुति डालते हैं - तिल, घृत आदि।
  • यह तो बड़ा भारी यज्ञ है, इसमें सारी दुनिया स्वाहा हो जानी है।
  • सतयुग, त्रेता में कभी यज्ञ होता नहीं।
  • वह यज्ञ रचते हैं उपद्रव मिटाने के लिए।
  • उपद्रव शुरू होते हैं द्वापर से।
  • बाप कहते हैं इस यज्ञ के बाद फिर आधाकल्प कोई यज्ञ होता नहीं।
  • समझाया जाता है अब जज करो - राइट कौन है?
  • यह छोटे-छोटे यज्ञ सब हद के हैं।
  • यह है बेहद का यज्ञ।
  • इस यज्ञ में सारी आहुति पड़ेगी।
  • फिर आधाकल्प कोई यज्ञ नहीं।
  • कोई मन्दिर पूजा के लिए नहीं होता।
  • मन्दिर बनते ही हैं भक्ति मार्ग में।
  • तो ऊंचे ते ऊंच शिवबाबा को सब भगत याद करते हैं।
  • परन्तु पहचान न होने कारण नेती-नेती कह देते हैं।
  • रचना और रचता का पारावार हम पा नहीं सकते।
  • और फिर गाते हैं भगवान तुम्हारी गत मत न्यारी, आपेही जानो।
  • जरूर कोई चीज़ है तब तो कहते हैं ना आप ही जानो।
  • जरूर नाम रूप वाला होगा तब तो कहते हैं हे भगवान - आपकी गत मत न्यारी।
  • परन्तु मनुष्य तो इसका अर्थ समझते नहीं हैं।
  • बाप समझाते हैं मेरी मत सबसे न्यारी है।
  • तुमको शूद्र से ब्राह्मण बनाकर फिर श्रेष्ठ देवता बनाता हूँ।
  • जीवनमुक्ति दाता हूँ।
  • मैं सर्व का लिबरेटर हूँ।
  • कलियुग पूरा हो फिर सतयुग होता है।
  • सतयुग में दु:ख की बात होती नहीं।
  • बाप अब दु:ख से लिबरेट करते हैं।
  • बाकी सब शान्तिधाम में चले जायेंगे।
  • कलियुग के अन्त में ही लिबरेटर आते हैं।
  • आकर नर्क को स्वर्ग बनाते हैं।
  • यहाँ तो बहुत दु:ख है, इनको स्वर्ग नहीं कह सकते।
  • पुरानी दुनिया को नई दुनिया थोड़ेही कहेंगे।
  • नई दुनिया में लक्ष्मी-नारायण का राज्य था।
  • पुरानी दुनिया में क्या लगा पड़ा है।
  • यह फिर नई दुनिया बनती है।
  • ऊंचे ते ऊंच बाबा ही आकर पुरानी दुनिया से नई दुनिया बनाते हैं।
  • सूक्ष्मवतन वासी ब्रह्मा, विष्णु, शंकर को देवता कहते हैं।
  • ऐसे कहाँ भी लिखा हुआ नहीं है कि प्रजापिता ब्रह्मा सूक्ष्मवतन वासी है।
  • सूक्ष्मवतन में थोड़ेही प्रजा होती है।
  • प्रजापिता ब्रह्मा तो जरूर यहाँ ही चाहिए।
  • ऊंच ते ऊंच शिवबाबा फिर सेकेण्ड नम्बर में है ब्रह्मा।
  • शिवबाबा इन ब्रह्मा द्वारा बैठ सर्विस करते हैं।
  • ब्राह्मणों को देवता बनाते हैं।
  • यह तो है ही पाप आत्माओं की दुनिया, रावण राज्य।
  • जो कुछ करते हैं, उनसे मनुष्यों के पाप ही होते हैं भ्रष्टाचारियों से ही लेन-देन होगी।
  • भ्रष्टाचार शुरू होता है द्वापर से।
  • फिर अन्त में बाप आकर महान श्रेष्ठाचारी बनाते हैं।
  • कला कमती होने में 5 हजार वर्ष लगते हैं, जो श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ देवता थे वही फिर नीचे उतरते हैं।
  • यह खेल ही ऐसा है।
  • कितना अच्छी रीति बाप बैठ समझाते हैं।
  • कोई बैठ समझे तो अच्छी तरह से समझ सकते हैं।
  • तुम तो कराची में भट्ठी में पड़े, समझने के लिए आते थे।
  • पार्टीशन के बाद सब भाग गये, तुम तो वहाँ रहे पड़े थे।
  • तुमको किसका संग नहीं था।
  • संग से दूर होते भी नम्बरवार पुरूषार्थ किया।
  • सब तो एक जैसा पुरूषार्थ कर भी नहीं सकते।
  • स्कूल में भी सब एक जैसे नम्बर कोई लेते नहीं हैं।
  • दो स्टूडेन्ट को 99 मार्क्स मिल नहीं सकते।
  • क्लास में एक दो के ऊपर थोड़ेही बैठेंगे।
  • घोड़ों की भी रेस होती है, उसमें भी एक जैसे दो हो नहीं सकते।
  • इसका नाम रखा है राजस्व अश्वमेध, अश्व कहा जाता है घोड़े को, तुम हो रूहानी घोड़े।
  • तुम्हारी दौड़ी है घर की तरफ कि पहले हम बाप के पास पहुंचे।
  • वहाँ तो साइकिलों की, घोड़ों की रेस होती है।
  • युद्ध की भी रेस होती है।
  • तुम्हारी युद्ध की युद्ध, रेस की रेस है।
  • तुम्हारी माया पर जीत पाने की युद्ध है और बाप को याद करने लिए ही कहा जाता है।
  • कोई यह नहीं कहा जाता है कि गुरूनानक को याद करो या कोई और को याद करो।
  • सर्व का सद्गति दाता एक है।
  • वास्तव में सर्व पर दया करने वाला भी एक है।
  • सर्व का सद्गति दाता, पतित-पावन भी एक है।
  • उन्होंने अपने ऊपर नाम रखाया है तो झूठा हुआ ना।
  • सर्व को सुख देने वाला एक है।
  • सुखधाम में भी बाप ही ले जाते हैं।
  • तो बाप से ही सुखधाम का वर्सा लेना चाहिए।
  • आधाकल्प रावण ने श्राप दिया है।
  • अब बाप से वर्सा लो।
  • यह तो है ही पाप आत्माओं की दुनिया।
  • देवताओं की है पुण्य आत्माओं की दुनिया।
  • पाप की दुनिया में पुण्य होता नहीं।
  • यह तो गपोड़ा मारते हैं कि फलाना मरा स्वर्गवासी हुआ।
  • अरे स्वर्ग है ही नहीं तो फिर स्वर्ग में जन्म कैसे मिलेगा।
  • यह भी समझने वाला समझे।
  • समझने के लिए कोई यहाँ बैठना नहीं है।
  • भल विलायत में रहो।
  • परन्तु 7 रोज़ बाबा के संग में जरूर रहना पड़े क्योंकि संग तारे कुसंग बोरे।
  • अगर तीर लग गया तो कहेगा और 7 रोज रहना है।
  • तो बाबा परीक्षा भी लेते हैं कि पूरा निश्चय है, दिल लगती है, तीर लगता है - बाप पढ़ाते हैं।
  • अरे बाप के पास तो रहना चाहिए ना।
  • जब पक्का रंग लग जाए तो विलायत में भी जा सकते हैं।
  • अभी पवित्र बनेंगे तो 21 जन्मों की राजाई मिलेगी।
  • कम बात है क्या?
  • एक जन्म पवित्र बनो, कोई बड़ी बात है।
  • बाबा युक्तियां तो बहुत बताते हैं।
  • आहिस्ते-आहिस्ते युक्ति से चलो, जिससे खिटपिट न हो, दोस्ती भी रहे और अपने आपको छुड़ाते भी रहो।
  • बाबा रांझू-रमजबाज है, तो रमज (युक्ति) बताते हैं - ऐसे-ऐसे करो।
  • बहुत बच्चियाँ भूँ-भूँ करके पति को ले आती हैं।
  • फिर पति स्त्री के चरणों पर गिरते हैं कि इसने मुझे बचाया।
  • वह ब्राह्मण तो विकार का हथियाला बंधवाते हैं।
  • यहाँ ब्रह्मा और ब्राह्मण हथियाला बांधते हैं पवित्रता का।
  • वह कैन्सिल करते हैं।
  • बच्चे कहते भी हैं बाबा आप हमको स्वर्ग में ले जाते हो।
  • आपकी हम क्यों नहीं मानेंगे!
  • खुशी से पवित्रता का कंगन बांधते हैं।
  • ...अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुड़मार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।


  • 1) पवित्र बनने की युक्ति आपेही रचनी है।

    21 जन्मों की राजाई के लिए पवित्रता की प्रतिज्ञा करनी है।

    2) श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ बनने के लिए श्रेष्ठाचारियों से लेन-देन करनी है।

    बाप के संग में रहकर निर्भय बनना है।



  • ( All Blessings of 2021-22)
  • सर्वशक्तिमान् के साथ की स्मृति द्वारा सदा सफलता का अनुभव करने वाले कम्बाइन्ड रूपधारी भव

    सर्वशक्तिमान् बाप को अपना साथी बना लो तो शक्तियां सदा साथ रहेंगी।

    और जहाँ सर्व शक्तियां हैं वहाँ सफलता न हो - यह असम्भव है।

    लेकिन यदि बाप से कम्बाइन्ड रहने में कमी है, माया कम्बाइन्ड रूप को अलग कर देती है तो सफलता भी कम हो जाती है, मेहनत करने के बाद सफलता होती है।

    मास्टर सर्वशक्तिमान् के आगे सफलता तो आगे पीछे घूमती है।



  • (All Slogans of 2021-22)
    • सबकी दुआयें लेनी हैं तो हाँ जी करते हुए सहयोग का हाथ बढ़ाते चलो।