29-09-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
"मीठे बच्चे - तुम गॉडली स्टूडेन्ट हो, तुम्हें किसी भी हालत में एक दिन भी पढ़ाई मिस नहीं करनी है, पढ़ेंगे लिखेंगे तो बनेंगे नवाब''
प्रश्नः-
जिन बच्चों का मुरली पर पूरा अटेन्शन है उनकी निशानी क्या होगी?
उत्तर:-
जो अटेन्शन देकर रोज़ मुरली सुनते हैं वही अच्छी तरह से जानते हैं - बाप कौन है और क्या है क्योंकि बाप के महावाक्य हैं कि मैं जो हूँ, जैसा हूँ, मुझे कोटो में कोई ही पहचानते।
अगर पढ़ाई में अटेन्शन नहीं तो बुद्धि में बैठ नहीं सकता कि यह श्रीमत हमें भगवान दे रहा है।
वह सुना अनसुना कर देंगे।
उनकी बुद्धि का ताला बन्द हो जाता है।
वह बाप के फरमान पर नहीं चल सकते हैं।
गीत:- छोड़ भी दे आकाश सिंहासन.....
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- ओम् शान्ति।
- बच्चे अभी समझते हैं कि हम ज्ञान सागर के बच्चे, ज्ञान सागर द्वारा अभी इस सारी सृष्टि चक्र वा ड्रामा के आदि-मध्य-अन्त को जान गये हैं।
- दुनिया में तो और मनुष्य है नहीं जिसकी बुद्धि में यह ड्रामा हो।
- तुम्हारे में भी सब एक जैसा नहीं जानते हैं।
- तुम बच्चे जानते हो यह भारत अविनाशी खण्ड है।
- यह भारत ही सचखण्ड और झूठखण्ड बनता है।
- सचखण्ड को स्वर्ग, झूठखण्ड को नर्क कहा जाता है।
- यहाँ कई बच्चे समझते हैं, यह ज्ञान तो हम रोज़ सुनते हैं।
- कोई नई बात थोड़ेही है।
- नॉलेज को पूरा धारण नहीं करते हैं।
- तुम गॉडली स्टूडेन्ट हो।
- पढ़ाई एक दिन भी मिस नहीं करना है।
- यही पढ़ाई वैल्युबुल है।
- भल कोई बीमार भी हो, वह यहाँ आकर बैठें तो महावाक्य तो सुनेंगे ना!
- सुनते-सुनते प्राण शरीर से निकलें तो कितनी न शफा मिल जाए।
- यह है बड़ी हॉस्पिटल।
- रात-दिन पढ़ाई का बहुत शौक होना चाहिए।
- मात-पिता को भी रात-दिन शौक है ना।
- भगवान तुम्हें पढ़ाते हैं।
- भगवानुवाच - हे बच्चे तुम अच्छी रीति समझते हो ना - तुम तो कहेंगे यह लड़ाई 5 हजार वर्ष पहले भी लगी थी।
- आगे तुम नहीं जानते थे, अभी जब बाप ने समझाया है तब समझते हो।
- तो स्टूडेन्ट का काम है जो नॉलेज मिलती है, उनको धारण करना।
- यहाँ मुख्य बात है ही पवित्रता की।
- आत्मा जो आइरन एज में आकर काली बन गई है - खाद पड़ गई है, उसको निकालना है।
- तुम आत्माओं को अन्दर में ख्याल आना चाहिए।
- शिवबाबा हमारे साथ बात कर रहे हैं।
- तो आत्म-अभिमानी बनना पड़े।
- आत्म-अभिमानी यहाँ परमपिता परमात्मा ही बनाते हैं और कोई की ऐसी ताकत नहीं जो ऐसे आत्म-अभिमानी बन बैठकर समझाये।
- भल कहते हैं हम ईश्वर हैं, फलाना हैं।
- परन्तु जानते कुछ भी नहीं।
- तुम्हारी बुद्धि में है हम सारे सृष्टि चक्र के आदि-मध्य-अन्त को जानते हैं।
- धारणा करने वालों में भी नम्बरवार तो हैं ना।
- न सिर्फ यहाँ लेकिन जो भी सेन्टर हैं, वहाँ भी नम्बरवार हैं।
- स्टूडेन्ट कभी एक समान नहीं होते।
- कोई मास में 20 दिन आते, कोई एक्यूरेट आते होंगे।
- भल कोई कहाँ भी जाते हैं परन्तु वहाँ भी रेग्युलर पढ़ना है।
- अगर मुरली नहीं पढ़ते हैं तो अबसेन्ट डाली जाती है।
- अगर मुरली जाती है, पढ़ते हैं तो अबसेन्ट नहीं कहेंगे।
- और कोई स्कूलों में ऐसे नहीं होता है।
- यहाँ बाहर जाने से उनको कुछ न कुछ पढ़ने के लिए देंगे।
- अगर कोई हॉस्पिटल में है - वहाँ भी जाए तुम उनको मुरली सुना सकते हो।
- यह मोस्ट वैल्युबुल नॉलेज है।
- यह तो जानते हैं - जितने अभी पास होंगे, उतने कल्प-कल्पान्तर पास होंगे।
- यह बड़ी भारी पढ़ाई है, इसमें बड़ा अटेन्शन चाहिए।
- ऐसे बहुत बच्चे हैं - जिनको माया एकदम नाक से पकड़ लेती है।
- फिर भी याद नहीं रहता कि मैं गॉड फादरली स्टूडेन्ट हूँ।
- गाया भी जाता है - गज को ग्राह ने खाया।
- यहाँ की बात है।
- कुसंग मिलने से खाना आबाद होने के बदले बरबाद हो जाता है।
- बहुत थोड़े हैं जो अटेन्शन से पढ़ते हैं।
- बाप कहते हैं मैं जो हूँ, जैसा हूँ, विरला कोई मुझे समझ सकते हैं।
- अनपढ़ बच्चों को कोई बात कहो तो एक कान से सुन दूसरे से निकाल देते हैं।
- भगवान के हमको डायरेक्शन मिलते हैं वह बुद्धि में नहीं रहता है।
- पूरा योग न होने कारण माया बुद्धि को ताला लगा देती है।
- यह दण्ड पड़ जाता है क्योंकि फरमान पर नहीं चलते हैं।
- बाबा कहते हैं मैं इतनी दूर से आया हूँ तुमको पढ़ाने।
- तुम श्रीमत को मानते नहीं हो फिर तुम्हारी क्या गति होगी।
- भगवान खुद बैठ पढ़ाते हैं।
- आज्ञा करते हैं।
- ऐसे नहीं कि प्रेरणा करते हैं, इसमें प्रेरणा की बात नहीं।
- यह तो ड्रामा बना बनाया है।
- अनादि है।
- यह तो पतित मनुष्य भी कह देते हैं कि परमात्मा की प्रेरणा से यह काम होता है।
- परन्तु ऐसे तो है नहीं।
- ड्रामा का राज़ कोई भी साधू सन्त नहीं जानते हैं।
- बाबा ने आगे भी कहा था - एक विराट रूप का बड़ा चित्र बनाओ, विष्णु का।
- वो लोग तो रांग बना देते हैं।
- देवता, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र भी दिखाते हैं।
- डिटेल में नॉलेज कुछ भी नहीं जानते।
- सिर्फ ऐसे ही कह देते हैं - अर्थ कुछ भी नहीं समझते।
- विराट रूप नामीग्रामी है।
- वह भी बड़ा बनाना चाहिए।
- भल हमारे इस चित्र में भी है - ब्राह्मण, देवता, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र।
- परन्तु बाप कहते हैं कि विष्णु का चित्र बनाना चाहिए।
- ऊपर में चोटी भी देनी चाहिए।
- शिवबाबा भी ऊपर में देना चाहिए।
- स्टॉर मुआफिक है।
- फिर ब्राह्मणों की चोटी।
- अंग्रेजी में भी लिखो - यह बी.के. ब्राह्मण वर्ण है एक जन्म।
- यह है मोस्ट वैल्युबुल जन्म।
- लीप जन्म, लीप युग है।
- यह है ऊंच ते ऊंच युग, इसको कोई जानते नहीं हैं।
- कोई भी शास्त्रों में यह नहीं है।
- पतित-पावन बाप को बुलाते हैं तो इसका मतलब कलियुग का अन्त है ना।
- संगमयुग का तो किसको पता नहीं है।
- बाप कहते हैं - यह भी समझाओ।
- ब्राह्मण जन्म एक जन्म फिर देवता इतने जन्म और इतना समय।
- तुम किश्चियन का भी दिखाते हो, दो हजार वर्ष होंगे।
- फिर सबका पार्ट पूरा होता है तो यह क्लीयर लिखना चाहिए।
- ब्राह्मण वर्ण, देवता वर्ण, फिर क्षत्रिय वर्ण रामराज्य। अभी तो हैं सब शूद्र वर्ण।
- विराट रूप दिखाना है।
- सारा खेल भी भारत पर बना हुआ है।
- भारत पावन, भारत पतित।
- बाकी सब बाईप्लाट हैं, उनका वर्णों के साथ कोई कनेक्शन है नहीं।
- भारत की महिमा बाप ने समझाई है।
- यह है अविनाशी खण्ड, यह विनाश नहीं होता।
- यह भी तुम जानते हो बरोबर सतयुग में और कोई खण्ड नहीं होता।
- यह सब बाद में आये हैं।
- फिर सब खलास हो जायेंगे।
- अविनाशी खण्ड भारत ही रहेगा और सब खत्म हो जायेंगे।
- नाम-निशान ही गुम हो जाता है।
- यह नॉलेज अभी ही तुम बच्चों की बुद्धि में है और कोई भी नहीं जानते हैं।
- भारत पवित्र से पवित्र खण्ड था।
- भारत को कहा जाता है - धर्म क्षेत्र।
- दान-पुण्य जितना यहाँ होता है और कहीं नहीं होता।
- यहाँ फिर से तुमको सारे विश्व के मालिकपने का वर्सा देते हैं।
- तुम इतना ऊंच वर्सा लेते हो।
- तुमको यह वर्सा था फिर गँवाया है।
- हार जीत होती है ना।
- अभी तुम जानते हो हम जीत पा रहे हैं, फिर हार खायेंगे।
- यह हार और जीत का राज़ बुद्धि में फिरता रहेगा।
- जीत कैसे पाते हैं और फिर हार कैसे खाते हैं।
- सतयुग में यह नॉलेज थोड़ेही होती है।
- वहाँ तो है प्रालब्ध।
- यह राज्य हमने कहाँ से लिया है, यह भी वहाँ पता नहीं रहता।
- अभी ही बाप द्वारा तुम नॉलेजफुल बनते हो।
- इस नॉलेज के आधार से तुम जाकर प्रालब्ध पाते हो।
- ड्रामा की रील फिरती रहती है, जो इमर्ज होता है उसी अनुसार तुम्हारी एक्ट चलती रहती है।
- 84 जन्मों की एक्ट ड्रामा में नूँधी हुई है।
- आत्मा कितनी छोटी है - इसमें सारा पार्ट नूँधा हुआ है, जो रिपीट होता रहता है।
- इसको कुदरत कहा जाता है।
- इस कुदरत को कोई नहीं जानते।
- इतनी छोटी आत्मा में कितना पार्ट है जो कभी विनाश नहीं हो सकता।
- इन साइंस वालों की बुद्धि अपने विनाश का प्रबन्ध कर रही है।
- तुम आत्मा ऊंच पद पाने का पुरूषार्थ कर रही हो।
- वह समझते हैं - हम अभी स्टॉर मून के नजदीक आये हैं, प्लाट लेंगे।
- वह बड़ा महत्व देते हैं।
- हम तो कहते हैं कि यह तो सब अपनी मौत के लिए करते हैं।
- तुम बच्चे जानते हो यह सब तैयारी हो रही हैं स्वर्ग के गेट खोलने के लिए।
- यह लड़ाई बिगर स्वर्ग के गेट कैसे खुलेंगे।
- पतित दुनिया का विनाश तो चाहिए ना।
- इन बातों को विद्वान, पण्डित आदि थोड़ेही जानते हैं।
- यह तुम जानते हो - ड्रामा अनुसार नूँध है।
- तो तुम बच्चों को यह पढ़ाई पढ़नी है।
- कोई तो सुनते-सुनते, पढ़ते-पढ़ते खत्म हो जाते हैं।
- कोई तो बैठे हुए भी जैसेकि सुनते नहीं।
- धारणा जब खुद में हो तब तो औरों को समझा सकें।
- धारणा ही नहीं - सर्विस ही नहीं करते तो पद क्या मिलेगा - हाँ, स्वर्ग में जायेंगे।
- राजाई में आयेंगे परन्तु सब तो राजा नहीं बनेंगे ना।
- पढ़ेंगे, लिखेंगे होंगे नवाब।
- जो नहीं पढ़ेंगे पढ़ायेंगे तो भरी ढोनी पड़ेगी।
- यह तो होना ही है।
- जाकर चाकरी करेंगे।
- राजाई में आयेंगे परन्तु चाकरी करेंगे ना।
- प्रजा तो ढेर बनती जाती है।
- लाखों की अन्दाज में बनती है, उनके भी तो नौकर चाकर होंगे ना।
- प्रदर्शनी में तो बहुत सुनेंगे, कुछ न कुछ बुद्धि में बैठेगा।
- आयेंगे भी वही जो स्वर्ग में रहने वाले होंगे।
- संन्यास धर्म वाले थोड़ेही आयेंगे।
- जो थोड़ा बहुत सुनेंगे वह तो प्रजा में आ ही जायेंगे।
- योग तो लगाते नहीं, विकर्म विनाश तो हो न सकें, तो पद कहाँ से मिलेगा।
- तो बच्चों को सारा राज़ समझाया जाता है।
- यह राजधानी स्थापन हो रही है।
- स्थापना जरूर संगम पर ही होगी ना।
- बाप कहते हैं मैं आता ही हूँ कल्प के संगम-युग पर।
- उन्होंने फिर युगे-युगे लिख दिया है।
- तो भी 4 युग अथवा 5 युग कहो फिर भी इतने अवतार क्यों दिखाये हैं।
- परशुराम अवतार, कच्छ-मच्छ अवतार, परशुराम अवतार के लिए फिर दिखाते हैं कि कुल्हाड़ी उठाए सब क्षत्रियों को मारा।
- बाप कहते हैं - यह कैसे हो सकता है।
- क्या भगवान ने इतनी हिंसा कुल्हाड़ी से किया?
- मनुष्य तो जो सुनते सब सत-सत करते रहते हैं।
- असत्य बात को भी सत्य मान लेते हैं।
- बाप कहते हैं कि यह सभी असत्य बातें हैं।
- सत्य कोई भी है नहीं।
- किसको कहो तो बिगड़ पड़ते हैं।
- बाप कहते हैं कि युक्ति से काम लो।
- चूहा ऐसी युक्ति से काटता है जो सारा मांस खा जाता है, मालूम ही नहीं पड़ता है।
- तुम बच्चों को बड़ी युक्ति से चलना चाहिए।
- बाप तो बहुत अच्छी रीति समझाते हैं परन्तु कोई धारणा भी तो करे।
- मुख्य बात है ही एक।
- बाप कहते हैं मामेकम् याद करो तो तुम्हारे विकर्मों का बोझा खत्म हो जाए।
- सिवाए योग अग्नि के खाद निकल न सके।
- नहीं तो कड़ी सजा खानी पड़ेगी।
- तुम्हें तो पास विद् ऑनर बनना है।
- प्रजा तो बहुत बनती है, नम्बरवार।
- बाकी राजाई के लिए मेहनत चाहिए।
- श्रीमत पर चलना चाहिए।
- बहुत चलते-चलते पढ़ाई छोड़ देते हैं।
- अरे गॉड फादर बैठा है, जहाँ जीना है ज्ञान अमृत पीते रहना है।
- यह पढ़ाई है।
- पढ़ते-पढ़ते फिर नई दुनिया में ट्रांसफर हो जायेंगे।
- क्लास नम्बरवार ट्रांसफर होता है ना।
- यहाँ भी सारा पुरूषार्थ पर मदार है।
- कहते हैं हे पतित-पावन आओ तो जरूर कलियुगी पतित दुनिया का अन्त हो तब तो आये।
- बाप कितना अच्छी रीति समझाते हैं।
- दुनिया में ब्लाइन्डफेथ होने कारण जिसने जो सुनाया सत-सत करते रहते हैं।
- समझते कुछ भी नहीं।
...अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुड़मार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
1) बाप की आज्ञाओं का उल्लंघन नहीं करना है।
कुसंग से बचना है।
रोज़ मुरली जरूर पढ़नी वा सुननी है।
2) विकर्मों का बोझा समाप्त करने के लिए याद में रहना है।
जब तक जीना है- ज्ञान अमृत पीते रहना है।
( All Blessings of 2021-22)
विनाश के पहले एवररेडी रहने वाले समान और सम्पन्न भव
विनाश के पहले एवररेडी बनना ही सेफ्टी का साधन है।
अगर समय मिलता है तो संगमयुग की मौज मनाओ लेकिन रहो एवररेडी क्योंकि फाइनल विनाश की डेट कभी भी पहले मालूम नहीं पड़ेगी, अचानक होना है।
एवररेडी नहीं होंगे तो धोखा हो जायेगा इसलिए एवररेडी रहो।
सदा याद रखो कि हम और बाप सदा साथ हैं।
जैसे बाप सम्पन्न है वैसे साथ रहने वाले भी समान और सम्पन्न हो जायेंगे।
समान बनने वाले ही साथ चलेंगे।
(All Slogans of 2021-22)
- जिनका स्वभाव निर्मल है उनके हर कदम में सफलता समाई हुई है।
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