06-09-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन

"मीठे बच्चे - दूरादेशी विशाल बुद्धि बन सर्विस करनी है, सच और झूठ का कान्ट्रास्ट सिद्धकर बताना है''

 

प्रश्नः-

महाभारत से कौन-कौन सी बातें सिद्ध होती हैं, महाभारत का अर्थ क्या है?

उत्तर:-

महाभारत अर्थात् अनेक धर्मों का विनाश और एक धर्म की स्थापना।

2- महाभारत का अर्थ ही है पाण्डवों की विजय, कौरवों की पराजय।

3- महाभारत लड़ाई से सिद्ध होता है कि जरूर भगवान भी होगा, जिसने रथ पर बैठ ज्ञान सुनाया।

भगवान ने जरूर राजयोग सिखाया होगा जिससे राजाई स्थापन हुई।

महाभारत अर्थात् जिसके बाद सतयुगी राजाई स्थापन हो।

तुम बच्चे महाभारत पर अच्छी तरह से समझा सकते हो।

गीत:- यही बहार है दुनिया को भूल जाने की...

...full possibilities...

  • ओम् शान्ति।
  • मीठे-मीठे बच्चे जानते हैं कि इस समय महाभारत की सीन चल रही है।
  • बाप ने समझाया था जैसे आटे में नमक होता है ना वैसे शास्त्रों में कुछ न कुछ सच है।
  • बाकी तो प्राय: झूठ ही है।
  • अब महाभारत के समय विनाश तो दिखाते हैं।
  • यूरोप को भी दिखाते हैं, मूसल वहाँ से इन्वेन्ट हुए।
  • यह भी तुम बच्चे जानते हो कि यह वही यज्ञ चल रहा है, जबकि एक धर्म की स्थापना होती है।
  • पाण्डवों की विजय होती है।
  • है भी राजयोग।
  • दिखाते हैं अर्जुन के रथ में अर्जुन को श्रीकृष्ण ज्ञान देते हैं।
  • यह भी समझते हो राजयोग का ज्ञान दिया है।
  • महाभारत लड़ाई के बाद जरूर राजयोग से राजाई स्थापन हुई होगी।
  • इस समय तो राजाई है नहीं।
  • फिर से स्थापन होनी चाहिए।
  • महाभारत के नाटक भी बनते हैं।
  • एडवरटाइजमेंट निकल रही है।
  • उनका बाइसकोप बनाया है, आकरके देखो।
  • अब तुम बच्चे जानते हो बाप तुमको सब सच बतलाते हैं।
  • वह तो नाटक आदि सब झूठे बनाते हैं।
  • महाभारत का नाटक सर्विस के ख्याल से देखना चाहिए कि वह लोग क्या बनाते हैं।
  • फिर उस पर हम क्या समझायेंगे।
  • सर्विस के लिए विचार सागर मंथन करना होता है।
  • परन्तु बच्चों की इतनी विशाल बुद्धि हुई नहीं है।
  • जिन्होंने नाटक बनाया है उनको जाकर समझाना है।
  • वास्तव में सच क्या है, झूठ क्या है?
  • तुमने जो महाभारत लड़ाई दिखाई है, उनकी तिथि तारीख चाहिए, कब लगी थी?
  • जैसे कण-कण में भगवान का नाटक बनाया है तो जाकर देखना चाहिए क्या दिखाते हैं।
  • बच्चों की बड़ी दूरांदेशी, विशालबुद्धि होनी चाहिए।
  • वास्तव में सच क्या है - उसके पर्चे छपवाने चाहिए।
  • सच तो वही है जो प्रैक्टिकल चल रहा है।
  • नाटक सब झूठे कैसे हैं सो आकर समझो।
  • यह समझने से भी तुम सचखण्ड के मालिक बन सकते हो।
  • ईश्वर से वर्सा ले सकते हो।
  • ऐसे-ऐसे सर्विस के ख्यालात आने चाहिए।
  • सर्वोदया वालों से भी कोई-कोई मिलते हैं परन्तु उसमें भी बड़ी विशाल बुद्धि चाहिए।
  • उनको समझाना चाहिए सर्व माना सारी सृष्टि पर दया करना।
  • सो तो ब्लिसफुल एक ही बाप है।
  • वही सर्व पर दया करते हैं।
  • आज से 5 हजार वर्ष पहले भारत स्वर्ग था, सर्व सुख थे।
  • अभी कलियुग के अन्त में इतने दु:ख हैं, भ्रष्टाचार है।
  • सारी दुनिया पर तो दया एक बेहद का बाप ही करते हैं।
  • जरूर मैं जानता हूँ तब तो बतलाता हूँ।
  • सर्वोदया, इसमें सारी दुनिया की बात है।
  • अब भगवान कैसे सर्व पर दया करते हैं सो आकर समझो।
  • अब कलियुग का अन्त है।
  • महाभारत लड़ाई भी है।
  • जरूर कोई है जो पतित दुनिया को पावन बनाने वाला है।
  • तो सर्व आत्माओं का ब्लिसफुल वह ठहरा ना, इसमें ज्ञान की बुद्धि बड़ी अच्छी चाहिए।
  • बाबा के पास तो समाचार मिलते हैं कि हम सर्वोदया लीडर से मिला, परन्तु मिलने वाला बड़ी विशालबुद्धि वाला चाहिए।
  • बाबा ने देखा कि कोई ने विशालबुद्धि की बात नहीं की है।
  • पहले तो उनको बताना चाहिए कि सारी दुनिया में दु:ख, अशान्ति है।
  • यह दु:खधाम है तो जरूर पहले सुखधाम, शान्तिधाम था।
  • बच्चों ने यह भी उनको बताया नहीं।
  • भारत की बड़ी महिमा करनी चाहिए।
  • अच्छा, भारत को ऐसा बनाने वाला कौन?
  • तुम तो सर्व पर दया कर नहीं सकते हो।
  • वह तो एक ही ईश्वर है, जिसको तुम भूले हुए हो।
  • वह खुद अपना कार्य कर रहे हैं।
  • हाँ, यह भी अच्छा है जो दु:खियों को कुछ न कुछ देते हो।
  • उनसे मिलना भी चाहिए एकान्त में।
  • महाभारत का जो नाटक बनाया है उस पर सच और झूठ का कान्ट्रास्ट लिख पर्चे बनवाने चाहिए।
  • भारत कैसे कौड़ी से हीरे जैसा बनता है सो आकर समझो।
  • जब महाभारत लड़ाई हुई तब बाप भी था, जिससे वर्सा मिलता है।
  • श्रीकृष्ण को तो कोई बाप कह न सके।
  • मनुष्य जब गॉड फादर कहकर पुकारते हैं तब निराकार को ही याद करते हैं।
  • तुम बच्चों को सारा दिन यही ख्यालात रहने चाहिए कि हम कैसे सर्विस करें।
  • विचार सागर मंथन करना चाहिए कि कैसे औरों को जगायें।
  • कांटों को फूल बनाना है।
  • शमशान में जाकर सर्विस करनी है।
  • बच्चे जाते हैं परन्तु बहुत थक पड़ते हैं।
  • देखते हैं कि इतना समझाते हैं, परन्तु सुनते ही नहीं।
  • अरे समझेंगे भी कैसे।
  • बाबा मिसाल देते हैं कि रिढ़ (भेड़) क्या समझे.... है तो बड़ा सहज ज्ञान.... ऊंच ते ऊंच है भगवान फिर देवतायें।
  • यह वर्णों का राज़ भी बहुत सहज है।
  • ब्राह्मण चोटी हैं सबसे ऊंच।
  • तुम देवता बनते हो तो इतनी महिमा नहीं होती है।
  • इस समय तुम्हारी महिमा बहुत है।
  • शक्तियों के कितने मेले लगते हैं।
  • लक्ष्मी का मेला नहीं लगता है।
  • उनका सिर्फ दीपमाला के दिन आह्वान करते हैं।
  • मेला सदा जगत अम्बा का लगता है।
  • तुम जानते हो जगत अम्बा कौन है!
  • लक्ष्मी कौन है!
  • लक्ष्मी की पूजा क्यों होती है!
  • अभी सब कहाँ हैं!
  • लक्ष्मी तो सतयुग में थी।
  • अभी उनकी आत्मा कहाँ है?
  • तुम जानते हो लक्ष्मी 84 जन्म भोग अभी वह संगम पर जगत अम्बा बनी है।
  • एडाप्ट कर फिर उनका नाम बदला जाता है।
  • बहुत बच्चे कहते हैं हमको बाबा ने एडाप्ट किया है।
  • हमारा नाम क्यों नहीं बदला जाता है।
  • बाबा कहते हैं क्या करूँ, नाम तो बदलूँ परन्तु नाम को बट्टा लगा देते हैं। (बदनाम कर देते हैं) नाम भी बहुत फर्स्टक्लास मिले थे।
  • तुम प्रजापिता ब्रह्माकुमार कुमारियां कहलाते हो ना।
  • भल शरीर निर्वाह अर्थ धन्धे आदि में वह नाम चलाना पड़ता है।
  • तुम तो कहेंगे हमारा तो अब यह नाम है।
  • फिर भी एड्रेस घर की देनी होती है।
  • बुद्धि में है हम ब्रह्माकुमार कुमारी हैं, यहाँ बैठे हैं।
  • साथ में शिवबाबा ब्रह्मा बाबा है।
  • वहाँ बाहर मित्र सम्बन्धियों को देखते हो तो वह नाम याद आ जाता है।
  • वह नाम भी लिखना पड़ता है।
  • नहीं तो समझ भी न सकें।
  • तो गृहस्थ व्यवहार में जाने से फिर भूल जाते हैं।
  • उसमें रहते अपने को शिववंशी निश्चय कर उस याद में रहना पड़े।
  • मेहनत है इसलिए बाबा लिखते हैं कि चार्ट रखो।
  • लौकिक सम्बन्धी होते हुए भी पारलौकिक को याद करते रहें, इसमें मेहनत है।
  • यह नई बात है ना।
  • अब महाभारत नाटक में रथ भी तो दिखायेंगे।
  • संस्कृत श्लोक भी जरूर बोलेंगे।
  • देखना चाहिए कि क्या क्या बतलाते हैं फिर उस पर ही लिखना चाहिए।
  • सर्विस का ख्याल रहना चाहिए।
  • परिचय देना है।
  • यह बातें जानने से तुमको सच्चा महाभारत लड़ाई का ज्ञान मिल जायेगा।
  • बाबा कुछ भी सुनते हैं तो ख्याल चलता है ना।
  • तुम तो जानते हो यह छोटे-छोटे मठ पंथ पिछाड़ी में निकलते हैं।
  • झाड़ की आयु पूरी होने से सारा झाड़ ही सूख जाता है।
  • तो यह सब जो भी धर्म वाले हैं, वह कोई सतयुग में आने वाले नहीं हैं।
  • बाकी जो कनवर्ट हो गये हैं - वह कहाँ न कहाँ से निकलते हैं।
  • जितना जो जिसकी तकदीर में होगा वह लेंगे।
  • खुद समझकर फिर औरों को भी समझाना है।
  • प्रजा नहीं बनाई, बहुतों का कल्याण नहीं किया तो वर्सा क्या मिलेगा।
  • कोई की शक्ल से ही पता पड़ जाता है कि इनको ज्ञान अच्छा लगता है।
  • बात दिल से लगेगी तो कांध ऐसे हिलता रहेगा।
  • नहीं तो इधर उधर देखते रहेंगे।
  • बाबा जांच भी करते हैं कि यह नालायक है वा लायक है!
  • यह तो बेहद का बाप है ना।
  • यह दादा भी समझते हैं ना - यह कोई भुट्टू (बुद्धू) तो नहीं।
  • बाबा कब कह भी देते हैं अच्छा इनको भुट्टू समझो।
  • तुम्हें शिवबाबा ही सुनाते हैं, मुरली चलाते हैं।
  • तो कई ऐसे समझ लेते हैं कि यह थोड़ेही कुछ जानते हैं।
  • यह तो हमारे मुआफिक ही हैं।
  • अपना अहंकार आ जाता है।
  • समझते हैं हम तो सेवा करते हैं, हम उनसे भी तीखे ठहरे।
  • ऐसे कहते हैं, दूरादेशी नहीं हैं।
  • बाबा की तो यह युक्ति है कि बच्चे शिवबाबा को याद करें।
  • याद करने से ही विकर्म विनाश होंगे, इसमें देह-अभिमान की तो बात ही नहीं।
  • समझो शिवबाबा ने समाचार सुना, वही तुमको डायरेक्शन देते हैं।
  • ऐसी-ऐसी सर्विस करो।
  • विचार सागर मंथन करो।
  • संन्यासी आदि आगे चल बहुत निकलेंगे जो समझेंगे कि इन्हों को पढ़ाने वाला बेशक परमपिता परमात्मा है, श्रीकृष्ण तो हो नहीं सकता।
  • तुम सिद्ध कर देंगे।
  • समझ सकते हैं राइट क्या है, रांग क्या है।
  • रांग में कौन ले जाते हैं, राइट में कौन ले जाते हैं - यह तुम अभी समझते हो।
  • यह कोई को थोड़ेही पता है कि रावण राज्य द्वापर से शुरू हुआ है, जो चला आ रहा है।
  • रावण के चित्र पर भी समझाना है।
  • यह कब से शुरू हुआ है।
  • डेट डालनी चाहिए कि यह रावण सबसे पुराना दुश्मन है।
  • इन पर जीत पाने से तुम जगतजीत बन सकते हो।
  • बाप सर्विस की अनेक प्रकार की युक्तियां बताते हैं।
  • डायरेक्शन मिलते रहते हैं।
  • ऐसे-ऐसे पर्चों में लिखकर खूब बांटो और और प्वाइंट्स मिलती रहेंगी तीर लगाने की।
  • आजकल नाटक देखने तो बहुत जाते हैं।
  • पतित बनना यह गंदगी है ना।
  • सब पतित हैं।
  • पावन बन फिर पतित बन पड़ते हैं।
  • बाबा कहते हैं काला मुँह कर दिया।
  • ऐसे तो बहुत होते हैं।
  • बाबा तो समझ जाते हैं कि इनमें क्या ताकत है - माया पर जीत पाने की।
  • बाबा से पूछते हैं शादी करूँ?
  • बाबा तो समझ जाते हैं कि इनकी दिल है।
  • बाबा कहेंगे मालिक हो - चाहे जहनुम में जाओ, चाहे क्षीर सागर में जाओ।
  • मंजिल बहुत बड़ी है।
  • काम विकार कोई कम थोड़ेही है।
  • बहुत मुश्किल है।
  • संन्यासी तो घरबार छोड़ जाते हैं।
  • तुमको गृहस्थ व्यवहार में रहते बाप से योग लगाकर पूरा वर्सा लेना है।
  • बहुत मेहनत करनी पड़े।
  • प्राप्ति भी बहुत है।
  • संन्यासी पवित्र बनते हैं, तो बड़े-बड़े प्रेजीडेंट आदि भी जाकर उनको माथा टेकते हैं।
  • फर्क देखो पतित और पावन का।
  • मेहनत से मनुष्य एम.पी. आदि बन जाते हैं।
  • है सारा पुरूषार्थ पर मदार।
  • कहते हैं ना - पुरूषार्थ बड़ा या प्रालब्ध बड़ी।
  • पुरूषार्थ ही बड़ा कहेंगे।
  • पुरूषार्थ से ही प्रालब्ध बनती है ना।
  • कोई फिर समझते हैं प्रालब्ध में होगा तब तो पुरूषार्थ करेंगे।
  • ड्रामा करायेगा।
  • ऐसे समझकर बैठ जाते हैं।
  • पहली-पहली मुख्य बात है ही बाप का परिचय देना।
  • जास्ती बातों में टाइम वेस्ट नहीं करना है।
  • एक प्वाइंट को समझे तो लिखवाना है कि मैं बरोबर यह बात समझता हूँ।
  • बाप को जानने सिवाए और कुछ समझेगे नहीं।
  • पहली बात ही यह पकड़नी है।
  • नहीं मानते हो तो जाओ, अपना रास्ता लो।
  • तुम कहते हो ना - निराकार बाप सभी का बाप है तो लिखो भगवान एक है, बाकी सब उनकी रचना हैं।
  • अब बताओ गीता का भगवान कौन?
  • कहेंगे वह तो निराकार है, उसने गीता कैसे सुनाई होगी!
  • फिर बताना है प्रजापिता ब्रह्मा से क्या सम्बन्ध है?
  • प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा तो मनुष्य सृष्टि रची जाती है।
  • शूद्र से एडाप्ट कर ब्राह्मण बनाते हैं।
  • यह लिखवाकर फिर एड्रेस लेना चाहिए।
  • फिर 10-15 दिन बाद पत्र लिखना चाहिए।
  • पहले तो बाप का परिचय दे खुशी में लाना चाहिए।
  • लिखो बरोबर बेहद के बाप से वर्सा मिलता है।
  • यह ब्रह्माकुमार कुमारी सुखधाम, शान्तिधाम का रास्ता बताते हैं।
  • लिखवा लेना चाहिए फिर लिखा-पढ़ी करते रहना चाहिए।
  • इतनी मेहनत हो तब सर्विस कही जाए।
  • औरों का कल्याण करने लिए नींद फिट जानी चाहिए।
  • शिवबाबा को भी रडियां मार-मार कर, पुकार-पुकार कर बाबा की नींद फिटा दी ना।
  • तो आ गये।
  • बच्चों को भी मेहनत करनी चाहिए।
  • प्रदर्शनी वा प्रोजेक्टर में भी पहले इस प्वाइंट्स पर समझाना चाहिए।
  • ...अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुड़मार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।


  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) सर्विस के लिए विचार सागर मंथन करना है।

    थकना नहीं है।

    बहुतों के कल्याण की युक्तियां रचनी हैं।

    2) लौकिक के बीच में रहते भी पारलौकिक बाप को याद करना है।

    श्रेष्ठ पुरूषार्थ से अपनी प्रालब्ध ऊंच बनानी है।



  • ( All Blessings of 2021-22)
  • एक बल एक भरोसा रख हलचल की परिस्थिति में एकरस रहने वाले सर्वशक्ति सम्पन्न भव

    एक बल, एक भरोसे में रहने वाली आत्मा सदा एकरस स्थिति में स्थित होगी।

    एकरस स्थिति अर्थात् सदा अचल, हलचल नहीं।

    एक बाप द्वारा सर्वशक्तियां प्राप्त कर सर्व शक्ति सम्पन्न रहने वाली आत्मा कैसी भी हलचल की परिस्थिति में अचल रह सकती है।

    एकरस स्थिति का अर्थ ही है कि एक द्वारा सर्व सम्बन्ध, सर्व प्राप्तियों के रस का अनुभव करना।

    उसे और कोई भी संबंध अपनी ओर आकर्षित नहीं कर सकते।



  • (All Slogans of 2021-22)
    • बेहद सेवा की श्रेष्ठ वृत्ति रखना ही विश्व कल्याणकारी बनना है।