30-08-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन

मीठे बच्चे - तुम्हें अब लाइट हाउस बनना है, तुम्हारी एक आंख में मुक्तिधाम, दूसरी आंख में जीवन मुक्ति-धाम है, तुम सबको रास्ता बताते रहो''

प्रश्नः-

अविनाशी पद का खाता जमा होता रहे, उसकी विधि क्या है?

उत्तर:-

सदा बुद्धि में स्वदर्शन चक्र फिरता रहे।

चलते-फिरते अपना शान्तिधाम और सुखधाम याद रहे तो एक तरफ विकर्म विनाश होंगे दूसरे तरफ अविनाशी पद का खाता भी जमा होता जायेगा।

बाप कहते हैं तुमको लाइट हाउस बनना है एक आंख में शान्तिधाम, दूसरी आंख में सुखधाम रहे।

गीत:- जाग सजनियां जाग...

...full possibilities...

  • ओम् शान्ति।
  • मीठे-मीठे बच्चों ने मीठा-मीठा गीत सुना!
  • अब जो गाने वाले हैं वह तो जरूर कोई फिल्म के होंगे।
  • ज्ञान के बारे में, देवताओं के बारे में वा परमात्मा के बारे में जो कुछ भी गाते हैं वह उल्टा ही गाते हैं।
  • इसको कहा ही जाता है उल्टी दुनिया।
  • अल्लाह बैठ समझाते हैं तुम तो माया की फाँसी पर लटके हुए थे।
  • माया ने सब बच्चों को उल्टा लटका दिया है।
  • बाप आकर बच्चों को सुल्टा बनाते हैं।
  • गीत कितना अच्छा है।
  • यह कौन कहते हैं जाग सजनियां..... और तो कोई कह न सके - सारी दुनिया की सजनियों के लिए, जाग सजनियां अब नवयुग आया।
  • दुनिया में कोई ऐसा मनुष्य नहीं होगा जो यह जानता हो।
  • माया ऐसी है जो कितना भी समझाओ तो भी समझते नहीं हैं।
  • तुम बच्चे जानते हो अब नया युग, नये देवताओं की बादशाही स्थापन हो रही है।
  • यह भी समझते हो कलियुग के बाद जरूर सतयुग आना है।
  • तो इससे सिद्ध होता है कि भगवान को भक्तों के पास आना ही है।
  • भगत चाहते भी हैं भगवान से मिलें।
  • तो समझना चाहिए कि भगवान बरोबर आयेगा।
  • आधाकल्प भगत तड़फते हैं तो कुछ तो देंगे ना।
  • भगत जानते हैं भगवान जीवनमुक्ति देते हैं।
  • वह पतित-पावन ही सबको पावन बनायेंगे।
  • तुम बच्चे जान गये हो सब आत्मायें पावन कब बनती हैं।
  • सतयुग में तुम पावन रहते हो।
  • बाकी सब आत्मायें निर्वाणधाम में रहती हैं।
  • तुम पावन युग में आते हो, निर्वाणधाम को युग नहीं कहेंगे।
  • वह तो इन युगों से पार है।
  • ऐसी-ऐसी बातें तुम बच्चों की बुद्धि में हैं।
  • बरोबर हम परमधाम में रहते हैं।
  • युग यहाँ होते हैं सतयुग त्रेता... यह नाम ही यहाँ के हैं।
  • विनाश भी गाया हुआ है।
  • त्रिमूर्ति भी दिखाते हैं।
  • वो लोग त्रिमूर्ति के नीचे लिखते हैं - सत्य मेव जयते... यह रूहानी गवर्मेन्ट है ना।
  • नान-वायोलेन्स शक्ति सेना भी गाया हुआ है।
  • परन्तु सिर्फ नाम मात्र।
  • तो तुम्हारा भी कोट आफ आर्मस होना चाहिए।
  • तुम ब्रह्मा, विष्णु, शंकर के नीचे लिख सकते हो सत्य मेव जयते।
  • बच्चों की बुद्धि में आना चाहिए कि हम पाण्डव गवर्मेन्ट के बच्चे हैं।
  • प्रजा अपने को बच्चा ही समझती है।
  • तो यह बुद्धि में आना चाहिए कि कैसे कोट आफ आर्मस बनायें।
  • यह है ही ब्लाइन्ड फेथ की दुनिया, जो देखते रहेंगे, सबको भगवान कहते रहेंगे।
  • तो अन्धश्रद्धा हुई ना।
  • कण कण में भगवान कह देते हैं।
  • वास्तव में जो भी मनुष्य मात्र हैं सबका पार्ट अलग-अलग है।
  • आत्मा शरीर धारण कर पार्ट बजाती है।
  • ऐसे थोड़ेही कह देंगे कि सब भगवान ही भगवान हैं।
  • तो क्या भगवान ही लड़ते झगड़ते रहते हैं।
  • यह तो है 100 परसेन्ट अन्धश्रद्धा।
  • नया मकान बनता है तो कहेंगे 100 परसेन्ट नया।
  • पुराने को कहेंगे 100 परसेन्ट पुराना।
  • नया भी भारत था, अब तो पुरानी दुनिया है।
  • कितने अनेक धर्म हैं।
  • रात-दिन का फ़र्क है ना।
  • जरूर सतयुग में सुख ही सुख था, देवतायें राज्य करते थे।
  • अभी तो इस पुरानी दुनिया में दु:ख ही दु:ख है।
  • अभी कितना दु:ख होता है सो तुम आगे चल देखेंगे।
  • गाया हुआ है मिरूआ मौत मलूका... उन्हों ने सिर्फ लिख दिया है - समझते कुछ भी नहीं।
  • मनुष्यों को मारने में किसको तरस थोड़ेही आता है।
  • ऐसे ही कोई कुछ कर दे तो पुलिस केस कर दे।
  • यह देखो कितने बाम्ब्स आदि बनाकर एक दो को मारते रहते हैं, रोज़ लिखते रहते हैं फलाने-फलाने स्थान पर इतने मरे।
  • उन्हों पर केस करें, यह किसकी बुद्धि में भी नहीं है।
  • अभी तुम जानते हो, यह है पुरानी पाप की दुनिया।
  • सतयुग है नई दुनिया।
  • सतयुग त्रेता में कोई किसको दु:ख नहीं देते।
  • नाम ही है स्वर्ग, हेविन, बहिश्त... हिस्ट्री में भी पढ़ते हैं।
  • वहाँ तो अथाह धन था - जो मन्दिरों से भी लूटकर ले गये हैं।
  • तो जिन्होंने मन्दिर बनाये होंगे वह कितने धनवान होंगे।
  • सोने की द्वारिका दिखाते हैं ना।
  • कहते हैं समुद्र के नीचे चली गई।
  • यह तो तुम समझते हो - ड्रामा का चक्र कैसे फिरता है।
  • सतयुग नीचे हो कलियुग ऊपर आ जाता है।
  • यह चक्र फिरता है।
  • चक्र का ज्ञान भी तुमको है।
  • चक्र भी बहुत लोग बनाते हैं।
  • परन्तु आयु का किसको पता नहीं है।
  • रीयल चक्र तो कोई बता न सके।
  • तुम्हारी बुद्धि में सारा चक्र है इसलिए कहा जाता है - स्वदर्शन चक्र फिराते रहो तो तुम्हारे विकर्म विनाश होंगे।
  • यह है ज्ञान की बात।
  • तुम जानते हो हम स्वदर्शन चक्र फिराते रहते हैं, इससे हमारे विकर्म विनाश होते जायेंगे और दूसरे तरफ अविनाशी पद का खाता जमा होता जायेगा।
  • फिर भी कहते हैं कि हम स्वदर्शन चक्र घुमाना भूल जाते हैं।
  • बाप कहते हैं तुमको लाइट हाउस बनना है, लाइट हाउस रास्ता दिखाते हैं ना।
  • तुम्हारी एक आंख में शान्तिधाम और एक आंख में सुखधाम है।
  • दु:खधाम में तो बैठे हो।
  • तुम लाइट हाउस हो ना।
  • तुम्हारा मंत्र ही है मनमनाभव, मध्याजी भव, शान्तिधाम और सुखधाम।
  • औरों को भी रास्ता बताते हो।
  • यह चक्र फिराते रहते हो।
  • चलते-फिरते यही बुद्धि में रहे - शान्तिधाम और सुखधाम।
  • ऐसी अवस्था में बैठे-बैठे किसको साक्षात्कार हो सकता है।
  • कोई सामने आते ही साक्षात्कार कर सकते हैं।
  • हमारा काम ही है यहाँ।
  • वहाँ तो कुछ है नहीं।
  • तो तुम बच्चों को अब यह प्रैक्टिस करनी है, हम रास्ता बताने वाले लाइट हाउस हैं और अभी खड़े हैं दु:खधाम में।
  • यह तो सहज है ना।
  • लाइट हाउस वा स्वदर्शन चक्र बात तो एक ही है।
  • परन्तु इसमें (चक्र में) डिटेल आता है।
  • उसमें सिर्फ दो बातें हैं सुखधाम और शान्तिधाम।
  • अल्फ - मुक्तिधाम।
  • बे - जीवन-मुक्तिधाम।
  • कितना सहज है।
  • जहाँ से हम आत्मायें आती हैं वह है शान्तिधाम।
  • साइंस को जानने वाले या नेचर को मानने वाले इन बातों को नहीं समझेंगे।
  • बाकी देवताओं को मानने वाले समझेंगे।
  • लक्ष्मी-नारायण के मन्दिर में जाना तो बहुत अच्छा है।
  • देखो, यह सुखधाम सतयुग के मालिक थे ना।
  • अभी तो है कलियुग।
  • थे तो वह भी मनुष्य।
  • लक्ष्मी-नारायण का राज्य था ना।
  • कब गीता सुनी है?
  • लक्ष्मी-नारायण के वा राधे कृष्ण के मन्दिर में जो आते हैं, वह गीता भी सुनते होंगे।
  • जिनका कृष्ण में प्यार होगा उनका गीता में भी प्यार होगा।
  • लक्ष्मी-नारायण के मन्दिर में जाने वाले होंगे तो उन्हों को गीता इतनी ख्याल में नहीं आयेगी।
  • लक्ष्मी-नारायण के लिए समझते हैं वह तो वैकुण्ठ में थे।
  • अभी तो नर्क है।
  • बाप आते ही हैं नर्क में, आकर स्वर्ग की स्थापना करते हैं।
  • बाप कहते हैं मुझे याद करो और सुख-धाम-शान्तिधाम को याद करो तो बेड़ा पार हो जायेगा।
  • पहले तो जरूर घर जाना है।
  • अच्छा कोई श्रीकृष्ण को मानने वाला है, बोलो कृष्ण तो सतयुग में था ना।
  • नई दुनिया को याद करो।
  • इस पुरानी दुनिया से नाता तोड़ो।
  • पवित्र भी जरूर बनना है।
  • वहाँ कोई अपवित्र होता नहीं।
  • किसी भी प्रकार की युक्तियां रचनी चाहिए।
  • बच्चे लिखते हैं सर्विस कम है, ठण्डाई है।
  • बाप कहते हैं ठण्डाई बच्चों की है, सेवा तो बहुत हो सकती है।
  • मन्दिर कितने ढेर हैं।
  • बाप कहते हैं मेरे भक्तों को ज्ञान दो।
  • तुम भी भगत थे ना।
  • अब श्रीकृष्णपुरी का मालिक बनते हो।
  • कृष्णपुरी वैकुण्ठ को याद करेंगे, वैकुण्ठ रामराज्य को नहीं कहेंगे।
  • लक्ष्मी-नारायण के राज्य को ही वैकुण्ठ कहेंगे।
  • तुम जब समझायेंगे तो कहेंगे बात तो ठीक है।
  • तुम्हारे इन चित्रों में बड़ा ज्ञान भरा हुआ है।
  • जो ध्यान से इन चित्रों को देखेगा तो झट नमस्कार करेगा।
  • तुमको नहीं करेगा।
  • वास्तव में नमस्कार करना चाहिए तुमको क्योंकि तुम ही ऐसा बनने वाले हो इसलिए ब्राह्मण कुल उत्तम है।
  • तुम मेहनत कर ऐसा देवता बनते हो।
  • पहले हैं ईश्वरीय सन्तान।
  • गायन भी इस समय का है।
  • मनुष्य अक्लमंद होते तो लक्ष्मी-नारायण का बर्थ डे मनाते।
  • उन्हों को पता ही नहीं है, सिर्फ लक्ष्मी से जाकर धन मांगते हैं।
  • अरे उन्हों की जन्मपत्री को तो जानो।
  • वह कब आये थे, उनको यह भी पता नहीं।
  • विष्णु को 4 भुजा दिखाते हैं अर्थात् लक्ष्मी-नारायण का कम्बाइन्ड रूप है।
  • लक्ष्मी-नारायण की पूजा करते हैं परन्तु उनकी जीवन कहानी को तो जानते नहीं।
  • वह कहाँ के मालिक हैं।
  • सूक्ष्मवतन के मालिक तो नहीं हैं, उनको विष्णुपुरी नहीं कहा जायेगा।
  • सूक्ष्मवतन में पुरी है नहीं।
  • लक्ष्मी-नारायण के राज्य को पुरी कहेंगे फिर राम सीता की पुरी, बाकी राधे कृष्ण का कुछ दिखाते नहीं हैं।
  • द्वापर में तो इस्लामी, बौद्धी आदि आते हैं।
  • तो तुम बच्चों को डिटेल में समझाना पड़े।
  • स्वर्ग को भी याद करते हैं।
  • कोई बड़ा आदमी मरता है तो कहेंगे वैकुण्ठ गया।
  • तो जरूर नर्क में था तब तो स्वर्ग में गया।
  • इस समय सब नर्कवासी पतित हैं।
  • नशा कितना रहता है!
  • दिखाते हैं हम करोड़पति हैं।
  • परन्तु हैं तो सब नर्कवासी।
  • नर्कवासी, स्वर्गवासियों को माथा टेकते हैं।
  • तुम बच्चे ही यथार्थ समझा सकते हो।
  • तुम भी जानी-जाननहार के बच्चे हो।
  • तुम्हारी बुद्धि में सारा चक्र डिटेल में फिरता रहता है।
  • घर में जाने से, सम्बन्धियों का मुँह देखने से सब कुछ भूल जाता है, इसलिए कॉलेज के साथ-साथ हॉस्टल रहती है।
  • तुम्हारा यहाँ हॉस्टल भी है।
  • यहाँ तुम पढ़ाई में रहते हो, बुद्धि और गोरखधन्धे में जायेगी नहीं।
  • स्टूडेन्ट के साथ ज्ञान की बातें होती हैं।
  • हॉस्टल में रहने से बहुत फर्क रहता है।
  • बाप के पास तो जल्दी-जल्दी रिफ्रेश होने के लिए आने चाहिए।
  • ऐसे मत समझो दक्षिणा देनी पड़ेगी।
  • ऐसे को हम मूर्ख समझते हैं।
  • बाबा तो दाता है।
  • देने का ख्याल कभी नहीं करना है।
  • यहाँ सर्विसएबुल बच्चों को ही रिफ्रेश होना है।
  • तुम बच्चे आते हो बाबा के पास।
  • ऐसे नहीं, कोई साधू महात्मा के पास आते हो, दक्षिणा देनी है, कभी ऐसे ख्याल नहीं करना।
  • बच्चियां आती हैं उन्हों के पास पैसे हैं क्या?
  • उनको सब कुछ सर्विस स्थान से मिलता है।
  • जिनको अपना भाग्य बनाना होता है वह अपना पुरूषार्थ करते हैं।
  • बाकी तो सब हैं बहाने, नौकरी है, यह है, छुट्टी मिल सकती है।
  • कोई भी कारण बताए छुट्टी ले सकते हैं।
  • यह कोई झूठ थोड़ेही है।
  • इन जैसा सच तो कोई है नहीं।
  • परन्तु बाप का इतना कदर नहीं हैं।
  • कितना भारी खजाना मिलता है।
  • बाबा तो कोई दूर नहीं है।
  • कहाँ भी रहते हो, अपनी उन्नति के लिए रिफ्रेश होने आ जाना है।
  • रिफ्रेश होने से बहुतों का कल्याण कर सकते हो।
  • तुमको तो सर्विस करनी है।
  • यह है बुद्धियोग बल
  • वह है बाहुबल
  • यहाँ हथियार आदि कुछ नहीं हैं।
  • किसी को दु:ख नहीं देना है।
  • सबको सुख का रास्ता दिखाना है।
  • सतयुग और कलियुग में रात-दिन का फर्क है।
  • आधाकल्प लग जाता है रावण राज्य को।
  • तुम बच्चे सुखधाम की स्थापना करने वाले हो।
  • कभी कोई कडुवा शब्द नहीं बोलना चाहिए।
  • सुना न सुना कर देना चाहिए।
  • सुनते हैं तो फिर बोलने भी लग पड़ते हैं।
  • क्रोध का अंश भी बहुत नुकसान कर देता है।
  • किसको क्रोध करना यह भी दु:ख देना है।
  • बाप कहते हैं दु:ख देंगे तो दु:खी होकर मरेंगे, बहुत सजायें खानी पड़ेंगी।
  • ...अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुड़मार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।


  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) बाप का व पढ़ाई का कदर रखना है।

    समय प्रति समय स्वयं को रिफ्रेश करने की युक्तियां निकालनी है।

    बहुतों के कल्याण के निमित्त बनना है।

    2) आपस में ज्ञान की ही बातें करनी हैं।

    क्रोध का अंश भी निकाल देना है।

    कोई कडुवा शब्द बोले तो सुना न सुना कर देना है।



  • ( All Blessings of 2021-22)
  • परवश आत्माओं को रहम के शीतल जल द्वारा वरदान देने वाले वरदानी मूर्त भव

    यदि कोई क्रोध अग्नि में जलता हुआ आपके सामने आये, तो उसे परवश समझ अपने रहम के शीतल जल द्वारा वरदान दो।

    तेल के छींटे नहीं डालो, अगर किसी के प्रति क्रोध की भावना भी रखी तो तेल के छींटें डाले, इसलिए वरदानी मूर्त बन सहनशीलता की शक्ति का वरदान दो।

    जब अभी चैतन्य में यह संस्कार भरेंगे तब जड़ चित्रों द्वारा भी वरदानी मूर्त बनेंगे।



  • (All Slogans of 2021-22)
    • परमात्म मिलन मेले की मौज में रहो तो माया के झमेले समाप्त हो जायेंगे।