29-08-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन

मीठे बच्चे - तुम्हें अपनी दैवी मीठी चलन से बाप का शो करना है, सबको बाप का परिचय दे, वर्से का अधिकारी बनाना है''

प्रश्नः-

जो बच्चे देही-अभिमानी हैं, उनकी निशानियां क्या होंगी?

उत्तर:-

वह बहुत-बहुत मीठे लवली होंगे।

वह श्रीमत पर एक्यूरेट चलेंगे।

वह कभी किसी काम के लिए बहाना नहीं बनायेंगे।

सदा हाँ जी करेंगे। कभी ना नहीं करेंगे।

जबकि देह-अभिमानी समझते यह काम करने से मेरी इज्जत चली जायेगी।

देही-अभिमानी सदा बाप के फरमान पर चलेंगे।

बाप का पूरा रिगार्ड रखेंगे।

कभी क्रोध में आकर बाप की अवज्ञा नहीं करेंगे।

उनका अपनी देह से लगाव नहीं होगा।

शिवबाबा की याद से अपना खाना आबाद करेंगे, बरबाद नहीं होने देंगे।

गीत:- भोलेनाथ से निराला...

...full possibilities...

  • ओम् शान्ति।
  • इतनी सारी बड़ी दुनिया है इसमें भारत खास और यूरोप आम कहें क्योंकि भारत तो प्राचीन ही है।
  • यह तो समझते हैं असुल भारत ही था।
  • सब धर्म वाले यह तो जानते ही हैं कि हम एक दो के पिछाड़ी आये हैं, हमारे आगे भारत ही था।
  • यह तो समझ की बात है ना।
  • तुम बच्चे जानते हो कि बरोबर भारत ही प्राचीन है।
  • उस समय भारत ही बहुत धनवान था तो स्वर्ग कहा जाता था।
  • इस समय तो कोई मनुष्य मात्र बाप को जानते ही नहीं सिवाए तुम बच्चों के।
  • सो भी नम्बरवार पुरूषार्थ अनुसार हैं।
  • तो हर एक खुद समझ सकते हैं कि बेहद के बाप को नहीं जानते।
  • पुकारते हैं, भक्ति करते हैं।
  • परन्तु बाप की बायोग्राफी किसको पता नहीं है।
  • गाया भी जाता है कि फादर शोज़ सन, सन शोज़ फादर।
  • अब तुम बच्चों को ही बाप का शो करना है।
  • फादर तो अपना शो नहीं कर सकता।
  • फादर तो बाहर नहीं जायेगा।
  • तुम बच्चों को ही बाप का परिचय देना है।
  • यह भी समझते हैं कि बेहद का बाप स्वर्ग का रचयिता है।
  • उनको अगर जानते तो आश्चर्य लगता है - हम भगवान के बच्चे दु:ख में, आइरन एज में क्यों?
  • यह प्रश्न भी तुमको पूछना है।
  • पहला प्रश्न पूछना है तुम्हारा परमपिता परमात्मा से क्या सम्बन्ध है?
  • पूछने वाले को तो जरूर मालूम है और कोई भी पूछता नहीं क्योंकि मालूम नहीं है।
  • तुम कोई से भी पूछ सकते हो।
  • यह तो कामन रीति से सब कह देते हैं ईश्वर सर्वव्यापी है।
  • परन्तु सर्वव्यापी का तो कोई अर्थ ही नहीं।
  • दु:ख हर्ता सुख कर्ता कहते हैं ना।
  • दु:ख मिटाने वाला, सुख देने वाला तो एक चाहिए ना।
  • तुम थोड़ा भी टच करेंगे (समझायेंगे) तो समझेंगे बरोबर सतयुग में सुख ही सुख था।
  • अभी तो दु:ख ही दु:ख है।
  • तो जरूर सबके दु:खों को बाप ने मिटाया होगा।
  • यह तो अति सहज बात है।
  • तुम्हारी समझ में आता है हम पारलौकिक मात-पिता के बने हैं।
  • यह ज्ञान की बातें अभी यहाँ चलती हैं, सतयुग में नहीं चलती।
  • वहाँ तो न ज्ञान है, न अज्ञान है।
  • ज्ञान देने वाला वहाँ कोई है नहीं।
  • ज्ञान से तो प्रालब्ध पा ली।
  • तुम अभी ज्ञान से प्रालब्ध पा रहे हो, नम्बरवार पुरूषार्थ अनुसार।
  • देही-अभिमानी बनना बड़ी मेहनत की बात है।
  • शिवबाबा की सर्विस में जो तत्पर रहेंगे वही देही-अभिमानी बन सकते हैं।
  • देह-अभिमान आ जाने से फिर उनसे वह खुशबू निकल जाती है।
  • उनकी चलन से ही सारा मालूम पड़ जाता है कि यह देह-अभिमानी है।
  • देही-अभिमानी बहुत मीठे लवली होते हैं।
  • हम एक बाप के बच्चे ब्रदर्स हैं।
  • आपस में भाई-बहन भी हैं।
  • दोनों ही श्रीमत पर एक्यूरेट चलने वाले हैं।
  • ऐसे नहीं कि एक श्रीमत पर चले दूसरा बहाना बनाकर बैठ जाये।
  • श्रीमत पर न चलने वाले को बाप कभी अपना बच्चा कह नहीं सकते।
  • बाहर से भल बच्चे-बच्चे कहते हैं - परन्तु अन्दर में समझते हैं कि यह नाफरमानबरदार हैं, यह क्या पद पायेंगे।
  • बापदादा दोनों समझ सकते हैं।
  • श्रीमत पर अमल नहीं करते हैं।
  • देह-अभिमान के कारण श्रीमत पर चलते नहीं हैं।
  • देही-अभिमानी बड़े मीठे होंगे।
  • यह आसुरी दुनिया कितनी कड़ुवी है।
  • मात-पिता, भाई-बहन सब कड़ुवे।
  • यहाँ भी जो देह-अभिमानी हैं, वह कड़ुवे हैं।
  • अभी तो तुम देही-अभिमानी बन रहे हो।
  • कोई तो सिर्फ तमोप्रधान से तमो तक आये हैं सिर्फ प्रधानता निकली है।
  • कोई रजो तक पहुँचे हैं।
  • सतो में तो कोई-कोई आये हैं।
  • ऐसे नहीं कि धीरे-धीरे आते जायेंगे।
  • कब तक धीरे-धीरे चलते रहेंगे।
  • देही-अभिमानी को कभीं देह का अभिमान नहीं रहेगा कि यह काम मैं क्यों करूँ, इसमें मेरी इज्जत जायेगी।
  • तुम पाकिस्तान में थे तो बाबा भी बच्चों को सिखाने के लिए सब काम करते थे कि देह-अभिमान न रहे।
  • देह-अभिमानी बनने से सत्यानाश हो जाती है।
  • बाहर में जो प्रजा बनने वाले हैं, उनसे भी गिर पड़ेंगे।
  • प्रजा में जो साहूकार बनेंगे उनको भी नौकर चाकर मिलेंगे।
  • यह तो और ही जाकर नौकर चाकर बनते हैं।
  • इनसे तो वह साहूकार अच्छे ठहरे ना।
  • बुद्धि से काम लिया जाता है।
  • तो समझ में आता है जो बच्चे नहीं बनते हैं सिर्फ मददगार बनते हैं तो भी अच्छे धनवान बन जाते हैं।
  • उन्हों को नौकरी करने की दरकार नहीं रहती।
  • यहाँ तो नौकरी करनी पड़ती है।
  • पिछाड़ी को करके राज्य-भाग्य (ताज) मिलेगा।
  • सजा तो खानी पड़ती है दोनों को!
  • इन सभी बातों को ज्ञानी तू आत्मा समझ सकते हैं।
  • अज्ञानी देह-अभिमानी हैं। उनकी चाल ही ऐसी है।
  • समझा जाता है कि यह कोई काम का नहीं।
  • यहाँ तो बच्चों को श्रीमत पर चलना पड़े।
  • नहीं तो माया बड़ा धोखा देने वाली है।
  • झट देह-अभिमान आ जाता है।
  • देह-अभिमान को मिटाए देही-अभिमानी बनने में ही मेहनत है।
  • यहाँ रहने वालों को तो फिर ब्राह्मणों का संग है।
  • बाहर तो दुनिया बहुत खराब है।
  • ज्ञान में संग ऐसा होना चाहिए फर्स्टक्लास जो उससे पूरा रंग लगे।
  • देह-अभिमानी का संग मिलने से एकदम मिट्टी पलीत हो जाती है।
  • फिर फरमान पर भी नहीं चलते हैं।
  • बाबा कहते हैं अगर हमसे आकर पूछो तो झट बतायेंगे तुम फरमानबरदार हो वा नहीं।
  • नम्बरवार पुरूषार्थ अनुसार बहुत अच्छे-अच्छे हैं जो दिल को खुश करते रहते हैं।
  • दुनिया में तो बड़ा दु:ख मारामारी है।
  • खून-खराबी बहुत है, इनको कांटों का जंगल कहते हैं।
  • तुमने इनसे किनारा कर लिया है।
  • अभी तुम संगम पर हो।
  • बुद्धि में है हम गृहस्थ व्यवहार में रहते संगम पर खड़े हैं।
  • अभी हम कांटों से फूल बनते जा रहे हैं।
  • कांटों से पल्लव निकलता जा रहा है।
  • दुनिया में रिलीजस सिर्फ तुम ही हो, वह भी नम्बरवार पुरूषार्थ अनुसार।
  • जो बाप को ही नहीं जानते वह हुए इरिलीजस।
  • कहते भी हैं धर्मी और अधर्मी। पाण्डव और कौरव।
  • पाण्डवों की स्थूल युद्ध कोई है नहीं।
  • तुम्हारी है माया के साथ गुप्त युद्ध, अगर तुम बाप को याद नहीं करेंगे तो माया का थप्पड़ लग जायेगा, तूफान आयेगा।
  • बाप कहते हैं अभी तुम्हारा मुख है उस तरफ और पैर हैं इस तरफ।
  • हमेशा याद करते रहना चाहिए नई दुनिया को।
  • गृहस्थ व्यवहार में तो रहना है।
  • बाप कहते हैं निर्बन्धन हो रहने वालों से गृहस्थ व्यवहार में रहने वालों की अवस्था अच्छी है।
  • सब तो एक जैसे नहीं हो सकते।
  • नम्बरवार हैं।
  • स्कूल में कोई एक जैसा नम्बर थोड़ेही लेते हैं।
  • यह भी बेहद का स्कूल है।
  • बाप सब सेन्टर वाले बच्चों का ख्याल रखते हैं, इनको कहेंगे विशालबुद्धि।
  • विशालबुद्धि तब बनेंगे जब बाप को याद करेंगे।
  • तुम बच्चों की अब विशालबुद्धि बनी है।
  • तुम मूलवतन, सूक्ष्मवतन, स्थूलवतन और यह सारा चक्र कैसे फिरता है - इसे जानते हो, इसको विशालबुद्धि वा बेहद की बुद्धि कहा जाता है।
  • मनुष्यों की है हद की।
  • तुम्हारी बनती है बेहद की बुद्धि।
  • तो बच्चों को बहुत मीठा बनना पड़े।
  • जितना मीठा बनेंगे, सम्पूर्ण बनेंगे उतना वह भविष्य में अविनाशी बन जायेगा।
  • देखना चाहिए कि हमारे में देह-अभिमान तो नहीं है?
  • अगर कोई काम में ना करते हैं तो समझा जाता है इनमें देह-अभिमान है।
  • सतयुग में सब देही-अभिमानी होते हैं।
  • जानते हैं एक पुराना शरीर छोड़ नया शरीर लेना है।
  • यहाँ तो कितना रोते हैं।
  • देह-अभिमान है ना।
  • देह पर बहुत प्यार है।
  • तुम बच्चों के लिए यह दुनिया जैसे है ही नहीं।
  • अशरीरी आये थे, अशरीरी बन जाना है।
  • बेहद का बाप बच्चों को पढ़ाते हैं, उनका कितना रिगार्ड रखना चाहिए।
  • बन्दर किसका रिगार्ड नहीं रखता।
  • हाथी को भी गुर्र-गुर्र करेगा।
  • तो जो अन्दर के कड़ुवे रहते हैं उनको बाप सपूत थोड़ेही कहेंगे।
  • कहेंगे इससे तो बाहर रहने वाले अच्छे हैं।
  • रिगार्ड तो रहता है।
  • यह भी ड्रामा ही कहेंगे।
  • आज अच्छा चल रहा है, कल माया का तूफान लग जाता है।
  • समझते नहीं कि हम कोई तूफान में हैं।
  • बड़े-बड़े को भी तूफान तो लगते हैं ना।
  • फिर भी ड्रामा कहा जाता।
  • हम शिवबाबा से वर्सा लेते हैं, यह भूलने से खाना बरबाद हो जायेगा।
  • खाना आबाद होगा शिवबाबा के भण्डारे से।
  • इनको भूला तो झोली खाली हो जायेगी।
  • प्रजा में भी साधारण पद पायेंगे।
  • सजा तो बहुत खायेंगे।
  • खुद छोड़ने से फिर औरों को भी संशयबुद्धि बनाते हैं।
  • बाबा को तो तरस पड़ता है।
  • परन्तु माया का वार सहन नहीं कर सकते हैं।
  • उस्ताद सिखलाते तो बहुत हैं।
  • अचल-अडोल रहना है।
  • नहीं रहते हैं तो बाबा समझते हैं अजुन सिल्वर एज तक भी नहीं पहुँचे हैं।
  • वन्डर लगता है।
  • ज्ञान पूरा न होने कारण, शिवबाबा से योग न होने कारण गिर पड़ते हैं।
  • तूफान तो क्या-क्या लगते हैं।
  • चढ़ना और गिरना - यह तो होता ही है।
  • गिर गया तो फिर उठ खड़ा होना चाहिए ना।
  • हमारा काम शिवबाबा से है।
  • कुछ भी है हमको वर्सा शिवबाबा से लेना है।
  • मम्मा बाबा भी उनसे ही लेते हैं, उनको ही याद करना है।
  • उनकी मुरली सुननी है।
  • नहीं तो कहाँ जायेंगे।
  • हट्टी तो एक ही है ना।
  • यहाँ आये बिगर मुक्ति-जीवनमुक्ति मिल न सके।
  • बाप के सामने तो आना है ना।
  • हाँ, कोई बांधेली है, बाबा की याद में मर पड़ती है तो वह भी अच्छा पद पा लेती है।
  • यहाँ जो देह-अभिमान में आकर अवज्ञा कर लेते हैं, उससे उसका पद अच्छा क्योंकि बाबा की याद में मरी ना।
  • अच्छा सौभाग्य है ना।
  • इस ज्ञान मार्ग में कोई और तकलीफ नहीं है।
  • बड़ा सहज है।
  • यहाँ देही-अभिमानी बहुत बनना है।
  • बहुत देह-अभिमान में रहते हैं।
  • बाबा तो और कुछ कहते नहीं सिर्फ दिल से अन्दर तरस पड़ता है।
  • शिवबाबा के भण्डारे से शरीर निर्वाह करते हैं।
  • यज्ञ की सम्भाल कुछ नहीं करते हैं तो पद क्या पायेंगे?
  • इस यज्ञ की तो बहुत सम्भाल करनी है।
  • जहाँ भी सेन्टर्स स्थापन होते हैं, वह शिवबाबा का ही यज्ञ है।
  • इस यज्ञ रचने के लिए सिर्फ 3 पैर पृथ्वी चाहिए। बस।
  • कोई बूढ़े हैं, खुद समझा नहीं सकते हैं।
  • अच्छा फिर कोई बहनें वा भाई को बुलाओ।
  • एक छोटा कमरा बना दो और बोर्ड लगा दो।
  • बड़ा पुण्य का काम है।
  • अभी कलियुग है, विनाश सामने खड़ा है।
  • बाप से जरूर स्वर्ग का वर्सा लेना है।
  • स्वर्ग का वर्सा मिलता ही है संगम पर, जबकि पुरानी दुनिया खत्म होती है, नई दुनिया स्थापन होती है।
  • संगम पर वर्सा मिलता है जो फिर भविष्य के लिए अविनाशी हो जाता है।
  • तुम बहुत समझा सकते हो।
  • सिर्फ 3 पैर पृथ्वी चाहिए। बस।
  • एक दो को उठाया तो भी अहो सौभाग्य।
  • तुम एक ही मंत्र देते हो - मन्मनाभव।
  • सिर्फ कहते हो बाप को याद करो तो अन्त मती सो गति हो जायेगी।
  • बाप स्वर्ग का खजाना देते हैं। सुना, बस बुद्धि में बैठा।
  • स्वर्ग में आने लायक बन गया।
  • जगह देने वाले को हक मिल जाता है।
  • बाबा इतना सहज करके बताते हैं।
  • कोई को सुखधाम का रास्ता बताओ।
  • प्रजा बनी वह भी अच्छा।
  • नम्बरवार बनते जायेंगे।
  • 3 पैर पृथ्वी का मशहूर है, इससे तुम विश्व के मालिक बनते हो।
  • प्रजा भी कहेगी ना - हम विश्व के मालिक हैं।
  • यह (मकान) भी 3 पैर पृथ्वी है ना!
  • शुरू भी 3 पैर पृथ्वी से हुआ।
  • एक कोठी थी फिर धीरे-धीरे बड़ा बनता गया।
  • ऐसे बहुत आयेंगे जिनको बाबा कहेंगे तुम ऐसे पैसे क्या करेंगे?
  • तुमको बहुत अच्छी राय देते हैं कि 3 पैर पृथ्वी की ले लो।
  • 10-15 हॉस्पिटल, कॉलेज खोलो।
  • अपने गांव में मकान किराये पर ले लो।
  • यह तो सब खत्म हो ही जायेगा।
  • इससे तो इस खर्चे में 10-15 सेन्टर खोलो तो बहुतों का कल्याण हो जायेगा।
  • तुम बहुत धनवान हो जायेंगे।
  • तुम छोटी सी जगह में यह कॉलेज खोल सकते हो।
  • तुमको सिर्फ रास्ता बताना है, अन्धों की लाठी बनना है।
  • जगाना पड़ता है।
  • बाप और वर्से को याद करो तो बस तुम्हारा बेड़ा पार है।
  • और कोई खर्चे आदि की बात ही नहीं।
  • बेहद के बाप से बेहद का वर्सा लेंगे।
  • समझाना बड़ा सहज है।
  • ...अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुड़मार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।


  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) फर्स्टक्लास ज्ञानी तू आत्माओं का संग करना है।

    देही-अभिमानी बनना है।

    देह-अभिमानियों के संग से दूर रहना है।

    2) यज्ञ की बहुत प्यार से, सच्चे दिल से सम्भाल करनी है।

    बहुत लवली मीठा बनना है।

    सपूत बनकर दिखाना है।

    कोई भी अवज्ञा नहीं करनी है।



  • ( All Blessings of 2021-22)
  • ज्ञान, गुण और शक्तियों से सम्पन्न बन दान करने वाले महादानी भव

    सारे दिन में जो भी आत्मा सम्बन्ध-सम्पर्क में आये उसे महादानी बन कोई न कोई शक्ति का, ज्ञान का, गुणों का दान दो।

    दान शब्द का रूहानी अर्थ है सहयोग देना।

    आपके पास ज्ञान का खजाना भी है तो शक्तियों और गुणों का खजाना भी है।

    तीनों में सम्पन्न बनो, एक में नहीं।

    कैसी भी आत्मा हो, गाली देने वाली, निंदा करने वाली भी हो - उसे भी अपनी वृत्ति वा स्थिति द्वारा गुण दान दो।



  • (All Slogans of 2021-22)
    • जो एक बाप से प्रभावित हैं उन पर किसी आत्मा का प्रभाव पड़ नहीं सकता।