24-08-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन

"मीठे बच्चे - जब तक जीना है पवित्रता का व्रत पक्का रखना है क्योंकि यह अन्तिम जन्म है, पवित्र बनकर पवित्र दुनिया में जाना है''

 

प्रश्नः-

बाप का प्यार वा अधिकार किन बच्चों पर रहता है?

उत्तर:-

जो अच्छी रीति पढ़ते और पढ़ाते हैं, सबूत देते हैं।

उन पर बाप का सबसे अधिक प्यार रहता है।

जो अच्छी रीति पढ़ने वाले हैं वही माला में पिरोयेंगे।

प्रश्नः-

भविष्य देव पद प्राप्त करने के लिए अपनी कौन सी जांच करनी है?

उत्तर:-

जांच करो दैवी गुण धारण करने में कौन-कौन से विघ्न आते हैं, उन विघ्नों को युक्ति से उड़ाना है।

अपने को देखना है हम पावन कहाँ तक बने हैं!

कोई भी कांटा रूकावट तो नहीं डालता!

गीत:- छोड़ भी दे आकाश सिंहासन...

...full possibilities...

  • ओम् शान्ति।
  • भक्त भगवान को अर्थात् बाप को बुलाते हैं, क्यों बुलाते हैं?
  • क्योंकि दु:खी हैं।
  • यह भी तुम समझते हो कि दु:ख के बाद सुख आना है जरूर।
  • सुख था, अभी नहीं है फिर बुलाते हैं कि आकर सहज राजयोग सिखाओ।
  • सिखलाने वाला जरूर बाप चाहिए।
  • बाप समझाते हैं जैसे तुम आत्मा गर्भ में आकर शरीर लेती हो ऐसे मैं नहीं लेता हूँ।
  • मुझे तो पतितों को पावन बनाना है, इसलिए मुझे बड़ा शरीर चाहिए।
  • मुझे आना ही है पावन बनाने।
  • माया रावण ने तुमको पतित बनाया है, इसलिए अब यह 5 विकार दान में दे दो तो ग्रहण छूट जाये।
  • पहला मुख्य है देह-अभिमान।
  • अपने को अब देही-अभिमानी समझो।
  • मैं इस देह में रहने वाली आत्माओं से बात करता हूँ, उन्हों को ज्ञान देता हूँ।
  • 5 हजार वर्ष पहले भी यह ज्ञान सुनाया था।
  • राजयोग सिखलाया था।
  • कल्प-कल्प सिखलाता हूँ।
  • आने से ही हमारा पतितों को पावन बनाने का धन्धा ठहरा।
  • बाप का पार्ट है, आकर बच्चों को पावन बनाना।
  • तुम जानते हो हम सो देवता पावन थे फिर पावन बनना है।
  • दैवीगुण धारण करने हैं।
  • भविष्य में तुम सूर्यवंशी, चन्द्रवंशी प्रिन्स प्रिन्सेज बनने वाले हो।
  • यह नॉलेज है ही भविष्य प्रिन्स प्रिन्सेज बनने की।
  • तो जब दैवी-गुण धारण करेंगे तब प्रिन्स प्रिन्सेज बनेंगे।
  • अपने को देखना है, मैं धारणा करता हूँ?
  • क्या-क्या विघ्न आते हैं?
  • युक्ति से उन विघ्नों को उड़ाना है।
  • बाप की याद से ही कर्मातीत अवस्था को पाना है।
  • कांटा जो आवे उनको हटाते आगे-आगे जाना है।
  • देह-अभिमान छोड़ देही-अभिमानी बन बाप को याद करना है।
  • जितना याद करेंगे उतना रास्ता साफ होता जायेगा।
  • गृहस्थ व्यवहार में रहते कमल फूल समान बनना है।
  • विकार में कभी नहीं जाना है।
  • मूल बात है ही विकार की।
  • विकार में जाना बंद करना है।
  • भल कितने भी विघ्न आयें परन्तु पवित्र जरूर बनना है।
  • जास्ती विघ्न स्त्रियों पर आते हैं।
  • वह चाहती हैं हम पवित्र रहें।
  • कृष्णपुरी में जाने चाहती हैं।
  • श्रीकृष्ण जयन्ती पर बहुत प्रेम से श्रीकृष्ण को झुलाती हैं।
  • पूजा करती हैं, व्रत आदि रखती हैं।
  • वह तो है सिर्फ 7 दिन का व्रत नेम।
  • बाप कहते हैं कि अभी तुम यह व्रत रखो कि विकार में कभी नहीं जायेंगे।
  • जब तक जीना है तब तक पवित्रता का व्रत रखना है।
  • तुम जानते हो इस पुरानी दुनिया में अब यह हमारा अन्तिम जन्म है।
  • न सिर्फ हमारा बल्कि सारी दुनिया का अन्तिम जन्म है।
  • तुम तो समझते हो कि अब हम पवित्र बन पवित्र दुनिया में जाते हैं।
  • दूसरा जन्म हमारा पवित्र दुनिया में होगा।
  • वह हठयोगी संन्यासी कोई इस विचार से पवित्र नहीं बनते हैं कि यह हमारा अन्तिम जन्म है।
  • यहाँ तो मेहनत है।
  • साथ में रहते हुए भी कभी विकार में नहीं जाना है।
  • दोनों को व्रत लेना है।
  • अबलाओं पर कितने अत्याचार होते हैं।
  • वही पुकारती हैं।
  • पुरूष कभी पुकारते नहीं हैं कि प्रभू लाज रखना।
  • नंगन होने से बचाओ, यह माताओं की पुकार है।
  • मातायें बाप को पुकारती हैं हे बाबा मुझे नंगन होने से बचाओ।
  • यह वही गीता भागवत वाली बातें हैं, सिर्फ नाम भूल से श्रीकृष्ण का लगा दिया है।
  • श्रीकृष्ण तो पतित-पावन है नहीं।
  • पतित-पावन तो एक ही बाप है।
  • तुम समझते हो कि पवित्र बनने के लिए मारें भी खानी पड़ती हैं।
  • कल्प पहले भी ऐसे हुआ था।
  • अब फिर से हो रहा है।
  • एक द्रोपदी नहीं, तुम कितनी द्रोपदियां हो।
  • अनेक पतितों को पावन बनाना है।
  • तुम मातायें निमित्त बनी हो - पवित्र बनकर, पवित्र बनाने।
  • तुमको तो और ही जास्ती पढ़ाई पर ध्यान देना है।
  • अपनी हमजिन्स को उठाना है।
  • संन्यासियों का है निवृत्ति मार्ग।
  • यह है प्रवृत्ति मार्ग।
  • गृहस्थ व्यवहार में रह पवित्र बनना है, पढ़ना और पढ़ाना है, जिससे ऊंच पद हो जाए।
  • पढ़ाई है बहुत सहज।
  • समझाना है भारत जो हीरे जैसा था, लक्ष्मी-नारायण का राज्य था, अभी इतना गिरा क्यों है।
  • हम आपको बेहद की हिस्ट्री-जॉग्राफी बतावें।
  • फिर स्वर्ग कैसे होगा, मनुष्यों के तो ख्याल में भी नहीं है।
  • यह किसको पता नहीं कि लक्ष्मी-नारायण जो पूज्य थे वही पुजारी बने हैं।
  • आपेही पूज्य... यह परमात्मा के लिए नहीं है।
  • यह किसको पता नहीं कि जो पूज्य थे वही पुजारी तमोप्रधान बने हैं।
  • पूज्य थे, जरूर पुनर्जन्म लिया होगा।
  • बाप बैठ समझाते हैं सतयुग में जो आते हैं उनको पुनर्जन्म लेना है।
  • हम सूर्यवंशी फिर चन्द्रवंशी बनें, अब ब्राह्मण वंशी बनते हैं, फिर देवता वंशी बनेंगे।
  • जैसे इनको बाप ने एडाप्ट कर ब्रह्मा बनाया है।
  • कोई पूछे तुम कैसे बने?
  • बोलो, ब्रह्मा के मुख से परमपिता परमात्मा ने हमको अपना बनाया है।
  • बाप ही पतितों को पावन बनाते हैं।
  • अभी हम प्रतिज्ञा करते हैं पवित्रता की।
  • बाप को याद करने से ही हम पावन बनते हैं।
  • बाप कृपा करेंगे?
  • कृपा तो की है ना।
  • परमधाम से पतित दुनिया में, पतित शरीर में आये हैं।
  • बाप कहते हैं अब मैं आया हूँ जो सिखलाता हूँ वह सीखो, मुझे याद करो तो तुम्हें ताकत मिलेगी।
  • विकर्म विनाश होंगे, इसमें आशीर्वाद की तो बात ही नहीं।
  • टीचर को कहेंगे क्या कि आप कृपा करो तो हम 100 मार्क्स से पास हो जायें!
  • यह भी बेहद का टीचर है - पढ़ाते हैं।
  • कोई को नॉलेज धारण नहीं होती है तो क्या करेंगे!
  • टीचर सब पर कृपा करे तो सब पास हो जाएं, फिर तो राजधानी कैसे बनेगी।
  • तुम बच्चों को तो पुरूषार्थ करना है।
  • फालो करो माँ बाप को।
  • बाप को याद करो और कोई उपाय है नहीं।
  • नहीं तो बाप को पुकारते क्यों हो।
  • साधू सन्त आदि सब कहते हैं हमको दु:खों से आकर छुड़ाओ।
  • भारी संकट आने हैं, जब विनाश शुरू हो जायेगा फिर समझेंगे जरूर कहीं भगवान गुप्त वेश में है।
  • श्रीकृष्ण अगर होता तो सारी दुनिया में ढिंढोरा पिट जाता।
  • श्रीकृष्ण तो आ न सके।
  • यह तो बाप को आना पड़ता है।
  • अन्त तक बाप को ज्ञान सुनाना है।
  • आते ही गुप्त रूप में हैं।
  • श्रीकृष्ण तो हो न सके।
  • निराकार बाप सभी का एक है।
  • वह आये हैं पतितों को पावन बनाकर वर्सा देने।
  • तुम्हारा भी फ़र्ज है - सबको बतलाना।
  • पूछना है परमपिता परमात्मा से तुम्हारा क्या सम्बन्ध है!
  • बाप को कितने ढेर बच्चे हैं।
  • परमपिता परमात्मा का डायरेक्शन है कि एक तो मुझे याद करो और अच्छी रीति पढ़ो।
  • बाबा को अच्छी रीति याद कर ऊंच वर्सा पाना है।
  • बेहद की हिस्ट्री-जॉग्राफी तुमको समझाते रहते हैं।
  • चित्रों पर भी तुम समझा सकते हो।
  • भारत सतयुग में सिरताज था।
  • सूर्यवंशी देवी देवतायें राज्य करते थे फिर चन्द्रवंशी राज्य हुआ, कला गिरती गई।
  • यह भी तो देखना पड़े ना।
  • पढ़ेंगे अच्छी रीति तो सीखेंगे भी।
  • पढ़ेंगे नहीं तो नापास हो जायेंगे।
  • सावधानी कौन दे।
  • आजकल माया असावधान करने वाली बहुत है।
  • यहाँ झूठ छिप नहीं सकता।
  • कोई विकर्म करेंगे तो वह जमा होता जायेगा।
  • पाप अथवा पुण्य जमा तो जरूर होता है।
  • उस अनुसार ही दूसरा जन्म मिलता है।
  • कोई भी पाप करेंगे तो जन्म भी ऐसे ही मिलेगा इसलिए बाप कहते हैं कोई पाप करते हो तो झट बतलाओ।
  • ऐसे नहीं कि ईश्वर तो सब जानते हैं।
  • बाप को बतलाना पड़े।
  • इस जन्म में जो पाप कर्म किये हैं वह आत्मा जानती है।
  • सब कुछ याद रहता है कि हमने क्या-क्या काम किये हैं।
  • बापदादा को बतलाओ कि हमने क्या-क्या किया।
  • मुख्य बात है विकार की।
  • चोरी करना, ठगी करना वह तो छोटी-छोटी बातें हैं।
  • मुख्य है विकार की बात, काम महाशत्रु है।
  • विकार में जाने वाले को ही पतित कहा जाता है।
  • इन विकारों पर पहले जीत पानी है।
  • तुम्हारा दुश्मन ही रावण है जो पतित बनाते हैं।
  • अब पावन बनने के लिए बाप को याद करो।
  • बाप का बनकर और फिर विकार में गिरे तो चोट बहुत लगेगी।
  • पहले तो देह-अभिमान छोड़ना है फिर काम महाशत्रु है।
  • सारी युद्ध है इस पर।
  • तो यह सब बातें समझकर फिर औरों को समझानी है।
  • बाबा पूछेंगे तुमने कितनों को सच्ची गीता वा सत्य नारायण की कथा, अमरकथा सुनाई!
  • पाप आत्मायें तो ढेर की ढेर हैं।
  • तो यह भी पोतामेल बताओ तब समझें तुम ब्राह्मण बने हो।
  • कितने को आपसमान बनाया है!
  • यह है सहज राजयोग की बातें।
  • बाप का परिचय देना है।
  • दुनिया में यह तो कोई जानते नहीं हैं।
  • बाप के पास बहुतों के सर्टीफिकेट भी आते हैं।
  • लिखते हैं फलाने ने ऐसा समझाया, वही गुरू निमित्त बना स्वर्ग का मालिक बनाने।
  • बी.के. सबूत देते हैं।
  • परन्तु जो बनते हैं, वह किसको समझाते हैं?
  • किसको ले आते हैं?
  • ले तो आना है ना!
  • जिनको निश्चय होगा फट से कहेंगे, पहले बाप की गोद तो ले लेवें।
  • क्रिश्चियन में बच्चा पैदा होता है तो क्रिश्चिनाइज़ कराते हैं।
  • हम भी तो ईश्वर की गोद का बच्चा बनें।
  • सदगुरू की गोद तो लें।
  • गोद ली, बाप से मिले तो यह हमारा वर्सा हो गया।
  • ऐसे मस्त कोई मुश्किल निकलते हैं।
  • समझाना तो है ना।
  • आगे चल अच्छी रीति समझेंगे।
  • तुम्हारे में यह ताकत भरेगी।
  • फिर बाप से मिलने बिगर ठहर नहीं सकेंगे। एकदम भागेंगे।
  • यह माँ बाप भी है, टीचर भी है, फिर गुरू भी है।
  • माँ बाप की गोद तो ले लो।
  • गुरू के पास जाते हैं परन्तु वह तो कोई स्वर्ग की बादशाही देते नहीं।
  • बादशाही बाप से ही मिलती है।
  • बाप ही टीचर गुरू भी है तो क्यों नहीं तीनों से वर्सा लेवें।
  • यह वन्डर है ना!
  • श्रीकृष्ण के लिए थोड़ेही कहेंगे वह बाप टीचर गुरू था।
  • वह तो छोटा प्रिन्स है।
  • यहाँ तुम बच्चों की बुद्धि में है कि यह बाप भी है, शिक्षक भी है और गुरू भी है।
  • इनका कोई बाप, शिक्षक, गुरू नहीं है।
  • श्रीकृष्ण के तो माँ बाप थे ना।
  • पतित-पावन है एक बाप, जिसको माँ बाप हैं वह पतित-पावन हो न सकें।
  • उनको भगवान नहीं कह सकते।
  • भगवान का कोई माँ बाप नहीं।
  • गॉड फादर का कोई फादर हो नहीं सकता।
  • गॉड फादर को ही पतित-पावन, लिबरेटर कहा जाता है।
  • उन्हें लिबरेट करने वाला कोई नहीं है।
  • यह बाप का ही काम है।
  • मनुष्य को भगवान कह नहीं सकते।
  • ब्रह्मा-विष्णु-शंकर को भी रचने वाला वह बाप रचयिता है।
  • ऊंच ते ऊंच भगवान गाया जाता है।
  • वह हम सबका बाप है।
  • श्रीकृष्ण को सभी का बाप थोड़ेही कहेंगे।
  • हम एक निराकार बाप के सब बच्चे हैं।
  • वही नई दुनिया का रचयिता है।
  • नई दुनिया को सुखधाम कहा जाता है।
  • फिर नई से पुरानी दुनिया बनती है।
  • रावण राज्य है ना।
  • रावण को जलाते भी हैं, परन्तु समझते कुछ भी नहीं हैं।
  • त्योहार जो भी मनाते हैं, उसका अर्थ भी समझते नहीं हैं।
  • बाप समझाते हैं तुम्हारा यह बहुत जन्मों के अन्त का अन्तिम जन्म है।
  • रावण का भी अभी अन्त है फिर सतयुग में थोड़ेही बनायेंगे।
  • यह दुश्मन किस प्रकार का है जिसको जलाते ही रहते हैं।
  • इनका जन्म कब हुआ?
  • किसको पता नहीं।
  • शिव जयन्ती मनाते हैं तो रावण जयन्ती भी मनावें ना!
  • समझते कुछ भी नहीं।
  • तुमको समझाया जाता है - यह है डिटेल की बातें।
  • यह भी बुद्धि में धारण करनी पड़े।
  • क्लास में ही नहीं आयेंगे तो क्या पढ़ेंगे।
  • पढ़ेंगे, पढ़ायेंगे नहीं तो क्या पद पायेंगे।
  • बच्चा वही अच्छा जो पढ़कर पढ़ाये।
  • सबूत दे।
  • बच्चे तो सब हैं।
  • समझना चाहिए हम बहुत सर्विस करेंगे, बहुतों को आप समान बनायेंगे तो बाबा का अच्छा प्यार रहेगा।
  • बाप तो पुचकार देते रहते हैं।
  • बच्चे अच्छी रीति पढ़ो।
  • तोता भी एक पढ़ने वाला होता है, जिसे कण्ठी होती है।
  • यहाँ भी ऐसे हैं जो अच्छी रीति पढ़ेंगे वही कण्ठी (माला) में पिरोयेंगे।
  • पढ़ते ही नहीं तो जैसे जंगली हैं।
  • वह विजय माला में आ न सके।
  • तुम बच्चों को तो अच्छी रीति पढ़ना और पढ़ाना है।
  • यह है सच्ची कथा, जो सच्चा बाप ही सुनाते हैं।
  • सचखण्ड की स्थापना करते हैं।
  • लक्ष्मी-नारायण के राज्य में झूठ कभी बोलते नहीं।
  • ...अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।


  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) गृहस्थ व्यवहार में रहते हुए कमल फूल समान रहना है।

    जब तक जीना है पवित्रता का व्रत जरूर रखना है।

    2) कृपा मांगने के बजाए मात-पिता को फालो करना है।

    पढ़ाई ध्यान से पढ़नी और पढ़ानी है।



  • ( All Blessings of 2021-22)
  • कर्म और योग के बैलेन्स द्वारा सर्व की ब्लैसिंग प्राप्त करने वाले सहज सफलतामूर्त भव

    कर्म में योग और योग में कर्म - ऐसा कर्मयोगी अर्थात् श्रेष्ठ स्मृति, श्रेष्ठ स्थिति और श्रेष्ठ वायुमण्डल बनाने वाला सर्व की दुआओं का अधिकारी बन जाता है।

    कर्म और योग के बैलेन्स से हर कर्म में बाप द्वारा ब्लैसिंग तो मिलती ही है लेकिन जिसके भी संबंध-सम्पर्क में आते हैं उनसे भी दुआयें मिलती हैं, सब उसे अच्छा मानते हैं, यह अच्छा मानना ही दुआयें हैं।

    तो जहाँ दुआयें हैं वहाँ सहयोग है और यह दुआयें व सहयोग ही सफलता-मूर्त बना देता है।



  • (All Slogans of 2021-22)
    • सदा खुश रहना और खुशियों का खजाना बांटते रहना यही सच्ची सेवा है।