18-08-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन


"मीठे बच्चे - तुम हो रूहानी सर्जन और प्रोफेसर, तुम्हें हॉस्पिटल कम युनिवर्सिटी खोल अनेकों का कल्याण करना है''

प्रश्नः-

बाप भी धर्म स्थापन करते और अन्य धर्म स्थापक भी धर्म स्थापन करते, दोनों में अन्तर क्या है?

उत्तर:-

बाप सिर्फ धर्म स्थापन करके वापस चले जाते लेकिन अन्य धर्म स्थापक अपनी प्रालब्ध बनाकर जाते हैं।

बाप अपनी प्रालब्ध नहीं बनाते।

अगर बाप भी अपनी प्रालब्ध बनायें तो उन्हें भी कोई पुरूषार्थ कराने वाला चाहिए।

बाप कहते मुझे बादशाही नहीं करनी है।

मैं तो बच्चों की फर्स्टक्लास प्रालब्ध बनाता हूँ।

गीत:- रात के राही...

...full possibilities...

  • ओम् शान्ति।
  • गीत जैसेकि बच्चों ने बनाया है।
  • गीत का अर्थ तो और कोई जान भी न सके।
  • बच्चे जानते हैं अब घोर अन्धियारा पूरा होता है।
  • धीरे-धीरे अन्धियारा होता गया है।
  • इस समय कहेंगे घोर अन्धियारा।
  • अभी तुम राही बने हो सोझरे में जाने लिए अथवा शान्तिधाम, पियरघर जाने लिए।
  • वह है पावन पियरघर और यह है पतित पियरघर।
  • प्रजापिता में जो पिऊ बैठा है, उनको तुम बाप कहते हो।
  • वह तुमको पवित्र बनाकर अपने घर ले जाते हैं।
  • पिता वह भी है, पिता यह भी है।
  • वह है निराकार, यह है साकार।
  • बच्चे कहने वाला सिवाए बेहद के बाप के और कोई हो न सके।
  • बाप ही कहते हैं क्योंकि बच्चों को साथ घर ले जाना है।
  • पवित्र बनाया और नॉलेज दी।
  • बच्चे समझते हैं पवित्र तो जरूर बनना है।
  • बाप को याद करना है और सारे सृष्टि चक्र को याद करना है।
  • इस ज्ञान से तुम एवरवेल्दी बनते हो।
  • कोई कहते हैं हमारे लिए कोई सेवा बोलो।
  • सेवा यही है - तीन पैर पृथ्वी के देकर उसमें रूहानी कॉलेज और हॉस्पिटल खोलो।
  • तो उन पर कोई बोझा भी नहीं पड़ेगा।
  • इसमें मांगने की तो बात ही नहीं।
  • राय देते हैं अगर तुम्हारे पास पैसे हैं तो रूहानी हॉस्पिटल खोलो।
  • ऐसे भी बहुत हैं जिनके पास पैसे नहीं हैं।
  • वह भी हॉस्पिटल कम युनिवर्सिटी खोल सकते हैं।
  • आगे चल तुम देखेंगे बहुत हॉस्पिटल खुल जायेंगे।
  • तुम्हारा नाम रूहानी सर्जन लिखा होगा।
  • रूहानी सर्जन और प्रोफेसर।
  • रूहानी कालेज वा हॉस्पिटल खोलने में कुछ भी खर्चा नहीं है।
  • मेल अथवा फीमेल दोनों रूहानी सर्जन अथवा प्रोफेसर बन सकते हैं।
  • आगे फीमेल नहीं बनती थी।
  • व्यवहार, कार्य पुरूषों के हाथ में था।
  • आजकल तो मातायें निकली हैं।
  • तो अब तुम भी यह रूहानी सर्विस करते हो।
  • ज्ञान की चटक लगी हुई हो फिर किसको भी समझाना बड़ा सहज है।
  • घर पर बोर्ड लगा दो।
  • कोई बड़ी हॉस्पिटल, कोई छोटी भी होती है।
  • अगर देखो बड़ी हॉस्पिटल में ले जाने वाला पेशेन्ट है तो बोलना चाहिए कि चलो हम आपको बड़ी हॉस्पिटल में ले चलें।
  • वहाँ बड़े-बड़े सर्जन हैं।
  • छोटे सर्जन बड़े सर्जन के पास भेज देते हैं।
  • अपनी फी ले लेते हैं फिर समझते यह मरीज ऐसा है, इसको बड़ी हॉस्पिटल में ले जाना चाहिए, ऐसी राय देते हैं।
  • तो ऐसे सेन्टर खोल बोर्ड लगा दो। तो मनुष्य वन्डर खायेंगे ना। यह तो कामन समझने की बात है।
  • कलियुग के बाद सतयुग जरूर आता है।
  • भगवान बाप ही नई दुनिया स्थापन करने वाला है।
  • ऐसा बाप मिल जाए तो हम क्यों न वर्सा लेवें।
  • मन-वचन-कर्म से इस भारत को सुख देना है।
  • मन-वचन-कर्म सो भी रूहानी।
  • मन्सा अर्थात् याद और वचन तो सुनाते ही दो हैं - मनमनाभव और मध्याजी भव।
  • बाप और वर्से को याद करो दो वचन हुए ना।
  • वर्सा कैसे लिया, कैसे गॅवाया - यह है चक्र का राज़।
  • बुढ़ियों को भी शौक होना चाहिए।
  • बोलना चाहिए हमको सिखलाओ।
  • बूढ़े-बूढ़े भी समझा सकते हैं, जो और कोई विद्वान-पण्डित आदि नहीं समझा सकते।
  • तब तो नाम बाला करेंगे।
  • चित्र भी बहुत सहज हैं।
  • कोई की तकदीर में नहीं है तो पुरूषार्थ करते नहीं हैं।
  • सिर्फ ऐसा नहीं समझना है कि मैं बाबा की हो गई।
  • वह तो आत्मायें बाप की हैं ही।
  • आत्माओं का बाप परमात्मा है, यह तो सेकेण्ड की बात है।
  • परन्तु उनसे वर्सा कैसे मिलता है, वह कब आते हैं - यह समझाना है।
  • आयेंगे भी संगम पर।
  • समझाते हैं सतयुग में तुमने इतने जन्म लिये।
  • त्रेता में इतने जन्म, 84 का चक्र पूरा किया।
  • अब फिर से स्वर्ग की स्थापना होनी है।
  • सतयुग में और कोई दूसरे धर्म होते नहीं। कितनी सहज बात है।
  • दूसरे को समझाने से खुशी बहुत होगी।
  • तन्दरुस्त हो जायेंगे, क्योंकि आशीर्वाद मिलती है ना।
  • बुढ़ियों के लिए तो बहुत सहज है।
  • यह दुनिया के अनुभवी भी हैं।
  • किसको यह बैठ समझायें तो कमाल कर दिखायें।
  • सिर्फ बाप को याद करना है और बाप से वर्सा लेना है।
  • जन्म लिया और मुख से मम्मा बाबा कहने लगते हैं।
  • तुम्हारे आरगन्स तो बड़े-बड़े हैं।
  • तुम तो समझकर समझा सकते हो।
  • बुढ़ियों को बहुत शौक होना चाहिए कि हम तो बाबा का नाम बाला करें और बहुत मीठा बनना चाहिए।
  • मोह ममत्व निकल जाना चाहिए।
  • मरना तो है ही।
  • बाकी दो चार रोज़ जीना है तो क्यों न हम एक से ही बुद्धियोग रखें।
  • जो भी समय मिले, बाप की याद में रहें और सब तरफ से ममत्व मिटा देवें।
  • 60 वर्ष के जब होते हैं तो वानप्रस्थ लेते हैं।
  • वह तो बहुत अच्छा समझा सकते हैं।
  • नॉलेज धारण कर फिर दूसरों का भी कल्याण करना चाहिए।
  • अच्छे-अच्छे घर की बच्चियाँ ऐसा पुरूषार्थ कर और घर-घर में जाकर समझायें तो कितना न नामाचार निकले।
  • पुरूषार्थ कर सीखना चाहिए, शौक रखना चाहिए।
  • यह नॉलेज बड़ी वन्डरफुल है।
  • बोलो, देखो कलियुग अब पूरा होता है। सबका मौत सामने खड़ा है।
  • कलियुग के अन्त में ही बाप आकर स्वर्ग का वर्सा देते हैं।
  • कृष्ण को तो बाप नहीं कहेंगे।
  • वह तो छोटा बच्चा है।
  • उनको सतयुग का राज्य कैसे मिला!
  • जरूर पास्ट जन्म में ऐसा कर्म किया होगा।
  • तुम समझा सकते हो कि बरोबर इन्होंने पुरूषार्थ से यह प्रालब्ध बनाई है।
  • कलियुग में पुरूषार्थ किया है, सतयुग में प्रालब्ध पाई है।
  • वहाँ तो पुरूषार्थ कराने वाला कोई होता नहीं।
  • सतयुग त्रेता की इतनी जो प्रालब्ध मिली है।
  • जरूर ऊंच ते ऊंच बाप मिला है जो ही गोल्डन, सिलवर एज का मालिक बनाते हैं और कोई बना न सके।
  • जरूर बाप ही मिला है।
  • लक्ष्मी-नारायण खुद तो नहीं मिलेंगे।
  • ऐसा भी नहीं कि ब्रह्मा वा शंकर मिले। नहीं।
  • भगवान मिला।
  • वह है निराकार।
  • भगवान के सिवाए तो कोई है नहीं जो ऐसा पुरूषार्थ कराये।
  • भगवानुवाच - मैं तुम्हारी प्रालब्ध फर्स्टक्लास बनाता हूँ।
  • यह आदि सनातन देवी-देवता धर्म की स्थापना होती है।
  • स्थापना यहाँ ही करनी है।
  • कराने वाला तो एक बाप है।
  • और जो धर्म स्थापन करते वह तो एक दो के पिछाड़ी आते रहते हैं।
  • धर्म स्थापन करने वाले प्रालब्ध बना जाते हैं।
  • बाप को तो अपनी प्रालब्ध नहीं बनानी है।
  • अगर प्रालब्ध बनाई तो उनको भी पुरूषार्थ कराने वाला कोई चाहिए।
  • शिवबाबा कहते हैं मुझे कौन पुरूषार्थ करायेंगे।
  • मेरा पार्ट ही ऐसा है, मैं बादशाही नहीं करता हूँ।
  • यह ड्रामा बना-बनाया है।
  • बाप बैठ समझाते हैं मैं तुमको सभी वेदों शास्त्रों का सार समझाता हूँ। यह सब है भक्तिमार्ग।
  • अब भक्ति मार्ग पूरा होता है।
  • वह है उतरती कला।
  • अब तुम्हारी होती है चढ़ती कला।
  • कहते हैं ना चढ़ती कला सर्व का भला।
  • सब मुक्ति-जीवनमुक्ति को पा लेते हैं।
  • फिर पीछे 16 कला से उतरते-उतरते नो कला में आना है।
  • ग्रहण लग जाता है ना।
  • ग्रहण थोड़ा-थोड़ा होकर लगता है।
  • यह तो है बेहद की बात।
  • अभी तुम सम्पूर्ण बनते हो।
  • फिर त्रेता में 2 कला कम होती हैं।
  • थोड़ा काला बन पड़ते हैं इसलिए पुरूषार्थ सतयुग की राजाई के लिए करना चाहिए।
  • कम क्यों लेवें।
  • परन्तु सभी तो इम्तहान पास कर नहीं सकते, जो 16 कला सम्पूर्ण बनें।
  • बच्चों को पुरूषार्थ करना और कराना है।
  • इन चित्रों पर बहुत अच्छी सर्विस हो सकती है।
  • बड़ा क्लीयर लिखा हुआ है।
  • बोलो, बाप स्वर्ग की रचना रचते हैं तो फिर हम नर्क में क्यों पड़े हैं।
  • यह पुरानी दुनिया नर्क है ना, इसमें दु:ख ही दु:ख है फिर जरूर नई दुनिया सतयुग आना चाहिए।
  • बच्चे निश्चयबुद्धि हैं।
  • यहाँ कोई अन्धश्रद्धा की बात नहीं।
  • कोई भी कॉलेज में अन्धश्रद्धा की बात नहीं होती।
  • एम आब्जेक्ट सामने खड़ी है।
  • उन कॉलेज आदि में इस जन्म में पढ़ते हैं, इस जन्म में ही प्रालब्ध पाते हैं।
  • यहाँ इस पढ़ाई की प्रालब्ध विनाश के बाद दूसरे जन्म में तुम पायेंगे। देवतायें कलियुग में आ कैसे सकते।
  • बच्चों को समझाना बड़ा सहज है।
  • चित्र भी बड़े अच्छे बनाये हुए हैं।
  • झाड़ भी बहुत अच्छा है।
  • क्रिश्चियन लोग भी झाड़ को मानते हैं।
  • खुशी मनाते हैं अपने नेशन की।
  • सबका अपना-अपना पार्ट है।
  • यह भी जानते हो - भक्ति भी आधाकल्प होनी है।
  • उसमें यज्ञ तप तीर्थ आदि सब होते हैं।
  • बाप कहते हैं मैं उनसे नहीं मिलता हूँ।
  • जब तुम्हारी भक्ति पूरी होती है तब भगवान आते हैं।
  • आधाकल्प है ज्ञान, आधाकल्प है भक्ति।
  • झाड़ में क्लीयर लिखा हुआ है।
  • सिर्फ चित्र हों, बिगर लिखत, उस पर भी समझा सकते हो।
  • चित्रों तरफ अटेन्शन चाहिए, इनमें कितनी वन्डरफुल नॉलेज है।
  • ऐसे थोड़ेही है कि शरीर लोन लिया है तो उसको अपनी मिलकियत समझेंगे।
  • नहीं, समझेंगे मैं किरायेदार हूँ।
  • यह ब्रह्मा खुद भी बैठे हुए हैं, उनको भी बिठाना है।
  • जैसे किसी मकान में खुद मालिक भी रहते हैं और किरायेदार भी रहते हैं।
  • बाबा तो सारा समय इसमें नहीं रहेंगे, इनको हुसेन का रथ कहा जाता है।
  • जैसे क्राइस्ट की आत्मा ने किसी बड़े तन में प्रवेश कर क्रिश्चियन धर्म स्थापन किया।
  • छोटेपन में शरीर दूसरे का था, वह छोटेपन में अवतार नहीं था।
  • नानक में भी पीछे सोल प्रवेश कर सिक्ख धर्म स्थापन करती है।
  • यह बातें वह लोग समझ नहीं सकते हैं।
  • यह बहुत समझ की बातें हैं।
  • पवित्र आत्मा ही आकर धर्म स्थापन करती है।
  • अभी कृष्ण तो है सतयुग का पहला प्रिन्स, उनको द्वापर में क्यों ले गये हैं!
  • सतयुग में लक्ष्मी-नारायण का राज्य दिखाते हैं।
  • यह भी तुम जानते हो - राधे कृष्ण ही लक्ष्मी-नारायण बनते हैं, फिर विश्व के मालिक बनते हैं।
  • उन्हों की राजधानी कैसे स्थापन हुई?
  • यह किसकी बुद्धि में नहीं है।
  • तुम जानते हो बाप एक ही बार अवतरित होते हैं, पतितों को पावन बनाते हैं।
  • कृष्ण जयन्ती पर भी सिद्ध करना है कि श्रीकृष्ण ने तो ज्ञान दिया नहीं, जिसने उसको बनाया, पहले तो उनकी जयन्ती मनानी चाहिए।
  • शिव जयन्ती पर मनुष्य व्रत आदि रखते हैं।
  • लोटी चढ़ाते हैं।
  • सारी रात जागते हैं।
  • यहाँ तो है ही रात, इसमें जितना जीना है उतना पवित्रता का व्रत रखना है।
  • व्रत धारण करने से ही पवित्र राजधानी के मालिक बनते हैं।
  • श्रीकृष्ण जयन्ती पर समझाना चाहिए कि कृष्ण गोरा था, अभी सांवरा बन गया है, इसलिए श्याम सुन्दर कहते हैं।
  • कितना सहज ज्ञान है।
  • श्याम सुन्दर का अर्थ समझाना है।
  • चक्र कैसे फिरता है।
  • तुम बच्चों को खड़ा होना चाहिए।
  • शिवशक्तियों ने भारत को स्वर्ग बनाया है, यह किसको पता नहीं।
  • बाप भी गुप्त, ज्ञान भी गुप्त और शिव-शक्तियां भी गुप्त।
  • तुम चित्र लेकर किसी के भी घर में जा सकते हो।
  • बोलो, तुम सेन्टर पर नहीं आते हो इसलिए हम तुम्हारे घर में आये हैं, तुमको सुखधाम का रास्ता बताने।
  • तो वह समझेंगे यह हमारे शुभचिंतक हैं।
  • यहाँ कनरस की बात नहीं।
  • पिछाड़ी में मनुष्य समझेंगे कि बरोबर हमने लाइफ व्यर्थ गँवाई, लाइफ तो इन्हों की है।
  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।


  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) नष्टोमोहा बन एक बाप से ही अपना बुद्धियोग रखना है।

    देही-अभिमानी बन यही शिक्षा धारण करनी और करानी है।

    2) मन-वचन-कर्म से भारत को सुख देना है।

    मुख से हर एक को ज्ञान के दो वचन सुनाकर उनका कल्याण करना है।

    शुभचिंतक बन सबको शान्तिधाम, सुखधाम का रास्ता बताना है।



  • ( All Blessings of 2021-22)
  • बेफिक्र बादशाह की स्थिति में रह वायुमण्डल पर अपना प्रभाव डालने वाले मास्टर रचयिता भव

    जैसे बाप को इतना बड़ा परिवार है फिर भी बेफिक्र बादशाह है, सब कुछ जानते हुए, देखते हुए बेफिक्र।

    ऐसे फालो फादर करो।

    वायुमण्डल पर अपना प्रभाव डालो, वायुमण्डल का प्रभाव आपके ऊपर नहीं पड़े क्योंकि वायुमण्डल रचना है और आप मास्टर रचयिता हो।

    रचता का रचना के ऊपर प्रभाव हो।

    कोई भी बात आये तो याद करो कि मैं विजयी आत्मा हूँ, इससे सदा बेफिक्र रहेंगे, घबरायेंगे नहीं।



  • (All Slogans of 2021-22)
    • प्रसन्नता की छाया द्वारा शीतलता का अनुभव करो तो निर्मल और निर्माण रहेंगे।