15-08-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन


"मीठे बच्चे - तुम हो ईश्वर के एडाप्टेड बच्चे, तुम्हें पावन बन पावन दुनिया का वर्सा लेना है, यह अन्त का समय है इसलिए पवित्र जरूर बनना है''

प्रश्नः-

इस समय के मनुष्यों को ऊंट-पक्षी (शुतुरमुर्ग) का टाइटल दे सकते हैं - क्यों?

उत्तर:-

क्योंकि ऊंट-पक्षी जो होता उसे कहो उड़ो तो कहेगा पंख नहीं, मैं ऊंट हूँ।

बोलो अच्छा सामान उठाओ तो कहेगा मैं पक्षी हूँ।

ऐसे ही आज के मनुष्यों की हालत है।

जब उनसे पूछा जाता तुम अपने को देवता के बजाए हिन्दू क्यों कहलाते हो तो कहते देवतायें तो पावन हैं, हम पतित हैं।

बोलो अच्छा अब पतित से पावन बनो तो कहते फुर्सत नहीं।

माया ने पवित्रता के पंख ही काट दिये हैं इसलिए जो कहते हमें फुर्सत नहीं वह हैं ऊंटपक्षी।

तुम बच्चों को ऊंटपक्षी नहीं बनना है।

गीत:- ओम् नमो शिवाए...

  • ओम् शान्ति।
  • यह किसने कहा?
  • अपने से प्रश्न पूछना है।
  • ओम् का अर्थ मनुष्यों ने अनेक प्रकार का बनाया है।
  • बाबा कहने से एक सेकेण्ड में वर्से के अधिकारी बन जाते हैं।
  • बच्चा पैदा हुआ कहेंगे वारिस पैदा हुआ।
  • फिर सगीर से बालिग होता है।
  • यहाँ भी ऐसे है।
  • बाबा को जाना, पहचाना और वर्से का मालिक बनें।
  • यहाँ तो तुम बड़े हो ही।
  • आत्मा को बाप का परिचय मिला, सेकेण्ड में बाप का वर्सा मिला।
  • बच्चा पैदा होने से ही समझेंगे बाप की जायदाद का वर्सा पायेंगे।
  • यह है बेहद का बाप।
  • कहते हैं हे बच्चे, आत्मा ने जाना बाप आया हुआ है।
  • तुम बच्चे जानते हो हम बाप से कल्प-कल्प राजधानी लेते हैं।
  • जैसे तुम सेकेण्ड में विश्व के मालिक बन जाते हो।
  • ओम् माना अहम्, मैं आत्मा यह मेरा शरीर।
  • मैं आत्मा किसका बच्चा हूँ?
  • परमात्मा का।
  • बाप भी कहते हैं मैं ओम् परम आत्मा हूँ।
  • मुझे अपना शरीर नहीं है।
  • कितनी सहज बात है।
  • वह समझते हैं ओम् माना भगवान।
  • तो सब भगवान हो गये।
  • भगवान तो है ही एक।
  • वह कहते हैं मैं तुम्हारा बाप हूँ।
  • परम आत्मा माना परमात्मा जिसको सारी दुनिया पुकारती है हे पतित-पावन आओ।
  • ऐसे कोई भी नहीं कहेंगे कि परमपिता परमात्मा की आत्मा मेरे द्वारा तुमको राजयोग सिखलाती है।
  • किसको पता ही नहीं है, न मालूम होने कारण श्रीकृष्ण भगवान का नाम लिख दिया है।
  • उसने राजयोग सिखलाया वा पतित-पावन उसको कह नहीं सकते।
  • वह तो है स्वर्ग का पहला बच्चा।
  • जो पहले में है वह पिछाड़ी में भी होगा, इसलिए उनको श्याम-सुन्दर कहते हैं।
  • पहले नम्बर में है श्रीकृष्ण फिर 84 जन्मों के बाद उनका नाम ब्रह्मा एडाप्ट होता है।
  • बाप आकर बच्चों को एडाप्ट करते हैं।
  • तुम हो एडाप्टेड बच्चे, ईश्वर के बच्चे।
  • तुम्हारी माँ भी है, बाप भी है, प्रजापिता भी है।
  • फिर बाप कहते हैं इनके मुख से कहता हूँ - तुम मेरे बच्चे हो।
  • तुम कहते हो बाबा हम आपके हैं, आपसे वर्सा लेने आये हैं।
  • बुद्धि भी कहती है बाप आता जरूर है।
  • कब आते हैं - यह भी विचार की बात है ना।
  • कहते हैं पतित-पावन आओ तो जरूर पतित दुनिया का अन्त हो तब तो आऊं ना।
  • इसको कहा जाता है कल्प की आदि और अन्त का संगम।
  • अन्त में सब पतित हैं, आदि में हैं सब पावन।
  • अन्त में पतित दुनिया का विनाश होता है, पावन दुनिया की स्थापना होती है।
  • फिर वृद्धि को पाते जाते हैं।
  • गाया भी जाता है ब्रह्मा द्वारा स्थापना।
  • यह है त्रिमूर्ति।
  • तुम जानते हो शिवबाबा के बच्चे सब ब्रदर्स हैं।
  • फिर जब रचना होती है तब भाई-बहिन बनते हैं।
  • मात-पिता क्यों कहते हो?
  • भविष्य वर्सा लेने के लिए।
  • लौकिक वर्सा होते हुए पारलौकिक वर्सा पाने का पुरूषार्थ करते हो।
  • यह है कलियुग मृत्युलोक।
  • सतयुग को अमरलोक कहते हैं।
  • यहाँ तो मनुष्य अकाले मर पड़ते हैं।
  • सतयुग है दैवी दुनिया।
  • आदि सनातन देवी देवता धर्म रहता है।
  • हिन्दू धर्म तो कोई है नहीं।
  • आदमशुमारी जब निकलती है तो पूछते हैं आप किस धर्म के हो?
  • हम कहते हैं हम ब्राह्मण धर्म के हैं तो वो लोग हिन्दू धर्म में लगा देंगे क्योंकि वह ब्राह्मण भी हिन्दू धर्म में आ जाते हैं।
  • आर्य समाजी लोग जो हैं उनको हिन्दू धर्म में लगा दिया है।
  • वास्तव में हिन्दू धर्म तो कोई है नहीं।
  • यूरोप में रहने वालों को यूरोप धर्म वाला थोड़ेही कहेंगे।
  • धर्म तो क्रिश्चियन है ना।
  • क्राइस्ट ने क्रिश्चियन धर्म स्थापन किया।
  • अच्छा हिन्दू धर्म किसने स्थापन किया?
  • तो बिचारे मूँझ पड़ते हैं।
  • कह देते हैं गीता द्वारा स्थापन हुआ।
  • तो समझाया जाता है गीता के द्वारा तो आदि सनातन देवी-देवता धर्म की स्थापना हुई।
  • तुम तो देवता धर्म के हो।
  • तो कहते हैं देवतायें तो बहुत पवित्र थे, हम तो पतित हैं।
  • हम अपने को देवी-देवता कैसे कहलायें।
  • तो समझाया जाता है अच्छा पवित्र बनो।
  • फिर से देवी-देवता धर्म में आ जाओ, तो कहते हैं फुर्सत कहाँ।
  • आपकी यह तो बहुत नई बातें हैं।
  • बरोबर हम आदि सनातन देवी-देवता धर्म के हैं।
  • पूजते भी भारतवासी देवी देवताओं को हैं परन्तु पतित होने कारण अपने को देवता कहला नहीं सकते।
  • अच्छा आकर पावन बनो तो कहते फुर्सत नहीं।
  • बाप कहते हैं तुम तो ऊंटपक्षी हो।
  • पूछा जाता है तुम देवता क्यों नहीं कहलाते तो कहते हैं हम पतित हैं।
  • अच्छा पतित से पावन बनो तो कहते फुर्सत नहीं।
  • ऊंटपक्षी को कहो उड़ो तो कहेगा पंख नहीं, ऊंट हूँ।
  • बोलो, अच्छा सामान उठाओ तो कहेगा हम तो पक्षी हूँ।
  • तो बाप कहते हैं माया तुम्हारे पवित्रता के पंख काट देती है।
  • अब सावन के महीने में शिव की पूजा करते हैं, व्रत रखते हैं।
  • तुम्हारे लिए सावन मास है ज्ञान बरसात का।
  • तुम पवित्र बन पवित्र दुनिया का मालिक बनते हो।
  • मनुष्य व्रत रखते हैं भोजन न खाने का।
  • बाप कहते हैं विष नहीं खाओ।
  • इस पर भी समझाना पड़ेगा।
  • शिव को बहुत पूजते हैं, अब शिवबाबा कहते हैं पवित्रता का व्रत रखो।
  • मैं आया हूँ पवित्र देवी-देवता धर्म स्थापन करने।
  • यहाँ तो पावन कोई है नहीं।
  • पवित्र देवी-देवता होते हैं सतयुग में।
  • वह विष से पैदा नहीं होते।
  • नहीं तो उनको सम्पूर्ण निर्विकारी क्यों कहते?
  • लक्ष्मी-नारायण, राधे कृष्ण आदि को कहते ही हैं सम्पूर्ण निर्विकारी।
  • यहाँ तो सब पतित हैं, जिनमें कोई गुण नहीं है।
  • खुद कहते हैं हम पतित नींच हैं।
  • बाप कहते हैं मेरी मत पर चलकर तुम सम्पूर्ण निर्विकारी बनो तो तुम इन लक्ष्मी-नारायण जैसा मालिक बनेंगे।
  • तुम्हारी पढ़ाई कितनी भारी है।
  • मनुष्य से देवता बनने का पुरूषार्थ करो।
  • विश्व का मालिक बनना है।
  • सतयुग में देवी-देवताओं का राज्य था ना।
  • अब फिर से देवी-देवता धर्म की स्थापना हो रही है।
  • तुम पवित्र बन स्वर्ग का वर्सा लेते हो।
  • स्व माना आत्मा।
  • आत्मा को राजाई मिलती है।
  • उनको स्वराज्य कहा जाता है।
  • मनुष्य तो हैं देह-अभिमानी।
  • देह-अभिमान से कहते हैं हमारा राज्य।
  • यहाँ तुम कहते हो हम आत्मा हैं, इस शरीर के मालिक हैं।
  • हम महाराजा बनेंगे।
  • हमको सतयुग में पवित्र शरीर मिलेगा।
  • अभी तो पतित हैं।
  • जैसे आत्मा वैसे शरीर।
  • आत्मा में खाद पड़ी है।
  • आत्मा पहले सच्चा सोना थी।
  • गोल्डन एज कहा जाता था।
  • फिर त्रेता आया तो सिल्वर की खाद पड़ी, फिर द्वापर में गये तो तांबा पड़ा।
  • इस समय आत्मा झूठी तो शरीर भी झूठा।
  • इसको कहा ही जाता है झूठ खण्ड़।
  • अभी बाप के साथ योग रखने से अलाए निकल जायेगी, इसको योग अग्नि कहा जाता है।
  • जेवर से किचड़ा निकालने के लिए आग में डाला जाता है।
  • यह भी योग अग्नि है, जिसमें खाद भस्म हो और हम सच्चा सोना बन बाप के साथ चले जायेंगे।
  • बाप कहते हैं तुम मेरे साथ चल पड़ेंगे।
  • सतयुग में सच्चा सोना मिलेगा।
  • अब श्रीकृष्ण को सांवरा क्यों कहते हैं?
  • कृष्ण का नाम रूप तो बदल जाता है।
  • अब बाप समझाते हैं तुम गोरे थे, तुम्हारे में खाद पड़ी है।
  • अभी बिल्कुल आइरन एजेड बन पड़े हो।
  • अब मैं सोनार हूँ बच्चों को भट्ठी में डाल देता हूँ।
  • भंभोर को आग लगेगी।
  • सबके शरीर खत्म हो जायेंगे।
  • आत्मा तो अविनाशी है।
  • एक तो योग अग्नि से पवित्र बन जायेंगे, बाकी सब सजायें खाकर हिसाब-किताब चुक्तू कर फिर जायेंगे।
  • यह ईश्वर की भट्ठी है - सबको पावन बनाने लिए।
  • यह है ज्ञान का सागर, उनसे तुम ज्ञान गंगायें निकली हो।
  • फिर मनुष्यों ने उस पानी की गंगा को समझ लिया है।
  • वहाँ देवता की मूर्ति भी रखी हुई है।
  • वास्तव में तुम हो भगवान के बच्चे, ज्ञान गंगायें जो फिर देवता बनते हो। जब स्वर्ग में आयेंगे तब तुमको देवता कहेंगे।
  • वहाँ आत्मा शरीर दोनों ही पवित्र हैं।
  • अभी तो पतित हैं।
  • भारत गोल्डन एजेड है फिर सिल्वर, कॉपर, आइरन एजेड बने हैं फिर गोल्डन एज में बाप ले जा रहे हैं।
  • तुम्हारी आत्मा और शरीर दोनों ही पवित्र हो जाते हैं।
  • बाप कहते हैं मैं धोबी भी हूँ।
  • तुम्हारी आत्मा को धोने आता हूँ।
  • सिर्फ बाप को ही याद करना है।
  • बस योग में रहने से तुम विश्व के मालिक बन सकते हो।
  • बाहुबल वाले विश्व के मालिक बन न सकें।
  • हाँ, उन्हों में इतनी ताकत है, अगर क्रिश्चियन दो भाई आपस में मिल जाएं तो विश्व के मालिक बन सकते हैं।
  • परन्तु लॉ नहीं है।
  • कहानी भी है दो बिल्ले आपस में लड़े और माखन बन्दर खा गया।
  • तो वह दो लड़ते हैं बीच में माखन भारत को मिल जाता है, इसमें भी नम्बरवन है श्रीकृष्ण इसलिए कृष्ण के मुख में गोला दिखाते हैं।
  • वह मक्खन नहीं, यह स्वर्ग का राज्य भाग्य श्रीकृष्ण को मिला।
  • बाप समझाते हैं सब विनाश हो जायेगा फिर तुम मालिक बन जायेंगे।
  • उसके पहले बाप की श्रीमत पर जरूर चलना पड़े।
  • श्रीमत से श्रेष्ठ, आसुरी मत से भ्रष्ट बनते हो।
  • यह है आसुरी पतित दुनिया।
  • एक भी पावन नहीं।
  • पावन दुनिया में एक भी पतित नहीं होता है।
  • अभी तो सब पतित हैं।
  • गाते भी हैं पतित-पावन सीताराम, हम सीतायें रावण की जेल में पड़ी हैं।
  • पुकारती हैं हे राम आकर छुड़ाओ, पावन दुनिया में ले चलो।
  • भल गाते हैं परन्तु जानते कुछ भी नहीं।
  • जो आता सो कहते रहते।
  • रावण ने बिल्कुल सुला दिया है।
  • अब बाप आकर जगाते हैं।
  • परमपिता परमात्मा, पतित-पावन जो सृष्टि का रचयिता है, उनकी बायोग्राफी को हम जानते हैं।
  • ब्रह्मा, विष्णु, शंकर और लक्ष्मी-नारायण की बायोग्राफी को भी हम जानते हैं।
  • लक्ष्मी-नारायण के 84 जन्मों को भी हम जानते हैं।
  • तो नॉलेजफुल हो गये ना।
  • तुम श्रीकृष्ण के मन्दिर में जायेंगे तो समझेंगे यह सतयुग का पहला प्रिन्स था।
  • अभी अन्तिम 84 वें जन्म में ब्रह्मा हुआ है।
  • यह भी बहुत समझने की बातें हैं।
  • बाप बच्चों को समझाते हैं - बच्चे खबरदार रहना, कभी किसको दु:ख नहीं देना।
  • बाप तो दु:ख हर्ता, सुख कर्ता है ना।
  • तुम भी 5 विकारों का दान देते हो।
  • दे दान तो छूटे ग्रहण।
  • ग्रहण लगता है तो फकीर लोग कहते हैं दे दान।
  • अब बाप कहते हैं मेरे लाडले बच्चे, विकारों का दान दो तो सर्वगुण सम्पन्न बन देवता बन जायेंगे।
  • दु:ख का ग्रहण छूट जायेगा।
  • तुम सुखधाम के मालिक बन जायेंगे, इसलिए 5 विकारों का दान लिया जाता है।
  • यह तो अच्छा है ना।
  • अभी तुम्हारे ऊपर विकारों का ग्रहण लगने से एकदम काले बन पड़े हो।
  • हम तुम्हारे से विकार ही मांगते हैं और कुछ नहीं मांगते।
  • बाप समझाते हैं अब तुम बच्चों को आत्म-अभिमानी बनना है।
  • मैं आत्मा हूँ, परमात्मा को याद करना है।
  • वर्सा उनसे लेना है, इसलिए देही-अभिमानी बनो।
  • देवतायें आत्म-अभिमानी बने हैं।
  • अब मुझ बाप को याद करने से ही तुम्हारे पाप भस्म होंगे।
  • हम रक्षा करेंगे।
  • तुम मुझे याद ही नहीं करेंगे तो रक्षा क्या करेंगे।
  • बाप कितना समझाते हैं, यह बातें कोई शास्त्रों में नहीं हैं।
  • वह है भक्ति मार्ग की सामग्री।
  • बाप तो तुम्हें सद्गति में ले जाने के लिए पढ़ाते हैं।
  • मैं इस शरीर द्वारा तुमको समझाता हूँ।
  • यह मेरा शरीर नहीं है।
  • यह तो इनकी पुरानी जुत्ती है, लोन लिया है।
  • मैं इनमें प्रवेश करता हूँ, फिर पावन बनाता हूँ।
  • कितना अच्छी रीति बाप समझाते हैं।
  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।


  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) बाप की श्रीमत पर चलकर सम्पूर्ण निर्विकारी बनना है। पढ़ाई से विश्व की राजाई लेनी है। आत्मा में जो खाद पड़ी है उसे योग अग्नि से निकालना है।

    2) आत्म-अभिमानी बन बाप को याद करना है जितना याद में रहेंगे उतना बाप रक्षा करता रहेगा।



  • ( All Blessings of 2021-22)
  • मेरे-मेरे को तेरे में परिवर्तन कर श्रेष्ठ मंजिल को प्राप्त करने वाले नष्टोमोहा भव

    जहाँ मेरापन होता है वहाँ हलचल होती है।

    मेरी रचना, मेरी दुकान, मेरा पैसा, मेरा घर...यह मेरा पन थोड़ा भी किनारे रखा है तो मंजिल का किनारा नहीं मिलेगा।

    श्रेष्ठ मंजिल को प्राप्त करने के लिए मेरे को तेरे में परिवर्तन करो।

    हद का मेरा नहीं, बेहद का मेरा।

    वह है मेरा बाबा।

    बाबा की स्मृति और ड्रामा के ज्ञान से नथिंगन्यु की अचल स्थिति रहेगी और नष्टोमोहा बन जायेंगे।



  • (All Slogans of 2021-22)
    • सच्चे सेवाधारी बन नि:स्वार्थ सेवा करते चलो तो सेवा का फल स्वत: मिलेगा।