13-08-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन


"मीठे बच्चे - स्वर्ग का मालिक बनना है तो बाप से प्रतिज्ञा करो कि हम पवित्र बन, आपके मददगार जरूर बनेंगे। सपूत बच्चा बनकर दिखायेंगे''

 

प्रश्नः-

किन्हों का हिसाब-किताब चुक्तू कराने के लिए पिछाड़ी में ट्रिब्युनल बैठती है?

उत्तर:-

जो क्रोध में आकर बाम्ब्स से इतनों का मौत कर देते हैं, उन पर केस कौन करे!

इसलिए पिछाड़ी में उनके लिए ट्रिब्युनल बैठती है।

सब अपना-अपना हिसाब-किताब चुक्तू कर वापिस जाते हैं।

प्रश्नः-

विष्णुपुरी में जाने के लायक कौन बनते हैं?

उत्तर:-

जो इस पुरानी दुनिया में रहते भी इससे अपनी दिल नहीं लगाते, बुद्धि में रहता अब हमें नई दुनिया में जाना है इसलिए पवित्र जरूर बनना है।

2- पढ़ाई ही विष्णुपुरी में जाने के लायक बनाती है।

तुम पढ़ते इस जन्म में हो।

पढ़ाई का पद दूसरे जन्म में मिलता है।

गीत:- तुम्हीं हो माता...

  • ओम् शान्ति।
  • महिमा गाते हैं बेहद के बाप की क्योंकि बेहद का बाप बेहद की शान्ति और सुख का वर्सा देते हैं।
  • भक्ति मार्ग में पुकारते भी हैं बाबा आओ, आकर हमें सुख और शान्ति दो।
  • भारतवासी 21 जन्म सुखधाम में रहते हैं।
  • बाकी जो आत्मायें हैं, वह शान्तिधाम में रहती हैं।
  • तो बाप के दो वर्से हैं सुखधाम और शान्तिधाम।
  • इस समय न शान्ति है, न सुख है क्योंकि भ्रष्टाचारी दुनिया है।
  • तो जरूर कोई दु:खधाम से सुखधाम में ले जाने वाला चाहिए।
  • बाप को खिवैया भी कहते हैं।
  • विषय सागर से क्षीरसागर में ले जाने वाला है।
  • बच्चे जानते हैं बाप ही पहले शान्तिधाम में ले जायेंगे क्योंकि अब टाइम पूरा होता है।
  • यह बेहद का खेल है।
  • इसमें ऊंच ते ऊंच मुख्य क्रियेटर, डायरेक्टर, मुख्य एक्टर कौन हैं?
  • ऊंच ते ऊंच है भगवान।
  • उनको सबका बाप कहा जाता है।
  • वह स्वर्ग का रचयिता है फिर जब मनुष्य दु:खी होते हैं तो लिबरेट भी करते हैं।
  • रूहानी पण्डा भी है।
  • सभी आत्माओं को शान्तिधाम में ले जाते हैं।
  • वहाँ सब आत्मायें रहती हैं।
  • यह आरगन्स यहाँ मिलते हैं, जिससे आत्मा बोलती है।
  • आत्मा खुद भी कहती है जब मैं सुखधाम में थी तो शरीर सतोप्रधान था।
  • मैं आत्मा 84 जन्म भोगती हूँ।
  • सतयुग में 8 जन्म, त्रेता में 12 जन्म पूरे हुए फिर फर्स्ट नम्बर में जाना है।
  • बाप ही आकर पावन बनाते हैं।
  • आत्माओं से बात करते हैं।
  • आत्मा शरीर से अलग है तो कुछ बात नहीं कर सकती।
  • जैसे रात में शरीर से अलग हो जाती है।
  • आत्मा कहती है मैं इस शरीर से काम कर थक गया हूँ, अब विश्राम करता हूँ।
  • आत्मा और शरीर दोनों अलग चीज़ हैं।
  • यह शरीर अब पुराना है।
  • यह है ही पतित दुनिया।
  • भारत नया था तो इसको स्वर्ग कहा जाता था।
  • अभी नर्क है।
  • सब दु:खी हैं।
  • बाप आकर कहते हैं इन बच्चियों द्वारा तुमको स्वर्ग का द्वार मिलेगा।
  • बाप शिक्षा देते हैं पावन बन स्वर्ग का मालिक बनो।
  • पतित बनने से तुम नर्क के मालिक बन पड़े हो।
  • यहाँ 5 विकारों का दान लिया जाता है।
  • आत्मा कहती है बाबा आप हमको स्वर्ग का मालिक बनाते हो।
  • हम प्रतिज्ञा करते हैं हम पवित्र बन आपके मददगार जरूर बनेंगे।
  • बाप का बच्चा जो ओबीडियन्ट रहते हैं उन्हें सपूत कहा जाता है।
  • कपूत को वर्सा मिल न सके।
  • यह बाप बैठ समझाते हैं निराकार भगवान की निराकारी आत्मायें बच्चे हैं।
  • फिर प्रजापिता ब्रह्मा की सन्तान बनते हैं तो बहन-भाई हो जाते हैं।
  • यह जैसे ईश्वरीय घर है और कोई सम्बन्ध नहीं।
  • भल घर में मित्र-सम्बन्धी आदि को देखते हैं परन्तु बुद्धि में है हम बापदादा के बने हैं।
  • वह बाप यह दादा बैठे हैं।
  • यहाँ गर्भ जेल में तो सजायें खाते हैं।
  • सतयुग में जेल होता नहीं।
  • वहाँ पाप ही नहीं होता क्योंकि वहाँ रावण ही नहीं इसलिए वहाँ गर्भ महल कहा जाता है।
  • जैसे पीपल के पत्ते पर कृष्ण को दिखाते हैं।
  • वह भी गर्भ जैसे क्षीरसागर है।
  • सतयुग में न गर्भजेल होता, न वह जेल होता।
  • आधाकल्प है नई दुनिया।
  • वहाँ सुख है, जैसे मकान पहले नया होता है फिर पुराना होता है।
  • वैसे सतयुग है नई दुनिया, कलियुग है पुरानी दुनिया।
  • कलियुग से फिर सतयुग जरूर बनना है।
  • चक्र रिपीट होता रहता है।
  • यह बेहद का चक्र है, जिसकी नॉलेज बाप ही समझाते हैं।
  • बाप ही नॉलेजफुल है।
  • इनकी आत्मा भी नहीं समझा सकती।
  • यह पहले पावन थे फिर 84 जन्म ले पतित बने हैं।
  • तुम्हारी आत्मा भी पावन थी फिर पतित बनी है।
  • बाप कहते हैं मैं इस पतित दुनिया का मुसाफिर हूँ क्योंकि पतित बुलाते हैं कि आकर पावन बनाओ।
  • मुझे अपना परमधाम छोड़ पतित दुनिया, पतित शरीर में आना पड़ता है।
  • यहाँ तो पावन शरीर है नहीं।
  • यह तो जानते हो जो अच्छे कर्म करते हैं, वह अच्छे कुल में जन्म लेते हैं।
  • बुरे कर्म करने वाले बुरे कुल में जन्म लेते हैं।
  • अब तुम पवित्र बन रहे हो।
  • पहले-पहले तुम विष्णु कुल में जन्म लेंगे।
  • तुम मनुष्य से देवता बनते हो।
  • आदि सनातन धर्म किसने स्थापन किया, यह कोई भी नहीं जानता क्योंकि शास्त्रों में 5 हजार वर्ष के चक्र को लाखों वर्ष दे दिया है।
  • यही भारत स्वर्ग था।
  • अब तो नर्क है।
  • अब जो बाप द्वारा ब्राह्मण बनेंगे वही देवता बनेंगे।
  • स्वर्ग का द्वार देख सकेंगे।
  • स्वर्ग का नाम ही कितना अच्छा है।
  • देवी-देवता वाम मार्ग में आते हैं तब पुजारी बनते हैं।
  • सोमनाथ का मन्दिर किसने बनाया?
  • सबसे बड़ा है यह सोमनाथ का मन्दिर।
  • जो सबसे साहूकार था, उसने ही बनाया होगा।
  • जो सतयुग में पहले महाराजा महारानी, लक्ष्मी-नारायण थे।
  • वही जब पूज्य से पुजारी बनते हैं तो शिव-बाबा जिसने विश्व का मालिक बनाया है, उनका मन्दिर बनाते हैं।
  • खुद कितना साहूकार होंगे तब तो इतना मन्दिर बनाया, जिसको मुहम्मद गजनवी ने लूटा।
  • सबसे बड़ा मन्दिर है शिवबाबा का।
  • वह है स्वर्ग का रचयिता।
  • खुद मालिक नहीं बनते हैं।
  • बाप जो सेवा करते हैं, उसको निष्काम सेवा कहा जाता है।
  • बच्चों को स्वर्ग का मालिक बनाते खुद नहीं बनते।
  • खुद निर्वाण-धाम में बैठ जाते हैं।
  • जैसे मनुष्य 60 वर्ष के बाद वानप्रस्थ में जाते हैं।
  • सतसंग आदि करते रहते हैं।
  • कोशिश करते हैं हम भगवान से जाकर मिलें।
  • परन्तु कोई मेरे से मिलते नहीं हैं।
  • सबका लिबरेटर, गाइड एक ही बाबा है।
  • और सभी हैं जिस्मानी यात्रा कराने वाले।
  • अनेक प्रकार की यात्रा करते हैं।
  • यह है रूहानी यात्रा।
  • बाप सभी आत्माओं को अपने शान्तिधाम में ले जाते हैं।
  • अभी तुम बच्चों को बाप विष्णुपुरी में ले जाने के लायक बना रहे हैं।
  • बाप आते ही हैं सेवा करने।
  • बाप कहते हैं इस पुरानी दुनिया में कोई से दिल नहीं लगाओ।
  • अब जाना है नई दुनिया में।
  • तुम आत्मायें सब ब्रदर्स हो।
  • इसमें मेल भी हैं, फीमेल भी हैं।
  • सतयुग में तुम पवित्र रहते थे, उसको कहा ही जाता है पवित्र दुनिया।
  • यहाँ तो 5-7 बच्चे पेट चीरकर भी निकालते हैं।
  • सतयुग में लॉ बना हुआ है, जब समय होता है तो दोनों को साक्षात्कार हो जाता है कि अब बच्चा होने वाला है।
  • उसको कहा जाता है योगबल, पूरे टाइम पर बच्चा पैदा हो जाता है।
  • कोई तकलीफ नहीं, रोने की आवाज नहीं।
  • आजकल तो कितनी तकलीफ से बच्चा पैदा होता है।
  • यह है ही दु:खधाम।
  • सतयुग है ही सुखधाम।
  • तुम पढ़ाई पढ़ रहे हो - सुखधाम का मालिक बनने।
  • उस पढ़ाई का फल तो इसी जन्म में भोगते हैं।
  • तुम इस पढ़ाई का फल दूसरे जन्म में पाते हो।
  • बाप कहते हैं, मैं तुमको स्वर्ग का मालिक बनाता हूँ, जिनको भगवान भगवती कहते हैं।
  • लक्ष्मी भगवती, नारायण भगवान।
  • सतयुग में उन्हों को किसने बनाया?
  • जबकि कलियुग अन्त में कुछ नहीं है।
  • भारत देखो कितना कंगाल है।
  • मैं ही सबको सद्गति देने आता हूँ।
  • सतयुग त्रेता में तुम सदा सुखी रहते हो।
  • बाप इतना सुख देते हैं जो भक्ति मार्ग में भी फिर उनको याद करते हैं।
  • बच्चा मर जायेगा तो भी कहेंगे हे भगवान हमारा बच्चा मार डाला।
  • बाप कहते हैं जबकि तुम कहते हो सब कुछ ईश्वर ने ही दिया है, उसने ही लिया फिर रोते क्यों हो?
  • मोह क्यों रखते हो?
  • सतयुग में मोह होता ही नहीं है।
  • वहाँ जब शरीर छोड़ने का टाइम होता है तो टाइम पर छोड़ते हैं।
  • स्त्री कब विधवा नहीं बनती।
  • जब टाइम पूरा होता है - बूढ़े होते हैं तो समझते हैं अब जाकर बच्चा बनेंगे।
  • तो शरीर छोड़ देते हैं।
  • सर्प का मिसाल।
  • अब तुम जानते हो यह कलियुगी शरीर बहुत पुरानी खाल है।
  • आत्मा भी पतित है तो शरीर भी पतित है।
  • अब बाप से योग लगाए पावन बनना है।
  • यह है भारत का प्राचीन राजयोग।
  • संन्यासियों का तो हठयोग है।
  • शिवबाबा कहते हैं - मैं इन माताओं द्वारा स्वर्ग का द्वार खोलता हूँ।
  • माता गुरू बिगर किसका उद्धार नहीं हो सकता है।
  • बाप ही आकर सबकी सद्गति करते हैं, तुमको भी सिखलाते हैं फिर तुम मास्टर सद्गति दाता बन जाते हो।
  • सबको कहते हो मौत सामने खड़ा है, बाप को याद करो।
  • सब खत्म हो जाना है।
  • बाम्ब्स आदि बनाने वाले खुद भी मानते हैं कि इससे विनाश होना है, परन्तु हमें कौन प्रेरता है पता नहीं।
  • समझते हैं एक बम फेंकने से सब खत्म हो जायेंगे।
  • बाकी थोड़ा समय है जब तक तुम कांटों से फूल बन जाओ।
  • यह है ही कांटों की दुनिया।
  • भारत ही फूलों की दुनिया थी।
  • अब है वेश्यालय, फिर होगा शिवालय अर्थात् शिव द्वारा स्थापन किया हुआ स्वर्ग।
  • भगवान तो एक ही निराकार है।
  • मनुष्य को कभी भगवान नहीं कह सकते।
  • दु:ख हर्ता सुख कर्ता एक ही बाप है।
  • भगवानुवाच मैं तुमको नर से नारायण बनाता हूँ।
  • यह पुरानी पतित दुनिया अब खत्म होनी है।
  • मैं पतित से पावन देवता बनाता हूँ, फिर तुम चले जायेंगे अपने घर।
  • ड्रामा को समझना है।
  • इस समय देखो मनुष्यों में क्रोध कितना है।
  • बन्दर से भी बदतर हैं।
  • क्रोध आता है तो कैसे बाम्ब्स से सबको मार डालते हैं।
  • अब इन पर कौन केस करेगा!
  • इनके लिए फिर पिछाड़ी में ट्रिब्युनल बैठती है।
  • सबका हिसाब-किताब चुक्तू कर देते हैं।
  • यह सब समझने की बातें हैं।
  • बाप कहते हैं हे आत्मायें मैं तुम्हारा बाप आया हुआ हूँ।
  • आप मेरी श्रीमत पर चलो तो श्रेष्ठ स्वर्ग के मालिक बन जायेंगे।
  • वह मनुष्य तो मनुष्यों के गाइड बनते हैं।
  • बाप गाइड बनते हैं सर्व आत्माओं के।
  • आत्मा ही कहती है हे पतित-पावन।
  • अब बाप हमको पुण्य आत्मा बना रहे हैं।
  • स्वर्ग में रूहानी बाप होता नहीं।
  • वहाँ तो है ही प्रालब्ध।
  • यह युनिवर्सिटी है - राजयोग बाप के सिवाए कोई सिखला नहीं सकते।
  • बाप कहते हैं मैं इस शरीर का लोन लेकर आता हूँ।
  • आत्मा तो दूसरे शरीर में आ सकती है ना।
  • यह ड्रामा की नूँध है।
  • इनको फिरने में 5 हजार वर्ष लगता है।
  • कहते हैं पत्ते-पत्ते में ईश्वर है।
  • पत्ता हिलता है, इनमें आत्मा है।
  • लेकिन नहीं।
  • यह हवा से हिलता है।
  • तुम जैसे यहाँ बैठे हो फिर 5 हजार वर्ष बाद बैठेंगे।
  • अब बाप से वर्सा लिया सो लिया।
  • नहीं तो फिर कभी ले नहीं सकेंगे।
  • इस समय ही ऊंची कमाई कर सकते हो।
  • फिर सारे कल्प में ऐसी ऊंची कमाई हो नहीं सकती।
  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।


  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) समय बहुत थोड़ा है इसलिए कांटे से फूल बन सबको फूल बनाना है।

    शान्तिधाम और सुखधाम का रास्ता बताना है।

    2) वैष्णव कुल में जाने के लिए अच्छे कर्म करने हैं।

    पावन जरूर बनना है।

    सदा रूहानी यात्रा करनी और करानी है।



  • ( All Blessings of 2021-22)
  • फ्राकदिल बन अखुट खजानों से सबको भरपूर करने वाले मास्टर दाता भव

    आप दाता के बच्चे मास्टर दाता हो, किसी से कुछ लेकर फिर देना-वह देना नहीं है।

    लिया और दिया तो यह बिजनेस हो गया।

    दाता के बच्चे फ्राक दिल बन देते जाओ।

    अखुट खजाना है, जिसको जो चाहिए वह देते भरपूर करते जाओ।

    किसी को खुशी चाहिए, स्नेह चाहिए, शान्ति चाहिए, देते चलो।

    यह खुला खाता है, हिसाब-किताब का खाता नहीं है।

    दाता की दरबार में इस समय सब खुला है इसलिए जिसको जितना चाहिए उतना दो, इसमें कंजूसी नहीं करो।



  • (All Slogans of 2021-22)
    • अपनी मन्सा वृत्ति को ऐसा पावरफुल बनाओ जो खराब भी अच्छा हो जाए।