12-08-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
"मीठे बच्चे - बाप का फरमान है देही-अभिमानी बनो, पवित्र बनकर सबको पवित्र बनाओ, निश्चयबुद्धि बन बाप से पूरा वर्सा लो''
प्रश्नः-
अन्त में शरीर छोड़ने समय हाय-हाय किन्हों को करनी पड़ती है?
उत्तर:-
जो जीते जी मरकर पूरा पुरूषार्थ नहीं करते हैं, पूरा वर्सा नहीं लेते हैं, उन्हें ही अन्त में हाय-हाय करनी पड़ती है।
प्रश्नः-
इस समय अनेक प्रकार के लड़ाई-झगड़े वा पार्टीशन आदि क्यों हैं?
उत्तर:-
क्योंकि सब अपने असली पिता को भूल आरफन, निधनके बन गये हैं।
जिस मात-पिता से घनेरे सुख मिले थे, उसे भूल सर्वव्यापी कह दिया है, इसलिए आपस में लड़ते-झगड़ते रहते हैं।
गीत:- ओम् नमो शिवाए....
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- ओम् शान्ति।
- यह किसने कहा?
- ओम् शान्ति।
- आत्मा ने इन शरीर की कर्मेन्द्रियों द्वारा कहा।
- आत्मा है अविनाशी, शरीर है विनाशी।
- आत्मा एक शरीर छोड़ दूसरा लेती है।
- आत्मा सबसे जास्ती 84 जन्म लेती है।
- इनको कहा ही जाता है 84 जन्मों का चक्र।
- ऐसे नहीं सभी 84 जन्म लेते हैं।
- नहीं, मनुष्य तो इन बातों को नहीं जानते हैं।
- गीत में भी सुना शिवाए नम:, ऊंच ते ऊंच है शिव परमात्मा।
- वह है निराकारी दुनिया का रहने वाला, जहाँ सब आत्मायें रहती हैं।
- उनसे नीचे सूक्ष्मवतनवासी।
- ऊंचे ते ऊंचे भगवान की महिमा सुनी शिवाए नम:।
- तुम मात-पिता, बन्धु सहायक, यह उनकी महिमा है।
- फिर कहेंगे-ब्रह्मा देवताए नम:... वह रचयिता, वह रचना।
- फिर है यह मनुष्य सृष्टि।
- इस मनुष्य सृष्टि में ही पावन और पतित बनते हैं।
- सतयुग में पावन, कलियुग में पतित हैं।
- भारत में आज से 5 हजार वर्ष पहले देवी-देवता थे।
- वह सब थे मनुष्य, परन्तु सर्वगुण सम्पन्न 16 कला सम्पूर्ण थे।
- यह है उन्हों की महिमा।
- वहाँ हिंसा होती नहीं।
- विकार में जाते नहीं।
- उन्हों को कहते हैं सम्पूर्ण निर्विकारी।
- विकारी मनुष्य उन्हों की महिमा गाते हैं।
- आप सर्वगुण सम्पन्न, हम नीच पापी हैं।
- परमात्मा को भी याद करते हैं परन्तु उनको कोई जानते नहीं हैं इसलिए आरफन ठहरे।
- गाते भी हैं - तुम मात-पिता... जिससे सुख घनेरे मिलते हैं।
- फिर जब रावण राज्य शुरू होता है तो मनुष्य बाप को भूल पतित आरफन निधनके बन पड़ते हैं।
- आपस में लड़ते झगड़ते रहते हैं।
- सब जगह देखो झगड़े ही झगड़े लगे हुए हैं।
- कितने पार्टीशन हैं।
- स्वर्ग में तो एक ही लक्ष्मी-नारायण का राज्य था।
- भारतवासी सारे विश्व के मालिक थे।
- अब तो टुकड़े-टुकड़े हैं।
- यह समुद्र तुम्हारा, यह हमारा, यह धरती हमारी, यह तुम्हारी... पंजाब, यू.पी., राजस्थान आदि-आदि, अलग-अलग हो गये हैं।
- भाषा पर भी कितने झगड़े होते हैं क्योंकि पारलौकिक माँ बाप को नहीं जानते हैं।
- भारत स्वर्ग था तो यह कोई बात नहीं थी।
- अब फिर स्वर्ग होना है।
- बाप बैठ समझाते हैं यह सृष्टि का चक्र कैसे फिरता है।
- बेहद का बाप बच्चों को कहते हैं तुम कितना बेसमझ बन पड़े हो।
- कहते भी हो हे परमपिता परमात्मा।
- फिर उनकी बायोग्राफी को नहीं जानते हो।
- बाप पतित-पावन, सद्गति दाता भी है।
- तुम तो जानते हो, वह तो कह देते हैं ईश्वर सर्वव्यापी है।
- सर्व-व्यापी कहने से फिर वर्सा कैसे मिलेगा।
- जरूर बाप चाहिए ना, वर्सा देने वाला।
- लौकिक बाप बच्चों को पैदा करे और फिर पूछो तुम्हारा बाप कहाँ है तो क्या सर्वव्यापी कहेगा?
- अरे बेहद का बाप तो रचयिता है ना।
- उसको ही सब भगत पुकारते हैं - हे पतित-पावन, शिवबाबा आकर हमको पतित से पावन बनाओ।
- जैसे स्वर्ग में पावन थे वैसे फिर हमको आकर पावन बनाओ।
- हम बहुत दु:खी हैं।
- जबसे रावण राज्य शुरू होता है तो सब मनुष्य पतित होने लग पड़ते हैं।
- दर दर धक्के खाते रहते हैं।
- समझते हैं सबमें परमात्मा है।
- मूर्तियां ठिक्कर-भित्तर की बनी हुई है ना, तो समझते हैं कि इसमें भी भगवान है।
- अरे पत्थर में भगवान कहाँ से आया!
- वह तो परमधाम में रहता है।
- कितने ढेर चित्र बनाते हैं फिर जब पुराने हो जाते हैं तो फेंक देते हैं।
- यह है गुड़ियों की पूजा।
- कहते हैं हे बाबा हमको सद्गति दो।
- सर्व का सद्गति दाता एक ही पतित-पावन शिवबाबा है, उनको सब मनुष्य भूल गये हैं।
- उनको सब याद करते हैं।
- सबका पतियों का पति अथवा बापों का बाप वह है।
- बाप कहते हैं बच्चे अब पावन बनो।
- तुम्हारी आत्मा अब पतित हो गयी है, खाद पड़ गई है।
- सच्चे सोने में खाद डालने से अथवा अलाए पड़ने से सोने का मूल्य कम हो जाता है।
- तो यह भी तमोप्रधान दुनिया है।
- पहले गोल्डन एज में थे तो सम्पूर्ण निर्विकारी थे।
- फिर सिल्वर की खाद पड़ी फिर कापर, आइरन में आते हैं।
- आत्मा पतित होती जाती है।
- अभी तो बिल्कुल ही आइरन एजड हो गई है।
- वही भारत सतोप्रधान था, अब तमोप्रधान बन गया है।
- जो पहले-पहले थे जरूर उन्हों को ही पूरे 84 जन्म लेने पड़े।
- क्रिश्चियन आते ही बाद में हैं, वह 84 जन्म तो ले न सकें।
- वह 35-40 जन्म करके पाते होंगे।
- सृष्टि की आयु भी अब पूरी होती है फिर नई बनेगी।
- नई दुनिया में है सुख, पुरानी दुनिया में है दु:ख।
- पुराने मकान को तोड़ा जाता है ना।
- पुरानी दुनिया में तो सब दु:खी हैं।
- फिर इन सबको सुखी बनाने वाला तो बाप ही है।
- सतयुग में जो भी आत्मायें थी वह सुखी थी।
- बाकी सब आत्मायें शान्तिधाम में थी, जिसको फिर साइलेन्स वर्ल्ड कहा जाता है।
- साइलेन्स वर्ल्ड फिर सटल वर्ल्ड (सूक्ष्मवतन), वहाँ शरीर ही नहीं है तो आत्मा आवाज कैसे करेगी।
- तो अभी सब आत्मायें तमोप्रधान हैं इसलिए इसको आइरन एज कहा जाता है।
- पहले गोल्डन एज में थे अब फिर बाप आकर गोल्डन एज में ले जाते हैं।
- मनुष्य को देवता बनाते हैं।
- सतयुग में स्त्री पुरूष दोनों पवित्र रहते हैं।
- उनको रामराज्य कहा जाता है।
- अभी तो है रावणराज्य, एक दो पर काम कटारी चलाकर दु:खी करते रहते हैं।
- भगवान कहते हैं बच्चे काम महाशत्रु है, इसने ही तुमको दु:खी किया है।
- तुम बच्चे गिरते आये हो।
- अभी तो कोई कला नहीं रही है फिर 16 कला सम्पूर्ण बनाने बाप आये हैं।
- इसमें संन्यासियों के मुआफिक घरबार तो छोड़ना नहीं है।
- पावन दुनिया में जाने के लिए यह अन्तिम जन्म तुमको पवित्र जरूर बनना है।
- जो बाप द्वारा पवित्र बनेंगे वही पवित्र दुनिया के मालिक बनेंगे।
- यहाँ तुम बच्चे आये हो बाप के पास।
- यह हेड आफिस है - जहाँ सब आते हैं।
- पारलौकिक बाप आत्माओं को कहते हैं बच्चे, अब देही-अभिमानी बनो।
- आत्मायें भी कहती हैं हाँ बाबा हम आपका फरमान जरूर मानेंगे।
- पवित्र बनेंगे।
- यह श्रीमत है ना।
- श्रीमत से ही श्रेष्ठ बनना है।
- रावण की मत से तुम भ्रष्ट बने हो।
- तो इस शरीर द्वारा आत्मा कहती है हे बाबा हम आपके बने हैं।
- बाप कहते हैं मैं आया ही हूँ सर्व की सद्गति करने।
- पाप आत्मा से पुण्य आत्मा बनाने के लिए।
- तो पवित्र जरूर बनना है।
- पहले जब पवित्र बन ब्रह्माकुमार कुमारी बनें तब ही शिवबाबा से स्वर्ग के सुख का वर्सा पायें।
- तुम फिर से आये हो - बाप से वर्सा लेने।
- तुम जो देवी-देवता धर्म के थे, तुमने ही 84 जन्म लिये हैं।
- अभी वह देवी-देवता हैं नहीं।
- देवतायें जो पतित बने हैं वही आकर पावन बनेंगे।
- जो आये ही बाद में हैं वह स्वर्ग में जा न सकें।
- जिन देवी-देवता धर्म वालों के 84 जन्म पूरे हुए हैं, उन्हों को ही फिर से देवता बनना है।
- बाबा कहते हैं मैं ही आकर ब्रह्मा द्वारा देवी-देवता बनाता हूँ।
- पवित्र बनने बिगर तुम देवी-देवता बन नहीं सकते हो।
- इन बातों को समझेंगे वही जो आकर ब्रह्माकुमार कुमारी बनेंगे।
- प्रजापिता गाया जाता है ना।
- मनुष्य सृष्टि का जगत पिता और जगत अम्बा।
- उन्हों के इतने बच्चे कैसे होंगे।
- अभी है ब्रह्मा मुख वंशावली।
- सब मम्मा बाबा कहते हैं।
- कैसे बच्चे बने?
- शिवबाबा ने ब्रह्मा द्वारा तुमको अपना बनाया है।
- तुम शिवबाबा को याद करते हो, उससे स्वर्ग का वर्सा लेने।
- तो सब ब्रह्माकुमार कुमारियां आपस में भाई बहन ठहरे।
- यह है युक्ति।
- बाबा कहते हैं तुम गृहस्थ व्यवहार में भल रहो परन्तु कमल फूल समान पवित्र रहो।
- यह करके दिखाओ, घरबार छोड़ने की बात नहीं है।
- अपनी रचना की सम्भाल भी करो, सिर्फ पवित्र रहो तो इन देवताओं जैसा फिर बनेंगे।
- देवी-देवता धर्म की स्थापना तो जरूर होनी है।
- बाप बच्चों को सम्मुख बैठ समझाते हैं।
- यह मधुबन है हेड आफिस।
- कितने सेन्टर्स खुलते रहते हैं।
- जो कल्प पहले ब्रह्माकुमार कुमारियां बने थे वही फिर ब्राह्मण से देवता फिर क्षत्रिय, वैश्य, शुद्र बनते आये हैं।
- अब फिर ब्राह्मण बनना पड़े।
- चोटी ब्राह्मणों की है ना।
- इन वर्णों से पास करना होता है।
- बाप कहते हैं तुम सो देवी-देवता थे।
- अब तुम फिर शूद्र से ब्राह्मण बने हो, सो देवी-देवता बनने के लिए।
- तुम पवित्र बनते हो।
- गायन भी है कुमारी वह जो 21 पीढ़ी का उद्धार करे।
- तुम सब ब्रह्माकुमार कुमारियां हो।
- कुमार और कुमारियां तो दोनों चाहिए ना।
- तुम हर एक को 21 पीढ़ी के लिए सदा सुख का रास्ता बताते हो।
- चलो अपने सुखधाम, यह है दु:खधाम।
- अभी बाप को याद करना है।
- बाप कहते हैं पवित्र बनो और मामेकम् याद करो।
- कोई भी देहधारी को याद नहीं करो।
- बाप ही बैठ बच्चों को सुख घनेरे देते हैं।
- अभी कितना दु:ख है।
- दु:ख में ही भगवान को याद किया जाता है।
- बाप स्वर्ग में ले जाते फिर वहाँ क्यों याद करेंगे।
- कहते हैं हे प्रभू, अन्धों की लाठी।
- परन्तु जानते तो कुछ भी नहीं।
- लक्ष्मी-नारायण के आगे भी जाकर कहेंगे - तुम मात-पिता...अब वह तो हैं स्वर्ग के मालिक।
- वह थोड़ेही सबके मात-पिता हो सकते हैं।
- कृष्ण एक राजधानी का, राधे दूसरे राजधानी की।
- फिर उनकी सगाई हो जाती है।
- स्वयंवर के बाद फिर नाम बदल जाता है।
- विष्णु के दो रूप लक्ष्मी-नारायण बनते हैं।
- दीपमाला पर महालक्ष्मी को बुलाते हैं ना।
- वह है युगल।
- अभी तुम काम चिता से उतर ज्ञान चिता पर बैठते हो।
- तुम हो सच्चे ब्राह्मण।
- तुम पवित्रता की प्रतिज्ञा कराते हो।
- बेहद का बाप कहते हैं पवित्र बनो तो पवित्र दुनिया के मालिक बनेंगे।
- घर बैठे भी याद कर सकते हो।
- बाबा कहते हैं तुम सबको मेरे पास आना है।
- मरना तो सबको है।
- यह वही महाभारत की लड़ाई है।
- यहाँ है यौवनों की लड़ाई।
- सतयुग में कोई लड़ाई आदि होती नहीं।
- बाप कहते हैं तुम इस रावण पर जीत पहनो।
- बाकी लड़ाई आदि की कोई बात नहीं।
- यह महाभारत की लड़ाई भी लगती है।
- बाकी थोड़े बचेंगे।
- भारत है अविनाशी खण्ड, बाकी खण्ड खत्म हो जायेंगे।
- बाप सबको वापिस ले जायेंगे।
- बाप सर्व की सद्गति करते हैं।
- आत्माओं को वापिस ले जाते हैं।
- अभी तुम बाप से वर्सा ले रहे हो।
- संन्यासी तो दे न सकें।
- वह कोई स्वर्ग का रचयिता थोड़ेही हैं।
- अभी स्वर्ग की स्थापना हो रही है।
- बाकी नर्क के मनुष्यमात्र सब खत्म हो जायेंगे।
- मरना तो है, क्यों न जीते जी वर्सा ले लेवें।
- नहीं तो हाय-हाय करेंगे।
- कुम्भकरण की आसुरी नींद से अन्त में जागेंगे।
- अभी सारे चक्र की नॉलेज तुम्हारी बुद्धि में है।
- तुम ही पूज्य थे फिर पुजारी बने फिर पूज्य बनते हैं।
- पावन राजायें भी थे, पतित राजायें भी थे।
- अब नो राजा।
- प्रजा का प्रजा पर राज्य है।
- फिर सृष्टि को चक्र खाना है, सतयुग में आना है।
- शिवबाबा इनके मुख से कहते हैं - तुम हमारे बच्चे हो।
- तुम भी कहते हो बाबा हम आपके बच्चे हैं।
- यह है मुख वंशावली।
- तुम ईश्वर का परिवार हो।
- भगवानुवाच एक बाप को याद करो।
- हम आत्मायें अब स्वीट होम में जाती हैं, जहाँ बाबा रहते हैं।
- फिर बाबा स्वीट स्वर्ग में भेज देते हैं, वहाँ भी शान्ति और सुख है।
- तुम यहाँ आये हो पवित्रता, सुख, शान्ति का वर्सा लेने।
- 21 जन्मों के लिए यह पढ़ाई है।
- तुम यहाँ के लिए नहीं पढ़ते हो।
- यह है ही मृत्युलोक।
- तुम अमरनाथ द्वारा अमरकथा सुन अमर बनते हो।
- जो बाप से आकर समझेंगे वही पवित्रता की प्रतिज्ञा करेंगे।
- वही फिर आकर वर्सा लेंगे।
- ब्रह्माकुमार कुमारियां तो ढेर के ढेर होते जायेंगे।
- दिन प्रतिदिन सेन्टर खुलते जायेंगे।
- शूद्र से ब्राह्मण बनते जायेंगे।
- अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बाप से स्वर्ग का वर्सा लेने के लिए गृहस्थ व्यवहार में रहते, रचना की सम्भाल करते हुए कमल फूल समान पवित्र बनना है।
2) हर एक को 21 पीढ़ी के लिए सुखी बनाने का रास्ता बताना है।
ज्ञान चिता पर बैठ शूद्र से ब्राह्मण और फिर देवता बनना है।
- ( All Blessings of 2021-22)
मास्टर स्नेह के सागर बन घृणा भाव को समाप्त करने वाले नॉलेजफुल भव
नॉलेजफुल अर्थात् ज्ञानी तू आत्मा बच्चे हर एक के प्रति मास्टर स्नेह के सागर होते हैं।
उनके पास स्नेह के बिना और कुछ है ही नहीं।
आजकल सम्पत्ति से भी ज्यादा स्नेह की आवश्यकता है।
तो मास्टर स्नेह के सागर बन अपकारी पर भी उपकार करो।
जैसे बाप सभी बच्चों के प्रति रहम और कल्याण की भावना रखते हैं, ऐसे बाप समान क्षमा के सागर और रहमदिल बच्चों में भी किसी के प्रति घृणा भाव नहीं हो सकता।
- (All Slogans of 2021-22)
- हदों को समाप्त कर बेहद की दृष्टि और वृत्ति को अपनाना ही युनिटी का आधार है।
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