10-08-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
"मीठे बच्चे - घड़ी-घड़ी देही-अभिमानी बनने की प्रैक्टिस करो - मैं आत्मा हूँ, एक शरीर छोड़ दूसरा लेती हूँ, अब मुझे घर जाना है''
प्रश्नः-
सबसे मुख्य त्योहार कौन सा है और क्यों?
उत्तर:-
सबसे मुख्य त्योहार है रक्षाबंधन क्योंकि बाप जब पवित्रता की राखी बांधते हैं तो भारत स्वर्ग बन जाता है।
रक्षाबंधन पर तुम बच्चे सबको समझा सकते हो कि यह त्योहार मनाना कब से शुरू हुआ और क्यों?
सतयुग में इस बन्धन की दरकार ही नहीं।
लेकिन वह कह देते हैं यह रक्षाबन्धन तो परम्परा से चलता आया है।
गीत:- जय जय अम्बे माँ...
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- ओम् शान्ति।
- यह भी भक्ति मार्ग का गीत है।
- भक्तिमार्ग में अनेक प्रकार का गायन होता है।
- गायन निराकार, आकार और साकार तीनों का होता है।
- अब बाप बच्चों को समझाते हैं, बच्चे तो समझ गये कि हम आत्मा हैं।
- हमको समझाने वाला है परमपिता परमात्मा।
- सर्व मनुष्य मात्र को सद्गति देने वाला एक ही है।
- फिर उनके साथ जो सर्विस करने वाले हैं, उन्हों की भी महिमा गाते हैं।
- बाप तो कहते हैं मामेकम् याद करो।
- आत्मा समझती है अभी परमपिता परमात्मा हमको सम्मुख नॉलेज देते हैं।
- उस बाप की ही अव्यभिचारी याद रहनी चाहिए और कोई नाम रूप की याद नहीं आनी चाहिए।
- आत्मा तो सब हैं।
- बाकी शरीर मिलने से शरीर के नाम बदलते जाते हैं।
- आत्मा पर कोई नाम नहीं।
- शरीर पर ही नाम पड़ता है।
- बाप कहते हैं मैं भी आत्मा हूँ।
- परन्तु परम आत्मा यानी परमात्मा हूँ।
- मेरा नाम तो है ना।
- मैं हूँ आत्मा।
- मैं शरीर कभी धारण करता नहीं हूँ, इसलिए मेरा नाम रखा गया है शिव और सभी के शरीर के नाम पड़ते हैं, मेरा तो शरीर नहीं है।
- नाम तो चाहिए ना।
- नहीं तो मैं भी आत्मा तो फिर परमात्मा कौन है।
- मैं हूँ परम आत्मा, मेरा नाम है शिव।
- जो भी पूजा करते हैं, लिंग की करते हैं।
- लिंग पत्थर को ही परमात्मा कहते रहते।
- फिर जैसी भाषा वैसा नाम।
- परन्तु चीज़ एक ही है।
- जैसे तुम्हारी आत्मा, वैसे मेरी है।
- तुम भी बिन्दी, मैं भी बिन्दी हूँ।
- मुझ बिन्दी का नाम है शिव।
- पहचान के लिए नाम तो चाहिए ना।
- इस समय ब्रह्मा सरस्वती जो बड़े ते बड़े हैं उनको भी सद्गति मिल रही है।
- सद्गति तो सभी आत्माओं को मिलनी है।
- सभी आत्मायें परमधाम में रहती हैं, फिर भी परमात्मा को तो अलग रखेंगे ना।
- सबको अपना-अपना पार्ट मिला हुआ है।
- सारी रूद्र माला का बीजरूप बाप है ना।
- सभी उनको याद करते हैं ओ गॉड फादर।
- सभी जगह फादर को याद करते हैं, मदर को नहीं।
- यहाँ भारत में ही आकर पतितों को पावन बनाते हैं।
- मदर भी एडाप्टेड है।
- सरस्वती को भी परमपिता परमात्मा ने ब्रह्मा द्वारा एडाप्ट किया और फिर इसमें प्रवेश किया है।
- यह एडाप्शन और प्रकार की है, थ्रू तो कोई चाहिए ना।
- कहते हैं इन द्वारा मैं नॉलेज सुनाता हूँ, इन द्वारा बच्चे एडाप्ट करता हूँ।
- तो यह माता भी सिद्ध होती है।
- प्रवृत्ति मार्ग है ना।
- परन्तु है तो मेल इसलिए मुख्य सरस्वती को माता के पद पर रखा जाता है।
- यह बड़े गुह्य राज़ समझने के हैं।
- प्रजापिता है ना, प्रजा को रचने वाला।
- इन द्वारा वह रचते हैं, ऐसे नहीं कि सरस्वती द्वारा कोई एडाप्ट करते हैं, नहीं।
- यह तो बड़ी समझ की बात है।
- पहले-पहले बाप का परिचय देना होता है।
- गाते भी हैं पतित-पावन आओ।
- यह किसने कहा?
- आत्मा ने क्योंकि आत्मा और शरीर दोनों ही पतित हैं।
- पहले तो अपने को आत्मा समझना है।
- आत्मा ही कहती है मैं शरीर लेता हूँ, छोड़ता हूँ।
- एक-एक बात निश्चय में बिठानी होती है क्योंकि नई बात है ना।
- और जो सुनाते हैं वह हैं मनुष्य।
- भगवान तो नहीं।
- जब कोई आते हैं तो पहले-पहले यह समझाओ कि आत्मा और शरीर दो चीज़ें हैं।
- आत्मा अविनाशी है।
- पहले अपने को आत्मा समझो।
- मैं मजिस्ट्रेट हूँ, यह किसने कहा?
- आत्मा इन आरगन्स से कहती है।
- आत्मा जानती है - मेरे शरीर का नाम भी है और पद भी है मजिस्ट्रेट का।
- यह शरीर छोड़ने से मजिस्ट्रेट पद और शरीर का नाम रूप सब बदल जायेगा।
- पद भी दूसरा हो जायेगा।
- तो पहले-पहले आत्म-अभिमानी बनना है।
- मनुष्यों को तो आत्मा का ज्ञान भी नहीं है।
- पहले आत्मा का ज्ञान देकर फिर समझाओ आत्मा का बाप तो परमात्मा है।
- आत्मा दु:खी होती है तो पुकारती है ओ गॉड फादर।
- वही पतित-पावन है।
- आत्मायें सभी पतित हो गई हैं।
- तो जरूर परमपिता परमात्मा को आना पड़े।
- पतित दुनिया और पतित शरीर में।
- बाप खुद कहते हैं मुझ दूरदेश के रहने वाले को बुलाते हैं, क्योंकि तुम पतित हो मैं एवर पावन हूँ।
- भारत पावन था, अभी पतित है।
- पतित-पावन बाप आकर आत्माओं से बात करते हैं।
- ब्रह्मा तन में आकर समझाते हैं, इसलिए इनका नाम है प्रजापिता।
- ब्रह्मा द्वारा प्रजा रचते हैं।
- कौन सी?
- जरूर नई प्रजा रचेंगे।
- आत्मा जो अपवित्र है उनको पवित्र बनाते हैं।
- आत्मा पुकारती है हमको दु:ख से छुड़ाओ, लिबरेट करो।
- सबको लिबरेट करते हैं।
- माया ने सबको दु:खी किया है।
- सीताओं ने पुकारा है ना।
- एक तो सीता नहीं।
- सब रावण की जेल में विकारी, भ्रष्टाचारी बन गये हैं।
- है ही रावण राज्य।
- राम तो है ही निराकार।
- राम राम कहते हैं ना।
- एक को ही जपते हैं।
- गॉड फादर शिव निराकार तो उनको आरगन्स चाहिए ना।
- तो शिवबाबा इन द्वारा बैठ समझाते हैं।
- तुम आत्मा भी पतित हो तो शरीर भी पतित है।
- अभी तुम श्याम हो फिर सुन्दर बनते हो।
- बाबा ज्ञान का सागर, ज्ञान की वर्षा करते हैं।
- जिससे तुम गोरे बन जाते हो।
- भारतवासी गोरे थे फिर काम चिता पर चढ़ सांवरे वैश्य, शूद्र वंशी बन पड़े हैं।
- चढ़ती कला बाप करते हैं फिर रावण आता है तो सबकी उतरती कला हो जाती है।
- भारत में पहले देवताओं का राज्य था।
- अभी नहीं है।
- परमात्मा इस शरीर द्वारा तुम बच्चों को समझाते हैं, जो वर्सा लेने वाले हैं उनको खुशी का पारा चढ़ता रहेगा।
- श्रीमत पर तो जरूर चलना होगा।
- आप पावन बनाने आये हो मैं भी जरूर पावन बनूँगा, तब ही पावन दुनिया का मालिक बनूँगा।
- यह प्रतिज्ञा करनी होती है।
- यही राखी बंधन है।
- बच्चे प्रतिज्ञा करते हैं - बाप से।
- यह कोई लौकिक देहधारी बाप नहीं है।
- यह तो निराकार है।
- इनमें प्रवेश किया है।
- कहते हैं तुम भी देही-अभिमानी बनो।
- अपने को आत्मा समझ मुझ परमपिता परमात्मा को याद करो।
- भारत में ही प्योरिटी थी तो कितनी पीस प्रासपर्टी थी और कोई धर्म वाला नहीं था।
- तुम कहेंगे बाबा हमको ऐसा समझाते हैं तुम भी समझो।
- बाप को याद करने से ही विकर्म विनाश होंगे।
- पावन बनाने वाला एक ही बाप है।
- बाप समझाते हैं तुम आत्मा हो, तुम्हारा स्वधर्म शान्ति है।
- तुम शान्ति-धाम के रहने वाले हो।
- तुम कर्मयोगी हो।
- साइलेन्स में तुम कितना समय रहेंगे।
- अपने को आत्मा समझ बाप को याद करो तो विकर्म विनाश होंगे।
- कलियुग में हैं ही सब पतित।
- तुम जानते हो हम संगम पर पावन बन रहे हैं।
- पतित दुनिया का विनाश होना है।
- यह महाभारत लड़ाई है।
- नेचुरल कैलेमिटीज होती है, इन द्वारा पुरानी दुनिया खलास होनी है।
- नई दुनिया में है ही देवताओं का राज्य।
- तो अभी हम परमपिता परमात्मा के फरमान पर चलते हैं।
- उनकी श्रीमत मिलती है।
- यह नॉलेज बड़ी समझने की है।
- बोलो, ऐसे नहीं कि एक कान से सुन दूसरे कान से निकाल देना है।
- यहाँ तो पढ़ना है।
- 7 दिन की भट्ठी भी मशहूर है।
- 7 रोज़ बैठकर समझो।
- बाप को और अपने जन्मों को जानो।
- हम कैसे पतित बने हैं फिर कैसे पावन बनना है, अगर नहीं समझेंगे तो पछताना पड़ेगा क्योंकि सिर पर पापों का बोझा बहुत है।
- एक ही बाप मोस्ट बिलवेड है जो हमें पावन दुनिया का मालिक बनाते हैं।
- बाकी तो सभी एक दो को पतित ही बनाते हैं।
- सतयुग में पवित्र गृहस्थ था, अब अपवित्र बने हैं।
- यह है ही रावण राज्य।
- अब स्वर्ग में चलना है तो पावन बनना है, तब ही बेहद के बाप से वर्सा मिलेगा।
- यह तो याद करो - हम शान्तिधाम के वासी हैं फिर सुखधाम में गये, अभी तो दु:खधाम है।
- फिर जाना है - शान्तिधाम इसलिए देही-अभिमानी बनना है।
- बाप कहते हैं घर में रहते एक तो पवित्र बनो, दूसरा मुझे याद करो तो पाप नाश हो जायेंगे।
- याद नहीं करेंगे, पवित्र नहीं रहेंगे तो विकर्म कैसे विनाश होंगे।
- रावणराज्य से कैसे छूटेंगे।
- यहाँ सब शोकवाटिका में हैं।
- भारत आधाकल्प शोक वाटिका में और आधाकल्प अशोक-वाटिका में रहता है।
- आप भी पतित दुनिया में हो ना।
- तुम अथॉरिटी से समझाने वाले हो तो भी रिस्पेक्ट से बोलना है कि तुम भल कहते हो कि हम गॉड फादर की सन्तान हैं, परन्तु फादर का ज्ञान कहाँ है!
- लौकिक बाप को तो जानते हो परन्तु पारलौकिक बाप जो इतना बेहद का सुख देते हैं, स्वर्ग का मालिक बनाते हैं उनको तुम नहीं जानते हो।
- भारत को जिसने स्वर्ग बनाया था, उनको तुम भूल गये हो इसलिए ही यह हालत हुई है।
- सभी भ्रष्टाचारी हैं क्योंकि विष से पैदा होते हैं।
- यह तो कोई भी समझ जायेगा, इसमें इन्सल्ट की कोई बात नहीं है।
- यह तो समझानी दी जाती है।
- रक्षाबन्धन का ही महत्व है।
- बाप कहते हैं विकारों पर जीत पाकर मुझे याद करो और शान्तिधाम को याद करो तो तुम वहाँ चले जायेंगे।
- बुद्धि में यह याद रहना चाहिए - हम सुखधाम में जाते हैं वाया शान्तिधाम।
- पहले देही-अभिमानी जरूर बनना पड़े।
- मैं आत्मा हूँ एक शरीर छोड़ दूसरा लेता हूँ।
- बाप ने यह भी समझाया है कि मनुष्य कुत्ता बिल्ली नहीं बनता है।
- मनुष्य तो भक्ति मार्ग में कितने धक्के खाते रहते हैं।
- अभी तुम बच्चे भाषण में समझाते रहो कि तुम पतित हो ना तब तो पतित-पावन बाप को याद करते हो।
- सब सीतायें शोक वाटिका में हैं।
- दिन प्रतिदिन शोक बढ़ता ही जाता है।
- जिन्होंने राज्य लिया है वह भी समझते हैं बहुत दु:ख है।
- कितना माथा मारते रहते हैं।
- एक को शान्त कराते तो दूसरा खड़ा हो जाता है।
- लड़ाई लगती ही रहती है।
- शान्ति के बदले और ही अशान्ति होती जाती है।
- बाप आकर इस दु:ख अशान्ति को मिटाए सुखधाम बना देते हैं।
- पुरानी दुनिया में है दु:ख।
- नई दुनिया में है सुख।
- यह राखी बंधन का बड़ा त्योहार है।
- समझाना है यह रिवाज़ किसने डाला है।
- पतित-पावन परमपिता परमात्मा उसने आकर पवित्रता की प्रतिज्ञा कराई है।
- 5 हजार वर्ष पहले प्रतिज्ञा की थी।
- अब फिर परमपिता परमात्मा से बुद्धियोग लगाओ तो तुम पावन बन जायेंगे।
- पूछो राखी कब से बांधते आते हो?
- कहते हैं - यह तो अनादि कायदा है।
- अरे पावन दुनिया में थोड़ेही राखी बांधेंगे।
- यहाँ तो कोई पावन है नहीं।
- अब बाप फरमान करते हैं कि पवित्र बनो तो पवित्र दुनिया में चलेंगे।
- प्योरिटी है फर्स्ट।
- पवित्र प्रवृत्ति मार्ग था, अब नहीं है।
- स्वर्ग में दु:ख का नाम ही नहीं होता है।
- नर्क में फिर सुख का नाम नहीं होता है।
- भ्रष्टाचारियों को अल्पकाल का सुख मिलता, श्रेष्ठाचारियों को आधाकल्प सुख मिलता है।
- यह तो जानते हो राखी उत्सव पास होगा कहेंगे हूबहू कल्प पहले भी हुआ था।
- ड्रामा को पूरा न समझने के कारण मूँझ भी पड़ते हैं।
- पहले-पहले परिचय देना है बाप का।
- बाप ही आकर लिबरेट करते हैं।
- राखी बंधन कब से शुरू हुआ?
- इनका भी बड़ा महत्व है।
- लिख देना चाहिए - आकर समझो।
- कोई को भी समझाओ, कहाँ भी भाषण के लिए जगह दें।
- कांग्रेस वाले दुकानों पर खड़े होकर भाषण करते हैं तो ढेर आ जाते हैं।
- सर्विस के लिए पुरूषार्थ करना चाहिए।
- अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अथॉरिटी के साथ-साथ बहुत रिस्पेक्ट से बात करनी है।
सबको पतित से पावन बनाने की युक्ति बतानी है।
2) एक अव्यभिचारी याद में रहना है, किसी भी देहधारी के नाम रूप को याद नहीं करना है।
पावन बनने की ही प्रतिज्ञा बाप से करनी है।
- ( All Blessings of 2021-22)
महद की इच्छाओं का त्याग कर अच्छा बनने की विधि द्वारा सर्व प्राप्ति सम्पन्न भव
जो हद की इच्छायें रखते हैं, उनकी इच्छायें कभी पूरी नहीं होती।
अच्छा बनने वालों की सभी शुभ इच्छायें स्वत: पूरी हो जाती हैं।
दाता के बच्चों को कुछ भी मांगने की आवश्यकता नहीं है।
मांगने से कुछ भी मिलता नहीं है।
मांगना अर्थात् इच्छा।
बेहद की सेवा का संकल्प बिना हद की इच्छा के होगा तो अवश्य पूरा होगा इसलिए हद की इच्छा के बजाए अच्छा बनने की विधि अपना लो तो सर्व प्राप्तियों से सम्पन्न हो जायेंगे।
- (All Slogans of 2021-22)
- याद और नि:स्वार्थ सेवा द्वारा मायाजीत बनना ही विजयी बनना है।
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