25-07-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन


"मीठे बच्चे - पवित्रता का कंगन बांधो तो तुम्हें राजतिलक मिल जायेगा, पावन बनने की प्रतिज्ञा करो''"

 

प्रश्नः-

तुम बच्चों को अभी किस बंधन में बंधना है?

उत्तर:-

बाप को याद करने का बंधन।

इस बंधन में बंधने से तुम्हारे सब विकर्म विनाश हो जायेंगे और आगे विकर्म करने से बच जायेंगे।

आत्मा पावन बन जायेगी।

प्रश्नः-

भक्ति मार्ग का फैशन क्या है?

उत्तर:-

बर्थ डे, जयन्ती आदि मनाना - यह भक्तिमार्ग का फैशन है।

परन्तु इससे फायदा कुछ भी नहीं क्योंकि जिनकी जयन्ती मनाते हैं, उनको यथार्थ रीति जानते भी नहीं हैं।

गीत:- तू प्यार का सागर है....

  • ओम् शान्ति।
  • अब गीत बच्चों ने सुना, यह जो कुछ बनाया है - भक्ति मार्ग वालों ने ही बनाया है।
  • जब भारत श्रेष्ठाचारी पूज्य था तो कोई भी भक्तिमार्ग का चिन्ह नहीं था।
  • न वेद शास्त्र, न तप तीर्थ, दान पुण्य, कुछ भी नहीं होता था।
  • यह सब भक्ति मार्ग में निकले हैं।
  • गीत में पहले-पहले कहते हैं - तू प्यार का सागर है।
  • जब एक बूंद पिलाते हैं तब हम यहाँ से पावन दुनिया में चले जाते हैं।
  • परन्तु प्यार पिलाया नहीं जाता, प्यार किया जाता है।
  • ज्ञान अमृत पिलाते हैं।
  • बाबा है भी ज्ञान का सागर।
  • इतनी नदियां जो निकलती हैं उनका क्रियेटर कौन है?
  • जरूर कहेंगे सागर है, उनसे ही सब नदियां निकलती हैं।
  • तो ज्ञान का सागर परमपिता परमात्मा ठहरा।
  • उनसे तुम ज्ञान गंगायें निकलती हो।
  • भल उनकी महिमा है वह प्रेम का सागर, सुख का सागर है।
  • जब तुम ज्ञान पिलाते हो तब हम स्वर्ग में चले जाते हैं।
  • सद्गति को पा लेते हैं।
  • बाप कहते हैं मुझ ज्ञान सागर को याद करो तो तुम्हारे विकर्म विनाश होंगे।
  • पावन बन जायेंगे।
  • यह पहले-पहले कौन सुनता है?
  • यह गुप्त बात हुई ना।
  • गाते भी हैं तुम मात पिता.... पिता तो है परन्तु उन्हें माता क्यों कहा जाता है?
  • पिता तो ठीक है - अब माता किसको कहें?
  • पहले ज्ञान अमृत कौन पीता है?
  • वह आकर प्रवेश करते हैं।
  • ज्ञान सुनाते हैं तो पहले कौन सुनेगा?
  • जरूर यह।
  • तो यह माता हो गई - इनके कान पहले सुनते हैं।
  • वास्तव में शरीर माता का नहीं है, तो माता कहाँ से लायें?
  • इसलिए गाया हुआ है जगदम्बा सरस्वती।
  • सरस्वती को सितार है, वह है ब्रह्माकुमारी।
  • कुमारी की महिमा बहुत है।
  • ब्रह्मा की इतनी महिमा नहीं है, इतने मेले नहीं लगते जितने जगदम्बा के मेले लगते हैं।
  • जो ज्ञान ज्ञानेश्वरी है उसी पर ज्ञान का कलष रखते हैं।
  • ज्ञान सागर वह है, उनको ही पतित-पावन कहा जाता है।
  • पतित है कलियुगी दुनिया।
  • पावन है सतयुगी दुनिया।
  • सतयुग में है लक्ष्मी-नारायण का राज्य।
  • अब उन्हें यह राजाई का तिलक कैसे मिला?
  • गाया जाता है ज्ञान सागर जब आते हैं तब पवित्रता का कंगन बांधते हैं।
  • बहन मुख्य गिनी जाती है।
  • जो बैठ और बहन भाइयों को राखी बांधती है।
  • पतित-पावन बाप कहते हैं - तुम पवित्र बनो तो तुमको राजतिलक मिलेगा।
  • यह बात है संगम की।
  • जबकि मनुष्य पुकारते हैं पतित-पावन आओ।
  • यहाँ तो राजाई है नहीं।
  • बाप कहते हैं तुम पतित भ्रष्टाचारी से पावन श्रेष्ठाचारी बनेंगे तो राजाई का तिलक तुमको मिलेगा।
  • तिलक कोई दिया नहीं जाता है, यह तो समझाया जाता है।
  • पतित दुनिया में तो है ही पतित का पतित पर राज्य।
  • अब पावन बनने की प्रतिज्ञा करो।
  • प्रतिज्ञा अक्षर भी कहने में आता है, लेकिन है ज्ञान की बात।
  • बच्चे जानते हैं हम पतित-पावन, ज्ञान सागर बाप के बच्चे बने हैं तो जरूर हमको पावन बनना होगा।
  • बाकी तो रक्षाबंधन के दिन राखी बांधने वा तिलक देने का सवाल नहीं उठता है।
  • तुम तिलक कहाँ देते हो?
  • भक्ति मार्ग में रसम निकाल दी है, अर्थ तो कुछ भी समझते नहीं हैं।
  • राजतिलक कब और किसको मिला।
  • यहाँ तो है सारी ज्ञान की बात।
  • तो तुमको जाकर समझाना है।
  • यह तुम ब्राह्मणों का काम है।
  • वह जो बहन भाईयों को राखी बांधती है, परन्तु वह खुद पवित्र थोड़ेही रहती है।
  • पहले कुमारी है तो पावन है फिर पतित बन पड़ती है।
  • मातायें, कन्यायें दोनों राखी बांधने जाती हैं तो क्या दोनों पवित्र हैं?
  • माता तो है ही अपवित्र तो अपवित्र को अपवित्र राखी बांधे, तो फायदा कुछ भी नहीं होता।
  • रीयल्टी में जो होता है उनका फिर यादगार मनाया जाता है।
  • जैसे कृष्ण जयन्ती हो गई फिर बाद में बैठकर मनाते हैं, यादगार अथवा बर्थ डे मनाना यह तो एक फैशन पड़ गया है।
  • इसमें तो कुछ फायदा नहीं, सिवाए खर्चे के।
  • शिव जयन्ती मनाते हैं अर्थात् बर्थ डे मनाते हैं, परन्तु उन्हों को तो कुछ पता नहीं हैं - शिवरात्रि वा शिव जयन्ती रीयल में कब हुई थी!
  • रीयल्टी से फायदा होता है, अनरीयल्टी से नुकसान ही होता है।
  • यह है ही झूठी दुनिया।
  • राखी उत्सव भी झूठा मनाते हैं।
  • वास्तव में है पवित्रता की बात।
  • पवित्रता की ही प्रतिज्ञा की जाती है।
  • यह तो अभी शुरू हुआ है।
  • पहले तो यह भी नहीं जानते थे कि पतित-पावन कौन है, वह कैसे आकर राखी बांधते हैं।
  • तो तुम कभी पतित नहीं बनना।
  • तुम भी सबको यही कहते हो - आज से प्रतिज्ञा करो - हम पावन बनाने वाले बाप से स्वर्ग का स्वराज्य लेंगे।
  • पावन जरूर बनेंगे।
  • पतित बनाने वाले रावण की सेना बड़ी तंग करती है।
  • बाप कहते हैं अब तुम मेरी याद से पावन बनते जायेंगे, विकर्म भस्म होंगे।
  • भगवानुवाच मामेकम् याद करो तो इस योग अग्नि से तुम पवित्र बनोंगे।
  • इसमें तो राखी की कोई बात ही नहीं।
  • पतित-पावन बाप कहते हैं मेरे को याद करने से तुम्हारे पास्ट के विकर्म विनाश हो जायेंगे और आगे भी कोई विकर्म नहीं होंगे क्योंकि तुम पवित्र ही रहेंगे।
  • तुम कितना अच्छी रीति समझाते हो।
  • ब्रह्माकुमार अथवा कुमारियां... पुरुष भी तो ब्रह्माकुमार हैं ना।
  • महिमा माता को दे दी है।
  • माता गुरू तो एक हो भी नहीं सकती।
  • यह प्रवृत्ति का मार्ग है।
  • त्योहार जो मनाते आते हैं, वह अन्ध-श्रद्धा से कर लेते हैं, पैसा कमाने के लिए।
  • आगे ब्राह्मण लोग तो एक ही किसम की राखी ले जाते थे।
  • मेल फीमेल सबको बांधते थे।
  • एक पैसा मिल जाता था।
  • कोई साहूकार आना दो आना दे देते थे।
  • कोई बड़ा साहूकार होता था तो एक रूपया दे देते थे।
  • अभी क्या कर दिया है।
  • बहन राखी बांध तिलक देती है फिर भाई-बहन को अच्छी खर्ची देते हैं।
  • गिन्नी भी देंगे।
  • 50 रुपया भी दे देते हैं। रसम ही बदल गई है।
  • है ब्राह्मण का काम।
  • तुम तो हो सच्चे ब्राह्मण मुख वंशावली।
  • वह तो हैं कुख वंशावली।
  • तुम ब्राह्मण ही देवता बनते हो।
  • ब्राह्मण बन फिर पावन बनना शुरू करते हो।
  • पतित-पावन है ही एक बाप।
  • अब कन्या राखी बांधने जाती है फिर अगर जाकर अपवित्र बनती है तो तिलक तो गुम हो जाता है।
  • राजाई मिलती नहीं।
  • यहाँ तो परमपिता परमात्मा आर्डिनेंस निकालते हैं कि जो पवित्र बनेंगे वह पवित्र दुनिया के मालिक बनेंगे।
  • पावन तो सिर्फ तुम बनते हो।
  • तो तुमको पहले-पहले यह समझाना चाहिए कि राखी बंधन है ही पवित्रता की निशानी।
  • तुम इस काम शत्रु को जीतो तो पवित्र बन जायेंगे।
  • मुझे याद करते रहो।
  • याद का बंधन बड़ा कड़ा है क्योंकि जन्म-जन्मान्तर के पापों का बोझा सिर पर है।
  • यह बाप ही समझाते हैं कि सतयुग से त्रेता तक तुम पवित्र थे, पवित्र स्वराज्य था।
  • वह कैसे स्वराज्य पाया - यह ड्रामा का चक्र इस रीति फिरता है।
  • पतित-पावन बाप ने आकर सबको कहा है कि पवित्र बनो।
  • जो ब्रह्मा मुख वंशावली हैं - कमल फूल समान गृहस्थ व्यवहार में रह पवित्र बन बाप को याद करते हैं, वही ऊंच पद पाते हैं।
  • 5 हजार वर्ष पहले भी ऐसे हुआ था, अब भी होना है।
  • आजकल की दुनिया देखो कैसी है, गीत भी तो है ना - आज के इंसान को क्या हो गया।
  • कहाँ नया भारत स्वर्ग और कहाँ पुराना भारत नर्क।
  • वहाँ सब एक दो को प्यार करते थे क्योंकि सुखधाम था।
  • यह है दु:खधाम। रावण ने राज्य छीन लिया।
  • राम और रावण की कहानी बनानी पड़े।
  • 5 हजार वर्ष पहले रामराज्य था, स्वराज्य था।
  • अब बाप कहते हैं मामेकम् याद करो।
  • गृहस्थ व्यवहार में रहते कमल फूल समान बनो।
  • तो पवित्र दुनिया का राज-तिलक मिलेगा।
  • हम राजयोग सीखते हैं।
  • यह है ही स्वराज्य पाने की पढ़ाई।
  • वह तिलक ब्राह्मण लोग देते हैं।
  • यह स्वराज्य तिलक है।
  • राजाई तुम बच्चों को मिलती है, अगर तुम बच्चे बाप का कहना मानो तो, इसलिए पूछा जाता है - पारलौकिक परमपिता परमात्मा से आपका क्या सम्बन्ध है?
  • बाप एक वही पतित-पावन है।
  • कहते हैं पवित्र बन पवित्र दुनिया का मालिक बनो।
  • बाप पावन बनाते हैं संगम पर।
  • अभी संगम है, मौत सामने खड़ा है, इसलिए कहते हैं बाप के बनो।
  • राय भी देते हैं - यह समझ की बात है।
  • भगवान की हम रचना हैं तो बाप का वर्सा है ही स्वर्ग।
  • बरोबर स्वर्ग था।
  • तुम कहते भी हो भक्तों को भगवान आकर अपने धाम ले जायेंगे।
  • धाम हैं ही दो - मुक्ति और जीवनमुक्ति।
  • भारत जीवनमुक्त था तब दूसरी आत्मायें शान्तिधाम में थी।
  • सुखधाम था तब दु:खधाम था ही नहीं।
  • अब वह सुखधाम फिर दु:खधाम बन गया है।
  • यह चक्र रिपीट होता है, कलियुग के बाद सतयुग आता है।
  • सतयुग स्थापन करने वाला एक ही बाप है, वही पतित-पावन है।
  • कलियुगी पतित दुनिया से पावन दुनिया बनेगी।
  • रामराज्य शुरू हो जायेगा।
  • भगवान के महावाक्य हैं - कमल फूल समान पवित्र बनो।
  • काम महाशत्रु को जीतो।
  • बाकी वह ब्राह्मण भी, बहन भाई भी सब पतित हैं।
  • पतित, पतित को राखी बांधते हैं।
  • यह तो इस संगम पर ही बाप आकर पवित्रता की प्रतिज्ञा कराते हैं।
  • जब तक पतित-पावन बाप न आये तब तक स्वराज्य कहाँ।
  • बाबा समझानी देते हैं - कैसे किसको समझाओ।
  • बोलो, पहले तुम कहते हो पतित-पावन आओ - यह किसको कहते हो?
  • गाते भी हो तुम मात-पिता.... यह किसकी महिमा करते हो?
  • जरूर भगवान ही ठहरा।
  • उनको ही पतित-पावन कहा जाता है।
  • वह जब आये तब प्रतिज्ञा कराये पवित्रता की।
  • दूसरी बात - तुम्हारे ऊपर जन्म-जन्मान्तर का बोझा है।
  • आधाकल्प से रावण राज्य होता है।
  • दिन प्रतिदिन दु:खी पतित होते-होते एकदम भ्रष्टाचारी हो गये हो।
  • आयु भी छोटी हो गई है।
  • अकाले मृत्यु भी होता रहता है।
  • भोगी भी बन पड़े हो।
  • सतयुग में योगी थे - घर गृहस्थ में रहते हुए, उन्हों को कहा जाता है सर्वगुण सम्पन्न.... वाइसलेस वर्ल्ड।
  • प्रवृत्ति मार्ग तो है ना।
  • राज्य करते होंगे।
  • शादियां आदि भी होती होंगी।
  • वह है पावन राज्य।
  • पतित-पावन बाप पतित दुनिया को पावन कैसे बनाते हैं, वह बैठ समझो।
  • राखी भी पवित्रता की बांधी जाती है।
  • वन्दे मातरम् कहा जाता है ना।
  • कन्या भी माता बनती है।
  • यहाँ कन्या, माता, पुरुष सब पतित से पावन बनते हैं।
  • पतित-पावन बाप आकर पवित्रता की प्रतिज्ञा कराते हैं कि मनमनाभव।
  • पवित्र बन और मुझे याद करो।
  • तुम्हारे विकर्म विनाश होने का और कोई उपाय नहीं है।
  • सजायें खायेंगे तो राजाई पद भी नहीं मिलेगा।
  • जो योग में रह विकर्माजीत बनेंगे वही विकर्माजीत राजा बनेंगे।
  • विकर्माजीत का संवत वन से 2500 वर्ष तक फिर विक्रम राजा का संवत 2500 वर्ष से 5000 वर्ष तक।
  • मनुष्य संवत को नहीं जानते।
  • विकर्माजीत बादशाही सतयुग त्रेता में चलती है, उनको लाखों वर्ष दे दिये हैं।
  • और विक्रम संवत को 2 हजार वर्ष दे दिये हैं।
  • वास्तव में आधा उनका, आधा उनका होना चाहिए।
  • यह सब बातें समझने की हैं।
  • पहली-पहली बात है पतित-पावन कौन है।
  • पतित मनुष्य ही उनको याद करते हैं।
  • पावन याद नहीं करते हैं।
  • वहाँ है ही सुख तो याद नहीं करते।
  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।


  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) योग में रहकर विकर्माजीत बनना है।

    विकर्मो पर जीत पाने से ही विकर्माजीत राजा बनेंगे।

    स्वयं को स्वयं ही स्वराज्य तिलक देना है।

    कभी भी किसी को दु:ख नहीं देना है।

    2) पवित्र बन पवित्रता की राखी सबको बांधनी है।

    कमल फूल समान रहना है।



  • ( All Blessings of 2021-22)
  • नॉलेज की शक्ति द्वारा कर्मेन्द्रियों पर शासन करने वाले सफल स्वराज्य अधिकारी भव

    रोज़ अपने सहयोगी सर्व कर्मचारियों की राज्य दरबार लगाओ और चेक करो कि कोई भी कर्मेन्द्रिय वा कर्मचारी से बार-बार गलती तो नहीं होती है!

    क्योंकि गलत कार्य करते-करते संस्कार पक्के हो जाते हैं, इसलिए नॉलेज की शक्ति से चेक करने के साथ-साथ चेंज कर दो तब कहेंगे सफल स्वराज्य अधिकारी।

    ऐसे स्वराज्य चलाने में जो सफल रहते हैं, उनसे सम्पर्क में आने वाली सर्व आत्मायें सन्तुष्ट रहती हैं, वे सर्व की शुक्रिया के पात्र बन जाते हैं।



  • (All Slogans of 2021-22)
    • हर समय करन-करावनहार बाबा याद रहे तो मैं पन का अभिमान आ नहीं सकता।