22-07-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन


"मीठे बच्चे - अब दु:ख के बन्धनों से छूट सुख के सम्बन्ध में जाना है, इसलिए पुराने कर्मबन्धन के हिसाब-किताब सब चुक्तू करने हैं''

 

प्रश्नः-

इस युद्धस्थल पर बेहद की बाक्सिंग कौन सी है? बाक्सिंग में विजय का आधार क्या है?

उत्तर:-

माया रावण से तुम बच्चों की बेहद की बाक्सिंग है, इसे ही मल्लयुद्ध कहा जाता है।

इस बाक्सिंग में विजयी बनने के लिए बुद्धि में रहे हमने कल्प-कल्प जीत पाई है।

माया रावण पर जीत पाने के लिए पाँचों भूतों का दान देना है।

दान में देकर फिर कभी वापिस नहीं लेना है।

अगर दान देकर वापस लिया - काम, क्रोध के वश हुए तो सब भूत फिर सताने लगेंगे।

गीत:- एक तू जो मिला सारी दुनिया मिली....

  • ओम् शान्ति।
  • यह रिकार्ड है जो बंधन से मुक्त हो सम्बन्ध में आये हैं।
  • इस समय है माया का बंधन, इसको ही आसुरी बंधन कहा जाता है।
  • अब तुम्हारा है ईश्वरीय सम्बन्ध।
  • बंधन में है दु:ख, सम्बन्ध में है सुख इसलिए कहते हैं दु:ख के बंधन काट हमें सुख के सम्बन्ध में लाओ।
  • भक्ति मार्ग में भक्तों की पुकार होती है।
  • भगत अर्थात् भगवान को याद करने वाले।
  • परन्तु दुनिया में एक भी भक्त नहीं जिसको भगवान का पता हो इसलिए आधाकल्प से भक्तिमार्ग चला आता है।
  • साधू भी साधना करते हैं।
  • भगवान से मिलने के लिए बंदगी करते हैं।
  • भगवान तो एक है, उनसे वर्सा मिलता है।
  • हद के बाप का वर्सा तो है फिर भी बेहद के बाप को याद करते हैं क्योंकि हद के वर्से में दु:ख है।
  • बेहद के वर्से में सुख है।
  • यह भी तुम जानते हो।
  • तुम्हारे बंधन कांटने के लिए बाप सम्मुख बैठे हैं।
  • गाया भी जाता है दु:ख हर्ता सुख कर्ता।
  • दु:ख हर्ता शान्ति कर्ता नहीं कहेंगे।
  • सभी शान्ति में चले जायें फिर तो सृष्टि ही न रहे इसलिए दु:ख हर्ता सुख कर्ता कहा जाता है।
  • सबको सुख देते हैं।
  • मुक्ति पाते हैं, जीवनमुक्ति पाने के लिए।
  • सिर्फ मुक्ति कहें वो फिर मोक्ष हो जाए।
  • मुक्ति के साथ जीवनमुक्ति जरूर है।
  • जीवनमुक्ति है सुख का सम्बन्ध, जबकि आत्मायें सतोप्रधान हैं।
  • यहाँ तुम आये हो दु:ख के बंधन से छूटने के लिए।
  • दूसरे तरफ सुख के सम्बन्ध में जुटते जा रहे हो।
  • कर्मबन्धन का हिसाब-किताब चुक्तू करना पड़ता है।
  • नई दुनिया में दु:ख है नहीं।
  • पहले-पहले है सुख का सम्बन्ध, बाद में फिर दु:ख का बंधन शुरू होता है।
  • सुख दु:ख सब खेल के लिए है।
  • तुम बहुत सुख तो बहुत दु:ख भी देखते हो।
  • वह थोड़ा दु:ख तो थोड़ा सुख देखते हैं।
  • भारत जो हेविन सालवेन्ट था, अब हेल इनसालवेन्ट है।
  • सबसे नया था।
  • अभी सबसे पुराना है, बहुत दु:ख देखे हैं।
  • अभी भी बहुत दु:ख हैं।
  • इन दु:खों से छुड़ाने के लिए ही बाप को पुकारते हैं, उनको पिया कहा जाता है।
  • वह हद के पिया को पुकारते हैं।
  • अब तुम समझते हो उनको दु:ख है तब तो पुकारते हैं।
  • अभी श्रीमत पर तुम पुरुषार्थ कर रहे हो सुखधाम में जाने का।
  • बाप कहते हैं हर 5 हजार वर्ष बाद आता हूँ।
  • तुम्हारी बुद्धि में अब ज्ञान भरा है, आदि से अन्त तक, तो त्रिकालदर्शी हुए ना।
  • तुम तीनों लोकों को जानते हो।
  • मूलवतन में हम आत्मायें शान्ति में रहती हैं।
  • हम असुल में उस निर्वाणधाम के वासी हैं फिर प्रवृत्ति धर्म में आने से इन आरगन्स द्वारा पार्ट बजाते हैं।
  • तुम सुख और दु:ख का पार्ट बजाते हो - आदि से अन्त तक।
  • तुम आलराउन्डर हो।
  • तुम ही 84 जन्म लेते हो।
  • तुमको अब रोशनी मिली है।
  • 84 लाख जन्म तो हो न सकें।
  • मनुष्य 84 जन्म लेते हैं।
  • बाकी वैरायटी योनियां तो ढेर हैं।
  • गिनती करने वाला तो कोई नहीं है।
  • ऐसे ही धुक्का लगा देते हैं।
  • अभी तुम जानते हो कौन 84 जन्म कैसे लेते हैं।
  • सिक्ख लोग वा आर्य समाजी, बौद्धी आदि 84 जन्म नहीं लेंगे।
  • तुम बाप को जानते हो इसलिए कहते हो गीता का भगवान कौन?
  • ज्ञान सागर, पतित-पावन हेविनली गॉड फादर या सर्व गुण सम्पन्न... हेविन का पहला प्रिन्स, श्रीकृष्ण।
  • यह पहेली तो बहुत सहज है इसलिए बाबा ऐसी-ऐसी पहेली छपवा रहे हैं, तो मनुष्यों की बुद्धि में बैठे।
  • तो जज करो कि गीता का भगवान कौन?
  • हेविनली गॉड फादर है हेविन स्थापन करने वाला।
  • पतितों को पावन बनाने में कितना टाइम लगता है।
  • मुख्य बात है पवित्र रहने की।
  • एक से बुद्धि लगाना है।
  • घरबार छोड़ना नहीं है।
  • वह तो हद के संन्यासी छोड़ते हैं।
  • तुम्हारा है बेहद का संन्यास।
  • वह फिर भी पुरानी दुनिया में रहते हैं।
  • तुमको सारी दुनिया को भूलना पड़ता है।
  • हमको हद से बेहद में जाना है।
  • वह है शान्तिधाम। वहाँ शान्ति ही शान्ति है।
  • बाकी हद और बेहद का सुख यहाँ है।
  • तुमको हद और बेहद के पार जाना है।
  • शान्तिधाम हम आत्माओं का घर है।
  • वहाँ कोई पार्ट आत्मा बजाती नहीं है।
  • आरगन्स नहीं हैं फिर ड्रामा अनुसार तुम्हारा सतयुग का पार्ट इमर्ज होता है।
  • जो तुमने पार्ट बजाया है, कल्प-कल्प वही पार्ट बजाते हो।
  • यह बातें तुम्हारे सिवाए कोई बता नहीं सकते।
  • सुख का सम्बन्ध और दु:ख का बंधन तुम जानते हो।
  • तुमको रहना भी आसुरी सम्बन्ध में है क्योंकि तुम अभी ईश्वरीय सम्बन्ध में रह नहीं सकेंगे, इतने सभी कहाँ रहेंगे।
  • फिर तो संन्यासियों मुआफिक हो जाएं।
  • कुटुम्ब को कहाँ ले आयेंगे।
  • बच्चे वृद्धि को पाते रहेंगे।
  • पहले-पहले छोटा घर था।
  • 3 पैर पृथ्वी के थे।
  • तुम छोटी कोठरी में आते थे।
  • जैसे बाबा कहते हैं घर में गीता पाठशाला खोलो, वैसे ही था।
  • पूछते हैं शुरू कैसे हुआ?
  • बाबा बताते हैं शुरू ऐसे हुआ था।
  • पहले 3 पैर पृथ्वी के लिए फिर पीछे बड़े मकान लिये।
  • बच्चे भी बहुत आ गये, भट्ठी बनी।
  • मोटरें, बस आदि भी रखी इसलिए बाबा बच्चों को कहते हैं 3 पैर पृथ्वी लेकर पाठशाला खोलो फिर तो तुम सारे विश्व का मालिक बनते हो।
  • गाते हैं ईश्वर विश्व का मालिक है।
  • परन्तु तुम जानते हो विश्व सृष्टि को कहा जाता है।
  • बाप तो मालिक बनते नहीं हैं।
  • बाप तो आते हैं खिदमत (सेवा) करने, जब सारी युनिवर्स दु:खी होती है।
  • यह गॉड की युनिवर्सिटी सारे युनिवर्स के लिए है।
  • कालेज भी है।
  • सबको सद्गति मिलती है।
  • दुर्गति में भी जाते हैं ना।
  • सूक्ष्मवतन, मूलवतन में तो दुर्गति में नहीं जाते हैं इसलिए युनिवर्सिटी से सारे युनिवर्स का कल्याण होता है।
  • यह बातें कोई शास्त्र में नहीं हैं।
  • सभी की गति सद्गति के लिए कहते हैं मुझे आना पड़ता है, नहीं तो पावन कैसे बनेंगे।
  • रावण भी कितना समर्थ है।
  • तुम हमारे तरफ आते हो, रावण फिर खींच लेते हैं।
  • माया बड़ी दुश्तर है।
  • माया तुमको दु:ख में ले जाती है।
  • यह खेल है, बाक्सिंग में दोनों ही समर्थ हैं।
  • आधाकल्प हार, आधाकल्प जीत होती है।
  • यह बाक्सिंग बेहद की है, इनको युद्धस्थल कहा जाता है।
  • इसमें माया रावण को जीतना होता है।
  • कल्प पहले भी तुमने जीत पाई थी।
  • तुम देख रहे हो कौन-कौन निकल रहे हैं।
  • कोई कहते हैं बाबा क्रोध आता है।
  • अरे यह तो भूत है।
  • दान में दे फिर वापिस लेंगे तो बहुत सतायेगा।
  • तुमने 5 विकार दान में दिये, इनका संन्यास करना है।
  • बाकी घरबार छोड़कर भागना कायरता है।
  • बाप समझाते हैं 63 जन्म तुमने गोते खाये हैं।
  • अब एक जन्म पवित्र रहो, इसमें आमदनी बहुत है।
  • जबरदस्त प्राप्ति है।
  • दुश्मन सामने खड़ा है।
  • मल्लयुद्ध होती है ना।
  • कंस और कृष्ण की मल्लयुद्ध शास्त्रों में दिखाई है।
  • यह तो माया रावण की बात है।
  • कृष्ण की आत्मा अन्तिम जन्म में है।
  • माया से युद्ध कर फिर श्रीकृष्ण बनती है।
  • अब समझदार बनना है।
  • भारत कितना सिरताज था।
  • सूर्यवंशी की दरबार देखो, कितने हीरे जवाहरों के महल थे।
  • यहाँ भी दरबारें होती हैं, आपस में प्रिन्सेज मिलते हैं।
  • नम्बरवार बैठते हैं।
  • बुद्धि से काम लो वहाँ आपस में कैसे मिलते होंगे।
  • उन्हों की दरबार कैसी होगी।
  • रात को बत्ती देखने में नहीं आती, रोशनी ही रोशनी है।
  • साइंस काम में आती है, गुम नहीं होती।
  • तुम भारत को स्वर्ग बनाने के निमित्त बनते हो।
  • स्वर्ग का द्वार खोलते हो।
  • वह शंकराचार्य यह शिवाचार्य।
  • बाप कहते हैं मैं ज्ञान का उच्चारण करता हूँ।
  • गीत में सुना कि आप मिले तो सारी दुनिया मिली।
  • उनसे ऊंच होते नहीं।
  • सर्व मनोकामनायें पूरी होती हैं स्वर्ग में।
  • सब सुख मिल जाते हैं।
  • आगे भी टेलीफोन, बिजली, मोटरें आदि थोड़ेही थी, अभी हुई हैं।
  • वहाँ तो साइंस बहुत काम देती है।
  • अभी भी विलायत में 7 रोज़ में मकान तैयार करके दे देते हैं।
  • यहाँ के मनुष्यों की बुद्धि तमोप्रधान है।
  • यहाँ की भेंट में उन्हों को रजोप्रधान कहेंगे।
  • तुम बच्चे यह सब जानते हो, दुनिया को बदलना होता है, इसलिए यह महाभारत लड़ाई है।
  • तुम्हारी बुद्धि खुल गई है।
  • कैसे युद्ध के मैदान में खड़े हैं, माया सामना करती है।
  • बाप कहते हैं पूरा योग लगाओ।
  • तुम भी निवार्णधाम के रहने वाले हो।
  • जैसे बाबा वैसे तुम। बाप तुम्हें विश्व का राज्य देते हैं।
  • उसके बदले दिव्य दृष्टि की चाबी अपने पास रखते हैं।
  • कहते हैं यह हमारे काम की है।
  • भक्ति मार्ग में तुमको खुश करना होता है।
  • बाकी किसको देता नहीं हूँ।
  • तुमको विश्व की बादशाही देता हूँ, यह कोई कम बात है क्या।
  • दिव्य दृष्टि की चाबी भी कोई कम थोड़ेही है।
  • खेल कैसा है, जो अच्छी रीति समझते हैं, अन्दर खुशी में रहते हैं।
  • जन्माष्टमी पर भी समझाया।
  • कृष्ण की जयन्ती नहीं, यह परमपिता परमात्मा की ही जयन्ती गाई जाती है।
  • पहले कृष्ण जयन्ती मनाते हो।
  • शिव जयन्ती कहाँ गई?
  • पहले शिवजयन्ती हो फिर तो कृष्ण का जन्म हो।
  • शिव जयन्ती के बाद है कृष्ण की जयन्ती।
  • शिवबाबा ही भारत को स्वर्ग बनाते हैं।
  • कहते हैं कल्प के संगम पर आकर राजयोग सिखलाता हूँ।
  • महाभारत की लड़ाई हो तब नर्क का विनाश स्वर्ग की स्थापना हो।
  • शिवबाबा शिवालय स्थापन करते हैं।
  • रावण वेश्यालय बनाते हैं। जिससे श्रीकृष्ण ने पद पाया, उसका किसको पता ही नहीं है।
  • वास्तव में शिव जयन्ती ही मुख्य है।
  • बाकी तो मनुष्य जन्म लेते रहते हैं। जो पूज्य देवतायें हैं, वही फिर पुजारी बनते हैं।
  • तुम्हारी बुद्धि में सारा राज़ है, सो भी नम्बरवार पुरूषार्थ अनुसार।
  • बाबा तुमको समझाते हैं तुम फिर औरों को समझाते हो।
  • प्रिन्सीपल आदि को भी समझाना चाहिए।
  • यह जो स्कूलों में हिस्ट्री-जॉग्राफी पढ़ाई जाती है, यह तो अधूरा ज्ञान है।
  • मूलवतन, सूक्ष्मवतन, स्थूलवतन इन सबका राज़ समझाना चाहिए, इनको जानते नहीं।
  • बाकी अंग्रेजों, मुसलमानों आदि की हिस्ट्री-जॉग्राफी ले बैठे हैं।
  • बेहद की हिस्ट्री-जॉग्राफी बाप ही समझाते हैं।
  • हम मनुष्य से देवता बन रहे हैं।
  • स्वर्ग का प्रिन्स प्रिन्सेज कैसे बनें, आओ तो हम तुम्हें बतायें।
  • हेविन के प्रिन्स प्रिन्सेज बनना है।
  • उन्हों को यह वर्सा कैसे मिला।
  • यह सूर्यवंशी डिनायस्टी कैसे स्थापन हुई।
  • यह नॉलेज नहीं है तो तुम फिलॉसाफर काहे के हुए।
  • समझाने की युक्ति चाहिए।
  • यह क्या जजमेंट करते हैं।
  • धर्मराज बाबा तो बिल्कुल एक्यूरेट हैं, उनके ऊपर तो कोई है नहीं।
  • यहाँ तो एक दो के ऊपर हैं।
  • सच्चा-सच्चा धर्मराज़ तो सिर्फ एक है।

  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।


  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) बुद्धि को हद और बेहद से पार अपने शान्तिधाम में ले जाना है।

    दु:ख के बंधनों से छूटने के लिए ईश्वरीय सम्बन्ध में रहना है।

    बाप की जो राय मिलती है, उस पर ही चलना है।

    2) सारे विश्व की खिदमत करने के लिए 3 पैर पृथ्वी पर रूहानी युनिवर्सिटी खोलनी है।

    बेहद की हिस्ट्री-जॉग्राफी पढ़नी और पढ़ानी है।



  • ( All Blessings of 2021-22)
  • तपस्या द्वारा सर्व कमजोरियों को भस्म करने वाले फर्स्ट नम्बर के राज्य अधिकारी भव

    फर्स्ट जन्म में फर्स्ट नम्बर की आत्माओं के साथ राज्य अधिकार प्राप्त करना है तो जो भी कमजोरियां हैं उन्हें तपस्या की योग अग्नि में भस्म करो।

    मन-बुद्धि को एकाग्र करना अर्थात् एक ही संकल्प में रह फुल पास होना।

    अगर मन-बुद्धि जरा भी विचलित हो तो दृढ़ता से एकाग्र करो।

    व्यर्थ संकल्पों की समाप्ति ही सम्पूर्णता को समीप लायेगी।



  • (All Slogans of 2021-22)
    • समय को गिनती करने वाले नहीं लेकिन बाप के वा स्वयं के गुणों की गिनती कर सम्पन्न बनो।