18-07-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
"मीठे बच्चे - अभी तुम बाप की नज़र से निहाल होते हो, निहाल होना अर्थात् स्वर्ग का मालिक बनना''
प्रश्नः-
और संग तोड़ एक संग जोड़.... इस डायरेक्शन को अमल में कौन ला सकता है?
उत्तर:-
जिनकी बुद्धि में एम आब्जेक्ट क्लीयर है।
तुम्हारी एम-आब्जेक्ट है मुक्तिधाम में जाने की, उसके लिए शरीर से भी बुद्धियोग निकालना पड़े।
टॉकी, मूवी से भी परे साइलेन्स में रहने का अभ्यास करो क्योंकि तुमको साइलेन्स अथवा निर्वाण में जाना है।
गीत:- जले न क्यों परवाना....
|
- ओम् शान्ति।
- बच्चे जानते हैं हम किसकी नज़र के सामने बैठे हैं, तुम अपने पारलौकिक परमपिता परमात्मा की नज़र के सामने बैठे हो।
- तुम जानते हो इस बाबा की नज़र के सामने आने से हम 21 जन्म स्वर्ग का वर्सा पाते हैं।
- कभी कोई साधू-सन्त के पास जाते हैं तो कहते हैं यह तो नज़र से निहाल कर देते हैं।
- अब नज़र से निहाल का अर्थ तो तुम ब्राह्मणों के सिवाए कोई समझ नहीं सकते।
- नज़र के सामने अब तुम बैठे हो।
- बाप की नज़र में बच्चे, बच्चों की नज़र में बाप है।
- बच्चे निहाल होते हैं बाप की नज़र से।
- बाप से ही वर्सा मिलता है।
- तुम हो बेहद के बच्चे।
- तुम नज़र के सामने बैठे हो।
- बरोबर दो अक्षर सुन रहे हो।
- मुझे निरन्तर याद करो तो तुम निहाल हो जायेंगे अर्थात् स्वर्ग के मालिक बन जायेंगे।
- बरोबर सेकेण्ड में नज़र से निहाल कर मुक्ति और जीवनमुक्ति दे देते हैं।
- वह है निराकार परमपिता परमात्मा।
- जानते हैं यह हमारे बच्चे आकर बने हैं, जिनको पक्का निश्चय है कि हम परमपिता परमात्मा की सन्तान हैं, वह जरूर स्वर्ग के मालिक बनेंगे।
- नज़र से निहाल भी होना है और स्वर्ग के मालिक भी बनना है, स्वर्ग में है बादशाही।
- यहाँ सब नर्क के मालिक हैं अर्थात् नर्क के निवासी हैं।
- उसमें भी नम्बरवार पद हैं।
- भल अभी राजाई नहीं है - परन्तु वह भी दिल में समझते हैं ना कि हम जयपुर के मालिक थे।
- लिखते भी हैं महाराजा आफ जयपुर, महाराजा आफ पटियाला... कहने में तो आता है ना।
- वह खुद भी जीते हैं, उनकी वंशावली भी जीती है।
- अभी वह भी प्रजा में आ गये हैं।
- अब तुम जानते हो हम श्रीमत पर फिर से दैवी स्वराज्य स्थापन कर रहे हैं।
- बाप ने समझाया है यही भारत पावन था, अब पतित बन पड़ा है। तुमको अब तीसरा नेत्र मिला है।
- आत्मा जानती है कि अभी हम एक परमपिता परमात्मा को याद करते हैं और उनसे ही वर्सा मिलता है।
- भगवानुवाच भी है कि मुझे याद करो और संग तोड़ो।
- अपने शरीर से भी तोड़ो, अशरीरी बनो।
- पहले तुम अशरीरी आये थे।
- आत्मायें सब अशरीरी होती हैं।
- मूलवतन में अशरीरी होने कारण आवाज नहीं होता है, इसलिए उनको निर्वाणधाम कहा जाता है।
- सूक्ष्मवतन में मूवी होती है।
- टॉकी, मूवी और साइलेन्स।
- आगे मूवी नाटक भी थे, अब टॉकी बन गये हैं।
- तुम बच्चों को साइलेन्स सिखाई जाती है।
- तुम अपने स्वधर्म में टिको, घर को याद करो।
- टॉक छोड़ना है।
- भुन-भुन भी नहीं करनी है।
- अन्दर में राम-राम कहते हैं, अब बाप कहते हैं बच्चे यह भी छोड़ो।
- तुमको वाणी से परे जाना है - यहाँ रहते टाकी और मूवी से परे जाना है।
- यह एम आब्जेक्ट बुद्धि में क्लीयर है कि हमको मुक्तिधाम जाना है।
- बाबा मुक्ति-जीवनमुक्ति देते हैं।
- पहले आत्मायें सभी साईलेन्स में जाती हैं फिर हर एक को अपना-अपना पार्ट बजाने आना है।
- देवी देवता धर्म वालों का अपना पार्ट, इस्लामी, बौद्धी धर्म वालों का अपना पार्ट।
- यह सब बातें तुम बच्चों की बुद्धि में हैं।
- बाप के पास यह सारी नॉलेज है जब तुमको सारी नॉलेज सुनाते हैं, आप समान बनाते हैं।
- तुम फिर औरों को आप समान बनाओ।
- ज्ञानी और योगी बनाओ।
- जो नॉलेज मेरे पास है वही तुमको देता हूँ।
- आत्मा ही ग्रहण करती है।
- नम्बरवार पुरुषार्थ अनुसार नॉलेजफुल बन जाते हैं।
- कोई तो पूरे नॉलेजफुल बन जाते हैं।
- कोई कम पुरुषार्थ से इतने नॉलेजफुल नहीं बनते हैं।
- एम आब्जेक्ट तो यही लक्ष्मी-नारायण है।
- अभी तुम नॉलेजफुल बनते हो।
- अब तुम जानते हो हम कहाँ से आये।
- अब कहाँ जाना है?
- यह चक्र कैसे फिरता है?
- इसमें सब कुछ आ जाता है।
- जैसे बीज से झाड़ निकलता है, इनकी आयु कितनी बड़ी हो जाती है, फिर उनको जड़जड़ीभूत अवस्था कहा जाता है।
- अपने पास भी झाड़ था वह एकदम सारा जड़जड़ीभूत हो गया तो काटना पड़ा।
- बनेनट्री का मिसाल।
- यह भी वैरायटी धर्मो का झाड़ दिखाया है।
- पिछाड़ी तक थोड़े-थोड़े आते रहते हैं।
- पहले जो पत्ते निकलते हैं वह बहुत शोभते हैं क्योंकि सतोप्रधान होते हैं।
- फिर रजो तमो बन जाते हैं।
- आधाकल्प तुम राज्य करते हो फिर धीरे-धीरे तुम नीचे आते हो।
- उतरती कला और चढ़ती कला होती है।
- चढ़ते फट से हैं।
- पूरी राजधानी स्थापन होने में थोड़ा समय तो लगता है।
- बाप समझाते हैं मैं ही संगम पर आकर दैवी राज्य स्थापन करता हूँ।
- सूर्यवंशी और चन्द्रवंशी घराना अभी ही स्थापन होता है जो फिर नई दुनिया अमरलोक में आकर अपना राज्य भाग्य करते हैं, इनको ही संगमयुग कहा जाता है।
- दूसरा कोई संगम पर नहीं आता है, सिर्फ एक बाप ही आते हैं।
- यह बात कोई शास्त्रों में नहीं है कि फिर से कब आता हूँ।
- यह कोई को पता नहीं पड़ सकता है।
- यह सिर्फ तुम बच्चों को ही पता पड़ता है।
- कल्प-कल्प यह पार्ट चलता है।
- सारा झाड़ पुराना होता है फिर संगमयुग पर इनका फाउन्डेशन लग रहा है।
- यह है पतित दुनिया।
- सतयुग है पावन दुनिया।
- गाते भी हैं कि हम पतितों को पावन बनाने के लिए आओ।
- अब सभी पावन बन रहे हैं।
- फिर जब आयेंगे तो पावन ही होंगे।
- परन्तु सबको इकट्ठा तो नहीं आना है।
- बाप कितना अच्छी रीति समझाते हैं।
- अभी यह प्रिन्सीपाल बैठा है, तो क्यों न यह नॉलेज सबको देनी चाहिए।
- तो सब जान जायें कि वर्ल्ड की हिस्ट्री जॉग्राफी क्या है, यह कैसे रिपीट होती है?
- यह किसको पता नहीं है, गॉड इज वन।
- और कोई क्रियेटर है नहीं, न ऊपर कोई दुनिया है, न नीचे कोई दुनिया है।
- यह जो कहते हैं आकाश-पाताल, यह सब गपोड़े हैं।
- समझते हैं स्टॉर्स के ऊपर भी दुनिया है।
- परन्तु वहाँ किसी की राजधानी नहीं है, बाबा प्रिन्सीपाल बच्चे को भी कहते हैं कि जो अच्छे स्टूडेन्टस हैं, उनको यह हिस्ट्री-जॉग्राफी समझाओ।
- गवर्न्मेन्ट को भी एप्रोच करो।
- बड़े-बड़े आफीसर्स को समझाओ।
- परन्तु बड़ी युक्ति से समझाना है कि सतयुग में आदि सनातन देवी-देवता धर्म की राजधानी थी।
- उन्होंने यह राज्य कैसे प्राप्त किया?
- शास्त्रों में दिखाया है देवताओं और दैत्यों की लड़ाई लगी, फिर देवताओं ने जीत लिया।
- महाभारत की लड़ाई एक ही लगती है।
- उसके बाद फिर कोई लड़ाई लगी ही नहीं।
- बाप कहते हैं स्कूलों में बच्चों को यह नॉलेज दो।
- कोई इन्वेन्शन निकलती है तो पहले राजा को दिखाते हैं फिर उन द्वारा वृद्धि को पाती है।
- यह आत्मा को सृष्टि चक्र के आदि मध्य अन्त का ज्ञान मिलता है जिससे 21 जन्मों के लिए चक्रवर्ती राजा बनते हैं।
- तुम्हारे में भी बहुत हैं जो पढ़े-लिखे नहीं हैं।
- बाबा कहते हैं - बहुत अच्छा।
- बहुत पढ़े-लिखे भी थे परन्तु यह इम्तिहान पास नहीं कर सके।
- यहाँ तो सेकेण्ड की बात है।
- सतयुग में लक्ष्मी-नारायण का राज्य था।
- त्रेता में राम-सीता का राज्य शुरू होता है, आधा कल्प के बाद भक्ति मार्ग शुरू होता है, धक्के खाने पड़ते हैं।
- मनुष्य कहते भी हैं ओ गॉड फादर।
- तो जरूर उनसे हेविन का वर्सा मिलना चाहिए।
- मनुष्य जब मरता है, पूछा जाता है कहाँ गया?
- कहते हैं स्वर्ग सिधारा।
- वह समझते हैं, आसमान में स्वर्ग है।
- कितने बेसमझ बन गये हैं।
- यह है ही कांटों का जंगल।
- भारत ही फूलों का बगीचा है।
- अब तुम फ्लावर बन रहे हो।
- बाप समझाते हैं कोई को भी दु:ख नहीं देना है।
- दु:ख दिया तो दु:खी होकर मरेंगे।
- ऊंच पद पा नहीं सकेंगे।
- तुम जानते हो हम बाबा के पास आये हैं सदा सुख का वर्सा पाने।
- तुम ब्राह्मण बने हो।
- ब्राह्मण सबसे ऊंच गाये जाते हैं।
- ब्राह्मणों की निशानी है चोटी।
- अच्छा ब्रह्मा का बाप कौन?
- वह है निराकार शिव।
- शिवबाबा और प्रजापिता ब्रह्मा है साकार।
- अब शिवबाबा की निशानी क्या रखें?
- परमपिता परमात्मा तो स्टॉर है, परन्तु न जानने कारण बड़ा लिंग बना देते हैं।
- बिन्दी की पूजा कैसे करें?
- रूद्र पूजा भी होती है।
- रूद्र शिव को बड़ा बनाते हैं और सालिग्राम छोटे-छोटे बनाते हैं।
- कहते भी हैं भ्रकुटी के बीच में स्टॉर है।
- आत्मा का भी साक्षात्कार होता है।
- जैसे आकाश में तारा टूटता है तो सारा सफेद हो जाता है, वैसे आत्मा भी बिन्दी है।
- आकर इतने बड़े शरीर में प्रवेश करती है फिर कितना काम करती है।
- आत्मा इतनी छोटी जब शरीर से निकल जाती है तो फिर शरीर कोई काम नहीं कर सकता।
- कहेंगे मर गया।
- एक शरीर छोड़ दूसरा शरीर ले पार्ट बजाते हैं फिर उसमें रोने की कोई दरकार ही नहीं है।
- परन्तु जब ड्रामा को जानें तब ऐसे कहें, अब तुमको यह ज्ञान है कि हम यह पुराना शरीर छोड़ अपने निर्वाण-धाम में जायेंगे।
- यह नॉलेज भी तुमको यहाँ है फिर तो बड़े-बड़े स्कूल, कॉलेजों में जाकर बड़ों-बड़ों को यह नॉलेज दो।
- तो भारत में सूर्यवंशी, चन्द्रवंशियों का राज्य था, जो अब नहीं है।
- फिर जरूर होगा।
- यह अनादि वर्ल्ड ड्रामा है, इनकी नॉलेज बच्चों में जरूर होनी चाहिए।
- यह नॉलेज होने से भारत स्वर्ग बन जाता है।
- अभी नॉलेज नहीं है तो भारत कंगाल है।
- फिर इस नॉलेज से भारत को स्वर्ग बनाते हैं।
- क्यों न बच्चे भी यह नॉलेज लेकर हेविन के लायक बनें।
- तुम भी बनो।
- किसको भी छोड़ना नहीं चाहिए।
- बाबा सर्विस की युक्तियाँ तो बहुत बताते हैं।
- करना तो बच्चों को है।
- बाप तो नहीं जायेगा।
अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अपने स्वधर्म में स्थित रह साइलेन्स का अनुभव करना है क्योंकि अब वाणी से परे निर्वाणधाम में जाने का समय है।
2) सुख दाता के बच्चे हैं इसलिए सबको सुख देना है।
किसी को भी दु:ख नहीं देना है।
सच्चा फ्लावर बनना है।
कांटों को फूल बनाने की सेवा करनी है।
( All Blessings of 2021-22)
सर्व शक्तियों से सम्पन्न बन हर शक्ति को कार्य में लगाने वाले मास्टर सर्वशक्तिमान् भव
जो बच्चे सर्व शक्तियों से सदा सम्पन्न हैं वही मास्टर सर्वशक्तिमान् हैं।
कोई भी शक्ति अगर समय पर काम नहीं आती तो मास्टर सर्वशक्तिमान् नहीं कह सकते।
एक भी शक्ति कम होगी तो समय पर धोखा दे देगी, फेल हो जायेंगे।
ऐसे नहीं सोचना कि हमारे पास सर्व शक्तियां तो हैं, एक कम हुई तो क्या हर्जा है।
एक में ही हर्जा है, एक ही फेल कर देगी इसलिए एक भी शक्ति कम न हो और समय पर वह शक्ति काम में आये तब कहेंगे मास्टर सर्वशक्तिमान्।
(All Slogans of 2021-22)
- प्राप्तियों को भूलना ही थकना है इसलिए प्राप्तियों को सदा सामने रखो।
- मातेश्वरी जी के अनमोल महावाक्य
- जब हम ओम शब्द का उच्चारण करते हैं तो ओम् का अर्थ है मैं आत्मा हूँ और परमात्मा का बच्चा हूँ। यह शिव नाम सिर्फ एक ही परमात्मा का है, इस शब्द पर बहुत ही मनुष्य ऐसा प्रश्न पूछते हैं परमात्मा तो सारी दुनिया का मालिक अथवा बाप है, उसे फिर शिव नाम से क्यों बुलाते हैं? अब इस राज़ को दुनिया नहीं जानती। परमात्मा का नाम है शिव क्योकि दुनिया में अनेक धर्म है तो हर एक धर्म वाले परमात्मा को अपना-अपना नाम देकर बुलाते हैं। कोई गॉड कहकर बुलायेंगे, कोई खुदा, कोई अल्लाह, कोई फिर शिव कहकर बुलाते हैं। वैसे भारत में परमात्मा शिव के नाम से गाया हुआ है, तो सारी दुनिया विलायत वाले शिव नाम से परमात्मा को कैसे मानेंगे? अब इस पर समझाया जाता है, वास्तव में परमात्मा का नाम शिव है वो ज्योति स्वरूप है, उनकी यादगार प्रतिमा शिवलिंग रूप में पूजी जाती है। सो भी खास करके भारत में पूजा ज्यादा होती है क्योंकि परमात्मा का जन्म भारत खण्ड में हुआ, तो जरूर इस देश का ही नाम पड़ेगा। जरूर परमात्मा एक ही जगह आयेगा ना। अगर विलायत के तरफ आयेगा तो भारतवासी कैसे मानेंगे परन्तु भारत खण्ड का नाम बड़ा मशहूर है, यह अविनाशी अखण्ड गाया जाता है इसलिए यहाँ खुद परमात्मा पधार गये हैं और परमात्मा के महावाक्य हैं कि जब भारत पर अति धर्म ग्लानि होती है तब ही मैं अधर्म का विनाश और सतधर्म की स्थापना करने आता हूँ और यह सारा कार्य मैं एक बार अवतार धारण करके करता हूँ, तो परमात्मा का अवतरण भी भारत में हुआ, जहाँ कल्प पहले आये थे वहाँ ही फिर आना होता है इसलिए भारत को अविनाशी खण्ड कहते हैं। भारत खण्ड परमात्मा का जन्म स्थान भी है और देवताओं के राज्य का स्थान भी है। अच्छा - ओम् शान्ति।
|