08-07-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन


"मीठे बच्चे - वाह्यात (व्यर्थ) बातों में तुम्हें अपना अमूल्य समय बरबाद नहीं करना है, बाप की याद से आबाद होना है''

 

प्रश्नः-

बापदादा दोनों ही निरंहकारी बन बच्चों के कल्याण के लिए कौन सी राय देते हैं?

उत्तर:-

बच्चे, सदैव समझो हमें शिवबाबा पढ़ाते हैं।

भल ब्रह्मा बाबा भी तुम्हें पढ़ा सकते हैं लेकिन शिवबाबा को याद करने में ही तुम्हारा कल्याण है इसलिए यह दादा निरहंकारी बन कहते हैं मैं तुम्हें नहीं पढ़ाता हूँ।

पढ़ाने वाला एक बाप है, उसे ही याद करो।

उनकी याद से ही तुम विकर्माजीत बनेंगे, विकर्म विनाश होंगे।

मेरी याद से नहीं।

 

गीत:- भोलेनाथ से निराला....

  • ओम् शान्ति।
  • अब बच्चे सामने बैठे हैं, बच्चों की बुद्धि में जरूर होगा कि पतित-पावन परमपिता परमात्मा जो ज्ञान का सागर है वह इस ब्रह्मा तन द्वारा हमको पढ़ा रहे हैं।
  • बुद्धि तो पहले जायेगी अपने शान्तिधाम में, फिर आयेगी यहाँ।
  • शिवबाबा आये हैं इस ब्रह्मा तन में हमको राजयोग सिखाने।
  • स्टूडेन्ट की बुद्धि में यह होगा ना कि हमको कौन पढ़ाते हैं।
  • स्कूल में जायेंगे तो समझेंगे ना कि फलाना टीचर हमको पढ़ाते हैं।
  • उनका नाम भी ख्याल में रहता है।
  • ऑखों से देखते भी हैं।
  • सतसंग भी किसम-किसम के होते हैं।
  • वहाँ कहेंगे फलाना महात्मा हमको फलाना शास्त्र सुनाते हैं।
  • भिन्न-भिन्न अनेकानेक शास्त्र सुनाते हैं।
  • जन्म-जन्मान्तर ऐसे सुनते ही आये हो।
  • अभी तुम यहाँ बैठे-बैठे याद करते हो शिवबाबा को।
  • तुम समझते हो हमारा पतित-पावन बाबा वह शिव है।
  • वही आकर ब्रह्मा द्वारा हमको पढ़ाते हैं।
  • यह ब्रह्मा भी पढ़ाते हैं।
  • जब ब्रह्माकुमार कुमारियाँ भी पढ़ा सकते हैं, तो क्या ब्रह्मा नहीं पढ़ा सकते हैं!
  • फिर भी तुम ऐसे ही समझो कि हमको शिवबाबा ही पढ़ाते हैं, न कि ब्रह्मा।
  • इसमें तुम्हारा बहुत फायदा होगा।
  • इसको ही निरहंकारीपना कहा जाता है।
  • बाप और दादा दोनों ही निरंहकारी हैं।
  • यह खुद कहते हैं भल मैं भी पढ़ाता हूँ परन्तु समझो कि शिवबाबा पढ़ाते हैं।
  • जितना शिवबाबा को याद करेंगे उतना विकर्माजीत बनते जायेंगे।
  • हमेशा समझो कि शिवबाबा पतित-पावन ज्ञान का सागर हमको पढ़ाते हैं।
  • जितना हो सके शिवबाबा को भूलना नहीं है।
  • वर्सा भी उनसे ही पाना है।
  • शिवबाबा कहते हैं निरन्तर मुझे याद करो।
  • ब्रह्मा की आत्मा को भी कहते हैं तुमको मेरे पास आना है।
  • उठते बैठते मेरे को याद करने का पुरुषार्थ करो, इसमें कमाई बहुत है।
  • हेल्थ भी बहुत अच्छी मिलेगी।
  • कभी भी टाइम वेस्ट नहीं करो।
  • हियर नो ईविल, टॉक नो ईविल..... सिवाए ज्ञान और योग के कोई भी वाह्यात बातें नहीं करनी है।
  • जिसमें ज्ञान कम है तो जरूर अज्ञान ही होगा। झरमुई झगमुई करते रहेंगे।
  • ऐसी बातें कभी नहीं सुनना।
  • जब ऐसे देखो कि वह वाह्यात बातें सुनाते हैं तो समझो यह हमारा दुश्मन है।
  • फालतू बातें सुनाकर टाइम वेस्ट करते हैं।
  • बाप कहते हैं ऐसी फालतू बातें नहीं सुनो।
  • कोई की ग्लानी करेंगे, कोई के लिए कुछ बोलेंगे।
  • कहेंगे ऐसी बातें कभी नहीं सुनना, न कभी सुनाना।
  • जिसमें ज्ञान नहीं है वही ऐसी बातें सुनाकर और ही नुकसान करते रहेंगे इसलिए बार-बार समझाया जाता है कि सर्विस में तत्पर रहो।
  • इन चित्रों पर जितना एक दो को समझायेंगे उतना धारणा भी होगी।
  • यहाँ बैठ चित्र देखो - यह ख्याल करो, यह शिवबाबा है, यह दादा है।
  • इन द्वारा हमको वर्सा मिलता है।
  • फिर इस पतित दुनिया का विनाश हो जायेगा।
  • ऐसी-ऐसी बातें करते अपने को भी बहला सकते हो।
  • वह अच्छा होगा।
  • झरमुई झगमुई की तो पाप आत्मा बन जायेंगे।
  • बाप कहते हैं बच्चे पाप आत्मा नहीं बनना।
  • दुनिया का समाचार, फलानी ऐसी है, उसने यह किया, ऐसी बातें जो सुनते और सुनाते हैं वह मुफ्त समय बरबाद करते हैं।
  • तुम तो बहुत आबाद हो रहे हो।
  • विश्व के मालिक बन रहे हो।
  • बरोबर भारत आबाद था।
  • अब बरबाद है।
  • बाप द्वारा आबाद हो रहे हो।
  • बाप और सृष्टि चक्र को याद करना यह तो बड़ा ही सहज है।
  • इस संगमयुग का कोई को पता नहीं है।
  • कलियुग में सब पतित हैं, सतयुग में सब पावन थे।
  • बाप कहते हैं मैं कल्प-कल्प के संगमयुग पर आता हूँ, पतितों को पावन बनाने। अजामिल जैसे पापी भी हैं।
  • यह है ही पाप की दुनिया, इसमें कोई चैन नहीं है।
  • वह पुण्य आत्माओं की चैन पाने की दुनिया है।
  • यह बातें कोई समझा न सके।
  • किसी की भी बुद्धि में नहीं है कि चैन कहाँ मिलता है।
  • यह तुम समझाते हो कि सुखधाम में सुख मिलता है।
  • यह है ही दु:खधाम।
  • भल बड़े-बड़े महल बनाकर बैठे हो परन्तु रास्ता सारा पतित बनाने का ही है।
  • नहीं तो भारत की इतनी उतरती कला क्यों होती।
  • चढ़ती कला करने वाला एक ही बाप है।
  • बाकी सब गिराने वाले हैं, इसमें बहुत समझ की बात है।
  • अन्धश्रधा की कोई बात नहीं है।
  • टीचर कहते तुमको बी.ए. पढ़ाते हैं, तो झूठ थोड़ेही हो सकता।
  • यह बेहद का बाप भी कहते हैं मैं तुमको सहज राजयोग सिखाकर राजाओं का राजा बनाता हूँ।
  • स्वर्ग का राजा बनाता हूँ।
  • स्वर्ग का राजा और नर्क का राजा बनने में रात दिन का फर्क है।
  • नर्क में जो राजा रानी बनते हैं, वह दान पुण्य से बनते हैं।
  • अल्पकाल का सुख मिलता है।
  • और स्वर्ग के राजा रानी बनते हैं पढ़ाई से।
  • यह भी तुम जानते हो - बाबा का प्लैन क्या चल रहा है।
  • सारी सृष्टि जो दु:खधाम है, उनको सुखधाम, शान्तिधाम बनाना है। जानते हो भारत सुखधाम था।
  • बाकी सब आत्मायें शान्तिधाम में थी।
  • अभी तो सब दु:खधाम में हैं।
  • फिर शान्तिधाम, सुखधाम में जाना है।
  • जो राजयोग सीखते हैं वही सुखधाम में आयेंगे, बाकी हिसाब-किताब चुक्तू कर शान्तिधाम में चले जायेंगे।
  • शान्तिधाम-सुखधाम क्या है, यह दुनिया में किसको पता नहीं है।
  • यह बाबा भी कहते हैं हम नहीं जानते थे।
  • जो खुद मालिक था वह भूल गया है, तो बाकी मनुष्य क्या जानते होंगे।
  • ड्रामा अनुसार सबको गिरना ही है।
  • अब फिर चढ़ने का समय है।
  • बाप कहते हैं मैं आया ही हूँ सबको सुखधाम, शान्तिधाम ले चलने।
  • तुम्हारे पास बहुत आयेंगे, कहेंगे मन को शान्ति चाहिए।
  • सुखधाम का वार्तालाप तो कोई करने वाला है नहीं।
  • संन्यासी तो निवृत्ति मार्ग वाले हैं, वह तो कभी सुख का रास्ता बता नहीं सकते।
  • तो जैसे बाप को तरस पड़ता है कि इन्हों को सुखधाम शान्तिधाम में ले जाऊं।
  • बच्चों को भी आना चाहिए कि बाप का परिचय देना है।
  • बाप से जरूर भारतवासियों को वर्सा मिलना चाहिए।
  • हम नर्क में क्यों हैं, हम ही स्वर्ग में थे।
  • अब नर्क में हैं।
  • परन्तु इन बातों को बिल्कुल ही समझ नहीं सकते हैं।
  • माया ने बुद्धि का ताला बिल्कुल ही बन्द कर दिया है, जो इतनी सहज बात भी समझ नहीं सकते हैं।
  • भगवान जब स्वर्ग का रचयिता है तो जरूर हम स्वर्ग के मालिक होने चाहिए।
  • अब नहीं हैं क्योंकि रावणराज्य है।
  • इस रावण राज्य का विनाश तो अब होना ही है।
  • इनके लिए वही महाभारत लड़ाई सामने खड़ी है। बड़ा सहज है।
  • परन्तु जब किसकी बुद्धि में बैठे।
  • बुद्धि में न बैठने के कारण आपस में झरमुई झगमुई बहुत करते हैं।
  • टाइम बरबाद करते हैं।
  • ऐसी बातें कानों से कभी नहीं सुनना।
  • तुम अपनी पढ़ाई में तत्पर रहो, तब ही पद मिलेगा।
  • पाठशाला में जो अच्छे स्टूडेन्ट होते हैं वह बहुत अच्छी रीति पढ़ते हैं।
  • इम्तहान के दिनों में खास एकान्त में जाकर पढ़ते हैं कि कहाँ नापास न हो जाएं।
  • नापास होने वाले धक्के खाते रहेंगे।
  • बाप कहते हैं जितना हो सके एक बाप की याद में रहो।
  • सजनी की साजन से सगाई हुई और बस छाप लगी।
  • अच्छा-आज शादी की, कल पति मर गया।
  • सारी आयु उसको याद करती रहेगी।
  • अब वह तो पतित बनाने वाले हैं, बाप कहते हैं मैं तुमको स्वर्ग का मालिक बनाता हूँ।
  • तो ऐसे बाप को कितना याद करना चाहिए।
  • माया तुम्हारा योग तोड़ने की बहुत कोशिश करेगी, परन्तु तुमको बहादुर रहना है।
  • संकल्प बहुत तूफान लायेंगे।
  • जो अज्ञान काल में भी नहीं आते थे, जैसे वैद्य लोग कहते हैं - इनसे डरना नहीं है।
  • ऐसे नहीं डरकर जाए दूसरी दवाई करो।
  • नहीं। बाबा भी कहते हैं - डरना नहीं है। मन्सा के तूफान बहुत आयेंगे लेकिन कर्मेन्द्रियों से कोई विकर्म नहीं करना।
  • एक दो को ज्ञान सुनाकर कल्याण करना।
  • बाबा बहुत समझाते हैं कि तुम अपनी मस्ती में मस्त रहो।
  • घर में गीता पाठशाला खोलो।
  • चैरिटी बिगन्स एट होम। बच्चों को भी स्वर्ग का मालिक बनाओ।
  • बाप स्त्री को, बच्चों को रचते हैं सुख के लिए।
  • तुम भी जानते हो हम भविष्य के लिए कमाई करते हैं।
  • तो क्यों नहीं स्त्री बच्चों आदि को भी करायें।
  • उनको घड़ी-घड़ी बोलो धन्धा धोरी भल करो, सिर्फ बाप को याद करते रहो।
  • यह प्रैक्टिस ऐसी पड़ जाए जो पिछाड़ी में विनाश के समय एक बाबा की ही याद रहे।
  • बाप कहते हैं - तुम सब अभी वानप्रस्थ अवस्था में हो।
  • सबको मेरे पास आना है।
  • हम आये हैं ले जाने के लिए। तुम्हारे पंख टूटे हुए हैं।
  • संन्यासी तो ब्रह्म तत्व को याद करेंगे, वह बाप को याद कर न सकें।
  • हाँ जो देवता धर्म वाला होगा वह मानेगा और शिवबाबा को याद करने लग पड़ेगा।
  • ब्राह्मण बनने बिगर देवता तो बन न सकें।
  • वर्णों की बाजोली है ना।
  • शूद्र वर्ण के थे।
  • अब ब्रह्मा द्वारा ब्राह्मण बन दादे का वर्सा पा रहे हैं।
  • शूद्र से ब्राह्मण बने हैं।
  • फिर हम नई दुनिया के मालिक बन जायेंगे।
  • ब्राह्मण हैं सबसे ऊंच।
  • ब्राह्मणों की चोटी है ना।
  • हम बाजोली खेलते हैं।
  • इसमें 84 जन्म का ज्ञान सेकेण्ड में मिलता है।
  • जैसे बाजोली खेलते-खेलते तीर्थों पर जाते हैं, इतना महत्व रहता है।
  • बड़ी भावना से जाते हैं।
  • आजकल तो तीर्थों पर भी शराब आदि पीते हैं।
  • आदत होती है तो छिपाकर जेब में बोतल ले जाते हैं।
  • बाबा सब बातों का अनुभवी है।
  • रथ भी बाबा ने पूरा अनुभवी लिया है।
  • इनको भी बाप कहते हैं, तुमने बहुत गुरू किये हैं, सतसंग किये हैं।
  • परन्तु अब वह सब भूल जाओ।
  • अभी जो मैं सुनाता हूँ, वह सुनो।
  • भगवान ने अर्जुन को कहा, रथ तो वास्तव में यह है।
  • रथ में रथी है शिवबाबा। तुम सब अर्जुन हो गये।
  • बाकी घोड़े गाड़ी की तो बात ही नहीं। न सेना की कोई बात है।
  • वह है भक्तिमार्ग।
  • यह है ज्ञान मार्ग।
  • भक्ति की डिपार्टमेंट ही अलग है।
  • ज्ञान देने वाला एक बाप है, बाकी तो सब भगत हैं।
  • सारी दुनिया के जो भी मनुष्य हैं सबकी आत्मा कहती है ओ गॉड फादर।
  • आत्मायें समझती हैं, वही आत्माओं का बाप है।
  • जानती भी हैं हमारा लौकिक फादर भी है।
  • फिर क्यों नहीं हेविनली गॉड फादर को याद करते हैं।
  • सिर्फ दु:ख के समय क्यों याद करते हो।
  • बाप कहते हैं मैं इतना सुख शान्ति देता हूँ, जो फिर दु:ख में मुझे ही याद करते हो।
  • तो आपस में तुमको यह ज्ञान की बातें करनी हैं।
  • मित्र सम्बन्धियों के पास अथवा आफीसर्स के पास भी जाना है, सबसे तैलुक रखना है।
  • बड़ी युक्ति से उनको ज्ञान रत्नों का दान भी देना है।
  • शादी में भी जाना है तो सेवा अर्थ।
  • तुम गुप्त अहिंसक सेना हो, तुम्हें किसी भी प्रकार की हिंसा नहीं करनी है।
  • दु:ख नहीं देना है।


  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) ऊंच पद पाने के लिए अपनी पढ़ाई में तत्पर रहना है।
  • झरमुई झगमुई की व्यर्थ बातें नहीं सुननी है।
  • अपना समय व्यर्थ नहीं गॅवाना है।
  • 2) एक दो को ज्ञान सुनाकर कल्याण करना है।
  • कभी भी मन्सा तूफानों के वश हो कर्मेन्द्रियों से कोई विकर्म नहीं करना है।
  • वरदान:-
  • ( All Blessings of 2021-22)
    • सर्व शक्तियों रूपी बर्थ राइट को हर समय कार्य में लगाने वाले मास्टर सर्वशक्तिमान् भव
    • सर्व शक्तियां बाप का खजाना हैं और उस खजाने पर बच्चों का अधिकार है।
    • अधिकार वाले को जैसे भी चलाओ वैसे वह चलेगा।
    • ऐसे ही सर्वशक्तियां जब अधिकार में होंगी तब नम्बरवन विजयी बन सकेंगे।
    • तो चेक करो कि हर शक्ति समय पर काम में आती है!
    • हर परिस्थिति में अधिकार से शक्ति को यूज़ करो।
    • बहुतकाल से शक्तियों रूपी रचना को कार्य में लगाने का अभ्यास हो तब कहेंगे मास्टर सर्वशक्तिमान्।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021-22)
    • कोई भी महान कार्य सभी के उमंग और उत्साह से ही सम्भव है।