30-06-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
"मीठे बच्चे - बाप से जो प्रतिज्ञा की है उस पर पूरा-पूरा चलना है, धरत परिये धर्म न छोड़िये - यही है सबसे ऊंची मंजिल, प्रतिज्ञा को भूल उल्टा कर्म किया तो रजिस्टर खराब हो जायेगा''
प्रश्नः-
यात्रा पर हम तीखे जा रहे हैं उसकी परख अथवा निशानी क्या होगी?
उत्तर:-
अगर यात्रा पर तीखे जा रहे होंगे तो बुद्धि में स्वदर्शन चक्र फिरता रहेगा।
सदा बाप और वर्से के सिवाए और कुछ भी याद नहीं होगा।
यथार्थ याद माना ही यहाँ का कुछ भी दिखाई न दे।
देखते हुए भी जैसे नहीं देख रहे हैं।
वह सब कुछ देखते हुए भी समझेंगे कि यह सब मिट्टी में मिल जाना है।
यह महल आदि खलास हो जाना है।
यह कुछ भी हमारी राजधानी में नहीं था, न फिर होगा।
गीत:-मांझी मेरे किस्मत की.....
|
- ओम् शान्ति।
- यह गीत की लाइन वास्तव में रांग है।
- बाप कहते हैं बच्चे, मैं आया हूँ तुम्हें ले जाने के लिए।
- कहाँ ले जायेंगे?
- मुक्ति और जीवनमुक्तिधाम।
- जितना ऊंच पद चाहे उतना लो।
- ऐसे नहीं वह जहाँ चाहें...।
- चाहते तो सभी हैं कि पुरुषार्थ करें।
- परन्तु ड्रामा अनुसार सभी पुरुषार्थी एक जैसे तो नहीं बनेंगे।
- यह तो अपने ऊपर बच्चों को कृपा करनी है।
- ज्ञान सागर तो ज्ञान और योग सिखलाने आये हैं।
- यह है उनकी कृपा, टीचर पढ़ाते हैं।
- योगी योग सिखलाते हैं।
- बाकी कम जास्ती सीखना तो उनके ऊपर है।
- तुम जानते हो कि हम सभी सत के संग में बैठे हैं, ना कि झूठ के संग में।
- सत का संग एक ही है क्योंकि सत है ही एक।
- सतयुग की भी स्थापना वही करते हैं और सतयुग में ले जाने के लिए पुरूषार्थ भी करवाते हैं।
- सच का एक श्लोक भी है कि सच बोलना, सच चलना तब ही सच खण्ड में चल सकेंगे।
- सिक्ख लोग कहते भी हैं सत श्री अकाल।
- एक ही वो सत्य बाप सबसे श्रेष्ठ है, अकालमूर्त है।
- उनको कभी काल खाता नहीं।
- मनुष्यों को तो घड़ी-घड़ी काल खाता है।
- तो तुम बच्चे सच्चे सतसंग में बैठे हो।
- भारत जो अभी झूठखण्ड है, उनको सचखण्ड बनाने वाला एक ही बाप है। देवी-देवतायें सभी बच्चे हैं।
- यहाँ से देवतायें पुण्य आत्मा-पने का वर्सा ले जाते हैं।
- यहाँ तो झूठ ही झूठ है।
- गवर्मेन्ट जो कसम उठवाती है, वह भी झूठ।
- कहते हैं कि हम भगवान की कसम उठाकर सच कहते हैं।
- परन्तु यह कहने से मनुष्यों को डर नहीं रहता।
- इससे तो कहें कि हम अपने बच्चों की कसम उठाते हैं, तो हिचकेंगे, दु:ख होगा क्योंकि समझते हैं कि ईश्वर हमको बच्चे देते हैं।
- तो ईश्वर के नाम पर हम बच्चों का कसम उठायें, पता नहीं मर जायें... तो इसमें हिचकेंगे।
- स्त्री पति का कसम कभी नहीं उठायेगी।
- पुरूष स्त्री का कसम जल्दी उठा लेंगे।
- समझेंगे कि एक स्त्री गई तो दूसरी ले लेंगे।
- मनुष्य मात्र जो भी कसम उठाते हैं, वह सब झूठ है।
- पहले तो गॉड को फादर समझें।
- नहीं तो फादरपने का नशा नहीं चढ़ता।
- तुम बच्चे तो जानते हो सत श्री अकाल उस फादर को कहा जाता है।
- उस सत का नाम है शिव।
- अगर सिर्फ रूद्र कहेंगे तो मूंझ पड़ेंगे।
- परन्तु समझाने में कहना पड़ता है।
- गीता में भी है रूद्र ज्ञान यज्ञ, जिससे विनाश ज्वाला प्रज्जवलित हुई है।
- वह भी यहाँ की ही बात है।
- कृष्ण के यज्ञ का नाम नहीं है।
- दोनों को मिक्सचर कर दिया है।
- समझाया गया है कि सतयुग त्रेता में तो कोई यज्ञ होता नहीं है।
- यज्ञ होता ही है एक ज्ञान का।
- बाकी सब हैं मटेरियल यज्ञ।
- पोथी पढ़ना, पूजा करना सब है भक्ति मार्ग।
- ज्ञान तो एक ही है जो सत्य परमात्मा देते हैं।
- मनुष्य सभी ईश्वर के लिए भी झूठ बोलते हैं, इसलिए ही भारत कंगाल हुआ है।
- इन जैसा बड़े से बड़ा झूठ कोई है नहीं।
- यह नाटक तो बना हुआ है।
- इसका एक नाम है भूल भुलैया अर्थात् बाप को भूल जाने से भटकना।
- फिर बाप आकर भटकना छुड़ा देते हैं।
- यह ड्रामा में हार जीत का खेल है।
- हार खाने में आधाकल्प लगता है।
- एकदम पूरा मिट्टी में मिल जाते हैं।
- फिर आधाकल्प हमारी जीत रहती है।
- यह बातें तुम्हारे सिवाए कोई भी नहीं जानते, बड़ी-बड़ी गीता पाठशालायें हैं।
- गीता का भारती विद्या भवन बनाया भी है।
- नाम तो गीता का बड़ा भारी है।
- गीता को कहा जाता है सर्व शास्त्रमई शिरोमणी।
- परन्तु नाम बदली करने से कोई काम के नहीं रहे हैं।
- गीता का नाम तो बहुत चला आता है।
- बाप कहते हैं गीता का भगवान मैं हूँ न कि श्रीकृष्ण।
- अभी है संगम।
- बाप रचयिता है, जब स्वर्ग रचते हैं तब तो राधे-कृष्ण वा लक्ष्मी-नारायण आये।
- बाप आकर स्वर्ग का मालिक हमको ही बनाते हैं, जगत अम्बा और जगतपिता द्वारा।
- राजयोग तो भगवान के सिवाए कोई सिखला न सकें।
- जगत अम्बा बहुत नामीग्रामी है।
- कलष भी जगत अम्बा पर रखते हैं।
- लक्ष्मी-नारायण वा राधे कृष्ण तो अब हैं नहीं।
- कृष्ण के साथ तो राधे भी होनी चाहिए।
- गीता में राधे का कुछ भी वर्णन है नहीं। भागवत में है।
- बाप कहते हैं कि जो राधे कृष्ण थे, वह अब 84 वें अन्तिम जन्म में हैं।
- मैं उन्हों को और उनकी राजधानी को फिर जगा रहा हूँ।
- सभी को गोरा बना रहा हूँ।
- यह बड़ी गुह्य बातें हैं जो तुम ही जानते हो कि हम सूर्यवंशी, चन्द्रवंशी दैवी घराने के हैं।
- हमने 84 जन्म भोगे।
- अब फिर से हम सतयुग में जायेंगे।
- गिनती तो सतयुग से लेकर करेंगे ना।
- 84 जन्मों का चक्र भी मशहूर है।
- तुम वर्से को घड़ी-घड़ी याद करते हो ना।
- अब 84 के चक्र को याद करो।
- इस चक्र को याद करना माना सारे वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी को याद करना।
- जितना स्वदर्शन चक्र फिरता रहेगा, उतना समझो वह यात्रा पर तीखा जा रहा है।
- तुम जानते हो कि अब कांटों की दुनिया है।
- तमोप्रधान मनुष्य 5 विकारों में फंसे हुए हैं।
- बाप कहते हैं मैं पन छोड़ दो, लेकिन छोड़ते नहीं।
- इतनी बेहद की राजाई मिलती है तो भी कहते हैं कि ख्याल करेंगे।
- क्या यह विकार इतना प्यारे लगते हैं जो कहते हो कि छोड़ने लिए ख्याल करेंगे।
- अरे अभी तो प्रतिज्ञा करो तो बाप से मदद मिलेगी।
- इतना जरूर है कि प्रतिज्ञा कर फिर कुल कलंकित नहीं बनना।
- धरत परिये धर्म न छोड़िये। बड़ी कड़ी मंजिल है।
- बाप तो पूरी कोशिश करेंगे ना!
- लूज़ नहीं छोड़ेंगे।
- अच्छा एक बार माफ कर देंगे।
- अगर फिर किया तो मर पड़ेंगे, इसमें रजिस्टर खराब होता है।
- यह विकार तो प्वाइज़न है।
- ज्ञान है अमृत, जिससे मनुष्य से देवता बनते हैं।
- वह तो है कुसंग।
- सिक्ख लोग सत श्री अकाल कहकर बड़ी धुन मचाते हैं क्योंकि सत श्री अकाल ने सबका उद्धार किया है।
- परन्तु उनको भूल गये हैं।
- भूलना भी ड्रामा में है।
- जैन धर्म वालों का बड़ा कड़ा संन्यास है।
- बाप कहते हैं कि मैं तुमको सहज राजयोग सिखाता हूँ।
- बाप कोई कष्ट नहीं देते।
- भल एरोप्लेन में जाओ, मोटरों में घूमों, फिरो।
- परन्तु खान-पान की जितना हो सके परहेज रखना है।
- भोजन पर दृष्टि देकर फिर खाना है, लेकिन बच्चे यह भूल जाते हैं।
- इसमें तो बाप को वा साजन को खुशी से याद करना है।
- साजन हम आपकी याद में आपके साथ भोजन खाते हैं।
- आपको अपना शरीर तो है नहीं।
- हम आपको याद कर खायेंगे और आप भासना लेते रहना।
- ऐसे याद करते-करते आदत पड़ जायेगी और खुशी का पारा चढ़ता रहेगा।
- ज्ञान की धारणा भी होती जायेगी।
- कुछ खामी है तो धारणा भी कम होगी।
- उनका तीर जोर से नहीं लगेगा।
- बाप से योग माना देखते हुए भी यह समझना कि यह अच्छे-अच्छे महल भी मिट्टी में मिल जायेंगे।
- यह हमारी राजधानी में नहीं थे।
- अब तो हमारी राजधानी स्थापन हो रही है, उसमें यह कुछ नहीं होगा।
- नई दुनिया होगी।
- यह पुराने झाड़ आदि कुछ भी नहीं होंगे।
- वहाँ सब फर्स्टक्लास चीजें होंगी, इतने जानवर आदि यह सब खलास हो जायेंगे।
- वहाँ बीमारियां आदि भी कुछ नहीं होंगी।
- यह सब बाद में निकलती हैं।
- सतयुग माना ही स्वर्ग।
- यहाँ तो हर चीज़ दु:ख देने वाली है।
- इस समय सबकी आसुरी मत है।
- गवर्मेन्ट भी चाहती है कि ऐसी एज्यूकेशन हो, जिसमें बच्चे चंचल न हो।
- अभी तो बहुत चंचलता हो गई है।
- पिकेटिंग करना (धरना देना), भूख हड़ताल आदि यह सब हो रहा है ना।
- यह सब किसने सिखाया?
- खुद का सिखाया हुआ ही खुद के सामने आता है।
- बाप कहते हैं, बच्चे शान्ति में रहो।
- झांझ आदि बजाना, रडियां मारना यह सब है भक्ति की निशानियां।
- तुम साधना तो जन्म-जन्मान्तर से करते आये हो, साधना नाम चला आता है।
- परन्तु सद्गति तो किसी की होती नहीं।
- तुम्हारे पास चित्र आदि भल लिटरेचर भी न हो तो भी तुम मन्दिरों में जाकर समझा सकते हो कि यह लक्ष्मी-नारायण पहले स्वर्ग के मालिक थे ना।
- उन्हों को जरूर स्वर्ग के रचयिता से वर्सा मिला होगा।
- स्वर्ग का रचयिता तो है परमपिता परमात्मा, जो ही समझाते हैं।
- मन्दिर बनाने वाले ये नहीं जानते हैं।
- तुम बच्चे समझायेंगे तो उन्हों को परमपिता परमात्मा से वर्सा मिला है।
- जरूर कलियुग के अन्त में ही मिला होगा ना।
- गीता में राजयोग की बात है।
- जरूर संगम पर ही राजयोग सीखे होंगे, और सीखे होंगे परमपिता परमात्मा से न कि श्रीकृष्ण रचना से।
- रचयिता तो एक ही बाप है, जिसको ही हेविनली गॉड फादर कहते हैं।
- जो अच्छे विशाल बुद्धि हैं वह अच्छी रीति समझते भी हैं और धारणा भी करते हैं।
- छोटी-छोटी बच्चियां बड़े आदमी से बैठ बात करें, चित्रों पर समझायें, इन्हों को रचने वाला कौन।
- भल कामन चित्र भी हो, वह न भी हो।
- बच्चियां तोतली भाषा में समझा सकती हैं।
- छोटी बच्चियां अगर होशियार हो जाएं तो कहेंगे कि बलिहारी इस एक बाप की है, जिसने इनको ऐसा होशियार बनाया है।
- बच्ची कहेगी कि मैं जानती हूँ तब तो सुनाती हूँ।
- बेहद का बाप अब राजयोग सिखला रहे हैं।
- बाप कहते हैं अपने को आत्मा समझो।
- कोई भी देहधारी को गुरू मत समझो।
- एक सतगुरू तारे, बाकी सब डुबोने वाले हैं।
- ऐसे टिकलू-टिकलू करें तो नाम बाला हो जाए।
- कन्याओं द्वारा ही ज्ञान बाण मारे - यह दिखाया है ना।
- ऐसे भी नहीं कि सभी समझ जायेंगे।
- जो अपने धर्म के होंगे वह जल्दी समझ जायेंगे।
- वानप्रस्थ वालों को वा जो मन्दिर बनाते हैं उनको जाकर समझाना, उठाना चाहिए।
- हम आपको शिवबाबा की बायोग्राफी बताते हैं।
- सेकण्ड नम्बर है ब्रह्मा, विष्णु, शंकर।
- हम आपको वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी बताते हैं कि मनुष्य 84 जन्म कैसे लेते हैं।
- यह 84 का चक्र है।
- ब्रह्मा, सरस्वती सभी की कहानी बैठ बतायें।
- यह तुम बच्चों के सिवाए कोई समझा न सके।
- आओ तो तुमको बतायें कि लक्ष्मी-नारायण ने राज्य कैसे पाया और फिर कैसे गंवाया।
- अच्छा - यह भी नहीं समझते हो तो सिर्फ मनमनाभव हो जाओ।
- ऐसे-ऐसे बच्चों को जाकर सर्विस करनी चाहिए। अच्छा।
अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अन्दर में कोई भी खामी हो तो उसे चेक कर निकाल देना है।
बाप से जो प्रतिज्ञा की है उस पर अटल रहना है।
2) भोजन बहुत शुद्धि से दृष्टि देकर स्वीकार करना है।
बाप अथवा साजन की याद में खुशी-खुशी भोजन खाना है।
वरदान:-
( All Blessings of 2021-22)
- सर्व खजानों के अधिकारी बन स्वयं को भरपूर अनुभव करने वाले मास्टर दाता भव
- कहा जाता है - एक दो हजार पाओ, विनाशी खजाना देने से कम होता है, अविनाशी खजाना देने से बढ़ता है।
- लेकिन दे वही सकता है जो स्वयं भरपूर है।
- तो मास्टर दाता अर्थात् स्वयं भरपूर व सम्पन्न रहने वाले।
- उन्हें नशा रहता कि बाप का खजाना मेरा खजाना है।
- जिनकी याद सच्ची है उन्हें सर्व प्राप्तियां स्वत: होती हैं, मांगने वा फरियाद करने की दरकार नहीं।
स्लोगन:-
(All Slogans of 2021-22)
- अपनी स्थिति अचल-अडोल बनाओ तब अन्तिम विनाश की सीन देख सकेंगे।
|