25-06-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
मीठे बच्चे - सच्चे बाप को अपना सच्चा-सच्चा पोतामेल दो, हर बात में श्रीमत लेते रहो, इसमें ही तुम्हारा कल्याण है''
प्रश्नः-
अभी तुम कौन सा सौदा किस विधि से करते हो?
उत्तर:-
सरेन्डर बुद्धि बन कहते हो बाबा मैं आपका हूँ, यह तन-मन-धन सब आपका है।
बाबा फिर कहते बच्चे स्वर्ग की बादशाही आपकी है।
यह है सौदा।
परन्तु इसमे सच्ची दिल चाहिए।
निश्चय भी पक्का चाहिए।
अपना सच्चा-सच्चा पोतामेल बाप को देना है।
गीत:-तुम्हीं हो माता पिता ...
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- ओम् शान्ति।
- बाप बैठ बच्चों को समझाते हैं - बच्चे जानते हैं, अभी हम ब्रह्माकुमार कुमारियां श्रीमत का अर्थ तो जान चुके हैं।
- शिवबाबा की मत से हम फिर से आदि सनातन देवी-देवता धर्म की स्थापना कर रहे हैं।
- यह तुम हर एक को पता है - बरोबर कल्प-कल्प परमपिता परमात्मा आ करके ब्रह्मा द्वारा बच्चे एडाप्ट करते हैं। तुम एडाप्टेड ब्राह्मण ठहरे।
- गोद ली हुई है।
- आदि सनातन देवी-देवता धर्म जो प्राय: लोप हो चुका है, वह श्रीमत पर हम फिर से स्थापन कर रहे हैं और हूबहू कल्प पहले मुआफिक, जो भी एक्ट चलती है, शिक्षा मिलती है, कल्प पहले मुआफिक ड्रामा अनुसार हम एक्ट कर रहे हैं।
- जानते हैं हम श्रीमत पर अपना दैवी स्वराज्य स्थापन कर रहे हैं।
- जो-जो जितना पुरूषार्थ करेंगे क्योंकि सेना में कोई सतोप्रधान पुरूषार्थी, कोई सतो, कोई रजो पुरूषार्थी हैं।
- कोई महारथी, कोई घोड़े सवार, कोई प्यादे यह नाम दिये हैं।
- बच्चों को खुशी होती है, हम गुप्त हैं।
- स्थूल हथियार आदि कुछ चलाने नहीं हैं।
- देवियों को हथियार आदि जो दिखाते हैं वह हैं ज्ञान के अस्त्र शस्त्र।
- हथियारों का जिस्मानी बाहुबल हो गया।
- मनुष्यों को यह पता ही नहीं है कि स्थूल तलवार आदि नहीं उठाते हैं, इनको ज्ञान के बाण कहा जाता है।
- चतुर्भुज में जो अलंकार दिखाते हैं, उसमें भी ज्ञान का शंख है।
- ज्ञान का चक्र, ज्ञान की गदा है।
- सब ज्ञान की बातें हैं।
- समझाया भी जाता है, गृहस्थ व्यवहार में कमल फूल समान रहो तो कमल फूल भी देते हैं।
- अभी तुम प्रैक्टिकल एक्ट में हो।
- कमल फूल समान गृहस्थ व्यवहार में रहते हुए तुम्हारी बुद्धि में ज्ञान है।
- हम एक बाप को याद करते हैं।
- यह कर्मयोग संन्यास है।
- अपनी रचना की भी सम्भाल करनी है।
- अभी तुम समझते हो कि पहले दु:ख का ही व्यवहार था।
- एक दो को दु:ख ही देते रहते थे।
- यहाँ का सुख तो काग विष्टा समान छी-छी है।
- विष्टा के कीड़े बन गये हैं।
- बच्चे समझते हैं रात दिन का फर्क है।
- बाप हमें स्वर्ग का मालिक बनाते हैं।
- अभी हम नर्क के मालिक हैं।
- नर्क में क्या सुख होगा!
- तुम बच्चे यह सुनते और समझते हो।
- बाप बच्चों को यह नॉलेज समझा रहे हैं।
- बच्चों के लिए ही स्वर्ग है।
- बच्चे ही अच्छी रीति समझते होंगे नम्बरवार पुरूषार्थ अनुसार।
- पहले-पहले तो निश्चय चाहिए।
- निश्चयबुद्धि विजयन्ती।
- निश्चय पक्का होगा तो वह निश्चय में ही रहेगा।
- एक तो शिवबाबा की याद रहेगी और खुशी का पारा चढ़ा रहेगा।
- सरेन्डर बुद्धि भी होगा।
- कहते हैं बाबा मैं आपका हूँ।
- यह तन-मन-धन सब आपका है।
- बाप भी कहते हैं - स्वर्ग की बादशाही आपकी है।
- देखो, सौदा कैसा है।
- सच्चा बच्चा बनना पड़े।
- बाप को सब मालूम पड़े कि बच्चे के पास क्या है?
- हम क्या देते हैं!
- तुम्हारे पास क्या है?
- बाप अच्छी रीति समझाते हैं।
- मैं गरीब निवाज़ हूँ।
- साहूकार धनवान का तो सरेन्डर होने में हृदय विदीरण होता है।
- गरीब झट बतलाते हैं ना।
- सौदागरी करते हैं, धन्धा आदि जो करते हैं वह अपनी कमाई से एक दो पैसा वा 4 पैसा निकालते हैं।
- जो दान के शौकीन होते हैं वह धर्माऊ जास्ती निकालते हैं।
- जो कुछ करते हैं, कहते हैं ईश्वर अर्पणम्, इसलिए अल्पकाल का सुख दूसरे जन्म में मिलता है।
- कोई ने कॉलेज, धर्मशाला, हॉस्पिटल आदि बनाई तो दूसरे जन्म में उसका फायदा मिलता है। पुण्य आत्मा बनते हैं ना।
- उनकी हेल्थ अच्छी रहेगी।
- कॉलेज में अच्छी रीति पढ़ेंगे।
- वह भी सब कुछ मैं ही देता हूँ।
- साक्षात्कार भी मैं ही कराता हूँ।
- हर एक का हिसाब-किताब भी मेरे पास है।
- ड्रामानुसार पहले से ही नूंधा है।
- धन जास्ती है तो मन्दिर आदि भी बनाते हैं, वह हुआ धर्माऊ निकालना।
- अपने कारखाने आदि की कमाई से कुछ पैसा निकाल मन्दिर बनवाते हैं, कोई फिर कॉलेज आदि बनवाते हैं।
- कहेंगे ईश्वर अर्थ दान करता हूँ, तो ईश्वर रिटर्न में देगा।
- बहुत मनुष्य कहते हैं हम निष्काम सेवा करते हैं।
- परन्तु निष्काम तो होती नहीं।
- निष्काम अक्षर कहाँ से निकला?
- बाप ने समझाया है - निष्काम सेवा हो नहीं सकती।
- फल जरूर मिलता है।
- अब तुम्हें गृहस्थ व्यवहार में तो रहना ही है।
- नौकरी करनी है, सम्भालना है।
- बच्चों को पोतामेल आदि बाप को देना है। कितना बचता है।
- बाप कहेंगे अच्छा तुम गरीब हो, आमदनी आदि है नहीं।
- अपनी रचना की पालना भी पूरी नहीं कर सकते हो।
- अच्छा तुम एक पैसा दे देना।
- यही तुम्हारी अविनाशी 21 जन्मों की कमाई है।
- वह होती थी अल्पकाल सुख के लिए, यह है 21 जन्मों के लिए।
- और यह है डायरेक्ट।
- बाप कहते हैं, तुमको बीज तो बोना ही है।
- सुदामें ने मुट्ठी चावल दिया 21 जन्मों के लिए महल मिल गया क्योंकि गरीब था।
- साहूकार हीरे की मुट्ठी दे तो बात एक ही है।
- बाप कुछ कहते नहीं हैं।
- हर एक को अपने-अपने डायरेक्शन देते हैं।
- तुम इतना करो।
- पूछते भी हैं खर्चा कैसे चलता है?
- थोड़ा बचता है तो उसी अनुसार राय देंगे।
- आईवेल काम में आये।
- डायरेक्शन देंगे इतना करो, बाकी हम रेसपान्सिबुल हैं।
- अच्छा घर में कोई हाल बनाओ, जिसमें बच्चियां आकर सर्विस करें।
- हॉस्पिटल बहुत बड़े-बड़े बनाते हैं, इनको भी बड़ा बनाना पड़ेगा।
- बहुत आयेंगे।
- अगर जास्ती पैसा है तो यह हॉस्पिटल, कॉलेज खोलो।
- जैसा-जैसा गांव वैसी-वैसी चीज़।
- कितने बच्चे आकर वर्सा लेंगे - हेल्थ वेल्थ का।
- अभी तुमको ऐसा-ऐसा करने से राजाई मिलेगी, बहुतों का कल्याण होगा।
- 21 जन्मों के लिए तुम ऐसे बन जायेंगे।
- बच्चों की तो पूरी सम्भाल करनी है।
- साधू-सन्तों को इन बातों का नहीं रहता है।
- उनको जो देते हैं, वह अपने ही काम में लगायेंगे।
- अपने संन्यास कुल की वृद्धि करेंगे, अखाड़े आदि बनायेंगे।
- यहाँ जो जितनी मेहनत करेंगे उतना गद्दी का मालिक बनेंगे।
- यह वर्सा मिलता है।
- जो भी बच्चे हैं सबको बाप से वर्सा मिलता है।
- सिर्फ बाप कहते हैं बच्चे तुम मुझे भूल गये हो ना।
- तुम कितना भटके हो।
- ठिक्कर भित्तर में जाकर ढूंढ़ते-ढूंढ़ते अपनी टांगे ही थका देते।
- यह भी ड्रामा में नूँध है, फिर भी ऐसा होगा।
- सूर्यवंशी आये, चन्द्रवंशी आये फिर कैसे वृद्धि होती गई।
- जन्म लेते गये।
- यह सब तुम्हारी बुद्धि में है।
- भक्तिमार्ग में भी फल देने वाला मैं हूँ।
- पत्थर की जड़ मूर्ति क्या देगी।
- अभी तुम शूद्र वर्ण से ब्राह्मण वर्ण के बने हो।
- तुम जानते हो हम श्रीमत पर फिर से आदि सनातन देवी-देवता धर्म की स्थापना कर रहे हैं।
- कल्प पहले भी की थी।
- फिर 84 जन्मों के चक्र में आ गये हैं।
- बाकी इस्लामी, बौद्धी आदि यह सब बाईप्लाट्स हैं।
- नाटक सारा भारत पर ही है।
- तुम ही देवता थे, तुम ही असुर बने हो।
- रावण की प्रवेशता होने से वाम मार्ग में गिर तुम विकारी बन पड़ते हो।
- भ्रष्टाचारीपना शुरू हो जाता है।
- भ्रष्टाचार भी पहले सतोप्रधान फिर सतो, रजो, तमो होता है।
- बाप समझाते हैं इस समय सारा झाड़ जड़-जड़ीभूत अवस्था को पाया हुआ है।
- अभी यह खलास होना ही है।
- जो देवता धर्म नहीं है, वह फिर से स्थापन होना है।
- कल्प-कल्प स्थापन करते हैं।
- परन्तु इनका वर्णन कायदेसिर है नहीं।
- नम्बरवन बात है भगवानुवाच।
- भगवान तो एक होता है ना।
- सर्वव्यापी के ज्ञान से भक्ति भी नहीं चल सकती है।
- ओ गॉड किसको कहते हैं, सर्वव्यापी है तो ओ गॉड भी कह नहीं सकते।
- सतोप्रधान से फिर सतो रजो तमो में आना ही है, इसलिए सब पतित हैं।
- गाते भी हैं पतित-पावन आओ।
- बाप आते ही हैं पावन बनाने। तुम पावन बन रहे हो।
- दु:ख में सिमरण सब करें।
- जब आफतें आती हैं तब याद करते हैं हे भगवान, परन्तु जानते नहीं हैं।
- तुमको नॉलेज मिल रही है।
- तुमको सो फिर से देवी-देवता बनना है।
- अभी यह कयामत का समय है, सबका हिसाब-किताब चुक्तू होना है।
- अभी सब कब्रदाखिल हैं, बाप आकर जगाते हैं।
- यह ज्ञान कोई के पास है नहीं।
- आते रहेंगे, बनते रहेंगे, वृद्धि होती रहेगी।
- बाबा से पूछ सकते हैं मैं इस हालत में किस पद को पाऊंगा!
- बल्कि अपनी अवस्था से समझ सकते हो।
- अभी मार्जिन बहुत है।
- बाबा को याद करने के तुम सब पुरुषार्थी हो।
- परिपूर्ण (सम्पूर्ण) अन्त में होंगे।
- इम्तहान पूरा होगा फिर लड़ाई शुरू हो जाती है।
- जब तुम नजदीक होंगे तब बहुतों को साक्षात्कार होता रहेगा।
- एक दो को समझ जायेंगे कि यह क्या पद पायेंगे!
- समझ की बात है ना।
- आत्मा बेसमझ बन गई है।
- अभी फिर बाप कौड़ी से हीरा बनाने के लिए समझदार बनाते हैं।
- बाप कहते हैं - बच्चे यह युद्ध का मैदान है, तूफान तो बहुत आयेंगे। सभी बीमारियां बाहर निकलेंगी।
- अपने हुनर में होशियार बनो।
- उस्ताद कोई मदद नहीं करेंगे।
- हार अथवा जीत पाना तुम्हारे हाथ में है।
- उस्ताद कहते हैं यह माया की युद्ध है। माया बहुत पछाड़ेगी।
- न चाहते हुए भी 5-6 वर्ष ठीक चलते-चलते फिर ऐसे जोर से तूफान आयेंगे जो नींद भी फिटा देंगे।
- बहादुर को थकना नहीं है। फेल नहीं होना है।
- इस पर छोटे-छोटे नाटक भी दिखाते हैं कि कैसे भगवान अपनी तरफ, रावण अपनी तरफ खींचते हैं।
- तुम याद में रहने चाहते हो माया तूफान में ला देती है, सो तो होगा।
- युद्ध करते रहना है।
- तुम कर्मयोगी हो।
- सवेरे उठकर प्रैक्टिस करो, बाप को याद करो।
- तुम्हारा है गुप्त।
- गुप्त सेना भी गाई हुई है अन-नोन वारियर्स, बट वेरी वेल नोन।
- तुम्हारा यादगार यह देलवाड़ा मन्दिर अन-नोन वारियर्स का यादगार मन्दिर है।
- लक्ष्मी-नारायण का नहीं।
- यह फिर लक्ष्मी-नारायण बनते हैं।
- तुम्हारा सब है गुप्त।
- स्थूल तलवार आदि कुछ भी नहीं है, इसमें सिर्फ बुद्धि का काम है।
- गाते भी है आत्मायें परमात्मा अलग रहे बहुकाल.. मनुष्य तो गुरू बनते हैं।
- सतगुरू तो एक ही निराकार है।
- उनको पतित-पावन कहते हैं तो सतगुरू हुआ ना।
- बाकी वह हैं कलियुगी कर्मकान्ड के।
- सब पुकारते हैं ताली बजाते हैं पतित-पावन.... सब सीताओं का राम एक है।
- अभी तुम्हारी बुद्धि में सब नॉलेज आ गई है।
- अपनी अवस्था को देखना है कि हमारे में कोई अवगुण तो नहीं हैं।
- क्रोध का भूत वा काम का भूत नहीं होना चाहिए।
- लिखते हैं पता नहीं क्या होता है!
- बहुत तूफान आते हैं।
- बाबा कहते हैं यह तो आयेंगे, बहुत हैरान करेंगे।
- परन्तु तुमको खबरदार रहना है।
- बाबा को याद करना है।
- बाबा आपकी तो कमाल है।
- कोई नहीं जानते कि आप राजधानी कैसे स्थापन कर रहे हैं।
- हम भारत के खुदाई खिदमतगार हैं।
- निराकार शिव की जयन्ती भी मनाते हैं।
- परन्तु वह कब और कैसे आया, यह नहीं जानते।
- तुम जानते हो कि शिव-बाबा हमको प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा वर्सा दे रहे हैं।
- यह दादे का वर्सा है।
- बहुत करके उनको बाबा-बाबा कहते हैं।
- दादा और बाबा।
- बाबा है रूहानी, दादा है जिस्मानी।
- वह सुप्रीम रूह इस द्वारा वर्सा दे रहे हैं, यह बुद्धि में रहना चाहिए।
- श्रीमत पर चलना है।
- मनमनाभव और चक्र का राज़ भी सहज है।
- स्वदर्शन चक्रधारी भी बनना है।
- तुम स्वदर्शन चक्रधारी हो परन्तु अलंकार विष्णु को दे दिया है क्योंकि अभी तुम सम्पूर्ण नहीं बने हो।
- पहले तो यह निश्चय चाहिए कि वह हमारा बाप है, टीचर है, हमको शिक्षा दे रहे हैं।
- सतगुरू साथ ले जायेंगे।
- उनका बाप टीचर गुरू कोई नहीं।
- कितना क्लीयर समझाया जाता है, फिर भी बुद्धि में नहीं बैठता।
- गृहस्थ व्यवहार में रहते निर्मोही बनना है।
- हम तो एक बाप के बने हैं, यही बुद्धि में रहना चाहिए।
- तुमको अन्धों की लाठी बनना है।
- कोई भी मित्र-सम्बन्धी आदि हो तो बात करते-करते यही पूछो, पतित-पावन परमपिता परमात्मा से तुम्हारा क्या सम्बन्ध है?
- तुम्हारा लौकिक बाप तो वह है ना।
- फिर परमपिता परमात्मा किसका बाप है?
- जरूर कहेंगे हमारा।
- अच्छा बाप तो स्वर्ग का रचयिता है।
- भारत स्वर्ग था, अब नहीं है।
- फिर से बेहद बाप से वर्सा लो, यह तुम्हारा हक है।
- याद करने से तुम वहाँ चले जायेंगे।
- कितनी प्वाइंट्स हैं जो बुद्धि में धारण करना है।
अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अन्दर में कोई भी काम या क्रोध का अवगुण है तो उसे निकाल सच्चा-सच्चा खुदाई खिदमतगार बनना है।
तूफानों में खबरदार रहना है।
हार नहीं खानी है।
2) बाप के डायरेक्शन से सुदामें मिसल चावल मुट्ठी दे 21 जन्मों की बादशाही लेनी है।
वरदान:-
( All Blessings of 2021-22)
- संगठन में न्यारे और प्यारे बनने के बैलेन्स द्वारा अचल रहने वाले निर्विघ्न भव
- जैसे बाप बड़े से बड़े परिवार वाला है लेकिन जितना बड़ा परिवार है, उतना ही न्यारा और सर्व का प्यारा है, ऐसे फालो फादर करो।
- संगठन में रहते सदा निर्विघ्न और सन्तुष्ट रहने के लिए जितनी सेवा उतना ही न्यारा पन हो।
- कितना भी कोई हिलावे, एक तरफ एक डिस्टर्ब करे, दूसरे तरफ दूसरा।
- कोई सैलवेशन नहीं मिले, कोई इनसल्ट कर दे, लेकिन संकल्प में भी अचल रहें तब कहेंगे निर्विघ्न आत्मा।
स्लोगन:-
(All Slogans of 2021-22)
- देही-अभिमानी स्थिति द्वारा तन-मन की हलचल को समाप्त करने वाले ही अचल अडोल रहते हैं।
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