18-06-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन

मीठे बच्चे - स्वयं को 21 जन्मों के लिए स्वराज्य तिलक देना है तो देह सहित देह का सब भान भूल एक बाप को याद करो''


 

प्रश्नः-

गरीब बच्चों की किस सयानप (समझदारी) से बाप खुश होते हैं, उन्हें कौन सी राय देते हैं?

उत्तर:-

गरीब बच्चे - जो अपना ठिक्कर ठोबर (कौड़ियां) बाबा की सेवा में सफल कर, भविष्य 21 जन्मों के लिए अपना भाग्य जमा कर लेते हैं, बाबा भी उन बच्चों की इस सयानप से बहुत खुश होते हैं।

बाबा फिर ऐसे बच्चों को फर्स्टक्लास राय देते - बच्चे तुम ट्रस्टी बनो।

अपना नहीं समझो।

बच्चों आदि को भी ट्रस्टी होकर सम्भालो।

ज्ञान से तुम अपनी जीवन का सुधार कर राजाओं का राजा बनो।

 

गीत:-तकदीर जगाकर आई हूँ...


  • ओम् शान्ति।
  • बच्चों ने दो अक्षर सुने।
  • बच्चे समझ गये हैं कि हम यहाँ नई दुनिया के लिए तकदीर बनाकर आये हैं।
  • तकदीर बनाने के लिए तदबीर चाहिए।
  • बच्चे जानते हैं यहाँ श्रीमत मिलती है, महामंत्र मिलता है, मनमनाभव।
  • अक्षर तो है ना।
  • यह मंत्र कौन देते हैं?
  • वह है ऊंचे ते ऊंच और मत देने का भी सागर है।
  • उनकी मत एक ही बार मिलती है।
  • ड्रामा में एक बार जो हो चुका है वह फिर 5000 वर्ष बाद होता है।
  • इस एक ही महामंत्र से बेड़ा पार हो जाता है।
  • पतित-पावन बाप एक ही बार आकर श्रीमत देते हैं।
  • पतित-पावन कौन है?
  • परमपिता परमात्मा ही पतित से पावन बनाए पावन दुनिया में ले जाते हैं।
  • उनको ही पतित-पावन, सद्गति दाता कहा जाता है।
  • तुम उनके सामने बैठे हो।
  • जानते हो वह हमारा सब कुछ है।
  • ऊंचे ते ऊंच हमारी तकदीर बनाने वाला है।
  • तुमको निश्चय है, यह महा-मंत्र मिलता है, बेहद के बाप द्वारा।
  • वह बाप है ना।
  • एक निराकार और एक साकार।
  • बच्चे भी याद करते हैं, बाप भी याद करते हैं।
  • कल्प-कल्प अपने बच्चों को ही सुनाते हैं।
  • बाप कहते हैं सर्व की सद्गति के लिए मंत्र एक ही है और एक ही देने वाला है।
  • सतगुरू ही सत मंत्र देने वाला है।
  • तुम जानते हो हम यहाँ आये हैं अपने सुखधाम के लिए तकदीर बनाने।
  • सुखधाम सतयुग को कहा जाता है, यह है दु:खधाम।
  • जो ब्राह्मण बनते हैं उनको ही शिवबाबा ब्रह्मा मुख से मंत्र देते हैं।
  • जरूर साकार में आना पड़े, नहीं तो कैसे देवें।
  • कहते हैं कल्प-कल्प तुमको यह महामंत्र देता हूँ - मामेकम्।
  • देह के सब धर्म त्याग, देह और देह के सब धर्मों को भूलो।
  • अपने को देह समझने से फिर देह के सम्बन्धी चाचा, मामा, गुरू गोसाई आदि सब याद आ जाते हैं।
  • यह भी कहते हैं आप मुये मर गई दुनिया।
  • बाप कहते हैं मैं तुमको मंत्र ही ऐसा देता हूँ।
  • अपने को आत्मा समझ, अशरीरी बन जाओ।
  • शरीर का भान छोड़ दो।
  • यहाँ हैं देह-अभिमानी।
  • सतयुग में हैं आत्म-अभिमानी।
  • इस संगम पर तुम आत्म-अभिमानी भी बनते हो और परमात्मा को जानने वाले आस्तिक भी बनते हो।
  • आस्तिक उनको कहा जाता है जो परमपिता परमात्मा और उनकी रचना को जानते हैं।
  • आस्तिक न कलियुग में, न सतयुग में होते हैं, संगम पर ही होते हैं।
  • बाप से वर्सा पाकर वही फिर सतयुग में राज्य करते हैं।
  • यहाँ नास्तिक और आस्तिक की बात चलती है, वहाँ नहीं चलती।
  • आस्तिक ब्राह्मण बनते हैं, जो पहले नास्तिक थे।
  • इस समय सारी दुनिया नास्तिक है।
  • कोई भी बाप को वा बाप की रचना को नहीं जानते हैं।
  • सर्वव्यापी कह देते हैं।
  • तुम बच्चों का एक बेहद बाप से ही काम है।
  • उनकी श्रीमत मिलती है अथवा तदबीर कराते हैं।
  • कहते हैं बच्चे देह सहित देह का भान भूल किसको भी याद नहीं करो।
  • अपने को आत्मा समझ मुझ बाप को याद करो।
  • इसको ही महामंत्र कहा जाता है, जिससे तुम्हारी तकदीर बनती है।
  • तुमको स्वराज्य तिलक मिलता है - 21 जन्मों के लिए।
  • वह है ही प्रालब्ध।
  • गीता है ही नर से नारायण बनने की, मनुष्य से देवता बनने की।
  • तुम बच्चे जानते हो यह दुनिया बदल रही है।
  • नई दुनिया के लिए तकदीर बना रहे हैं।
  • यह मृत्युलोक है।
  • यहाँ देखो मनुष्यों की तकदीर कैसी है।
  • इनका नाम ही है दु:खधाम।
  • यह किसने कहा?
  • आत्मा ने।
  • अब तुम आत्म-अभिमानी बने हो।
  • आत्मा कहती है यह दु:खधाम है।
  • हमारा परमधाम वह है जहाँ बाबा रहते हैं।
  • अब बाप ज्ञान सुनाते हैं और तकदीर बनाते हैं।
  • बाप एक महामंत्र देते हैं मुझे याद करो।
  • भल कोई देहधारी से सुनो, परन्तु याद मुझ विदेही को करो।
  • सुनना तो जरूर देहधारी से ही पड़ेगा।
  • ब्रह्माकुमार-कुमारियां भी मुख से ही सुनायेंगे कि पतित-पावन को याद करो।
  • तुम्हारे सिर पर जो विकर्मों का बोझा है वह याद के बल से ही भस्म करना है।
  • निरोगी बनना है।
  • तुम बच्चे बाप के सम्मुख बैठे हो।
  • जानते हो बाबा आये हैं तकदीर बनाने और बहुत सहज रास्ता बताते हैं।
  • कहते हैं बाबा याद भूल जाती है।
  • अरे शर्म नहीं आती है!
  • लौकिक बाप जो तुमको पतित बनाते हैं, उनकी याद रहती है और यह जो परलौकिक बाप तुमको पावन बनाते हैं कहते हैं मामेकम् याद करो, तो विकर्म विनाश होंगे।
  • उनके लिए कहते हो बाबा भूल जाता हूँ।
  • बाप कहते हैं मैं तुमको मन्दिर लायक बनाने आया हूँ।
  • तुम जानते हो भारत शिवालय था - हम राज्य करते थे फिर हमारे जड़ चित्र मन्दिरों में पूजते आये हैं।
  • हम सो देवता थे, यह भूल गये हैं।
  • तुम्हारे मम्मा बाबा जो पूज्य देवी-देवता थे फिर पुजारी हो गये हैं।
  • यह नॉलेज बुद्धि में है।
  • झाड़ में भी मुख्य दिखाया है।
  • पहले फाउन्डेशन में आदि सनातन देवी-देवता थे, अब नहीं हैं।
  • 5 हजार वर्ष पहले सतयुग था, अभी कलियुग है।
  • कलियुग के बाद फिर सतयुग आना है।
  • जरूर श्रीमत देने वाले को आना है।
  • दुनिया बदलनी है जरूर।
  • ढिंढोरा पिटवाते रहते हो।
  • झाड़ तो जल्दी नहीं बढ़ना है।
  • विघ्न पड़ते हैं।
  • भिन्न-भिन्न नाम रूप में फँस पड़ते हैं।
  • बाप कहते हैं फंसो नहीं।
  • भल गृहस्थ व्यवहार में रहो, बाप को याद करो और पवित्र रहो।
  • भगवानुवाच - काम महाशत्रु है।
  • आगे भी गीता के भगवान ने कहा था - अभी भी फिर से कहते हैं।
  • गीता के भगवान ने जरूर काम पर जीत पहनाई होगी।
  • एक है रावणराज्य, दूसरा है रामराज्य।
  • रामराज्य दिन, रावण राज्य रात।
  • बाप कहते हैं अब यह रावणराज्य खत्म होना है, इसके लिए सब तैयारियां हैं।
  • बाप पढ़ाकर ले जायेंगे फिर तुमको राज्य चाहिए।
  • इस पतित पृथ्वी पर राज्य थोड़ेही करेंगे।
  • शिवबाबा को तो पैर हैं नहीं, जो यहाँ पर पैर रखे।
  • देवताओं के पैर इस पतित दुनिया में आ न सकें।
  • तुम जानते हो हम देवता बन रहे हैं।
  • फिर भारत में ही आयेंगे।
  • परन्तु सृष्टि बदलकर कलियुग से सतयुग बन जायेगी।
  • अब तुम श्रेष्ठ बन रहे हो।
  • बहुत बच्चे कहते हैं बाबा तूफान आते हैं।
  • बाप कहते हैं तुम बाप को भूल जाते हो।
  • बाप की मत पर नहीं चलते हो।
  • श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ बाप की मत मिलती है - बच्चे, भ्रष्टाचारी मत बनो।
  • तुमको पढ़ाने वाला एक है।
  • वह कहते हैं मामेकम् याद करो।
  • इनके रथ को भी याद नहीं करो।
  • रथी और रथवान।
  • घोड़े गाड़ी की तो बात नहीं।
  • उसमें बैठ ज्ञान दिया जाता है क्या?
  • आजकल तो एरोप्लेन की सवारी है।
  • साइन्स बिल्कुल जोर पर है।
  • माया का पाम्प बड़ा जोर है।
  • इस समय एक दो की कितनी खातिरी करते हैं।
  • फलानी जगह का प्राइममिनिस्टर आया, इज्जत मिली।
  • 15 रोज़ के बाद फिर उतार देते हैं।
  • बादशाहों पर भी मुसीबत है।
  • डरते रहते हैं।
  • तुमको कितना सहज ज्ञान मिलता है।
  • तुम कितने गरीब हो, कौड़ी भी नहीं है।
  • ट्रस्टी बनाते हो - बाबा यह सब कुछ आपका है।
  • बाबा कहते हैं अच्छा तुम भी ट्रस्टी बन रहो।
  • अगर अपना समझेंगे तो यह तुम्हारी सयानप नहीं रही।
  • श्रीमत पर चलना पड़े।
  • जो ट्रस्टी होंगे वह श्रीमत पर चलेंगे।
  • तुम गरीब हो, समझते हो यह ठिक्कर ठोबर सब बाबा को देवें।
  • बाबा फिर फर्स्टक्लास राय देते हैं।
  • बच्चों की सम्भाल भी करनी है।
  • इस समय तुमको ज्ञान मिलता है, जिससे तुम्हारा भविष्य सुधर जाता है और राजाओं का राजा बन जाओगे।
  • फिर बाप का भी फ़र्ज है राय देना।
  • बाप को याद करो, तरस आना चाहिए।
  • किसको खड्डे में गिरने से बचाना है।
  • बड़ा युक्ति से चलना पड़ता है।
  • सूपनखा, पूतना, अजामिल, दुर्योधन यह सब अभी के नाम हैं।
  • अभी की सीन फिर कल्प बाद होगी।
  • वही बाप सम्मुख आकर नॉलेज देते हैं।
  • मनुष्य से देवता पद प्राप्त कराते हैं।
  • तुम आये हो 5 हजार वर्ष पहले मुआफिक वर्सा लेने।
  • पहले भी महाभारी लड़ाई हुई थी।
  • वह इनसे ही तैलुक रखती है।
  • बाप अच्छी रीति समझाए मनुष्य से देवता पद प्राप्त कराते हैं।
  • तुम आये हो बाप से वर्सा लेने, ब्रह्मा वा जगत अम्बा वा बी.के. से वर्सा नहीं मिलना है।
  • यह भी वर्सा बाप से ही लेते हैं।
  • औरों को भी समझाते हैं।
  • तुम भी जगतपिता के बच्चे बन उनसे वर्सा लेते हो।
  • सबको अलग-अलग कहते हैं, बच्चे मुझे याद करो।
  • यह डायरेक्ट तीर लगता है।
  • बाप कहते हैं बच्चे वर्सा तुमको मेरे से लेना है।
  • कोई भी मित्र-सम्बन्धी आदि मर जाये, वर्सा तुमको बाप से लेना है।
  • इसमें खुशी बहुत चाहिए।
  • अरे तकदीर बनाने आये हो, जानते हो बाबा हमको स्वर्ग का मालिक अब फिर बनाते हैं।
  • तो वह मैनर्स धारण करने हैं।
  • विकारों से बचना है।
  • हम पावन निर्विकारी बन रहे हैं।
  • ड्रामा और झाड़ को समझना है और कोई तकलीफ नहीं, सिम्पल ते सिम्पल है।
  • फिर भी कहते हैं बाबा भूल गये।
  • भूत आ गया।
  • बाबा कहते हैं इन भूतों को निकालो।
  • दिल दर्पण में देखो - हम लायक बने हैं!
  • नर से नारायण बनने का है।
  • बाप बैठ समझाते हैं - मीठे-मीठे सौभाग्यशाली बच्चे, तुम सौभाग्यशाली बनने के लिए आये हो।
  • अभी तो सब दुर्भाग्यशाली हैं ना।
  • भारतवासी ही सौभाग्यशाली थे, कितने साहूकार थे।
  • भारत की बात है।
  • बाप कहते हैं तुम अपने को आत्मा समझो - क्योंकि तुमको मेरे पास आना है तो अन्त मती सो गति हो जायेगी।
  • अब नाटक पूरा होता है, हम गये कि गये।
  • उपाय भी बतलाते हैं।
  • सब पापों से मुक्त हो, पुण्य आत्मा बन जायेंगे।
  • पुण्य आत्माओं की दुनिया थी ना जो फिर से स्थापन हो रही है।
  • पुरानी दुनिया बदल नई होनी है।
  • समझते हैं - भारत प्राचीन था, हेविन था।
  • हेविनली गॉड फादर ने हेविन बनाया।
  • वह कब आया?
  • इस समय ही आते हैं।
  • इसको कल्याणकारी बाप के आने का समय कहा जाता है।
  • यह तो रावण की सम्प्रदाय कितनी बड़ी है।
  • राम की सम्प्रदाय कितनी थोड़ी है।
  • यहाँ वृद्धि को पाते रहते हैं।
  • बच्चे फिर से बाप से वर्सा लेने आते रहेंगे।
  • प्रदर्शनी अथवा प्रोजेक्टर पर समझाते रहते हो।
  • अभी तो बहुत सर्विस करनी है।
  • बाप कहते रहते हैं लाडले बच्चों - यह ड्रामा है।
  • परन्तु इस समय तक जो बने वह एक्यूरेट ड्रामा ही कहेंगे।
  • ड्रामा की नूंध में बाप कहते हैं - मैं भी हूँ।
  • बच्चे, पतित दुनिया में मुझे भी आना पड़ता है।
  • परमधाम छोड़ देखो, मैं कैसे यहाँ आता हूँ, बच्चों के लिए।
  • प्लेग की बीमारी से डाक्टर लोग दूर नहीं भागते हैं।
  • उनको तो आना ही पड़े।
  • गाते भी हैं पतित-पावन आओ, आकर 5 विकारों से छुड़ाए पावन बनाओ अर्थात् लिबरेट करो।
  • दु:खधाम से सुखधाम में ले चलो।
  • गॉड इज लिबरेटर।
  • वह सर्व का लिबरेटर भी है ना और गाइड बन वापिस ले जाते हैं फिर नम्बरवार आते हैं।
  • सूर्यवंशी फिर चन्द्रवंशी, फिर द्वापर शुरू होता तो तुम पुजारी बन पड़ते हो।
  • गाया भी जाता है देवतायें वाम मार्ग में चले गये।
  • वाम मार्ग के चित्र भी दिखाते हैं।
  • अभी तुम प्रैक्टिकल समझते हो - हम सो देवता थे, कितनी सहज बाते हैं समझने की।
  • यह तो अच्छी रीति बुद्धि में धारण होनी चाहिए।
  • अभी तुम बच्चे अपनी तकदीर बनाने आये हो।
  • यहाँ बाप सम्मुख बैठे हैं।
  • बाकी टीचर नम्बरवार हैं।
  • यहाँ प्रजापिता ब्रह्मा के मुख से भगवान ने सब वेदों शास्त्रों का सार बताया है।
  • पहले तो ब्रह्मा सुनेगा ना।
  • ब्रह्मा, विष्णु, शंकर को सूक्ष्मवतन में दिखाया है।
  • अब विष्णु तो है सतयुग का मालिक और ब्रह्मा है संगमयुग का।
  • ब्रह्मा तो यहाँ चाहिए ना, जब ब्राह्मण फिर देवता बनते हैं।
  • यह रूद्र ज्ञान यज्ञ है।
  • आगे भी यज्ञ रचा था, इसमें ही सारी दुनिया स्वाहा हो जायेगी, सब खत्म हो जायेंगे।
  • तुम बच्चे फिर यहाँ आकर राज्य करेंगे नई दुनिया में।


  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) अन्दर से भूतों को निकाल नर से नारायण बनने के लायक बनना है, दिल दर्पण में देखना है, हम कहाँ तक लायक बने हैं।
  • 2) अपने को आत्मा समझ अशरीरी बन बाप को याद करना है।
  • शरीर का भान न रहे - इसका अभ्यास करना है।
  • वरदान:-
  • ( All Blessings of 2021-22)
    • पवित्रता की रायॅल्टी द्वारा सदा हर्षित रहने वाले हर्षितचित, हर्षितमुख भव
    • पवित्रता की रॉयल्टी अर्थात् रीयल्टी वाली आत्मायें सदा खुशी में नाचती हैं।
    • उनकी खुशी कभी कम, कभी ज्यादा नहीं होती।
    • दिनप्रतिदिन हर समय और खुशी बढ़ती रहेगी, उनके अन्दर एक बाहर दूसरा नहीं होगा।
    • वृत्ति, दृष्टि, बोल और चलन सब सत्य होगा।
    • ऐसी रीयल रायल आत्मायें चित से भी और नैन-चैन से भी सदा हर्षित होंगी।
    • हर्षितचित, हर्षितमुख अविनाशी होगा।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021-22)
    • संसार में सर्वश्रेष्ठ बल पवित्रता का बल है।