15-06-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
मीठे बच्चे - यह तुम सबकी वानप्रस्थ अवस्था है, वापस घर जाना है इसलिए बाप और घर को याद करो, पावन बनो, सब खाते खलास करो
प्रश्नः-
बाप ही बच्चों को कौन सा धीरज देते हैं?
उत्तर:-
बच्चे, अभी इस रुद्र ज्ञान यज्ञ में अनेक प्रकार के विघ्न पड़ते हैं, परन्तु धीरज धरो, जब तुम्हारा प्रभाव निकलेगा, ढेर के ढेर आने लगेंगे फिर सब तुम्हारे आगे आकर माथा झुकायेंगे। बांधेलियों के बन्धन खलास हो जायेंगे। जितना तुम बाप को याद करेंगे, बंधन टूटते जायेंगे। तुम विकर्माजीत बनते जायेंगे।
गीत:-भोलेनाथ से निराला....
|
- ओम् शान्ति।
- भोलानाथ सदैव शिव को ही कहते हैं, शिव-शंकर का भेद तो अच्छी तरह से समझा ही है।
- शिव तो ऊंच ते ऊंच मूलवतन में रहते हैं।
- शंकर तो है सूक्ष्मवतनवासी, उनको भगवान कैसे कह सकते हैं।
- ऊंच ते ऊंच रहने वाला है एक बाप।
- फिर दूसरे तबके में हैं 3 देवतायें।
- वह है बाप, ऊंच ते ऊंच निराकार।
- शंकर तो आकारी है।
- शिव है भोलानाथ, ज्ञान का सागर।
- शंकर को ज्ञान का सागर कह नहीं सकते।
- तुम बच्चे जानते हो शिवबाबा भोलानाथ आकर हमारी झोली भरते हैं।
- आदि मध्य अन्त का राज़ बता रहे हैं।
- रचता और रचना का राज़ बहुत सिम्पल है।
- बड़े-बड़े ऋषि मुनि आदि भी इन सहज बातों को जान नहीं सकते हैं।
- जब वह रजोगुणी ही नहीं जानते थे तो तमोगुणी फिर कैसे जानेंगे।
- तो अभी तुम बच्चे बाप के सम्मुख बैठे हो।
- बाप अमरकथा सुना रहे हैं।
- यह तो बच्चों को निश्चय है बरोबर हमारा बाबा (शिवबाबा) सच्ची-सच्ची अमरकथा सुना रहे हैं, इसमें कोई संशय नहीं होना चाहिए।
- कोई भी मनुष्य हमको यह नहीं सुना रहे हैं।
- भोलानाथ है शिवबाबा, कहते हैं मुझे अपना शरीर नहीं है।
- मैं हूँ निराकार, पूजा भी मुझ निराकार की ही करते हैं।
- शिव जयन्ती भी मनाते हैं, अब बाप तो जन्म मरण रहित है।
- वह है भोलानाथ।
- जरूर आकर सभी की झोली भरेगा।
- कैसे भरेगा, यह तुम बच्चे ही समझते हो।
- अविनाशी ज्ञान रत्नों की झोली भरते हैं।
- यही नॉलेज है, ज्ञान सागर आकर ज्ञान देते हैं।
- गीता तो वही एक ही है परन्तु संस्कृत श्लोक तो हैं नहीं।
- भोली मातायें संस्कृत आदि से क्या जानें!
- उन्हों के लिए ही भोलानाथ बाबा आते हैं।
- यह मातायें तो बिचारी घर के काम में ही रहती हैं।
- यह तो अभी फैशन पड़ा है जो नौकरी करती हैं।
- तो बाबा अब बच्चों को ऊंच ते ऊंच पढ़ाई पढ़ा रहे हैं, जो बिल्कुल कुछ भी नहीं पढ़े थे उन्हों पर पहले-पहले कलष रखते हैं पढ़ाई का।
- यूँ तो भक्तियां, सीतायें सब हैं।
- राम आये हैं रावण की लंका से मुक्त करने अर्थात् दु:ख से मुक्त करने।
- फिर तो बाप के साथ घर ही जायेंगे और कहाँ जायेंगे।
- याद भी घर को करते हैं, हम दु:ख से मुक्ति पावें।
- बच्चे जानते हैं बीच में किसको मुक्ति मिल नहीं सकती।
- सबको तमोप्रधान बनना ही है।
- मुख्य जो फाउन्डेशन है वह जल जाता है, वह धर्म ही प्राय: लोप हो जाता है।
- बाकी कुछ प्राय: चित्र आदि जाकर रहते हैं।
- लक्ष्मी-नारायण का चित्र भी गुम हो जाए तो यादगार कैसे मिलेगा?
- बरोबर जानते हैं देवी-देवतायें राज्य करते थे।
- उन्हों के चित्र भी अभी तक हैं।
- बच्चों को इस पर समझाना है।
- तुम जानते हो लक्ष्मी-नारायण बचपन में प्रिन्स प्रिन्सेज, राधे कृष्ण थे।
- फिर महाराजा महारानी बने हैं।
- वह हैं ही सतयुग के मालिक।
- देवतायें कभी पतित दुनिया में पैर नहीं धर सकते।
- श्रीकृष्ण तो है ही वैकुण्ठ का प्रिन्स।
- वह तो गीता सुना न सके।
- भूल भी कितनी भारी कर दी है।
- कृष्ण को भगवान कहा नहीं जा सकता।
- वह तो मनुष्य है, देवी-देवता धर्म का है।
- वास्तव में देवतायें ब्रह्मा विष्णु शंकर तो सूक्ष्मवतन में ही रहते हैं, यहाँ मनुष्य रहते हैं।
- मनुष्य को सूक्ष्मवतन वासी नहीं कह सकते हैं, ब्रह्मा देवताए नम:, विष्णु देवताए नम: कह देते हैं ना।
- वह है देवी-देवता धर्म।
- श्री लक्ष्मी देवी, श्री नारायण देवता।
- मनुष्य को ही 84 जन्म लेने पड़ते हैं।
- अभी तुम बच्चे जानते हो असुल में हम देवता धर्म के थे, वह धर्म बहुत सुख देने वाला है।
- यह कोई कह न सके - वहाँ हम क्यों नहीं!
- यह तो जानते हो ना कि वहाँ एक ही आदि सनातन देवी-देवता धर्म था फिर बाकी और धर्म नम्बरवार आते हैं।
- यह तुम बच्चे समझा सकते हो।
- यह अनादि बना बनाया खेल है।
- उसमें फिर सतयुग होगा।
- भारत में ही होना है क्योंकि भारत ही अविनाशी खण्ड है।
- इसका विनाश नहीं होता है।
- यह भी समझाना पड़ता है।
- बाप का जन्म भी यहाँ होता है, उनका है दिव्य जन्म जो मनुष्यों सदृश्य नहीं है।
- बाप आये हैं निकालने।
- अभी तुम सिर्फ बाप और घर को याद करो।
- फिर तुम राजधानी में आ जायेगे।
- यह तो आसुरी राजस्थान है, बाप ले जाते हैं दैवी राजस्थान में।
- और कोई तकलीफ नहीं देते सिर्फ बाप और वर्से को याद करना है।
- यह है अजपाजाप... मुख से कुछ भी कहना नहीं है।
- सूक्ष्म में भी कुछ कहना नहीं है।
- साइलेन्स में बाप को याद करना है, घर बैठे।
- बांधेलियां भी घर बैठे सुनती हैं।
- छुट्टी नहीं मिलती है।
- हाँ घर बैठे सिर्फ पवित्र रहने की कोशिश करो।
- बोलो, हमको स्वप्न में डायरेक्शन मिलते हैं पवित्र बनो।
- अभी मौत सामने खड़ा है।
- तुम अभी वानप्रस्थ अवस्था में हो।
- वानप्रस्थ में कभी विकार का ख्याल थोड़ेही होता है।
- अभी बाप सारी दुनिया के लिए कहते हैं, सभी की वानप्रस्थ अवस्था है।
- सभी को वापस जाना है तो घर को याद करना है।
- फिर आना भी भारत में है।
- मुख तो घर की तरफ ही होगा ना।
- बच्चों को और कोई तकलीफ नहीं दी जाती है, बड़ा सहज है।
- घर में बैठ भल भोजन बनाओ, शिवबाबा की याद में।
- घर में भोजन बनाते हो तो पति याद रहता है ना।
- बाप कहते हैं यह तो पतियों का पति है।
- उनको याद करो जिससे 21 जन्मों के लिए वर्सा मिलता है।
- अच्छा कोई को छुट्टी नहीं मिलती है।
- वहाँ भी रह बाप और वर्से को याद करो।
- अपना तो तुम छुटकारा कर लो।
- बाप से पूरा वर्सा ले सकते हो।
- धीरे-धीरे तो छुटकारा मिलना ही है।
- हाँ रूद्र ज्ञान यज्ञ में विघ्न भी जरूर पड़ने हैं।
- आखरीन जब तुम्हारा प्रभाव निकलेगा तो तुम्हारे चरणों में माथा टेकते रहेंगे।
- विघ्न तो पड़ते ही रहेंगे।
- इसमें धैर्य धरना है, उतावला नहीं होना है।
- घर बैठे पति आदि मित्र सम्बन्धियों को एक ही बात समझाओ कि बाप का फरमान है मुझे याद करो, वर्सा लो।
- कृष्ण तो हो नहीं सकता।
- बाप को ही याद करना है।
- बाप का ही परिचय देना है, जो सब जान जाएं कि हमारा बाबा शिवबाबा है।
- वह भी अभी याद अच्छी रह सकती है।
- थोड़े समय के लिए यह बन्धन मारपीट आदि है।
- आगे चल यह सब बन्द हो जायेंगे।
- कोई-कोई बीमारी होती है जो झट छूट जाती है।
- कोई वर्ष दो तक भी चलती है।
- इसमें भी उपाय यही है, बाबा को याद करते-करते बन्धन छूट जायेंगे इसलिए हर बात में धीरज चाहिए।
- बाप कहते हैं जितना तुम याद करेंगे उतना विकर्म विनाश होंगे।
- बुद्धि टूटती जायेगी।
- यह विकर्मो के भी बन्धन हैं।
- विकार को ही नम्बरवन विकर्म कहा जाता है।
- अभी तुम विकर्माजीत बनते हो।
- विकर्माजीत याद से ही बना जाता है।
- सभी खाते खलास हो जायेंगे, फिर सुख का खाता शुरू होगा।
- व्यापारियों के लिए तो बहुत सहज है।
- समझते हैं कि पुराना खाता खलास कर फिर नया शुरू करना है।
- याद करते रहेंगे तो जमा होता जायेगा।
- याद नहीं करेंगे तो जमा कैसे होगा?
- यह भी व्यापार है ना।
- बाप तो कोई तकलीफ नहीं देते हैं।
- धक्का आदि कुछ भी खाने का नहीं है।
- वो तो जन्म-जन्मान्तर खाते ही आये हैं।
- अभी सत्य बाप कितना अच्छी रीति समझाते हैं।
- गॉड ही सत्य बतलाते हैं।
- बाकी तो सब है झूठ।
- कान्ट्रास्ट देखो - बाबा क्या समझाते हैं और मनुष्य क्या समझाते हैं।
- यह है ड्रामा।
- फिर भी ऐसे ही होगा।
- अभी तुम जानते हो हम सद्गति को पाते हैं - श्रीमत पर चलने से।
- नहीं तो इतना ऊंच पद नहीं मिलेगा।
- तुम निमित्त बनते हो स्वर्ग में जानें, वहाँ कोई विकर्म होता नहीं।
- यहाँ विकर्म होता है तो सजा भी भोगनी पड़ती है।
- जो श्रीमत पर नहीं चलते हैं उनको भी क्या कहा जाए? नास्तिक।
- भल जानते हैं बाबा आस्तिक बनाते हैं।
- परन्तु फिर भी अगर उनकी मत पर न चले तो नास्तिक ठहरे ना।
- जानते भी हैं शिवबाबा की श्रीमत पर ही चलना है, परन्तु जानते हुए भी न चलें तो उनको क्या कहेंगे!
- श्रीमत है श्रेष्ठ बनने की।
- सबसे ऊंच ते ऊंच वह सतगुरू है।
- बाप बैठ बच्चों को सम्मुख समझाते हैं।
- कल्प-कल्प समझाया था।
- बाकी शास्त्र तो सब भक्ति मार्ग के हैं।
- अनेक ढेर के ढेर शास्त्र हैं।
- शास्त्रों की भी बहुत इज्जत रखते हैं।
- जैसे शास्त्रों को परिक्रमा देते हैं, वैसे चित्रों को भी परिक्रमा दिलाते हैं।
- अब बाबा कहते हैं इन सभी को भूल जाओ।
- एकदम बिन्दू (ज़ीरो) बन जाओ।
- बिन्दी लगा दो, और कोई बातें सुनो नहीं।
- हियर नो ईविल, सी नो ईविल, टॉक नो इविल।
- एक बाप के सिवाए दूसरे कोई की बात मत सुनो।
- अशरीरी बन जाओ, और सब कुछ भूल जाओ।
- तुम आत्मायें शरीर साथ सुनती हो।
- बाप आकर ब्रह्मा द्वारा समझाते हैं।
- बच्चों को सद्गति का मार्ग बतलाते हैं।
- भल पहले भी कितने यत्न किये, परन्तु मुक्ति जीवनमुक्ति कोई चक्र नहीं सके।
- कल्प की आयु ही लम्बी कर दी है।
- जिनकी तकदीर में होगा तो सुनेगा।
- तकदीर में नहीं है तो आ न सके।
- यहाँ भी तकदीर की बात है।
- बाप समझाते कितना सहज है, कोई कहते हैं हमारा मुख नहीं खुलता है।
- अरे इतनी सहज बात है बाप और वर्से को याद करो।
- उनको ही संस्कृत में कहते हैं मनमनाभव।
- शिवबाबा है सभी आत्माओं का बाप।
- कृष्ण को बाप नहीं कह सकते।
- ब्रह्मा भी बाप है सारी प्रजा का।
- आत्माओं का बाप बड़ा या प्रजा का बाप बड़ा?
- बड़े बाबा को याद करने से प्रालब्ध स्वर्ग का वर्सा मिलेगा।
- आगे तुम्हारे पास बहुत आयेंगे।
- जायेंगे कहाँ?
- आते रहेंगे।
- जहाँ बहुत लोग जाते हैं तो एक दो को देख बहुत घुस पड़ते हैं।
- तुम्हारे में भी वृद्धि को पाते रहेंगे।
- विघ्न कितने भी आयें, उन खिटपिट से पास होकर अपनी राजधानी तो स्थापन करनी ही है।
- रामराज्य स्थापन कर रहे हैं।
- रामराज्य है नई दुनिया।
- तुम जानते हो हम अपने ही तन-मन-धन से भारत को स्वर्ग बना रहे हैं श्रीमत पर।
- कोई से पहले तुम यह पूछो परमपिता परमात्मा से तुम्हारा क्या सम्बन्ध है?
- प्रजापिता ब्रह्मा से क्या सम्बन्ध है?
- यह है बेहद का बाप।
- फिर हैं बिरादरियां।
- एक से ही निकली हुई हैं ना।
- परमपिता परमात्मा ने प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा सृष्टि रची है अर्थात् पतित से पावन बनाया है।
- दुनिया कुछ भी नहीं जानती हम सो पूज्य, हम सो पुजारी .. गाते हैं परन्तु वह फिर भगवान के लिए कह देते हैं।
- अगर भगवान ही पुजारी बने तो फिर कौन पूज्य बनावे.. यह पूछना चाहिए।
- बच्चों को हम सो का अर्थ समझाया है।
- हम सो शूद्र थे, अब हम सो देवता बन रहे हैं।
- चक्र को तो याद कर सकते हो ना!
- गाया भी जाता है फादर शोज़ सन, फिर सन शोज़ फादर।
अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) होशियार व्यापारी बन पुराने सब खाते खलास कर सुख का खाता शुरू करना है।
याद में रह विकर्मो के बन्धन काटने हैं।
धीरज धरना है, उतावला नहीं होना है।
2) घर में बैठ भोजन बनाते, हर कर्म करते बाप की याद में रहना है।
बाप जो अविनाशी ज्ञान रत्न देते हैं।
उनसे अपनी झोली भर दूसरों को दान करना है।
वरदान:-
( All Blessings of 2021-22)
- साक्षी बन माया के खेल को मनोरंजन समझकर देखने वाले मास्टर रचयिता भव
- माया कितने भी रंग दिखाये, मैं मायापति हूँ, माया रचना है, मैं मास्टर रचयिता हूँ - इस स्मृति से माया का खेल देखो, खेल में हार नहीं खाओ।
- साक्षी बनकर मनोरंजन समझकर देखते चलो तो फर्स्ट नम्बर में आ जायेंगे।
- उनके लिए माया की कोई समस्या, समस्या नहीं लगेगी।
- कोई क्वेश्चन नहीं होगा।
- सदा साक्षी और सदा बाप के साथ की स्मृति से विजयी बन जायेंगे।
स्लोगन:-
(All Slogans of 2021-22)
- मन को शीतल, बुद्धि को रहमदिल और मुख को मृदु (मीठा)बनाओ।
|