10-06-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
मीठे बच्चे - सदा इसी नशे में रहो कि ज्ञान सागर बाप की ज्ञान वर्षा हमारे ऊपर हो रही है, जिससे हम पावन बन अपने बड़े घर में जायेंगे''
प्रश्नः-
तुम बच्चों का निश्चय किस आधार से और भी पक्का होता जायेगा?
उत्तर:-
दुनिया में जितने हंगामें बढ़ेंगे, तुम्हारे दैवी झाड़ की वृद्धि होगी, उतना पुरानी दुनिया से दिल हटती जायेगी और तुम्हारा निश्चय पक्का होता जायेगा। विहंग मार्ग की सर्विस होती जायेगी, धारणा पर अटेन्शन देते जायेंगे तो बुद्धि का हौंसला बढ़ता जायेगा। अपार खुशी में रहेंगे।
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- ओम् शान्ति।
- बच्चों को रोज़ यह कहने की दरकार नहीं रहती है कि शिवबाबा को याद करो।
- बच्चे जानते हैं हम शिवबाबा की सन्तान हैं।
- कहने की दरकार नहीं रहती।
- शिवबाबा हमको इस द्वारा पढ़ाते हैं, यह है ज्ञान सागर के ज्ञान की वर्षा।
- बच्चों की बुद्धि में है कि ज्ञान सागर की अब हमारे ऊपर ज्ञान वर्षा हो रही है।
- जो आकर ब्राह्मण बनते हैं उन पर ही मैं ज्ञान की वर्षा करता हूँ, बच्चों के सम्मुख होता हूँ।
- अभी बच्चे सम्मुख बैठे हैं।
- बाबा घड़ी-घड़ी सम्मुख होने का नशा चढ़ाते हैं।
- माया फिर नशा उतार देती है।
- किसका पूरा उतार देती, किसका कम।
- बच्चे जानते हैं - हम आये हैं सागर के पास रिफ्रेश होने अर्थात् मुरली की प्वाइंट धारण कर डायरेक्शन लेने।
- हम उनके सामने बैठे हैं।
- इस ज्ञान सागर की वर्षा एक ही बार होती है।
- बाप आते ही हैं पतितों को पावन बनाने।
- महिमा भी ऐसे गाते हैं हे पतित-पावन... सतयुग में तो ऐसे नहीं पुकारेंगे।
- वहाँ तो ज्ञान सागर की ज्ञान वर्षा से पावन बने हुए हैं, ज्ञान के साथ फिर वैराग्य भी है।
- किस चीज़ का?
- पुरानी पतित दुनिया का बुद्धि से वैराग्य आता है।
- बच्चे बुद्धि से जानते हैं कि अभी हम नई दुनिया में जाते हैं।
- पुरानी दुनिया को छोड़ना है - इसको वैराग्य अक्षर कह दिया है।
- जैसे बाबा नया मकान बनाते हैं तो पुराने से बुद्धियोग हटकर नये से लग जाता है।
- समझते हैं पुराना खलास हो तो हम नये में जावें।
- बच्चे भी अन्दर में कहते होंगे जल्दी-जल्दी स्वर्ग की स्थापना हो जाये, तब हम अपने घर जायें, सुखी होवें।
- पहले-पहले हम साज़न के साथ घर जायेंगे।
- यह पियरघर है, यह छोटा, वह बड़े बाबा का घर बड़ा घर है।
- तुम जानते हो वह तो सभी आत्माओं का घर है।
- यह तुम बच्चों की बुद्धि में है और किसकी बुद्धि में नहीं है।
- आगे तो अन्धियारा था, अब सोझरा है।
- यह भी समझते हो कि ज्ञान तो सब नहीं लेंगे।
- घर तो सब जायेंगे जरूर।
- तुम बच्चों की बुद्धि में है कि अब हम अपने घर जा रहे हैं।
- श्रीमत पर लायक बन रहे हैं।
- स्वर्ग के लायक बनना है।
- एक तो मुझे याद करो तो विकर्म विनाश हो जाएं, दूसरा चक्र को फिराओ।
- सृष्टि का चक्र कैसे फिरता है, इनकी आयु कितनी है।
- कौन कब आते हैं, यह सारा बाप बैठ समझाते हैं।
- यह जो कहते हैं मनुष्य 84 लाख जन्म लेते हैं तो क्या सभी लेते हैं?
- अभी तुम जानते हो 84 जन्म होते हैं, उनका भी हिसाब है। सब तो 84 जन्म भी नहीं लेंगे।
- शुरू से लेकर पुनर्जन्म में आते रहते हैं।
- पिछाड़ी में किसके एक दो जन्म भी होते हैं।
- पहले-पहले जो आयेंगे वह 84 जन्म लेंगे।
- जैसे मिसाल यह लक्ष्मी-नारायण हैं, मनुष्य भल इन्हों के मन्दिरों में जाते हैं परन्तु कुछ भी पता नहीं है।
- बस कहेंगे भगवान भगवती का दर्शन करने जाते हैं।
- परन्तु इन्हों की यह राजधानी कैसे स्थापन हुई, यह कुछ भी नहीं जानते।
- जिसकी पूजा करते उनके आक्यूपेशन को ही नहीं जानते तो वह पूजा क्या काम की!
- इसलिए इनको कहा जाता है अन्धश्रद्धा।
- जप तप तीर्थ आदि करते हैं, समझते हैं इनसे भगवान को पाने का रास्ता मिलता है।
- परन्तु इनसे कोई को भगवान मिल नहीं सकता।
- समझो यहाँ भी कोई-कोई आते हैं, जगत अम्बा के मन्दिरों में आते हैं दर्शन करने।
- बाबा समझेंगे इनकी बुद्धि में कुछ बैठा नहीं है।
- तुम्हारी तो सब मनोकामनायें पूरी हो रही हैं ना।
- जगत अम्बा का पार्ट एक्यूरेट चल रहा है।
- बरोबर जगत अम्बा का पार्ट ऊंचा है।
- पहले लक्ष्मी पीछे नारायण।
- तुम्हारा यह अन्तिम जन्म है।
- हिसाब-किताब यहाँ से चुक्तू होता है।
- कर्म का भोग भोगकर छूटना है और बाप की याद में रहना है।
- वास्तव में बच्चों को याद करना एक बाप को ही है।
- देहधारी को याद किया तो वह टाइम वेस्ट हो जायेगा।
- ऐसा तो हो नहीं सकता कि कोई निरन्तर याद करे।
- ऐसी कोई चीज़ नहीं जिसे निरन्तर याद किया जाए।
- स्त्री पति को भी निरन्तर याद कर न सके।
- जरूर खाना बनायेगी, बच्चों की सम्भाल करेगी तो पति थोड़ेही याद आयेगा।
- यहाँ तो तुमको निरन्तर याद करने का अभ्यास करना है।
- ताकि पिछाड़ी में ऐसी अवस्था हो कि एक की ही याद रहे, बड़ा भारी इम्तहान है।
- 8 रत्नों की भी बड़ी महिमा है।
- किसको गृहचारी बैठती है तो 8 रत्नों की अंगूठी पहनते हैं।
- पिछाड़ी के समय एक बाप की ही याद रहे, वह भी बुद्धि की लाइन एकदम क्लीयर हो और किसकी भी याद न आये - तब माला का दाना बन सकेंगे।
- 9 रत्नों की महिमा बहुत भारी है।
- तो अब निरन्तर याद करने का अभ्यास करना है।
- अभी तो दो तीन घण्टा कोई मुश्किल याद करते हैं।
- जितना दुनिया में हंगामें बढ़ते जायेंगे उतना तुमको निश्चय होता जायेगा, पुरानी दुनिया से दिल टूटता जायेगा।
- मरेंगे तो बहुत, बुद्धि भी कहती है माया बहुत पुराना दुश्मन है।
- ऐसी कोई जगह नहीं जहाँ दुश्मन न हों।
- तुम बच्चे अभी मलेच्छ से स्वच्छ बन रहे हो।
- तुमको ज्ञान है - मलेच्छ के हाथ का हम खा नहीं सकते।
- गाया हुआ भी है जैसा अन्न वैसा मन।
- जो खराब चीज़ खरीद करता है, जो बनाता है, जो खाता है - उन सबके ऊपर पाप पड़ जाता है।
- बाप तो सब बातें अच्छी रीति समझाते हैं।
- तुम बच्चे यहाँ से रिफ्रेश होकर जाते हो।
- सारा दिन बुद्धि में सृष्टि चक्र फिरता रहे और अपना घर याद रहे।
- यहाँ से तुम अपने लौकिक घर में जाते हो तो अवस्था में फर्क पड़ जाता है क्योंकि संग ऐसा हो जाता है।
- यहाँ बैठे भी कोई-कोई का बुद्धियोग बाहर चला जाता है, इसलिए पूरी धारणा नहीं कर सकते हैं।
- तुम आत्माओं को बेहद का बाप बैठ समझाते हैं।
- तुम आत्मा हो, तुम इस शरीर द्वारा कार्य कर रहे हो।
- तुम जानते हो हम बाबा से श्रीमत ले अपना राज्य भाग्य ले रहे हैं। कितनी खुशी होनी चाहिए।
- गायन भी है अतीन्द्रिय सुख गोपी वल्लभ के बच्चों से पूछो।
- जितना जास्ती अवस्था बनेगी और वृद्धि को पायेंगे तो खुशी का पारा भी चढ़ता रहेगा और निश्चय भी पक्का होता जायेगा।
- धारणा पर अटेन्शन देते जायेंगे तो तुम्हारी बुद्धि का हौंसला बढ़ता जायेगा।
- आगे चलकर तुम्हारी विहंग मार्ग की सर्विस होती जायेगी।
- युक्ति निकालनी होती है, जिससे कोई को अच्छी रीति तीर लगे।
- मुख्य तो है ही बाप का परिचय देना।
- बेहद के बाप से बेहद का वर्सा मिलता है।
- ज्ञान-सागर भी वह है।
- ज्ञान से ही मनुष्य पावन होते हैं। पतित-पावन वही बाप है।
- तुम एक ही प्वाइंट उठाओ कि सर्वव्यापी की बात से भक्ति भी चल न सके।
- यह बात अच्छी रीति समझानी है।
- वो लोग कहते हैं कि इन्हों के ज्ञान से विनाश होगा।
- तुम भी कहते हो इस रूद्र ज्ञान यज्ञ से विनाश ज्वाला निकली है।
- वह भी सच कहते हैं।
- कोई बात नहीं मानेंगे तो विनाश ही होगा और क्या!
- यह तो कल्प पहले भी विनाश हुआ था।
- भगवानुवाच रूद्र ज्ञान यज्ञ में यह सब स्वाहा होंगे।
- वो लोग समझते हैं इन्हों का ज्ञान ऐसा है, इसलिए सामना करते हैं।
- समझते हैं कि बहुत भक्ति करने से भगवान मिलता है।
- हम भी कहते हैं जिन्होंने भक्ति बहुत की है, उनको ही भगवान मिला है।
- परन्तु इन बातों को समझने में मनुष्यों को बहुत मेहनत लगती है।
- कल्प पहले भी तुम बच्चों ने बाप की मदद से नर्क को स्वर्ग बनाया था।
- तो जरूर नर्क का विनाश भी हुआ होगा।
- जब नर्क का विनाश हो तब स्वर्ग की स्थापना हो।
- यह भी तुम समझा सकते हो भारत बरोबर पावन था।
- यह तो कोई भी धर्म वाला कहेगा - बरोबर स्वर्ग था।
- प्राचीन माना सबसे पुराना।
- सो तो स्वर्ग ही होगा ना, जो पुराना हो गया है वह फिर नया होना है।
- यह तुम बच्चों की बुद्धि में है।
- बरोबर इन देवी-देवताओं का राज्य था, अब नहीं है।
- फिर से आदि सनातन देवी-देवता धर्म की स्थापना करा रहे हैं।
- किसकी मदद से?
- जो सर्व का निराकार बापू जी है।
- सर्व आत्माओं का बाप।
- इन बातों को तुम जानते हो।
- तुम कितने साधारण हो।
- बाप कहते हैं मैं भी गरीब निवाज़ हूँ, तुम गरीब हो ना।
- तुम्हारे पास क्या है।
- तुमने सब कुछ भारत के ऊपर स्वाहा किया है, तुम्हारी कितनी बड़ी रावण से लड़ाई है।
- शक्ति सेना है ना।
- वन्दे मातरम् गाया जाता है।
- अपवित्र, पवित्र की वन्दना करते हैं।
- कौन सी माता?
- वह धरती माता समझ लेते हैं।
- परन्तु यह तो धरती पर रहने वालों की बात है।
- जगत अम्बा है तो बच्चे भी हैं।
- यह दिलवाला मन्दिर यादगार बना हुआ है।
- कुमारियां, अधर कुमारियां भी हैं।
- इनको माता भी कह देते हैं।
- तुम कहते हो बाबा हम तो बी.के. हैं।
- हमको माता न कह बेटी कहो, हम कुमारी हैं।
- कितनी गुह्य समझ की बात है।
- परन्तु उठा नहीं सकते हैं।
- पुराना जन्म-जन्मान्तर का भान बैठा हुआ है, वह टूटता ही नहीं है।
- तुम्हारी बुद्धि में है कि बाबा हमारे सामने बैठे हैं।
- आत्माओं से बात कर रहे हैं।
- बाप की इस शरीर में प्रवेशता है।
- बाबा आकर अलौकिक दिव्य कर्तव्य करते हैं।
- पतित को पावन बनाने के लिए पढ़ाते हैं।
- पूरी याद रहनी चाहिए।
- हमको पतित-पावन शिवबाबा पढ़ाते हैं।
- पतित-पावन सबसे ऊंचा हुआ, फिर बाप टीचर भी है।
- पहले-पहले अक्षर ही आना चाहिए पतित-पावन।
- उनको याद करते हैं ओ गॉड फादर आओ।
- आकर फिर से हमें राजयोग सिखलाओ।
- बाप भी कहते हैं फिर से तुम बच्चों को सहज ज्ञान, योग सिखला रहा हूँ, इसमें पुस्तक आदि की कोई बात नहीं।
- यह तो उन्होंने नाम रख दिया है।
- अब तो बाप तुमको लायक बनने की शिक्षा दे रहे हैं।
- नित्य नई प्वाइंट मिलती हैं।
- और गीतायें, ग्रंथ आदि जो बनाते हैं उनमें कोई एडीशन व कट-कूट नहीं करते हैं, वही सुनाते हैं।
- यहाँ एडीशन किया जाता है, कटकुट भी किया जाता है।
- रोज़ नई-नई प्वाइंट्स मिलती हैं।
- नॉलेज बड़ी वन्डरफुल है जो और कोई शास्त्रों में नहीं है।
- काम महाशत्रु है, भगवानुवाच देह सहित सबको भूल जाओ, एक को याद करो।
- मैं तुम सब आत्माओं को वापिस ले जाऊंगा।
- मैं अकाल मूर्त, कालों का काल हूँ।
- मैं सब बच्चों को लेने आया हूँ, तो तुमको खुशी होनी चाहिए ना।
- तुम जानते हो अभी हम घर जाते हैं।
- जल्दी होशियार हो जायें, बाबा से वर्सा तो ले लेवें।
- तब तक लड़ाई ना लगे।
- बाबा कहेंगे मैं थोड़ेही कुछ कर सकता हूँ।
- पहले रिहर्सल होगी।
- अभी तो राजायें आदि भी नहीं आये हैं, राजस्थान पर भी समझा सकते हो।
- बोलो तुमको पता है कि राजस्थान नाम क्यों पड़ा है?
- भारत में लक्ष्मी-नारायण का राज्य था ना।
- फिर से वह राजस्थान होना चाहिए, सो अब फिर से स्थापन हो रहा है।
- हम जानते हैं परन्तु बुद्धि में जब बैठे तब खुशी का पारा चढ़े।
- भक्ति मार्ग में इन देवताओं के मन्दिर बनाते हैं।
- भारत में कितना धन था।
- हम फिर से इनको दैवी राजस्थान बनाते हैं।
- इन बातों को आकर समझो।
- समझाने का भी उमंग होना चाहिए।
- यह भी सेमीनार है ना।
- कैसे सर्विस करनी चाहिए।
- बाबा ने समझाया है कुमारियां, मातायें, गोप सब इकट्ठे सुनते हैं।
- ऊंच ते ऊंच एक भगवान है, कृष्ण नहीं।
- तो राजस्थान पर तुम समझा सकते हो।
- बरोबर राजस्थान था जिन्हों के मन्दिर बने हुए हैं फिर से हम बना रहे हैं।
- बाप हमको राजयोग सिखा रहे हैं।
- तुम भी ट्राई करो - आधाकल्प के लिए।
- फिर कभी रोना नहीं पड़ेगा।
- हम राम की श्रीमत से रावण पर जीत पा रहे हैं।
- अक्षर सुनेंगे तो अन्दर जंचेगा।
- जिनको तीर लगेगा वह समझने के लिए आ जायेंगे।
- यह बेहद का सेमीनार रोज़ बाबा करते हैं।
- यह है आत्माओं का परमात्मा के साथ सेमीनार।
अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) कर्मभोग से छूटने के लिए एक बाप की याद में रहना है।
देहधारी की याद से टाइम वेस्ट नहीं करना है।
बुद्धि की लाइन बहुत क्लीयर रखनी है।
2) भोजन बहुत शुद्ध खाना है।
जैसा अन्न वैसा मन इसलिए किसी भी मलेच्छ के हाथ का भोजन नहीं खाना है।
बुद्धि को स्वच्छ बनाना है।
वरदान:-
( All Blessings of 2021-22)
- रूहानी सम्पेथी द्वारा सर्व को सन्तुष्ट करने वाले सदा सम्पत्तिवान भव
- आज के विश्व में सम्पत्ति वाले तो बहुत हैं लेकिन सबसे बड़े से बड़ी आवश्यक सम्पत्ति है सम्पेथी।
- चाहे गरीब हो, चाहे धनवान हो लेकिन आज सिम्पेथी नहीं है।
- आपके पास सिम्पेथी की सम्पत्ति है इसलिए किसी को और भले कुछ भी नहीं दो लेकिन सिम्पेथी से सबको सन्तुष्ट कर सकते हो।
- आपकी सिम्पेथी ईश्वरीय परिवार के नाते से है, इस रूहानी सिम्पेथी से तन मन और धन की पूर्ति कर सकते हो।
स्लोगन:-
(All Slogans of 2021-22)
- हर कार्य में साहस को साथी बना लो तो सफलता अवश्य मिलेगी।
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