01-06-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन

मीठे बच्चे - सदा ईश्वरीय सेवा में बिजी रहो तो बाप से लव बढ़ता जायेगा, खुशी का पारा चढ़ा रहेगा''


 

प्रश्नः-

नज़र से निहाल होने वाले बच्चों की दिल में कौन सी खुशी रहती है?

उत्तर:-

उनके दिल में स्वर्ग के बादशाही की खुशी रहती है क्योंकि बाप की नज़र मिली अर्थात् वर्से के अधिकारी बने।

बाप में सब समाया हुआ है।

प्रश्नः-

बाप बच्चों को रोज़ भिन्न-भिन्न ढंग से नई प्वाइंट्स क्यों सुनाते हैं?

उत्तर:-

क्योंकि बच्चों की अनेक जन्मों की दिल पूरी करनी है।

बच्चे बाप द्वारा नई-नई प्वाइंट्स सुनते हैं तो बाप के प्रति लव बढ़ता जाता है।

 

गीत:-ओम् नमो शिवाए....

गीत:- तूने रात गंवाई सो के....


  • ओम् शान्ति।
  • बच्चे बैठे हैं नज़र लगाकर।
  • बाप भी देख रहे हैं आत्मा को और इस शरीर को।
  • बच्चे भी देख रहे हैं।
  • देखने में मजा आता है वा सुनने में मजा आता है?
  • क्योंकि सुनना तो बहुत हुआ है।
  • बहुत ही ज्ञान आदि ढेर का ढेर सुना है।
  • तुम नम्बरवन भगत हो।
  • तुमने ही सबसे जास्ती भक्ति की है।
  • वेद, शास्त्र, ग्रंथ, गीता, गायत्री, जप, तप आदि सब पढ़े किये हैं, बहुत सुनते हैं।
  • बाप समझाते हैं कब से लेकर यह सुने हैं?
  • जब से यह निकले हैं बहुत सुना है।
  • बाकी बाप से नज़र मिलाना सो अभी ही होता है।
  • नज़र से निहाल होते ही हैं।
  • यह एक श्लोक भी है - नज़र से निहाल स्वामी कींदा सतगुरू।
  • गुरू भी है, स्वामी भी है सजनियों का।
  • नज़र के सामने बैठे हैं नज़र से ही बाप को जानते हैं कि उससे हमको विश्व का मालिकपना मिलता है।
  • बाप को देखने से दिल खुश हो जाती है क्योंकि बाप से ही सब कुछ मिलता है।
  • बाप में ही सब कुछ समाया हुआ है।
  • जब बाप मिला, नज़र के सामने बैठे हो तो जरूर बच्चों को स्वर्ग की बादशाही का नशा भी चढ़ेगा।
  • पहले बाप का नशा, फिर बे बादशाही का नशा।
  • हम जानते हैं हम अभी बाप के सामने बैठे हैं।
  • देह-अभिमान अब निकल रहा है।
  • हम आत्मायें इस शरीर के साथ चक्र लगाते, पार्ट बजाते-बजाते अब हमारा बाप भी सम्मुख बैठा है।
  • बाप के साथ खुशी होती ही है वर्से की।
  • बच्चे जब बड़े होते हैं तो बुद्धि में आता है हम बैरिस्टर का, इंजीनियर का, बादशाह का बच्चा हूँ।
  • मैं बादशाही का मालिक हूँ।
  • यहाँ तुम जानते हो बाप से हमको स्वर्ग का वर्सा मिलता है।
  • बाप को देखने से बच्चों को स्थाई खुशी होनी चाहिए, इसको ही रूहरिहान कहा जाता है।
  • जो सुप्रीम बाप है सबका, वह बैठ आत्माओं से बात करते हैं।
  • आत्मा इस शरीर द्वारा सुनती है।
  • यह एक ही बार ऐसा होता है कि बाप को याद करते-करते जब वह आते हैं और नज़र मिलाते हैं तो 21 जन्मों के लिए वर्सा दे देते हैं।
  • यह तुम बच्चों को याद रहना चाहिए।
  • बच्चे जो हैं वह भूल जाते हैं, भूलना नहीं चाहिए।
  • बाबा की नज़र के सामने होने से ही समझते हैं हम बाबा के साथ बैठे हैं।
  • बाबा को देखने से खुशी का पारा चढ़ता है और बाप बैठ नई-नई प्वाइंट्स समझाते हैं।
  • बाप से बच्चों का पूरा लव हो जाए।
  • आत्मा अपनी दिल पूरी कर दे क्योंकि बिछुड़ी हुई है।
  • अनेक प्रकार के दु:ख देखे हैं।
  • अब सम्मुख बैठे हैं तो देखकर हर्षित होने चाहिए।
  • बाप के सम्मुख होने से हर्षित होते हो वा बाप से दूर होने से भी इतना हर्षितपना रहता है?
  • विवेक कहता है बाहर तो बहुत बातें सुनते हैं तो बुद्धि और तरफ चली जाती है।
  • यह जो मधुबन में बच्चे बैठे हैं, सम्मुख सुनते हैं।
  • बाबा प्यार से कशिश करते हैं।
  • देखो, तुम्हारा कितना मीठा, कितना प्यारा बाबा है।
  • तुमको स्वर्ग में जाने के लायक बना रहे हैं।
  • बच्चे स्वर्ग के मालिक थे।
  • अब ड्रामा अनुसार सब कुछ गंवा दिया है।
  • राज्य गंवाना और पाना यह तो बड़ी बात नहीं।
  • तुम ही इस बात को जानते हो।
  • दुनिया में करोड़ों आत्मायें हैं, परन्तु कोटों में कोई मुझे पहचानता है।
  • मैं क्या हूँ और कैसा हूँ, मैं जो हूँ, जैसा हूँ मेरे द्वारा क्या मिलता है?
  • यह समझते हुए भी वन्डर है जो माया भुला देती है।
  • ऐसे नहीं कि सम्मुख वालों को माया भुलाती नहीं है।
  • सम्मुख वालों को भी माया भुलाती है।
  • शिवबाबा में भी पूरा लव होना चाहिए।
  • लव कैसे बढ़े जो बाबा से हम ऊंच वर्सा लेवें?
  • बाप कहेंगे खिदमत (सेवा) करो।
  • बाप बच्चों की खिदमत करते हैं।
  • बच्चे जानते हैं, बाबा दूरदेश से आया है।
  • निश्चयबुद्धि बच्चों को कभी डगमग नहीं होना चाहिए।
  • मूँझना नहीं चाहिए, परन्तु माया बहुत जबरदस्त है।
  • बाबा तो श्रंगार रहे हैं।
  • मनुष्य को देवता बनाते हैं।
  • यह स्कूल है ही देवता बनने का।
  • पवित्र दुनिया का मालिक बनने के लिए यह मेहनत है।
  • बाबा सिर्फ कहते हैं मुझे याद करो।
  • मनुष्य जब मरते हैं तो उनको कहते हैं राम को याद करो।
  • परन्तु राम को जानते ही नहीं तो याद से कोई फायदा ही नहीं।
  • तुमको तो बाप की पूरी पहचान है।
  • तुम आते ही हो शिवबाबा के पास।
  • वह तो निराकार है, क्रियेटर है।
  • क्रियेट कैसे करेंगे?
  • प्रजापिता ब्रह्मा को भी क्रियेटर कहते हैं, ब्रह्मा द्वारा मनुष्य सृष्टि पैदा होती है, इसलिए प्रजापिता ब्रह्मा कहा जाता है।
  • तुम अब ब्राह्मण बने हो।
  • तुम्हारी आत्मा अब अच्छी रीति जानती है कि हम शिवबाबा के पोत्रे, ब्रह्मा के बच्चे बने हैं।
  • तुम बच्चे चाहते हो हमारे विकर्म विनाश हो जाएं और हम विजय माला में नजदीक पिरो जाएं, तो बाबा को बहुत याद करना पड़े।
  • फिर तुम कर्मयोगी भी हो।
  • घरबार सम्भालते पवित्र रहना है, कमल फूल समान।
  • यह मिसाल कोई संन्यासियों से नहीं लगता है।
  • वह गृहस्थ व्यवहार में रहते कमल फूल समान पवित्र रह नहीं सकते।
  • न किसको कह सकते हैं।
  • जो जैसा है, वह ऐसा ही बनायेगा।
  • संन्यासी यह कह नहीं सकते कि कमल सम पवित्र रहो।
  • अगर कहें ब्रह्म को याद करो, वह भी हो नहीं सकता।
  • कहेंगे तुमने तो घरबार छोड़ा है, हम कैसे छोड़ें?
  • तुम ही घर गृहस्थ में रह नहीं सके तो दूसरों को कैसे कह सकते।
  • वह राजयोग की शिक्षा दे न सकें।
  • अभी तुम सभी धर्म वालों के राज़ को समझ गये हो।
  • हर एक धर्म को फिर अपने समय पर आना है।
  • कलियुग से फिर सतयुग होना है।
  • सतयुग के लिए चाहिए आदि सनातन देवी-देवता धर्म और कोई धर्म वाले मनुष्य को देवता बना नहीं सकते।
  • उन्हों को जाना ही मुक्ति में है, सुख है ही स्वर्ग में।
  • जब हम देवी-देवता बनें तब दूसरे धर्म वाले मुक्ति में जायें।
  • जब तक हम जीवनमुक्ति धाम स्वर्ग में नहीं गये हैं तब तक कोई मुक्ति में जा नहीं सकते।
  • स्वर्ग और नर्क इकट्ठा रह नहीं सकते।
  • हम जीवनमुक्ति का वर्सा पायेंगे तो जीवनबंध वाले रहने नहीं चाहिए।
  • तुम जानते हो इस समय है संगम।
  • तुम ही कल्प के संगम पर बाबा से मिलते हो, दूसरे कोई मिल न सकें।
  • दूसरे समझते हैं यह तो कलियुग है।
  • हम अभी कलियुग में नहीं हैं।
  • बाबा से स्वर्ग के लिए फिर से वर्सा पा रहे हैं।
  • हम जीते जी मरकर बाप के बने हैं।
  • जो एडाप्ट होते हैं उन्हें दोनों जहानों का मालूम पड़ता है।
  • फलाने के थे, अब फलाने के बने हैं।
  • वह अपने मित्र सम्बन्धी आदि सबको जानते हैं, दोनों तरफ का मालूम रहता है।
  • तुम बच्चे जानते हो इस दुनिया से हमने लंगर उठा लिया है।
  • अभी हम जा रहे हैं।
  • इससे हमारा कोई तैलुक नहीं है।
  • यह भगवान अपने बच्चों से यानी परमपिता परमात्मा सालिग्राम बच्चों से बात कर रहे हैं।
  • भगवान को आना है, परन्तु जानते नहीं हैं।
  • बाप को न जानने कारण मूँझ पड़ते हैं।
  • इतनी सहज बात कोई भी नहीं समझते।
  • याद करते हैं।
  • तुम जानते हो हम आत्मा शरीर लेकर पार्ट बजाती हैं।
  • हम परमधाम से आती हैं।
  • वहाँ परमपिता परमात्मा भी रहते हैं।
  • मनुष्य तो न आत्मा को, न परमात्मा को जानते हैं।
  • कैसे भगवान आकर मिलेगा?
  • क्या करेगा।
  • कोई भी नहीं जानते हैं।
  • गीता में सारा रांग लिख दिया है।
  • नाम ही बदल दिया है।
  • बाप पूछते हैं तुम मुझे जानते हो ना?
  • कृष्ण थोड़ेही ऐसे कहेंगे - तुम मुझे जानते हो?
  • उनको तो सारी दुनिया जानती है।
  • वह ज्ञान दे न सकें।
  • तो जरूर समझाना चाहिए, भगवान रूप बदलता है परन्तु कृष्ण नहीं बनता।
  • वह मनुष्य के तन में आता है, कृष्ण के तन में नहीं आते हैं।
  • यह है ब्रह्मा।
  • वह है ही कृष्ण की आत्मा।
  • सिर्फ थोड़ी सी बात में भूले हैं।
  • यह है कृष्ण के 84 वें जन्म की आत्मा, जो फिर आदि में कृष्ण बनता है।
  • अन्तिम जन्म में कृष्ण पद पाने के लिए पुरुषार्थ कर रहे हैं। यह कितनी गुप्त बातें हैं।
  • जरा सी बात भूल गई है, इसमें बड़ी तिरकमबाजी है।
  • तुम जानते हो हम कृष्ण के घराने के थे।
  • अब शिवबाबा से फिर राज्य भाग्य ले रहे हैं।
  • हमारी बुद्धि में कृष्ण बैठता नहीं है।
  • मनुष्य तो कह देते हैं कृष्ण भगवानुवाच।
  • कुछ भी सिद्ध नहीं होता है।
  • गीता में दिखाया है पांच पाण्डव जाकर बचे।
  • कल्प की आयु लाखों वर्ष दे दी है।
  • इतनी सहज बात भी मनुष्य नहीं जानते हैं।
  • तुम कितना इशारे से समझ सकते हो कि हम ही सूर्यवंशी घराने के थे, अब सूर्यवंशी से शूद्रवंशी में आये हैं।
  • फिर ब्राह्मण से देवता बनते हैं।
  • वर्णों को भी बुद्धि में रखना पड़ता है।
  • उन्हों ने वर्णों को भी आधा कर दिया है।
  • चोटी ब्राह्मण और शिवबाबा को भूल गये हैं।
  • बाकी देवता, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र दिखा दिया है।
  • ब्राह्मण तो जरूर चाहिए ना।
  • ब्रह्मा की औलाद कहाँ गई।
  • यह कोई की बुद्धि में नहीं बैठता।
  • तुमको बाप अच्छी रीति समझाते हैं, तुमको बुद्धि में अच्छी रीति धारण करना है।
  • जो नॉलेज बाप की बुद्धि में है वह तुम्हारे में भी रहनी चाहिए।
  • मैं तुम आत्माओं को आप समान बनाता हूँ।
  • जो सृष्टि चक्र की नॉलेज मेरे में है, वह तुम्हारी बुद्धि में भी है।
  • बुद्धिवान चाहिए।
  • बाबा के साथ योग भी हो और घड़ी-घड़ी विचार सागर मंथन होता रहे।
  • तुम अब सम्मुख बैठे हो।
  • समझते हो बाबा तो बिल्कुल सहज समझाते हैं।
  • कहते भी हैं आत्मा परमात्मा... सतगुरू दलाल के रूप में पढ़ाते हैं। दलाल अथवा सौदा कराने वाले।
  • बाप इन द्वारा आकर अपने साथ सौदा कराते हैं।
  • तुम जानते हो दलाल को याद नहीं करना है।
  • दलाल द्वारा हमारी सगाई होती है शिवबाबा से।
  • तुम सब बीच वाले दलाल हो।
  • कहते हैं परमपिता परमात्मा से तुम्हारा क्या सम्बन्ध है?
  • तुम सगाई कराने की युक्ति रचते हो।
  • फिर प्रजापिता का नाम भी देते हो।
  • वर्सा शिवबाबा से मिलता है।
  • स्वर्ग का रचयिता ही वह है।
  • जीव आत्माओं की परमात्मा के साथ सगाई होती है।
  • सगाई की थी, वर्सा पाया था फिर से पाते हैं।
  • तुम जानते हो हमारा कल्प-कल्प, कल्प के संगमयुग का यही धन्धा है, और कोई भी आत्माओं की परमात्मा से सगाई नहीं कराते हैं।
  • सगाई भी उनसे कराते हैं जो विश्व का मालिक बनाते हैं।
  • यह है ऊंचे ते ऊंच रूहानी सगाई।
  • रूहानी सगाई करना कल्प-कल्प बाप से ही सीखते हैं।
  • कल्प-कल्प ऐसा होता है।
  • कल्प-कल्प मनुष्य से देवता जरूर बनते हैं।
  • देवता फिर से मनुष्य बनते हैं।
  • मनुष्य तो मनुष्य ही हैं।
  • परन्तु क्यों लिखा है - मनुष्य से देवता किये..... क्योंकि देवता धर्म स्थापन करते हैं।
  • तुम भी जानते हो इस सगाई से हम मनुष्य से देवता बन रहे हैं।
  • सब कहते हैं क्राइस्ट से 3 हजार वर्ष पहले भारत हेविन था, परन्तु बुद्धि में नहीं आता है।
  • भारत पहले स्वर्ग था, अभी भी कितने मन्दिर बनाते हैं।
  • परन्तु सबकी उतरती कला है।
  • हमारी है चढ़ती कला।
  • चढ़ती कला में एक सेकेण्ड लगता है।


  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) कभी भी किसी बात में मूंझ कर निश्चय में ऊपर नीचे नहीं होना है।
  • घरबार सम्भालते, कर्मयोगी होकर रहना है।
  • विजय माला में नजदीक आने के लिए पवित्र जरूर बनना है।
  • 2) बुद्धिवान बनने के लिए ज्ञान का विचार सागर मंथन करना है।
  • सदा खिदमत (सेवा) में तत्पर रहना है।
  • आप समान बनाने की सेवा करनी है।
  • वरदान:-
  • ( All Blessings of 2021-22)
    • बाबा शब्द की स्मृति से हद के मेरेपन को अर्पण करने वाले बेहद के वैरागी भव
    • कई बच्चे कहते हैं मेरा यह गुण है, मेरी शक्ति है, यह भी गलती है, परमात्म देन को मेरा मानना यह महापाप है।
    • कई बच्चे साधारण भाषा में बोल देते हैं मेरे इस गुण को, मेरी बुद्धि को यूज़ नहीं किया जाता, लेकिन मेरी कहना माना मैला होना - यह भी ठगी है, इसलिए इस हद के मेरे-पन को अर्पण कर सदा बाबा शब्द याद रहे, तब कहेगे बेहद की वैरागी आत्मा।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021-22)
    • अपनी सेवा को बाप के आगे अर्पण कर दो तो सेवा का फल और बल प्राप्त होता रहेगा।