25-05-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन

मीठे बच्चे - नींद को जीतने वाले बनो, रात को जागकर ज्ञान चिंतन करो, बाप की याद में रहो तो खुशी का पारा चढ़ेगा


 

प्रश्नः-

भारत में अनेक छुट्टियां होती हैं लेकिन संगमयुग पर तुम्हें एक सेकण्ड की भी छुट्टी नहीं मिलती क्यों?

उत्तर:-

क्योंकि संगम का एक-एक सेकण्ड मोस्ट वैल्युबुल है, इसमें श्वासों श्वांस बाप को याद करना है, रात-दिन सर्विस करनी है।

आज्ञाकारी, वफादार बन याद से विकर्म विनाश करके इज्जत के साथ सीधा घर जाना है, सजाओं से छूटना है, आत्मा और शरीर दोनों को कंचन बनाना है इसलिए तुम्हें एक सेकण्ड की भी छुट्टी नहीं।

 

गीत:- हमारे तीर्थ न्यारे हैं...


  • ओम् शान्ति।
  • बच्चे जानते हैं कि तीर्थ यात्रा दो प्रकार की होती है - एक रूहानी, दूसरी जिस्मानी।
  • घाट भी दो प्रकार के हो गये।
  • एक तो नदियों के घाट हैं।
  • दूसरा फिर तुम बच्चों के नये-नये सेन्टर्स अर्थात् घाट बनते जाते हैं।
  • पूछेंगे कि कानपुर में ज्ञान अमृत पीने वा ज्ञान स्नान करने के कितने घाट हैं?
  • तो कहेंगे 4-5 घाट हैं।
  • एड्रेस भी सब घाटों की डाली जाती है।
  • यह फलाना घाट है, वहाँ जाकर जो ज्ञान स्नान करेंगे वह जीवनमुक्ति पा सकते हैं।
  • बच्चे जानते हैं कि मुक्ति और जीवनमुक्ति किसको कहा जाता है।
  • बरोबर भारत जीवनमुक्त था, उनको ही स्वर्ग कहा जाता है फिर जीवनबन्ध में आते हैं तो उनको नर्क कहा जाता है।
  • तुम बच्चे जानते हो हम तीर्थों पर जाते हैं, ज्ञान स्नान करने से ही सद्गति हो जाती है।
  • सद्गति का साक्षात्कार भी तुम बच्चों को हुआ है।
  • सद्गति कहा जाता है स्वर्ग को और दुर्गति कहा जाता है नर्क को।
  • सद्गति स्वर्ग जरूर सतयुग है और दुर्गति नर्क कलियुग है।
  • तुम बच्चे सबको निमंत्रण देते हो कि इस कलियुगी नर्क से सतयुगी स्वर्ग चलेंगे?
  • स्वर्ग के साथ सतयुग अक्षर जरूर डालना है तो स्वर्ग और नर्क अलग-अलग हो जायेगा।
  • नहीं तो मनुष्य कह देते हैं स्वर्ग, नर्क यहाँ ही है।
  • स्वर्ग और नर्क को भारतवासी ही जानते हैं।
  • वहाँ जायेंगे देवी-देवता धर्म वाले और किसको पता नहीं है।
  • हर एक का अपना-अपना धर्म और अपना धर्म शास्त्र है।
  • तो हर एक को अपना धर्म शास्त्र ही पढ़ना चाहिए।
  • अपना धर्म-शास्त्र ही कल्याणकारी होगा।
  • तुम बच्चे जानते हो कि हम बरोबर ऊंच कुल के हैं।
  • जब तक तुम मनुष्यों को ड्रामा का राज़ नहीं समझायेंगे तब तक तो वह घोर अन्धियारे में हैं, इसलिए इन चित्रों पर भी समझाना चाहिए।
  • तुम बच्चे सभी युगों को जानते हो, सिवाए चित्रों के मनुष्य समझ न सकें।
  • बुद्धि में बैठेगा ही नहीं।
  • तुम स्कूल में बिगर नक्शे किसको बताओ कि फ्रांस, इंगलैण्ड यहाँ हैं तो बिल्कुल समझेगा नहीं।
  • तो यह बात भी बिगर चित्रों के कुछ समझ नहीं सकेंगे।
  • चित्रों के आगे लाकर समझाना चाहिए कि यह ड्रामा है।
  • अब बताओ तुम किस धर्म के हो?
  • तुम्हारा धर्म कब आता है?
  • सतयुग में कौन सा धर्म है?
  • चित्र में बिल्कुल क्लियर लिखा हुआ है।
  • सतयुग त्रेता में सूर्यवंशी चन्द्रवंशी जब थे तो और धर्म था नहीं।
  • अब वह देवता धर्म है नहीं इसलिए जरूर वह स्थापन होना चाहिए।
  • अब दुनिया पुरानी है तो जरूर फिर नई दुनिया स्थापन होनी चाहिए।
  • नई दुनिया में लक्ष्मी-नारायण का राज्य था।
  • लक्ष्मी-नारायण का चित्र ही मुख्य है।
  • लक्ष्मी-नारायण का नाम बाला है, उनके बड़े-बड़े मन्दिर भी बनाते हैं।
  • शिव के भी अनेक नाम रख, अनेक मन्दिर बना दिये हैं।
  • उनका भी नाम बाला है।
  • सोमरस पिलाते हैं इसलिए सोमनाथ नाम रख दिया है।
  • मनुष्यों ने बहुत नाम रख दिये हैं तो समझाना पड़ता है।
  • रूद्र, शिव, सोमनाथ यह सब नाम क्यों रखे हैं?
  • बद्रीनाथ का अर्थ क्या है?
  • बहुत नाम बिना समझ के रख दिये हैं इसलिए मनुष्य मूंझे हुए हैं।
  • इसका यथार्थ नाम ही है रूद्र गीता ज्ञान यज्ञ।
  • बाप कहते हैं इस मेरे ज्ञान यज्ञ से यह विनाश ज्वाला प्रज्जवलित हुई है।
  • यह है भगवानुवाच।
  • तो पहले जब कोई आये तो उन्हें गीता पर भी जरूर समझाओ।
  • उसमें लिखा हुआ है भगवानुवाच मामेकम् याद करो तो विकर्म विनाश होंगे और तुम मेरे पास चले आयेंगे।
  • वह है बेहद का बाप, स्वर्ग का रचयिता, जीवनमुक्ति का रचयिता।
  • नाम ही है हेविनली गॉड फादर, जो हेविन की स्थापना करते हैं।
  • हेविन में रहते नहीं हैं।
  • हेविन स्थापन करने वाला है भगवान।
  • स्थापना, विनाश, पालना का कार्य करते हैं ना।
  • तो अब बाप कहते हैं मुझ पारलौकिक बाप को याद करो और अपने को अशरीरी आत्मा समझो, नहीं तो मेरे पास कैसे आयेंगे।
  • बाप कहते हैं यह तुम्हारा अन्तिम जन्म है इसलिए मेरे साथ योग लगाने से तुम्हारे विकर्म विनाश होंगे।
  • इसको योग अग्नि कहा जाता है।
  • मनुष्य तो तन्दरूस्ती के लिए अनेक प्रकार के योग सिखलाते हैं।
  • अब पारलौकिक बाप कहते हैं मेरे से योग लगाओ और इस ज्ञान की धारणा करो तो तुम्हारे विकर्म विनाश होंगे और फिर मैं तुमको सतयुग, वैकुण्ठ की बादशाही दूंगा।
  • तो मानना चाहिए ना।
  • बाप कहते हैं हे नींद को जीतने वाले बच्चे, नींद को जीत कर बाप को याद करो क्योंकि तुमको मेरे पास मेरी निराकारी दुनिया में आना है।
  • अगर कृष्ण होता तो कहता मेरे वैकुण्ठ में आना है।
  • जो जहाँ का वासी होगा वहाँ की ही मंजिल दिखायेगा ना।
  • निराकार बाप कहते हैं तुम मुझे याद करो तो मेरी निराकारी दुनिया में आयेंगे, मेरे पास आने का यह एक ही रास्ता है।
  • अभी तुम बच्चे हो मुख वंशावली।
  • कुख वंशावली और मुख वंशावली अक्षर बिल्कुल सहज है।
  • अभी तुम कहते हो बाबा मैं तेरा हूँ, मैं भी कहता हूँ हाँ बच्चे तुम मेरे हो, तो अब तुम मेरी मत पर चलो।
  • तुम जानते हो भारत जब स्वर्ग था, तब बाकी इतनी सब आत्मायें कहाँ थी?
  • मुक्तिधाम में।
  • वहाँ है ही एक धर्म, इसलिए ताली बजती नहीं।
  • लड़ाई-झगड़े का नाम नहीं।
  • यह लोग भल कहते हैं तो हम हिन्दू चीनी भाई-भाई, परन्तु हैं कहाँ।
  • यह तो लड़ते रहते।
  • गाते हैं पतित-पावन सीताराम तो जरूर खुद पतित हैं तब गाते हैं।
  • सतयुग में तो है ही पावन दुनिया तो वहाँ ऐसे नहीं गायेंगे।
  • यह पतित दुनिया है तब गाते हैं।
  • पावन दुनिया कहा जाता है सतयुग को, पतित दुनिया कहा जाता है कलियुग को।
  • यह भी मनुष्य समझ नहीं सकते हैं।
  • कितने मलीन बुद्धि हैं।
  • हम भी समझते नहीं थे।
  • तमोप्रधान बुद्धि होने से सब भूल जाते हैं।
  • बाप कहते हैं तुम बिल्कुल बेसमझ बन पड़े हो।
  • तुम कितने समझदार थे।
  • तुम सो देवता सतोप्रधान थे।
  • अब बेसमझ शूद्र, तमोप्रधान बन पड़े हो।
  • तुमने स्वर्ग में कितने सुख पाये।
  • तुम भारतवासियों का ऊंच ते ऊंच कुल था - देवी-देवताओं का।
  • अब तुम कितने तुच्छ नर्कवासी बने हो।
  • यह बाप ही आकर अपने बच्चों को कहते हैं।
  • बच्चे फील करते हैं बरोबर हम सो पूज्य देवता थे फिर पुजारी बने।
  • बाबा ने कितना समझदार बनाया था, अब फिर बना रहे हैं।
  • यह बातें रात को चिंतन कर बहुत खुशी में आना चाहिए।
  • अमृतवेले उठ कर बाबा को याद करो और यह चिंतन करो तो खुशी का पारा बहुत चढ़ेगा।
  • कई बच्चे तो सारे दिन में एक सेकण्ड भी याद नहीं करते।
  • भल यहाँ सुनते हैं परन्तु बुद्धियोग और तरफ है।
  • निराकार परमात्मा किसको कहा जाता है, वह भी नहीं समझते हैं।
  • स्कूल में कोई-कोई दो तीन बार भी नापास हो पड़ते हैं।
  • आखिर पढ़ नहीं सकते हैं तो फिर स्कूल ही छोड़ देते हैं।
  • यहाँ भी पढ़ाई समझ में नहीं आती तो छोड़ देते हैं।
  • माया जोर से थप्पड़ लगा देती है।
  • विकार का घूंसा लगा और सत्यानाश।
  • माया ऐसी प्रबल है, बड़ी दुश्तर है।
  • तुम्हारी बाक्सिंग कोई मनुष्य से नहीं है परन्तु माया से है।
  • हम माया पर जीत पाते हैं।
  • इसके लिए तुम बच्चों को बहुत पुरूषार्थ करना चाहिए।
  • जितना हो सके रात को जागकर विचार सागर मंथन करना चाहिए।
  • प्रैक्टिस हो जायेगी।
  • भगवानुवाच सभी बच्चों प्रति है, सिर्फ एक अर्जुन प्रति नहीं।
  • सभी युद्ध के मैदान पर हैं।
  • बाप सभी बच्चों को कहते हैं बच्चे रात को जागकर मोस्ट बिलवेड बाप को याद करो तो विकर्म विनाश होंगे और ज्ञान की धारणा भी होगी।
  • नहीं तो जरा भी धारणा होगी नहीं।
  • अगर मेरी आज्ञा का उल्लंघन करेंगे, मेरे को याद नहीं करेंगे तो बहुत सजायें खानी पड़ेंगी।
  • ईश्वरीय डायरेक्शन मिलते हैं ना।
  • मैं तुम्हारा बहुत मीठा-मीठा बाप हूँ, मेरे को याद करने से तुम मेरे पास आ जायेंगे।
  • सजा खाकर फिर आना - यह तो ठीक नहीं है।
  • सीधा आने से इज्जत मिलेगी इसलिए मेरी आज्ञा का उल्लंघन मत करो।
  • आज्ञा न मानने वाले को निंदक कहा जाता है।
  • यह है सच्चा बाबा, सच्चा सतगुरू।
  • तो उनकी आज्ञा माननी चाहिए ना।
  • शिवबाबा तो बहुत मीठा है।
  • आत्मा और शरीर दोनों को ही कंचन कर देते हैं।
  • कंचन काया सिर्फ तन्दरूस्ती को नहीं कहा जाता है।
  • आत्मा भी प्योर और शरीर भी प्योर, उसको कंचन काया कहा जाता है।
  • देवताओं की कंचन काया थी।
  • अभी तो सबकी किचड़े की काया है।
  • 5 तत्व तमोप्रधान हैं तो उससे शरीर देखो कैसा बनता है।
  • शक्लें देखो कैसी हैं।
  • कृष्ण की तो बहुत महिमा है।
  • ऐसा शरीर तो तुमको स्वर्ग में ही मिल सकता है।
  • अभी तुम फिर सो ऐसा देवता बनते हो।
  • तो मुख्य बात है रात को जागकर याद करेंगे तो प्रैक्टिस पड़ेगी।
  • नींद को फिटाना चाहिए।
  • प्रैक्टिस करने से सब कुछ होता है। धन्धा धोरी, रोटी बेलना, पकाना आदि सब प्रैक्टिस से सीखना होता है ना।
  • बाप को याद करना भी सीखना है।
  • जिसको सारा कल्प भूले हो, अब उस बाप को याद करना है।
  • तो बाबा खुश होगा।
  • नहीं तो कहेंगे यह वफादार, फरमानबरदार बच्चा नहीं है।
  • फिर बहुत सजा खायेंगे। उनकी तकदीर में मार है।
  • यहाँ कोई थोड़ा भी किसको गुस्सा करते हैं तो बिगड़ते हैं, वहाँ धर्मराज सजा देंगे फिर थोड़ेही कुछ कर सकेंगे।
  • जैसे जेल में गवर्मेन्ट बहुत मुफ्त का काम कराती है, कोई बिगर मेहनत जेल भोगते हैं, कोई को मेहनत करनी पड़ती है।
  • तो धर्मराज पुरी में भी जब धर्मराज सजा देंगे तो कुछ कर नहीं सकेंगे।
  • अन्दर समझेंगे कि हमारा ही दोष है तब तो सजा मिली है।
  • यह भी फील करेंगे कि हमने बाप का फरमान नहीं माना है इसलिए सजा मिलती है इसलिए बाबा कहते हैं जितना हो सके मुझे याद करो।
  • अच्छा। देखो, भारत में जितनी सबको छुट्टियां मिलती हैं उतनी और कहाँ नहीं मिलती।
  • परन्तु यहाँ हमको एक सेकण्ड भी छुट्टी नहीं मिलती क्योंकि बाबा कहते हैं श्वांसों श्वांस याद में रहो।
  • एक-एक श्वांस मोस्ट वैल्युबुल है।
  • बच्चों को रात-दिन बाबा की सर्विस में रहना चाहिए।
  • तुम आलमाइटी बाबा के ऊपर आशिक हो या उनके रथ पर?
  • या दोनों पर?
  • जरूर दोनों पर आशिक होना पड़े।
  • बुद्धि में यह रहेगा कि वह इस रथ में है।
  • उनके कारण तुम इस पर आशिक हुए हो।
  • शिव के मन्दिर में भी बैल रखा हुआ है।
  • वह भी पूजा जाता है।
  • कितनी गुह्य बातें हैं जो रोज़ नहीं सुनते वह कोई न कोई बातें मिस कर देते हैं।
  • रोज़ सुनने वाले कभी फेल नहीं होंगे।
  • मैनर्स भी अच्छे रहेंगे।
  • बाबा को याद करने में बहुत बड़ी प्राफिट (फायदा) है।
  • फिर उनसे भी बड़ी प्राफिट बाबा की नॉलेज को याद करना।
  • योग भी प्राफिट, ज्ञान भी प्राफिट।
  • बाबा को याद करने से तो विकर्म विनाश होते हैं और पद भी ऊंच मिलता है।
  • जहाँ बाबा रहते हैं वह है मुक्तिधाम, ब्रह्म लोक।
  • लेकिन सबसे अच्छा है यह ब्राह्मणों का लोक।
  • ब्राह्मण जनेऊ जरूर पहनते हैं, चोटी भी रखते हैं क्योंकि बाबा हम ब्राह्मणों को चोटी से पकड़ ले जाते हैं।
    • अच्छा !
    • मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का यादप्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) शरीर और आत्मा दोनों को कंचन बनाने के लिए बाप को याद करने की आदत डालनी है।
  • कभी भी आज्ञा का उल्लंघन नहीं करना है।
  • 2) पढ़ाई के समय चेक करना है कि बुद्धि इधर-उधर भागती तो नहीं है!
  • कभी भी पढ़ाई मिस नहीं करनी है।
  • माया की बाक्सिंग में हार नहीं खानी है।
  • वरदान:-
  • ( All Blessings of 2021-22)
    • सर्व आत्माओं को शुभ भावना, शुभ कामना की अंचली देने वाले सच्चे सेवाधारी भव
    • सिर्फ वाणी की सेवा ही सेवा नहीं है, शुभ भावना, शुभ कामना रखना भी सेवा है।
    • ब्राह्मणों का आक्यूपेशन ही है ईश्वरीय सेवा।
    • कहाँ भी रहते सेवा करते रहो।
    • कोई कैसा भी हो, चाहे पक्का रावण ही क्यों न हो, कोई आपको गाली भी दे तो भी आप उन्हें अपने खजाने से, शुभ-भावना, शुभ-कामना की अंचली जरूर दो, तब कहेंगे सच्चे सेवाधारी।
    • मेहनत से छूट जायेंगे।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021-22)
    • पवित्रता ही ब्राह्मण जीवन का मुख्य फाउन्डेशन है, धरत परिये धर्म न छोड़िये।