23-05-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन

मीठे बच्चे - बाप की श्रीमत पर चलने से ऊंच बनेंगे , रावण की मत पर चलने से सारी इज्जत ही मिट्टी में मिल जायेगी ''


 

प्रश्नः-

ईश्वरीय बर्थ राइट लेने वाले वारिस बच्चों की निशानी सुनाओ?

उत्तर:-

ऐसे वारिस बच्चे -

1- बाप को पूरा-पूरा फालो करते हुए चलेंगे।

2- शूद्रों के संग से बहुत-बहुत सम्भाल रखेंगे।

कभी भी उनके संग में आकर बाप की श्रीमत में अपनी मनमत मिक्स नहीं करेंगे।

3- अपना सच्चा-सच्चा पोतामेल बाप को सुनायेंगे।

4- एक दो को सावधान करते उन्नति को पाते रहेंगे।

5- कभी भी बाप का हाथ छोड़ने का संकल्प भी नहीं करेंगे।

 

गीत:- माता ओ माता तू सबकी भाग्य विधाता....


  • ओम् शान्ति।
  • बच्चों ने यह गीत सुना।
  • जगत अम्बा कामधेनु का वर्णन तो है ही।
  • यह महिमा है जगत अम्बा की।
  • वास्तव में गुप्त रूप में तो यह ब्रह्मपुत्रा नदी भी है।
  • गाया भी जाता है तुम मात पिता... शिवबाबा ब्रह्मा के मुख कमल से बच्चे पैदा करते हैं।
  • तो यह माता हो गई ना।
  • यह हैं गुह्य बातें।
  • यह बातें शास्त्रों में नहीं हैं।
  • बाबा ने समझाया है शास्त्र हैं भक्ति मार्ग की सामग्री।
  • बाप बैठ सब शास्त्रों का सार समझाते हैं।
  • ऐसे नहीं कि गीता पर समझाते हैं।
  • नहीं, बाप तो खुद ही ज्ञान का सागर है।
  • भल यह गीता भागवत आदि पढ़ा हुआ है।
  • शिवबाबा के लिए ऐसे नहीं कहेंगे कि वह सब पढ़ा हुआ है।
  • नहीं, वह तो नॉलेजफुल है।
  • कहते हैं मैं इस मनुष्य सृष्टि का बीज हूँ।
  • सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त का मेरे में नॉलेज है।
  • बाप कहते हैं मैं इसका वर्णन करता हूँ - इस ब्रह्मा द्वारा।
  • फिर यह वर्णन प्राय: लोप हो जायेगा।
  • यह सच्ची गीता जो अभी तुम बनाते हो वह भी हाथ में नहीं आयेगी।
  • गीता आदि तो भक्ति मार्ग के शास्त्र हैं, वे ही फिर निकलेंगे।
  • इन शास्त्र आदि पढ़ने से किसको सद्गति नहीं मिलती।
  • तुम बच्चे जानते हो यह जो भी एक्टर्स हैं, पहले सब बिगर शरीर मुक्तिधाम में थे फिर यहाँ आकर शरीर धारण कर पार्ट बजाते हैं।
  • वह भी आत्मा में अविनाशी पार्ट भरा हुआ है।
  • यह सृष्टि का चक्र भी एक है, इनका रचयिता भी एक है।
  • एक ही सृष्टि का चक्र फिरता रहता है।
  • यह है अविनाशी बना बनाया ड्रामा।
  • सतयुग में देवी-देवताओं का राज्य था।
  • अभी तुम फिर से बन रहे हो।
  • परमपिता परमात्मा पहले-पहले ब्रह्मा मुख से ब्राह्मण सृष्टि रचते हैं।
  • पहले-पहले नई सृष्टि है संगम की।
  • पुराना और नया।
  • ब्राह्मण हैं चोटी।
  • पैर और चोटी, इसको संगम कहते हैं।
  • तुम ब्राह्मण बाप के साथ विश्व की रूहानी सेवा करते हो।
  • बाप भी रूहों की सर्विस करते हैं।
  • तुम भी रूहों की सर्विस करते हो अर्थात् जो तमोप्रधान बन गये हैं उनको सतोप्रधान बनाते हो।
  • तो बाप की श्रीमत पर चलने वाले ही ऊंच ते ऊंच पद पायेंगे।
  • बच्चों को श्रीमत से ही श्रेष्ठ बनना है।
  • तुम बच्चे जानते हो हम सो देवी-देवता, सूर्यवंशी चन्द्रवंशी थे फिर माया ने हमारी इज्जत ले ली, पूज्य से पुजारी पतित बना दिया।
  • श्रीमत से मनुष्य श्रेष्ठ बन जाते हैं फिर रावण की मत से सारी इज्जत मिट्टी में मिल जाती है।
  • अब फिर शिवबाबा की मत पर चलने से नई दुनिया में देवता बनेंगे।
  • कदम-कदम श्रीमत पर चलना है।
  • गांधी जी भी नया भारत, नया राज्य चाहते थे।
  • परन्तु नई दुनिया तो सतयुग को कहा जाता है।
  • यहाँ तो दिन-प्रतिदिन दु:ख बढ़ता ही जाता है।
  • बाबा कहते हैं दु:ख बढ़ना ही है, तब तो मैं आता हूँ।
  • मैं अपने वायदे अनुसार फिर से आकर सहज राजयोग सिखाता हूँ।
  • शास्त्र तो बाद में बनते हैं।
  • यह गीता आदि भी वही बनेंगे।
  • अब इस विनाश ज्वाला में सब खत्म होंगे।
  • तुम इस चक्र को जानते हो।
  • तुम बच्चों को स्कूल में जाकर समझाना है।
  • तुम्हारी है हद की हिस्ट्री-जॉग्राफी, इसको कोई वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी नहीं कहेंगे।
  • बच्चों को तो बेहद की हिस्ट्री- जॉग्राफी सिखलानी चाहिए, तब यह ऊंच पद पा सकते हैं।
  • हद की हिस्ट्री-जॉग्राफी से हद का पद मिलता है।
  • यह है बेहद की।
  • इसमें तीनों लोकों का ज्ञान आ जाता है।
  • आदि में निराकारी दुनिया में बहुत आत्मायें रहती हैं।
  • अन्त में फिर सभी आत्मायें नीचे आ जाती हैं।
  • सूक्ष्मवतन वासी ब्रह्मा, विष्णु, शंकर का पार्ट भी अभी है।
  • तो तुम उन्हों से पूछ सकते हो कि तुम जानते हो कि सतयुग में लक्ष्मी-नारायण का राज्य था।
  • फिर क्या हुआ?
  • क्या त्रेता के अन्त तक एक ही लक्ष्मी-नारायण का राज्य था?
  • कितना समय राज्य किया और कितनी एरिया पर?
  • अभी तो आसमान-जमीन में भी पार्टीशन हो गये हैं।
  • वहाँ यह बातें होती नहीं।
  • वहाँ भारत में बेहद का राज्य चलता है।
  • अभी तो कितने टुकड़े हो गये हैं।
  • यह सब मिलकर एक हों, सो तो हो नहीं सकता।
  • अब बाप बेहद की हिस्ट्री-जॉग्राफी सुनाते हैं।
  • 84 के चक्र में वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी आ जाती है और फिर साथ में पवित्रता भी जरूर चाहिए।
  • अभी नो प्योरिटी, नो पीस, नो प्रासपर्टी है।
  • मनुष्य समझते हैं संन्यासियों के पास जाने से शान्ति मिलती है।
  • बाप कहते हैं शान्ति तो तुम्हारे गले का हार है।
  • वास्तव में अहम् आत्मा का स्वधर्म है ही शान्त।
  • आत्मा कहाँ की रहने वाली है?
  • तो कहेंगे निर्वाणधाम की।
  • जब आत्मा का स्वधर्म ही शान्त है तो गुरूओं आदि से क्या शान्ति मिलेगी?
  • अशान्त करने वाली है माया।
  • जब श्रीमत से इस माया पर जीत प्राप्त करें तब सतयुग में पवित्रता, सुख, शान्ति का वर्सा पायें।
  • वहाँ कब कोई नहीं कहेगा कि मैं अशान्त हूँ, मेरे को शान्ति चाहिए।
  • भारत में ही पवित्रता-सुख-शान्ति थी।
  • अभी तुम शूद्र से बदल ब्राह्मण बने हो।
  • इस समय भारतवासियों को यह भी पता नहीं कि हम किस धर्म के हैं।
  • हमारा धर्म किसने और कब रचा?
  • आदि सनातन देवी-देवता धर्म का किसको पता नहीं है।
  • आर्य और अनआर्य।
  • देवताओं को भगवान भगवती कहते हैं, क्योंकि भगवान ने खुद स्वर्ग की स्थापना की है।
  • परन्तु उन्हों का नाम फिर भी देवी-देवता है।
  • भारत का आदि सनातन देवी-देवता धर्म है, न कि हिन्दू।
  • यह बाप सारी बातें समझा रहे हैं।
  • यह भी तुम बच्चों की बुद्धि में नम्बरवार बैठता है।
  • बहुत बच्चे हैं जो शिवबाबा को हफ्ते में एक बार भी मुश्किल याद करते हैं।
  • संग साथ न होने के कारण याद भूल जाती है।
  • इसमें तो संग चाहिए ब्राह्मणों का, जो एक दो को सावधान करते रहें।
  • शूद्रों का संग होगा तो कुछ असर जरूर पड़ेगा।
  • बाप से पूरा वर्सा लेने के लिए फालो करना चाहिए।
  • धन्धे-धोरी में रहते बाबा को सच लिखें कि बाबा हम व्यवहार में रहते, फैक्ट्री आदि में रहते कितना याद में रहे।
  • अपना-अपना याद का चार्ट भेजना चाहिए तो बाबा भी समझे कि यह अच्छा पुरूषार्थी है।
  • यहाँ तो कई बापदादा को पत्र भी नहीं लिखते हैं।
  • बाबा समझते हैं कोई सतोप्रधान पुरूषार्थ करते हैं, कोई रजो, कोई तमो।
  • तमो पुरूषार्थी जो होगा वह सूर्यवंशियों के पास आकर नौकरी करेगा।
  • साहूकार प्रजा के आगे जाकर नौकर बनेगा।
  • इनसे भी कम पद उसका होता है जो बाप के बनकर आश्चर्यवत सुनन्ती, कथन्ती, फारकती देवन्ती...उनकी दुर्गति सबसे बुरी होती है।
  • बाप का पूरा वर्सा लेना है तो पोतामेल भेजें तब बाबा रिजल्ट देंगे।
  • पूरा पुरूषार्थ नहीं करते तो माया एकदम खा जाती है इसलिए बाबा कहते हैं संग बहुत जरूरी है।
  • संग होगा तो समझेंगे हम ईश्वरीय कुल के हैं।
  • बाप समझाते हैं स्त्री पुरूष हो भल साथ रहो।
  • अगर आग लग गई तो खलास हो जायेंगे।
  • बाबा के तो ढेर बच्चे हैं।
  • आयेंगे भी और मरेंगे भी।
  • ईश्वरीय बर्थ आसुरी बर्थ से ऊंच है।
  • आजकल आसुरी बर्थ डे बहुत मनाते रहते हैं।
  • उनको कैन्सिल कर ईश्वरीय बर्थ डे मनाना शुरू करना चाहिए तो पक्का हो जाये।
  • बाबा राय देते हैं पुराना बर्थ मनाना कैन्सिल कर नया मनाओ।
  • आजकल शादी का डे भी मनाते हैं।
  • वह भी कैन्सिल कर देना चाहिए।
  • चेन्ज आनी चाहिए।
  • बाप सिकीलधे बच्चों को कहते हैं यह कोई नई बात नहीं।
  • तुम अनेक बार राज्य भाग्य गॅवाते और लेते हो।
  • कल्प-कल्प बाप के पास एक जन्म सेक्रीफाय कर 21 जन्म का सुख पाया है तो क्यों न हम पवित्र बनेंगे।
  • बाबा आपकी श्रीमत पर चलेंगे।
  • आधाकल्प आसुरी मत पर चले हैं, तो यहाँ बहुत खबरदारी रखनी है। बड़ा भारी वर्सा है।
  • बात मत पूछो।
  • स्कूल में इम्तहान में नापास होते हैं तो मुँह ही पीला हो जाता है।
  • यहाँ भी बहुत सज़ा खानी पड़ती है।
  • बाबा साक्षात्कार कराते हैं।
  • हम खुद तुमको पढ़ाते थे और कहते थे श्रीमत पर चलो फिर भी नहीं माना।
  • कितना गुनाह किया, सौ गुणा दण्ड देते हैं क्योंकि बाप की सर्विस में विघ्न डालते हैं।
  • बाप की निंदा कराते हैं।
  • श्रीमत पर चलने वाला सदा मीठा होगा।
  • किस पर क्रोध किया तो समझो आसुरी मत।
  • कोई समझते बाबा ने सभा में हमारी इज्जत ली, सबके आगे सुनाया।
  • अरे बेहद का बाप तो सबकी इज्जत बढ़ाते हैं।
  • बाबा को इतने ढेर बच्चे हैं।
  • एक-एक को छिपाकर समझायेंगे क्या?
  • बाप तो सबके सामने कह देते हैं।
  • बाप की श्रीमत से ही श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ बनेंगे।
  • अपनी मत पर चले तो गिर पड़ेंगे।
  • गिरते-गिरते मर पड़ेंगे।
  • यहाँ तो है चिन्ताओं की चिता।
  • बाप तो वहाँ ले जाते हैं जहाँ चिंता का नाम नहीं।
  • तो श्रीमत पर चलना पड़े।
  • फिर जो चाहे सो बनो।
  • श्री लक्ष्मी को वरने की हिम्मत चाहिए।
  • अपना मुँह आइने में देखना चाहिए - हम कहाँ तक लायक बने हैं!
  • जहाँ तक जीना है तब तक नॉलेज लेते रहना है।
  • जगत अम्बा के तुम हो बच्चे।
  • जो मम्मा की महिमा सो तुम बच्चों की।
  • जगत अम्बा फिर मुख्य हो जाती है।
  • 16 हजार, 108 की भी माला है।
  • रूद्र यज्ञ जब रचते हैं तो लाख सालिग्राम और एक शिव का चित्र बनाते हैं।
  • तो जरूर वह सब मददगार होंगे ना।
  • तुम सभी हो रूहानी यात्रा वाले, ब्रह्मा के मुख वंशावली, संगमयुगी ब्राह्मण।
  • परमपिता परमात्मा ब्रह्मा द्वारा नई रचना रचते हैं।
  • धर्म के बच्चे बनाते हैं।
  • तुम शूद्र धर्म से बदल आकर ब्रह्मा मुख वंशावली बनते हो।
  • माया बड़ी दुश्मन है।
  • योग लगाने नहीं देती।
  • बाबा कहते ऐसे कभी नहीं कहना है कि हमको योग में बिठाओ।
  • एक जगह बैठ योग लगाने की आदत पड़ जायेगी, तो फिर चलते फिरते योग लगेगा नहीं।
  • कहेंगे कि हम दीदी के पास जाकर योग में बैठेंगे।
  • बाप तो कहते चलते-फिरते बाप और वर्से को याद करो। बस। वह गीता सुनाने वाले ऐसे कह न सकें।
  • यह बाप ही कहते हैं - मामेकम् याद करो।
  • स्वर्ग का भी तुमने साक्षात्कार किया है।
  • बाबा अभी जास्ती कराते नहीं हैं, नहीं तो नये लोग समझते हैं जादू है।
  • गीत था मम्मा की महिमा का।
  • मम्मा तो यह (ब्रह्मा) भी है।
  • परन्तु माताओं को सम्भालने के लिए जगत-अम्बा मुकरर है। ड्रामा में नूँध है।
  • सभी से तीखी भी है।
  • उनकी मुरली बड़ी रसीली है।
  • तुम बच्चे जानते हो यह श्रीकृष्ण प्रिन्स से अब बेगर बन गये हैं।
  • (श्रीकृष्ण के चित्र को देख) बताओ तुमने क्या कर्म किये जो स्वर्ग का प्रिन्स बने हो?
  • जरूर आगे जन्म में राजयोग सीखा होगा।
  • जरूर बाप ही स्वर्ग का रचयिता है, उसने सिखाया होगा।
    • अच्छा !
    • मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का यादप्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) बाप की सर्विस में विघ्न रूप नहीं बनना है।
  • श्रीमत पर चल बहुत-बहुत मीठा बनना है, किसी पर भी क्रोध नहीं करना है।
  • 2) माया से बचने के लिए संग की बहुत सम्भाल करनी है, शूद्रों का संग नहीं करना है।
  • बाबा को अपना सच्चा-सच्चा पोतामेल देना है।
  • ईश्वरीय बर्थ डे मनाना है, आसुरी नहीं।
  • वरदान:-
  • ( All Blessings of 2021-22)
    • बापदादा के स्नेह के रिटर्न में समान बनने वाले तपस्वीमूर्त भव
    • समय की परिस्थितियों के प्रमाण, स्व की उन्नति वा तीव्रगति से सेवा करने तथा बापदादा के स्नेह का रिटर्न देने के लिए वर्तमान समय तपस्या की अति आवश्यकता है।
    • बाप से बच्चों का प्यार है लेकिन बापदादा प्यार के रिटर्न स्वरूप में बच्चों को अपने समान देखना चाहते हैं।
    • समान बनने के लिए तपस्वीमूर्त बनो।
    • इसके लिए चारों ओर के किनारे छोड़ बेहद के वैरागी बनो।
    • किनारों को सहारा नहीं बनाओ।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021-22)
    • शीतल बन दूसरों को शीतल दृष्टि से निहाल करने वाले शीतल योगी बनो।