21-05-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन



मीठे बच्चे - श्रीमत में कभी मनमत मिक्स नहीं करना, मनमत पर चलना माना अपनी तकदीर को लकीर लगाना''


 

प्रश्नः-

बच्चों को बाप से कौन सी उम्मींद नहीं रखनी चाहिए?

उत्तर:-

कई बच्चे कहते हैं बाबा हमारी बीमारी को ठीक कर दो, कुछ कृपा करो।

बाबा कहते यह तो तुम्हारे पुराने आरगन्स हैं।

थोड़ी बहुत तकलीफ तो होगी ही, इसमें बाबा क्या करें।

कोई मर गया, देवाला निकल गया तो इसमें बाबा से कृपा क्या मांगते हो, यह तो तुम्हारा हिसाब-किताब है।

हाँ योगबल से तुम्हारी आयु बढ़ सकती है, जितना हो सके योगबल से काम लो।

 

गीत:- तूने रात गॅवाई....


  • ओम् शान्ति।
  • बच्चों को ओम् का अर्थ तो बताया है।
  • ऐसे नहीं ओम् माना भगवान।
  • ओम् अर्थात् अहम् अर्थात् मैं।
  • मैं कौन?
  • मेरे यह आरगन्स।
  • बाप भी कहते हैं अहम् आत्मा, परन्तु मैं परम आत्मा हूँ माना परमात्मा हूँ।
  • वह है परमधाम निवासी परमपिता परमात्मा।
  • कहते हैं मैं इस शरीर का मालिक नहीं हूँ।
  • मैं क्रियेटर, डायरेक्टर, एक्टर कैसे हूँ - यह समझने की बातें हैं।
  • मैं स्वर्ग का रचयिता जरूर हूँ।
  • सतयुग को रचकर कलियुग का विनाश जरूर कराना ही है।
  • मैं करनकरावनहार होने कारण मैं कराता हूँ।
  • यह कौन कहते हैं?
  • परमपिता परमात्मा।
  • फिर कहते हैं मैं ब्रह्माण्ड का मालिक हूँ।
  • ब्रह्माण्ड के मालिक तुम बच्चे भी हो, जब बाप के साथ रहते हो।
  • उनको स्वीट होम भी कहते हैं।
  • फिर जब सृष्टि रची जाती है तो पहले ब्राह्मण रचते हैं जो फिर देवता बनते हैं।
  • वह पूरे 84 जन्म लेते हैं।
  • शिवबाबा एवर पूज्य है।
  • आत्मा को तो पुर्नजन्म लेना ही है।
  • बाकी 84 लाख तो हो नहीं सकते।
  • बाप कहते हैं तुम अपने जन्मों को नहीं जानते, मैं बताता हूँ।
  • 84 का चक्र कहा जाता है।
  • 84 लाख का नहीं।
  • इस चक्र को याद करने से तुम चक्रवर्ती राजा बनते हो।
  • अब बाप कहते हैं मामेकम् याद करो।
  • देह सहित देह के सभी सम्बन्धों को भूल जाओ।
  • अब तुम्हारा यह अन्तिम जन्म है।
  • जब तक यह बात बुद्धि में नहीं आई है तब तक समझेंगे नहीं।
  • यह पुराना शरीर, पुरानी दुनिया है।
  • यह देह तो खलास हो जानी है।
  • कहावत भी है आप मुये मर गई दुनिया।
  • यह पुरुषार्थ का थोड़ा सा संगम का समय है।
  • बच्चे पूछते हैं बाबा यह ज्ञान कब तक चलेगा?
  • जब तक भविष्य दैवी राजधानी स्थापन हो जाये तब तक सुनाते ही रहेंगे।
  • इम्तिहान पूरा होगा फिर ट्रांसफर होंगे नई दुनिया में।
  • जब तक शरीर को कुछ न कुछ होता रहता है।
  • यह शारीरिक रोग भी कर्मभोग है।
  • बाबा का यह शरीर कितना प्रिय है।
  • तो भी खाँसी आदि होती है तो बाबा कहते हैं यह तुम्हारे आरगन्स पुराने हो गये हैं इसलिए तकलीफ होती है।
  • इसमें बाबा मदद करे, यह उम्मींद नहीं रखनी चाहिए।
  • देवाला निकला, बीमार हुआ बाप कहेंगे यह तुम्हारा ही हिसाब-किताब है।
  • हाँ, फिर भी योग से आयु बढ़ेगी, तुमको ही फायदा है।
  • अपनी मेहनत करो, कृपा नहीं मांगो।
  • बाप की याद में कल्याण है।
  • जितना हो सके योगबल से काम लो।
  • गाते हैं ना - मुझे पलकों में छिपा लो.. प्रिय चीज़ को नूरे रत्न, प्राण प्यारी कहते हैं।
  • यह बाप तो बहुत प्रिय है, परन्तु है गुप्त इसलिए लव पूरा ठहरता नहीं।
  • नहीं तो उनके लिए लव ऐसा होना चाहिए जो बात मत पूछो।
  • बच्चों को तो बाप पलकों में छिपा लेते हैं।
  • पलकें कोई यह ऑखें नहीं, यह तो बुद्धि में याद रखना है कि यह ज्ञान हमको कौन दे रहे हैं?
  • मोस्ट बिलवेड निराकार बाप, जिसकी ही महिमा है - पतित-पावन, ज्ञान का सागर, सुख का सागर, उनको फिर सर्वव्यापी कह देते हैं।
  • तो फिर हर एक मनुष्य ज्ञान का सागर, सुख का सागर होना चाहिए।
  • परन्तु नहीं, हर आत्मा को अपना अविनाशी पार्ट मिला हुआ है।
  • यह हैं बहुत गुप्त बातें।
  • पहले तो बाप का परिचय देना है।
  • पारलौकिक बाप स्वर्ग की रचना रचते हैं।
  • सतयुग सचखण्ड में देवी-देवताओं का राज्य होता है, जो नई दुनिया बाप रचते हैं।
  • कैसे रचते हैं सो तुम बच्चे जानते हो।
  • कहते हैं मैं आता ही हूँ पतितों को पावन बनाने।
  • तो पतित सृष्टि में आकर पावन बनाना पड़े ना।
  • गाते भी हैं ब्रह्मा द्वारा स्थापना।
  • तो उनके मुख द्वारा ज्ञान सुनाते और श्रेष्ठ कर्म सिखलाते हैं।
  • बच्चों को कहते मैं तुमको ऐसे कर्म सिखलाता हूँ जो वहाँ तुम्हारे कर्म विकर्म नहीं होंगे क्योंकि वहाँ माया है ही नहीं इसलिए तुम्हारे कर्म अकर्म बन जाते हैं।
  • यहाँ माया है इसलिए तुम्हारे कर्म विकर्म ही बनेंगे।
  • माया के राज्य में जो कुछ करेंगे उल्टा ही करेंगे।
  • अब बाप कहते हैं मेरे द्वारा तुम सब कुछ जान जाते हो।
  • वह लोग साधना आदि करते हैं - परमात्मा से मिलने के लिए, अनेक प्रकार के हठयोग आदि सिखाते हैं।
  • यहाँ तो बस एक बाप को याद करना है।
  • मुख से शिव-शिव भी नहीं कहना है।
  • यह बुद्धि की यात्रा है।
  • जितना याद करेंगे उतना रूद्र माला का दाना बनेंगे, बाप के नजदीक आयेंगे।
  • शिवबाबा के गले का हार बनना या रूद्र माला में नजदीक आना, उसकी है रेस।
  • चार्ट रखना है तो अन्त मती सो गति हो जाए।
  • देह भी याद न पड़े, ऐसी अवस्था चाहिए।
  • बाप कहते हैं अब तुमको हीरे जैसा जन्म मिला है।
  • तो मेरे लाडले बच्चे, नींद को जीतने वाले बच्चे, कम से कम 8 घण्टे मेरी याद में रहो।
  • अभी वह अवस्था आई नहीं है।
  • चार्ट रखो हम सारे दिन में कितना समय याद की यात्रा पर चलते हैं।
  • कहाँ खड़े तो नहीं हो जाते हैं।
  • बाप को याद करने से वर्सा भी बुद्धि में रहेगा।
  • प्रवृत्ति मार्ग है ना।
  • नम्बरवन है बाप का स्थापन किया हुआ - स्वर्ग का देवी-देवता धर्म।
  • बाप राजयोग सिखलाकर स्वर्ग का मालिक बनाते हैं, फिर यह ज्ञान प्राय:लोप हो जाता है।
  • तो फिर यह ज्ञान शास्त्रों में कहाँ से आया?
  • रामायण आदि तो पीछे बनाई है।
  • सारी दुनिया ही लंका है।
  • रावण का राज्य है ना।
  • बन्दर जैसे मनुष्यों को पवित्र मन्दिर लायक बनाकर रावण राज्य को खत्म कर देते हैं।
  • सद्गति दाता बाप ज्ञान देते हैं सद्गति के लिए।
  • उनको सद्गति करनी है अन्त में।
  • अब बाप कहते हैं बच्चे और सबको छोड़ एक मेरे से सुनो।
  • मैं कौन हूँ, पहले यह निश्चय चाहिए।
  • मैं तुम्हारा वही बाप हूँ।
  • मैं तुमको फिर से सभी वेदों शास्त्रों का सार सुनाता हूँ।
  • यह ज्ञान तो बाप सम्मुख देते हैं।
  • फिर तो विनाश हो जाता है।
  • फिर जब द्वापर में खोजते हैं तो वही गीता आदि शास्त्र निकल आते हैं।
  • भक्ति मार्ग के लिए जरूर वही सामग्री चाहिए।
  • जो अभी तुम देखते हो, औरों का ज्ञान तो परम्परा से चला आता है।
  • यह ज्ञान तो यहाँ ही खत्म हो जाता है।
  • बाद में जब खोजते हैं तो यही शास्त्र आदि हाथ में आते हैं, इसलिए इनको अनादि कह देते हैं।
  • द्वापर में सब वही शास्त्र निकलते हैं।
  • तब तो मैं आकर फिर से सभी का सार सुनाता हूँ, फिर वही रिपीटीशन होगी।
  • कोई रिपीटीशन को मानते हैं, कोई क्या कहते।
  • अनेक मतें हैं।
  • वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी तो तुम बच्चे ही जानते हो, और कोई जान न सके।
  • उन्होंने तो कल्प की आयु लाखों वर्ष कर दी है।
  • ऐसे भी बहुत लोग कहते हैं कि महाभारत युद्ध को 5 हजार वर्ष हुए।
  • यह फिर से वही लड़ाई है।
  • तो जरूर गीता का भगवान भी होगा!
  • अगर कृष्ण हो तो वह फिर मोर मुकुटधारी चाहिए।
  • कृष्ण तो सतयुग में ही होता है।
  • वही कृष्ण तो अब हो न सके।
  • इनके दूसरे जन्म में भी वही कला नहीं रहती।
  • 16 कला से 14 कला बनना है तो जन्म बाई जन्म थोड़ा-थोड़ा फ़र्क पड़ता जायेगा ना।
  • ऐसे तो मोर मुकुटधारी बहुत हैं।
  • कृष्ण जो पहला नम्बर 16 कला सम्पूर्ण है, उनकी तो पुनर्जन्म से थोड़ी-थोड़ी कला कमती होती जाती है।
  • यह बहुत गुह्य राज़ है।
  • बाप कहते हैं ऐसे नहीं चलते-फिरते, घूमते समय गंवाओ।
  • यही कमाई का समय है।
  • जिनके पास धन बहुत है वह तो समझते हैं हमारे लिए यहीं स्वर्ग है, बाप कहते भल यह स्वर्ग तुमको मुबारक हो।
  • बाप तो गरीब निवाज़ है।
  • गरीबों को दान देना है।
  • गरीबों को सरेण्डर होना सहज होता है।
  • हाँ, कोई बिरला साहूकार भी निकलता है।
  • यह बहुत समझने की बातें हैं।
  • देह का भान भी छोड़ना है।
  • यह दुनिया ही खत्म होनी है, फिर हम बाबा के पास चले जायेंगे।
  • सृष्टि नई बन जायेगी।
  • कोई तो एडवान्स में भी जायेंगे।
  • श्रीकृष्ण के माँ बाप भी तो एडवान्स में जाने चाहिए, जो फिर कृष्ण को गोद में लेंगे।
  • कृष्ण से ही सतयुग शुरू होता है।
  • यह बड़ी गुह्य बातें हैं।
  • यह तो समझ की बात है - कौन माँ बाप बनेंगे?
  • कौन सेकेण्ड नम्बर में आने लायक हैं।
  • सर्विस से भी तुम समझ सकते हो।
  • लक से भी कोई गैलप कर आगे आ जाते हैं।
  • ऐसे हो रहा है, पिछाड़ी वाले बहुत फर्स्ट-क्लास सर्विस कर रहे हैं।
  • रूप बसन्त तुम बच्चे हो।
  • बाप को भी बसन्त कहा जाता है।
  • है तो स्टार।
  • इतना बड़ा तो है नहीं।
  • परम आत्मा माना परमात्मा।
  • आत्मा का रूप कोई बड़ा नहीं है।
  • लेकिन मनुष्य कहाँ मूझें नहीं इसलिए बड़ा रूप दिखाया है।
  • ऊंचे ते ऊंचा है शिवबाबा।
  • फिर है-ब्रह्मा विष्णु शंकर।
  • ब्रह्मा भी व्यक्त से अव्यक्त बनता है और कोई चित्र है नहीं।
  • विष्णु के दो रूप लक्ष्मी-नारायण बनते हैं।
  • शंकर का पार्ट सूक्ष्मवतन तक है।
  • यहाँ स्थूल सृष्टि पर आकर पार्ट बजाने का नहीं है, न पार्वती को अमरकथा सुनाते हैं।
  • यह सब भक्ति मार्ग की कथायें हैं।
  • यह शास्त्र फिर भी निकलेंगे।
  • उनमें कुछ आटे में नमक जितना सच है।
  • जैसे श्रीमत भगवत गीता अक्षर राइट है।
  • फिर कह देते श्रीकृष्ण भगवान.. यह बिल्कुल रांग।
  • देवताओं की महिमा अलग, ऊंच ते ऊंच है ही परमपिता परमात्मा।
  • जिसको सब याद करते हैं, उनकी महिमा अलग है।
  • सब एक कैसे हो सकते हैं।
  • सर्वव्यापी का अर्थ ही नहीं निकलता।
  • तुम हो रूहानी सैलवेशन आर्मी, परन्तु गुप्त हो।
  • स्थूल हथियार आदि तो हो न सकें।
  • यह ज्ञान के बाण, ज्ञान कटारी की बात है।
  • मेहनत है, पवित्रता में।
  • बाप से पूरी प्रतिज्ञा करनी है।
  • बाबा हम पवित्र बन स्वर्ग का वर्सा जरूर लेंगे।
  • वर्सा बच्चों को ही मिलता है।
  • बाप आकर आशीर्वाद करते हैं, माया रावण तो श्रापित करती है।
  • तो ऐसे मोस्ट बिलवेड बाप के साथ कितना प्यार चाहिए।
  • बच्चों की निष्काम सेवा करते हैं।
  • पतित दुनिया, पतित शरीर में आकर तुम बच्चों को हीरे जैसा बनाए खुद निर्वाणधाम में बैठ जाते हैं।
  • इस समय तुम सबकी वानप्रस्थ अवस्था है इसलिए बाबा आया है सबकी ज्योति जग जाती है तो सब मीठे बन जाते हैं।
  • बाबा जैसा मीठा बनना है।
  • गाते हैं ना - कितना मीठा कितना प्यारा.. लेकिन बाबा कितना निरहंकार से तुम बच्चों की सेवा करते हैं।
  • तुम बच्चों को भी इतनी रिटर्न सर्विस करनी चाहिए।
  • यह हॉस्पिटल कम युनिवर्सिटी तो घर-घर में होनी चाहिए।
  • जैसे घर-घर में मन्दिर बनाते हैं।
  • तुम बच्चियां 21 जन्म के लिए हेल्थ वेल्थ देती हो श्रीमत पर।
  • तुम बच्चों को भी श्रीमत पर चलना है।
  • कहाँ अपनी मत दिखाई तो तकदीर को लकीर लग जायेगी।
  • किसको दु:ख मत दो।
  • जैसे महारथी बच्चे सर्विस कर रहे हैं वैसे फालो करना है।
  • तख्तनशीन बनने का पुरूषार्थ करना है।
  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) बाप समान निरहंकारी बन सेवा करनी है।
  • बाप की जो सेवा ले रहे हैं उसका दिल से रिटर्न देना है, बहुत मीठा बनना है।
  • 2) चलते फिरते अपना समय नहीं गंवाना है.. शिवबाबा के गले का हार बनने के लिए रेस करनी है।
  • देह भी याद न पड़े..... इसका अभ्यास करना है।
  • वरदान:-
  • All Blessings of 2021-22
    • ड्रामा के हर राज़ को जान सदा खुश-राज़ी रहने वाले नॉलेजफुल, त्रिकालदर्शी भव
    • जो बच्चे नॉलेजफुल, त्रिकालदर्शी हैं वे कभी नाराज़ नहीं हो सकते।
    • भल कोई गाली भी दे, इनसल्ट कर दे तो भी राज़ी, क्योंकि ड्रामा के हर राज़ को जानने वाले नाराज़ नहीं होते।
    • नाराज़ वो होता है जो राज़ को नहीं जानता है, इसलिए सदैव यह स्मृति रखो कि भगवान बाप के बच्चे बनकर भी राज़ी नहीं होंगे तो कब होंगे!
    • तो अभी जो खुश भी हैं, राज़ी भी हैं वही बाप के समीप और समान हैं।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021-22)
    • जो व्यर्थ से इनोसेंट रहता है वही सच्चा-सच्चा सेंट (महात्मा) है।