18-05-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन



"मीठे बच्चे - तुम सच्चे-सच्चे आशिक बन मुझ एक माशूक को याद करो तो तुम्हारी आयु बढ़ जायेगी, योग और पढ़ाई से ही तुम ऊंच पद पा सकेंगे''


 

प्रश्नः-

भारत को स्वर्ग बनाने के लिए बाप बच्चों से कौन सी मदद मांगते हैं?

उत्तर:-

बच्चे - मुझे पवित्रता की मदद चाहिए।

प्रतिज्ञा करो - हम काम विकार को लात मार पवित्र जरूर बनेंगे।

सवेरे-सवेरे उठ अपने से बातें करो - मीठे बाबा हम आपकी मदद के लिए तैयार हैं।

हम पवित्र बन भारत को पवित्र जरूर बनायेंगे।

हम आपकी शिक्षा पर जरूर चलेंगे।

कोई भी पाप का काम नहीं करेंगे।

बाबा आपकी कमाल है, स्वप्न में भी नहीं था कि हम कोई विश्व का मालिक बनेंगे।

आप हमें क्या से क्या बना रहे हैं।

 

गीत:-तुम्हारे बुलाने को...


  • ओम् शान्ति।
  • लाडले बच्चे यह जानते हैं, हम आत्मायें आशिक हैं उस एक माशूक बाप की।
  • बच्चे जानते हैं आशिक और माशूक का सम्बन्ध कितना तीखा होता है।
  • वह जिस्मानी आशिक जो होते हैं वो जिस्म पर आशिक होते हैं, विकार के लिए नहीं।
  • बच्चे जानते हैं जब कोई की शादी होती है तो वह भल स्त्री-पुरूष कहलाते हैं परन्तु वह भी आशिक माशूक हैं एक दो को पतित बनाने वाले।
  • पहले से ही उनको पता है, जानते हैं विकारी बनेंगे।
  • अभी तुम बच्चे आशिक बने हो एक माशूक के, जो सभी आत्माओं का माशूक है।
  • सभी उस एक के आशिक हैं।
  • सब भक्त आशिक हैं भगवान के।
  • परन्तु भक्तों को भगवान का पता नहीं है।
  • भगवान को न जानने कारण कुछ भी शक्ति आदि उनसे पा नहीं सकते।
  • साधू-सन्त आदि पवित्र रहते हैं तो उनको कुछ न कुछ अल्पकाल के लिए मिलता है।
  • तुम तो याद करते हो एक माशूक को।
  • उससे बुद्धियोग लगाया जाता है।
  • जो बाप भी है, शिक्षक भी है, पतित-पावन सर्वशक्तिमान् है।
  • उस बाप से तुम योग लगाकर शक्ति लेते हो।
  • तुम्हारा ज्ञान ही अलग है, शक्ति लेते हो माया पर जीत पाने लिए।
  • ऐसा जो विश्व का मालिक बनाने वाला माशूक है, कितना मीठा है।
  • जिन्होंने बाप को अपना बनाया है वह जानते हैं कितना अच्छा माशूक है, जिसको आधाकल्प से सब याद करते हैं।
  • वह जिस्मानी आशिक माशूक तो एक जन्म के होते हैं।
  • तुमने तो आधाकल्प याद किया है।
  • अभी तुमने बाप को जाना है तो तुमको बहुत शक्ति मिल रही है।
  • तुम श्रीमत पर चल स्वर्ग का श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ मालिक बनते हो।
  • आशिक बनती है आत्मा, कर्तव्य आत्मा करती है - कर्मेन्द्रियों से।
  • अभी तुम बच्चों को यह धुन लगी हुई है कि बाप से वर्सा लेना है।
  • विष की लेन-देन के लिए जो हथियाला बांधते थे वह बाप ने आकर अब कैन्सिल किया है।
  • कहते हैं इन सब बातों को छोड़ अब मेरे को याद करो।
  • जिस्मानी आशिक को भी हर समय खाते-पीते, उठते-बैठते माशूक की याद रहती है ना।
  • उनमें बुरी भावना नहीं होती है।
  • विकार की बात नहीं।
  • अभी तुम याद करते हो एक को।
  • याद के पुरूषार्थ अनुसार तुम अपनी आयु बढ़ा सकते हो।
  • समझो कोई ब्राह्मण कहते हैं कि तुम्हारी आयु 50 वर्ष है, बाप कहते हैं तुम अभी योगबल से अपनी आयु बढ़ा सकते हो।
  • जितना योग में जास्ती रहेंगे उतना आयु बढ़ेगी।
  • फिर भविष्य जन्म-जन्मान्तर बड़ी आयु वाले ही बन जायेंगे।
  • योग नहीं तो फिर सजा खानी पड़ती है, फिर पद भी कम हो पड़ता है।
  • भल सुखी तो सब बनेंगे परन्तु योग और पढ़ाई से।
  • फ़र्क सारा पद का रहता है ना।
  • जितना पुरूषार्थ उतना ऊंच पद।
  • धन तो नम्बरवार होगा ना।
  • एक जैसे सब धनी हो न सकें।
  • तो बाप समझाते हैं बच्चे जितना हो सके मेरी मत पर चलो।
  • आधाकल्प तुम आसुरी मत पर चलते हो, जिससे तुम्हारी आयु कमती होती गई है।
  • भल कितना भी बड़ा आदमी हो।
  • आज जन्म लिया, कल मर गया।
  • दान-पुण्य करने से बड़े घर में जन्म मिलता है ना।
  • अब बाप तुमको अविनाशी ज्ञान रत्नों का दान दे झोली भर रहे हैं।
  • तुम कितने साहूकार बनते हो।
  • यह अविनाशी ज्ञान रत्नों का दान कहो अथवा वर्सा कहो, बाप से मिल रहा है।
  • तुम बाप से वर्सा लेते हो तो तुमको फिर औरों को रास्ता बताना है।
  • भगवान के हम बच्चे हैं तो जरूर भगवान भगवती पद मिलना चाहिए।
  • भारत में गाया जाता है गॉडेज लक्ष्मी, गॉड नारायण।
  • नई दुनिया में गॉड गॉडेज ही राज्य करते हैं क्योंकि गॉड द्वारा पद मिला हुआ है।
  • परन्तु बाप समझाते हैं अगर उनको गॉड गॉडेज कहेंगे तो यथा राजा रानी तथा प्रजा को भी गॉड गॉडेज कहना पड़े, इसलिए देवी-देवता कहा जाता है।
  • तुम जानते हो हम भारत को स्वर्ग बना रहे हैं।
  • परमपिता परमात्मा की श्रीमत द्वारा हम राजयोग सीखते हैं।
  • फिर राज्य भाग्य पायेंगे।
  • परमात्मा ही स्वर्ग की स्थापना करते हैं तो जरूर नर्क में आवें तब तो नर्क को स्वर्ग बनावें।
  • जो कल्प पहले बने होंगे वही बनेंगे।
  • सब एकरस तो नहीं होते हैं, नम्बरवार पुरूषार्थ करते हैं।
  • आजकल तो बच्चे हिम्मत कर पान का बीड़ा उठाते हैं - बाबा फलानी बच्ची को बहुत मार पड़ती है, हम उनको बचाने के लिए युगल बन जाते हैं।
  • अच्छा यह तो ठीक है परन्तु फिर ज्ञान की ताकत चाहिए, धारणा चाहिए।
  • जितना वारिस और प्रजा बनायेंगे, कांटों को फूल बनाने की सेवा करेंगे उतना ऊंच पद पायेंगे।
  • कितनी मेहनत करनी पड़ती है।
  • ऐसे बहुत विलायत में भी रहते हैं।
  • कम्पैनियन हो रहते हैं, पवित्र रहते हैं।
  • फिर सब मिलकियत स्त्री को दे देते वा तो चैरिटी में दे देते हैं।
  • अभी तुम बच्चों को परमपिता परमात्मा माशूक मिला है, जो तुमको विश्व का मालिक बनाते हैं तो उनकी कितनी याद रहनी चाहिए।
  • ऐसे बाप को तो बहुत याद करना चाहिए।
  • तुम ही बाप को जानते हो और कोई भी साधू-सन्त आदि बाप को नहीं जानते।
  • यहाँ बाप बच्चों के सम्मुख बैठे हैं।
  • इस समय भल कोई पवित्र रहते हैं परन्तु उन्हें पवित्रता का बल नहीं मिल सकता।
  • जितना तुम बच्चों को पतित-पावन बाप से मिलता है क्योंकि वह बाप को नहीं जानते।
  • आत्मा सो परमात्मा अथवा ब्रह्म ही परमात्मा है - ऐसे कह देते हैं।
  • अनेकानेक मत-मतान्तर हैं।
  • यहाँ तुम सबकी एक अद्वैत मत है।
  • मनुष्य से देवता बनने की मत मिलती है बाप द्वारा।
  • बरोबर मनुष्य से देवता बनाने में देरी नहीं लगती है।
  • मूत पलीती मनुष्यों को आकर पवित्र बनाते हैं।
  • महिमा तो है ना।
  • बाकी शास्त्र तो बहुत सुनते, पढ़ते आये हैं परन्तु उनसे कोई फल नहीं मिलता।
  • अभी बाप आये हैं तो उनका सच्चा-सच्चा आशिक बनना चाहिए।
  • बुद्धियोग और कहाँ भटकना नहीं चाहिए।
  • गृहस्थ व्यवहार में भल रहो परन्तु कमल फूल समान।
  • भक्ति मार्ग में तो कोई हनूमान को, कोई गणेश को, कोई किसको पकड़ते आये हैं।
  • परन्तु वह कोई भगवान तो नहीं हैं।
  • भल शिवबाबा का नाम भी याद है, परन्तु समझते नहीं हैं।
  • परमात्मा को पत्थर ठिक्कर में डाल दिया है।
  • सूत ही सारा मूँझा हुआ है, सिवाए बाप के कोई उनको सुलझा न सके।
  • भगवान किसको भी मिलता नहीं।
  • स्वयं भगवान कहते हैं जब भक्ति पूरी हो तब मैं आऊं।
  • आधाकल्प भक्ति मार्ग चलता है, दिन और रात।
  • शुरू में भी पहले-पहले जब प्रवेशता हुई तो दीवारों पर ऐसे-ऐसे चक्र निकालते रहते थे, जैसे छोटे बच्चे होते हैं।
  • समझ में कुछ नहीं आता था।
  • हम तुम सब बेबीज़ थे, फिर धीरे-धीरे बुद्धि में आता गया।
  • अभी तुम पढ़कर होशियार हुए हो तो बिल्कुल सहज रीति समझा सकते हो।
  • ऐसे नहीं समझना यह बहुत पुराने बच्चे हैं, इसलिए हमसे होशियार हैं।
  • हम तो इतना पढ़ नहीं सकेंगे।
  • बाबा कहते हैं - पिछाड़ी में आने वाले बहुत आगे जा सकते हैं।
  • देरी से आने वाले और ही दिन-रात योग में मस्त हो लग पड़ेंगे।
  • दिन-प्रतिदिन प्वाइंट्स बहुत अच्छी-अच्छी मिलती रहती हैं।
  • परमपिता परमात्मा स्वर्ग का रचयिता है तो उनसे वर्सा मिलना चाहिए ना।
  • सतयुग में था।
  • अभी नहीं है, तब तो बाप फिर देने आये हैं।
  • कितने उपाय किये जाते हैं कि बच्चों को कुछ समझ में आ जाए और योग में लग जाएं।
  • कोई कहते हमको फुर्सत नहीं।
  • इस याद से ही तुम सदैव के लिए निरोगी बनेंगे।
  • तो उस धन्धे में लग जाना चाहिए ना।
  • इसमें स्थूल कुछ भी करने का नहीं है।
  • लौकिक बाप की याद रह सकती है, पारलौकिक बाप को क्यों भूल जाते हो।
  • बाप कहते हैं तुम भारतवासियों को 5 हजार वर्ष पहले भी वर्सा दिया था ना।
  • तुम विश्व के मालिक थे ना - क्या यह भूल गये हो?
  • तुम सूर्यवंशी थे, फिर चन्द्रवंशी, वैश्य वंशी बनें।
  • अब फिर ब्राह्मण वंशी बनाने आया हूँ।
  • ब्राह्मण बनेंगे तब तो यज्ञ की सम्भाल कर सकेंगे।
  • ब्राह्मण कभी विकारी बन नहीं सकते।
  • अन्त तक तो पवित्र रहना ही है तब नई दुनिया के मालिक बन सकेंगे।
  • कितनी भारी प्राप्ति है।
  • तुम बाप को याद नहीं करते हो।
  • बच्चा बनकर और बाप को याद न करे ऐसा तो कभी होता नहीं।
  • बाप को भूल जायेंगे तो वर्सा कैसे मिलेगा?
  • यह तो आमदनी है ना।
  • साधू-सन्तों के पास तो प्राप्ति कुछ नहीं है।
  • सिर्फ पवित्रता का बल है, ईश्वरीय बल नहीं है।
  • ईश्वर को जानते ही नहीं तो बल मिले कैसे?
  • बल तुमको मिला है।
  • बाप खुद कहते हैं हम तुमको स्वर्ग का मालिक बनाने आये हैं।
  • तुम थोड़े समय के लिए पवित्र नहीं रह सकते हो?
  • क्रोध है सेकेण्ड नम्बर भूत।
  • बड़े ते बड़ा भूत है काम का।
  • सतयुग में भारत वाइसलेस था, कितना सुखी था।
  • विशश बना है तो अब भारत का क्या हाल हो गया है!
  • बाप फिर भारत को वाइसलेस बनाने आये हैं तो ऐसे बाप को याद करना तुम भूल जाते हो?
  • माया फट से विकर्म करा देती है! बड़ी भारी मंजिल है।
  • तुम ऐसे बाप की श्रीमत पर नहीं चलते हो!
  • ऐसे बाप से प्यार नहीं है!
  • कहते हैं भूल जाते हैं, अच्छा एक घड़ी, आधी घड़ी... कम से कम इतनी तो कोशिश करो जो अन्त में बाप ही याद रहे।
  • यह अन्तकाल है ना।
  • अन्तकाल जो नारायण सिमरे... मैं नारायण बनता हूँ।
  • तुम भी बनते हो ना।
  • बाप कहते हैं पूरे आशिक भी बनो ना।
  • बाप तो दाता है।
  • बाप को अपना बनायेंगे तो बाप राय अथवा मत देंगे।
  • सौतेले को तो मत नहीं देंगे।
  • बाप तो दाता है।
  • तुमसे कुछ लेते हैं क्या?
  • तुम जो कुछ भी करते हो अपने लिए।
  • मैं तो विश्व का मालिक भी नहीं बनता हूँ।
  • ऐसे कभी नहीं समझना है कि हम शिवबाबा को दान देते हैं।
  • नहीं, शिवबाबा से वर्सा लेते हैं।
  • मरने समय दान कराते हैं ना।
  • करनीघोर को सब देते हैं।
  • तुम्हारे पास है ही क्या?
  • ठिक्कर ठोबर दान करते हो परमात्मा को।
  • तुम्हारा यह सब खत्म हो जाना है।
  • मरने से डरते तो नहीं हो ना!
  • बाप कहते हैं इस छी-छी दुनिया से मरना अच्छा है।
  • 5 हजार वर्ष पहले भी मच्छरों सदृश्य सबको ले गये थे।
  • मैं तुम्हारा कालों का काल बाप भी हूँ।
  • तुमको आधाकल्प के लिए काल के पंजे से छुड़ाता हूँ।
  • वहाँ तो आत्मा स्वतंत्र रहती है।
  • जब शरीर पुराना हो तब छोड़कर नया ले लेती है।
  • अभी भी समझते हैं बाबा पास जाना है तो सवेरे उठकर बाबा से बातें करो।
  • बाबा आपकी तो कमाल है, स्वप्न में भी नहीं था कि आप आकर हमको स्वर्ग का मालिक बनायेंगे।
  • हम तो बिल्कुल घोर अन्धियारे में थे।
  • बाबा आपकी कमाल है।
  • आपकी शिक्षा पर जरूर चलेंगे।
  • कोई भी पाप का काम नहीं करेंगे।
  • काम के भूत को पहले लात मारेंगे।
  • पवित्रता की प्रतिज्ञा करो।
  • बाबा, मीठे बाबा, हम आपकी मदद के लिये हाज़िर हूँ... ऐसे-ऐसे बातें करनी होती हैं।
  • जैसे बाबा पुरूषार्थ करते हैं, बच्चों को सुनाते हैं।
  • बाबा हम अशरीरी आये थे, अभी याद पड़ा... इस पुरानी दुनिया को भूलने का पुरूषार्थ करना है।
  • शिवबाबा को इतने ढेर बच्चे हैं।
  • ओना तो होगा ना!
  • ब्रह्मा को भी ओना होगा ना!
  • कितने ढेर बच्चे हैं, कितनी सम्भाल होती है।
  • बच्चे बिल्कुल आराम से रहें।
  • यहाँ तुम ईश्वरीय घर में हो ना।
  • कोई संगदोष नहीं।
  • बाप सम्मुख बैठा है।
  • तुम्हीं से खाऊं, बैठूँ... तुम जानते हो शिवबाबा इसमें आकर बच्चा-बच्चा कहते हैं।
  • कहते हैं मेरे लाडले बच्चे प्रतिज्ञा करो कि विकार में कभी भी नहीं जायेंगे।
  • पवित्रता की मुझे मदद करो तो भारत को पवित्र बनायेंगे।
  • हिम्मते बच्चे मददे बाप... याद नहीं आता है।
  • कल्प-कल्प हम यही धन्धा करते हैं, भारत को स्वर्ग बनाते हैं।
  • जो मेहनत करेंगे वही स्वर्ग के मालिक बनेंगे।
  • कांग्रेसियों ने बापू को कितनी मदद की।
  • अब देखो राज्य मिला... परन्तु राम राज्य तो बना नहीं।
  • दिन-प्रतिदिन और ही तमोप्रधान होते जाते हैं।
  • बाप आकर सुखधाम का मालिक बना रहे हैं।
  • आधाकल्प तुम सुखी रहते हो।
  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) सच्चा-सच्चा आशिक बनना है।
  • बुद्धियोग एक माशुक से लगाना है।
  • बुद्धि इधर-उधर न भटके इस पर अटेन्शन देना है।
  • 2) प्राप्ति को सामने रखते हुए बाप को निरन्तर याद करना है।
  • पवित्र जरूर बनना है।
  • भारत को स्वर्ग बनाने का धन्धा करना है।
  • वरदान:-
  • All Blessings of 2021-22
    • महावीर बन हर समस्या का समाधान करने वाले सदा निर्भय और विजयी भव
    • जो महावीर हैं वह कभी यह बहाना नहीं बना सकते कि सरकमस्टांश ऐसे थे, समस्या ऐसी थी इसलिए हार हो गई।
    • समस्या का काम है आना और महावीर का काम है समस्या का समाधान करना न कि हार खाना।
    • महावीर वह है जो सदा निर्भय होकर विजयी बनें, छोटी-मोटी बातों में कमजोर न हो।
    • महावीर विजयी आत्मायें हर कदम में तन से, मन से खुश रहते हैं वे कभी उदास नहीं होते, उनके पास दु:ख की लहर स्वप्न में भी नहीं आ सकती।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021-22)
    • सर्व के प्रति सदा कल्याण की भावना रहे - यही ज्ञानी, योगी आत्मा के लक्षण हैं।