15-05-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति 18.01.91 "बापदादा" मधुबन

विश्व कल्याणकारी बनने के लिए सर्व स्मृतियों से सम्पन्न बन सर्व को सहयोग दो


 


  • आज समर्थ बाप अपने स्मृति स्वरूप बच्चों को देख हर्षित हो रहे हैं।
  • विश्व के देश एवं विदेश के सर्व बच्चे स्मृति दिवस मना रहे हैं।
  • आज का स्मृति दिवस बच्चों को अपने ब्राह्मण जीवन अर्थात् समर्थ जीवन की स्मृति दिलाते हैं क्योंकि ब्रह्मा बाप की जीवन कहानी के साथ ब्राह्मण बच्चों की भी जीवन कहानी है। निराकार बाप ने साकार ब्रह्मा के साथ ब्राह्मण रचे।
  • तब ही ब्राह्मणों द्वारा अविनाशी यज्ञ की रचना हुई।
  • ब्रह्मा बाप आप ब्राह्मणों के साथ-साथ स्थापना के निमित्त बने, तो ब्रह्मा बाप के साथ आदि ब्राह्मणों की भी जीवन कहानी है।
  • आदि देव ब्रह्मा और आदि ब्राह्मण दोनों का महत्व यज्ञ स्थापना में रहा।
  • अनादि बाप ने आदि देव ब्रह्मा द्वारा आदि ब्राह्मणों की रचना की।
  • और आदि ब्राह्मणों ने अनेक ब्राह्मणों की वृद्धि की।
  • यही स्थापना की, ब्रह्मा बाप की कहानी आज के स्मृति दिवस पर वर्णन करते हो।
  • स्मृति दिवस कहते हो तो सिर्फ ब्रह्मा बाप को याद किया वा ब्रह्मा बाप द्वारा जो बाप ने स्मृतियां दिलाई हैं वह सर्व स्मृतियां स्मृति में आई?
  • आदि से अब तक क्या-क्या और कितनी स्मृतियां दिलाई है - याद है?
  • अमृतवेले से लेकर रात तक भी सर्व स्मृतियों को सामने लाओ - एक दिन में पूरी हो जायेगी!
  • लम्बी लिस्ट है ना!
  • स्मृति सप्ताह भी मनाओ तो भी विस्तार ज्यादा है, क्योंकि सिर्फ रिवाइज़ नहीं करना है लेकिन रियलाइज़ करते हो इसलिए कहते ही हो स्मृति स्वरूप।
  • स्वरूप अर्थात् हर स्मृति की अनुभूति।
  • आप स्मृति स्वरूप बनते हो और भक्त सिर्फ सिमरण करते हैं।
  • तो क्या-क्या स्मृतियां अनुभव की हैं - इसका विस्तार तो बहुत बड़ा है।
  • जैसे बाप का परिचय कितना बड़ा है लेकिन आप लोग सार रूप में पांच बातों में परिचय देते हो।
  • ऐसे स्मृतियों के विस्तार को भी 5 बातों में भी सार रूप में लाओ कि आदि से अब तक बापदादा ने कितने नाम स्मृति में दिलाये!
  • कितने नाम होंगे!
  • विस्तार है ना।
  • एक-एक नाम को स्मृति में लाओ और स्वरूप बन अनुभव करो, सिर्फ रिपीट नहीं करना।
  • स्मृति स्वरूप बनने का आनन्द अति न्यारा और प्यारा है।
  • जैसे बाप आप बच्चों को नूरे रत्न नाम की स्मृति दिलाते हैं।
  • बाप के नयनों के नूर।
  • नूर की क्या विशेषता होती है, नूर का कर्तव्य क्या होता है, नूर की शक्ति क्या होती हैं?
  • ऐसी अनुभूतियां करो अर्थात् स्मृति स्वरूप बनो।
  • इसी प्रकार हर एक नाम की स्मृति अनुभव करते रहो।
  • यह एक दृष्टान्त रूप सुनाया।
  • ऐसे ही श्रेष्ठ स्वरूप की स्मृतियां कितनी हैं?
  • आप ब्राह्मणों के कितने रूप हैं जो बाप के रूप वह ब्राह्मणों के रूप हैं।
  • उन सभी रूपों के स्मृति की अनुभूति करो।
  • नाम, रूप, गुण - अनादि, आदि और अब, ब्राह्मण जीवन के सर्वगुण स्मृति स्वरूप बनो।
  • ऐसे ही कर्तव्य।
  • कितने श्रेष्ठ कर्तव्य के निमित्त बने हो!
  • उन कर्तव्यों की स्मृति इमर्ज करो।
  • पांचवी बात बापदादा ने अनादि-आदि देश की स्मृति दिलाई।
  • देश की स्मृति से वापस घर जाने की समर्थी आ गई, अपने राज्य में राज्य अधिकारी बनने की हिम्मत आ गई और वर्तमान संगमयुगी ब्राह्मण संसार में खुशियों के जीवन जीने की कला स्मृति में आ गई।
  • जीने की कला अच्छी रीति आ गई है ना?
  • दुनिया मरने की कला में तेज जा रही है और आप ब्राह्मण सुखमय खुशियों के जीवन की कला में उड़ रहे हो।
  • कितना अन्तर है!
  • तो स्मृति दिवस अर्थात् सर्व स्मृतियों के रूहानी नशे का अनुभव करना।
  • इस स्मृति दिवस पर दुनिया के समान आप सभी यह शब्द नहीं कहते कि ऐसे हमारा ब्रह्मा बाप था।
  • उन्होंने यह कहा था, यह किया था, दुनिया वाले था... था... करते हैं और दु:ख की लहर फैलाते हैं लेकिन आप ब्राह्मणों की यह विशेषता है - आप कहेंगे अब भी साथ है।
  • साथ का अनुभव करते हैं।
  • तो आप लोगों में यह विशेषता है।
  • आप ऐसे नहीं कहेंगे कि ब्रह्मा बाप चले गये।
  • जो वायदा किया है - साथ रहेंगे, साथ चलेंगे।
  • अगर आदि आत्मा भी वायदा नहीं निभाये तो कौन वायदा निभायेगा?
  • सिर्फ रूप और सेवा की विधि परिवर्तन हुई है।
  • आप सभी का लक्ष्य है - ‘फरिश्ता सो देवता।'
  • फरिश्ता रूप का सैम्पल ब्रह्मा बाप बना है।
  • सर्व बच्चों की पालना अब भी ब्रह्मा द्वारा ही हो रही है इसलिए ब्रह्मा कुमार और ब्रह्मा कुमारियां कहलाते हो। समझा?
  • स्मृति दिवस का महत्व क्या है?
  • इन स्मृतियों में सदा ही लवलीन रहो।
  • इसको ही कहते हैं - बाप समान बनने की अनुभूति।
  • आप आत्माओं ने बाप समान अनुभव किया।
  • इसी ‘समान' शब्द को लोगों ने ‘समाना' शब्द कह दिया है।
  • आत्मा परमात्मा में समा नहीं जाती, लेकिन बाप समान बनती है।
  • सभी बच्चों ने अपने-अपने नाम से स्मृति दिवस की याद भेजी है।
  • कई सन्देशी बनकर यादप्यार ले आये और हर एक कहता है मेरी खास याद देना।
  • तो एक एक को अलग याद पत्र लिखने की बजाए दिल से पत्र लिख रहे हैं।
  • हर एक के दिल का प्यार बापदादा के नयनों में, दिल में समाया हुआ है और अब विशेष समाया है।
  • खास याद करने वालों को बापदादा खास अब भी इमर्ज करके यादप्यार दे रहे हैं।
  • हर एक के दिल के उमंग और दिल की रूहरिहान, दिल के हाल-चाल, दिलाराम बाप के पास पहुँच गये।
  • बापदादा सभी बच्चों को यही स्मृति दिला रहे हैं कि सदा दिल के साथ हो, सेवा में साथ हो और स्थिति में सदा साक्षी हो।
  • तो सदा ही मायाजीत का झण्डा लहराता रहेगा।
  • सभी बच्चों को नथिंग न्यु का पाठ हर परिस्थिति में सदा स्मृति में रहे।
  • ब्राह्मण जीवन अर्थात् क्वेश्चन मार्क और आश्चर्य की रेखा हो नहीं सकती।
  • कितने बार यह समाचार भी सुना होगा।
  • नया समाचार है क्या? नहीं।
  • ब्राह्मण जीवन अर्थात् हर समाचार सुनते कल्प पहले की स्मृति में समर्थ रहे - जो होना है वह हो रहा है, इसलिए क्या होगा यह क्वेश्चन उठ नहीं सकता।
  • त्रिकालदर्शी हो, ड्रामा के आदि-मध्य-अन्त को जानने वाले हो तो क्या वर्तमान को नहीं जानते हैं?
  • घबराते तो नहीं हो ना!
  • ब्राह्मण जीवन में हर कदम में कल्याण है।
  • घबराने की बात नहीं है।
  • आप सबका कर्तव्य है अपने शान्ति की शक्ति से अशान्त आत्माओं को शान्ति की किरणें देना।
  • अपने ही आपके भाई-बहिन हैं, तो अपने ईश्वरीय परिवार के सम्बन्ध से सहयोगी बनो।
  • जितना ही युद्ध में तीव्र गति है, आप योगी आत्माओं का योग उन्हों को शान्ति का सहयोग देगा, इसलिए और विशेष समय निकाल शान्ति का सहयोग दो - यह है आप ब्राह्मण आत्माओं का कर्तव्य।
  • दादियों से अव्यक्त बापदादा की मुलाकात -
  • आदि ब्राह्मणों की माला ब्रह्मा बाप के साथ आदि ब्राह्मण निमित्त बने ना।
  • आदि ब्राह्मणों का बहुत बड़ा महत्व है।
  • स्थापना पालना और परिवर्तन।
  • विनाश शब्द थोड़ा ऑफिशल लगता है तो स्थापना, पालना और विश्व परिवर्तन करने में आदि ब्राह्मणों का विशेष पार्ट है।
  • शक्तियों की पूजा बहुत धूमधाम से होती है।
  • निराकार बाप व ब्रह्मा बाप की पूजा इतनी धूमधाम से नहीं होती।
  • ब्रह्मा के मन्दिर भी बहुत गुप्त ही हैं।
  • लेकिन शक्ति सेना भक्ति में भी नामीग्रामी है, इसलिए अन्त तक स्टेज पर विशेष बच्चों का पार्ट है।
  • ब्रह्मा का भी गुप्त पार्ट है - अव्यक्त रूप अर्थात् गुप्त।
  • ब्राह्मणों को तैयार किया और ब्रह्मा का पार्ट गुप्त हो गया।
  • सरस्वती को भी गुप्त दिखाते हैं क्योंकि उनका भी ड्रामा में गुप्त पार्ट चल रहा है।
  • आदि ब्राह्मण आत्माएं सभी एक दो के समीप और शक्तिशाली हैं। शरीर भी कमजोर नहीं है, शक्तिशाली है। (दादी जानकी से) यह तो थोड़ा सा बीच में रेस्ट दिलाने का साधन बन गया। बाकी कुछ भी नहीं है। वैसे तो रेस्ट करती नहीं हो। कोई कारण बनता है रेस्ट करने का। सभी दादियों में बहुत प्यार है ना!
  • बाप के साथ-साथ निमित्त आदि ब्राह्मणों से भी प्यार है।
  • तो आप सबके प्यार की दुवाएं, शुभ भावनाएं आदि ब्राह्मण आत्माओं को तन्दुरुस्त रखती है।
  • अच्छा है, साइलेन्स की सेवा का पार्ट अच्छा मिला है।
  • कितनी आत्माएं अशान्त हैं, कितनी प्रेयर कर रही हैं!
  • उन्हों को कुछ न कुछ अंचली तो देंगे ना?
  • देवियों से जाकर शक्ति मांगते हैं ना!
  • तो शक्ति देना आप विशेष आत्माओं का कर्तव्य है ना?
  • दिन प्रतिदिन यह अनुभव करेंगे कि कहाँ से शान्ति की किरणें आ रही है।
  • फिर ढूँढेंगे, सबकी नज़र भारत भूमि पर आयेगी। अच्छा।
  • अव्यक्त महावाक्य - पार्टियों के साथ
  • 1-
  • निश्चय बुद्धि विजयी आत्माएं हैं ऐसा अनुभव करते हो?
  • सदा निश्चय अटल रहता है?
  • वा कभी डगमग भी होते हो?
  • निश्चय-बुद्धि की निशानी है - वो हर कार्य में, चाहे व्यवहारिक हो, चाहे परमार्थी हो, लेकिन हर कार्य में विजय का अनुभव करेगा।
  • कैसा भी साधारण कर्म हो, लेकिन विजय का अधिकार उसको अवश्य प्राप्त होगा, क्योंकि ब्राह्मण जीवन का विशेष जन्म सिद्ध अधिकार विजय है।
  • कोई भी कार्य में स्वयं से दिलशिकस्त नहीं होगा, क्योंकि उसे निश्चय है कि विजय जन्म सिद्ध अधिकार है।
  • तो इतना अधिकार का नशा रहता है।
  • जिसका भगवान मददगार है उसकी विजय नहीं होगी तो किसकी होगी!
  • कल्प पहले का यादगार भी दिखाते हैं कि जहाँ भगवान है वहाँ विजय है।
  • चाहे पांच पाण्डव दिखाते हैं, लेकिन विजय क्यों हुई?
  • भगवान साथ है, तो जब कल्प पहले यादगार में विजयी बने हो तो अभी भी विजयी होंगे ना?
  • कभी भी कोई कार्य में संकल्प नहीं उठना चाहिए कि ये होगा, नहीं होगा, विजय होगी या नहीं, होगी... यह क्वेश्चन उठ नहीं सकता।
  • कभी भी बाप के साथ वाले की हार हो नहीं सकती।
  • यह कल्प-कल्प की नूँध निश्चित है।
  • इस भावी को कोई टाल नहीं सकता।
  • इतना दृढ़ निश्चय सदा आगे उड़ाता रहेगा।
  • तो सदा विजय की खुशी में नाचते गाते रहो।
  • 2-
  • सदा अपने को भाग्य विधाता के भाग्यवान बच्चे हैं, ऐसा अनुभव करते हो?
  • पद्मापद्म भाग्यवान हो या सौभाग्यवान हो?
  • जिसका इतना श्रेष्ठ भाग्य है वह सदा हर्षित रहेंगे क्योंकि भाग्यवान आत्मा को कोई अप्राप्ति है ही नहीं।
  • तो जहाँ सर्व प्राप्तियां होंगी, वहाँ सदा हर्षित होंगे।
  • कोई को अल्पकाल की लॉटरी भी मिलती है तो उसका चेहरा भी दिखाता है कि उसको कुछ मिला है।
  • तो जिसको पद्मापद्म भाग्य प्राप्त हो जाए वह क्या रहेगा?
  • सदा हर्षित।
  • ऐसे हर्षित रहो जो कोई भी देखकर पूछे कि क्या मिला है?
  • जितना-जितना पुरुषार्थ में आगे बढ़ते जायेंगे उतना आपको बोलने की भी आवश्यकता नहीं रहेगी।
  • आपका चेहरा बोलेगा कि इनको कुछ मिला है, क्योंकि चेहरा दर्पण होता है।
  • जैसे दर्पण में जो चीज जैसी होती है, वैसी दिखाई देती है।
  • तो आपका चेहरा दर्पण का काम करे।
  • इतनी आत्माओं को जो सन्देश मिला है तो इतना समय कहाँ मिलेगा जो आप लोग बैठकर सुनाओ।
  • समय भी नाजुक होता जायेगा, तो सुनाने का भी समय नहीं मिलेगा।
  • तो फिर सेवा कैसे करेंगे?
  • अपने चेहरे से।
  • जैसे म्युजियम के चित्रों से सेवा करते हो।
  • चित्र देखकर प्रभावित होते हैं ना।
  • तो आपका चैतन्य चित्र सेवा के निमित्त बन जाये, ऐसे तैयार चित्र हो?
  • इतने चैतन्य चित्र तैयार हो जायें तो आवाज बुलन्द कर देंगे।
  • सदैव चलते-फिरते, उठते-बैठते यह स्मृति रखो कि हम चैतन्य चित्र हैं।
  • सारे विश्व की आत्माओं की हमारे तरफ नज़र है।
  • चैतन्य चित्र में सबके आकर्षण की बात कौन सी होती है?
  • सदा खुशी होगी।
  • तो सदा खुश रहते हो या कभी उलझन आती है?
  • या वहाँ जाकर कहेंगे - यह हो गया इसलिए खुशी कम हो गई।
  • क्या भी हो जाये, खुशी नहीं जानी चाहिए।
  • ऐसे पक्के हो?
  • अगर बड़ा पेपर आये तो भी पास हो जायेंगे?
  • बापदादा सबका फोटो निकाल रहे हैं कि कौन-कौन हाँ कह रहा है।
  • ऐसे नहीं कहना कि उस समय कह दिया।
  • मास्टर सर्वशक्तिवान के आगे वैसे कोई भी बड़ी बात नहीं है।
  • दूसरी बात आपको निश्चय है कि हमारी विजय हुई ही पड़ी है, इसलिए कोई बड़ी बात नहीं है।
  • जिसके पास सर्वशक्तियों का खजाना है तो जिस भी शक्ति को ऑर्डर करेंगे वह शक्ति मददगार बनेगी।
  • सिर्फ आर्डर करने वाला हिम्मत वाला चाहिए।
  • तो आर्डर करना आता है या आर्डर पर चलना आता है?
  • कभी माया के आर्डर पर तो नहीं चलते हो?
  • ऐसे तो नहीं कि कोई बात आती है और समाप्त हो जाती है, पीछे सोचते हो - ऐसे करते थे तो बहुत अच्छा होता। ऐसे तो नहीं?
  • समय पर सर्वशक्तियां काम में आती हैं या थोड़ा पीछे से आती हैं?
  • अगर मास्टर सर्वशक्तिवान की सीट पर सेट हो तो कोई भी शक्ति आर्डर नहीं माने यह हो नहीं सकता।
  • अगर सीट से नीचे आते हो और फिर आर्डर करते हो तो वो नहीं मानेंगे।
  • लौकिक रीति से भी कोई कुर्सी से उतरता है तो उसका आर्डर कोई नहीं मानता।
  • अगर कोई शक्ति आर्डर नहीं मानती है तो अवश्य पोज़ीशन की सीट से नीचे आते हो।
  • तो सदा मास्टर सर्वशक्ति-वान की सीट पर सेट रहो, सदा अचल अडोल रहो, हलचल में आने वाले नहीं।
  • बापदादा कहते हैं शरीर भी चला जाये लेकिन खुशी नहीं जाये।
  • पैसा तो उसके आगे कुछ भी नहीं है।
  • जिसके पास खुशी का खजाना है उसके आगे कोई बड़ी बात नहीं और बापदादा सदा सहयोगी सेवाधारी बच्चों के साथ है।
  • बच्चा बाप के साथ है तो बड़ी बात क्या है?
  • इसलिए घबराने की कोई बात नहीं।
  • बाप बैठा है, बच्चों को क्या फिकर है। बाप तो है ही मालामाल।
  • किसी भी युक्ति से बच्चों की पालना करनी ही है, इसलिए बेफिकर।
  • दु:खधाम में सुखधाम स्थापन कर रहे हो तो दु:खधाम में हलचल तो होगी ही। गर्मी की सीज़न में गर्मी होगी ना!
  • लेकिन बाप के बच्चे सदा ही सेफ हैं, क्योंकि बाप का साथ है।
  • सर्व बच्चों प्रति बापदादा का सन्देश - सर्व तपस्वी बच्चों प्रति यादप्यार।
  • देखो बच्चे, समय के समाचार सुनते ऊंचे ते ऊंचे साक्षीपन के आसन और बेफिकर बादशाह के सिंहासन पर बैठ सब खेल देख रहे हो ना?
  • इस ब्राह्मण जीवन में घबराने का तो स्वप्न में भी संकल्प उठ नहीं सकता।
  • यह तो तपस्या वर्ष के निरन्तर लगन की अग्नि में बेहद की वैराग्य-वृत्ति प्रज्जवलित करने का पंखा लग रहा है।
  • आपने बाप समान सम्पन्न बनने का संकल्प किया अर्थात् विजय का झण्डा लहराने का प्लान बनाया, तो दूसरे तरफ समाप्ति की हलचल भी तो साथ-साथ नूँधी है ना?
  • रिहर्सल ही ड्रामा के रील को समाप्त करने का साधन है, इसलिए नथिंग न्यु।
  • समय के सरकमस्टांस प्रमाण आने-जाने में व किसी वस्तु के मिलने में कुछ खींचातान हो, मन के संकल्प की खींचातान में नहीं आना।
  • जहाँ जिस परिस्थिति में रहो, दिलखुश मिठाई खाते रहो।
  • खुशहाल रहो, फरिश्तों की चाल में उड़ो।
  • साथ-साथ इस समय हरेक सेन्टर पर विशेष तपस्या का प्रोग्राम चलता रहे।
  • जो जितना ज्यादा समय निकाल सकते हैं, उतना साइलेन्स का सहयोग दो। अच्छा। ओम् शान्ति।
  • अच्छा। सर्व स्मृति स्वरूप श्रेष्ठ आत्माओं को सदा बाप समान बनने के लक्ष्य और लक्षण धारण करने वाली आत्माओं को, सदा स्वयं को बाप के साथ अनुभव करने वाले समीप आत्माओं को, सदा नथिंग न्यु पाठ को सहज स्वरूप में लाने वाले, सदा विश्व कल्याणकारी बन विश्व की आत्माओं को सहयोग देने वाले - ऐसे सदा विजयी रत्नों को बापदादा का यादप्यार और नमस्ते।
  • वरदान:-
  • ( All Blessings of 2021-22)
    • सर्व खजानों से सम्पन्न बन हर समय सेवा में बिजी रहने वाले विश्व कल्याणकारी भव
    • विश्व कल्याण के निमित्त बनी हुई आत्मा पहले स्वयं सर्व खजानों से सम्पन्न होगी।
    • अगर ज्ञान का खजाना है तो फुल ज्ञान हो, कोई भी कमी नहीं हो तब कहेंगे भरपूर।
    • किसी-किसी के पास खजाना फुल होते हुए भी समय पर कार्य में नहीं लगा सकते, समय बीत जाने के बाद सोचते हैं, तो उन्हें भी फुल नहीं कहेंगे।
    • विश्व कल्याणकारी आत्मायें मन्सा, वाचा, कर्मणा, सम्बन्ध-सम्पर्क में हर समय सेवा में बिजी रहती हैं।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021-22)
    • ज्ञान और योग की नेचर बना लो तो हर कर्म नेचरल श्रेष्ठ और युक्तियुक्त होगा।
    • सूचना-
    • आज मास का तीसरा रविवार है, सभी राजयोगी तपस्वी भाई बहिनें सायं 6.30 से 7.30 बजे तक, विशेष योग अभ्यास के समय अपने पूर्वज पन के स्वमान में स्थित हो, कल्प वृक्ष की जड़ों में बैठ पूरे वृक्ष को शक्तिशाली योग का दान देते हुए, अपनी वंशावली की दिव्य पालना करें।