28-04-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन



"मीठे बच्चे - अब वापिस घर चलना है इसलिए देह का भान छोड़ते जाओ, मैं इतना अच्छा हूँ, धनवान हूँ, यह सब छोड़ अपने को आत्मा समझो''


 

प्रश्नः-

किस निश्चय वा धारणा के आधार पर तुम बच्चे अपनी बहुत ऊंची तकदीर बना सकते हो?

उत्तर:-

पहला निश्चय चाहिए कि हम आत्मा हैं।

अभी हमें शरीर छोड़कर वापिस घर जाना है, इसलिए इस दुनिया से दिल नहीं लगानी है।

2. हमको पढ़ाने वाला और साथ ले जाने वाला शिवबाबा है, उनकी श्रीमत पर हमें चलना है।

श्रीमत पर चल अपना वा अपने मित्र सम्बन्धियों का कल्याण करना है।

जो बच्चे श्रीमत पर नहीं चलते या जिन्हें पढ़ाने वाले बाप में निश्चय नहीं वह कोई काम के नहीं।

वह चलते-चलते गुम हो जाते हैं।

ऊंच तकदीर बना नहीं सकते।

 

गीत:-ओम् नमो शिवाए....


  • ओम् शान्ति।
  • बच्चे बैठे हो और जानते हो कि बाबा के सामने बैठे हैं।
  • कोई संन्यासी, उदासी मित्र सम्बन्धी आदि के सामने तो नहीं बैठे हैं।
  • जानते हो कि हम बरोबर अति मीठे बाप जिसको हम जन्म-जन्मान्तर याद करते हैं, उनके सम्मुख बैठे हैं।
  • हम भी उनके जीते जी बच्चे बने हैं।
  • संन्यासियों के तो फालोअर्स बनते हैं।
  • रहते तो अपने घर में हैं ना।
  • वह फालोअर्स कहलाते हैं, परन्तु फॉलो नही करते हैं।
  • तुम बच्चों को फॉलो करना है।
  • बुद्धि में यह याद रहे कि हम आत्मा हैं, जहाँ बाबा जायेंगे वहाँ हम जायेंगे।
  • निराकार बाबा परमधाम से यहाँ आये हैं पतितों को पावन बनाने।
  • आयेंगे तो पतित दुनिया में, पतित शरीर में।
  • जो पहले नम्बर में पावन था, जिसने 84 जन्म भोगे हैं, उनमें ही बैठकर यह सब समझाते हैं।
  • यहाँ बहुत बच्चे बैठे हैं।
  • टीचर कोई एक को पढ़ायेंगे क्या?
  • भगवानुवाच सिर्फ अर्जुन प्रति, ऐसा तो हो न सके।
  • बच्चे जानते हैं हम आत्मायें बाप के सामने बैठी हैं।
  • और कोई भी सतसंग में ऐसा नहीं समझेंगे।
  • तुमको समझाया जाता है कि तुम्हें अभी वापिस चलना है।
  • शरीर को तो यहाँ ही छोड़ना है, इसलिए देह का भान छोड़ते जाओ।
  • मैं इतनी अच्छी हूँ, धनवान हूँ, यह सब छोड़ना है।
  • मैं आत्मा हूँ, यह निश्चय करना है।
  • बाप को याद करते-करते बाप के साथ चल पड़ना है।
  • शिवबाबा कहते हैं मुझे तो देह का अभिमान हो न सके क्योंकि मुझे अपनी देह तो है नहीं।
  • तुमको भी पहले यह देह-अभिमान थोड़ेही था।
  • जब तुम आत्मा मेरे पास थी फिर तुमने 84 जन्म पार्ट बजाया।
  • तुम कहेंगे हमने राज्य भाग्य लिया था, फिर हराया।
  • अब फिर तुमको मुक्ति-धाम वापिस ले चलने आया हूँ।
  • शरीरों को तो नहीं ले जाऊंगा।
  • यह पुराना शरीर है, इसका भान तो बुद्धि से तोड़ना है।
  • रहना भी अपने गृहस्थ व्यवहार में है।
  • यह कोई संन्यास मठ नहीं है।
  • अपने घरबार को भी सम्भालना है, वह तो छोड़ करके जाते हैं।
  • बाप बच्चों से छुड़ाते नहीं हैं।
  • बाप कहते हैं तुम अपने बच्चों को याद दिलाओ कि शिवबाबा को याद करो।
  • समझाते रहो तो उनको भी शिवबाबा से प्यार हो जाए।
  • शिव-बाबा कितना मीठा और प्यारा है।
  • सबको यहाँ बिठा देवे तो बच्चों को कौन सम्भालेगा।
  • ऐसे यहाँ बहुत बच्चे हैं - जो यहाँ से शरीर छोड़कर जाते हैं फिर दूसरा जन्म लेकर आयेंगे बाप से वर्सा लेने, मिलेंगे भी।
  • यह निश्चय होना चाहिए कि हम आत्मा हैं।
  • यह शरीर छोड़कर वापिस जाना है।
  • यहाँ हमारी दिल नहीं लगती।
  • संन्यासी लोग कहते हैं ब्रह्म तत्व में लीन हो जायेंगे।
  • अनेक मत मतान्तर हैं, यहाँ तो एक ही बाप है।
  • बाप आया है हम बच्चों को वापिस ले चलने।
  • सतयुग में यह सब धर्म नहीं थे।
  • अभी सतयुग स्थापन हो रहा है।
  • अभी बाबा रीइनकारनेट हुआ है।
  • तुम अभी रिज्युवनेट हो रहे हो।
  • रीइनकारनेशन एक के लिए कहेंगे।
  • बहुत बच्चे लिखते हैं, बाबा हमारी जीवन में अच्छा ही परिवर्तन आया है।
  • कभी थोड़ा क्रोध आ जाता है।
  • हाँ बच्चे यह तो होगा ही।
  • बीमारी कोई फट से छूट जाती है क्या?
  • सब गुण निकलते-निकलते निर्गुण बन गये हो।
  • अभी सर्वगुणवान बनना है।
  • तुमको अथाह धन मिलता है।
  • वहाँ लोभ की तो बात ही नहीं है।
  • यहाँ लोभ वश कितनी चोरी आदि करते हैं।
  • ऑफीसरों की गफलत से अनाज के गोदाम खराब हो जाते हैं, फिर जला देते हैं।
  • यहाँ तो मनुष्य भूख मरते हैं।
  • तुम समझते हो कि हमको शिवबाबा पढ़ाते हैं।
  • पहले जब तक किसको यह निश्चय नहीं कि शिवबाबा हमको पढ़ाते हैं तो कोई काम का ही नहीं।
  • बाबा ने समझाया तुम्हारी आत्मा पतित बनी है।
  • अभी पावन बन रही है।
  • श्रीमत पर जरूर चलना है।
  • अपनी मत नहीं चलानी है।
  • मित्र सम्बन्धियों का श्रीमत से कल्याण करना है।
  • चिट्ठी लिखनी है।
  • श्रीमत से नहीं लिखेंगे तो अकल्याण करेंगे।
  • बहुत हैं जो छिपाकर चिट्ठी लिखते हैं।
  • बाबा शिक्षक बैठे हैं, तो बाबा को बताना चाहिए।
  • बाबा तुमको ऐसी चिट्ठी लिखनी सिखायेंगे जो पढ़ने वाले का रोमांच खड़ा हो जाए।
  • बाबा मना नहीं करते हैं, तोड़ निभाना है।
  • नहीं तो चैरिटी बिगन्स एट होम कैसे होंगे।
  • कई हैं जो श्रीमत पर नहीं चलते तो गुम हो जाते हैं।
  • तकदीर में नहीं है तो चल न सकें।
  • ऐसे बहुत पुरुष आते हैं - जिनकी स्त्रियाँ नहीं आती हैं।
  • मानती नहीं हैं।
  • शिवबाबा लिखते हैं तुम तो कमजोर हो।
  • उनको भी समझाओ।
  • तुमने तो प्रतिज्ञा की थी कि आज्ञा मानेंगी।
  • तुम अपनी स्त्री को ही वश नहीं कर सकते हो तो विकारों को वश कैसे कर सकेंगे।
  • तुम्हारा फर्ज है स्त्री को अपने हाथ में रखना, प्यार से समझाना।
  • शास्त्रों में यह सब इस समय की बातें लिखी हुई हैं।
  • तुम ब्राह्मण भी पहले बुद्धू थे।
  • अब बाबा ने बुद्धिवान बनाया है।
  • तुम जानते हो शिवबाबा ने 5 हजार वर्ष पहले ऐसा ही पार्ट बजाया होगा।
  • ऐसे ही समझाया होगा और यह ब्रह्मा भी जान गये हैं।
  • तुम अभी पुरुषार्थ कर रहे हो।
  • जो अच्छी रीति सर्विस करेंगे वही फरिश्ता बन जायेंगे।
  • अगर हिसाब-किताब रह जाता है तो सजा खानी पड़ेगी।
  • अभी तुम सम्मुख बैठे हो।
  • शिवबाबा तुमको सुनाते हैं।
  • ऐसे मत समझो ब्रह्मा सुनाते हैं।
  • शिवबाबा कहते हैं बच्चे अब नाटक पूरा होने वाला है।
  • तुम मेरे से योग लगाओ तो पवित्र बन जायेंगे।
  • तुम जानते हो अब साजन लेने आया है और तुमको पढ़ाते भी हैं।
  • कितना वन्डर है।
  • तुम कितने सौभाग्यशाली हो तो एक की श्रीमत पर चलना चाहिए ना।
  • कहते हैं तुम सबसे श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ हो।
  • मैं श्री श्री हूँ।
  • तुमको श्री-श्री श्रेष्ठ बनाता हूँ।
  • श्रेष्ठ दुनिया बनाता हूँ।
  • यहाँ कितने पतित हैं और अपने ऊपर श्री का टाइटिल रखाते हैं।
  • तुम रावण पर विजय प्राप्त करते जाते हो।
  • तुम्हारी आत्मा रूपी सुई पर कट लग गई है।
  • अब चुम्बक आकर साफ करते हैं।
  • साफ होंगे तो साथ चलेंगे कट उतारने के लिए बाप को याद करो।
  • मातायें श्रीकृष्ण के मुख में माखन देखती हैं।
  • वह है स्वर्ग रूपी माखन।
  • दो बिल्ले आपस में लड़ते हैं, माखन श्रीकृष्ण को ही मिलेगा।
  • श्रीकृष्ण अकेला थोड़ेही राज्य करेगा।
  • सूर्यवंशी, चन्द्रवंशी घराना चलता है।
  • उसके बाद फिर राजाओं का घराना आ जाता है।
  • वह भी बहुत पुराने चलते रहते हैं।
  • पीछे प्रजा का प्रजा पर राज्य होता है।
  • अभी तुम जानते हो कि बाबा ने हमको पार्ट बजाने भेजा था।
  • स्वर्ग में हम बहुत सुखी थे।
  • 21 जन्म का वर्सा भारत में ही गाया जाता है।
  • वह कन्यायें 21 जन्मों के लिए वर्सा दिलाती हैं।
  • बाबा कितनी अच्छी रीति समझाते हैं तो भी किसी-किसी के पुराने सड़े हुए अवगुण निकलते नहीं हैं।
  • बाबा बड़ा मार्शल भी है।
  • बाबा के साथ धर्मराज भी है।
  • अगर श्रीमत पर न चले तो उनका राइट हैण्ड धर्मराज भी है।
  • बाबा की गोद में जन्म लिया फिर वहाँ जाकर मर जाते हैं, तो कितना घाटा पड़ जाता है।
  • श्रीमत पर नहीं चलते तो मर जाते हैं।
  • कितना समझाते हैं कि सिर्फ बुद्धि से समझो बाबा हम आपके हैं।
  • इस समय दुनिया सारी पत्थरबुद्धि है।
  • यह बाबा भी कहते हैं हमने शास्त्र आदि पढ़े थे, जानते कुछ नहीं थे।
  • अगर कोई कहे मुझे यह शिक्षा गुरू से मिली है तो क्या गुरू से शिक्षा एक को ही मिलती है क्या?
  • गुरू के फालोअर्स तो बहुत होते हैं।
  • अगर गुरू की शिक्षा ली होती तो गुरू की पदवी भी ली होती।
  • यह तो बात ही निराली है।
  • शिवबाबा इनके द्वारा शिक्षा दे, सबसे बुद्धियोग हटवाते हैं।
  • एक ही धक से सब कुछ छुड़ा दिया।
  • बहुत बच्चों ने भी ऐसे ही किया।
  • भट्ठी बननी थी, पाकिस्तान में बच्चों की कितनी सम्भाल हुई।
  • बुद्धिवानों की बुद्धि बाबा बैठा था।
  • हम पाकिस्तान गवर्मेन्ट को कहते थे अनाज अच्छा नहीं मिलता।
  • झट ऑफीसर कह देते जो चाहिए सो पसन्द कर ले जाओ।
  • बुद्धि का ताला खोलने वाला बाबा था।
  • सहन तो कुछ करना होता है।
  • कुमारियाँ कितनी मार खाती हैं।
  • कितना याद करती हैं।
  • बाबा कमाल है आपकी कि हमको ईश्वरीय लाटरी मिलती है।
  • कितना बच्चों को मीठा बनना है, प्यार से चलना है।
  • घर वालों को भी उठाना है।
  • रचयिता अगर भाग जाय तो रचना का क्या हाल होगा।
  • यहाँ संन्यासियों का यह पार्ट था, उस समय पवित्रता की दरकार थी।
  • यह सारा खेल बना हुआ है।
  • सारी राजधानी यहाँ स्थापन हो रही है।
  • सतयुग में पतितों को पावन नहीं बनायेंगे।
  • यह सगंमयुग ही मशहूर है।
  • बाबा कहते हैं मैंने आगे भी कहा था कि कल्प, कल्प के संगमयुगे आता हूँ।
  • उन्होंने फिर युगे-युगे, कच्छ मच्छ अवतार लिख दिया है।
  • मनुष्य भी सत सत करते रहते हैं। रावण-राज्य है ना।
  • संन्यासी सदैव शान्ति मांगते हैं, सुख को नहीं मानेंगे।
  • कहेंगे ज्ञान ठीक नहीं है।
  • दुनिया में सुख है कहाँ।
  • राम था तो रावण भी था।
  • कृष्ण था तो कंस भी था, और स्वर्ग में अपार सुख था।
  • कृष्ण को इतना प्यार करते हैं।
  • वह तो स्वर्ग में ही मिलेगा।
  • यह तो अभी तुम्हारी मनोकामना पूर्ण होती है।
  • तुम जानते हो बाबा कृष्णपुरी में ले चलने के लिए पुरुषार्थ करा रहे हैं।
  • तो बाबा के साथ सच्चाई-सफाई बहुत चाहिए।
  • छिपाने से बहुत नुकसान होता है।
  • न सुनाने के कारण भूल वृद्धि को पाती रहती है।
  • बाबा कदम-कदम पर श्रीमत देते हैं फिर भी कोई राय पर न चले तो बाबा क्या करे।
  • बाबा समझाते हैं तुम ईश्वरीय सन्तान में बड़ी रॉयल्टी और सयानापन चाहिए।
  • बहुत प्यार से तुम्हें सबको बाप की पहचान देनी है।
  • पूछते हैं परमपिता परमात्मा के साथ तुम्हारा क्या सम्बन्ध है?
  • वह तो स्वर्ग का रचयिता है तो स्वर्ग के मालिकपने का वर्सा होना चाहिए।
  • तुमको वर्सा था, हरा दिया फिर तुमको देते हैं।
  • यह लक्ष्मी-नारायण यहाँ का लक्ष्य है।
  • बाप जरूर सतयुग का ही राज्य भाग्य देंगे।
  • तुम बच्चों को सर्विस करनी चाहिए।
  • सबको जीयदान देना है - 21 जन्म के लिए।
  • तुम ही महान पुण्य आत्मा हो।
  • तुम्हारे जैसी पुण्य आत्मा कोई हो न सके।
  • पुण्य की दुनिया में तुम चलने वाले हो, बहुत मीठा बनना है।
  • यह है पतित-पावन बाप और दादा।
  • बच्चों को वेश्यालय से निकाल शिवालय में ले चलने लिए आये हैं, इनको रौरव नर्क भी कहते हैं।
  • यहाँ दु:ख ही दु:ख है।
  • बाबा आया है दु:खधाम से निकाल सुखधाम में ले चलने के लिए।
  • हम ऐसे पारलौकिक मात-पिता से सदा सुख लेने के लिए, मिलने के लिए आये हैं।
  • यह बहुत खुशी की बात है।
  • तुम्हारे को खुशी है कि हम शिवालय स्थापन करने वाले भोलानाथ भण्डारी बाबा के पास जाते हैं।
  • याद भी शिव को करना है, रथ को नहीं करना है।

  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) बाप के साथ सदा सच्चा रहना है, कुछ भी छिपाना नहीं है।
  • बहुत-बहुत रॉयल्टी और समझदारी से चलना है।
  • 2) 21 जन्मों के लिए हर एक को जीयदान देने की सेवा कर पुण्य आत्मा बनना है।
  • आत्मा रूपी सुई पर जो कट चढ़ी हुई है।
  • उसे याद की यात्रा में रह उतारना है।
  • वरदान:-
  • All Blessings of 2021-22
    • स्नेह की उड़ान द्वारा समीपता का अनुभव करने वाले पास विद आनर भव
    • स्नेह की शक्ति से सभी बच्चे आगे बढ़ते जा रहे हैं।
    • स्नेह की उड़ान तन से, मन से वा दिल से बाप के समीप लाती है।
    • ज्ञान, योग, धारणा में यथाशक्ति नम्बरवार हैं लेकिन स्नेह में हर एक नम्बरवन हैं।
    • स्नेह में सभी पास हैं।
    • स्नेह का अर्थ ही है पास रहना और पास होना वा हर परिस्थिति को सहज ही पास कर लेना।
    • ऐसे पास रहने वाले ही पास विद आनर बनते हैं।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021-22)
    • माया और प्रकृति के तूफानों में सेफ रहना है तो दिलतख्तनशीन बन जाओ।