18-04-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन



"मीठे बच्चे - निश्चय करो, हमारा जो कुछ है सो बाप का है, फिर ट्रस्टी होकर सम्भालो तो सब पवित्र हो जायेगा, तुम्हारी पालना शिवबाबा के भण्डारे से होगी''


 

प्रश्नः-

शिवबाबा पर पूरा बलि चढ़ने के बाद कौन सी सावधानी रखना बहुत जरूरी है?

उत्तर:-

तुम जब बलि चढ़े तो सब कुछ शिवबाबा का हो गया फिर कदम-कदम पर राय लेनी पड़े।

अगर कोई कुकर्म किया तो बहुत पाप चढ़ जायेगा।

जो पैसा शिवबाबा का हो गया, उससे कोई पाप कर्म कर नहीं सकते क्योंकि एक-एक पैसा हीरे मिसल है, इसकी बहुत सम्भाल करनी है।

कुछ भी व्यर्थ न जाये।

बाबा तुम्हारा कुछ लेते नहीं लेकिन जो पैसा तुम्हारे पास है, वह मनुष्यों को कौड़ी से हीरे जैसा बनाने की सेवा में लगाना है।

 

गीत:-आज अन्धेरे में है इन्सान.....


  • ओम् शान्ति।
  • यह है भक्ति वालों के लिए गीत।
  • तुम तो यह गीत नहीं गा सकते हो क्योंकि कहते भी हैं भगवान आकर पहचान दो।
  • प्रभु ही आकर अपनी पहचान देते हैं।
  • प्रभु, ईश्वर, भगवान बात एक ही हो जाती है।
  • प्रभु के बदले तुम कहते हो बाबा, तो बिल्कुल सहज हो जाता है।
  • “बाबा'' अक्षर फैमिली का है।
  • सारी रचना है ही बाप की, तो सब बच्चे हो गये।
  • बाप कहना बड़ा सहज है।
  • सिर्फ प्रभु वा गॉड कहने से बाप नहीं समझते।
  • यह बाप का लव अथवा बाप की जायदाद का भी पता नहीं लगता।
  • बाप तो स्वर्ग रचते हैं।
  • इतनी थोड़ी सी बात को भी कोई समझते नहीं हैं।
  • आधाकल्प धक्के खाने में लग जाते हैं।
  • बाबा आकर चपटी में (सेकण्ड में) पहचान देते हैं।
  • बाबा के सामने बच्चे बैठे भी हैं फिर भी चलते-चलते निश्चय टूट पड़ता है।
  • अगर पक्का निश्चय हो तो सच्चे-सच्चे ब्राह्मण बन जायें।
  • हम हैं ही शिवबाबा के पोत्रे, बाबा के घर के हो गये।
  • समझते हैं - हम ब्राह्मण शिवबाबा के भण्डारे से खाते हैं।
  • ब्राह्मण हो गये तो ब्राह्मणों का ही ब्रह्मा भोजन हो गया।
  • शिवबाबा के भण्डारे का भोजन हो गया, यह निश्चय होना चाहिए।
  • हम हैं ही शिवबाबा के।
  • फारकती की बात ही नहीं।
  • हम ब्राह्मण हैं शिवबाबा के बच्चे।
  • हमारा सब कुछ बाबा का है और बाप का सब कुछ हमारा है।
  • व्यापारियों को हिसाब करना चाहिए।
  • हमारा सब कुछ बाप का है और बाप का सब कुछ हमारा है तो तराजू किसकी भारी हुई?
  • हमारे पास तो कखपन है और हम कहते हैं बाबा का राज्य हमारा है।
  • तो फ़र्क है ना।
  • तुम जानते हो हम ईश्वर से विश्व का मालिक बन जाते हैं।
  • हमारे पास जो कुछ है वह दे देते हैं बाप को।
  • बाप फिर कहते हैं बच्चे तुम ही ट्रस्टी होकर सम्भालो।
  • समझो यह शिवबाबा का है।
  • अपने को भी शिवबाबा का बच्चा समझकर चलो, तो सब कुछ पवित्र हो गया।
  • घर में जैसे ब्रह्मा भोजन होता है।
  • शिवबाबा का भण्डारा हो जाता क्योंकि ब्राह्मण ही बनाते हैं।
  • यूँ तो सब कहते हैं ईश्वर का दिया हुआ है, परन्तु यहाँ तो बाप सम्मुख आया है।
  • जब हम उनके ऊपर बलिहार जायेंगे।
  • हम एक बार बलिहार गये तो वह शिवबाबा का भण्डारा हो गया।
  • उनको ही ब्रह्मा भोजन कहा जाता है।
  • समझा जाता है हम जो खाते हैं वह शिव के भण्डारे का है।
  • पवित्र तो जरूर रहना ही है।
  • भोजन भी पवित्र हो जाता है परन्तु जब बलिहार जाये ना।
  • देना भी कुछ नहीं है, सिर्फ वारी जाना है।
  • बाबा यह सब कुछ आपका है।
  • अच्छा बच्चे ट्रस्टी होकर सम्भालो।
  • शिवबाबा का समझ कर खायेंगे तो जैसे शिवबाबा के भण्डारे से खाते हो।
  • अगर शिवबाबा को भूल गये तो फिर वह पवित्र हो न सके।
  • तुम बच्चों को अपना घरबार भी सम्भालना है।
  • परन्तु अपने को ट्रस्टी समझ घर में बैठे भी शिवबाबा के भण्डारे का ही खाते हो।
  • जो भी बलिहार हुए वह शिवबाबा का हो गया।
  • कुछ भी समझ में न आये तो पूछो।
  • ऐसे नहीं शिवबाबा के खजाने से खर्च कर कोई पाप कर दो।
  • शिवबाबा के पैसे से पुण्य करना है।
  • एक-एक पैसा हीरे मिसल है।
  • उनसे बहुतों का कल्याण होना है, इसलिए बहुत सम्भाल करनी है।
  • कुछ भी फालतू न जाये क्योंकि इस पैसे से मनुष्य कौड़ी से हीरे जैसा बनता है।
  • बाबा कहते हैं हमारा भी तुम्हारा है।
  • एक ही बाप है जो निष्कामी है।
  • सब बच्चों की सेवा करते हैं।
  • बाप कहते हैं मैं क्या करूँगा, सब कुछ तुम्हारा ही है।
  • तुम ही राज्य करेंगे।
  • हमारा पार्ट ही ऐसा है, जो तुम बच्चों को सुखी करता हूँ। श्रीमत भी मिलती रहती है।
  • कोई कन्या शादी करने चाहती है तो कहेंगे ज्ञान में नहीं आती है तो जाने दो।
  • बच्चा अगर आज्ञाकारी नहीं है तो वर्से का हकदार नहीं है।
  • श्रीमत पर नहीं चलते तो श्रेष्ठ नहीं, हकदार नहीं।
  • फिर सजा भी खानी पड़ेगी।
  • बाप की आज्ञा है अन्धों की लाठी बनो।
  • वह तो कुछ भी समझते नहीं।
  • तुम जानते हो हम भी पहले बिल्कुल बन्दर मिसल पतित थे।
  • बाबा ने अब हमारी सेना ली है।
  • हमको शिक्षा देकर मन्दिर लायक बना रहे हैं, विश्व का मालिक बनाते हैं।
  • बाकी सबको सजायें देकर मुक्तिधाम में भेज देते हैं।
  • बेहद के बाप की सब बातें बेहद की हैं।
  • एक राम-सीता की बात नहीं।
  • बाप बैठ सब शास्त्रों का सार समझाते हैं।
  • मनुष्य पढ़ते तो बहुत हैं परन्तु समझते कुछ भी नहीं।
  • तो वह जैसे पढ़ा न पढ़ा हो जाता है।
  • पढ़ते-पढ़ते और ही कलायें कम होते पतित भ्रष्टाचारी बन पड़े हैं।
  • कहते हैं पतित-पावन आओ।
  • फिर गंगा में खड़े होकर कहते हैं दान करो।
  • अरे हमको तो पावन बनना है, इसमें दान की क्या बात है।
  • गंगा के पानी में दान करते हैं।
  • बड़े-बड़े राजायें अशर्फी फेंकते हैं, फिर पुजारी लोग आजीविका के लिए कुछ न कुछ सुनाते हैं।
  • तुम्हारी तो 21 जन्मों की आजीविका बाप बना देते हैं।
  • बाप कितना अच्छी रीति समझाकर पावन बनाते हैं।
  • भारत ही पावन था, अब पतित बना है।
  • बाबा बैठ तुम बच्चों को परिचय देते हैं कि तुम जो भी ब्राह्मण हो, सरेन्डर हो तो तुम शिवबाबा के भण्डारे से खाते हो।
  • सरेन्डर नहीं हो तो आसुरी भण्डारे से खाते हो।
  • बाबा ऐसे थोड़ेही कहते हैं अपनी जिम्मेवारी आदि यहाँ ले आओ, सम्भालो तुम परन्तु ट्रस्टी होकर।
  • निश्चयबुद्धि हो तो तुम जैसे शिवबाबा के भण्डारे से खाते हो।
  • तुम्हारा हृदय शुद्ध होता जायेगा।
  • गाते भी हैं ब्राह्मण देवी-देवता नम:, यही ब्राह्मण नम: करने लायक हैं।
  • तुम जानते हो ब्रह्मा द्वारा बाबा हमको शूद्र से ब्राह्मण बनाते हैं।
  • कल्प-कल्प बाबा हमको आकर रावण राज्य से छुड़ाकर सुखी बनाते हैं।
  • वहाँ दु:ख का नाम ही नहीं है।
  • भारत में कितने ढेरों के ढेर गुरू विद्वान पण्डित हैं।
  • एक-एक स्त्री का पति भी गुरू है।
  • कितने ढेर गुरू हो गये हैं।
  • कितनी उल्टी कारोबार चलाई हुई है।
  • एग्रीमेन्ट कराते हैं कि पति ही तुम्हारा सब कुछ है।
  • इनकी ही आज्ञा में रहना है।
  • पहले आज्ञा की कुमारी जो पूज्य थी वह फट से पुजारी बन पड़ती है।
  • सबके आगे माथा टेकना पड़ता है।
  • फिर दूसरी आज्ञा की काम कटारी चलाओ।
  • तो कितना फ़र्क हो गया।
  • यहाँ तो बाप कहते हैं मुझे मददगार बच्चे चाहिए।
  • वह पैरों पर क्यों पड़ें।
  • बच्चे वारिस हैं।
  • नम्रता दिखाने के लिए पैरों पर पड़ने की दरकार नहीं है।
  • नमस्ते कह सकते हैं।
  • तुम कहते हो हम बाबा से वर्सा लेने आये हैं फिर माया एकदम भुला देती है।
  • फारकती दे देते हैं।
  • बुद्धि को माया खत्म कर देती है।
  • आज बाबा ने समझाया जिसने शिव के भण्डारे से खाया, पिया, वह भण्डारा भरपूर तो काल कंटक सब हो गया दूर।
  • अमर हो जाते हैं।
  • तुम बलि चढ़े तो शिवबाबा का सब कुछ हो गया, पक्का निश्चय चाहिए।
  • कोई कुकर्म कर दिया तो बड़ा पाप चढ़ जायेगा।
  • कदम-कदम पर राय लेनी है, लम्बी चढ़ाई है।
  • कितने गिर पड़ते हैं।
  • बाबा-बाबा कह 8-10 वर्ष रह फिर भी माया थप्पड़ लगा देती है।
  • बाबा कहते हैं कदम-कदम पर कहाँ भी मूँझो तो राय पूछो।
  • कई बच्चे पूछते हैं हम मिलेट्री में सर्विस करते हैं।
  • वहाँ का भोजन खाना पड़ता है।
  • बाबा कहते हैं कर ही क्या सकते हैं।
  • बाप से मत ली तो रेस्पॉन्सिबुल बाबा है।
  • बहुत पूछते हैं बाबा विलायत में जाना है, पार्टी में बैठना पड़ता है।
  • भल वेजीटेरियन मिलता है, परन्तु हैं तो विकारी ना।
  • तुम कोई भी बहाना कर सकते हो।
  • अच्छा चाय पी लेते हैं।
  • अनेक प्रकार की युक्तियाँ मिलती रहती हैं।
  • इनका राइटहैण्ड धर्मराज भी बैठे हैं।
  • इस समय कदम-कदम पर श्रीमत लेनी है।
  • बड़ा ऊंचा पद है।
  • किसको स्वप्न में भी याद नहीं होगा - हम विश्व के मालिक बन सकते हैं।
  • बिल्कुल ही जानते नहीं।
  • कितने हीरे जवाहरों के महल थे।
  • सोमनाथ मन्दिर में कितने माल थे, सब ऊंट भरकर ले गये।
  • अब समय ऐसा आने वाला है जो किसकी दबी रही धूल में..., कहते हैं ना - राम नाम सत्य है।
  • सच्ची कमाई करने वालों का हाथ भरपूर रहेगा।
  • बाकी सब हाथ खाली जायेंगे।
  • बाप कहते हैं तुम्हारी चीज़ तो तुम्हारे लिए है।
  • हम तो निष्कामी हैं।
  • ऐसा निष्कामी कोई है नहीं।
  • इस समय सबको तमोप्रधान पतित बनना है।
  • पूरा पतित बन फिर पूरा पावन बनना है।
  • बाप कहते हैं मुझे संकल्प उठा कि नई दुनिया रचूँ।
  • मैं अपना पार्ट बजाने आया हूँ।
  • जो भी बड़े-बड़े मुख्य हैं वह सब ऐसे-ऐसे टाइम पर पार्ट बजाते हैं।
  • अभी तुम जानते हो नॉलेजफुल बाप तुम बच्चों को भी नॉलेजफुल बना रहे हैं।
  • आगे थोड़ेही यह नॉलेज थी।
  • अभी तुम सबकी बायोग्राफी को जानते हो।
  • धर्म स्थापक भी मुख्य हैं ना।
  • ऊपर से लेकर ऊंचे ते ऊचा है शिवबाबा रचयिता।
  • फिर ब्रह्मा विष्णु शंकर, फिर ब्रह्मा द्वारा ब्राह्मण रचते हैं।
  • और कोई क्या जाने कि यह जगत अम्बा सरस्वती ब्राह्मणी है।
  • आगे भी इस ही समय इसने तपस्या की थी।
  • राजयोग सिखाया था।
  • अब भी वही कार्य कर रहे हैं।
  • इस नॉलेज में रमण करना चाहिए।
  • रहना अपने घर में हैं।
  • सब यहाँ तो नहीं बैठ जायेंगे।
  • हाँ पिछाड़ी में फिर आकर सभी वह रहेंगे जो बाप की सर्विस में तत्पर रहते हैं।
  • वह बहुत वन्डरफुल पार्ट देखेंगे।
  • वैकुण्ठ के झाड़ नजदीक आते जायेंगे।
  • बैठे-बैठे साक्षात्कार करते रहेंगे।
  • तुम पूरे फरिश्ते यहाँ ही बनते हो।
  • जो भी मनुष्यात्मायें हैं सब शरीर छोड़ेंगी।
  • आत्मायें वापिस चली जायेंगी।
  • बाबा पण्डा बनकर सबको वापिस ले जायेंगे।
  • यह ज्ञान भी अभी है।
  • सतयुग में ज्ञान का नाम नहीं है।
  • वहाँ है प्रालब्ध, अभी है पुरुषार्थ।
  • तुम पुरुषार्थ करते हो 21 जन्म बाप से स्वर्ग का वर्सा लेने।
  • तुम समझा सकते हो हम ब्राह्मण हैं।
  • मित्र सम्बन्धी आदि को तुम बाप की याद में रह भोजन बनाकर खिलाओ तो उनका हृदय भी शुद्ध हो जायेगा।
  • पिछाड़ी में जो बचेंगे वह बहुत मजे देखेंगे।
  • बाबा घड़ी-घड़ी अपना घर आदि सब कुछ दिखाते रहेंगे।
  • शुरू-शुरू में तुमने बहुत कुछ देखा है फिर अन्त में बहुत कुछ देखना है।
  • जो चले जायेंगे वह कुछ भी नहीं देखेंगे।
  • इन विकारों को पूरी रीति तजना है तब ही हीरे जवाहरों से सजना है।
  • तजेंगे नहीं तो इतना सजेंगे भी नहीं।
  • अभी तुम ज्ञान रत्नों से सज रहे हो।

  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) सच्ची कमाई कर हाथ भरतू करके जाना है।
  • एक बाप से सच्चा सौदा करने वाला सच्चा व्यापारी बनना है।
  • 2) हृदय को शुद्ध बनाने के लिए बाप की याद में रह ब्रह्मा भोजन बनाना है।
  • योगयुक्त भोजन खाना और खिलाना है।
  • विकारों को तज ज्ञान रत्नों से सजना और सजाना है
  • वरदान:-
  • All Blessings of 2021-22
    • सब फिकरातें बाप को देकर बेफिक्र स्थिति का अनुभव करने वाले परमात्म प्यारे भव
    • जो बच्चे परमात्म प्यारे हैं वह सदा दिलतख्त पर रहते हैं।
    • कोई की हिम्मत नहीं जो दिलाराम के दिल से उन्हें अलग कर सके, इसलिए आप दुनिया के आगे फखुर से कहते हो कि हम परमात्म प्यारे बन गये।
    • इसी फखुर में रहने के कारण सब फिकरातों से फारिग हो।
    • आप कभी गलती से भी नहीं कह सकते कि आज मेरा मन थोड़ा सा उदास है, मेरा मन नहीं लगता ....., यह बोल ही व्यर्थ बोल हैं।
    • मेरा कहना माना मुश्किल में पड़ना।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021-22)
    • किसी भी प्रकार की हलचल को समाप्त करने का साधन है - ड्रामा पर अटल निश्चय।