15-04-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन



"मीठे बच्चे - तुम देवी देवता कुल के हो, तुम्हें अब पुजारी से पूज्य बनना है, बाप आये हैं तुम सबको भक्ति का फल देने''


 

प्रश्नः-

देह सहित देह के सब सम्बन्धों से बुद्धियोग तोड़ने की सहज विधि क्या है?

उत्तर:-

मेरा तो एक शिवबाबा, दूसरा न कोई इस पाठ को पक्का करो। बाबा कहते बच्चे, देह और देह के सब सम्बन्ध दु:ख देने वाले हैं। तुम मुझे अपना बच्चा बनाओ तो मैं तुम्हारी इतनी सेवा करूँगा जो 21 जन्म तुम सदा सुखी रहेंगे। वारिस बनाओ तो वर्सा दूंगा। साजन बनाओ तो श्रृंगार कर स्वर्ग की महारानी बना दूँगा। भाई बनाओ, सखा बनाओ तो साथ में खेल करूँगा। मेरे साथ सब सम्बन्ध जोड़ो तो देह के सम्बन्धों से बुद्धि निकल जायेगी।

 

गीत:-कितना मीठा, कितना प्यारा शिव भोला भगवान.....


  • ओम् शान्ति।
  • बच्चों ने किसकी महिमा सुनी?
    • अपने बेहद के बाप की।
    • उसको ही कहा जाता है शिव-बाबा।
    • ब्रह्मा को भी बाबा कहा जाता है।
    • प्रजापिता तो पिता माना ही बाबा।
    • प्रजापिता ब्रह्माकुमार और कुमारियाँ।
    • अभी तुम बैठे हो ना।
    • बरोबर तुम ब्रह्मा के धर्म के बच्चे हो।
    • शिवबाबा की गोद ली है, ब्रह्मा द्वारा।
    • शिवबाबा को अपना शरीर तो नहीं है।
    • ब्रह्मा, विष्णु, शंकर को भी अपना शरीर है।
    • निराकार परमात्मा को कोई आकार या साकार शरीर नहीं है।
    • उनको कहा जाता है परमपिता।
    • प्रजापिता को परमपिता नहीं कहेंगे।
    • परमपिता माना परे ते परे रहने वाला।
    • तुम आत्मायें भी वहाँ की रहने वाली हो।
    • वह बाप बहुत मीठा है, इसलिए उनको यह महिमा देते हैं।
    • त्वमेव माताश्च पिता... कहते हैं पढ़ाने वाला भी आप जैसा हो।
    • भाई भी आप जैसा हो, बाप भी आप जैसा हो।
  • जैसे लौकिक बाप बच्चे को वर्सा देते हैं।
    • आजकल के बच्चों को वर्सा तो मिलता है, परन्तु वह बाप की पूरी सेवा भी नहीं करते हैं।
    • स्त्री मिली कुछ खिटपिट हुई बस घर अलग कर दिया।
  • तुम अब शिवबाबा को अपना बच्चा बनाओ, यह तुम्हारी इतनी सेवा करेगा जो 21 जन्म तुम बहुत सुखी रहेंगे।
    • अच्छा बच्चे के बदले अगर बाप भी बनाओ तो भी तुमको स्वर्ग में सदा के लिए सुख दे देंगे।
    • इनको साजन बनाओ तो तुम्हारा श्रृंगार कर तुमको स्वर्ग की महारानी बनायेंगे।
    • देह सहित देह के सब सम्बन्ध से बुद्धि तोड़ो क्योंकि वह सब तुमको दु:ख देते हैं।
    • हम तुमको सुख ही सुख देंगे।
    • देखो बाबा तुम्हारे संग खेलते हैं।
    • समझते हो हम भाई से खेलते हैं।
    • भाई होने से भी सुख देते हैं।
    • तुमको विश्व का मालिक बनाते हैं।
    • तो सब सम्बन्ध उनके साथ रख और सबसे तोड़ना है।
    • बस मेरा तो एक शिवबाबा.... मैं कल्प-कल्प तुम बच्चों के सम्मुख आकर तुमको सब दु:खों से छुड़ाए सदा सुखी बनाता हूँ।
  • ऐसे बाप के साथ बुद्धियोग रखना है और वह खुद ही आकर ब्राह्मण बन आत्माओं की सगाई कराते हैं।
    • यह फर्स्टक्लास ब्राह्मण है।
    • तुम्हारे कितने अच्छे नाम रखते हैं।
    • ड्रामा अनुसार तुम्हारे नाम रखने ही पड़े क्योंकि तुमने एक कुटुम्ब को छोड़, ईश्वर की गोद ली तो नाम कितने रमणीक पड़े।
    • याद भी करते हैं हे पतित-पावन आओ, आकर पावन बनाओ।
  • श्रीकृष्ण को कितना प्यार करते हैं।
    • कहते हैं श्रीकृष्ण जैसा पति मिले, बच्चा मिले।
    • समझते भी हैं वह स्वर्ग का मालिक है, फिर भी उनको द्वापर में ले गये हैं।
    • यह है भूल।
    • यह सब भूलों को निवारण कर बाप आकर अभुल बनाते हैं।
    • स्वर्ग में ऐसी भूलें करते ही नहीं।
    • भूल कराने वाली है माया।
    • वहाँ माया ही नहीं।
    • लक्ष्मी-नारायण का चित्र दिखाए तुम सबको समझा सकते हो।
    • यही स्वर्ग के महाराजा महारानी थे।
    • ऐसा किसने बनाया?
  • अज्ञान काल में किसके पास धन बहुत होता है तो पूछा जाता है यह तुमको किसने दिया?
    • कहते हैं भगवान ने।
    • बाप है ही दाता, बाबा हमको बेहद का स्वराज्य देते हैं।
    • मन्दिर में पूजने लायक बनाते हैं।
    • बेहद शिवालय में राज्य करके फिर भक्ति मार्ग में शिवालय बनाते हैं, जड़ चित्रों का।
    • उस समय देवतायें वाम मार्ग में चले जाते हैं।
    • पतित मनुष्य को कभी देवता नहीं कह सकते।
  • अभी तुम जानते हो हम हैं देवता कुल के।
    • आपेही पूज्य, आपेही पुजारी।
    • अभी फिर बरोबर पुजारी से पूज्य बन रहे हैं।
    • आधाकल्प पूज्य रहे और आधा कल्प पुजारी बन जाते हो।
    • मैं तो सदैव पूज्य हूँ।
  • भक्ति मार्ग में तुम याद करते हो - मैं तुमको याद का फल देता हूँ।
    • तुमको कहता हूँ निरन्तर मुझे याद करो तो तुमको बहुत फल मिलेगा।
    • क्या तुमको इस पुरानी दुनिया में रहना अच्छा लगता है?
    • मैं सभी रूपों में सुख देने आया हूँ।
    • वह तो सब तुमको दु:ख देते हैं।
    • अभी मैं तुमको सुख का वर्सा देता हूँ।
  • शिवबाबा कितना मीठा और कितना प्यारा है तब तो याद करते हैं हे शिव भोला भण्डारी झोली भर दो।
    • तुम जानते हो हम विश्व के मालिक बनने के लायक कहाँ हैं।
    • बाबा न-लायक को लायक बनाते हैं।
    • राजयोग सिखलाकर महाराजा महारानी बनाते हैं, 21 जन्मों के लिए।
    • शिक्षा देते हैं ऊंच पद पाकर नाम बाला करो।
    • बच्चों में नम्बरवार तो होते हैं ना।
    • जो जितना पढ़ेंगे,
  • अच्छे बच्चे माँ बाप के बहुत आज्ञाकारी होते हैं।
    • तुमको बेहद का बाप मिला है तो उनका कितना आज्ञाकारी बनना चाहिए।
    • बाप का नाम ही है कल्याणकारी।
    • नर्क को स्वर्ग बनाते हैं।
    • तुम स्वर्ग के लिए तैयारी कर रहे हो।
  • जितना तुम श्रीमत पर चलेंगे, सबसे ममत्व मिटाना है।
    • कहते हैं बाबा कैसे मिटायें?
    • बाबा कहते हैं मुझे ट्रस्टी बना दो, फिर राय लेते रहो इस हालत में क्या करना है!
    • बाबा कहते हैं छोड़ना तो संन्यासियों जैसा हो जायेगा।
  • घरबार का संन्यास नहीं करना है।
    • संन्यास पुरानी दुनिया का कराते हैं।
    • वह घरबार छोड़ देते हैं, बड़ा नुकसान कर देते हैं।
    • फिर भी पवित्र रहते हैं तो कुछ मदद करते हैं।
    • बाकी ऐसे नहीं कि गुरू बन किसकी गति सद्गति कर सकते।
    • पवित्र बनाते हैं सो भी सिर्फ पुरुषों को।
    • बाबा तो दोनों को नंगन होने से बचाते हैं।
  • बाबा शिक्षा देते हैं, अगर तुम पवित्र बनकर दिखायेंगे तो पवित्र दुनिया के मालिक बनेंगे।
    • स्वर्ग में सब सुखी होते हैं।
  • अच्छी तरह पुरुषार्थ करेंगे, इनको अपना बच्चा बनायेंगे तो वर्सा देंगे।
    • जो जितना वर्सा देते उतना फिर हम भी रिटर्न में देंगे।
    • परन्तु स्वर्ग में देंगे, यहाँ नहीं।
    • मुझे जो तुम देते हो वह भी तुम बच्चों के काम में लगाता हूँ।
    • मैं विश्व का मालिक नहीं बनता हूँ, तुम बनते हो।
    • तुम्हारे लिए ही यह मकान आदि हैं।
    • यह प्रदर्शनी है।
    • वह भी तुम बच्चों की सर्विस है फिर से तुमको स्वर्ग का मालिक बनाता हूँ।
    • जितना चाहे उतना मेरे से ले लो।
    • मुझे वारिस बनाओ या न बनाओ।
    • अपने बच्चों से ही सुखी रहो।
    • बाकी पवित्र रहो और एक बाप को याद करो तो अन्त मती सो गति हो जायेगी।
  • बाकी कोई झूठे मंत्र काम में नहीं आयेंगे।
    • मैं तुमको कल्याणकारी मंत्र देता हूँ - बाप और वर्से को याद करो।
    • बच्चा पैदा हुआ तो उनको वर्सा मिलना ही है।
    • तुम जानते हो हम शिवबाबा के थे, स्वर्ग में राज्य किया फिर हराया।
    • अब बाप कहते हैं मुझे याद करो।
  • मेरा बन जाओ, मेरा बनने से तुमको कितना फायदा होता है।
    • गुरू गोसाई आदि सबसे सम्बन्ध तोड़ो।
    • मैं आत्माओं से बात करता हूँ, आरगन्स द्वारा।
    • बाबा ने भी इसमें प्रवेश किया है।
    • जैसे ब्राह्मणों को खिलाते हैं तो समझते हैं पति की आत्मा इसमें आई है।
    • शरीर तो आ न सके।
    • बाबा का तो अपना शरीर नहीं है, इसलिए मुझे अशरीरी कहते हैं।
    • तुम भी अशरीरी बनो।
    • देह का अंहकार छोड़ दो।
    • सारा कल्प तुम देह-अभिमान में रहे, सतयुग में आत्म-अभिमानी थे।
    • फिर देह-अभिमानी बनें तो आत्मा का ज्ञान भी भूल गये।
    • पहले खुशी से शरीर छोड़ते और लेते थे, तुम्हारा क्या जाता है।
    • आत्मा को अनादि पार्ट मिला हुआ है।
    • स्वर्ग में रोने का नाम ही नहीं।
    • अभी तुम 63 जन्म दु:ख उठाते-उठाते बिल्कुल ही तमोप्रधान बन पड़े हो।
    • अब फिर अपने को आत्मा समझो, बाप को याद करो और कहाँ भी जायेंगे तो देखेंगे फलाना संन्यासी वेद-शास्त्र सुनाते हैं।
  • यहाँ निराकार परमात्मा तो कोई शास्त्र नहीं पढ़ते।
    • वह सब वेदों शास्त्रों का सार सुनाने वाला है।
    • शास्त्र पढ़ते-पढ़ते तुम पतित बन पड़े हो, तब पुकारते हो हे सद्गति दाता, मुक्तेश्वर, पाप कटेश्वर आओ।
    • अच्छा बाप आया है।
  • कहते हैं तुम मेरी मत पर चलो तो ऊंच पद पायेंगे।
    • यह है श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ मत।
    • बाबा है ही श्री श्री, जो आकर भ्रष्टाचारी से श्रेष्ठाचारी बनाते हैं।
  • तुम जानते हो हर एक को अपना-अपना पार्ट मिला हुआ है।
    • चक्र फिरता रहता है।
    • न आत्मा मिटती है, न उसका पार्ट ही मिटता है।
    • यह बना बनाया खेल है, इनसे कोई भी छूट न सके।
  • बाप कहते हैं मैं भी पतित शरीर में आकर तुम्हारी सेवा करता हूँ।
    • मैं तुमको स्वर्ग के सुख देता हूँ।
    • तुम फिर कितना हीरे जवाहरों के मन्दिर बनाते हो, उसमें हमको बिठाते हो।
    • अभी जबकि तुमको विश्व का मालिक बनाने आया हूँ तो कोई मुझे जानते ही नहीं।
    • फारकती दे देते हैं।
    • तुम्हें सबको बाप का परिचय देना है।
    • तो बाबा कैसे स्वर्ग की स्थापना करते हैं, कितनी सहज बात है।
    • माया आयेगी, तुम्हारा काम है माया को भगाना।
    • जो शिवबाबा के सिवाए और कोई की याद न पड़े।
  • एक घड़ी, आधी घड़ी... याद करने की भी प्रैक्टिस करो।
    • फिर आखिर अन्त मती सो गति हो जायेगी।
    • अगर बुद्धि कहाँ भी लटकी हुई होगी तो सजायें खूब खायेंगे।
    • जैसे काशी कलवट खाते हैं, उनको जीवघात कहा जाता है।
    • आत्मा अपने जीव का घात करती है।
    • बाकी आत्मा का घात होता नहीं।
    • वह तो अमर है।
    • यह सब धारण कर बाप की याद में रहना है, सबसे ममत्व मिटाना है।
    • यह पुराना शरीर है, साक्षी होकर रहना पड़ता है।
    • अब वापिस जाना है।
    • यहाँ कोई मजा नहीं है।
    • अर्थक्वेक में सब मर जायेंगे।
    • मरने के पहले अपनी अवस्था अच्छी बनानी है।
  • तुम सब शिव शक्तियां हो।
    • मेल फीमेल दोनों मेहनत करते हैं, शिवबाबा से शक्ति लेने की।
    • माताओं का मान जास्ती है।
    • तुम सब कन्यायें हो।
    • ब्रह्माकुमारी तो कन्यायें भी हैं, अधरकुमारियां भी हैं।
    • वह निर्विकारी रहती हैं।
    • वह भीष्मपितामह आदि गाये हुए हैं।
    • ऐसे भी बहुत हैं जो छोटेपन से ब्रह्मचारी रहते हैं।
    • जो काम बाबा 5 हजार वर्ष पहले करके गये हैं, सो अब कर रहे हैं।
  • यह मन्दिर अब टूटेंगे फिर भक्ति मार्ग में बनेंगे।
    • यह सब बातें धारण करने की हैं।
    • यह अपने साथ बातें करनी हैं।
    • इसको कहा जाता है विचार सागर मंथन करना।
    • भगवानुवाच, तुमको नर से नारायण बनाता हूँ।
    • मनुष्य कोई भी यह ज्ञान नहीं दे सकते।
    • इनकी आत्मा भी सुन रही है।
    • यह घड़ी-घड़ी तुम भूल जाते हो।
    • कछुए का, भ्रमरी का मिसाल भी तुम्हारे लिए है।
  • बाप का परिचय सबको देना है।
    • शिव की पूजा बिगर आक्यूपेशन जाने करना, यह तो कुछ नहीं है।
    • हम भी पूजा करते थे परन्तु अभी जानते हैं।
    • शिवबाबा हमको मनुष्य से देवता बना रहे हैं।
    • बाप कहते हैं तुम कौड़ियों के पिछाड़ी माथा क्यों मारते हो, यह तो सब भस्म हो जाना है।
    • पोत्रे पोत्रियाँ कोई भी रहेंगे नहीं।
    • सब मरने वाले हैं।
    • तुम हो कल्याणकारी बाप के बच्चे, सबका कल्याण करने वाले।


  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) देह का अभिमान छोड़ बाप समान अशरीरी बनना है।
  • पुराना शरीर है, इसे साक्षी हो चलाना है।
  • श्री श्री की श्रेष्ठ मत पर चल पावन बनना है।
  • 2) धर्मराज की कड़ी सजाओं से बचने के लिए अभी से ऐसी अवस्था बनानी है जो अन्त घड़ी में एक बाप के सिवाए कोई भी याद न आये।
  • बुद्धि कहाँ भी लटकी हुई न हो।
  • वरदान:-
  • All Blessings of 2021-22
    • स्व और सेवा के बैलेन्स द्वारा दुआयें लेने और देने वाले सदा सफलतामूर्त भव
    • जैसे सेवा में बहुत आगे बढ़ रहे हो ऐसे स्वउन्नति पर भी पूरा अटेन्शन रहे।
    • जिनको यह बैलेन्स रखना आता है वे सदा दुआयें लेते और दुआयें देते हैं।
    • बैलेन्स की प्राप्ति ही है ब्लैसिंग।
    • बैलेन्स वाले को ब्लैसिंग नहीं मिले - यह हो नहीं सकता।
    • मात-पिता और परिवार की दुआओं से सदा आगे बढ़ते चलो।
    • यह दुआयें ही पालना हैं।
    • सिर्फ दुआयें लेते चलो और सबको दुआयें देते चलो तो सहज सफलतामूर्त बन जायेंगे।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021-22)
    • गुणमूर्त बनना और सर्व को गुणमूर्त बनाना - यही महादान है।