01-04-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन



"मीठे बच्चे - सद्गति में जाना है तो बाप से प्रतिज्ञा करो कि बाबा हम आपको ही याद करते रहेंगे''


 

प्रश्नः-

किस पुरुषार्थ के आधार पर सतयुगी जन्म सिद्ध अधिकार प्राप्त होता है?

उत्तर:-

अभी पूरा बेगर बनने का पुरुषार्थ करो।

पुरानी दुनिया से ममत्व मिटाकर जब पूरे बेगर बनेंगे तब ही सतयुगी जन्म सिद्ध अधिकार प्राप्त होगा।

बाबा कहते हैं मीठे बच्चे अब ट्रस्टी बनो।

पुरानी किचड़-पट्टी जो कुछ है सब ट्रांसफर करो, बाप और वर्से को याद करो तो तुम स्वर्ग में आ जायेंगे।

विनाश सामने खड़ा है इसलिए अब पुरानी बैग बैगेज समेट लो।

 

गीत:-भोलेनाथ से निराला.......


  • ओम् शान्ति। तुम हो स्टूडेन्ट।
  • ऊंच ते ऊंच नॉलेजफुल बाप तुमको पढ़ाते हैं, तो नोट्स जरूर लेने चाहिए क्योंकि फिर रिवाइज़ कराना होता, औरों को समझाने में भी सहज होता है।
  • नहीं तो माया ऐसी है जो बहुत प्वाइंट्स भुला देती है।
  • इस समय तुम बच्चों की लड़ाई है माया रावण के साथ।
  • जितना तुम शिवबाबा को याद करेंगे उतना माया भुलाने की कोशिश करेगी।
  • ज्ञान की प्वाइंट भी भुलाने की कोशिश करेगी।
  • कभी-कभी बहुत अच्छी प्वाइंट्स याद आयेंगी, फिर वहाँ की वहाँ गुम हो जायेंगी क्योंकि यह ज्ञान है नया।
  • बाप कहते हैं कल्प पहले भी यह ज्ञान तुम ब्राह्मणों को दिया था।
  • ब्राह्मणों को ही अपना बनाते हैं, ब्रह्मा के मुख द्वारा।
  • यह बातें कोई गीता में लिखी हुई नहीं हैं।
  • शास्त्र तो पीछे बनते हैं।
  • जब धर्म स्थापन करते हैं, उस समय सब शास्त्र नहीं बनते।
  • बच्चों को समझाया है पहले-पहले है ज्ञान, पीछे है भक्ति।
  • पहले सतोप्रधान फिर सतो रजो तमो में आते हैं तो मनुष्य जब रजो में आते हैं तब भक्ति शुरू होती है।
  • सतोप्रधान समय भक्ति होती नहीं।
  • भक्ति मार्ग की भी ड्रामा में नूंध है।
  • यह शास्त्र आदि भी भक्तिमार्ग के काम आते हैं।
  • तुम यह जो ज्ञान और योग आदि के किताब बनाते हो, यह फिर से पढ़कर रिफ्रेश होने के लिए।
  • बाकी टीचर के सिवाए तो कोई समझ नहीं सकेंगे।
  • गीता का टीचर ही है श्रीमद् भगवान।
  • वह है विश्व का रचयिता, स्वर्ग रचते हैं।
  • जबकि वह सबका बाप है तो जरूर बाप से वर्सा स्वर्ग की बादशाही मिलनी चाहिए।
  • सतयुग में है देवी-देवताओं का राज्य।
  • अभी तुम हो संगमयुगी ब्राह्मण।
  • विष्णु के चित्र में 4 वर्ण दिखाते हैं ना।
  • देवता, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र... पांचवा वर्ण है ब्राह्मणों का।
  • लेकिन उन्हों को यह बिल्कुल पता नहीं है।
  • ऊंचे ते ऊंचा है ब्राह्मण वर्ण।
  • ऊंच ते ऊंच परमपिता परमात्मा को भी भूल गये हैं।
  • वह शिव है ब्रह्मा विष्णु शंकर का रचयिता।
  • त्रिमूर्ति ब्रह्मा कह देते हैं, परन्तु इसका तो अर्थ ही नहीं निकलता।
  • अगर ब्रह्मा विष्णु शंकर तीनों भाई हैं तो इन्हों का बाप चाहिए।
  • तो ब्राह्मण, देवी-देवता और क्षत्रिय.... तीनों धर्म का रचयिता है वह निराकार बाप, जिसको गीता का भगवान कहा जाता है।
  • देवताओं को भी भगवान नहीं कह सकते तो मनुष्य को कैसे कह सकते।
  • ऊचे ते ऊंच है शिवबाबा फिर सूक्ष्मवतन वासी ब्रह्मा विष्णु शंकर, फिर इस वतन में पहले-पहले है श्रीकृष्ण।
  • पहले-पहले शिवजयन्ती गाई जाती है, त्रिमूर्ति जयन्ती कहाँ दिखाते नहीं क्योंकि तीनों को जन्म कौन देते हैं, यह कोई को पता नहीं है।
  • यह बाप ही आकर बतलाते हैं।
  • ऊंचे ते ऊंच वह है विश्व का मालिक, नई दुनिया का रचयिता।
  • स्वर्ग में यह लक्ष्मी-नारायण राज्य करते हैं।
  • सूक्ष्मवतन में तो राजधानी का प्रश्न ही नहीं।
  • यहाँ जो पूज्य बनते हैं, उन्हों को ही पुजारी बनना है।
  • देवता, क्षत्रिय... अब फिर ब्राह्मण बने हैं।
  • यह वर्ण भारत के ही हैं और कोई इन वर्णों में नहीं आ सकते।
  • इन 5 वर्णों में सिर्फ तुम चक्र लगाते हो।
  • 84 जन्म भी तुमको पूरे लेने पड़ते हैं।
  • तुम जानते हो बरोबर हम भारतवासी जो देवी-देवता धर्म वाले हैं, वही 84 जन्म लेंगे।
  • यह ज्ञान का तीसरा नेत्र सिर्फ तुम ब्राह्मणों का ही खुलता है, फिर यह ज्ञान ही प्राय: लोप हो जाता है।
  • फिर गीता शास्त्र कहाँ से आया।
  • क्राइस्ट जब धर्म स्थापन करते हैं तब बाइबिल नहीं सुनाते हैं।
  • वह धर्म स्थापन करते हैं पवित्रता के बल से।
  • बाइबिल आदि तो बाद में बनते हैं, जब उनकी वृद्धि होती है तब चर्च आदि बनाते हैं।
  • वैसे ही आधाकल्प के बाद भक्ति मार्ग शुरू होता है।
  • पहले होती है अव्यभिचारी भक्ति एक की, फिर ब्रह्मा विष्णु शंकर की।
  • अभी तो देखो 5 तत्वों की भी पूजा करते रहते हैं, इसको कहा जाता है तमोप्रधान पूजा।
  • वह भी होनी है जरूर।
  • भक्ति मार्ग में शास्त्र भी चाहिए।
  • देवी-देवता धर्म का शास्त्र है गीता।
  • ब्राह्मण धर्म का कोई शास्त्र नहीं है।
  • अब महाभारत लड़ाई का भी वृतान्त गीता में है।
  • गाया हुआ है रुद्र ज्ञान यज्ञ से विनाश ज्वाला निकली।
  • जरूर जब विनाश हो तब तो सतयुगी राजधानी स्थापन हो।
  • तो भगवान ने यह यज्ञ रचा है, इसको रुद्र ज्ञान यज्ञ कहा जाता है।
  • ज्ञान भी शिवबाबा ही देते हैं।
  • भारत का शास्त्र वास्तव में एक है।
  • जैसे क्राइस्ट का बाइबिल है - उसकी जीवन कहानी को ज्ञान नहीं कहा जाता है।
  • अपना है ज्ञान से मतलब।
  • ज्ञान देने वाला भी एक है, वही मालिक है विश्व का।
  • बल्कि उसको ब्रह्माण्ड का मालिक कहा जायेगा।
  • सृष्टि का मालिक वह नहीं बनते।
  • तुम बच्चे सृष्टि के मालिक बनते हो।
  • बाबा कहते हैं हम ब्रह्माण्ड के मालिक जरूर हैं।
  • तुम बच्चों के साथ ब्रह्मलोक में रहते हैं।
  • जैसे बाबा वहाँ रहते हैं, हम भी वहाँ जायेंगे तो हम भी मालिक ठहरे।
  • बाप कहते हैं तुम सब आत्मायें मेरे साथ ब्रह्माण्ड में रहती हो। तो हम भी और तुम भी ब्रह्माण्ड के मालिक हैं।
  • परन्तु तुम्हारा पद मेरे से ऊंचा है।
  • तुम महाराजा महारानी बनते हो, तुम ही पूज्य से फिर पुजारी बनते हो। तुम पतितों को मैं आकर पावन बनाता हूँ।
  • मैं तो जन्म-मरण रहित हूँ, फिर साधारण तन का आधार ले सृष्टि के आदि मध्य अन्त का राज़ तुमको बताता हूँ।
  • ऐसा कोई भी विद्वान, पण्डित नहीं जो ब्रह्माण्ड, सूक्ष्मवतन और सृष्टि चक्र के राज़ को जानता हो, सिवाए तुम बच्चों के।
  • तुम जानते हो ज्ञान का सागर, पवित्रता का सागर तो परमपिता परमात्मा ही है।
  • उनकी महिमा गाई ही तब जाती है जबकि हमको ज्ञान देते हैं।
  • अगर ज्ञान नहीं दे तो महिमा कैसे गाई जाए।
  • वह एक ही बार आकर बच्चों को वर्सा देते हैं - 21 जन्मों के लिए।
  • 21 जन्मों की लिमिट है, ऐसे नहीं कि सदैव के लिए देते हैं।
  • 21 पीढ़ी अर्थात् 21 बुढ़ापे तक।
  • पीढ़ी बुढ़ापे को कहा जाता है।
  • 21 पीढ़ी तुमको राज्य-भाग्य मिलता है।
  • ऐसे नहीं कि एक के पिछाड़ी 21 कुल का उद्धार हो जायेगा।
  • यह तो समझाया है इस राजयोग से तुम राजाओं का राजा बन जाते हो, फिर वहाँ ज्ञान की दरकार नहीं रहती।
  • वहाँ तुम सद्गति में हो।
  • ज्ञान तो उनको चाहिए जो दुर्गति में हो।
  • अभी तुम सद्गति में जाते हो, दुर्गति में लाया है माया रावण ने।
  • अब सद्गति में जाना है तो बाप का बनना पड़ता है, प्रतिज्ञा करनी पड़ती है - बाबा हम आपको सदैव याद करते रहेंगे।
  • देह का अभिमान छोड़ हम देही हो रहेंगे।
  • गृहस्थ व्यवहार में रहते हम पवित्र रहेंगे।
  • मनुष्य कहते हैं यह कैसे होगा।
  • अरे बाप कहते हैं इस अन्तिम जन्म में पवित्र बन मेरे साथ योग लगाओ तो जरूर तुम्हारे विकर्म विनाश होंगे और चक्र को याद करेंगे तो तुम चक्रवर्ती राजा बनेंगे।
  • बाप से जरूर स्वर्ग का वर्सा मिलेगा।
  • डीटी वर्ल्ड सावरन्टी तुम्हारा जन्म सिद्ध अधिकार है, सो पा रहे हो।
  • फिर जितना जो प्रतिज्ञा करते और बाप के साथ मददगार बनते हैं.... यह तो तुम जानते हो विनाश सामने खड़ा है।
  • नेचुरल कैलेमिटीज़ भी आई कि आई, इसलिए बाबा कहते हैं अपने पुराने बैग बैगेज आदि सब ट्रांसफर कर दो।
  • तुम ट्रस्टी बन जाओ।
  • बाबा शर्राफ भी है, मट्टा-सट्टा करते हैं।
  • मनुष्य मरते हैं तो सारी किचड़-पट्टी करनीघोर को दे देते हैं ना।
  • तुम्हारी भी यह किचड़-पट्टी सब कब्रदाखिल होनी है इसलिए पुरानी चीजों से ममत्व मिटा दो, एकदम बेगर बनो।
  • बेगर टू प्रिन्स बाप और वर्से को याद करो तो तुम स्वर्ग के मालिक बन जायेंगे, जो जन्म सिद्ध अधिकार है।
  • कोई भी आता है तो उनसे पूछो विश्व का रचता कौन? गॉड फादर है ना।
  • स्वर्ग है ही नई रचना।
  • जबकि बाप स्वर्ग रचते हैं तो फिर नर्क में क्यों?
  • स्वर्ग के मालिक क्यों नहीं बनते!
  • तुमको नर्क का बादशाह बनाया है माया रावण ने।
  • बाप तो स्वर्ग का बादशाह बनाने वाला है।
  • रावण दु:खी बनाते हैं तब रावण से तंग होकर उनको जलाने की कोशिश करते हैं परन्तु रावण जलता ही नहीं।
  • मनुष्य समझते नहीं हैं कि रावण क्या चीज़ है।
  • कहते हैं 3 हजार वर्ष बिफोर क्राइस्ट... गीता सुनाई।
  • परन्तु उस समय कौन सी नेशनल्टी थी, वह समझाना चाहिए ना।
  • माया ने बिल्कुल ही पतित बना दिया है।
  • कोई को भी पता नहीं कि स्वर्ग का रचता कौन है।
  • एक्टर्स होते हुए ड्रामा के क्रियेटर, डायरेक्टर को न जानें तो क्या कहेंगे!
  • बड़े ते बड़ी लड़ाई है - यह महाभारत लड़ाई विनाश के लिए।
  • गाया भी जाता है ब्रह्मा द्वारा स्थापना.... ऐसे नहीं गाया जाता कि कृष्ण द्वारा स्थापना।
  • रुद्र ज्ञान यज्ञ मशहूर है, जिससे विनाश ज्वाला प्रज्जवलित हुई।
  • बाप खुद कहते हैं मैंने यह ज्ञान यज्ञ रचा है।
  • तुम हो सच्चे ब्राह्मण, रूहानी पण्डे।
  • तुमको अब बाप के पास जाना है।
  • वहाँ से फिर इस पतित दुनिया में आना है।
  • यह (सेन्टर्स) हैं सच्चे-सच्चे तीर्थ, सचखण्ड में ले जाने वाले।
  • वह तीर्थ हैं झूठ खण्ड के लिए।
  • वह है जिस्मानी देह-अभिमान की यात्रा।
  • यह है देही-अभिमानी की यात्रा।
  • तुम जानते हो फिर नई दुनिया में आकर अपने सोने के महल बनायेंगे।
  • ऐसे नहीं कि सागर से कोई महल निकल आयेंगे।
  • तुमको तो बहुत खुशी होनी चाहिए।
  • जैसे पढ़ाई में ख्याल रहता है कि बैरिस्टर बनूंगा, यह करूंगा।
  • तुमको भी आना चाहिए कि स्वर्ग में ऐसे-ऐसे महल बनायेंगे।
  • हम प्रतिज्ञा करते हैं लक्ष्मी को जरूर वरेंगे, सीता को नहीं।
  • इसमें पुरुषार्थ बहुत अच्छा चाहिए।
  • बाप अब सच्चा ज्ञान सुनाते हैं, जिसको धारण करने से हम देवता बन रहे हैं।
  • नम्बरवन में आते हैं श्रीकृष्ण।
  • मैट्रिक में जो पास होते हैं उनकी लिस्ट अखबार में निकलती है ना।
  • तुम्हारे स्कूल की लिस्ट भी गाई हुई है।
  • 8 फुल पास, नामीग्रामी 8 रत्न हैं, जो ही काम में आते हैं।
  • 108 की माला तो बहुत सिमरते हैं।
  • कोई तो 16 हजार की भी बनाते हैं।
  • तुमने मेहनत कर सर्विस की है भारत की, तो सब पूजते हैं। एक है भगत माला, दूसरी है रुद्र माला।
  • अभी तुम जानते हो श्रीमत भगवत गीता है माता और पिता है शिव।
  • डीटी डिनायस्टी में पहले-पहले जन्म लेते हैं श्रीकृष्ण।
  • जरूर राधे ने भी जन्म लिया होगा और भी तो पास हुए होंगे।
  • परमपिता परमात्मा से बेमुख होने कारण सारी दुनिया निधनकी हो गई है।
  • आपस में सब लड़ते झगड़ते रहते हैं।
  • कोई धनी-धोणी नहीं है।
  • अब तुम्हें सबको बाप का परिचय देना है।

  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) देह-अभिमान को छोड़ देही-अभिमानी बन याद की यात्रा पर तत्पर रहना है, इस अन्तिम जन्म में पवित्र बन बाप का पूरा-पूरा मददगार बनना है।
  • 2) पुरानी जो भी चीजें हैं, उनसे ममत्व निकाल ट्रस्टी बन बाप और वर्से को याद कर, विश्व का मालिक बनना है।
  • वरदान:-
  • All Blessings of 2021-22
    • सत्यता के साथ सभ्यता पूर्वक बोल और चलन से आगे बढ़ने वाले सफलतामूर्त भव
    • सदैव याद रहे कि सत्यता की निशानी है सभ्यता।
    • यदि आप में सत्यता की शक्ति है तो सभ्यता को कभी नहीं छोड़ो।
    • सत्यता को सिद्ध करो लेकिन सभ्यतापूर्वक।
    • सभ्यता की निशानी है निर्माण और असभ्यता की निशानी है जिद।
    • तो जब सभ्यता पूर्वक बोल और चलन हो तब सफलता मिलेगी।
    • यही आगे बढ़ने का साधन है।
    • अगर सत्यता है और सभ्यता नहीं तो सफलता मिल नहीं सकती।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021-22)
    • सम्बन्ध-सम्पर्क और स्थिति में लाइट रहो - दिनचर्या में नहीं।