31-03-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन



"मीठे बच्चे - ज्ञान मार्ग में तुम्हारे ख्यालात बहुत शुद्ध होने चाहिए। सच्ची कमाई में झूठ बोला, कुछ उल्टा किया तो बहुत घाटा पड़ जायेगा''


 

प्रश्नः-

जो तकदीरवान बच्चे ऊंच पद पाने वाले हैं, उनकी निशानी क्या होगी?

उत्तर:-

उनसे कोई भी खराब काम नहीं होगा। यज्ञ की सेवा में हड्डी-हड्डी लगायेंगे। उनमें कोई भी लोभ आदि नहीं होगा। 2- वह बहुत सुखदाई होंगे। मुख से सदैव ज्ञान रत्न निकालेंगे। बहुत मीठा होंगे। 3- वह इस पुरानी दुनिया को जैसे देखते हुए भी देखते नहीं। उनके अन्दर यह ख्याल नहीं आयेगा जो तकदीर में होगा, देखा जायेगा! बाबा कहते ऐसे बच्चे कोई काम के नहीं। तुम्हें तो बहुत अच्छा पुरुषार्थ करना है।

 

गीत:-हमारे तीर्थ न्यारे हैं...


  • ओम् शान्ति।
  • यह भक्ति मार्ग के गीत हैं।
  • तुम जानते हो हमारी ही महिमा हो रही है।
  • भक्ति मार्ग में महिमा गाई जाती है और प्रार्थना की जाती है और ज्ञान मार्ग में यह प्रार्थना और भक्ति नहीं की जाती है।
  • ज्ञान माना पढ़ाई, जैसे स्कूल में पढ़ते हैं।
  • पढ़ाई में एम-आब्जेक्ट रहती है।
  • हम यह पढ़कर फलाना पद पायेंगे।
  • यह धन्धा करेंगे।
  • कई सीखते हैं ऐसे ठगी करेंगे, पैसा कमायेंगे।
  • बहुत पैसे के लिए ठगी करते हैं, इसको भी भ्रष्टाचार कहते हैं। लूटमार भी करते हैं।
  • गवर्मेन्ट की चोरी करते हैं, धन कमाकर अपने को सुखी रखने के लिए और बाल-बच्चों को सुखी रखने के लिए।
  • पढ़ाकर शादी आदि कराने के लिए। यहाँ तो तुमको पैसे कमाने की बात ही नहीं।
  • यह है पवित्र पढ़ाई।
  • भल गृहस्थ व्यवहार में रहते हो सिर्फ पढ़ना है।
  • कई कहते हैं हमें तनख्वाह कम मिलती है, इसलिए ठगी करनी पड़ती है, क्या करें!
  • परन्तु इस ज्ञान मार्ग में तो ऐसे कोई ख्यालात नहीं होने चाहिए, नहीं तो दुर्गति हो पड़ती है।
  • यहाँ तो बहुत सच्चाई-सफाई से बाप को याद करना पड़े, तब ही पद पा सकते हैं।
  • स्टूडेन्ट को पढ़ाई के सिवाए और कोई बात बुद्धि में नहीं रहनी चाहिए।
  • नहीं तो हम भविष्य ऊंच पद कैसे पायेंगे!
  • अगर उल्टा, सुल्टा काम कर लिया तो फेल हो जायेंगे।
  • सच्ची कमाई में फिर कुछ झूठ आदि बोलने से वा ऐसा कोई काम करने से पद भ्रष्ट हो जायेगा।
  • बहुत घाटा पड़ जाता है।
  • यहाँ तो तुम आये हो भविष्य पदमपति बनने के लिए।
  • तो यहाँ कोई भी डर्टी ख्यालात नहीं आने चाहिए।
  • कोई चोरी आदि करते हैं तो केस चलता है।
  • उसमें कोई छूट भी जाये परन्तु यहाँ तो धर्मराज से कोई छूट न सके।
  • पाप आत्मा को तो बहुत सजा खानी पड़ती है।
  • ऐसा कोई नहीं होगा जिसको सजा न खानी पड़ती हो, माया गिराती रहती है।
  • थप्पड़ मारती रहती है।
  • अन्दर गन्दे ख्यालात चलते हैं।
  • यहाँ से कुछ पैसा उठावें.. पता नहीं ठहर सकें वा नहीं ठहर सकें।
  • कुछ इक्ट्ठा करके रखें।
  • अब यह है ईश्वरीय दरबार।
  • राइट हैण्ड फिर धर्मराज भी है, उनकी सजायें तो सौगुणा ज्यादा है।
  • नये-नये बच्चों को शायद मालूम न भी हो इसलिए बाबा सावधान करते हैं।
  • तुम बच्चों के ख्यालात बड़े शुद्ध होने चाहिए।
  • बहुत बच्चे लिखते हैं बाबा आपका फरमान है कि गृहस्थ व्यवहार में रहते सिर्फ मुझे याद करो, श्रीमत बिगर कोई भी काम नहीं करो।
  • परन्तु हमको तो व्यवहार में बहुत कुछ करना पड़ता है।
  • नहीं तो हम गुज़ारा कैसे करें!
  • इतने थोड़े रूपयों से इतने भाती (परिवार के सदस्य) कैसे चल सकेंगे।
  • भूखा रहना पड़े इसलिए व्यापारी लोग धर्माऊ भी कुछ निकालते रहते हैं।
  • समझते हैं जो कुछ हमारे से पाप होते हैं वह मिट जायें, हम धर्मात्मा बन जायें।
  • धर्मात्मा पुरुष से बहुत पाप नहीं होता है क्योंकि धर्मात्मा पाप से कुछ डरते हैं।
  • ऐसे भी बहुत होते हैं जो कभी धन्धे में झूठ नहीं बोलते।
  • एकदम दाम फिक्स रखते हैं।
  • कलकत्ते में एक बर्तन बेचने वाला था, सबके दाम बोर्ड पर लिख देता था फिर कुछ भी कम नहीं करता।
  • फिर कोई तो बहुत झूठ बोलते हैं।
  • यह तो ज्ञान की पढ़ाई है।
  • तुम पढ़ते हो भविष्य 21 जन्मों के लिए।
  • तो बाबा को हर बात में सच बताना है।
  • ऐसे नहीं परमात्मा सब कुछ जानते हैं।
  • बाप कहते हैं पढ़ेंगे तो ऊंच पद पायेंगे।
  • नहीं तो जहनुम (नर्क) में चले जायेंगे।
  • हम थोड़ेही बैठ देखेंगे कि तुम क्या-क्या पाप करते हो।
  • जो कुछ करते हो अपने लिए।
  • अपना ही पद भ्रष्ट करते हो।
  • नाम तो है पाप आत्मा, पुण्य आत्मा।
  • बाप आकर पुण्य आत्मा बनाते हैं तो कोई पाप नहीं होना चाहिए।
  • बच्चों के लिए तो पाप का सौगुणा दण्ड हो जायेगा, बड़ा घाटा होता है।
  • ऐसे ख्याल नहीं रखने चाहिए कि जो होगा सो देखा जायेगा, अब तो कर लें।
  • वह बच्चे कोई काम के नहीं।
  • इस पुरानी दुनिया को तो बिल्कुल ही भूल जाना है।
  • देखते हुए जैसे देखते नहीं।
  • हम एक्टर हैं, अब नाटक पूरा होता है।
  • 84 जन्म पूरे किये अब हमको वापिस जाना है।
  • जितनी सर्विस करेंगे उतना ऊंच पद पायेंगे।
  • अभी प्रदर्शनी, मेले की सर्विस निकली है।
  • जो ऊंच पद पाने के पुरुषार्थी होंगे उन्हों का ख्याल चलता रहेगा कि जाकर सुनें, सीखें कि कैसे भिन्न-भिन्न रीति से समझाते हैं।
  • वह चक्र लगाते रहेंगे।
  • सुनते रहेंगे फलाना कैसे समझाते है।
  • ऐसे सुनते-सुनते बुद्धि का ताला खुल जायेगा।
  • बहुत लिखते हैं प्रदर्शनी से हमारी बुद्धि का ताला खुल गया है।
  • बाबा ने बहुत मदद दी है।
  • बाबा ऐसे बहुत मदद देते हैं, परन्तु किनको पता नहीं पड़ता है।
  • समझते हैं हमने बहुत अच्छा समझाया।
  • कोई सच्चे बच्चे समझते हैं कि यह सारी मदद बाबा की है।
  • प्रदर्शनी की सर्विस से बहुत उन्नति हो सकती है।
  • तुम ज्ञान सागर के बच्चे हो।
  • बाबा की याद में रहने से ही बड़ा बल मिलता है।
  • योगबल से ही तुम विश्व की बादशाही लेते हो।
  • बस सिर्फ यही याद रहे कि हमको बाबा से वर्सा लेना है और श्रीमत पर चलना है।
  • बस श्रीमत पर चलने में ही कमाई है।
  • बाकी इस दुनिया में तो कोई काम की चीज़ नहीं है।
  • सब खत्म होना है।
  • तुम ज्ञान सितारे हो, इस भारत को स्वर्ग बना रहे हो और स्वर्गवासी बनने के लायक तो तुमको यहाँ ही बनना है।
  • यज्ञ के पिछाड़ी तो हड्डी-हड्डी चूर कर देनी चाहिए।
  • उनको फिर और कोई लोभ नहीं रहेगा।
  • जिनकी तकदीर में नहीं है, उनसे फिर खराब काम होते रहेंगे।
  • यहाँ तो तुमको सुखदाई बनना है।
  • बाप कहते हैं मैं सुखदाई बनाने आया हूँ।
  • तुम भी सुखदाई बनो।
  • उनके मुख से सदैव ज्ञान रत्न निकलेंगे।
  • शैतानी की कोई बात नहीं निकलेगी।
  • झूठ बोलने से तो कुछ न बोलना अच्छा है।
  • बहुत मीठा बनना है।
  • माँ बाप का शो करना है।
  • बाबा के लिए ही लिखा है सतगुरू का निंदक ठौर न पाये.. जरा भी कडुवापन, अवगुण आदि नहीं होना चाहिए।
  • बहुत हैं जिनको थोड़ी चीज़ नहीं मिलती है तो एकदम बिगड़ पड़ते हैं।
  • परन्तु बच्चों को परीक्षा समझ शान्त में रहना चाहिए।
  • आगे बड़े-बड़े ऋषि-मुनि कहते थे हम ईश्वर को नहीं जानते।
  • अब अगर यह लोग (संन्यासी आदि) ऐसे कहें तो कोई इनको माने ही नहीं।
  • समझेंगे जो खुद ही ईश्वर को नहीं जानते वह हमको रास्ता क्या बतायेंगे।
  • आजकल एक दो के गुरू बहुत बन गये हैं।
  • हिन्दू नारी का पति भी गुरू है, ईश्वर है।
  • गुरू तो सद्गति देंगे या पतित बनायेंगे।
  • अब तुम जानते हो जो भी सब सजनियां हैं, उनका गुरू अथवा साजन है एक।
  • मात-पिता, बापदादा सब कुछ वही है।
  • यह लोग फिर पति के लिए यह अक्षर कह देते हैं।
  • अब यहाँ तो वह बात नहीं है।
  • यहाँ तो तुम आत्माओं को परमपिता परमात्मा पढ़ाते हैं।
  • आत्मा इतनी छोटी है जिसमें 84 जन्मों का पार्ट नूँधा हुआ है।
  • परमात्मा भी छोटा स्टार है, उनमें भी सारा पार्ट नूँधा हुआ है।
  • मनुष्य समझते हैं परमात्मा सर्वशक्तिमान् है।
  • सब कुछ कर सकता है।
  • परमपिता परमात्मा कहते हैं ऐसी कोई बात नहीं है।
  • ड्रामा अनुसार मेरा भी पार्ट है।
  • बाबा समझाते हैं - तुम सब आत्मायें आपस में भाई-भाई हो।
  • आत्मा अपने भाई के शरीर का खून कैसे करेगी!
  • हम सब आत्माओं को बाप से वर्सा लेना है।
  • मेल हो, चाहे फीमेल.. यह भी देह-अभिमान छोड़ना है।
  • शिवबाबा कितना मीठा है।
  • तो हम भी शिवबाबा के बच्चे हैं।
  • भाई-भाई हैं तो हमको कभी भी आपस में लड़ना झगड़ना नहीं चाहिए।
  • देही-अभिमानी रहें तो कभी भी लड़े नहीं।
  • बाबा क्या कहेंगे!
  • बाप इतना मीठा और बच्चे लड़ते रहते हैं।
  • इस समय मनुष्यों में आत्मा का ज्ञान भी नहीं है।
  • हम आत्मा परमात्मा की सन्तान हैं फिर लड़ें क्यों?
  • मनुष्य तो सिर्फ कहने मात्र कह देते हैं।
  • तुम तो प्रैक्टिकल में हो।
  • बाप कहते हैं - देह-अभिमान को छोड़ो।
  • हम आत्मा हैं, अब वापिस जाना है, यही तात लगी रहे।
  • पूरा पुरुषार्थ करना चाहिए।
  • बाप जैसा मीठा और लवली जरूर बनना है, तब बाप कहेंगे सूपत बच्चा है।
  • कितना लवली हो गया है।
  • बाप कितना निरहंकारी है।
  • कहते हैं मैं तुम्हारा बाप, टीचर, गुरू सब कुछ हूँ।
  • आधाकल्प से तुम मुझे याद करते आये हो कि बाबा आओ।
  • यह मेरा भी ड्रामा में पार्ट है।
  • पहले यह घड़ी आदि नहीं थी, रेती पर टाइम देखते थे।
  • यह साइंस से जो कुछ बन रहा है, यह तुम्हारे लिए है।
  • यह साइंस वाले कोई ज्ञान नहीं लेंगे।
  • उनको आना ही प्रजा में है।
  • महल आदि बनाने वाली तो प्रजा ही होती है ना!
  • राजा रानी तो आर्डर देने वाले होते हैं।
  • तो यह कोई गुम नहीं हो जायेंगे, यह बहुत होशियार हो रहे हैं।
  • बाकी चन्द्रमा आदि पर जाना - यह सब अति की निशानी है।
  • साइंस भी दु:ख देने वाली हो गई है।
  • वहाँ सुख की चीजें रहती हैं।
  • यह बाकी है थोड़े समय के लिए।
  • टू मच में जाते हैं तो विनाश हो जाता है।
  • बाकी सुख तो तुम भोगेंगे।
  • मम्मा बाबा कहते हो तो फालो करना चाहिए।
  • तुम्हारे मुख से सदैव रत्न निकलने चाहिए।
  • कहते है पत्थरों ने गीत गाया।
  • पहले तुम पत्थरबुद्धि थे।
  • बाबा ने आकर तुमको पत्थरबुद्धि से पारसबुद्धि बनाया है।
  • अभी तुम गीता का गीत गा रहे हो।
  • बाकी वह पत्थर गीत नहीं गायेंगे।
  • गीता को ही गीत कहा जाता है।
  • तुम अभी परमपिता परमात्मा की बायोग्राफी को जानते हो।
  • वो लोग तो कुछ भी अर्थ नहीं समझते हैं।
  • रत्नों के बदले पत्थर ही मारते हैं।
  • अब तुम्हारी बुद्धि में रत्न हैं नम्बरवार।
  • कोई के मुख से तो हीरे, मोती निकलते हैं इसलिए ही तुम्हारे नाम पड़े हैं नीलम परी, सब्ज परी.. तुम पत्थरों से रत्न अथवा पारस बन रहे हो।
  • अब तुम्हारा काम है जो भी आवे उनको समझाना।
  • तो तुम्हारा परमपिता परमात्मा के साथ क्या सम्बन्ध है!
  • जब तक इस बात का एक्यूरेट जवाब नहीं लिखकर दें तब तक बाबा को मिलना ही फालतू है।
  • पहले बाप को जानें तब समझें कि बी.के. किसकी पोत्रियां हैं।
  • बड़ी ऊंची मंजिल है।
  • 21 जन्मों की बादशाही गरीब से गरीब भी ले सकते हैं।
  • विश्व का मालिक बनना कोई कम बात है क्या?
  • सिर्फ श्रीमत पर चलना है।
  • भगवान खुद कुर्बान जाते हैं - बच्चों पर।
  • 21 जन्मों की कुर्बानी करते हैं।
  • कहते हैं विश्व के मालिक भव।
  • जरूर बच्चों के मुख से रत्न ही निकलते हैं तब तो भविष्य में पूज्यनीय देवता बनते हैं।

  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) मीठा बन, माँ बाप का शो करना है।
  • कडुवापन जरा भी है तो उसे निकाल देना है।
  • बाप जैसा मीठा लवली जरूर बनना है।
  • 2) कोई भी काम श्रीमत के बिना नहीं करना है।
  • श्रीमत में ही सच्ची कमाई है।
  • वरदान:-
  • All Blessings of 2021-22
    • नॉलेजफुल बन हर कर्म के परिणाम को जान कर्म करने वाले मास्टर त्रिकालदर्शी भव
    • त्रिकालदर्शी बच्चे हर कर्म के परिणाम को जानकर फिर कर्म करते हैं।
    • वे कभी ऐसे नहीं कहते कि होना तो नहीं चाहिए था, लेकिन हो गया, बोलना नहीं चाहिए था, लेकिन बोल लिया।
    • इससे सिद्ध है कि कर्म के परिणाम को न जान भोलेपन में कर्म कर लेते हो।
    • भोला बनना अच्छा है लेकिन दिल से भोले बनो, बातों में और कर्म में भोले नहीं बनो।
    • उसमें त्रिकालदर्शी बनकर हर बात सुनो और बोलो तब कहेंगे सेंट अर्थात् महान आत्मा।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021-22)
    • एक दो को कॉपी करने के बजाए बाप को कॉपी करो तो श्रेष्ठ आत्मा बन जायेंगे।