19-03-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन



"मीठे बच्चे - बाप आये हैं तुम्हें इस दु:ख के लोक से निकाल सुख के धाम में ले जाने, धाम पवित्र स्थान को कहा जाता है''


 

प्रश्नः-

यह बेहद का खेल किन दो शब्दों के आधार पर बना हुआ है?

उत्तर:-

“वर्सा और श्राप'' बाप सुख का वर्सा देते, रावण दु:ख का श्राप देता, यह बेहद की बात है।

देवी-देवता धर्म वाले बाप से वर्सा लेते हैं।

आधाकल्प के बाद फिर रावण श्राप देता है।

तुम बच्चों को अब स्मृति आई कि हम निराकारी दुनिया में रहते थे फिर सुख का पार्ट बजाया।

हम सो देवता, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र बनें, अब ब्राह्मण बन देवता बनते हैं।

 

गीत:-ओम् नमो शिवाए....


  • ओम् शान्ति।
  • यह है बेहद बाप की महिमा।
  • ऊंचे ते ऊंचा वह भगवान है - यह तो सब जानते हैं।
  • ऊंचे ते ऊंच भगवान की मत भी जरूर ऊंची होगी इसलिए कहा जाता है श्रीमत अर्थात् श्रेष्ठ मत।
  • सभी भक्तियां उनको याद करती हैं।
  • वह है भगवान, तो भगवती भी चाहिए।
  • पिता है तो माता भी चाहिए।
  • एक होता है लौकिक मात-पिता, दूसरा होता है पारलौकिक मात-पिता।
  • लौकिक होते हुए जब कोई दु:खी होते हैं तो पारलौकिक को याद किया जाता है।
  • अब तुम्हारा लौकिक सम्बन्ध भी है।
  • पारलौकिक मात-पिता तुम्हें परलोक में ले जाते हैं।
  • लौकिक को बन्धन कहेंगे जिसमें दु:ख है।
  • दो परलोक हैं - एक निराकारी लोक, जहाँ आत्मायें रहती हैं, दूसरा साकारी लोक, जिसको सुखधाम कहा जाता है।
  • वह शान्तिधाम, वह सुखधाम।
  • बाबा आकर इस दु:ख के लोक, जिसे मृत्युलोक अथवा पतित भ्रष्टाचारी दुनिया कहा जाता है।
  • यहाँ से ले जाते हैं, यहाँ सब हैं पतित।
  • पतित उनको कहा जाता है जो विकार में जाते हैं।
  • सतयुग में पावन सम्पूर्ण निर्विकारी रहते हैं।
  • पहले लक्ष्मी-नारायण की महिमा गाते थे, अपने को विकारी समझते थे।
  • लक्ष्मी-नारायण, महाराजा-महारानी पवित्र थे तो प्रजा को भी पवित्र कहेंगे।
  • वह है सुखधाम, वैकुण्ठ।
  • नर्क को धाम नहीं कहेंगे।
  • धाम पवित्र को कहा जाता है।
  • यह है अपवित्र दुनिया।
  • भारत सुखधाम था।
  • अभी पतित भ्रष्टाचारी, नर्क है।
  • अभी सबको सुख के धाम में ले जाना है, तो जरूर बाप को ही आना पड़े, जो आकर बच्चों को सुखी बनावे।
  • बाबा है स्वर्ग का रचयिता।
  • कहते हैं हे बाबा, पहले-पहले आपने हमको स्वर्ग का वर्सा दिया था।
  • आधाकल्प हम स्वर्ग में रहे, उसको कहा ही जाता है सूर्यवंशी-चन्द्रवंशी राजधानी।
  • बाबा याद दिलाते हैं 21 जन्म तुम स्वर्ग में रहे।
  • 8 जन्म सतयुग के लिए, 12 जन्म त्रेता के लिए, यह सब बातें बाप बैठ समझाते हैं।
  • कहते हैं - बच्चे तुम अपने जन्मों को नहीं जानते हो, मैं तुमको सब कुछ बतलाता हूँ।
  • निराकार बाप निराकार बच्चों से बात करते हैं।
  • कहते हैं इस साधारण तन का लोन लेकर मैं तुमको समझाता हूँ।
  • आधाकल्प तुम अशोक वाटिका में थे, फिर तुम शोक वाटिका में आ गये।
  • सुख पूरा होकर दु:ख आ गया।
  • वाम मार्ग माना नर्क।
  • उसमें तुम दु:ख उठाते हो फिर बाप आकर रावणराज्य से छुड़ाकर रामराज्य में ले जाते हैं।
  • यह खेल बना हुआ है।
  • बाप सुख का वर्सा देते, रावण दु:ख का श्राप देते।
  • यह बेहद की बात है।
  • अभी बाप तुमको 21 जन्म के लिए सुख का वर्सा दे रहे हैं।
  • भगवान स्वर्ग रचते हैं, तो स्वर्ग का वर्सा मिलना चाहिए।
  • वर्सा पाया हुआ था।
  • माया ने आधाकल्प श्राप दे दिया।
  • तुम्हारी बुद्धि में सारा चक्र है।
  • इस चक्र का कभी अन्त नहीं होता।
  • फिर वर्सा देने बाप को जरूर आना ही है।
  • अब बाप आये हैं, जानते हैं वर्सा लेंगे वही जिन्होंने कल्प पहले भी लिया था।
  • देवी-देवता धर्म के सिवाए दूसरा कोई वर्सा ले न सके।
  • पहले ब्राह्मण बनने बिगर देवता बन न सके।
  • पहले हम आत्मायें निराकारी दुनिया में रहने वाले हैं।
  • फिर आते हैं सुख का पार्ट बजाने।
  • हम सो देवता बनें फिर क्षत्रिय, वैश्य सो शूद्र बने।
  • हम इन वर्णो में आते हैं।
  • अब जो ब्राह्मण बनते हैं वह अपने को ब्रह्माकुमार और कुमारियां कहलाते हैं।
  • समझते हैं हम भाई-बहिन हो गये।
  • फिर विकार की दृष्टि रह न सके।
  • जानते हैं हम पवित्र बन पवित्र दुनिया के मालिक बनेंगे।
  • बाप और स्वर्ग को याद करते हैं और यह एक जन्म पवित्र रहते हैं।
  • यह है मृत्युलोक।
  • यह मुर्दाबाद हो, अमरलोक जिंदाबाद होना है।
  • वहाँ 5 विकार होते ही नहीं, रावणराज्य ही खत्म हो जायेगा।
  • सतयुग त्रेता को रामराज्य, द्वापर कलियुग को रावणराज्य कहा जाता है।
  • वही भारत हीरे जैसा था, अब कौड़ी जैसा बन गया है।
  • अब बाप कहते हैं तुमको हीरे जैसा जन्म देने आया हूँ।
  • तुम मेरी श्रीमत पर चलो।
  • नहीं तो तुम स्वर्ग के सुख देख नहीं सकेंगे।
  • स्वर्ग में दु:ख का नाम नहीं होता है और कोई खण्ड नहीं रहता।
  • भारत ही असुल में प्राचीन खण्ड है।
  • केवल देवी-देवताओं का ही राज्य होता है इसलिए उसको स्वर्ग कहा जाता है।
  • आधाकल्प तुमने स्वर्ग का सुख भोगा फिर रावण राज्य शुरू हुआ।
  • सतयुग को शिवालय कहा जाता है।
  • शिवबाबा का स्थापन किया हुआ है।
  • शिवबाबा ब्रह्मा द्वारा स्वर्ग की स्थापना, शंकर द्वारा नर्क का विनाश कराते हैं।
  • जो स्थापना करेंगे वही स्वर्ग में पालना भी करेंगे।
  • वही विष्णुपुरी के मालिक भी बनेंगे।
  • शिवबाबा ही शूद्र से ब्राह्मण बनाते हैं।
  • इस समय तुम्हारा ब्राह्मण वर्ण है।
  • फिर देवताओं का वर्ण हो जायेगा।
  • अभी तुम ईश्वर द्वारा ब्राह्मण वर्ण में आये हो फिर तुम ईश्वरीय वर्ण में बाप के साथ परमधाम में रहेंगे।
  • फिर वहाँ से देवता वर्ण में आयेंगे।
  • सतयुग में एक देवताओं का ही राज्य था, उस समय और कोई खण्ड नहीं था।
  • बाद में इस्लामी, बौद्धी आदि आये हैं।
  • अभी तुम पाण्डव योगबल से 5 विकारों पर जीत पाए जगत जीत विश्व के मालिक बनते हो।
  • लक्ष्मी-नारायण, सूर्य-वंशी स्वर्ग के मालिक थे।
  • उन्हों को भी संगम पर बाप से ही वर्सा मिला।
  • संगमयुग ब्राह्मणों का है, जो ब्राह्मण नहीं बनते वह गोया कलियुग में हैं।
  • बाप तुमको वेश्यालय से निकाल शिवालय में ले जा रहे हैं।
  • अब तुम हो ब्रह्मा के बच्चे ब्रह्माकुमार और ब्रह्माकुमारियां।
  • तुम भाई-बहिन हो कभी भी विष पान नहीं कर सकते।
  • हाँ, गृहस्थ व्यवहार में तो रहना ही है, परन्तु विकार में नहीं जा सकते।
  • इस रावणराज्य में रह कमल फूल समान पवित्र रहना है।
  • फिर यह प्रश्न नहीं उठ सकता कि सृष्टि कैसे बढ़ेगी।
  • बाप का फरमान है - मैं पवित्र दुनिया बनाने आया हूँ।
  • तुम यह अन्तिम जन्म पवित्र बनो तो तुम पवित्र दुनिया के मालिक बन सकते हो।
  • इस पर ही अबलाओं पर अत्याचार होते हैं।
  • रूद्र ज्ञान यज्ञ में असुरों के विघ्न भी पड़ते हैं।
  • बाप कहते हैं श्रीमत पर चलने से ही तुम श्रेष्ठ बनेंगे।
  • इतना समय तुम आसुरी मत पर अर्थात् 5 भूतों की मत पर थे।
  • मैं आत्मा हूँ, मुझे इस शरीर से पार्ट बजाना है - यह कोई जानते नहीं।
  • आत्मा सालिग्राम को ही कहते हैं।
  • सालिग्राम भी कोई इतना बड़ा नहीं है।
  • परमात्मा भी इतना कोई बड़ा नहीं है।
  • आत्मा अथवा परमात्मा स्टार मिसल हैं।
  • आत्मा में सारा पार्ट भरा हुआ है।
  • आत्मा कहती है मैं एक शरीर छोड़ दूसरा धारण करती हूँ - पार्ट बजाने अर्थ।
  • श्री नारायण की आत्मा कहेगी हम श्री नारायण का रूप धारण कर इतना जन्म राज्य करेंगे।
  • आत्मा में ही सारा अविनाशी पार्ट भरा हुआ है, इनको ही गॉड फादरली नॉलेज कहा जाता है।
  • भगवानुवाच, स्प्रीचुअल फादर आत्माओं को बैठ पढ़ाते हैं, कोई मनुष्य नहीं पढ़ाते।
  • यह बेहद का बाप पढ़ाते हैं।
  • तो यह चक्र कैसे फिरता है।
  • इस सृष्टि चक्र और रचयिता वा रचना की नॉलेज को कोई मनुष्य मात्र नहीं जानते।
  • अभी तुम शिवालय सतयुग में राज्य करने लायक बनते हो।
  • भारत जब लायक था तो बड़ा अक्लमंद था।
  • अब बाप फिर हीरे जैसा बनाने आया है, तो उनकी श्रीमत पर चलना पड़े।
  • रावण मत तुमको कौड़ी तुल्य बनाती है।
  • तुम जानते हो कि इस दुनिया की आयु 5 हजार वर्ष है, उसमें ही पुरानी और नई बनती है।
  • सतयुग त्रेता नई दुनिया, द्वापर कलियुग पुरानी दुनिया।
  • बाप फिर से दैवी दुनिया की स्थापना करने आये हैं।
  • तुम आत्मायें पूरे 84 जन्म लेती हो।
  • आत्मा ही इन आरगन्स द्वारा बोलती और सुनती है।
  • एक पुराना शरीर छोड़ नया लेती है।
  • आत्माओं को बाप ने यह ज्ञान दिया है कि हम बाप के साथ पहले स्वीट होम में थे फिर हम सो देवता, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र बनें।
  • अब हमारा यह अन्तिम जन्म है।
  • हम ब्राह्मण स्वर्ग का वर्सा ले देवता बनेंगे।
  • नया शरीर धारण करेंगे।
  • यह चक्र बुद्धि में फिरना चाहिए।
  • पवित्र रहने से तुम स्वर्ग के चक्रवर्ती महाराजा बनेंगे।
  • यह बात उन्हों की बुद्धि में आयेगी जो कल्प पहले मुआफिक बने होंगे।
  • नहीं तो बुद्धि में आयेगी ही नहीं।
  • वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी समझने की है।
  • कोई तो जानकर भी यह पढ़ाई छोड़ देते हैं।
  • स्वर्ग में तो आयेंगे परन्तु योगी बन विकर्म विनाश नहीं किये तो सजा भोगनी पड़ेगी।
  • स्वर्ग में आयेंगे परन्तु प्रजा में भी कम पद पायेंगे।
  • स्वर्ग में पहले पावन महाराजा-महारानी थे वही फिर पतित राजा रानी बने।
  • अब तो वह भी राजा रानी नहीं हैं।
  • फिर अभी बाप द्वारा पावन राजा-रानी बन रहे हैं।
  • यह ईश्वरीय नॉलेज निराकार बाप ही पढ़ाते हैं।
  • यह साकार में ब्रह्मा भी उस निराकार से ही सुन रहा है।
  • निराकार बाप बैठ पढ़ाते हैं।
  • इस ज्ञान से ही मनुष्य से देवता बनते हैं, इस ब्रह्मा की आत्मा भी पढ़ती है।
  • बच्चों की आत्मा भी पढ़ती है।
  • अच्छे वा बुरे संस्कार आत्मा में ही रहते हैं।
  • अच्छे संस्कार होंगे तो अच्छे घर में जन्म लेंगे।
  • पढ़ते-पढ़ते फिर नॉलेज भी छोड़ देते हैं।
  • माया अपनी तरफ खींच लेती है।
  • एक तरफ है रावण की मत, दूसरी तरफ है राम की मत।
  • इस अन्तिम जन्म में राम की मत पर चलना है।
  • रावण की जीत होने से कभी उधर चले जाते हैं।
  • फिर राम से दुश्मन बन पड़ते हैं।
  • उनके लिए सजा बड़ी कड़ी है।
  • तुमने राम की शरण ली है।
  • फिर अगर ट्रेटर बन रावण की शरण ली तो राम की निंदा करायेंगे।
  • तुम्हारी बुद्धि में है कि यह बरोबर रामराज्य और रावण राज्य का खेल बना हुआ है।
  • सतयुग सतोप्रधान, त्रेता सतो, फिर द्वापर रजो, कलियुग में तमो, तुम अभी सतोप्रधान में जायेंगे।
  • बाबा आकर सतोप्रधान बनाते हैं।
  • फिर 16 कला से 14 कला में आना है।
  • फिर रावण के संग में कलायें कम होती जाती हैं।
  • अभी कलियुग में कोई कला नहीं रही।
  • सब कहते हैं हम पतित भ्रष्टाचारी हैं।
  • पतित दुनिया का विनाश होना है, पावन दुनिया स्थापन हो रही है।
  • बेहद का बाप बच्चों को जान सकते हैं।
  • अभी तुम भगवान के घर में बैठे हो।
  • तुम ब्राह्मण ब्राह्मणियां फिर देवता बनेंगे, फिर क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र.. यह चक्र है।
  • चक्रवर्ती तुम ब्राह्मण हो।
  • राजयोग सीख ज्ञान धारण करने से चक्रवर्ती राजा-रानी बनेंगे।
  • तो पुरुषार्थ कर स्वर्ग में ऊंच पद पाना है।

  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) इस अन्तिम जन्म में राम की मत पर चलना है।
  • कभी भी राम की शरण छोड़ रावण की शरण में जाकर बाप की निंदा नहीं करानी है।
  • 2) सजाओं से छूटने के लिए योगी बन विकर्म विनाश करने हैं। पवित्र दुनिया में चलने के लिए पवित्र जरूर बनना है।
  • वरदान:-
  • ( All Blessings of 2021-22)
    • बेहद के अधिकार को स्मृति में रख सम्पूर्णता की बधाईयां मनाने वाले मास्टर रचयिता भव
    • संगमयुग पर आप बच्चों को वर्सा भी प्राप्त है, पढ़ाई के आधार पर सोर्स आफ इनकम भी है और वरदान भी मिले हुए हैं।
    • तीनों ही संबंध से इस अधिकार को स्मृति में इमर्ज रखकर हर कदम उठाओ।
    • अभी समय, प्रकृति और माया विदाई के लिए इन्तजार कर रही है सिर्फ आप मास्टर रचयिता बच्चे, सम्पूर्णता की बंधाईयां मनाओ तो वो विदाई ले लेगी।
    • नॉलेज के आइने में देखो कि अगर इसी घड़ी विनाश हो जाए तो मैं क्या बनूंगा?
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021-22)
    • हर समय, हर कर्म में बैलेन्स रखो तो सर्व की ब्लैसिंग स्वत: प्राप्त होंगी।