16-03-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
"मीठे बच्चे - तुम ब्राह्मण हो यज्ञ रक्षक, यह यज्ञ ही तुम्हें मन-इच्छित फल देने वाला है''
प्रश्नः-
किन दो बातों के आधार से 21 जन्मों के लिए सब दु:खों से छूट सकते हो?
उत्तर:-
प्यार से यज्ञ की सेवा करो और बाप को याद करो तो 21 जन्म कभी दु:खी नहीं होंगे।
दु:ख के आंसू नहीं बहायेंगे।
तुम बच्चों को बाप की श्रीमत है - बच्चे बाप के सिवाए कोई भी मित्र सम्बन्धी, दोस्त आदि को याद न करो।
बन्धनमुक्त बन प्यार से यज्ञ की सम्भाल करो तो मन-इच्छित फल मिलेगा।
गीत:-बचपन के दिन भुला न देना...
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- ओम् शान्ति।
- मीठे-मीठे बच्चों ने गीत सुना और इसका अर्थ भी समझा कि यह हमारा ईश्वरीय जन्म है, इस जन्म में हम जिसे मम्मा बाबा कहते हैं उनकी मत पर चलने से ही हम विश्व के मालिक बनेंगे क्योंकि वह है नये विश्व का रचयिता।
- इस निश्चय से ही तुम यहाँ बैठे हो और विश्व के मालिकपने का वर्सा ले रहे हो।
- यह जो पुरानी विश्व है वह तो विनाश होने वाली है, इनमें कोई सुख नहीं।
- सब विषय सागर में गोते खा रहे हैं।
- रावण की जंजीरों में दु:खी होकर सबको मरना है।
- अब बाप बच्चों को वर्सा देने आये हैं।
- बच्चे जानते हैं हम जिनके बने हैं उससे वर्सा पाना है।
- वह हमको राजयोग सिखलाते हैं।
- जैसे बैरिस्टर कहेंगे हम बैरिस्टर बनायेंगे।
- बाप कहते हैं तुमको स्वर्ग का डबल सिरताज बनाऊंगा।
- श्री लक्ष्मी-नारायण अथवा उसकी डिनायस्टी का वर्सा देने आया हूँ।
- उसके लिए तुम राजयोग सीख रहे हो।
- यह बातें भूलो मत।
- माया भुलायेगी, परमपिता परमात्मा से बेमुख करेगी।
- उनका धन्धा ही यह है।
- जब से उसका राज्य हुआ है, तुम बेमुख बनते आये हो।
- अब कोई काम के नहीं रहे।
- शक्ल भल मनुष्य की है परन्तु सीरत बिल्कुल बन्दर की है।
- अब तुम्हारी सूरत मनुष्य की, सीरत देवताओं की बना रहे हैं इसलिए बाबा कहते हैं बचपन भूल न जाओ, इसमें तकलीफ कोई भी नहीं है।
- जो निर्बन्धन हैं उनके तो अहो भाग्य कहेंगे।
- वह लौकिक मात-पिता तो हैं विकारों में डालने वाले और यह मात-पिता है स्वर्ग में ले जाने वाले।
- ज्ञान स्नान करा रहे हैं।
- आराम से बैठे हैं।
- हाँ, शरीर से काम भी लेना है।
- बेहद के बाप से वर्सा मिल रहा है और कोई की याद नहीं सताती।
- अगर कोई बन्धन है तो फिर याद सताती है।
- कोई सम्बन्धी याद आया, मित्र-दोस्त याद आया, बाइसकोप याद आया.. तुमको तो बाप कहते हैं और कोई को याद नहीं करो।
- यज्ञ की सेवा करो और बाप को याद करो तो 21 जन्म तुम कभी दु:ख नहीं पायेंगे।
- दु:ख के आंसू नहीं बहेंगे।
- ऐसे बेहद के माँ बाप को कभी छोड़ना नहीं चाहिए।
- यज्ञ की सेवा करनी चाहिए।
- तुम हो यज्ञ के रक्षक।
- यज्ञ की हर प्रकार की सेवा करनी है।
- यह यज्ञ मन-इच्छित फल देता है अर्थात् जीवनमुक्ति, स्वर्ग की राजाई देता है।
- तो ऐसे यज्ञ की कितनी सम्भाल करनी चाहिए।
- कितनी शान्ति रहनी चाहिए।
- जो कोई भी आवे तो समझे यहाँ तो सुख-शान्ति लगी हुई है।
- यहाँ कुछ भी आवाज करना बिल्कुल पसन्द नहीं आता।
- रावण के राज्य से छूटकर आये हैं।
- अभी हम रामराज्य में जाते हैं।
- जो बन्धन-मुक्त हैं उनके लिए तो अहो सौभाग्य।
- लखपति, करोड़पति से भी वह महान सौभाग्यशाली हैं जो बेहद के बाप से वर्सा लेते हैं, जिसका बंधन टूट गया उनका भी कहेंगे अहो सौभाग्य।
- जो बन्धनमुक्त बन बाबा से वर्सा लेते हैं, उनकी कितनी तकदीर खुल जाती है।
- बाहर तो रौरव नर्क है, जिसमें दु:ख के बिगर कोई सुख नहीं है।
- अब बाप कहते हैं और सब चिंताओं को छोड़, यज्ञ की सर्विस प्यार से करो।
- धारणा करो।
- पहले-पहले अपना जीवन हीरे जैसा बनाना है।
- वह बनेगा श्रीमत पर।
- यहाँ तो सब बच्चे बन्धन से छूटे हुए हैं।
- अपना स्वभाव भी बहुत अच्छा रखना है, सतोप्रधान बनना है।
- नहीं तो सतोप्रधान राज्य में ऊंच पद पा नहीं सकेंगे।
- यज्ञ से जो कुछ मिले वह स्वीकार करना है।
- बाबा अनुभवी है।
- भल कितना भी बड़ा जौहरी था, कहाँ आश्रम में जायेंगे तो आश्रम के नियमों पर पूरा चलेंगे।
- वहाँ ऐसे नहीं मांगा जाता कि हमको फलानी चीज़ दो।
- बड़ा रॉयल्टी से जो भोजन सबको मिलता है वही खाया जाता है।
- इस ईश्वरीय आश्रम में बड़ी शान्ति चाहिए।
- जो पिया के साथ है.... सो भी दोनों बापदादा बैठे हैं।
- सम्मुख बैठ सुनते हैं।
- अगर अभी सर्विस लायक न बने तो फिर कल्प-कल्पान्तर पद भ्रष्ट हो जायेंगे।
- अन्धों की लाठी बन, यह महामन्त्र सबको देना है।
- यही संजीवनी बूटी है।
- कोई-कोई को माया बिल्कुल ही बेहोश कर देती है।
- इस युद्ध के मैदान में तो कहा जाता है बाप और वर्से को याद करो।
- यह है संजीवनी बूटी।
- हनूमान तो तुम ही हो, नम्बरवार महावीर बनते हो।
- बहुत हैं जो बेहोश हो पड़े हैं।
- उनको होश में लाना है तो कुछ जीवन बना लें।
- देह में भी मोह नहीं रखना है।
- मोह रखना चाहिए बाप और अविनाशी ज्ञान रत्नों में।
- जितनी धारणा होगी उतना औरों को भी करायेंगे।
- बाप कहते हैं हमको ज्ञानी तू आत्मा प्रिय लगते हैं।
- प्रदर्शनी की सर्विस के लिए बाबा ज्ञानी बच्चों को ही ढूँढते हैं।
- समझाना बड़ा सहज है।
- बड़े बड़े आदमी सुनकर खुश होते हैं।
- समझते हैं जीवन इस संस्था द्वारा बनती है।
- परन्तु यह भी कोटों में कोई समझते हैं।
- यह है बेहद का सन्यास।
- जो कुछ इस पुरानी दुनिया में देखते हैं, यह सब खत्म हो जायेगा।
- अभी तो बाप से वर्सा लेना हैं, वापिस जाना है।
- फिर से हम सूर्यवंशी कुल में आकर राज्य करेंगे।
- राज्य किया था फिर माया ने छीन लिया।
- कितनी सहज बात है।
- मीठे-मीठे बाप को याद करना है।
- दिल बाप के पास लगी हुई हो।
- बाकी कर्मेन्द्रियों से कर्म तो करना है।
- श्रीमत पर चलना है।
- लाडले मीठे-मीठे बच्चे बाप कहते हैं मुख से सदैव ज्ञान रत्न निकालो, पत्थर नहीं निकालो।
- कोई भी संसार समाचार की बातें नहीं निकालो।
- नहीं तो मुख कडुवा हो जायेगा।
- एक दो को रत्न देते रहो, तुम्हारे पास रत्नों की झोली है।
- विनाशी धन दान करते हैं।
- भारत को महादानी कहा जाता है।
- इस समय बाप बच्चों को दान करते हैं, बच्चे बाप को दान करते हैं।
- बाबा शरीर सहित यह सब कुछ आपका है।
- बाप फिर कहते हैं यह विश्व की बादशाही तुम्हारी है।
- इस पुरानी दुनिया का सब कुछ खत्म होना है, क्यों न हम बाबा से सौदा कर लें।
- बाबा यह सब कुछ आपका है, भविष्य में हमको राजाई देना।
- हम यही चाहते हैं कोई और चीज़ की हमको दरकार नहीं।
- ऐसे कोई न समझे कि हम तन-मन-धन देते हैं तो हम कोई भूख मरेंगे।
- नहीं, यह शिवबाबा का भण्डारा है, जिससे सबका शरीर निर्वाह होता रहता है और होता रहेगा।
- द्रोपदी का मिसाल।
- अब प्रैक्टिकल में पार्ट चल रहा है।
- शिवबाबा का भण्डारा सदैव भरपूर है।
- यह भी एक परीक्षा थी, जिनको डर लगा वह सब चले गये।
- बाकी साथ देने वाले चले आये।
- भूख मरने की बात नहीं।
- अब तो बच्चों के लिए महल बन रहे हैं।
- अच्छा रहना है तो मेहनत कर अपना ऊंच पद बनाना है।
- यह कल्प-कल्प की बाजी है।
- इस बारी इम्तहान में फेल हुए तो कल्प-कल्पान्तर होते रहेंगे।
- पास भी ऐसा होना है जो मम्मा बाबा के तख्त पर बैठें। 21 जन्म तख्त पिछाड़ी तख्त पर बैठेंगे।
- एक बाप के सिवाए कोई को भी याद नहीं करना है।
- मुरली लिखना बहुत अच्छी सर्विस है, सभी खुश होंगे, आशीर्वाद करेंगे।
- बाबा अक्षर बहुत अच्छे हैं।
- नहीं तो लिखते हैं अक्षर अच्छे नहीं।
- बाबा हमको वाणी कट करके भेज देते हैं।
- हमारे रत्नों की चोरी हो जाती है।
- बाबा हम अधिकारी हैं - जो आपके मुख से रत्न निकलते हैं वह सब हमारे पास आने चाहिए।
- यह कहेंगे भी वही जो अनन्य होंगे।
- मुरली की सेवा बहुत अच्छी रीति करनी चाहिए।
- सभी भाषायें सीखनी चाहिए।
- मराठी, गुजराती आदि.. जैसे बाबा रहमदिल है बच्चों को भी रहमदिल बनना है।
- पुरुषार्थ कर जीवन बनाने के लिए मददगार बनना है।
- बाकी उस दुनिया का जीवन तो बिल्कुल ही फीका है।
- एक दो को काटते रहते हैं।
- कितने पतित हैं।
- अब क्यों न हम बाबा की श्रीमत पर चलें।
- बाबा मैं आपका हूँ, आप जिस सर्विस में चाहें लगा दें।
- फिर रेसपान्सिबुल बाबा होगा।
- एशलम में आने वाले को बाबा सब बन्धनों से मुक्त कर देगा।
- बाकी इस दुनिया में तो गन्द लगा पड़ा है।
- ईश्वर सर्वव्यापी कह बेमुख कर देते हैं।
- अगर सर्वव्यापी है, नजदीक बैठे हैं फिर हे प्रभू कह पुकारने की क्या दरकार है।
- समझाओ तो गुर्र गुर्र करते हैं।
- अरे भगवान खुद कहते हैं मैंने तो कभी ऐसे कहा नहीं कि मैं सर्वव्यापी हूँ।
- यह तो भक्ति मार्ग वालों ने लिख दिया है।
- हम भी खुद पढ़ते थे।
- परन्तु उस समय ऐसे नहीं समझते थे कि यह कोई ग्लानी है।
- भक्तों को कुछ भी मालूम नहीं पड़ता है, जो कुछ कहो वह सत्य मान लेते हैं।
- बाबा कितना अच्छी रीति समझाते हैं फिर बाहर जाकर हंगामा करते हैं।
- तो फिर वहाँ चलकर दास दासियां नौकर चाकर बनेंगे।
- बाबा ने कह दिया है पिछाड़ी का जब समय होगा उस समय तुमको पूरा पता पड़ेगा।
- साक्षात्कार करते रहेंगे और बताते रहेंगे कि फलाने-फलाने यह बनेंगे।
- फिर उस समय सिर नीचे करना पड़ेगा, फिर वह खुशी नहीं रहेगी, जो राजाई वालों को रहेगी।
- दिल अन्दर जैसे कांटा लगता रहेगा, यह क्या हुआ!
- परन्तु टू लेट, बहुत पछतायेंगे।
- होगा तो कुछ भी नहीं।
- बाप कहेंगे - तुमको इतना समझाते थे फिर भी तुम यह करते थे, अब अपना हाल देखो।
- कल्प-कल्पान्तर पछतायेंगे।
- सजनियों को नम्बरवार ले जायेंगे ना।
- नम्बरवन से लास्ट तक समझेंगे।
- पढ़ाई अच्छी नहीं पढ़ी है तो लास्ट में बैठे हैं।
- इम्तहान के दिनों में मालूम पड़ जाता है कि हम कितनी मार्क्स से पास होंगे।
- तुम समझेंगे कि हम क्या पद पायेंगे।
- सर्विस नहीं करेंगे तो धूल मिलेगा।
- पढ़ाई और सर्विस पर ध्यान देना है।
- मीठे ते मीठे बाबा के बच्चे हो तो बहुत मीठा बनना है।
- शिवबाबा कितना मीठा, कितना प्यारा है।
- हमको फिर से ऐसा बनाते हैं।
- कितनी बड़ी युनिवर्सिटी है।
अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) देह सहित सबसे मोह निकाल, बाप और अविनाशी ज्ञान रत्नों से मोह रखना है।
ज्ञान रत्न दान करते रहना है।
2) पढ़ाई और सर्विस पर पूरा ध्यान देना है, बाप समान मीठा बनना है।
संसार समाचार न सुनना है, न दूसरों को सुनाकर मुख कडुवा करना है।
वरदान:-
( All Blessings of 2021-22)
- हदों से न्यारे रह परमात्म प्यार का अनुभव करने वाले रूहानियत की खुशबू से सम्पन्न भव
- जैसे गुलाब का पुष्प कांटों के बीच में रहते भी न्यारा और खुशबूदार रहता है, कांटों के कारण बिगड़ नहीं जाता।
- ऐसे रूहे गुलाब जो सर्व हदों से वा देह से न्यारे हैं, किसी भी प्रभाव में नहीं आते वे रूहानियत की खुशबू से सम्पन्न रहते हैं।
- ऐसी खुशबूदार आत्मायें बाप के वा ब्राह्मण परिवार के प्यारे बन जाते हैं।
- परमात्म प्यार अखुट है, अटल है, इतना है जो सभी को प्राप्त हो सकता है, लेकिन उसे प्राप्त करने की विधि है - न्यारा बनना।
स्लोगन:-
(All Slogans of 2021-22)
- अव्यक्त स्थिति का अनुभव करने के लिए व्यक्त भाव और भावनाओं से परे रहो।
- अनमोल ज्ञान रत्न (दादियों की पुरानी डायरी से)
- यह ज्ञान बल बहुत बड़ा है, जो ज्ञान अन्दर में भरा हुआ रहता है। बाहर हाथों से भले कोई भी काम करे लेकिन आन्तरिक मन्सा की शुद्ध वृत्ति से ही पद की प्राप्ति होती है। आन्तरिक वृत्ति से ही सब कुछ स्वाहा करना चाहिए। अगर आन्तरिक वृत्ति से सब कुछ स्वाहा नहीं किया और बाहर से कितना भी काम करता है तो भी उन्हें पद की प्राप्ति नहीं होती है। फिर स्वाहा करने में यह नहीं आना चाहिए कि मैंने सब कुछ स्वाहा किया। मैंने किया, यह कर्तापन अगर अन्दर में रहता है, तो उनसे होने वाली प्राप्ति चली जाती है। फिर उनसे कोई फल नहीं निकलता, वह निष्फल हो जाता है इसलिए कर्तापन का अभाव होना चाहिए। यह आन्तरिक वृत्ति रहनी चाहिए कि विराट फिल्म अनुसार सब कुछ होता है, मैं निमित्त होके पुरुषार्थ करता हूँ, इस आन्तरिक मन्सा की वृत्ति से ही पद की प्राप्ति होती है। ओम् शान्ति।
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