09-03-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन



"मीठे बच्चे - इस पुरानी देह का भान भूलो, इससे ममत्व मिटाओ तो तुम्हें फर्स्ट क्लास शरीर मिल जायेगा, यह शरीर तो खत्म हुआ ही पड़ा है''

प्रश्नः-

इस ड्रामा का अटल नियम कौन सा है, जिसे मनुष्य नहीं जानते हैं?

उत्तर:-

जब ज्ञान है तो भक्ति नहीं और जब भक्ति है तो ज्ञान नहीं।

जब पावन दुनिया है तो कोई भी पतित नहीं और जब पतित दुनिया है तो कोई भी पावन नहीं.. यह है ड्रामा का अटल नियम, जिसको मनुष्य नहीं जानते हैं।

प्रश्नः-

सच्ची काशी कलवट खाना किसे कहेंगे?

उत्तर:-

अन्त में किसी की भी याद न आये।

एक बाप की ही याद रहे, यह है सच्ची काशी कलवट खाना।

काशी कलवट खाना अर्थात् पास विद् ऑनर हो जाना जिसमें जरा भी सजा न खानी पड़े।

 

गीत:-दर पर आये हैं कसम ले..


  • ओम् शान्ति।
  • बाप बच्चों को समझाते हैं क्योंकि बच्चों ने बाप को अपना बनाया है और बाप ने बच्चों को अपना बनाया है क्योंकि दु:खधाम से छुड़ाए शान्तिधाम और सुखधाम में ले जाना है।
  • अभी तुम सुखधाम में जाने के लिए लायक बन रहे हो।
  • पतित मनुष्य कोई पावन दुनिया में नहीं जा सकते।
  • कायदा ही नहीं है।
  • यह कायदा भी तुम बच्चे ही जानते हो।
  • मनुष्य तो इस समय पतित विकारी हैं।
  • जैसे तुम पतित थे, अब तुम सब आदतें मिटाए सर्वगुण सम्पन्न देवी-देवता बन रहे हो।
  • गीत में कहा - हम जीते जी मरने अथवा आपका बनने आये हैं फिर आप जो हमको मत देंगे क्योंकि आपकी मत तो सर्वोत्तम है।
  • और जो भी अनेक मतें हैं वह हैं आसुरी।
  • इतना समय तो हमको भी पता नहीं था कि हम कोई आसुरी मत पर चल रहे हैं।
  • न दुनिया वाले समझते हैं कि हम ईश्वरीय मत पर नहीं चल रहे हैं।
  • रावण मत पर हैं।
  • बाबा कहते हैं बच्चे आधाकल्प से तुम रावण मत पर चलते आये हो।
  • वह है भक्ति मार्ग रावण राज्य।
  • कहते हैं रामराज्य ज्ञान काण्ड, रावणराज्य भक्ति काण्ड।
  • तो ज्ञान, भक्ति और वैराग्य।
  • किससे वैराग्य?
  • भक्ति से और पुरानी दुनिया से वैराग्य।
  • ज्ञान दिन, भक्ति रात।
  • रात के बाद दिन आता है।
  • वैराग्य है भक्ति से और पुरानी दुनिया से।
  • यह है बेहद का राइटियस वैराग्य।
  • संन्यासियों का वैराग्य अलग है।
  • वह सिर्फ घरबार से वैराग्य करते हैं।
  • वह भी ड्रामा में नूँध है।
  • हद का वैराग्य अथवा प्रवृत्ति का संन्यास।
  • बाप समझाते हैं - तुम बेहद का संन्यास कैसे करो।
  • तुम आत्मा हो, भक्ति में न आत्मा का ज्ञान, न परमात्मा का ज्ञान रहता है।
  • हम आत्मा क्या हैं, कहाँ से आये हैं, क्या पार्ट बजाना है, कुछ भी नहीं जानते।
  • सतयुग में सिर्फ आत्मा का ज्ञान है।
  • हम आत्मा एक शरीर छोड़ दूसरा लेते हैं।
  • परमात्मा के ज्ञान की वहाँ दरकार नहीं, इसलिए परमात्मा को याद नहीं करते।
  • यह ड्रामा ऐसा बना हुआ है।
  • बाप है नॉलेजफुल।
  • सृष्टि चक्र के आदि-मध्य-अन्त का नॉलेज बाप के पास ही है।
  • बाप ने तुमको आत्मा परमात्मा का ज्ञान दिया है।
  • तुम कोई से भी पूछो आत्मा का रूप क्या है?
  • कहेंगे वह ज्योति स्वरूप है।
  • परन्तु वह चीज़ क्या है कुछ भी नहीं जानते।
  • तुम अब जानते हो आत्मा बिल्कुल छोटी बिन्दी स्टॉर है।
  • बाबा भी स्टॉर मिसल है।
  • परन्तु उनकी महिमा बहुत है।
  • अब बाप सम्मुख बैठ समझाते हैं कि तुम मुक्ति-जीवनमुक्ति कैसे पा सकते हो।
  • श्रीमत पर चलने से तुम ऊंच पद पा सकते हो।
  • लोग दान-पुण्य, यज्ञ आदि करते हैं।
  • समझते हैं भगवान रहम करके हमको यहाँ से ले जायेंगे।
  • पता नहीं किसी न किसी रूप में मिल जायेगा।
  • पूछो कब मिलेगा?
  • तो कहेंगे अभी बहुत समय पड़ा है, अन्त में मिलेगा।
  • मनुष्य बिल्कुल अन्धियारे में हैं।
  • तुम अभी सोझरे में हो।
  • तुम अब पतितों को पावन बनाने के निमित्त बने हो - गुप्त रूप में।
  • तुम्हें बहुत शान्ति से काम लेना है।
  • ऐसा प्यार से समझाओ जो मनुष्य से देवता अथवा कौड़ी से हीरे मिसल चुटकी में बन जायें।
  • अब बाप कहते हैं कल्प कल्प मुझे आकर तुम बच्चों की सेवा में उपस्थित होना है।
  • यह सृष्टि चक्र कैसे चलता है, वह समझाना है।
  • वहाँ देवतायें बहुत मौज में रहते हैं।
  • बाबा का वर्सा मिला हुआ है।
  • कोई चिंता वा फिकर की बात नहीं।
  • गाया जाता है गार्डन ऑफ अल्लाह।
  • वहाँ हीरे जवाहरों के महल थे, बहुत धनवान थे।
  • इस समय बाबा तुमको बहुत धनवान बना रहे हैं - ज्ञान रत्नों से।
  • फिर तुमको शरीर भी फर्स्टक्लास मिलेगा।
  • अब बाबा कहते हैं देह-अभिमान छोड़ देही-अभिमानी बनो।
  • यह देह और देह के सम्बन्ध आदि जो भी हैं सब मटेरियल हैं।
  • तुम अपने को आत्मा निश्चय करो, 84 जन्मों का ज्ञान बुद्धि में है।
  • अब नाटक पूरा होता है, अब चलो अपने घर।
  • बुद्धि में यही रहे कि बस अब इस मटेरियल को छोड़ा कि छोड़ा, तब तो बुद्धियोग बाप के साथ रहे और विकर्म विनाश हों।
  • गृहस्थ व्यवहार में कमल फूल समान रहना है।
  • उपराम होकर रहो।
  • वानप्रस्थी घर बार से किनारा कर साधुओं के पास जाकर बैठ जाते हैं।
  • परन्तु यह ज्ञान नहीं कि हमको मिलना क्या है।
  • वास्तव में ममत्व तब मिटता है जब प्राप्ति का भी मालूम हो।
  • अन्त समय बाल बच्चे याद न आयें, इसलिए किनारा कर देते हैं।
  • यहाँ तुम जानते हो इस पुरानी दुनिया से ममत्व मिटाने से हम विश्व के मालिक बन जायेंगे।
  • यहाँ आमदनी बहुत भारी है।
  • बाकी जो कुछ करते हैं - अल्पकाल सुख के लिए पढ़ते हैं।
  • भक्ति करते हैं अल्पकाल सुख के लिए।
  • मीरा को साक्षात्कार हुआ परन्तु राज्य तो नहीं लिया।
  • तुम जानते हो बाबा की मत पर चलने से भारी इनाम मिलता है।
  • प्युरिटी, पीस, प्रॉसपर्टी स्थापन करने लिए तुमको कितनी प्राइज़ मिलती है।
  • बाप कहते हैं अब देह का भान उड़ाते रहो।
  • हम आपको सतयुग में फर्स्टक्लास देह और देह के सम्बन्धी देंगे।
  • वहाँ दु:ख का नाम निशान नहीं, इसलिए अब मेरी मत पर एक्यूरेट चलो।
  • मम्मा बाबा चलते हैं इसलिए पहली बादशाही उन्हों को ही मिलती है।
  • इस समय ज्ञान ज्ञानेश्वरी बनते हैं, सतयुग में राज राजेश्वरी बनते हैं।
  • जब ईश्वर के ज्ञान से तुम राजाओं का राजा बन जाते हो फिर वहाँ यह ज्ञान नहीं रहता है।
  • यह ज्ञान तुमको अभी है।
  • देह का भान अब तोड़ना है।
  • मेरी स्त्री, मेरा बच्चा यह सब भूलना है।
  • यह सब मरे पड़े हैं।
  • हमारा शरीर भी मरा पड़ा है।
  • हमको तो बाप के पास जाना है।
  • इस समय आत्मा का भी ज्ञान किसको नहीं है।
  • आत्मा का ज्ञान सतयुग में रहता है।
  • सो भी अन्त के समय जब शरीर बूढ़ा होता है तब आत्मा कहती है - अब मेरा शरीर बूढ़ा हुआ है, अब मुझे नया लेना है।
  • पहले तुमको मुक्तिधाम जाना है।
  • सतयुग में ऐसे नहीं कहेंगे कि घर जाना है।
  • नहीं।
  • घर लौटने का समय यह है।
  • यहाँ सम्मुख कितना ठोक-ठोक कर तुम्हारी बुद्धि में बिठाते हैं।
  • सम्मुख सुनने और मुरली पढ़ने में रात दिन का फर्क है।
  • आत्मा को अब पहचान मिली है, उसको ज्ञान के चक्षु कहा जाता है।
  • कितनी विशाल बुद्धि चाहिए।
  • छोटी स्टार मिसल आत्मा में कितना पार्ट भरा हुआ है।
  • अब बाबा के पिछाड़ी हम भी भागेंगे।
  • शरीर तो सबके खत्म होने हैं।
  • वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी को फिर रिपीट होना है।
  • घरबार को छोड़ना नहीं है।
  • सिर्फ ममत्व मिटाना है और पवित्र बनना है।
  • किसको भी दु:ख नहीं दो।
  • पहले ज्ञान का मंथन करो फिर सबको प्रेम से ज्ञान सुनाओ।
  • शिवबाबा तो विचार सागर मंथन नहीं करते।
  • यह करते हैं बच्चों के लिए।
  • फिर भी ऐसे समझो कि शिवबाबा समझाते हैं।
  • इनको यह नहीं रहता है कि मैं सुनाता हूँ।
  • शिवबाबा सुनाते हैं।
  • इसे निरहंकारीपना कहा जाता है।
  • याद एक शिवबाबा को करना है।
  • बाप जो विचार सागर मंथन करते हैं, वह सुनाते हैं।
  • अभी बच्चे भी फालो करें।
  • जितना हो सके अपने साथ बातें करते रहो, रात्रि को जागकर भी ख्याल करना चाहिए।
  • सोये हुए नहीं, उठकर बैठना चाहिए।
  • हम आत्मा कितनी छोटी बिन्दी हैं।
  • बाबा ने कितना ज्ञान समझाया है - कमाल है सुख देने वाले बाप की!
  • बाप कहते हैं नींद को जीतने वाले बच्चे और सभी देह सहित देह के मित्र-सम्बन्धियों आदि को भूलना है।
  • यह सब कुछ खत्म होना है।
  • हमको बाबा से ही वर्सा लेना है और सबसे ममत्व मिटाकर गृहस्थ व्यवहार में रहते पवित्र रहना है।
  • शरीर छूटे तो कोई भी आसक्ति न रहे।
  • अब सच्चा-सच्चा काशी कलवट भी खाना है।
  • खुद काशीनाथ शिवबाबा कहते हैं हम, तुम सबको लेने आये हैं।
  • काशी कलवट अब खाना ही पड़ेगा।
  • नेचुरल कैलेमिटीज़ भी अभी आने वाली हैं।
  • उस समय तुमको भी याद में रहना है।
  • वह भी याद में रह कुएं में कूदते थे।
  • परन्तु कुएं में कूदने से कुछ होता नहीं है।
  • यहाँ तो तुमको ऐसा बनना है जो सज़ा न खानी पड़े।
  • नहीं तो इतना पद पा नहीं सकेंगे।
  • बाबा की याद से ही विकर्म विनाश होते हैं।
  • साथ-साथ यह ज्ञान है कि हम फिर 84 का चक्र लगायेंगे।
  • इस नॉलेज को धारण करने से हम चक्रवर्ती राजा बनेंगे।
  • कोई भी विकर्म नहीं करना है।
  • कुछ भी पूछना हो तो बाबा से राय पूछ सकते हो।
  • सर्जन तो मैं एक ही हूँ ना।
  • चाहे सम्मुख पूछो, चाहे चिट्ठी में पूछो, बाबा रास्ता बतायेंगे।
  • बाबा कितना छोटा स्टॉर है और महिमा कितनी भारी है।
  • कर्तव्य किया है तब ही तो महिमा गाते हैं।
  • ईश्वर ही सबके सद्गति दाता हैं, इनको भी ज्ञान देने वाला वह परमपिता परमात्मा ज्ञान का सागर है।
  • बाबा कहते हैं - बच्चे, एक बाबा को याद करो और अति मीठा बनना है।
  • शिवबाबा कितना मीठा है।
  • प्यार से सबको समझाते रहते हैं।
  • बाबा प्यार का सागर है तो जरूर प्यार ही करेंगे।
  • बाप कहते हैं मीठे मीठे बच्चे, किसको भी मन्सा-वाचा-कर्मणा दु:ख नहीं दो।
  • भल तुमसे किसकी दुश्मनी हो, तो भी तुम्हारी बुद्धि में दु:ख देने का ख्याल न आये।
  • सबको सुख की ही बात बतानी है।
  • अन्दर किसके लिए बुखार नहीं रखना है।
  • देखो, वह शंकराचार्य आदि को कितने बड़े बड़े चांदी के सिंहासन पर बिठाते हैं।
  • यहाँ शिवबाबा जो तुमको कौड़ी से हीरे जैसा बनाते हैं, उनका तो हीरों का सिंहासन होना चाहिए, परन्तु शिवबाबा कहते हैं मैं पतित शरीर और पतित दुनिया में आता हूँ।
  • देखो, बाबा ने कुर्सी कैसी ली है।
  • अपने रहने लिए भी कुछ मांगते नहीं।
  • जहाँ भी रहा लो।
  • गाते भी हैं गोदरी में करतार देखा.. भगवान आकर पुरानी गोदरी में बैठे हैं।
  • अब बाप गोल्डन एजड विश्व का मालिक बनाने आया है।
  • कहते हैं मुझे इस पतित दुनिया में 3 पैर पृथ्वी के भी नहीं मिलते।
  • विश्व का मालिक भी तुम ही बनते हो।
  • मेरा ड्रामा में पार्ट ही यह है।
  • भक्ति मार्ग में भी मुझे सुख देना है।
  • माया बहुत दु:खी बनाती है।
  • बाप दु:ख से लिबरेट कर शान्तिधाम और सुखधाम में ले जाते हैं।
  • इस खेल को ही कोई नहीं जानते।
  • इस समय एक है भक्ति का पाम्प, दूसरा है माया का पाम्प।
  • साइंस से देखो क्या-क्या बना दिया है।
  • मनुष्य समझते हैं हम स्वर्ग में बैठे हैं।
  • बाप कहते हैं यह साइंस का पाम्प है।
  • यह सब गये कि गये।
  • यह इतने सब बड़े-बड़े मकान आदि सब गिरेंगे, फिर यह साइंस सतयुग में तुमको सुख के काम में आयेगी।
  • इस साइन्स से ही विनाश होगा।
  • फिर इसी से ही बहुत सुख भोगेंगे।
  • यह खेल है।
  • तुम बच्चों को बहुत-बहुत मीठा बनना है।
  • मम्मा बाबा कभी किसको दु:ख नहीं देते हैं।
  • समझाते रहते हैं - बच्चे कभी आपस में लड़ो-झगड़ो नहीं।
  • कहाँ भी मात-पिता की पत (इज्जत) नहीं गँवाना।
  • इस मटेरियल जिस्मानी देह से ममत्व मिटाओ।
  • एक बाबा को याद करो।
  • सब कुछ खत्म होने की चीज़ है, अब हमको वापिस जाना है।
  • बाबा को सर्विस में मदद करनी है।
  • सच्चे-सच्चे सैलवेशन आर्मी तुम हो, खुदाई खिदमतगार, विश्व का बेड़ा जो डूबा हुआ है, उनको तुम पार करते हो।
  • तुम जानते हो यह चक्र कैसे फिरता है।
  • सवेरे 3-4 बजे उठकर बैठ चिंतन करो तो बहुत खुशी रहेगी और पक्के हो जायेंगे।
  • रिवाइज नहीं करेंगे तो माया भुला देगी।
  • मंथन करो आज बाबा ने क्या समझाया!
  • एकान्त में बैठ विचार सागर मंथन करना चाहिए।
  • यहाँ भी एकान्त अच्छी है।

  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) मन्सा-वाचा-कर्मणा किसी को भी दु:ख नहीं देना है।
  • किसी की बात दिल में नहीं रखनी है।
  • बाप समान प्यार का सागर बनना है।
  • 2) एकान्त में बैठ विचार सागर मंथन करना है।
  • मंथन कर फिर प्रेम से समझाना है।
  • बाबा की सर्विस में मददगार बनना है।
  • वरदान:-
  • ( All Blessings of 2021-22)
    • अपने चेहरे और चलन से रूहानी रॉयल्टी का अनुभव कराने वाले सम्पूर्ण पवित्र भव
    • रूहानी रॉयल्टी का फाउण्डेशन सम्पूर्ण पवित्रता है।
    • सम्पूर्ण प्योरिटी ही रॉयल्टी है।
    • इस रूहानी रॉयल्टी की झलक पवित्र आत्मा के स्वरूप से दिखाई देगी।
    • यह चमक कभी छिप नहीं सकती।
    • कोई कितना भी स्वयं को गुप्त रखे लेकिन उनके बोल, उनका संबंध-सम्पर्क, रूहानी व्यवहार का प्रभाव उनको प्रत्यक्ष करेगा।
    • तो हर एक नालेज के दर्पण में देखो कि मेरे चेहरे पर, चलन में वह रॉयल्टी दिखाई देती है वा साधारण चेहरा, साधारण चलन है?
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021-22)
    • सदा परमात्म पालना के अन्दर रहना ही भाग्यवान बनना है।