- आज त्रिमूर्ति शिव बाप हर एक बच्चे के मस्तक पर तीन तिलक देख रहे हैं।
- सभी बच्चे दिल के उमंग-उत्साह से त्रिमूर्ति शिवजयन्ति मनाने आये हैं।
- तो त्रिमूर्ति शिव बाप अर्थात् ज्योतिर्बिन्दु बाप बच्चों के मस्तक पर तीन बिन्दियों का तिलक देख हर्षित हो रहे हैं।
- यह तिलक सारे ज्ञान का सार है।
- इन तीन बिंदियों में सारा ज्ञान-सागर का सार भरा हुआ है।
- सारे ज्ञान का सार तीन बातों में हैं - परमात्मा, आत्मा और ड्रामा अर्थात् रचना।
- आज का यादगार दिवस भी शिव अर्थात बिन्दु का है।
- बाप भी बिन्दु, आप भी बिन्दु और रचना अर्थात् ड्रामा भी बिन्दु।
- तो आप सभी बिन्दु, बिन्दु की जयन्ति मना रहे हो।
- बिन्दु बन मना रहे हो ना!
- सारा प्रकृति का खेल भी दो बातों का है - एक बिन्दु का और दूसरा लाइट, ज्योति का।
- बाप को सिर्फ बिन्दु नहीं लेकिन ज्योर्तिबिन्दु कहते हैं।
- रचता भी ज्योर्तिबिन्दु है और आप भी हीरो पार्टधारी ज्योर्तिबिन्दु हो, न कि सिर्फ बिन्दु हो।
- और सारा खेल भी देखो - जो भी कार्य करते हैं, उसका आधार लाइट है।
- आज संसार में अगर लाइट फेल हो जाए तो एक सेकेण्ड में संसार, संसार नहीं लगेगा।
- जो भी सुख के साधन है उन सबका आधार क्या है?
- लाइट।
- रचयिता स्वयं भी लाइट है लेकिन प्रकृति की लाइट अविनाशी नहीं है।
- तो सारा खेल बिन्दु और लाइट पर है।
- आज के यादगार दिवस को विशेष निराकार रुप से मनाते हैं।
- लेकिन आप कैसे मनायेंगे?
- आप विशेष आत्माओं को मनाना भी विशेष है ना।
- ऐसा कभी सोचा था कि हम आत्माएं ऐसे पद्मापदम भाग्यवान हैं जो डायरेक्ट त्रिमूर्ति शिव बाप के साथ साकार रुप में जयन्ति मनायेंगे?
- कभी स्वप्न में भी संकल्प नहीं था।
- दुनिया वाले यादगार चित्र से जयन्ति मनाते और आप चैतन्य में बाप को अवतरित कर जयन्ति मनाते हो।
- तो शक्तिशाली कौन हुआ - बाप या आप?
- बाप कहते हैं, पहले आप।
- अगर बच्चे नहीं होते तो बाप आकर क्या करते!
- इसलिए पहले बाप बच्चों को मुबारक देते हैं मन के मुहब्बत की मुबारक।
- बाप को दिल में प्रत्यक्ष कर लिया है, तो दिल में बाप के प्रत्यक्ष करने की मुबारक।
- साथ-साथ विश्व की सर्व आत्माओं प्रति रहम-दिल विश्व कल्याणकारी की शुभभावना-शुभकामना से विश्व के आगे बाप को प्रत्यक्ष करने की सेवा के उमंग-उत्साह की मुबारक।
- बापदादा सभी बच्चों के उत्साह का उत्सव देख रहा था।
- सेवा करना अर्थात् उत्साह से उत्सव मनाना।
- जितनी बड़ी सेवा करते हो बेहद की, उतना ही बेहद का उत्सव मनाते हो।
- सेवा का अर्थ ही क्या है?
- सेवा क्यों करते हो?
- आत्माओं में बाप के परिचय द्वारा उत्साह बढ़ाने के लिए।
- जब सेवा के प्लैन बनाते तो यही उत्साह रहता है ना कि जल्दी-से-जल्दी वंचित आत्माओं को बाप से वर्सा दिलायें, आत्माओं को खुशी की झलक का अनुभव करायें।
- अभी किसी भी आत्मा को देखते हो - चाहे आज के संसार में कितना भी बड़ा हो, लेकिन हर आत्मा के प्रति देखते ही पहले संकल्प क्या उठता है?
- यह प्राइम मिनिस्टर है, यह राजा है - यह दिखाई देता है या आत्मा से मिलते हो वा देखते हो?
- शुभभावना उठती है ना कि यह आत्मा भी बाप से प्राप्ति की अंचली ले लेवें।
- इस संकल्प से मिलते हो ना।
- अब यह शुभभावना उत्पन्न होती है तब ही आपकी शुभभावना का फल उस आत्मा को अनुभव करने का बल मिलता है।
- शुभ भावना आपकी है लेकिन आपकी भावना का फल उनको मिल जाता है क्योंकि आप श्रेष्ठ आत्माओं की शुभ भावना के संकल्प में बहुत शक्ति है।
- आप एक-एक श्रेष्ठ आत्मा का एक-एक शुभसंकल्प वायुमण्डल की सृष्टि रचता है।
- संकल्प से सृष्टि कहते हैं ना!
- यह शुभभावना का शुभसंकल्प चारों ओर के वातावरण अर्थात् सृष्टि को बदल देता है इसलिए आने वाली आत्मा को सब अच्छे-ते-अच्छा अनुभव होता है, न्यारा संसार अनुभव होता है।
- थोड़े समय के लिए आपके शुभ संकल्प की भावना के फल में वह समझते हैं कि यह न्यारा और प्यारा स्थान है, न्यारे और प्यारे फरिश्ते आत्माएं हैं।
- कैसी भी आत्मा हो लेकिन थोड़े समय के लिए उत्साह में आ जाते हैं।
- सेवा का अर्थ क्या हुआ?
- उत्सव मनाना अर्थात् उत्साह में लाना।
- कोई भी चाहे स्थूल कर्म करते हो, चाहे वाणी द्वारा, चाहे संकल्प, हर बोल उत्सव हैं क्योंकि उत्साह से करते हो और उत्साह दिलाते हो।
- इस स्मृति से कभी भी थकावट नहीं होगी, बोझ नहीं लगेगा।
- माथा भारी नहीं होगा, दिलशिकस्त नहीं होंगे।
- जब किसको थकावट होती है वा दिल सुस्त होती है तो दुनिया में क्या करते हैं।
- कोई-न-कोई मनोरंजन के स्थान पर चले जाते हैं।
- कहते हैं - आज माथा बहुत भरी है इसलिए थोड़ा मनोरंजन चाहिए।
- उत्सव का अर्थ ही होता है मौज मनाना।
- खाओ-पियो मौज करो - यह उत्सव है।
- ब्राह्मणों का तो हर घड़ी उत्सव है, हर कर्म ही उत्सव है।
- उत्सव मनाने में थकावट होती है क्या?
- यहाँ मधुबन में जब मनोरजंन का प्रोग्राम करते हो - भल 11 बज जाते हैं तो भी बैठे रहते हो।
- क्लास में 11 बज जाएं तो आधा क्लास चला जाता है।
- मनोरंजन अच्छा लगता है ना?
- तो सेवा भी उत्सव है - इस विधि से सेवा करो।
- स्वयं भी उत्साह में रहो, सेवा भी उत्साह से करो और आत्माओं में भी उत्साह लाओ तो क्या होगा?
- जो भी सेवा करेंगे उस द्वारा अन्य आत्माओं का भी उत्साह बढ़ता रहेगा। ऐसा उत्साह है?
- वा सिर्फ मधुबन तक है?
- वहाँ जाने से फिर सरकमस्टांस दिखाई देंगे?
- उत्साह ऐसी चीज़ है जो उसके आगे परिस्थिति कुछ भी नहीं है।
- जब उत्साह कम हो जाता है तब परिस्थिति वार करती है।
- उत्साह है तो परिस्थिति वार नहीं करेगी, आपके ऊपर बलिहार जायेगी।
- आज उत्सव मनाने आये हो ना।
- शिव जयन्ति को उत्सव कहते हैं।
- उत्सव मनाने नहीं आये हो लेकिन ''हर घड़ी उत्सव“ है - यह अण्डरलाइन करने आये हो।
- ताकत भी न हो, मानो शरीर में शक्ति नहीं है वा धन की शक्ति की कमी के कारण मन में फील होता है कि यह नहीं हो सकता लेकिन उत्साह ऐसी चीज़ है जो आप में अगर उत्साह है तो दूसरे भी उत्साह में आगे बढ़कर के आपके सहयोगी बन जायेंगे।
- धन की कमी भी होगी तो कहाँ न कहाँ से धन को भी उत्साह खींचकर लायेगा।
- उत्साह ऐसा चुम्बक है जो धन को भी खींचकर लायेंगा।
- जैसे भक्ति में कहते हैं ना - हिम्मत, उत्साह धूल को भी धन बना देता है।
- इतना परिवर्तन हो जाता है!
- उत्साह ऐसी अनुभूति है जो किसी भी आत्मा की कमजोरी के संस्कार का प्रभाव नहीं पड़ सकता।
- आपका प्रभाव उस पर पड़ेगा, उसका प्रभाव आपके ऊपर नहीं आयेगा।
- जो ख्याल-ख्वाब में भी नहीं होगा वह सहज साकार हो जायेगा।
- यह बापदादा का सभी सेवाधारियों को गारंटी का वरदान है। समझा?
- बापदादा खुश हैं, अच्छी लगन से सेवा के प्लैन्स बना रहे हो।
- संस्कारों को मिलाना अर्थात् सम्पूर्णता को समीप लाना और समय को समीप लाना।
- बापदादा भी देख रहे हैं - संस्कार मिलन की रास अच्छी कर रहे थे, अच्छी खुशबू आ रही थी!
- तो सदा कैसे रहना?
- उत्सव मनाना है, उत्साह में रहना है।
- खुद न भी कर सको तो दूसरों को उत्साह दिलाओ तो दूसरे का उत्साह आपको भी उत्साह में लायेगा।
- निमित्त बने हुए बड़े यही काम करते हैं ना।
- दूसरों को उत्साह दिलाना अर्थात् स्वयं को उत्साह में लाना।
- कभी बाई चांस 14 आना उत्साह हो तो दूसरों को 16 आना उत्साह दिलाओ तो आपका भी 2 आना उत्साह बढ़ जायेगा।
- ब्रह्मा बाप की विशेषता क्या रही?
- कोयले उठाने होंगे तो भी उत्साह से उठवायेंगे, मनोरंजन करेंगे।
- (कोयले के 35 वैगन्स आने थे।
- बापदादा मुरली में कोयले की बात कर रहे थे और थोड़े समय बाद समाचार मिला कि आबू रोड में कोयले की वैगन्स पहुँच गई है।) अच्छा!
- सभी पाण्डव क्या करेंगे?
- सदा उत्साह में रहेंगे ना।
- उत्साह कभी नहीं छोड़ना।
- अभी का उत्साह आपके जड़-चित्रों के आगे जाकर पहले उत्साह हिम्मत लेकर फिर कार्य शुरु करते हैं।
- इतनी उत्साह भरी आत्मायें हो जो आपके जड़-चित्र भी औरों को उत्साह हिम्मत दिला रहे हैं!
- पाण्डवों का महावीर का चित्र कितना प्रसिद्ध है!
- कमजोर शक्ति लेने के लिए महावीर के पास जाते हैं!
- अच्छा!
- चारों ओर के सर्व अति श्रेष्ठ भाग्यवान बच्चों को, सदा ज्योर्तिबिन्दु बन ज्योतिर्बिन्दु आप को प्रत्यक्ष करने के उमंग-उत्साह में रहने वाले, सदा दिल में बाप की प्रत्यक्षता का झण्डा लहराने वाले, सदा विश्व में बाप की प्रत्यक्षता का झण्डा लहराने वाले - ऐसे हीरे तुल्य बाप की जयन्ति सो बच्चों की जयन्ति की मुबारक हो। सदा मुबारक से उड़ने वाले हैं और सदा रहेंगे - ऐसे उत्साह में रहने वाले, हर समय उत्सव मनाने वाले और सर्व को उत्साह दिलाने वाले, महान् शक्तिशाली आत्माओं को त्रिमूर्ति शिव बाप की याद-प्यार, मुबारक और नमस्ते।
- डबल विदेशी भाई-बहनों के ग्रुप से मुलाकात -
- बाप और बच्चों को इतना दिल का सूक्ष्म कनेक्शन है जो कोई की ताकत नहीं जो अलग कर सके।
- सबसे बड़े-ते-बड़ा नशा बच्चों को सदा यही रहता है कि दुनिया बाप को याद करती लेकिन बाप किसको याद करता!
- बाप को तो फिर भी आत्मायें याद करती लेकिन आप आत्माओं को कौन याद करता!
- कितना बड़ा नशा है!
- यह नशा सदा रहता है?
- कम ज्यादा तो नहीं होता?
- कभी उड़ते, कभी चढ़ते, कभी चलते... ऐसे तो नहीं?
- न पीछे हटने वाले हो, न रूकने वाले हो लेकिन स्पीड चेंज हो जाती है।
- बाप-दादा सदा बच्चों का खेल देखते रहते हैं, कभी चलना शुरू करते हैं, फिर क्या होता है?
- कोई-न-कोई ऐसा सरकमस्टांस बन जाता है, फिर जैसे कोई धक्का देता है तो चल पड़ते हैं, ऐसे कोई-न-कोई बात ड्रामा अनुसार होती है जो फिर से उड़ती कला की ओर ले जाती है क्योंकि ड्रामानुसार पक्के निश्चयबुद्धि हैं, दिल में संकल्प कर लिया है कि बाप मेरा, मैं बाप का, तो ऐसी आत्माओं को स्वत: मदद मिल जाती है।
- मदद मिलने में कितना समय लगता है?
- (सेकण्ड) देखो, फोटो निकल रहा है।
- बाप का कैमरा सेकण्ड में सब निकाल लेता है।
- कुछ भी हो जाए लेकिन बाप और सेवा से कभी भी किनारा नहीं करना है।
- याद करने में वा पढ़ाई पढ़ने में मन नहीं भी लगे तो भी जबरदस्ती सुनते रहो, योग लगाते रहो, ठीक हो जायेंगे।
- क्योंकि माया ट्रायल करती है।
- यह थोड़ा-सा किनारा कर ले तो आ जाऊं इसके पास, इसलिए कभी किनारा नहीं करना।
- नियमों को कभी नहीं छोड़ना।
- अपनी पढ़ाई, अमृतवेला, सेवा जो भी दिनचर्या बनी हुई है, उसमें मन नहीं भी लगे लेकिन दिनचर्या में कुछ मिस नहीं करो।
- भारत में कहते हैं - जितना कायदा उतना फायदा।
- तो ये जो कायदे बने हुए हैं, नियम बने हुए हैं उसको कभी भी मिस नहीं करना है।
- देखो, आपके भक्त अभी तक आपका नियम पालन कर रहे हैं।
- चाहे मंदिर में मन नहीं भी लगे तो भी जायेंगे जरूर।
- यह किससे सीखे?
- आप लोगों ने सिखाया ना!
- सदैव यह अनुभव करो कि जो भी मर्यादायें वा नियम बने हैं, उसको बनाने वाले हम हैं।
- आपने बनाया है या बने हुए मिले हैं?
- लॉ-मेकर्स हो याद नहीं?
- अमृतवेले उठना, यह आपका मन मानता है या बना हुआ है इसलिए इस पर चलते हो - आप स्वयं अनुभव करते, चलते हो या डॉयरेक्शन या नियम बना हुआ है इसलिए चलते हो?
- आपका मन मानता है ना!
- तो जो मन मानता है, वह मन में नहीं बनाया ना!
- कोई मजबूरी से तो नहीं चले रहे हो - करना ही पड़ेगा।
- सब मन को पंसद है ना?
- क्योंकि जो खुशी से किया जाता है उसमें बंधन नहीं लगता है।
- यहाँ बाप ने आदि, मध्य, अन्त - तीनों कालों की नॉलेज दे दी है।
- कुछ भी करते हो तो तीनों कालों को जानकर के और उसी खुशी से करते हो।
- बाप देखते हैं कि कमाल करने वाले बच्चे हैं।
- बाप से प्यार अटूट है इसलिए कोई भी बात होती है तो भी उड़ते रहते हैं।
- बाप से प्यार में सभी फुल पास हो।
- पढ़ाई में नम्बरवार हो लेकिन प्यार में नम्बरवन हो।
- सेवा भी अच्छी करते हैं, लेकिन कभी-कभी थोड़ा खेल दिखाते हैं।
- जैसे बाप से नम्बरवन प्यार है, ऐसे मुरली से भी प्यार है?
- जब से आये हो तब से कितनी मुरलियाँ मिस हुई होंगी?
- कभी कोई ऐसे बहाने से क्लास मिस किया हैं?
- जैसे बाप को याद करना मिस नहीं कर सकते, ऐसे पढ़ाई मिस न हो। इसमें भी नम्बरवन होना है।
- बाप के रूप में याद, शिक्षक के रूप में पढ़ाई और सतुगुरू के रूप में प्राप्त वरदान कार्य में लगाना - यह तीनों में नंबरवन चाहिए।
- वरदान तो सबको मिलते हैं ना लेकिन समय पर वरदान को कार्य में लगाना - इसको कहते हैं वरदान से लाभ लेना।
- तो यह तीनों ही बातें चेक करना कि आदि से अब तक इन तीनों बातों में कितना पास रहे, तब विजय माला के मणके बनेंगे। अच्छा!
- बापदादा बच्चों के निश्चय और उमंग को देखकर खुश हैं।
- बापदादा एक-एक की विशेषता देख रहे हैं।
- बापदादा जब देखते हैं कि कितना मुहब्बत से आगे बढ़ रहे हैं, मेहनत को मेहनत नहीं समझते हैं, मुहब्बत से चल रहे हैं - तो खुश होते हैं।
- एक-एक की विशेषता की लिस्ट बापदादा के पास है। समझा?
-
- अच्छा!
- विदाई के समय - आज बापदादा और अनेक बच्चों के जन्म-दिवस की पद्मगुणा मुबारक हो। चारों ओर के बच्चों के जन्म-दिवस की पद्मगुणा मुबारक हो। चारों ओर के बच्चों के दिल का याद-प्यार और साथ-साथ स्थूल यादगार स्नेह-भरे पत्र और कार्डस मुबारक के पाये। सबके दिल की आवाज बाप के पास पहुँची। दिलाराम बाप सभी बड़ी दिल वाले बच्चों को बड़ी दिल से बहुत-बहुत-बहुत याद-प्यार देते हैं। पद्मगुणा कहना भी बच्चों के स्वमान के आगे कुछ नहीं है, इसलिए डायमण्ड नाइट की डायमण्ड वर्षा से मुबारक हो। सभी को याद-प्यार और सदा फरिश्ता बन उड़ते रहने की मुबारक हो। अच्छा, डायमण्ड मार्निंग।
वरदान:-
( All Blessings of 2021-22)
- अकल्याण की सीन में भी कल्याण का अनुभव कर सदा अचल-अटल रहने वाले निश्चय-बुद्धि भव
- ड्रामा में जो भी होता है - वह कल्याणकारी युग के कारण सब कल्याणकारी है, अकल्याण में भी कल्याण दिखाई दे तब कहेंगे निश्चयबुद्धि।
- परिस्थिति के समय ही निश्चय के स्थिति की परख होती है।
- निश्चय का अर्थ है - संशय का नाम-निशान न हो।
- कुछ भी हो जाए लेकिन निश्चयबुद्धि को कोई भी परिस्थिति हलचल में ला नहीं सकती।
- हलचल में आना माना कमजोर होना।
स्लोगन:-
(All Slogans of 2021-22)
- परमात्म प्यार के पात्र बनो तो सहज ही मायाजीत बन जायेंगे।
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