23-02-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन




"मीठे बच्चे - तुम प्यार से कहते हो मीठे बाबा, तो मुख में रस आ जाता, ईश्वर वा प्रभू कहने से वह रस नहीं आता''

प्रश्नः-

कौन सा धन्धा सर्वशक्तिमान् बाप का है, मनुष्यों का नहीं?

उत्तर:-

पतित आत्माओं को पावन बनाना, सारे विश्व को नया बनाना - यह धन्धा बाप का है, बाप ही पावन बनने की शक्ति देते हैं।

यह धन्धा मनुष्य नहीं कर सकते।

मनुष्य तो समझते हैं भगवान जो चाहे वह कर सकता है, हमारी बीमारी भी ठीक कर सकता है।

बाबा कहते हैं मैं ऐसी आशीर्वाद नहीं करता।

मैं तो पावन बनने की युक्ति बताता हूँ।

 

गीत:-जाग सजनियां जाग...


  • ओम् शान्ति।
  • बेहद का बाप बच्चों को जगाते हैं।
    • मात-पिता जिससे सुख मिलने का है वह आकर अन्धियारी रात से जगाते हैं।
    • तुम मात-पिता के बच्चे हो, जानते हो हम घोर अन्धियारे में थे, अब जाग रहे हैं।
  • यूँ तो सारी ईश्वरीय फैमिली है।
    • सारी दुनिया के जो मनुष्य मात्र और यह सारी दुनिया है, यह है गॉड फादर की फैमिली।
    • मात-पिता गॉड फादर को कहा जाता है।
    • अब गॉड फादर बिगर अपनी स्त्री के बच्चे कैसे पैदा करे।
    • खास भारतवासी कहते हैं तुम मात-पिता तो यह हो गई फैमिली।
    • वह तो सिर्फ गाते हैं - तुम यहाँ प्रैक्टिकल में हो और गॉड फादर अपनी फैमिली को जगा रहे हैं।
    • जागो बच्चे और बच्चियां अब रात पूरी होती है।
    • अब दिन आने वाला है।
  • गाते तो हैं ज्ञान सूर्य प्रगटा... परन्तु अर्थ कुछ समझते नहीं।
    • भल कितने भी वेद शास्त्र पढ़े हैं, परन्तु समझते नहीं।
    • जो समझते हैं - वह अच्छी कमाई करते हैं।
    • जो बेसमझ होते हैं वह देवाला मारते हैं।
  • बाप कहते हैं बच्चे माया ने तुमको कितना बेसमझ बना दिया है।
    • एक तरफ कहते हो ओ गॉड फादर, दूसरे तरफ कहते परमात्मा सर्वव्यापी।
    • एक तरफ कहते हो सभी मनुष्य मात्र भाई-भाई हैं अथवा हम एक बाप के बच्चे हैं।
    • फिर कह देते जिधर देखता हूँ, तू ही तू अर्थात् वी आर ऑल फादर्स।
  • अब बाप कहते हैं बच्चे, तुम जानते हो हम आते ही हैं परमधाम से।
    • सभी धर्म वाले किसी न किसी भाषा में कहते हैं ओ गॉड फादर।
    • तो फादर मदर की फैमिली हुई ना।
    • बाप कहते हैं - जिसको तुम याद करते हो उसका आक्यूपेशन तो जानना चाहिए ना।
    • उसने इतनी बड़ी सृष्टि रची।
    • बाप में सारा ज्ञान है, उनको ही ज्ञान का सागर, नॉलेजफुल कहा जाता है।
  • कहते भी हैं वह सत्य है।
    • सच बोलने वाला है और सदैव अमर है।
    • अमरकथा सुनाते हैं।
    • अभी तुम जानते हो अमरनाथ शिवबाबा हमको अमरकथा सुनाकर अमरलोक का मालिक बना रहे हैं।
    • जो भी पढ़ने वाले बच्चे और बच्चियां होंगे, किसके बच्चे?
    • मात-पिता के।
    • तुम सब पार्वतियां हो।
    • तुमको अमर कथा सुना रहे हैं।
  • आज से 5 हजार वर्ष पहले पैराडाइज़ था।
    • सृष्टि का यह नाटक फिरता रहता है।
    • सतयुग, त्रेता... नये घर से पुराना होता है।
    • स्वास्तिका के भी 4 भाग बनाये हैं।
  • अब तुम्हारी चढ़ती कला है।
    • गाते हैं चढ़ती कला तेरे भाने.. सभी मनुष्य मात्र तमोप्रधान दु:ख से छूट सतोप्रधान बन जाते हैं।
    • सृष्टि ही सतोप्रधान बन जाती है, परमपिता परमात्मा वा सिर्फ ईश्वर कहने से बाबा का रस नहीं मिलता, बाबा कहने से वर्से की खुशबू तब आती जब अपने को बच्चा समझते।
    • हम बाबा के बच्चे हैं, यूँ तो सभी आत्मायें बच्चे हैं परन्तु अभी बाप ने यह रचना रची है।
  • कहते हैं पतित-पावन सीताराम।
    • सतयुग में लक्ष्मी-नारायण नहीं कहेंगे कि पतित-पावन आओ क्योंकि वह पावन है।
    • साधू सन्त सब गाते रहते हैं।
  • गांधी जी भी गाते थे नई दुनिया, नये भारत में नया रामराज्य हो, हाथ में गीता उठाते थे क्योंकि जानते हैं गीता से ही महाविनाश हुआ और नई दुनिया स्थापन हुई।
    • गीता है सर्वशास्त्रमई शिरोमणी, गीता माता।
    • अच्छा - माता का पति कौन? भगवान।
    • वही पतितों को पावन बनाने वाला है।
    • भगवानुवाच... कृष्ण को पतित-पावन नहीं कहेंगे।
    • मनुष्य तो कभी पतित से पावन बना न सकें।
  • अब तुम मीठे-मीठे बच्चे कहते हो आत्मा परमात्मा अलग रहे... कहते हैं महान आत्मा, पुण्य आत्मा... ऐसे तो नहीं कहते महान परमात्मा।
    • फिर अपने को शिवोहम् परमात्मा आदि क्यों कहते हैं।
    • पुण्य आत्मा, पाप आत्मा कहते हैं फिर निर्लेप क्यों कहते हैं।
    • तुम ब्राह्मणों ने 84 जन्म लिए हैं।
    • भारत पर ही सारा खेल है।
    • यह शिवबाबा ही समझाते हैं, ब्रह्मा नहीं।
    • ब्रह्मा को तो बैल (नंदी) बना दिया है।
    • फिर भ्रकुटी में शिव दिखाया है।
    • शिव की सवारी भ्रकुटी में रहती है।
    • कोई पित्र आदि खिलाते हैं।
  • आत्मा को बुलाते हैं, वह भी आकर बाजू में बैठती है।
    • आत्मा एक स्टार है।
    • कहते हैं भ्रकुटी के बीच चमकता है... अब तुम जानते हो यह बेहद का बड़ा खेल है।
    • सेकेण्ड-सेकेण्ड जो पास होता है वह मनुष्य ड्रामा के आधार पर एक्ट करता है।
  • मनुष्य 84 जन्म कैसे लेते हैं, सभी 84 जन्म नहीं लेते।
    • कोई तो अभी भी ऊपर से आते रहते हैं।
    • अब बाबा कहते हैं जाग सजनियां... कन्या जब शादी करती है तो उनके सिर पर मटकी रख उसमें दीवा जगाते हैं।
    • बाप कहते हैं तुम्हारी आत्मा की ज्योति का घृत अब खत्म हो गया है।
    • अब मुझे याद करो तो घृत भरते-भरते दीवा जग जायेगा, फिर तुम मेरे पास आ जायेंगे।
  • वह निराकार बाप ही क्रियेटर, डायरेक्टर और मुख्य एक्टर है।
    • याद किसको करते हैं? क्या ब्रह्मा को? विष्णु को? नहीं।
    • दु:ख में सब याद करते हैं गॉड फादर को।
    • यह दु:ख-सुख, हार-जीत का खेल है।
    • माया हार खिलाती है, बाप जीत पहनाते हैं।
    • कहते हैं सर्वशक्तिमान् मैं हूँ ना।
    • ऐसे नहीं कि मैं बीमार हूँ, भगवान आशीर्वाद करे तो मैं ठीक हो जाऊं... मैं कोई यह धन्धा करने नहीं आया हूँ।
    • मैं आया हूँ पतितों को पावन बनाने, श्रीमत देने।
    • श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ है शिवबाबा फिर नम्बरवार हैं।
    • माला भी है ना।
  • अब तुम जान गये हो कि हम ईश्वरीय फैमिली हैं।
    • जैसे शिवबाबा की महिमा अपरमअपार है वैसे रचना की महिमा भी अपरमअपार है, वैसे भारत की महिमा भी अपरमअपार है।
    • भारत में हीरे जवाहरों के महल थे।
    • गॉड क्रियेटर है तो मदर भी चाहिए।
    • जब तुम यहाँ बैठे हो तो पहले बाप की याद आनी चाहिए।
    • फिर ब्रह्मा विष्णु शंकर सूक्ष्मवतन वासी की।
    • ब्रह्मा द्वारा स्थापना हो रही है।
    • इस समय तुम ईश्वरीय फैमिली के हो फिर दैवी फैमिली बनेंगे।
    • सो भी संगमयुग पर।
  • सूर्यवंशी, चन्द्रवंशी विराट रूप का चित्र भी है।
    • सिर्फ चोटी नहीं दिखाया है।
    • देवता, क्षत्रिय... परन्तु देवताओं के पहले क्या था?
  • अब बेहद का बाप कहते हैं मनमनाभव।
    • मेरे साथ बुद्धि का योग लगाओ और बेहद का वर्सा ले लो।
    • जन्म जन्मान्तर लिया है।
    • सतयुग, त्रेता तक 21 जन्म बेहद का वर्सा लिया था।
    • अब तो कुछ नहीं है, फिर बाप से लेना है।
  • वह तो कहते परमात्मा नाम रूप से न्यारा है, वह कैसे यहाँ आयेगा।
    • अरे गीता में है श्रीमत भगवत गीता।
    • भगवानुवाच - कृष्ण को भगवान नहीं मानेंगे।
    • यह सब ड्रामा में नूँध है।
    • भगवान है निराकार ज्ञान का सागर।
    • फिर पीछे जो राज्य करते हैं उनकी महिमा अलग है।
  • सर्वगुण सम्पन्न, 16 कला सम्पूर्ण... इस समय हैं सब हिंसक काम कटारी चलाने वाले।
    • लक्ष्मी-नारायण के लिए ऐसे नहीं कहेंगे।
    • वह तो सम्पूर्ण श्रेष्ठाचारी थे।
    • तो बाप की महिमा अलग है।
    • हर एक मनुष्य मात्र का अलग-अलग पार्ट है।
  • कितनी छोटी आत्मा उनमें सारा पार्ट भरा हुआ है।
    • हूँ मैं भी आत्मा परन्तु मुझे सुप्रीम कहते हैं।
    • भक्ति मार्ग में बड़ा-बड़ा लिंग बनाते हैं।
    • वह भी रांग है।
    • आत्मा तो सबकी एक जैसी स्टार है।
    • ज्ञान सूर्य, ज्ञान चन्द्रमा, ज्ञान सितारे भी हैं।
    • ड्रामा में इतने पार्टधारी हैं।
    • हर एक का अपना-अपना पार्ट है।
  • कैसे यह ड्रामा बना हुआ है, इसको कहा जाता है कुदरती नाटक।
    • बाकी वह नाटक तो कॉमन है।
    • 4 घण्टे का रील होगा।
    • इनका रील तो 5 हजार वर्ष का है।
  • वो लोग फिर कहेंगे कलियुग की आयु 4 लाख 32 हजार वर्ष है।
    • कितने गपोड़े हैं।
    • मौत सामने खड़ा है।
    • तो भी घोर अन्धियारे में पड़े हैं।
    • बाप कहते हैं अब जागो, तुम भगत भगवान को याद करते आये हो।
    • अब बाप कहते हैं भक्ति मार्ग खत्म होता है।
    • मैं आया हूँ ज्ञान से सोझरा करने।
    • इस समय मनुष्यों में देखो क्रोध कितना है।
    • लड़ाई ही सीखते रहते हैं।
    • जब रावण राज्य शुरू होता है तब यह सब शुरू होता है।
  • सतयुग में तो है ही रामराज्य।
    • अब बाप कहते हैं मैं तुम बच्चों को राजाओं का राजा बनाता हूँ।
    • फिर तुम जब गिरते हो तो पावन राजायें फिर पतित बन जाते हैं।
    • अभी तो वह भी नहीं हैं।
  • बाप कहते हैं बच्चे तुम हमेशा समझो कि शिवबाबा इस द्वारा सुना रहा है।
    • जो सुनकर यह महाराजा महारानी बने थे, वही अब पतित बने हैं।
    • यह है आसुरी सृष्टि।
    • वह है ईश्वरीय सृष्टि।
  • राम और रावण नाम मशहूर है।
    • रावण का अर्थ कोई भी समझते नहीं।
    • नर और नारी दोनों में 5 विकार हैं, तब 10 शीश दिखाते हैं, इसलिए इनको रावणराज्य कहा जाता है।
  • दीपमाला में पूजा करते हैं।
    • महालक्ष्मी को 4 भुजायें देते हैं।
    • दो लक्ष्मी की, दो नारायण की।
    • बाकी विष्णु कोई और चीज़ नहीं है।
    • अब तुम राजाओं का राजा बनेंगे, डबल सिरताज।
  • इस समय तुम स्वदर्शन चक्रधारी बनते हो।
    • तुम जानते हो हम 84 जन्म लेते हैं।
    • बेहद के बाप से बेहद का सुख, हद के बाप से हद का सुख मिलता है।
    • सतयुग है ब्रह्मा का दिन, कलियुग है ब्रह्मा की रात।
    • प्रजापिता भी जरूर यहाँ होगा।
  • शिव-बाबा की सन्तान तो सब हैं।
    • फिर ब्रह्मा द्वारा ब्राह्मण और ब्राह्मणियां रचते हैं।
    • नहीं तो इतने बच्चे कैसे एडाप्ट होंगे।
    • शिवबाबा ब्रह्मा द्वारा एडाप्ट करते हैं।
    • बाप कहते हैं मेरे तो तुम ही हो।
    • अब तुमको नया जन्म मिलता है।
    • डाडे की प्रापर्टी तुमको मिलती है, विश्व की राजाई मिलेगी ब्रह्मा द्वारा।
    • ब्रह्मा को सूक्ष्मवतन में दिखाया है।
    • परन्तु वहाँ कैसे मिलेंगे।
    • बाबा को जरूर रथ चाहिए मुरली चलाने के लिए।
  • गीता है भारत का नम्बरवन शास्त्र।
    • बाकी सब शास्त्र हैं बच्चे।
    • पहले है देवताओं की बिरादरी फिर क्षत्रियों की... जो भी धर्म स्थापन करते हैं वह पहले सतो फिर रजो तमो में आते हैं।
    • जैसे क्राइस्ट आया वह पहले पवित्र था।
    • जब तक कोई विकर्म न हो तो दण्ड मिल न सके।
    • सतयुग में पवित्र आत्मा आयेगी।
    • वहाँ माया ही नहीं तो दु:ख भी नहीं।
  • हमारे विकर्म तब शुरू होते हैं जब वाम मार्ग में जाते हैं।
    • यह समझने की बातें हैं।
    • विकर्माजीत संवत भी है फिर है विकर्मी संवत।
  • कथायें तो बहुत हैं।
    • मोह जीत राजा की कथा, मोह जीत हैं लक्ष्मी-नारायण।
    • वह है रामराज्य।
    • अभी है रावणराज्य।
    • रावण को जलाते हैं।
  • आधाकल्प रामराज्य फिर आधाकल्प के बाद रावण राज्य होता है।
    • इस स्वदर्शन चक्र को तुम जानते हो।
    • तुम सब गॉड फादरली चिल्ड्रेन हो।
    • डायरेक्ट बाप ने ब्रह्मा द्वारा एडाप्ट किया है इसलिए तुमको सिकीलधे बच्चे कहते हैं।

  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) आत्मा रूपी दीपक को सदा जाग्रत रखने के लिए याद का घृत डालते रहना है। याद से आत्मा को सतोप्रधान बनाना है।
  • 2) सदा ज्ञान सोझरे में रहना है। बेहद नाटक (ड्रामा) को बुद्धि में रख स्वदर्शन चक्रधारी बनना है।
  • वरदान:-
  • ( All Blessings of 2021-22)
    • व्यर्थ संकल्पों के तेज बहाव को सेकण्ड में स्टॉप कर निर्विकल्प स्थिति बनाने वाले श्रेष्ठ भाग्यवान भव
    • यदि कोई भी गलती हो जाती है तो गलती होने के बाद क्यों, क्या, कैसे, ऐसे नहीं वैसे...यह सोचने में समय नहीं गंवाओ।
    • जितना समय सोचने स्वरूप बनते हो उतना दाग के ऊपर दाग लगाते हो, पेपर का टाइम कम होता है लेकिन व्यर्थ सोचने का संस्कार पेपर के टाइम को बढ़ा देता है इसलिए व्यर्थ संकल्पों के तेज बहाव को परिवर्तन शक्ति द्वारा सेकण्ड में स्टॉप कर दो तो निर्विकल्प स्थिति बन जायेगी।
    • जब यह संस्कार इमर्ज हो तब कहेंगे भाग्यवान आत्मा।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021-22)
    • खुशी के खजाने से सम्पन्न बनो तो दूसरे सब खजाने स्वत: आ जायेंगे।