18-02-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन



"मीठे आज्ञाकारी बच्चे - तुम्हें सदा अतीन्द्रिय सुख में रहना है, कभी भी रोना नहीं है क्योंकि तुम्हें अभी ऊंचे ते ऊंचा बाप मिला है''

प्रश्नः-

अतीन्द्रिय सुख तुम गोप गोपियों का गाया हुआ है, देवताओं का नहीं - क्यों?

उत्तर:-

क्योंकि तुम अभी ईश्वर की सन्तान बने हो।

तुम मनुष्य को देवता बनाने वाले हो।

जब देवता बन जायेंगे तब फिर उतरना शुरू करेंगे, डिग्री कम होती जायेगी इसलिए उनके सुख का गायन नहीं है।

यह तो तुम बच्चों के सुख का गायन करते हैं।

 

गीत:-मुझको सहारा देने वाले...


  • ओम् शान्ति।
    • यह एक ने कहा या दो ने कहा?
    • क्योंकि बाप भी है तो दादा भी है।
    • तो यह ओम् शान्ति किसने कहा?
    • कहना पड़े दोनों ने कहा क्योंकि तुम जानते हो दो आत्मायें हैं।
    • एक आत्मा है, दूसरी परम आत्मा है।
    • इन सबको जीव आत्मा कहा जाता है।
  • तुम आत्मायें भी यहाँ पार्ट बजाने आये हो।
    • दूसरे धर्मो की बात ही नहीं।
    • बाबा भारत में ही आते हैं।
    • भारत ही बर्थ प्लेस है।
  • शिव जयन्ती भी मनाते हैं, परन्तु वह कब और कैसे आते हैं, यह किसको भी पता नहीं है।
    • शिव तो निराकार को कहा जाता है।
    • उनकी पूजा भी होती है।
    • शिव जयन्ती भी मनाते हैं।
    • जो पास्ट हो गया है, वह मनाते हैं।
    • परन्तु जानते नहीं कि वह कब आये, क्या करके गये।
    • अब तुम बच्चों को तो सब कुछ पता है।
    • तुम कोई से भी पूछ सकते हो कि यह किसकी रात्रि मनाते हो?
    • मन्दिर में जाकर पूछो - यह कौन हैं?
    • इनका राज्य कब था?
    • परमपिता परमात्मा के साथ तुम्हारा क्या सम्बन्ध है?
    • उनके साथ किसका सम्बन्ध है?
    • जरूर कहेंगे सबका सम्बन्ध है।
    • वह सबका परमपिता है।
    • तो जरूर पिता से सबको सुख का वर्सा मिलता होगा।
  • इस समय दु:ख की दुनिया है।
    • भल नई इन्वेन्शन निकालते हैं परन्तु दिन प्रतिदिन दु:ख की कलायें तो बढ़ती ही जाती हैं क्योंकि अब उतरती कला है ना।
    • कितनी आफतें आती रहती हैं।
    • मनुष्यों को दु:ख देखना ही है।
    • जब अति दु:ख होता है तो त्राहि-त्राहि करने लगते हैं, तब ही बाप आते हैं।
    • इस समय सब मनुष्य-मात्र पतित हैं, इसलिए इनको विशश वर्ल्ड कहते हैं।
    • वहाँ सतयुग में दु:ख होता ही नहीं।
    • तुम बच्चे समझते हो कि यह ड्रामा बना हुआ है।
    • इस समय सभी रावण अर्थात् 5 भूतों के वश हैं।
    • यही दुश्मन है।
    • दु:ख की भी कलायें होती हैं ना।
  • अभी तो बहुत तमोप्रधान हो गये हैं क्योंकि विष से तो सब पैदा होते हैं।
    • दुनिया को तो मालूम नहीं कि वहाँ विष होता ही नहीं है।
    • कहते हैं वहाँ बच्चे तब कैसे पैदा होंगे।
    • बोलो, तुम पहले बाप को जानो उनसे वर्सा लो।
    • बाकी वहाँ की जो रसम-रिवाज होगी, वही चलेगी।
    • तुम क्यों यह संशय उठाते हो।
  • कोई ने प्रश्न पूछा कि शिवबाबा जब यहाँ है तो फिर वहाँ मूलवतन में आत्मायें होंगी?
    • जरूर।
    • यहाँ वृद्धि होती रहती है, तो आत्मायें हैं ना।
  • परन्तु पहली-पहली मूल बात है - बाप और वर्से को याद करना है।
    • इन बातों से तुम्हारा क्या मतलब।
    • तुम्हारे जब ज्ञान चक्षु खुल जायेंगे फिर कोई भी प्रश्न पूछने का रहेगा ही नहीं।
    • बाप कहते हैं मुझे याद करो और वर्से को याद करो।
    • सिर्फ मुक्ति पाने चाहते हो तो मनमनाभव।
    • राजाई चाहते हो तो मध्या जी भव।
  • तुम बच्चे जानते हो कि हमको पढ़ाने वाला कौन है?
    • इस चैतन्य डिब्बी में चैतन्य हीरा बैठा है।
    • वह सत बाबा भी है, परम आत्मा ही शरीर से बोलते हैं।
  • कोई मरता है तो उनकी आत्मा को बुलाया जाता है।
    • उस समय यह ख्याल रहता है कि हमारे बाबा की आत्मा आई है।
    • जैसे कि दो आत्मायें हो गई।
    • वह आत्मा आकर वासना लेती है।
    • यूं तो है सब ड्रामा।
    • परन्तु फिर भी भावना का भाड़ा मिल जाता है।
    • आगे तो ब्राह्मणों में कुछ ताकत थी, आकर बातचीत करते थे।
    • रूचि से खिलाया जाता था।
    • यह ज्ञान तो नहीं है कि वह आत्मा है।
  • आत्मा तो वासना लेती है बाबा तो वासना भी नहीं लेते हैं क्योंकि वह तो अभोक्ता है।
    • आत्मा तो भोगती है।
    • बाबा कहते हैं मैं अभोक्ता हूँ।
    • आत्मा तो वासना की मुरीद होती है।
    • मैं तो मुरीद नहीं हूँ, मेरे साथ योग लगाने से तुम्हारे विकर्म दग्ध होंगे।
  • समझाना है शिव जयन्ती मनाते हैं।
    • शिव तो निराकार है।
    • जैसे आत्मा की भी जयन्ती होती है।
    • आत्मा शरीर में आकर प्रवेश करती है।
    • शिव ही पतित-पावन है, जिसका ही आह्वान करते हैं कि आकर इस रावण के दु:खों से लिबरेट करो।
  • इस समय 5 विकार सर्वव्यापी हैं।
    • आधा-आधा हैं ना।
    • जब रावण राज्य शुरू होता है तब और धर्म आते हैं।
    • सबको अपना-अपना पार्ट बजाने आना है।
    • मैं आता ही यहाँ हूँ।
  • अब तुम बच्चे जानते हो इस चैतन्य डिब्बी में कौड़ी से हीरा बनाने वाला बाप बैठा हुआ है।
    • वही सत-चित-आनंद स्वरूप है, ज्ञान का सागर है।
    • तुम अभी जानते हो, बाप याद दिलाते हैं तो याद करते हैं फिर भूल जाते हैं क्योंकि वह पोप आदि जो हैं, उनको तो चैतन्य शरीर है।
    • नामीग्रामी है।
    • उनकी कितनी महिमा होती है।
    • यहाँ तो ये डिब्बी में छिपा हुआ हीरा है।
    • कोई जानते ही नहीं कि वह एक ही बार आते हैं।
    • बच्चे तो जानते हैं कि बाबा इनमें बैठा है।
    • यह हमारा सत बाबा, सत टीचर भी है।
    • यह पाठशाला है ना।
    • तुम्हारे में भी कोई भूल जाते हैं।
    • चलन से सब कुछ पता लग जाता है।
  • कोई बच्चे तो थोड़ी परीक्षा लेने से फाँ हो जाते हैं।
    • नहीं तो बच्चों का कहना है जो खिलाओ, चाहे मारो, चाहे प्यार करो।
    • सपूत बच्चे तो आज्ञाकारी होते हैं।
  • बाबा कहते हैं - बच्चे कभी भी रोना नहीं है।
    • तुम्हारा इतना बड़ा बाप और साजन है, उनके बनकर फिर तुम रोते हो! मैं तुम्हारा बड़ा बाप बैठा हूँ।
    • माया नाक से पकड़ती है तो तुम रोते हो।
  • गायन भी है - अतीन्द्रिय सुख गोप गोपियों से पूछो।
    • परन्तु माया भुला देती है।
    • बाप पर कुर्बान जायें, बलिहार जायें, वह अन्दर याद रहे तो खुशी हो।
  • तुम बच्चे अभी जानते हो बाबा सच्चा-सच्चा इन्द्र है।
    • वो पानी की वर्षा बरसाने वाला इन्द्र नहीं।
    • यह ज्ञान इन्द्र है।
    • इन्द्र-धनुष निकलता है, उसमें रंग तो बहुत होते हैं परन्तु मुख्य 3 होते हैं।
  • बाबा तुमको इस समय त्रिकालदर्शी बनाते हैं।
    • त्रिकालदर्शी अर्थात् आदि मध्य अन्त को जानने वाला अर्थात् स्वदर्शन चक्रधारी।
    • तीनों कालों को जानने वाला।
    • यह बातें तुम अपने से ही मिलायेंगे।
  • तुम बच्चे जानते हो कि यह इन्द्र सभा है इसलिए बाबा लिखते रहते हैं - कोई भी विकारी, मूत पलीती मेरी सभा में न हो।
    • तुम भी ज्ञान डांस करने वाली परियां हो।
    • ज्ञान इन्द्र का परियों को फरमान है - कोई विशश अर्थात् विकारी आदमी को यहाँ नहीं लाना।
    • तुम बच्चों के पास विशश ही वाइसलेस बनने के लिए आते हैं।
    • परन्तु मेरी सभा में नहीं लाना है।
    • कायदे भी हैं ना।
  • वैसे तो मैं यहाँ बहुतों से बातचीत करता हूँ।
    • ईमानदार, सपूत, अच्छा बच्चा है तो लव जाता है।
    • जैसे गांधी के लिए सबको लव है, काम तो अच्छा किया ना।
  • इस बने बनाये ड्रामा को भी समझना है, यह हूबहू रिपीट हो रहा है।
    • कोई का दोष नहीं है।
    • रावण को तो सभी को भ्रष्टाचारी बनाना ही है।
    • इन सब बातों को तुम बच्चे ही जानते हो और क्या जानें।
    • पतित-पावन कहते हैं।
    • कुछ भी समझते नहीं हैं।
  • तुम तो वही हो जिन्होंने कल्प पहले भी बाबा को मदद की थी।
    • सतयुग में यह थोड़ेही मालूम रहेगा कि हमने यह राज्य कैसे लिया।
    • अब तुम जानते हो - यह बेहद का बाप कितनी बड़ी आसामी है।
    • बाप ही भारत को कौड़ी से हीरे जैसा बनाते हैं।
  • स्वर्ग में एक ही आदि सनातन देवी-देवता धर्म था, अब फिर से उसकी स्थापना हो रही है।
    • सारी दुनिया में शान्ति स्थापन करना - यह तो परमपिता परमात्मा की रेसपान्सिबिल्टी है।
    • वह बाप ही आकर सबको धणका बनाते हैं।
    • समझाते हैं तुम निधनके क्यों बने हो।
    • रावण राज्य कब से शुरू हुआ है, तुम जानते नहीं हो।
    • रावण का बुत बनाकर जलाते रहते हो।
    • इस समय भक्ति मार्ग की उतरती कला है।
    • रामराज्य तो सतयुग को कहा जाता है।
    • तुम इस समय हो ईश्वरीय औलाद क्योंकि कला कम होती जाती है।
  • इस समय तुम्हारे में बड़ी रॉयल्टी चाहिए।
    • तुम हो मनुष्य को देवता बनाने वाले।
    • अतीन्द्रिय सुख भी गोप-गोपियों का ही गाया हुआ है।
    • ऐसे कभी नहीं कहा है कि अतीन्द्रिय सुख लक्ष्मी-नारायण से पूछो, परन्तु गोप गोपियों के लिए कहा है क्योंकि वह ईश्वरीय औलाद हैं।
    • देवता बनते हो फिर डिग्री कम हो जाती है।
  • राजायें कितना दबदबे से चलते हैं।
    • परन्तु हैं तो सब तमोप्रधान।
  • तुम्हारे पास चित्रों में ब्रह्मा का चित्र देखकर बहुत मनुष्य मूँझते हैं।
    • तो तुम बच्चों के पास लक्ष्मी-नारायण का चित्र एक त्रिमूर्ति सहित है, एक बिगर त्रिमूर्ति के भी है, उनमें सिर्फ शिव दिखाया हुआ है, तो दोनों रखना चाहिए।
    • अगर कुछ ब्रह्मा के लिए बोलें तो कहो, किसके शरीर में आवे।
    • ब्रह्मा-सरस्वती ही लक्ष्मी-नारायण बनते हैं।
    • जरूर ब्रह्मा तन में ही आवे तब तो ब्राह्मण पैदा हों।
    • नहीं तो इतने बच्चे कैसे हो सकते हैं।
    • यह ब्रहमा के बच्चे ब्रह्माकुमार कुमारियाँ हैं।
    • तुम भी ब्रह्माकुमार कुमारी हो।
    • प्रजापिता बिगर सृष्टि कैसे रचेंगे।
    • यह अब नई सृष्टि रच रहे हैं।
    • हो तुम भी परन्तु तुम मानते नहीं हो।
    • अगर अभी ब्राह्मण नहीं बनेंगे तो देवता भी नहीं बन सकते।
    • यह भी समझते हैं यहाँ आयेंगे वही जिनका सैपलिंग लगना होगा।
    • बाप कितना अच्छी रीति समझाते हैं।
  • बाबा हर एक की अवस्था को भी जानते हैं।
    • कोई किस चीज़ का भूखा, कोई फैशन का भूखा, बाबा से आकर पूछो - बाबा हम ठीक चल रहे हैं?
    • यह हमारी बात राइट है या रांग?
    • तो भी समझें कि इनको डर है।
  • देखो, गांधी जी को सभी ने कितनी मदद दी, परन्तु उसने खुद नहीं खाया, सब देश के लिए किया।
    • वह गांधी तो फिर भी मनुष्य था, यह तो बेहद का बाबा है।
    • शिवबाबा तो दाता है, सब बच्चों के लिए ही करते हैं।
    • पूछा जाता है तुम एक रूपया क्यों देते हो?
    • कहते हैं शिवबाबा को देते हैं, 21 जन्मों का वर्सा पाने के लिए।
    • ऐसे कोई नहीं समझे तो मैंने दिया, मैं तो 21 जन्मों का वर्सा लेता हूँ।
    • बाबा तो गरीब-निवाज़ है।
    • 21 जन्मों का वर्सा देते हैं, यह बुद्धि में रहे।
    • सब कुछ बच्चों के काम में आता है।
    • गांधी भी काम में लगाते थे।
    • अपने लिए कुछ भी इकट्ठा नहीं किया।
    • अपने पास भी जो कुछ था, वह दे दिया, देने वाला कभी खुद इकट्ठा नहीं करता।
  • संन्यासी छोड़कर चले जाते हैं फिर आकर इकट्ठा करते हैं।
    • उन्हों के पास तो बहुत पैसे हैं, कितने फ्लैट्स हैं।
    • वास्तव में संन्यासियों को एक पैसा भी हाथ में नहीं होना चाहिए।
    • लॉ ऐसे है।
    • वह कभी दानी नहीं हो सकते।
    • तुमको तो बाप की राय पर चलना है।
    • बाबा यह सब कुछ आपका है।
    • जैसे आप कहेंगे ऐसे काम में लगायेंगे।
    • बाबा डायरेक्शन देते रहते हैं।
    • बच्चों को अमल में लाना है।

  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) कदम-कदम बाप की राय पर चलना है।
  • पूरा-पूरा बलिहार जाना है।
  • जहाँ बिठायें, जो खिलायें... ऐसा आज्ञाकारी होकर रहना है।
  • 2) अपनी चलन बहुत रॉयल ऊंची रखनी है, हम ईश्वरीय औलाद हैं इसलिए बड़ी रॉयल्टी से चलना है, कभी भी रोना नहीं है।
  • वरदान:-
  • ( All Blessings of 2021-22)
    • साधारण जीवन में भावना के आधार पर श्रेष्ठ भाग्य बनाने वाले पदमापदम भाग्यवान भव
    • बापदादा को साधारण आत्मायें ही पसन्द हैं।
    • बाप स्वयं भी साधारण तन में आते हैं। आज का करोड़पति भी साधारण है।
    • साधारण बच्चों में भावना होती है और बाप को भावना वाले बच्चे चाहिए, देह-भान वाले नहीं।
    • ड्रामानुसार संगमयुग पर साधारण बनना भी भाग्य की निशानी है।
    • साधारण बच्चे ही भाग्य विधाता बाप को अपना बना लेते हैं, इसलिए अनुभव करते हैं कि “भाग्य पर मेरा अधिकार है।''
    • ऐसे अधिकारी ही पदमापदम भाग्यवान बन जाते हैं।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021-22)
  • सेवाओं में दिल बड़ी हो तो असम्भव कार्य भी सम्भव हो जायेगा।