14-02-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
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मीठे बच्चे - सेन्सीबुल बन चलते-फिरते जहाँ भी सेवा हो करते रहो, बाप का परिचय दो, सर्विस का शौक रखो''
प्रश्नः-
बच्चों की बुद्धि में कौन सी बात आ जाए तो अपना सब कुछ सफल कर सकते हैं?
उत्तर:-
अब यह सब खत्म होने वाला है, दो कणा देने से बाप द्वारा महल मिलते हैं... जिनकी बुद्धि में यह बात आ जाती है, वह अपना सब कुछ ईश्वरीय कार्य में सफल कर लेते हैं।
गरीब ही बलिहार जाते हैं।
बाप दाता है - वह तुमको स्वर्ग की बादशाही देता, लेता नहीं।
गीत:-प्रीतम ऑन मिलो...
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- ओम् शान्ति।
- प्रीतमायें अर्थात् भक्तियां, ब्राइड्स अर्थात् सजनियां।
- भक्तियां प्रीतम वा साजन को बुलाती हैं, पुरुष और स्त्री सब मिलकर बुलाते हैं।
- कितने ढेरों के ढेर हैं।
- बुलाते हैं तो इससे सिद्ध है जरूर प्रीतमाओं का कोई प्रीतम है।
- सब एक को बुलाते हैं कि हे परमपिता परमात्मा आओ।
- हम आपको बहुत याद करते हैं।
- यादगार तो बहुतों के बनाते हैं।
- अब वह सब हैं मनुष्यों के यादगार।
- ऐसे भी बहुत हैं जो लक्ष्मी-नारायण, राम-सीता आदि देवताओं को याद करते हैं क्योंकि मनुष्य से देवता ऊंच हैं तब तो मनुष्य देवताओं की पूजा करते हैं।
- नम्बरवार ऊंच और नींच तो हैं ही।
- यह तो सब जानते हैं कि ऊंचे ते ऊंच भगवान को कहा जाता है।
- फिर हैं ब्रह्मा विष्णु शंकर, फिर हैं ब्रह्मा और जगत अम्बा।
- मुख्य वह हैं।
- यह तो सिर्फ बच्चों की ही बुद्धि में है कि ऊंचे ते ऊंच बाबा द्वारा हमको ऊंचे ते ऊंचा वर्सा मिलता है।
- परन्तु उस बाप को जानते ही नहीं।
- जब बाप आये तब ही आकर अपना परिचय दे।
- बाप कहते हैं मैं तुम बच्चों के सिवाए और कोई से मिल नहीं सकता हूँ।
- बहुत आते हैं, कहते है महात्मा जी से मिलें।
- यहाँ तो वह बात ही नहीं।
- यहाँ बाप और बच्चों का तैलुक है।
- बाकी कोई का कुछ काम है तो और बात है।
- बाप मुरली भी बच्चों के आगे ही चलाते हैं।
- प्रदर्शनी में भी तुम सिद्ध कर बतलाते हो कि सबका वह फादर है।
- वो लोग तो कहते हैं वह नाम रूप से न्यारा है।
- तुम बतलाते हो उनका नाम भी है, रूप भी है, तो देश भी है, चित्र भी हैं।
- उनको बुलाते भी हैं तो जैसे आत्मायें आती हैं वैसे परमात्मा भी आते हैं।
- शिव के मन्दिर में भी बैल दिखाते हैं।
- उसको नंदी-गण कहते हैं तो इससे सिद्ध है कि शिव परमात्मा आते हैं।
- फिर क्यों कहते हैं वह आ ही नहीं सकते।
- मनुष्य कितने बुद्धू हैं, दिखाते भी हैं बैल की भ्रकुटी में शिव, परमात्मा भी बरोबर भ्रकुटी के बीच में रहते हैं।
- भगवान को भी आना होगा तो जरूर भ्रकुटी के बीच में ही आयेगा।
- अब प्रदर्शनी में तुम यह भी समझा सकते हो कि नंदीगण किसको कहा जाता है।
- बाप कहते हैं मैं बच्चों को ही समझाता हूँ।
- मनुष्य कहते हैं गाड फादर, परन्तु फादर का नाम क्या है?
- तो कोई बतला नहीं सकते।
- लौकिक फादर का नाम तो फौरन सुनायेंगे।
- शिवबाबा के नाम भी ढेर रख दिये हैं।
- वास्तव में नाम तो एक ही होना चाहिए।
- बाप ही इन सब बातों की रोशनी देते हैं।
- मनुष्य तो इस समय तुच्छ बुद्धि बन गये हैं।
- अल्फ को नहीं समझते।
- वेद शास्त्र आदि पढ़ना - यह है भक्ति मार्ग।
- समझते हैं भक्ति से भगवान मिलेगा।
- भगत भी मनुष्य ठहरे।
- उन्हों को भगवान मिलना तो जरूर है परन्तु कब मिलेगा... यह किसको पता ही नहीं है।
- भक्ति मार्ग में किसको साक्षात्कार हुआ, समझते हैं बस भगवान मिल गया।
- इससे मुक्ति को पा लिया क्योंकि भगवान जब मिलते हैं तो मुक्ति ही देते हैं।
- वह है ही सबको मुक्ति और जीवनमुक्ति देने वाला दाता।
- पतितों को पावन कर्ता, दु:ख हर्ता सुख कर्ता...।
- बाप तो है ही दाता।
- दो कणे के बदले महल दे देते हैं।
- सारे स्वर्ग की बादशाही दे देते हैं।
- बाबा कहते हैं अब सब कुछ खत्म होने वाला है।
- इस कारण इस कार्य में लगाकर सफल कर लो।
- तुमको रिटर्न भविष्य में मिलेगा।
- साहूकार कोई बाप को पा नहीं सकते।
- बलिहार जा नहीं सकते।
- गरीब बच्चे ही बलिहार जाते हैं।
- अगर कोई सेन्सीबुल हो तो रास्ते चलते भी सेवा कर सकते हैं।
- चलते-चलते पहले किसका मित्र बन जाना चाहिए फिर बैठकर ज्ञान सुनाना चाहिए।
- ज्ञान बिल्कुल ही सहज है।
- सिर्फ पूछो परमपिता परमात्मा का कब नाम सुना है।
- कितनी फर्स्टक्लास बात है।
- परमपिता कहने से वह सबका बाप हो जाता है।
- जैसे बिच्छू नर्म चीज़ देखेगी तो डंक मारेगी।
- तुम भी यही धन्धा करो, सबको राजयोग भी सिखलाओ तो सतयुग में प्रिन्स प्रिन्सेज बनेंगे।
- वहाँ तुमको गोरे बच्चे मिलेंगे।
- तो यह समझाना है कि बाप से वर्सा लेना है।
- इसमें सारी बुद्धि की बात है।
- बाकी साक्षात्कार तो कॉमन बात है।
- किसको कैसे साक्षात्कार होता है, किसको कैसे... वह भी एम आब्जेक्ट बतलाने के लिए।
- बाबा कहते हैं तुम मुझे याद करेंगे और पवित्र रहेंगे तो ऐसा पद पायेंगे।
- इकट्ठे रहकर पद पाना - यह है बड़ी मंजिल।
- और संग टूट जाए, एक संग जुट जाए... इसमें ही मेहनत है।
- संन्यासी तो सब कुछ छोड़कर चले जाते हैं।
- यहाँ तो इकट्ठे रहकर बुद्धि में रखना है कि यह पुरानी दुनिया खत्म हुई पड़ी है।
- हमको वापिस जाना है फिर हम स्वर्ग में जाकर राज्य करेंगे।
- अब पुरानी दुनिया का विनाश तो होना ही है।
- यह बुद्धि में रख पुरुषार्थ करना है।
- 8 घण्टा इस याद की सर्विस में रहो।
- कोई कहते हैं यह कैसे हो सकेगा।
- भक्ति मार्ग में जो कृष्ण के भगत हैं वह भी सब तरफ से बुद्धि को हटाए एक कृष्ण को ही याद करते होंगे।
- कोई राम का भगत है, अच्छा राम को याद करो।
- राम की राजधानी को याद करो, सो भी जब निरन्तर याद करे तब अन्त मती सो गति होगी।
- राम को याद करके राम की राजधानी में जाये, यह भी मेहनत है।
- ऐसी मेहनत सिखलाने वाला कोई है नहीं।
- श्लोक भी है - अन्तकाल जो स्त्री सिमरे... अगर कोई संन्यासी है, गुरू है उनको भी याद करना पड़े तो अन्त मती सो गति हो।
- पहले पूछो कहाँ जाने चाहते हो?
- वापिस तो जाना है, परन्तु कहाँ?
- क्योंकि भक्ति से ताकत नहीं मिलती जो एक से बुद्धि लगा सके।
- सर्वशक्तिमान् तो एक परमपिता परमात्मा ही है ना।
- उनका ही पार्ट नूंधा हुआ है।
- ऊंचे ते ऊंचा बाप है उनको याद करो तो उनके देश में जायेंगे।
- संन्यासियों को तो देवता भी नहीं कह सकते।
- वह तो आते ही द्वापर में हैं।
- भगवान स्वयं आकर कहते हैं - बच्चे मुझे याद करो और सृष्टि चक्र पर भी समझाते हैं, जिससे तुम चक्रवर्ती राजा बन जायेंगे।
- यह नॉलेज बाप ही समझाते हैं।
- चित्रों पर तुम समझा सकते हो।
- ऊंचे ते ऊंचा है निराकार भगवान, वह रहते हैं मूलवतन में।
- वह भी ऊंचे ते ऊंचा है, हम देवतायें भी वहाँ ही रहते हैं।
- सूक्ष्मवतन में सूक्ष्म देवतायें रहते हैं।
- वहाँ सृष्टि का चक्र है नहीं।
- फिर नीचे आओ तो लक्ष्मी-नारायण के मन्दिर में सबसे जास्ती भभका है।
- जगत अम्बा, जगत पिता के मन्दिर में इतना नहीं।
- जगत अम्बा का तो बिल्कुल साधारण मन्दिर है।
- तुम लक्ष्मी का भी मन्दिर देखो, जगत अम्बा का भी देखो - तो रात-दिन का फर्क है।
- मनुष्यों को यह पता ही नहीं कि जगत अम्बा ही लक्ष्मी बनती है।
- तुम जानते हो - यह भी अति साधारण है तो उनके मन्दिर भी अति साधारण ही बनाये हैं।
- तो चित्र भी साधारण बनाये हैं।
- जगत अम्बा को कहाँ काला भी बनाते हैं।
- अभी तुम जानते हो कि संगम पर हम यह राजयोग सीखकर भविष्य में कितने शोभनिक श्री लक्ष्मी, श्री नारायण बनते हैं।
- लिखा भी हुआ है ब्रह्मा द्वारा स्थापना सो तो ज्ञान से ही होती है।
- बाकी गऊ के मुख से अमृत आदि की कोई बात ही नहीं।
- कृष्ण को भी संगम पर बाबा वर्सा देते हैं।
- संगम होने कारण उन्हों ने शिव के बदले कृष्ण का नाम लिख दिया है।
- अब तुम जानते हो जगत अम्बा ही लक्ष्मी बनती है और लक्ष्मी ही 84 जन्म ले जगत अम्बा बनती है।
- यह है ब्रह्मा का कुल। सो फिर बनता है दैवीकुल।
- दैवीकुल के फिर 84 जन्म लेते हैं तो अन्त में आकर शूद्र कुल के बनते हैं।
- कितनी अच्छी-अच्छी बातें हैं। धारणा नहीं होती तो कहेंगे डलहेड है।
- ऐसे बहुत सेन्टर्स हैं - जो आपेही क्लास चला सकते हैं।
- गॉड फादर कहते हैं - तेज बुद्धि स्टूडेन्ट बनो।
- सर्विसएबुल बच्चों को कितना याद करते हैं, बुलाते हैं।
- बाप भी ऐसे बच्चों को याद करते हैं।
- स्कूल में कोई तेज, कोई डल तो होते ही हैं।
- हैं तो सब बच्चे।
- परन्तु किन्हों के इतने पाप किये हुए हैं जो पुण्य आत्मा बन नहीं सकते हैं। घड़ी-घड़ी गिर पड़ते हैं।
- कितनी गुप्त खुशी रहनी चाहिए।
- अन्धों की लाठी तो सिर्फ बाबा ही है और कोई हो न सके।
- हे प्रभू अन्धों की लाठी तू ही है।
- यहाँ हर एक की इन्डीविज्युअल दवाई की जाती है।
- ज्ञान नैनहीन को अंधा कहा जाता है।
- कलियुग की रात में शिवबाबा आते हैं।
- कृष्ण रात्रि कहते हैं तो शिव की भी रात्रि है।
- अब शिव तो परमात्मा है, उनकी रात्रि कौन सी?
- तुम जानते हो कलियुग के अन्त और सतयुग के आदि को ही रात्रि कहा जाता है।
- भक्ति मार्ग के धक्के खाकर सब तंग हो गये हैं या तो कहते हैं परमात्मा बेअन्त है या तो कहते हैं हम ही परमात्मा हैं।
- कितना समझाया जाता है।
- कोई-कोई को सर्विस का बहुत शौक रहता है।
- बाबा को भी शौक है परन्तु बाबा कहाँ जाये, यह लॉ नहीं है।
- सन शोज़ फादर।
- बच्चे तो ढेर हैं।
- ढेर आते भी रहेंगे।
- क्यू में बाहर बैठ जायेंगे।
- पोप आया कितने मनुष्य गये।
- यह तो सभी का बाप है।
- पोप को भी सद्गति देने वाला है।
- सच्ची-सच्ची आशीर्वाद देने वाला बाप ही है।
- वह झूठी आशीर्वाद करते हैं।
- बी0के0 को तो सबको ब्लैसिंग देनी है।
- न समझने के कारण वह समझते हैं हम ब्लैसिंग करते हैं।
- यहाँ तो आते हैं, देखा जाता है - आशीर्वाद लेने का लायक है वा नहीं।
- परमपिता परमात्मा की बुद्धि में जो है वह किसकी भी बुद्धि में नहीं है।
- बाप कहते हैं यह आये तो हम इनको मुक्ति-जीवनमुक्ति दें।
- मनुष्य से देवता बनायें।
- स्वर्ग का सैपलिंग लगना तो है।
- हम समझ जायेंगे यह किस प्रकार का सैपलिंग लग रहा है।
- तुम भी ऐसे समझो कोई आये तो मुक्ति-जीवनमुक्ति दें।
- कहते हैं हमको मुक्ति चाहिए।
- अच्छा - मुक्तिधाम को याद करेंगे तो मुक्ति मिलेगी।
- बाप को याद करो तो अन्त मती सो गति हो जायेगी।
अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) कम से कम 8 घण्टा इस याद की सर्विस में रहना है।
- इकट्ठे रहते हुए भी और संग तोड़ एक संग जोड़ने की मेहनत करनी है।
2) तेज बुद्धि स्टूडेन्ट बनना है, डल हेड नहीं।
- बाप समान अन्धों की लाठी बन सबको मुक्ति-जीवनमुक्ति का रास्ता बताना है।
वरदान:-
( All Blessings of 2021-22)
- अल्पकाल के सहारे के किनारों को छोड़ बाप को सहारा बनाने वाले यथार्थ पुरूषार्थी भव
- अल्पकाल के आधारों का सहारा, जिसको किनारा बनाकर रखा है।
- यह अल्पकाल के सहारे के किनारे अभी छोड़ दो।
- जब तक ये किनारे हैं तो सदा बाप का सहारा अनुभव नहीं हो सकता और बाप का सहारा नहीं है इसलिए हद के किनारों को सहारा बना लेते हो।
- अल्पकाल की बातें धोखेबाज हैं, इसलिए समय की तीव्रगति को देख अब इन किनारों से तीव्र उड़ान कर सेकण्ड में क्रॉस करो - तब कहेंगे यथार्थ पुरूषार्थी।
स्लोगन:-
(All Slogans of 2021-22)
कर्म और योग का बैलेन्स रखना ही सफल कर्मयोगी बनना है।
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