09-02-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
"मीठे बच्चे - सब दु:खियों को सुखी बनाना, यह एक बाप का ही फ़र्ज है, वही सर्व का सद्गति दाता है''
प्रश्नः-
बाप अपने बच्चों को चढ़ती कला में जाने की कौन सी युक्ति सुनाते हैं?
उत्तर:-
बाबा कहते मीठे बच्चे - मैं जो सुनाता हूँ, तुम उसे ही सुनो।
बाकी जो कुछ सुना है उसे भूल जाओ क्योंकि उससे तुम नीचे उतरते आये हो।
प्रश्नः-
कौन सा गुह्य राज़ तुम बच्चे समझते हो, जिसमें सभी वेद शास्त्रों का सार आ जाता है?
उत्तर:-
ब्रह्मा सो विष्णु और विष्णु सो ब्रह्मा कैसे बनता, कैसे दोनों एक दो की नाभी से निकलते हैं, यह गुह्य राज़ तुम बच्चे ही समझते हो।
यह सभी वेद शास्त्रों का सार है।
गीत:-नैन हीन को राह दिखाओ...
|
- ओम् शान्ति।
- मीठे-मीठे अति प्यारे सिकीलधे बच्चे अर्थ तो समझते हैं।
- यूँ तो बाप को सारे सृष्टि के बच्चे प्यारे जरूर हैं।
- बच्चे जानते हैं कि यह जो भी मनुष्य मात्र हैं वह परमपिता परमात्मा की सन्तान हैं।
- ईश्वरीय फैमली हैं।
- फैमली में सबसे जास्ती प्यार बाप से होता है, जिसने बच्चों को रचा है।
- बेहद का बाप कहते हैं प्यारे, मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चे, 5 हजार वर्ष के बाद फिर से आकर मिले हो।
- कब मिले?
- इस संगमयुग पर।
- जबकि बाप आकर सब बच्चों को अशान्ति से शान्ति में ले जाते हैं।
- शान्ति के लिए कितनी कान्फ्रेन्स आदि करते हैं।
- आपस में मिलते हैं कि सृष्टि में मारामारी बन्द हो जाए और आपस में शान्ति कैसे हो।
- नहीं तो आपस में लड़कर विनाश कर देंगे।
- विनाश से डरते हैं।
- यह भूल गये हैं कि बाप ही आकरके सुखधाम अर्थात् आदि सनातन देवी-देवता धर्म की फिर से स्थापना करते हैं, जो अब हो रही है।
- तुम सब बैठे हो बेहद के बाप से बेहद सुख का वर्सा लेने।
- तुम जानते हो बरोबर परमपिता परमात्मा आकर फिर आसुरी दुनिया का विनाश कराते हैं।
- विनाश तो जरूर होना चाहिए ना क्योंकि इस समय सब दु:खी हैं।
- यह बाप का ही कल्प-कल्प का फर्ज़ है - जो भी दु:खी हैं उन सबको सुखी बनाना।
- बाकी जो खुद ही दु:खी पतित हैं, वह फिर औरों को पावन सुखी कैसे बनायेंगे।
- सो भी सारी दुनिया की बात है।
- गाते भी हैं - सर्व का सद्गति दाता एक है।
- हे परमपिता परमात्मा आकर हम पतितों को पावन बनाओ।
- यह तो सब धर्म वाले जानते हैं कि भारत में गॉड गॉडेज का राज्य था।
- उस समय हम लोग नहीं थे।
- प्राचीन भारत की बहुत महिमा है।
- भगवान ने पहले-पहले स्वर्ग रचा, उसका मालिक कौन था? भारत।
- स्वर्ग में सोने हीरे के महल थे।
- भारत बहुत साहूकार था।
- अब कलियुग के अन्त में अनेकानेक धर्म हैं।
- बाकी एक देवता धर्म प्राय: लोप है।
- कंगाल महान दु:खी बन पड़े हैं।
- अब वह बाप कहते हैं यह ब्रह्मा दादा तो जवाहरी था, यह नहीं कहते हैं, निराकार बाप कहते हैं इस शरीर द्वारा कि यह ब्रह्मा भी अपने जन्मों को नहीं जानते हैं।
- तुम ब्रह्माकुमार कुमारियां भी अपने जन्मों को नहीं जानते थे।
- मैं इनमें प्रवेश करता हूँ, यह भी ड्रामा में था।
- कैसे प्रवेश होते हैं, यह सवाल नहीं है।
- बाप कहते हैं मेरे को अपना शरीर नहीं है।
- मै साधारण बूढ़े तन में आकर प्रवेश करता हूँ।
- आता भी हूँ भारत में।
- यह अपने जन्मों को नहीं जानता, मैं आकर इनको समझाता हूँ।
- यह सब बना बनाया बेहद का बड़ा ड्रामा है।
- जो सेकेण्ड पास होता है वह फिर रिपीट होगा।
- यह बेहद ड्रामा का राज़ बाप ही समझाते हैं।
- बाप कहते हैं बच्चे जो कुछ तुम दान पुण्य आदि करते आये हो, यह सब है भक्ति मार्ग।
- इनसे कुछ भी प्राप्ति नहीं है क्योंकि भक्ति में अब कोई भी सार नहीं है।
- इतने यह सब चित्र आदि जो कुछ बनाये हैं, इनको गुड़ियों की पूजा कहा जाता है।
- चित्र बनाया, खिलाया, पिलाया, डुबोया - यह सब बेसमझी हुई ना।
- यज्ञ जब रचते हैं तो मिट्टी का एक बड़ा शिवलिंग और छोटे-छोटे सालिग्राम बनाते हैं।
- यह किसकी पूजा करते हैं, यह भी समझते नहीं हैं।
- बाप और बच्चों ने सर्विस की है तब उनकी पूजा होती है।
- शिव का लिंग बनाते हैं।
- तुम बच्चों के भी सालिग्राम बनाते हैं।
- तुम बच्चे अब बरोबर भारत को पवित्र बनाने की सर्विस कर रहे हो।
- तुम हो खुदाई खिदमतगार।
- तुम्हारी बाप से प्रीत है।
- बाप की श्रीमत पर चलते हो तब श्रीमत भगवत गीता गाई हुई है।
- भगवान कोई शास्त्र नहीं पढ़ेगा।
- कोई भी धर्म स्थापक कब शास्त्र नहीं उठाते।
- वह आते हैं धर्म स्थापन करने।
- उनके पास जो नॉलेज है, वही सुनायेंगे।
- ऐसे नहीं कि क्राइस्ट ने आकर बाइबिल पढ़ा।
- नहीं, वह आया धर्म स्थापन करने।
- बाप आकर श्रीमत देते हैं।
- श्री अर्थात् श्रेष्ठ मत।
- ऊंचे ते ऊंची मत है ही भगवान की।
- तुम बच्चे अब श्रीमत पर चलते हो।
- बाप कहते हैं बच्चे मुझे याद करो।
- बस अक्षर ही दो हैं।
- बड़े प्यार से कहते हैं बच्चे, तो वह है बाप और हम सब हैं ईश्वरीय फैमली के मेम्बर्स।
- यह बात किसकी बुद्धि में नहीं होगी, इनके बुद्धि में भी नहीं थी।
- अब बाप बैठ इन द्वारा समझाते हैं कि यह सब जो मनुष्य आत्मायें हैं, इन सब आत्माओं को मुझे पावन बनाए वापिस ले जाना है।
- मैं ड्रामा अनुसार फिर से आया हूँ तुमको वापिस ले जाने।
- यह बाबा आत्माओं से बात करते हैं।
- इनकी आत्मा भी सुनती है।
- बरोबर बाबा हमको नॉलेज दे रहे हैं,
- इनको अपना शरीर तो है नहीं।
- श्रीकृष्ण का साधारण रूप नहीं कहेंगे।
- वह तो स्वर्ग का पहला प्रिन्स था।
- फिर यह सब कह देते श्रीकृष्ण भगवानुवाच।
- यह तो हो भी नहीं सकता।
- कितना फ़र्क है।
- संगम पर श्रीकृष्ण हो न सके।
- आर्टीफिशल कृष्ण तो बहुत बनते हैं।
- बाकी प्रैक्टिकल सतयुग में होगा।
- कृष्ण के नाम से दूसरा थोड़ेही कोई हो सकता है।
- नाम तो बहुत अपने ऊपर रखवाते हैं।
- बाप कहते हैं बच्चे इस अन्तिम जन्म में पवित्र बनो तो पवित्र दुनिया की स्थापना में मदद होगी।
- पवित्रता तो अच्छी ही है।
- बहुत बच्चियां मार खाती हैं।
- अबलाओं पर अत्याचार होते हैं।
- लिखते हैं बाबा क्या करें, हमको इस बंधन से छुड़ाओ।
- नाटक में दिखाते हैं द्रोपदी को साड़ियां दी।
- यह एक कहानी बना दी है।
- बाबा कहते हैं बच्चे, अब पवित्र बनने से 21 जन्म तुम कभी नंगन नहीं होंगे।
- वहाँ है ही रामराज्य।
- मुख्य विकार है अशुद्ध अहंकार, देह-अभिमान।
- देह से मोह रहता है।
- वहाँ हैं आत्म-अभिमानी।
- समझते हैं हम पुराना शरीर छोड़ दूसरा लेते हैं।
- उसको आत्म-अभिमानी कहा जाता है।
- बाप कहते हैं - तुम सब आत्मा हो, शिवबाबा को याद करते रहो क्योंकि अब वापिस जाना है।
- यह है आत्माओं की सच्ची-सच्ची रूहानी यात्रा।
- सबको सुप्रीम बाप के पास जाना है।
- तीर्थ यात्रा पर जाते हैं तो रास्ते में राम-राम कहते जाते हैं।
- बाप कहते हैं तुम बाप को याद करते चलो।
- अब सारी दुनिया तो राजयोग नहीं सीखेगी।
- कल्प पहले वाले ही यहाँ आयेंगे।
- अभी कलम लगना है।
- जो देवी देवता धर्म का मीठा झाड़ था सो प्राय: लोप हो गया है।
- बाकी टाल टालियां खड़ी हैं। (बनेन ट्री का मिसाल)
- वैसे ही इस देवी-देवता धर्म का जो फाउन्डेशन है, वो सड़ गया है।
- बाकी निशानियां (चित्र) रहे हैं।
- परन्तु वह कौन हैं, यह किसको पता नहीं है।
- न अपने धर्म का पता है इसलिए हिन्दू धर्म कह देते हैं।
- बाप कहते हैं तुम्हारा भारत कितना सिरताज था।
- धर्म के लिए ही कहा जाता है रिलीजन इज़ माइट।
- अभी तो देवता धर्म है नहीं।
- फिर वह धर्म कैसे स्थापन हो।
- बाप है सर्वशक्तिमान्, वर्सा उनसे मिलता है।
- ताकत भी उनसे मिलेगी।
- बाप है सृष्टि का बीजरूप।
- हम उनकी फैमली हो गये।
- बाप सत है, चैतन्य है, ज्ञान का सागर है।
- सब कुछ आत्मा में है।
- आत्मा ही सुनती है, पढ़ती है।
- आत्मा में ही अच्छे बुरे संस्कार होते हैं।
- इस समय सबकी आत्मा तमोप्रधान हो गई है।
- सबसे जास्ती तमोप्रधान बुद्धि भारतवासी ही बने हैं।
- श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ आत्मायें भी भारत की ही थी।
- वही हेविन के मालिक थे।
- यह नाटक बना हुआ है।
- सबको अपना-अपना पार्ट मिला हुआ है।
- आत्मायें सब एक जैसी हैं, उनमें कोई फर्क नहीं है।
- ऐसे नहीं हमारी आत्मा छोटी है, बाबा बड़ा है।
- नहीं, आत्मा छोटी बड़ी नहीं होती।
- आत्मा 84 जन्मों का पार्ट फिर से रिपीट करती है।
- उनकी कभी इन्ड नहीं होती।
- एक आत्मा कितनी सर्विस करती होगी।
- वह अविनाशी पार्ट कभी मिटने वाला नहीं है।
- क्या यह बातें विद्वान, पण्डित, शास्त्रों की अथॉरिटी जानते हैं?
- इतनी छोटी आत्मा में कितना भारी पार्ट है।
- परमपिता परमात्मा भी ड्रामा के वश में है।
- पार्ट बजाने के लिए बंधा हुआ है, एक्यूरेट टाइम पर ही आयेगा।
- उनको भी अपना पार्ट टाइम पर बजाना है, सबको सुखी बनाना है।
- ख्याल करो आत्मा क्या है।
- बाबा की आत्मा भी इतनी छोटी बिन्दी मिसल है।
- इतनी छोटी चीज़ की पूजा तो कोई कर न सके।
- भक्ति के लिए फिर बड़ा बनाते हैं, जिसकी पूजा हो सके।
- जिसको शिव अथवा रूद्र भी कहते हैं।
- है बिन्दी मिसल।
- तिलक देते हैं ना।
- यहाँ यह बड़ी समझने की बातें हैं और तो कोई समझा न सके।
- यह बाप बैठ समझाते हैं, बहुत महीन बातें हैं।
- बाप समझाते हैं - बच्चे आत्मा देखो कितनी छोटी है।
- आत्मा के आरगन्स देखो कितने बड़े हैं।
- इस समय सबकी आत्मा और शरीर दोनों ही पतित हैं, अब फिर पावन बनना है।
- तुम अव्यभिचारी बनो, एक से ही सुनो।
- एक को ही याद करो।
- ओहो! बाबा आप तो बड़ी कमाल करते हो।
- कैसा ज्ञान सुनाते हो!
- और किसकी ताकत नहीं जो यह नॉलेज दे सके।
- तुम्हारी चढ़ती कला अब ही होती है जबकि बाप आकर पढ़ाते हैं।
- इस समय सभी मनुष्य मात्र पतित हैं, इसलिए बाप कहते हैं - मैं सबका उद्धार करने के लिए आता हूँ।
- रात से दिन में जाने का रास्ता बताता हूँ।
- गाते भी हैं नैन हीन को... गोया सभी कहते हैं हम नैन हीन हैं, हमको राह बताओ।
- कहाँ की राह?
- अपने घर की।
- यहाँ तो बहुत दु:ख हैं।
- बाबा हम अन्धों की लाठी तो आप ही हो।
- बाबा अक्षर से वर्सा याद आता है।
- प्रभू या ईश्वर कहने से वर्से का नशा नहीं होता, त्वमेव माता च पिता... यह उनकी महिमा है।
- मनुष्य कह देते हैं यह वेद तो अनादि हैं।
- परन्तु पूछो कब से पढ़ते आये हो?
- क्या सतयुग से लेकर?
- वहाँ शास्त्र तो होते ही नहीं।
- यह है भक्ति मार्ग के।
- कुछ भी जानते नहीं।
- बाप कहते हैं अभी मैं आकर तुमको सबका सार समझाता हूँ - ब्रह्मा द्वारा।
- ब्रह्मा बच्चा मेरा है या विष्णु की नाभी से निकला है!
- ब्रह्मा तो शिव का बच्चा हुआ।
- विष्णु का बच्चा तो नहीं है।
- हाँ, ब्रह्मा ही फिर विष्णु बनते हैं।
- फिर विष्णु 84 जन्म बाद ब्रह्मा बनते हैं, यह बहुत गुह्य राज़ है जो तुम बच्चे ही समझते हो।
- अभी ब्रह्मा मुख द्वारा तुम ब्राह्मण बच्चों का जन्म हुआ है तो कितना नशा और खुशी तुम बच्चों को होनी चाहिए।
अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) सम्पूर्ण पावन बनने के लिए अव्यभिचारी बनना है।
- एक बाप से ही सुनना है, एक को ही याद करना है।
2) खुदाई खिदमतगार बन भारत को पावन बनाने की सेवा करनी है।
- एक बाप से प्रीत बुद्धि रहना है।
वरदान:-
( All Blessings of 2021-22)
- स्व-स्थिति द्वारा हर परिस्थिति को पार करने वाले मास्टर त्रिकालदर्शी भव
- जो बच्चे त्रिकालदर्शी स्थिति में स्थित रहते हैं वह अपनी स्व स्थिति द्वारा हर परिस्थिति को ऐसे पार कर लेते हैं जैसेकि कुछ था ही नहीं।
- नॉलेजफुल, त्रिकालदर्शी आत्मायें समय प्रमाण हर शक्ति को, हर प्वाइंट को, हर गुण को ऑर्डर से चलाते हैं।
- ऐसे नहीं कि समय आने पर आर्डर करें सहनशक्ति को और कार्य पूरा हो जाए फिर सहनशक्ति आये।
- जिस समय जो शक्ति, जिस विधि से चाहिए - उस समय अपना कार्य करे तब कहेंगे खजाने के मालिक, मास्टर त्रिकालदर्शी।
स्लोगन:-
(All Slogans of 2021-22)
जो सदा खुश रहते हैं और सबको खुशी बांटते हैं वही सच्चे सेवाधारी हैं।
|