17-01-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
"मीठे बच्चे - प्यार से मुरली सुनो और सुनाओ, ज्ञान रत्नों से अपनी झोली भरपूर करो तब भविष्य में राज्य अधिकारी बनेंगे''
प्रश्नः-
शिवबाबा को भोलानाथ क्यों कहा गया है? उत्तर:-
क्योंकि शिवबाबा सब बच्चों की बिगड़ी को एक सेकेण्ड में बना देते हैं।
कहते भी हैं राजा जनक को सेकेण्ड में जीवनमुक्ति मिली तो एक जनक की बात नहीं, तुम सबको बाप एक सेकेण्ड में जीवनमुक्ति दे देते हैं।
भारत की बिगड़ी को बना देते हैं।
दु:खी बच्चों को सदा के लिए सुखी बना देते हैं, इसलिए उन्हें सब भोलानाथ कहकर याद करते हैं।
शंकर को भोलानाथ नहीं कहेंगे।
गीत:-भोलेनाथ से निराला...
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ओम् शान्ति।
- भोलानाथ बाप का बच्चों प्रति पहले-पहले डायरेक्शन है कि भोलानाथ की याद में रहो।
- मनुष्य को भोला नहीं कहा जाता।
- भोलानाथ शिवबाबा को ही कहेंगे।
- शंकर को भी भोलानाथ नहीं कह सकते।
- जो बिगड़ी को बनाने अर्थात् दु:खी को सुखी बनाने वाला है, उसको ही भोलानाथ कहा जाता है।
- बिगड़ी भी भारतवासियों की है तो भारत की बिगड़ी को बनाने वाला भी जरूर भारत में ही आयेगा ना।
- बिगड़ी को बनाने की युक्ति सेकेण्ड में बतलाते हैं।
- जनक को भी युक्ति दी थी।
- बिगड़ी भी कोई एक की नहीं बनती।
- अगर जनक की बिगड़ी बनाई और उसने जीवनमुक्ति पाई तो जरूर राजधानी होगी।
- उनके साथ बहुतों को जीवनमुक्ति मिली होगी।
- भारतवासी यह भी समझते हैं कि भारत जीवनमुक्त था।
- जीवनमुक्त कहा जाता है स्वर्ग को। जीवनबंध कहा जाता है नर्क को।
- यह है राजयोग।
- राजयोग से ही राजाई की स्थापना होती है।
- एक जनक की बात नहीं।
- भगवान ने राजयोग सिखाया तो राजाई भी दी है।
- बरोबर देखते हैं सतयुग के लक्ष्मी-नारायण ने राजाई कैसे पाई।
- अभी तो है कलियुग।
- प्रजा का प्रजा पर राज्य स्थापन हो चुका है।
- यह है पंचायती राज्य।
- इसके बाद है सतयुग।
- तुम जानते हो - लक्ष्मी-नारायण ने आगे जन्म में ऐसा कर्तव्य किया है तब सूर्यवंशी राजाई पाई है।
- फिर है चन्द्रवंशी।
- वह तो राज्य की ट्रांन्सफर होती है।
- तुम जानते हो गीता है सर्वोत्तम धर्म शास्त्र, जिससे तीन धर्म स्थापन होते हैं।
- और हर एक धर्म का शास्त्र एक ही होता है।
- संगम का भी एक ही शास्त्र है।
- महिमा भी गीता की ही है, जिससे सबकी सद्गति होती है।
- तो सद्गति करने वाला एक ही है।
- गीता में बरोबर रूद्र ज्ञान यज्ञ का भी वर्णन है, जिससे इस पुराने नर्क का विनाश होता है और स्वर्ग की स्थापना भी होती है।
- इसमें मूंझने की तो बात ही नहीं।
- बाबा ने समझाया है - पहले-पहले बाप का परिचय देना है कि विश्व में स्वर्ग की स्थापना करने वाला विश्व का मालिक ठहरा।
- वह है सबका बाप फिर यह लक्ष्मी-नारायण हैं विश्व के मालिक।
- उन्हों को जरूर शिवबाबा ने राज्य दिया होगा।
- अभी तो कलियुग है।
- भारत कौड़ी जैसा है, कर्ज बढ़ता जा रहा है इसलिए सोना लेने का प्रबन्ध करते रहते हैं।
- भारत फिर हीरे जैसा कैसे बनेगा।
- लक्ष्मी-नारायण को स्वर्ग की राजाई मिली है ना।
- यह भी तुम बच्चे जानते हो - गालियां तो खाना ही है।
- भारत में देवतायें भी गाली खाते आये हैं और देश वाले तो बहुत महिमा करते हैं, वह जानते हैं कि यह प्राचीन भारत के मालिक थे।
- अभी तुम बच्चे प्रैक्टिकल देख रहे हो।
- तुम बच्चों में जो विशाल बुद्धि हैं उन्हों को ही खुशी होगी।
- विशाल-बुद्धि वह हैं जो धारण कर और फिर दूसरों को कराते हैं।
- ऐसे मत समझो वहाँ सतसंगों आदि में तो 5-10 हजार लोग रोज़ जाते हैं, यहाँ तो इतने आते नहीं हैं।
- भक्ति तो वृद्धि को जरूर पाती रहेगी।
- उनसे यह कलम लगता रहेगा।
- जिन्होंने कल्प पहले समझा है वही इन बातों को समझ सकते हैं।
- लोग तो कथा सुनाते हैं और सुनने वाले सुनकर घर चले गये बस।
- यहाँ तो कितनी मेहनत करनी पड़ती है।
- पवित्रता पर कितने हंगामें होते हैं।
- गवर्मेन्ट भी कुछ नहीं कर सकती।
- यह पाण्डव गवर्मेन्ट तो गुप्त है।
- अन्डरग्राउन्ड सेना एक नाम है।
- तुम शक्ति सेना गुप्त हो।
- तुमको कोई समझ न सके।
- तुम हो नानवायोलेन्स शक्ति सेना, इसका अर्थ कोई समझ न सके।
- गीता के अक्षर का भी अर्थ समझ न सके।
- बाप खुद बोलते हैं, यह नॉलेज प्राय:लोप हो जाती है।
- लक्ष्मी-नारायण में भी यह ज्ञान नहीं रहता।
- मैं जो यह ज्ञान सुनाकर राजधानी स्थापन करता हूँ, वह कोई की बुद्धि में नहीं है।
- यह बाबा भी गीता आदि पढ़ते थे।
- परन्तु यह बातें थोड़ेही बुद्धि में थी।
- अभी देखो सेन्टर्स भी कितने खुलते जाते हैं।
- पवित्रता पर विघ्न भी पड़ रहे हैं प्रैक्टिकल में।
- आगे भी पड़ते थे।
- उन गीता पाठशालाओं में विघ्न की बात नहीं रहती।
- यहाँ तो तुम ब्रह्माकुमार कुमारी बनते हो।
- यह अक्षर तो गीता में भी नहीं हैं।
- यह भी समझ की बात है।
- प्रजापिता ब्रह्मा के बच्चे, ब्रह्माकुमार कुमारी तो हर एक मनुष्य है, न कि सिर्फ भारतवासी।
- परन्तु सारी सृष्टि के मनुष्य सब हैं।
- सभी प्रजापिता ब्रह्मा को एडम कहते हैं।
- जानते हैं वह मनुष्य सृष्टि का पहला हेड है।
- ह्युमिनटी स्थापन करने वाला है।
- ऐसे नहीं कि सृष्टि होती ही नहीं है फिर ब्रह्मा पैदा हुआ, उनके मुख से मनुष्य रचे जाते हैं।
- नहीं, अगर कोई भी मनुष्य न हो तो फिर मुख वंशावली भी पैदा हो न सके।
- न ब्रह्मा मुख वंशावली, न ब्रह्मा कुख वंशावली हो सके।
- सृष्टि तो सारी है, उनकी कलम लगाई जाती है।
- यह नई-नई बातें समझने की हैं।
- किसकी बुद्धि में बैठने में टाइम लगता है।
- कोई तो एक मास में भी खड़े हो जाते हैं।
- जैसे देखो बैंगलोर के अंगना बच्चे को कितना नशा चढ़ा हुआ था।
- जो हमारे पास 20 वर्ष वाले को भी नशा नहीं है।
- खुशी में डांस करता था।
- भगवान मिल गया, खुशी की बात है ना।
- भगवान आकर रक्षा करते हैं माया से।
- फिर स्वर्ग की राजाई स्थापन करते हैं।
- बाबा तो बहुत क्लीयर समझाते हैं।
- मैं इस साधारण तन द्वारा फिर से तुम बच्चों को वही सहज राजयोग और सृष्टि चक्र के आदि-मध्य-अन्त का ज्ञान सिखलाता हूँ।
- तुम कह सकते हो आओ तो हम आपको सतयुग से लेकर कलियुग अन्त तक की हिस्ट्री सुनायें कि अब फिर से कैसे सतयुग आने वाला है।
- जरूर सिखाने वाला भी होना चाहिए।
- हमको सिखलाते हैं तब तो हम समझा सकते हैं ना।
- बाकी तो जो गीता सुनाने वाले हैं, उनसे तो तुम लोगों ने बहुत सुना है।
- बहुत लेक्चर्स होते रहते हैं।
- परन्तु वह इस धर्म के न होने कारण इस तरफ खींचते नहीं हैं।
- जब तुम्हारा प्रभाव निकलेगा फिर वृद्धि होगी।
- धीरे-धीरे वृद्धि होती रहेगी।
- यह तो जानते हैं - भारत कितना कंगाल है।
- मनुष्य भूख बहुत मरते हैं।
- दु:खी होते हैं।
- भगवान की भक्ति करते हैं कि आकर दु:ख से छुड़ाओ।
- तुम बच्चे जानते हो सुखी सृष्टि कब होती है।
- यहाँ तुम बच्चों की झोली भर रही है इन अविनाशी ज्ञान रत्नों से।
- आगे तो सब सुनते-सुनाते थे परन्तु उसमें झोली भरने का प्रश्न नहीं।
- झोली अभी सिर्फ तुम्हारी भर रही है और जो टेप सुनेंगे वा मुरली पढ़ेगे वा सुन रहे होंगे वह भी झोली भर रहे हैं।
- तुम हो शिव शक्ति सेना, भारत की झोली भरने वाले।
- भारत बहुत साहूकार हो जायेगा।
- परन्तु जो झोली भरते हैं, राज्य तो सिर्फ वही करेंगे ना।
- भारत सोने की चिड़िया थी फिर बन जायेगी।
- सभी सुखी होंगे।
- परन्तु भारत में कितने करोड़ हैं, इतने सब तो वहाँ नहीं होंगे।
- जो झोली भरते हैं, राज्य भाग्य तो वही लेंगे।
- इसमें मूंझने की बात ही नहीं कि कैसे होंगे।
- अरे इन लक्ष्मी-नारायण को देखो ना।
- यह सतयुग के मालिक हैं ना।
- स्वर्ग का रचयिता है शिवबाबा और यह लक्ष्मी-नारायण सतयुग के मालिक हैं।
- जरूर आगे जन्म में पुरूषार्थ किया है।
- आगे वाला जन्म होगा संगम पर।
- संगम कल्याणकारी है ना क्योंकि संगमयुग पर ही दुनिया बदलती है तो जरूर कलियुग और सतयुग के बीच में ज्ञान दिया होगा।
- सो अब फिर से दे रहे हैं।
- फिर कोई कहे कि निराकार परमात्मा कैसे आकर राजयोग सिखलायेंगे।
- तो तुम त्रिमूर्ति दिखाओ।
- ब्रह्मा द्वारा स्थापना... तो जो स्थापना करेंगे वही पालना भी करेंगे।
- जैसे क्राइस्ट ने स्थापना की फिर पालना के लिए पोप भी जरूर उनको बनना पड़े।
- वापिस तो कोई जा न सके।
- पालना जरूर करनी है।
- पुनर्जन्म लेना ही है, नहीं तो सृष्टि बढ़े कैसे।
- जबकि सतयुग त्रेता में पहले देवताओं का राज्य था तो सबसे जास्ती आदमशुमारी जरूर इन्हों की होनी चाहिए।
- फिर क्रिश्चियन्स की जास्ती क्यों है?
- फिर लाखों वर्ष की भी कोई बात नहीं है।
- यह सब बातें समझेंगे वही जो अपने घराने के होंगे।
- औरों को तीर लगेगा नहीं।
- यह ज्ञान का तीर है ना।
- बाबा कहते हैं भले किसको भी ले आओ तो ज्ञान बाण लगायें।
- होगा ब्राह्मण कुल का तो तीर लगेगा।
- शास्त्रों में दिखाते हैं - लड़ाई में यादव कौरव मारे गये।
- पाण्डव 5 थे।
- फिर हिमालय पर जाकर गल मरे।
- अब ऐसे तो हो नहीं सकता।
- गाया भी जाता है जीव घाती महापापी।
- आत्मा का कभी घात नहीं होता है।
- आत्मा खुद जाकर शरीर का घात अथवा विनाश करती है।
- अब पाण्डव जिन्हों को श्रीमत देने वाला परमात्मा था, वह जाकर पहाड़ों पर गले, यह तो हो नहीं सकता।
- अच्छा वह तो 5 पाण्डव थे।
- बाकी और पाण्डव कहाँ गये?
- सेना तो दिखाई नहीं है।
- तुम जानते हो विनाश कैसे होगा।
- तुम देखेंगे भी।
- तुम बच्चों को साक्षात्कार भी बहुत होंगे।
- शुरू में तुमको बहुत साक्षात्कार होते थे।
- कभी लक्ष्मी को, कभी नारायण को इनवाइट करते थे।
- कितने साक्षात्कार होते थे फिर पिछाड़ी के टाइम जब हाहाकार होगा तब फिर तुमको साक्षात्कार होंगे।
- हंगामें होंगे तो तुम बच्चे आकर यहाँ इकट्ठे होंगे इसलिए मधुबन में जास्ती मकान बनाते रहते हैं।
- फिर तुम बच्चों को इन साक्षात्कार से खुशी में लाते रहेंगे, परन्तु मासी का घर नहीं है जो सब यहाँ आ जायें।
- जो सपूत बच्चे बाबा के मददगार होंगे, वहीं आयेंगे।
- अगर पाण्डवों के गलने की बात होती तो फिर मकान ही क्यों बनाते!
- कोई भी बात में मूंझते हो तो अनन्य बच्चों से पूछ सकते हो।
- नहीं तो यह ब्रह्मा बाबा बैठा है।
- यह नही बता सकता तो बड़ा बाबा (शिवबाबा) बैठा है।
- यह तो समझाया है कि अभी बहुत कुछ समझने का बाकी है।
- सारे चक्र का राज़ बाबा समझाते रहते हैं।
- कितनी प्वाइंट्स निकलती रहती हैं।
- अजुन टाइम पड़ा है तो जरूर और भी समझाना होगा।
- परन्तु पहले मूल बात यह जरूर लिखाना है, एकदम ब्लड से लिखवाना है कि हमको निश्चय है कि बरोबर परमपिता परमात्मा पढ़ाते हैं।
- ऐसे नहीं सिर्फ लिखने से ही बदल जाते हैं। कहते हैं हमने तो ऐसे ही लिख दिया।
- जास्ती कोई से माथा नहीं मारना है।
- बोलो भगवानुवाच - भगवान हम शिवबाबा को मानते हैं।
- वो ज्ञान का सागर सतचित है।
- उनको अपना शरीर तो है नहीं।
- तो जरूर साधारण तन का आधार लेंगे ना।
- तो पहले-पहले बाप कहते हैं मामेकम् याद करो।
- देह के सब धर्म छोड़ मुझे याद करो तो विकर्म विनाश होंगे और मेरे पास चले आयेंगे, और चक्र को याद करने से तुम चक्रवर्ती राजा बनेंगे।
- बाबा कितना मीठा है और बनाते भी देखो कितना मीठा हैं।
- सतयुग की निशानियां हैं वह फिर रिपीट जरूर होंगी।
- कलियुग भी है।
- अभी तुम राजयोग सीख रहे हो, विनाश सामने खड़ा है और क्या सबूत देवें।
अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बाप समान बनना है।
भगवान आकर माया से हमारी रक्षा करते हैं, इस खुशी में रहना है।
2) किसी भी बात में मूझना नहीं है, सपूत बच्चा बन बाप का पूरा-पूरा मददगार बनना है।
वरदान:-
( All Blessings of 2021-22)
ब्रह्मा बाप के संस्कारों को स्वयं में धारण करने वाले स्व परिवर्तक सो विश्व परिवर्तक भव
जैसे ब्रह्मा बाप ने जो अपने संस्कार बनाये, वह सभी बच्चों को अन्त समय में याद दिलाये - निराकारी, निर्विकारी और निरंहकारी - तो यह ब्रह्मा बाप के संस्कार ही ब्राह्मणों के संस्कार नेचुरल हों।
सदा इन्हीं श्रेष्ठ संस्कारों को सामने रखो।
सारे दिन में हर कर्म के समय चेक करो कि तीनों ही संस्कार इमर्ज रूप में हैं।
इन्हीं संस्कारों को धारण करने से स्व परिवर्तक सो विश्व परिवर्तक बन जायेंगे।
स्लोगन:-
(All Slogans of 2021-22)
अव्यक्त स्थिति बनानी है तो चित्र (देह) को न देख चैतन्य और चरित्र को देखो।
- लवलीन स्थिति का अनुभव करो
- बाप का आप बच्चों से इतना प्यार है जो जीवन के सुख-शान्ति की सब कामनायें पूर्ण कर देते हैं। बाप सुख ही नहीं देते लेकिन सुख के भण्डार का मालिक बना देते हैं। साथ-साथ श्रेष्ठ भाग्य की लकीर खींचने का कलम भी देते हैं, जितना चाहे उतना भाग्य बना सकते हो - यही परमात्म प्यार है। इसी प्यार में समाये रहो।
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